________________
१३५
राजनीतिक इतिहास
__ यात्रियों के सुख का प्रबन्ध-अशोक ने यात्रियों के आराम और सुख का भी बड़ा अच्छा प्रबन्ध कर रखा था। सप्तम स्तंभलेख में इस बात का बड़ा अच्छा वर्णन किया गया है। हम यहाँ उसका कुछ भाग उद्धृत करते हैं-"सड़कों पर भी मैंने मनुष्यों और पशुओं को छाया देने के लिये बरगद के पेड़ लगवाये, आम्र-बाटिकाएँ बनवाई, आठ आठ कोस पर कुएँ खुदवाये, धर्म-शालाएँ बनवाई और जहाँ तहाँ पशुओं तथा मनुष्यों के उपकार के लिये अनेक पौसले बैठाये ।"
रोगियों की चिकित्सा-अशोक ने रोगी मनुष्यों और 'पशुओं की चिकित्सा का भी बड़ा अच्छा प्रबन्ध कर रक्खा था । केवल साम्राज्य के अन्दर ही नहीं, बल्कि साम्राज्य के बाहर दक्षिणी भारत तथा पश्चिमोत्तर सीमा के स्वाधीन राज्यों में भी अशोक की ओर से मनुष्यों और पशुओं की चिकित्सा के लिये पर्याप्त प्रबन्ध था। इस प्रबन्ध का वर्णन अशोक के द्वितीय शिलालेख में है, जिसे हम यहाँ उद्धृत करते हैं-"देवताओं के प्रिय प्रियदर्शी राजा के राज्य में सब स्थानों पर तथा जो उनके पड़ोसी राज्य हैं, जैसे चोड़, पांड्य, सत्यपुत्र, केरलपुत्र और ताम्रपर्णी में, अन्तियोक नामक यवनराज के राज्य में और उस अंतियोक के जो पड़ोसी राजा हैं, उन सब के राज्यों में देवताओं के प्रिय प्रियदर्शी राजा ने दो प्रकार की चिकित्साओं का प्रबंध किया है; एक मनुष्यों की चिकित्सा और दूसरी पशुओं की चिकित्सा । मनुष्यों और पशुओं के लिये जहाँ जहाँ ओषधियाँ नहीं थीं, वहाँ वहाँ लाई और रोपी गई हैं। इसी प्रकार कन्द-मूल और फल-फूल भी जहाँ जहाँ नहीं थे, वहाँ वहाँ लाये और रोपे गए हैं।" Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com