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राजनीतिक इतिहास
को ओर से कभी भय रहा हो। संभवतः उसने अपने पिता के आज्ञानुसार शान्ति के साथ राज्याधिकार ग्रहण किया था ।
अशोक का राज-तिलक-अशोक ने पूरे ४० वर्षों तक राज्य किया; इसलिये जब बिन्दुसार की मृत्यु के बाद ई० पू० २७३ में या उसके लगभग उसने उस बड़े साम्राज्य का शासन-भार अपने ऊपर लिया, तब वह अपनी युवावस्था में था । उसके प्रारंभिक राज्य-काल के ग्यारह याबारह वर्षों का कुछ हाल नहीं मिलता। मालूम होता है कि प्रारंभ के ग्यारह या बारह साल साधारण रीति पर साम्राज्य के शासन में बीते । राज्यारोहण के लगभग चार वर्ष बाद ई० पू० २६९ में उसका राज-तिलक हुआ । यही एक बात ऐसो है, जिससे इस विचार की पुष्टि होती है कि राज्यारोहण के समय उसके भाइयों ने उसके साथ झगड़ा किया था ।
अशोक की कलिंग-विजय-अपने राज्य के तेरहवें वर्ष में अर्थात् ई० पू० २६१ में अशोक ने कलिंग देश जीतकर अपने राज्य में मिलाया। अपने जीवन भर में उसने यही युद्ध किया । इस युद्ध का पता उसके एक शिलालेख में भी मिलता है । प्राचीन समय में कलिंग देश बंगाल की खाड़ी के किनारे पर महानदी से लेकर गोदावरी तक फैला हुआ था। इस युद्ध के कुछ वर्ष बाद अशोक ने दो शिलालेख वहाँ खुदवाये, जिनसे मालूम होता है कि इस नये जीते हुए प्रदेश के शासन संबंध में उसको बड़ी चिंता रहती थी; क्योंकि कभी कभी उसके कर्मचारी वहाँ अच्छा शासन न करते थे।। राजकर्मचारियों को सम्राट ___* देखिये अशोक का त्रयोदश शिलालेख ।
+देखिये अशोक के दो कलिंग शिलालेख । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com