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® जैन-तत्त्व प्रकाश ®
जम्बूद्वीप, भरतक्षेत्र की भूतकालीन चौवीसी
१ श्री केवलज्ञानीजी १३ श्री समितिजिनजी २ श्री निर्वाणजी
१४ श्री शिवगतिजी ३ श्री सागरजी
१५ श्री अस्तांगजी ४ श्री महायशजी
१६ श्री नमीश्वरजी ५ श्री विमलप्रभजी १७ श्री अनिलनाथजी ६ श्री सर्वानुभूतिजी १८ श्री यशोधरजी ७ श्री श्रीधरजी
१६ श्री कृतार्थजी ८ श्री श्रीदत्तजी
२० श्री जिनेश्वरजी है श्री दामोदरजी
२१ श्री शुद्धमतिजी १० श्री सुतेजजी
२२ श्री शिवशंकरजी ११ श्री स्वामीनाथजा २३ श्री स्यन्दननाथजी १२ श्री मुनिसुव्रतजी २४ श्री सम्प्रतिजी जम्बूद्वीप, भरतक्षेत्र की वर्तमानकालीन चौवीसी
(१) श्री ऋषभदेव-भूतकाल की अर्थात् इस अवसर्पिणीकाल के पहले वाली उत्सर्पिणीकाल की चौवीसी के अन्तिम (२४३) तीर्थङ्कर के निर्वाण के पश्चात् अठारह कोड़ाकोड़ी+ सागरोपम बीत जाने पर इक्ष्वाकुभूमिx में (ईख के खेत के किनारे) नाभि कुलकर की पत्नी मरुदेवी से वर्तमान चौवीसी के प्रथम तीर्थङ्कर श्री ऋषभदेवजी (आदिनाथजी) का जन्म हुआ। इनके
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___ * पहला आरा ४ कोड़ाकोड़ी सागरोपम का, दूसरा पारा ३ कोडाकोड़ी सागरोपम का, तीसरा श्रारा २ कोडाकोडी सागरोपम का. इस प्रकार, कोडाकोडी सागरोपम उत्सर्पिणी काल के और ६ कोड़ाकोड़ी सागरोपम अवसर्पिणी काल के मिलकर, छहों आरों के १८ कोड़ाकोड़ी सागरोपम तक तीर्थङ्कर के उत्पन्न होने का उत्कृष्ट अन्तर होता है।
+ करोड़ की संख्या को करोड़ की संख्या से गुणा करने पर जो गुणनफल श्रावे उसे कोड़ाकोड़ी (कोटाकोटि) कहते हैं। -- x इस समय तक ग्राम बसने की प्रणाली प्रचलित नहीं हुई थी।