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प्रजातन्त्र राज्य (८) मल्लों का प्रजातन्त्र राज्य, जिसकी राजधानी काशी थी।
(९) मोर्यों का प्रजातन्त्र राज्य, जिसकी राजधानी पिप्पलिवन थी।
(१०) विदेहों का प्रजातन्त्र राज्य, जिसकी राजधानी मिथिला थी।
(११) लिच्छवियों का प्रजातन्त्र राज्य, जिसकी राजधानी वैशाली थी।
ये ग्यारहों प्रजातन्त्र राज्य आजकल के गोरखपुर, बस्ती और मुजफ्फरपुर जिलों के उत्तर में अर्थात् मोटे तौर पर बिहार प्रांत में फैले हुए थे। इनमें से आठ राज्यों का कोई विशेष हाल नहीं मालूम । मल्लों की तीन शाखाएँ थीं । एक कुशीनारा में, दूसरी पावा में और तीसरी काशी में राज्य करती थी। इन ग्यारहों में सब से अधिक महत्व शाक्यों, विदेहों और लिच्छवियों का था । विदेह और लिच्छवि आपस में मिल गये थे और दोनों मिलकर “धनी" कहलाते थे ।
इन प्रजातन्त्र राज्यों में अक्सर लड़ाइयाँ भी हो जाया करती थीं। "कुणाल जातक' में लिखा है कि एक बार शाक्यों
और कोलियों में बड़ा युद्ध हुआ। इस युद्ध का कारण यह था कि दोनों ही अपने अपने खेत सींचने के लिये रोहिणी नदी को एकमात्र अपने अधिकार में रखना चाहते थे । प्रायः राजतन्त्र राज्यों के राजकुमार या राजे इन प्रजातन्त्र राज्यों के नेताओं की लड़कियों के साथ विवाह-सम्बन्ध भी करते थे।"भहसाल जातक" में लिखा है कि कोशल के राजा "पसेन्दि" (प्रसेनजित् ) ने
शाक्यों से यह प्रस्ताव किया था कि तुम लोग अपने यहाँ की एक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com