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बौख-कालीन भारत
१०८ पद्मनंद नाम का पुत्र हुआ, जो मगध राज्य को बलपूर्वक छीनकर आप वहाँ का राजा बन बैठा ।
नंद वंश महापन नंद-महापद्म नंद ने ई० पू० ३७१ के लगभग । नंद वंश की स्थापना की। यह बड़ा प्रसिद्ध और प्रतापशाली राजा
था, किंतु साथ ही बड़ा निर्दय और लोभी भी था। ऐसा मालूम होता है कि इन्हीं अवगुणों के कारण तथा शूद्र जाति की स्त्री से उत्पन्न होने के कारण ब्राह्मण लोग इसके कट्टर शत्रु हो गये । जब सिकंदर ने एशिया के अन्य देशों को जीतकर भारतवर्ष पर चढ़ाई की, तब महापद्मनंद ने ४ हजार हाथी, २० हजार सवार और २ लाख पैदल सेना लेकर उसके विरुद्ध प्रयाण किया। किंतु सिकंदर पंजाब से आगे न बढ़ा; इस कारण महापद्म नंद से उसकी मुठभेड़ न हुई। महापद्मनंद की एक रानी से आठ पुत्र हुए, जो पिता को मिलाकर “नव नंद" के नाम से विख्यात हैं। कहते हैं कि मुरा नाम की एक दासी से चन्द्रगुप्त नामक एक पुत्र और हुआ,जो "मौर्य" के नाम से प्रसिद्ध है। किंतु यह बात किसी पुराण में नहीं मिलती कि नंद वंश के साथ चन्द्रगुप्त मौर्य का कोई पारिवारिक संबंध था। पुराणों में केवल यह लिखा मिलता है-"ततश्च नव चैतानंदान् कौटिल्यो ब्राह्मएस्समुद्धरिष्यति तेषामभावे मौर्याः पृथिवीं भोक्ष्यति । कौटिल्य एव चन्द्रगुप्तं राज्येऽभिषेक्ष्यति ।" अर्थात् “तब कौटिल्य नाम का, एक ब्राह्मण नवों नंदों को समूल नाश करेगा। उनके अभाव में मौर्य नाम के राजा पृथ्वी पर राज्य करेंगे। वही कौटिल्य नाम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com