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बौद्ध-कालीन भारत
की जीवनी अतिशयोक्तियों और कल्पनाओं से भरी हुई है । यदि यह ग्रंथ वास्तव में भद्रबाहु का रचा हुआ हो, और यदि भद्रबाहु ई० पू० तीसरी शताब्दी के पहले के हों, तो महावीर के संबंध में इस ग्रंथ की कुछ न कुछ बातें ऐतिहासिक दृष्टि से अवश्य महत्व की हैं। इसके सिवा जैन धर्म के कई अन्य ग्रंथों में भी कुछ वाक्य ऐसे हैं, जिनसे महावीर के जीवन की भिन्न भिन्न घटनाओं के संबंध में अनेक बातों का पता लगता है। बौद्ध ग्रंथों से भी महावीर के बारे में बहुत सी बातों का पता लगा है। इन सब ग्रंथों के आधार पर महावीर स्वामी की संक्षिप्त जीवनी यहाँ दी जाती है।
प्राचीन विदेह राजाओं की राजधानी वैशाली * समृद्ध नगरी थी । इस नगरी में एक प्रकार का प्रजातंत्र राज्य था । इस प्रजातंत्र राज्य के चलानेवाले लिच्छवि लोग थे, जो "राजा" कहलाते थे । वैशाली के बाहर पास ही कुंड ग्राम ( वर्तमान बसुकुंड नाम का गाँव ) था । वहाँ सिद्धार्थ नाम का एक धनाढ्य
और कुलीन क्षत्रिय रहता था। वह “ज्ञातृक" नाम के क्षत्रियों का मुखिया था। उसकी रानी वैशाली के राजा चेटक की बहन थी और उसका नाम राजकुमारी त्रिशला था । चेटक की पुत्री का विवाह मगध के राजा बिंबिसार से हुआ था । इस तरह से सिद्धार्थ का मगध के राज-घराने से भी घनिष्ट संबंध था। सिद्धार्थ के एक पुत्री और दो पुत्र हुए, जिनमें से छोटे का नाम वर्धमान
● प्राचीन वैशाली आजकल के मुजफ्फरपुर जिले में बसाद और बखीरा नाम के ग्राम हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com