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भारत की दशा पर बाद को वह मगध की अधीनता में चला गया था ।
(२)मगधों का राज्य-मगध-राज्य वर्तमान जिला बिहार के स्थान पर था। इसकी उत्तरी सीमा कदाचित् गंगा नदी, पूर्वी सीमा चंपा नदी, दक्षिणी सीमा विंध्य पर्वत और पश्चिमी सीमा सोन नदी थी । इसकी राजधानी राजगृह ( वर्तमान राजगिर ) थी। राजगृह के दो भाग थे। इसका प्राचीन भाग गिरिव्रज कहलाता था । गिरिव्रज एक पहाड़ी पर बसा हुआ था । बाद को राजा बिंबिसार ने, जो बुद्ध भगवान् के समकालीन थे, इस प्राचीन नगर को उजाड़कर एक नये राजगृह की नींव डाली। नवीन राजगृह पहाड़ी के नीचे बसाया गया । बुद्ध के निर्वाण के बाद मगध की राजधानी राजगृह से हटाकर पाटलिपुत्र में स्थापित क्री गई थी।
(३) काशी का राज्य-बुद्ध के जन्म से पहले "कासी र?" ( काशी-राष्ट्र) बिलकुल स्वतंत्र था; पर बुद्ध-जन्म के बाद यह राज्य कोशल-राज्य में मिला लिया गया था। काशी-राष्ट्र की राजधानी वाराणसी (बनारस) थी। काशी उस समय नगर का नाम नहीं, बल्कि राज्य का नाम था। जातकों में लिखा है कि उस समय इस राज्य का विस्तार दो हजार वर्गमील था।
(४) कोशलों का राज्य-कोशल-राज्य की राजधानी “सावत्थी” (श्रावस्ती) थी। प्राचीन श्रावस्ती नगर वर्तमान गोंडा और बहराइच जिलों की सीमा पर सहेथ महेथ नामक ग्राम के स्थान पर था। कोशल राज्य का एक दूसरा प्रधान नगर साकेत था । जातकों से पता लगता है कि बुद्ध के कुछ पहले कोशल की राजधानी साकेत हो गई थी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com