________________
१४७
प्रजातन्त्र राज्य
रही थीं। उनमें से एक जाति "पारट्टों" ( अराष्ट्रकों) की थी। यूनानी इतिहास-लेखकों ने इन्हें लुटेरा और डाकू कहा है । महाभारत में भी ये लुटेरे और डाकू कहे गये हैं । ये किसी राजा के शासन में न थे। कदाचित् ये लूट पाट करके अपना गुजारा. करते थे। चन्द्रगुप्त मौर्य ने बहुत कुछ इन्हीं की सहायता से उन यूनानियों को उत्तरी पंजाब से मार भगाया था, जिन्हें सिकंदर पश्चिमोत्तर प्रांत तथा पंजाब पर यूनानी शासन स्थिर रखने के लिये छोड़ गया था। कदाचित् इन्हीं की सहायता से चन्द्रगुप्त अपने देश को विदेशी यूनानियों की पराधीनता से स्वतन्त्र करके भारतवर्ष का एकछत्र सम्राट् बन सका। श्रीयुक्त काशीप्रसाद जायसवाल ने यह अनुमान किया है, और उनका अनुमान ठीक मालूम होता है, कि पंजाब में आजकल जो "अरोड़े" हैं, के इन्हीं “अारट्टों" या "अराष्ट्रकों" में वंशधर हैं ।।
(२) मालव और क्षुद्रक-"मालव" और "क्षुद्रक' दोनों के नाम महाभारत में भी आते हैं। ये दोनों जातियाँ कौरवों की ओर से लड़ी थीं। सिकंदर को इन दोनों जातियों से बड़ा भयंकर युद्ध करना पड़ा था। यूनानियों ने इनके नाम क्रम से मल्लोई (Mailois) और ओक्सीड्रकाई (Oxydrakal) लिखे हैं । यूनानी इतिहास-लेखक एरिअन (Arrian) ने इन दोनों जातियों
* Me. Crindle's "Invasion of India by Alexander" p 38. 406.
+ Modern Revlew, May, 1913, p. 538.
Mc. Crindie's "Invasion of India by Alexander",. p. 140. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com