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बुद्ध की जीवनी
बौद्ध संघ का संघटन
काशी पाने के पाँच महीने के अंदर बुद्ध के साठ शिष्य हो गये। उन्होंने उन शिष्यों को संघ में संघटित करके भिन्न भिन्न दिशाओं में सत्य का प्रकार करने के लिये यह कहकर भेजा"हे भिक्षुओ, अब तुम लोग जाओ और संसार की भलाई तथा उपकार के लिये भ्रमण करो। तुम में से कोई दो भी एक ही मार्ग से न जायँ। हे भिक्षुओ, तुम लोग उस सिद्धांत का प्रचार करो, जो आदि में उत्तम है, मध्य में उत्तम है और अंत में उत्तम है । जाओ, पवित्र जीवन का प्रचार करो।" तब से किसी धर्मप्रचारक ने अपने धर्म का प्रचार पृथ्वी के ओर छोर तक करने में उतना अधिक पवित्र उत्साह नहीं दिखलाया, जितना गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने अपने धर्म का प्रचार करने में दिखलाया है । इसके बाद भगवान बुद्ध उरुवेला (उरुबिल्व) ग्राम को गए ।
. काश्यप का धर्म-परिवर्तन उरुवेला ग्राम में "काश्यप" नाम के तीन तपस्वी अपने शिष्यों के साथ रहते थे। वे वैदिक धर्म के अनुसार अग्नि की पूजा करते थे और बहुत प्रसिद्ध संन्यासी तथा दर्शन शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। बनारस में बुद्ध अपने धर्म का प्रचार करने के बाद काश्यप के तपोवन में आये और काश्यप तथा उनके शिष्यों को अपने धर्म में लाने के लिये उन्हें अपने धर्म का उपदेश देने लगे। किन्तु काश्यप अपने विचारों पर बहुत दृढ़ थे; अतएव उन्हें अपने धर्म में लाने के लिये बुद्ध को अपनी अनेक सिद्धियाँ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com