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मौर्य शासन पति इनके साथी इनके शिष्य बने रहते थे। इनके कुछ साथी साधारण मनुष्यों की तरह जनता में घूम फिरकर अपने नायक साधु को प्रशंसा करते और उनका गुण-गान करते थे । इस ढंग से ये लोगों पर अपना प्रभाव डालकर उनकी थाह लेते थे और उनके गुप्त मनोविकारों, विचारों और रहस्यों का पता लगाते थे।
जो अनाथ होते थे, जिनका पालन-पोषण राज्य की ओर से होता था और जो विद्यार्थी बनकर ज्योतिष आदि विद्याओं का अध्ययन करते थे, वे "सत्री" नाम के गुप्तचरों में भर्ती किये जाते थे। ये लोगों के साथ मिलकर उनकी गुप्त बातें जाना करते थे।
जो लोग बड़े साहसी, शूर और अपने जीवन की परवाह न करनेवाले होते थे, वे "तीक्ष्ण" नाम के गुप्तचरों में भर्ती किये जाते थे। ये जान तक खतरे में डालकर बड़े से बड़े काम कर लाते थे ।
जिनमें किसी प्रकार का स्नेह या ममता न होती थी और जो बड़े कठोर-हृदय होते थे, वे "रसद" कहलाते थे। ये अपने खामी या राजा के संकेत पर किसी को ऐसा रस या विष पिला देते थे कि वह इस संसार से ही कूच कर जाता था ।
जो स्त्रियाँ गुप्तचरों में भर्ती होती थीं, वे "भिक्षुकी" कह-)) लाती थीं। ये प्रायः विधवा ब्राह्मणी होती थीं। राजान्तःपुर में इनका बड़ा सम्मान होता था, इससे राज-मंत्रियों तथा अन्य बड़े बड़े घरानों में भी इनका प्रवेश रहता था। इस कारण ये बड़ी
आसानी से स्त्रियों के द्वारा गुप्त बातों का पता लगा लेती थीं। । इनके सिवा सूद ( रसोइये ) आरालिक (हलवाई), स्नापक ( स्नान करानेवाले कहार, आदि ), संवाहक (पैर दबानेवाले), आस्तरक ( बिछौना बिछानेवाले ), कल्पक ( हज्जाम ), प्रसाधक
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