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राजनीतिक इतिहास चिस्तान, नेपाल, दक्षिणी हिमालय और कुल भारतवर्ष (केवल दक्षिण के कुछ भाग को छोड़कर) अशोक के साम्राज्य में शामिल था।
अशोक के स्मारक-अशोक ने बहुत सी इमारतें, स्तूप और स्तम्भ बनवाये थे । कहा जाता है कि तीन वर्ष के अन्दर उसने चौरासी हजार स्तूप निर्माण कराये। ईसवी पाँचवीं शताब्दी के प्रारंभ में जिस समय चीनी बौद्ध यात्री फाहियान पाटलिपुत्र में आया, उस समय भी अशोक का राजमहल खड़ा हुआ था; और लोगों का विश्वास था कि वह देव-दानवों के हाथ से रचा गया था । अब उसकी ये सब इमारतें लुप्त हो गई हैं और उनके भग्नावशेष गंगा और सोन नदियों के पुराने पाट के नीचे दबे पड़े हैं* । आजकल उन पर पटना और बाँकीपुर के शहर बसे हुए हैं। अशोक के समय के कुछ स्तूप मध्य भारत के साँची नामक स्थान में और उसके आस पास हैं। ये स्तूप अब तक सुरक्षित हैं और उज्जैन के पास ही हैं, जहाँ अशोक राजगद्दी पर
आने के पहले पश्चिमी प्रांत का शासक रह चुका था । साँची के प्रधान स्तूप के चारों ओर पत्थर का जो घेरा (परिवेष्टन) तथा पत्थर के जो फाटक हैं, वे कदाचित् अशोक की आज्ञा से बनचाये गये थे । अशोक ने गया के पास बराबर नाम की पहाड़ी में "आजीविक" संप्रदाय के लिये कुछ गुफाएँ खुदवाई थीं, जिनकी दीवारें बहुत ही चिकनी और साफ सुथरो हैं । अशोक के बनवाये हुए स्मारकों में पत्थर पर खुदे हुए उसके लेख सब से विचित्र और महत्व के हैं। कुल मिलाकर उसक्ने लेख तीस से
* इनमें से कुछ इमारतें बाँकीपुर के पास कुम्हराड़ नामक स्थान में खोद कर निकाली भी जा चुकी है।
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