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बौद्ध-कालीन भारत
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सेनाओं का सामना हुआ, तब चन्द्रगुप्त की सेना के मुकाबले में सेल्यूकस की सेना न ठहर सकी। सेल्यूकस को लाचार हो कर पीछे हटना पड़ा और चन्द्रगुप्त के साथ उसी की शतों के मुताबिक सन्धि कर लेनी पड़ी। उलटे उसे लेने के देने पड़ गये। भारतवर्ष को जीतना तो दूर रहा, उसे सिन्धु नदी के पश्चिम एरियाना * का बहुत सा हिस्सा चन्द्रगुप्त को दे देना पड़ा। पाँच सौ हाथियों के बदले में चन्द्रगुप्त को सेल्यूकस से परोपनिसदै ( Paropanisadai ) एरिया ( Aria) और अरचोजिया ( Archosia ) नाम के तीन प्रांत मिले, जिनकी राजधानी क्रम से आजकल के काबुल, हिरात और कन्धार नाम के तीन नगर थे। इस सन्धि को दृढ़ करने के लिये सेल्यूकस ने अपनी बेटी एथीना, चन्द्रगुप्त को दी । यह सन्धि ई० पू० ३०३ के लगभग हुई। इस प्रकार हिन्दूकुश पहाड़ तक उत्तरी भारत. चन्द्रगुप्त के हाथ में आ गया। उन दिनों भारतवर्ष की पश्चिमोत्तर सीमा हिन्दूकुश पहाड़ तक थी। मुगल बादशाहों का राज्य भी हिन्दूकुश तक कभी नहीं पहुंचा था।
मेगास्थिनीज़-सन्धि हो जाने के बाद सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त के दरबार में अपना एक राजदूत भेजा। इस राजदूत का. नाम मेगास्थिनीज़ था । मेगास्थिनीज मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र में बहुत दिनों तक रहा; और वहाँ रहकर उसने भारतवर्ष का विवरण लिखा। इस विवरण में उसने उस समय के भूगोल, पैदावार, रीति-रिवाज इत्यादि का बहुत सा हाल
___ * "एरियाना" आर्य-स्थान का अपभ्रंश मालूम होता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com