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भारत की पशा
प्रजातंत्र राज्यों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा था। गौतम बुद्ध शाक्यों के प्रजातन्त्र-राज्य में पैदा हुए थे। उनके पिता शुद्धोदन इसी प्रजातंत्र राज्य के एक सभापति या प्रधान थे । गौतम बुद्ध ने स्वाधीन विचार, संघटन शक्ति और एकता की शिक्षा यहीं प्राप्त की थी। बुद्ध भगवान ने अपने भिक्षु-संघ का संघटन भी इन्हीं प्रजातंत्र राज्यों के आदर्श पर किया था । इन प्रजातंत्र राज्यों का सविस्तर वर्णन आगे चलकर किया जायगा ।
सामाजिक दशा
बुद्ध के पहले ही आर्यों में जाति-भेद बहुत बढ़ गया था । हमारे यहाँ आजकल जैसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र होते हैं, वैसे ही चार वर्ण उस समय भी थे। इन चारों वर्षों में, राइज डेविड्स के अनुसार, क्षत्रिय लोग सब से श्रेष्ठ थे और उन्हीं का मान सब से अधिक था * । उनके बाद ब्राह्मणों का दरजा था; और ब्राह्मणों के बाद वैश्यों तथा शूद्रों का। समाज में क्षत्रियों की मर्यादा सब से बढ़ी चढ़ी थी । इस मत की पुष्टि में राइज डेविड्स बौद्ध और जैन ग्रंथों का प्रमाण देते हैं। वे ब्राह्मणों के लिखे हुए ग्रंथों को प्रामाणिक नहीं मानते; क्योंकि उनके मत से ब्राह्मणों ने अपने स्वार्थ और प्रशंसा के लिये अपने ही गुण गाये हैं और अपने को चारों वर्गों में सब से श्रेष्ठ बतलाया है। अतएव राइज डेविड्स का मत है कि वर्ण-व्यवस्था के बारे में
* राइज़ डेविड्स कृत "बुद्धिस्ट इंडिया" (Budhist India) पृ० ५३,६०,६१. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com