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ऋ स्थान नाम सामान आलाप
? गुगा स्थान
जीव समाम पर्यात
४ प्रा
५. संज्ञा
गनि
मोतीय स्थान दर्शन
८ काय
देश संयंत
गंजी पं० पर्याप्त
E
को नं० १ देखी
को नं १ देखी
को नं० १ देख
२
नियं च मनुष्य गति
७ इन्द्रम जाति १
पंचेन्द्रिय जाति
१ अलकाय
मर्यादेत
नाना जीवों की अपेक्षा
( ५.१ ) कोष्टक नवर ५
३
5 देण संयन (मंगना संयत या देश बन ) नियंत्र और मनुष्य गतियं जानना को नं०१७-१८ देवां
मंत्री पवेन्द्रिय पर्याप्त अवस्था दोनों गनियों में को नं० १३-१६ के मुजिब
ܝ ܕ
निर्यन फोर मनुष्य गनियों में हरेक में का भंग को नं० १७-१८ के जिव
तिर्वच और मनुष्य गतियों में हरेक में १० का भंग को ०१७-१८ के सृजिव
?
9
की नं० १०-१ को नं० १७-१८ देखो १ भंग १ मंग ६ का भंग ६ का भंग को०१७-१८ देखो को नं० १७-१८ देखी १ भंग ? भंग १० का मंग १० का भंग को नं०१७-१८ देखी की नं० १७४८ देखो १ भंग १ भंग ४ का मंग को मं० १७-१= देखो १ गति दोनों में से कोई गति को २०१७-१८ देखी १
४ का मंग को नं० १७-१८ देखो १ गति दोनों में से कोई ? गति को नं० १७-१८ देखी १
१ पंचेन्द्रिय जाति दोनों गनियों में हरेक में कोनं १के मुजिव की नं० १७-१८ देखो को नं० १७-१८ देखी १ पंचेद्रिय जानि
*
तिथंच और मनुष्य गतियों में हरेक में ४ का भंग की नं १३१ जि
२
नियंच और मनुष्य में दोनों गति जानता
एक गांव के नाना समय मे
१ त्रसकाय
तिर्यंच और मनुष्य गतियों में हरेक में १ त्रगकाय जानना की नं० १७-१८ देखो
देश संयन गुण स्थान में
एक जांच के एक समय में
१
करे नं०१७-१८ देखा की नं०] १३-१० देखा !
१
को नं० १७-१८ देखो को नं०१७-१८ देखो
अपर्याप्त
६.9-5
सूचना
इस देश मयत गुग्गा स्थान में विग्रह गति और औदारिक मिश्र काय यांग सा वैकिय मिश्र काय योग की अवस्थाये नहीं
!
होती इसलिये यहां अपर्याप्त यवस्था नही है(देखो गो० क० गाँ १२ मे ११६)