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हाँ ! हाँ !! इस विषय में विशेष बात यह है कि सम्प्रेष्य के प्रति कभी भूलकर भी अधिकार का भाव आना सम्प्रेषण का दुरुपयोग है, वह फलीभूत भी नहीं होता ! और. . . . . . . .... . . : ... सहकार का भाव आना सदुपयोग है, सार्थक है।
सम्प्रेषण वह खाद है जिससे, कि सद्भावों का पौध पुष्ट-सम्पुष्ट होता है उल्लास-पाता है; सम्प्रेषण वह स्वाद है जिससे कि तत्त्वों का बोध तुष्ट-सन्तुष्ट होता है
प्रकाश पाता है। हाँ ! हाँ !! इसे भी स्वीकारना होगा कि प्राथमिक दशा में सम्प्रेषण का साधन कुछ भार-सा लगता है निस्सार-सा लगता है
और कुछ-कुछ मन में तनाव का वेदन भी होता है
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मूक माटी :: 29