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चौद-कालीन भारत
१०६ नहीं। उसने कोशल तथा वैशाली के दो पड़ोसी तथा महाशक्तिशाली राज्यों की एक एक राजकुमारी से विवाह करके । अपनी शक्ति तथा प्रतिष्ठा और भी बढ़ाई। बिम्बिसार का राज्यकाल ई० पू० ५२८ से ई० पू० ५०० तक माना जाता है ।
अजातशत्रु (णिक ) कहा जाता है कि बिम्बिसार अंतिम समय में राज्य की बागडोर अपने पुत्र अजातशत्रु + अथवा कूणिक के हाथ में देकर एकान्त-वास करने लगा। किंतु अजातशत्रु ने शीघ्र महाराज बनने के लिये अपने पिता को भूखों मार डाला; और इस प्रकार वह पितृ-हत्या करके ई० पू० ५०० के लगभग गद्दी पर बैठा। बौद्ध ग्रंथों से पता लगता है कि जब वह राजगद्दी पर आया, तब बुद्ध भगवान् जीवित थे और इस राजा से एक बार मिले भी थे । लिखा है, कि अजातशत्रु ने बुद्ध भगवान के सामने अपने पापों के लिये पश्चात्ताप किया और उन से बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण की। कोशल देश के राजा के साथ अजातशत्रु का युद्ध हुआ । जान पड़ता है कि इस युद्ध में अजातशत्रु की जीत रही और कोशल देश पर मगध का सिक्का जम गया। अकेले कोशल ही को दबाकर अजातशत्रु संतुष्ट नहीं हुआ। उसने तिरहुत पर भी आक्रमण किया, जिसका फल यह हुआ कि वह तिरहुत को
* आजकल के अयोध्या और मुजफ्फरपुर के जिले क्रम से प्राचीन कोशल तथा वैशाली थे।
श्रीयुक्त बा० काशीप्रसाद जायसवाल ने अजातशत्रु की मूर्ति कापता लगाया है, जो मथुरा के अजायबघर में खड़ी हुई है । ( जर्नल माफ बिहार एंड ओड़ीसा रिसर्च सोसाइटी, जिल्द ६, भाग २,पृ. १७३-२०४) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com