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बौद्ध-कालीन भारत
कुशीनगर। अनन्तर पिप्पलीय वन के मोरिय क्षत्रियों का दूत भाग लेने के लिये आया । द्रोणाचार्य ने उसे चिता की मस्म देकर विदा किया। अन्त में द्रोणाचार्य ने स्तयं उस घड़े पर स्तूप बनवाया, जिसमें अस्थियाँ रखी थीं। काल-क्रम से इन्हीं अस्थियों में कोई भाग या उसका कुछ अंश महाराज कनिष्क की आज्ञा से पश्चिमोत्तर प्रदेश में जा पहुँचा और उस पर एक बड़ा भारी स्तूप बनाया गया । १९०८ में पेशावर के निकट इसी कनिष्क स्तूप से बुद्ध की कुछ अस्थियाँ प्राप्त हुई थीं।
उक्त जीवनी का ऐतिहासिक सार ___ ऊपर बौद्ध ग्रंथों के आधार पर बुद्ध भगवान् की जो जीवनी लिखी गई है, वह अनेक अतिशयोक्तियों और कल्पनाओं से पूर्ण है। इसमें से ऐतिहासिक सार केवल यही निकलता है कि बुद्ध का जन्म ईसी से ५६७ वर्ष पहले शाक्यों के प्रजातंत्र राज्य की राजधानी कपिलवस्तु में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा शुद्धोदन और माता का नाम मायादेवी था। राजा शुद्धोदन कदाचित् उस प्रजातन्त्र राज्य के प्रधान या सभापति थे। जिस स्थान पर बुद्ध भगवान् का जन्म हुआ था, वह स्थान बौद्ध ग्रन्थों में लुम्बिनी बन के नाम से लिखा गया है। वहाँ आजकल रुम्मिन्देई नामक ग्राम बसा हुआ है और उसके पास ही अशोक का एक स्तम्भ खड़ा है, जिस पर लिखा है-“यहीं भगवान का जन्म हुआ था"। जन्म के पाँचवें दिन उनका नाम सिद्धार्थ रक्खा गया था। उनके गोत्र का नाम गौतम था, इसी लिये
वे गौतम बुद्ध कहलाते थे। उनकी माता मायादेवी उनके जन्म Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com