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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०४
असंयम (मविरत) गुण स्थान
सति', कगा .
भंग को नं०१७ देता लिग, ध्या '(3) मनुष्य गनि म३३-२६१ भंग १ मंग () मनुष्य गनि में । मंग । १ मंग असंयम १. प्रज्ञान १.
के मंग की नं० १८ दखी का नं.१८ देखो को नं०१८ देखो -२५ के भंग को नं. १८ देखो को न०१८ देखो प्रसिद्धत, जीवन (४) देव गति भ२६-२८- १भंग १ मंग
को नं. १८ देखो १ गंग १मंग । अव्यत्व १ ३६ भाव ! २६-०५ के भंग को नं. को नं. १६ देखो को नं. १६ देखा (1) देव गति में ०-२८ को नं. १६ देखो को नं. १६ देस जानना १३ देखा
-२६-२६ के भंग: को नं० १६देखो
प्रवगाहन की नं. १६ मे १६ देखी। जय प्रकृतियां-७३ काष्टक नाबर : के ७४ प्रतियों में तोरकर प्रकृति १, मनुप्यायु १, दबायु १ ये जोड़कर ७७ जानना । जयप्रकृतिया–१४. को नं. ३ के १०० प्रकृनियों में सभ्यभित्र्याव घटाकर, सम्पति और पानपूर्वी । जोड़कर १००-१-१६+५-१०४
उदयप्रकृनि जानना । सल्व प्रकृतियां-१४८. उपशम मम्पान की अपेक्षा १५ जानना क्षाविक सम्यक्म की प्रोक्षा ११ जानना अर्थात अनंनानृबंधी कयाय ४,
मिथ्यावाभिघ्याख, सम्पग्मिय्यान्व, सम्बकप्रकृति में प्र० घटाकर १४१ जानना । संख्या-पत्य के प्रमच्यान भाग प्रमाण जानना । क्षेत्र-नांकका प्रमरुपानवां भाग प्रमाण जानना।
स्पशन -गाना जीवों की अोला-गर्वकाल जानना । एक जीव की अपना- राजू प्रमाण जानना । ३१ कार नाना जीवों को अपना–पर्वकाल जाना । एक जीव की अपेक्षा--ग्रन मुहनं काल मे : या अधिक ३. गागर काल प्रमाग जानना । -ना-जाना जीरों की अपना कोई ग्रन्तर नहीं पड़ना एक जीव की अपेक्षा-म्यान्व छूटने के बाद अन्नं महत लेकर देशोन पर्धपदगल परानन
फैन नथा अन्ना पट मकना है। २५ जाति (योनि) लाल जानना, विशेष बनामा को न० ६ में देखो।
कुल-५७८ लाख कोटि कुल जानना । विगै लामा को नं। ३ में देवी ।