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चौद्ध-कालीन भारत
१४८ के लोगों के बारे में लिखा है कि ये बड़े वीर और स्वाधीनता-प्रेमी थे और प्रजातन्त्र राज्य-प्रणाली से शासित होते थे। ये एक दूसरे के परम शत्रु थे और सदा एक दूसरे को नीचा दिखाने को तैयार रहते थे। पर सिकंदर के आक्रमण के समय इन दोनों जातियों ने पुरानी शत्रुता भुलाकर बाहरी शत्रु के आक्रमण से बचने के लिये आपस में एका कर लिया था। एकता का यह बन्धन दृढ़ करने के लिये दोनों ने एक दूसरे से विवाह-सम्बन्ध भी करना प्रारंभ किया था। यहाँ तक कि बात की बात में दस सहस्र स्त्री-पुरुषों का विवाह एक दूसरे के यहाँ हो गया। सब मिलाकर दोनों की सेनाओं में नब्बे हज़ार पैदल, दस हजार सवार और करीब नौ सौ रथ थे। मालव लोग रावो और चनाब के बीच में तथा क्षुद्रक लोग रावी और व्यास के बीच में रहते थे।
(३) क्षत्रिय (क्षत्रोई)-"क्षत्रिय" जाति भी किसी राजा के अधीन न थी। यूनानी इतिहास-लेखक एरिअन ने लिखा है कि "क्षत्रिय" लोग बिलकुल स्वाधीन थे। ये अपने नेता चुनकर शासन का काम उन्हीं को सौंप देते थे *। "क्षत्रिय" लोग जहाज
और नाव बनाने में बड़े कुशल थे। जब सिकंदर ने इन लोगों को हराया, तब इन्होंने उसके लिये बहुत से जहाज बनाकर भेंट किये । ये कदाचित् उस स्थान पर रहते थे, जहाँ पंजाब की पाँचो नदियाँ सिन्धु नदी में मिलती थीं। श्रीयुत जायसवाल जी
• Me. Crindle's "Invasion of India by Alexander" .p. 155, 156, 167, 169. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com