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चौतास स्थान दर्शन
कोष्टक न०४
असंयत (भविरत) गुण स्थान
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१२
१ भंग । १ घ्यान प्रानं ध्यान
वारी मनियों में हरक में को नं. १६ से कोन. १६ मे पाय विचय धर्म ध्यान को नं.१ मे का नं०१६ र ध्यान
०का भग
११ नो ११ दवा पटाका (२) १६ देखो मे १६ दनो माता विनय को नं ११ स १६ देख।
चारों गनियों म-हरेक में अपाय निचय
६ का भंग का नं.१७ १० ध्यान जानना
म १६ दवा पान्नु नियंच गति य केवल भांग
भूमि यात्रा जानना. . . पावर मिथ्याल । मो० मिष काय योग !
मनोयांग ४, वचन योग कोन: १६ मे . अदनानुबंध कियाय ४ व मिथ काय योग
८ मौ० का बाग १ मे १६ देखो प्रा. मिथ काम यांग! कर्माण काय योग
१६ घटाकर (३६) पाहारक काय योग ये चटाकर
भंग १ य ११ घटाकर ( )(१) नरक गति में ४ का मंग
भं ग (2) नरक गति में ३३ १ भंग को नं०१८ भंग का नं. १ को कोन१६ देखों को नं०१६देखो को नं १६ देखो को नं१६ देखो देखो ... ( निर्वच मनि म :-52 १ भंग १ भंग (E) निर्यच गति म' १ भंग
भंग के भंग को नं०१७ दबो की नं. १७ देखो को नं-१७ देखो भोग भुमि अपेक्षा ३३ को नं०१७ देखो को नं०१७
का भग को नं०१६ दखा
देखो (3 मनुष्य गति में ४-४१ १ मग
भंग (३) मनुष्य गति में १ भंग . १ भंग के भंग की नं.१% देवो की नं०१८ देखो को नं. १ देखो, ३३-३३ के भंग को को नं०१८ देखो को नं.१६
नं०१८ दगी (४) देवति में 62-४४- १ भंग १ भंग (४) देवनि में भंग १ मर के मंग का नं. १६ देखा को नं० १६ देखो को नं. १६ देखो २३-22-३२ के अंग को की नं०१६ देखो' को नं. १६
नं०१० देखो
देखो १३ মাৰি।
भंग
भंग उपशम सम्यक्त्व १ ११) नरक गति में १८.१० को न: १६ देखा को नं०१६ देखो (1) नरक गति में २३ । १ भग १ भंग क्षामिक गम्पकत्व ? के भंग का नं० १६देवो ।
का भंग की नं०१६ देखो को नं०१६ देसो कोन०१६ जान ३, दर्शन ३ -क्षयोपशमनधि ५ (२) तिर्यच गति ३२.
१ १ भंग
भंग (२) निर्वच गति में भोग भंग १ मंग क्षयोपशम सम्यक्त्व के मंग को नं. १७ देखोकी नं०१७ देखो की नं०१७ देखो भूमि की अपेक्षा २५ का को नं. १७ देखोनं० १७ देखो
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