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बौद्ध-कालीन भारत
२२८ इसका ठीक ठीक स्थान अभी तक निश्चित नहीं हुआ है; पर यह प्रायः निश्चित सा है कि यह कच्छ की खाड़ी के किनारे पर कहीं था । जब इसका वैभव घटा, तब इसका स्थान भरुकच्छ ( वर्तमान भडौच ) और सुप्पारक ( शूर्पारक ) ने ले लिया ।
(१०) सागल-प्राचीन समय में यहाँ मद्र राजाओं की राजधानी थी। नकुल और सहदेव की माता माद्री यहीं की थीं। बौद्ध यूनानी राजा मिलिंद की राजधानी भी यहीं थी। इसका ठीक ठीक स्थान तो अभी निश्चित नहीं हुआ, पर यह भारत के उत्तर पश्चिम में कहीं था।
(११) साकेत—यह कोशल देश का प्रधान नगर था । किसी समय यहाँ कोशल की राजधानी भी थी। प्रायः लोग साकेत और अयोध्या को एक ही समझते हैं। पर बुद्ध के समय में ये दोनों नगर अलग अलग विद्यमान थे। शायद ये दोनों पास ही पास थे। प्राचीन साकेत के पास ही वह अंजन वन था, जिसमें बुद्ध भगवान् ने अपने बहुत से सिद्धांत सूत्र रूप से कहे थे। यह उन्नाव जिले में सई नदी के किनारे वर्तमान सुजानकोट के पास था।
(१२) सावत्थी (श्रावस्ती)—यह उत्तरी कोशल की राजधानी थी और बुद्ध के समय में छः बड़े बड़े नगरों में गिनी जाती थी। राप्ती नदी के किनारे का वर्तमान सहेत महेत ग्राम ही प्राचीन श्रावस्ती माना जाता है।।
(१३) उजेनी ( उज्जयिनी)-यहाँ अवन्ती देश की राजधानी थी। यहीं बुद्ध के एक प्रधान शिष्य कञ्चान और अशोक के पुत्र महेन्द्र ने जन्म ग्रहण किया था। इसी के पास प्राचीन विदिशा ( वर्तमान भिलमा ) और माहिष्मती नगरी थी।
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