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राजनीतिक इतिहास तथा उसकी राजधानी में हुई थी। संभव है कि यह महासभा स्तंभ-लेखों के प्रचलित होने के बाद की गई हो। पर यह कहने में कोई आपत्ति नहीं हो सकती कि बौद्ध नेताओं की एक महासभा अशोक के समय में हुई थी, क्योंकि इस सभा के बारे में बहुत सी दन्तकथाएँ प्रचलित हैं। मालूम होता है कि सारनाथ का स्तंभ-लेख, जिसमें स्पष्ट शब्दों में लिखा है-"जो भिक्षुनी या भिक्षुक संघ में फूट डालेगा, वह सफेद कपड़ा पहनाकर उस स्थान में रख दिया जायगा, जो भिक्षुओं के लिये उपयुक्त नहीं है" इसो सभा के निश्चय के अनुसार प्रकाशित किया गया था। विन्सेन्ट स्मिथ साहब का मत है कि यह महासभा अशोक के राज्य-काल के अंतिम दस वर्षों में किसी समय हुई होगी। ___अशोक के साम्राज्य का विस्तार-अशोक का साम्राज्य कितनी दूर तक फैला हुआ था, यह प्रायः निश्चित रूप से कहा जा सकता है । उत्तर-पश्चिम की ओर उसका साम्राज्य हिन्दूकुश पर्वत तक फैला हुआ था; और उसमें अफगानिस्तान का अधिकतर भाग तथा कुल बलोचिस्तान और सिन्ध शामिल था। कदाचित् सुवात ( या स्वात) और बाजार में भी अशोक के कर्मचारी रहते थे। कश्मीर और नेपाल तो अवश्यमेव साम्राज्य के अंग थे। अशोक ने कश्मीर की घाटी में श्रीनगर नाम की एक नई राजधानी बसाई थी। प्राचीन श्रीनगर वर्तमान श्रीनगर से थोड़ी ही दूर पर है। नेपाल की घाटी में भी उसने पुरानी राजधानी मंजुपाटन के स्थान पर पाटन, ललितपाटन या ललितपुर नामक एक नगर बसाया, जो वर्तमान राजधानी काठमाण्डू से दक्षिण-पूर्व ढाई मील की दूरी पर अब तक स्थित है। उसने
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