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बौद्ध-कालीन भारत
१४४ लड़की का विवाह मेरे साथ कर दो। उसी से यह भी पता लगता है कि कोशल-राज के प्रधान सेनापति से लिच्छवियों का युद्ध हुआ था; क्योंकि उस सेनापति ने लिच्छवियों के पवित्र तालाब में स्नान करके उसे अपवित्र कर दिया था। “एकपण्ण जातक" में लिच्छवियों की राजधानी का बड़ा अच्छा वर्णन मिलता है। उसमें लिखा है कि उस नगर के चारों ओर तीन चहार-दीवारियाँ थीं। प्रत्येक दीवार एक दूसरी से तीन मील की दूरी पर थी और हर दीवार में कई फाटक और मीनारें थीं।
शाक्यों का प्रजातंत्र राज्य-संसार के प्राचीन इतिहास में कोई प्रजातन्त्र राज्य ऐसा नहीं हुआ, जिसका प्रभाव संसार की सभ्यता पर इतना अधिक पड़ा हो, जितना शाक्यों के प्रजातन्त्र का पड़ा है; क्योंकि यहीं उस महापुरुष ने जन्म लिया था, जिसका अनुयायी इस समय संसार की आबादी का एक तिहाई हिस्सा हो रहा है। गौतम बुद्ध इसी प्रजातन्त्र राज्य के एक नागरिक थे। उन्होंने यहीं स्वाधीनता और स्वतंत्र विचार की शिक्षा प्राप्त की थी। उनके पिता शुद्धोदन इसी प्रजातन्त्र राज्य के एक सभापति या प्रधान थे * । शाक्यों की जन-संख्या दस लाख थी। उनका देश नेपाल की तराई में पूरब से पच्छिम लगभग पचास मील और उत्तर से दक्खिन तीस या चालीस मील तक फैला हुआ था। उनकी राजधानी कपिलवस्तु थी। उनका शासन एक सभा के द्वारा होता था । यह सभा एक बड़े भारी समा-भवन में होती थी, जिसे "संथागार" कहते थे । बूढ़े और जवान सब अपने राज्य के शासन में सम्मिलित होते थे । सब
* Buddhist India, pp. 19, 22, 41.
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