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सिद्धान्त और उपदेश भिक्षुओं और ब्राह्मणों को गृहस्थ के प्रति इस प्रकार प्रीति दिखलानी चाहिए
(१) उसे पाप करने से रोकना चाहिए। (२) उसे पुण्य करने की शिक्षा देनी चाहिए । (३) उसके ऊपर दया-भाव रखना चाहिए । (४) उसे धर्म की शिक्षा देनी चाहिए। (५) उसके सन्देह दूर करके स्वर्ग का मार्ग बतलाना चाहिए।
अब हम गौतम बुद्ध की कर्तव्य-विषयक आज्ञाओं को छोड़ कर उनकी परोपकार-विषयक आज्ञाओं और वचनों का वर्णन करेंगे, जिनके कारण बौद्ध धर्म ने संसार में इतनी प्रसिद्धि पाई है । गौतम बुद्ध का धर्म परोपकार और प्रीति का धर्म है। नीचे के वाक्यों में परोपकार और प्रीति की बहुत ऊँची शिक्षा दी गई है।
“घृणा कभी घृणा से दूर नहीं होती; घृणा केवल प्रीति से दूर होती है-यही इसका स्वभाव है।"
"हम लोगों को प्रीति-पूर्वक रहना चाहिए और उन लोगों से घृणा नहीं करनी चाहिए, जो हमसे घृणा करते हैं। जो लोग हमसे घृणा करते हैं, उनके बीच हमें घृणा से रहित होकर रहना चाहिए।" ___"क्रोध को प्रीति से जीतना चाहिए, बुराई को भलाई से जीतना चाहिए, लालच को उदारता से जीतना चाहिए, और झूठ
को सत्य से जीतना चाहिए।"* ... गौतम बुद्ध ने अपने अनुयायियों को पुण्य और भलाई के
• धम्मपद-५. ११७. २२३. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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