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गौर-कालीन भारत
१४६ लगता है कि महासभा के सभासदों का नियम के अनुसार जलाभिषेक होता था और वे "राज" पदवी से विभूषित किये जाते थे।
सिकन्दर के समय में प्रजातन्त्र राज्य-बौद्ध ग्रंथों के बाद यूनानी इतिहासकारों और लेखकों से प्रजातन्त्र राज्यों के बारे में बहुत कुछ पता लगता है। यूनानी इतिहासकारों के ग्रंथों से सूचित होता है कि ई० पू० चौथी शताब्दी के अंत में, जब कि मौर्य साम्राज्य की नींव पड़ रही थी, उत्तरी भारत में कई प्रजातंत्र या गण-राज्य विद्यमान थे। मेगास्थिनीज ने लिखा है कि जिस समय मैं भारत में था, उस समय अधिकतर नगर प्रजातंत्र, प्रणाली के अनुसार शासित होते थे * । उसने यह भी लिखा है कि उस समय कई जातियाँ ऐसी थीं, जो किसी के शासन में नहीं थीं; वे अपना शासन स्वयं करती थीं । सिकन्दर को पंजाब और सिन्ध में पग पग पर ऐसे प्रजातंत्र राज्यों की सेनाओं का सामना करना पड़ा था। उत्तरी भारत के जिन राज्यों से सिकंदर की मुठभेड़ हुई थी, उनमें से अधिकतर प्रजातंत्र थे। इससे सूचित होता है कि ई०पू० चौथी शताब्दी में पंजाब में एक-तंत्र या राज-तन्त्र राज्य की अपेक्षा प्रजातंत्र राज्यों का अधिक प्रचार था। सिकंदर के समय निम्नलिखित प्रजातंत्र या गण राज्य मुख्य थे___(१) प्रारट्ट (राष्ट्रक)-सिकन्दर के समय उत्तरी भारत में बहुत सी जातियाँ प्रजातंत्र शासन या स्वराज्य का सुख भोग
* Ancient India as described by Megasthenes. Translated by Mc. Crindle, p. 40.
+ Mc. Crindle's "Ancient India as described by Megasthenes", pp. 143-44. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com