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राजनीतिक इतिहास शिष्टाचार और सभ्य व्यवहार से सिकन्दर बहुत प्रसन्न हुआ; और उसने पोरस से पूछा कि मैं तुम्हारे साथ कैसा बर्ताव करूँ ? इस पर पोरस ने कहा कि जैसा एक राजा को दूसरे राजा के साथ करना चाहिए। सिकन्दर इस उत्तर से बहुत प्रसन्न हुश्रा और उसने उसे केवल उसका राज्य ही नहीं लौटा दिया, बल्कि बाद को उसे पंजाब में जीती हुई भूमि का प्रतिनिधि-शासक भी नियत कर दिया। पोरस को जीतने के बाद वह चनाब तथा रावी नदियों को पार करता और बीच के देशों को जीतता हुआ ई० पू० ३२६ के सितंबर महीने में व्यास नदी के किनारे आया। किन्तु उसकी सेना ने व्यास नदी के आगे बढ़नेसे इनकार किया। इस पर लाचार तथा दुःखी होकर सिकन्दर ने अपनी सेना को पीछे मुड़ने की आज्ञा दी ।
भारत से सिकन्दर का कच-व्यास नदी के किनारे, उस स्थान पर,जहाँ तक सिकन्दर पहुंचा था और जहाँ से उसकी सेना पीछे की ओर मुड़ी थी, उसने अपनी विजय के उपलक्ष्य में बारह यूनानी देवताओं के नाम पर बारह बड़े बड़े चैत्य या चबूतरे बनवाये । सेना के आगे बढ़ने से इन्कार करने पर वह मालव, क्षुद्रक आदि युद्ध-प्रिय और प्रजा-तन्त्र राज्यों को जीतता हुआ फिर झेलम नदी पर वापस आया। वहाँ उसने बहुत सी नावों का संग्रह किया तथा बहुत सी नई नावें बनवाई। नावों का यह बेड़ा झेलम नदीसे ई० पू० ३२६ के सितंबर या अक्तूबर महीने में सिकन्दर की नौ-सेना के सेनापति नेार्कस ( Nearchos ) की अध्यक्षता में रवाना हुआ और उसके बहुत से योद्धाओं को लेकर सिन्धु नदी के मुहाने पर आया। वहाँ से चलकर और अरब समुद्र से होकर इस बेड़े ने ई० पू० ३२४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com