________________
१३३
राजनीतिक इतिहास सिद्धांत हैं, द्वितीय गौण शिलालेख में संक्षेप के साथ दिये गये हैं, जो इस प्रकार हैं- "देवताओं के प्रिय इस तरह कहते हैं-माता और पिता की सेवा करनी चाहिए । प्राणियों के प्राणों का दृढ़ता के साथ आदर करना चाहिए (अर्थात् जीव हिंसा न करनी चाहिए ) । सत्य बोलना चाहिए । “धम्म" के इन गुणों का प्रचार करना चाहिए । इसी प्रकार विद्यार्थी को आचार्य की सेवा करनी चाहिए और अपने जाति-भाइयों के साथ उचित व्यवहार करना चाहिए । यही प्राचीन धर्म की रीति है । इससे आयु बढ़ती है। और इसी के अनुसार मनुष्य को आचरण करना चाहिए।"
दूसरे धर्मों के साथ सहानुभूति इन प्रधान कर्तव्यों के अतिरिक्त अशोक ने अपने शिलालेखों में कई कर्तव्यों पर भी जोर दिया है । इनमें से एक कर्तव्य यह भी था कि दूसरों के धर्म
और विश्वास के साथ सहानुभूति रखनी चाहिए तथा दूसरों के धर्म और अनुष्ठान को कभी दृणा की दृष्टि से न देखना चाहिए। द्वादश-शिलालेख विशेष करके इसी विषय में है । उसमें लिखा है-“देवताओं के प्रिय प्रियदर्शी गृहस्थ तथा संन्यासी सब संप्रदायवालों का विविध दान और पूजा से सत्कार करते हैं। किंतु देवताओं के प्रिय दान या पूजा की उतनी परवाह नहीं करते, जितनी इस बात की कि सब संप्रदायों के सार की वृद्धि हो । संप्रदायों के सार की वृद्धि कई प्रकार से होती है; पर उसकी जड़ वाक्संयम है । अर्थात् लोग केवल अपने ही संप्रदाय का आदर और दूसरे संप्रदाय की निन्दा न करें।" ___ "धम्म” का प्रचार-अशोक ने छोटे बड़े सभी कर्मचारियों Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com