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बौद्ध-कालीन भारत
१५० (५) नीसाइन-यूनानी इतिहास-लेखक एरिअन(Arrian) ने लिखा है कि नीसाइअन (Nysalans) लोग स्वतन्त्र थे। ये किसी राजा के अधीन न थे * । इनके देश का शासन-कार्य थोड़े से अमीर उमरा के हाथ में रहता था, जिनके ऊपर एक सभापति या अगुआ होता था। अमीर उमरा के प्रतिनिधि तीन सौ चुने हुए बुद्धिमान् मनुष्य होते थे । जब सिकन्दर ने इनके नगर नीसा (Nysa) पर हमला किया, तब इन लोगों ने बड़ी वीरता से अपने नगर की रक्षा की। सिकंदर उसे जीत न सका; इसलिये उसने उसके चारों ओर घेरा डालकर उसे जीतना चाहा। इस पर नीसाइअन लोगों ने हार मान ली और सिकंदर से सन्धि को प्रार्थना की। सिकंदर ने उनकी प्रार्थना स्वीकृत कर ली और उनका देश उन्हीं को लौटा दिया। नीसाइअनों ने अपनी तीन सौ सवार सेना सिकंदर को सहायतार्थ दी। नीसा का ठीक ठीक स्थान अभी निश्चित नहीं हुआ है । वह कदाचित् पश्चिमोत्तर सीमा में उस स्थान पर था, जहाँ आजकल काफिर लोग रहते हैं । आजकल के काफ़िर लोग शायद इन्हीं नीसाइअनों के वंशधर हैं। नीसाइअनों का असली नाम क्या था, यह भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता।
(६) सबक-इस जाति का असली नाम क्या था, यह नहीं कहा जा सकता । पर यूनानी लोग इसे सबक (Sabarcae)
* Mc. Crindle's "Invasion of India by Alexender" pp. 79, 80;Arrtan, II, V.
___ + v. Smith's "Position of the Autonomous Tribes of the Punjab" in J. R. A. S. 1913. pp. 685-702. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com