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बौर-कालीन भारत
(५) वृजियों का राज्य-वृजी-राज्य में प्रायः आठ स्वतंत्र राज-कुल मिले हुए थे। उनमें से “लिच्छवि" और "विदेह" राजकुलों की प्रधानता थी। वृजियों की राजधानी “वेसालि" (वैशाली) थी, जी वर्तमान मुजफ्फरपुर जिले के बसाढ़ नामक स्थान पर थी।
(६) मल्लों का राज्य-चीनी यात्री ह्वेन्त्सांग के अनुसार यह पहाड़ी राज्य शाक्य-राज्य के पूर्व और वृजी-राज्य के उत्तर में था। पर कुछ लोगों का मत है कि यह राज्य वृजी के पूर्व और शाक्यों के दक्षिण में था।
(७) चेदियों का राज्य-जातकों में “चेतिय-र?" या "चेत-र?" का उल्लख आया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि "चेतिय" या “चेत" संस्कृत के "चैद्य” या “चेदि" का अपभ्रंश है। चेदिराज्य मोटे तौर पर वर्तमान बुन्देलखण्ड के स्थान पर था।
(८) वत्सों का राज्य-वत्स-राज्य की राजधानी कौशांबी थी। प्राचीन कौशांबी नगरी प्रयाग से प्रायः ३० मील दूर दक्षिण की ओर यमुना नदी के किनारे पर वर्तमान कोसम ग्राम के पास थी। यह राज्य अवंती राज्य के उत्तर में था।
(९) कुरुत्रों का राज्य-कुरु-राज्य की राजधानी दिल्ली के पास “इंदपट्ट” (इंद्रप्रस्थ ) नगर में थी। इस राज्य के पूर्व में पंचाल-राज्य और दक्षिण में मत्स्य-राज्य था। इस राज्य के उत्तर-कुरु और दक्षिण-कुरु नाम के दो विभाग थे । कुरु-राज्य का फैलाव २००० वर्ग मील था।
(१०) पंचालों का राज्य-पंचाल-राज्य भी दो थे-एक उत्तर-पंचाल और दूसरा दक्षिण-पंचाल । पंचाल-राज्य कुरु राज्य
के पूर्व में पहाड़ और गंगा के बीच में था । उत्सरी पंचाल की Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com