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सिद्धान्त और उपदेश (६) रात्रि को असमय भोजन नहीं करना चाहिए ।
(७) माला नहीं पहननी चाहिए और सुगन्धि नहीं लगानी चाहिए।
(८) भूमि पर बिछौना बिछाकर सोना चाहिए। (९) नाच और गाने-बजाने आदि से बचना चाहिए । (१०) सोना और चाँदी काम में न लाना चाहिए ।
ये दसों आज्ञाएँ, जो "दशशील" के नाम से प्रसिद्ध हैं, भिक्षुओं के लिये परम आवश्यक रूप से मानने योग्य हैं।
गृहस्थों के धर्म का जो विस्तृत वर्णन प्रसिद्ध “सिगालोवादसुत्त" में दिया है, वह हम यहाँ पर उद्धृत करते हैं ।
माता-पिता और सन्तान माता-पिता को चाहिए कि वे(१) लड़कों को पाप से बचावें । (२) उन्हें पुण्य करने की शिक्षा दें। (३) उन्हें शिल्पों और शास्त्रों की शिक्षा दिलावें । (४) उनके लिये योग्य पति या पत्नी ढूँढ़ दें। (५) उन्हें पैतृक अधिकार दें । लड़कों को कहना चाहिए(१) जिन्होंने मेरा पालन किया है, उनका मैं पालन करूँगा।
(२) मैं गृहस्थी के उन धर्मों का पालन करूंगा, जो मेरे लिये आवश्यक हैं।
(३) मैं उनकी संपत्ति की रक्षा करूँगा। . (४) मैं अपने को उनका उत्तराधिकारी होने के योग्य बनाऊँगा।
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