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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०४
असंयत (अविरत) गुण स्थान
देवो
. को नया
(निय च गन में 3- क
भ र दर्जन 3) तिच गनि में केवल ..भग १दान । भंग को न: १३ दलो का नं०१ दवा का न देखो मोगभूमि को अपेक्षा को न दे वो को न.१५ मनुष्य पनि में ३-
मारे मग | १ दर्शन ! का भंग को मंग कीनं०१८ देवा को नं. १ देखो की नं०१-दखी देखो
१ दर्शन (3)दव गति में : का मार भंग | दान । मनप्य गान में
मारे भंग को नं. १ भंग को नं. १६ देखो 'क नं. १ देखा की नं०१६ देवों के अंग को नं.१८ दंडा को नं०१- देखो देखा
16) देव ग में ३-: के मार भग की नं.१६
नंग की नं बो का नं. १६ दखा देखा। मंग | १लेदया
? भंगलेल्या नरक मनि में ३ मा को न देखो को ०१६ देखो (2) नरक गति में : का का नं.१ देखो को नं. १६ । भंग को देखा।
- भंग को नं. १ देखो
। देवा ' नियं च गति में :- के . भंग | लन्या (२) निर्यच मति में भांग मंग ले चा
भंग का नं देवा को न ५ देवी को नं.१ दखो भूमि की असा: का कानदेनो को नं. | मनुष्य गान में E-3 के मारे भंग । १ नम्या | भंग को नं. १ देखो
भंग को नं०१८ मा को नं १८ देखो को नं. १८ देखो मनप्य गति में -१ । मारे भंग १लेश्या दव गनि में 2. :--. . भंग । श्या । के भंग को नं. १ का नं०१८ देखो को नं०१८ के भंग का न देवा । रान-१६ दवा का नं११ देखो देखो
। देखो (४) देव गति ३-१-2 के १ मंग ल या भंग का नं०११ देखी को नं०१६ देखा की नं०१९
देखो
देखो
१६ भव्यत्व
भव्य
चारों गनियों में हरेक में १ भम्बना . १६ मे १६ को नं०१६ से चारों गतियों में हरेक में, को नं.१ मे १
जानना का नं. १६१९ देन्यो । १६ देखो भन्ध जानना को २०१९ देखो को नं० १६ दखा
१६ से देखो परन्तु
मे १६ देखी निर्यच गति में भोगभूमिः
को अपेक्षा जानना मा भंग | १ मम्यक्त्व
३
मारे मंग (१) नरक गति में २-३ के भंग की नं १६ देखा को नं० १६दखा (१) नरकगति में का भंग को न देखोसम्यक्त्व को नं. १६ दही
को नं १६ दखो
| कोनं१६
देखो
१७ सम्बवक्त्व
उपशाम-झायिक क्षयोपसरामसम्पयन्व ३ जानना
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