________________
चौर-कालीन भारत
८६ कार्यो की भी बराबर शिक्षा दी है। कुछ उदाहरण नीचे 'दिये जाते हैं।
"पाप न करना, भलाई करना और अपने हृदय को शुद्ध करना, यही बुद्धों की शिक्षा है।" __"भलाई करनेवाला जब इस संसार को छोड़कर दूसरे संसार में जाता है, तब वहाँ उसके भले कार्य उसके सम्बन्धियों और मित्रों की तरह उसका स्वागत करते हैं।” ___"वह मनुष्य बड़ा नहीं है जिसके सिर के बाल पक गये हैं,
और जिसकी अवस्था अधिक हो गई है।" ____ "जिसमें सत्य, पुण्य, प्रीति, आत्मनिरोध और संयम है
और जो अपवित्रता से रहित तथा बुद्धिमान् है, वही बड़ा कहलाता है।"
बुद्ध भगवान की इन उच्च शिक्षाओं का यह प्रभाव हुआ कि कुछ ही शताब्दियों में बौद्ध धर्म केवल एक ही जाति या देश का नहीं, बल्कि समस्त एशिया का मुख्य धर्म हो गया। इस समय भी समस्त संसार के एक तिहाई से अधिक लोग बौद्ध धर्म माननेवाले हैं । यह सब बुद्ध भगवान् की शिक्षा ही का फल है ।
• धम्मपद-१८३. २००. २०७. २६१. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com