Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BE विभाग : 4 000 संपादकःसंशोधकच प.पन्यास श्रीजिनेन्द्रविजयजी गणिवर Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्कः-६६ श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः / तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेवश्रीविजयकर्पूरसूरिगुरुभ्यो नमः हालारदेशोद्धारक-पूज्याचार्यदेवश्रीविजयामृतसूरिगुरुभ्यो नमः / आगम-सुधा-सिन्धुः चतुर्थों विभागः श्रीमदज्ञातासूत्र-श्रीमदुपासकदशा-श्रीमदन्तकृद्दशा-श्रीमदनुत्तरोपपातिक दशा-श्रीमत्प्रश्नव्याकरण-श्रीमद्विपाकसूत्रेति-षडंग-सूत्रात्मकः संपादकः संशोधकश्च तपोमूर्ति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयकपूरसूरीश्वर पट्टालङ्कार हालारदेशोद्धारक कविरत्न-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयामृतमरीश्वर-विनेयः पंन्यास--श्री-जिनेन्द्रविजय--गणी प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखावावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) मुजरात पौर सं० 2502] विक्रम सं० 2032... - [सन् 1976: .. आ आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिवरो छे. मूल्य रु. 70-00... गौतम आर्ट प्रिन्टर्स ग्यावर (राजस्थान) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . संपादकीय निवेदन निष्कारणबंधु विश्ववस्सल चरमशासनपति श्रमणभगवान महावीरदेवे भव्यजीवोना हितने माटे स्थापेल शासन आजे विद्यमान के अने विषमकालमां पण भव्य जीवोने माटे सर्वज्ञ परमात्मानुए शासन परम आलंबन रूप छे. तीर्थकरदेवोनी अविद्यमानतामा तेओश्रीनी वाणी शासनना प्राण स्वरूप होय छे. श्री तीर्थकरदेवोओ अर्थथी प्ररूपेल अने गणधरदेवो सूत्रथी गूथेल से जिनवाणी हितकांक्षी पुन्यात्माओ माटे अमृत तुल्य छे... विद्यमान आगम श्रुतज्ञानमा मुख्यतया 45 आगम गणाय छे. ते उपरांत पण 84 आगमनी गणतरीने हिसाबे बीजु पण केटलुक आगम रूपी श्रुतज्ञान विद्यमान छे. आगम सूत्रो उपर नियुक्तिओ, भाष्यो, चूर्णिओ अने टीकाओ रचायेल छे. अने अथी सूत्र सहित आगमनी अ पंचांगी जैन शासनमा मान्य छे. तेना आधारे वर्तमान ज्ञामाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार अने वीर्याचार रूप व्यवहार प्रवर्ते छे. सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान अने सम्यग्चारित्र रूप मुक्ति-मार्ग प्रवर्तमान छे. पंचांगीनो वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा अने धर्मकथा रूप पंचलक्षण स्वाध्याय जेटलो जोरदार तेटली श्री संघमा सम्यग्ज्ञाननी शुद्धि जोरदार, तेनाथी ज्ञानाचार उज्वल, उज्वल ज्ञानाचारथी दर्शनाचार उज्वल, उज्वल दर्शनाचारथी चारित्राचार उज्वल, उज्वल चारित्राचारथी तपाचार उज्वल अने अ चारे उज्वल आचारथी वीर्याचार उज्वल. वीर्याचारनी उज्वलताथी जैनशासन उज्वल. ए उज्वल जैन शासन सदा जयवंत वर्ते छे. आम शासननो आधार कहो के पायो कहो, मूल कहो के प्राण कहो, अ श्री जिनवाणी छे. अने ते जिनवाणी 45 मूल आगम सहित पंचांगी स्वरूप छे. पंचांगीने अनुसरता प्रकरण ग्रन्थो यावत् स्तवन सज्झाय के नाना निबंध के वाक्य स्वरूप छे. उपशम विवेक संवर अ त्रिपदी स्वरूप जिनवाणीथी घोर पापी चिलातीपुत्र पतनना मार्गथी नीकली प्रमतिमार्गना मुसाफीर बनी गया हता. 45 मूल आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिवरो छ, साध्वीजी महाराजो श्रीआवश्यक सूत्र आदि मूल सूत्रोना तेमज भीमाचारांग सूत्रना योगवहन करवा Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन पूर्वक अधिकारी छे. श्रावक श्राविकाओ उपधान वहन करवा पूर्वक श्री आवश्यक सूत्र उपरांत दशवकालिकसूत्रना षड्जीव-निकाय-नामना चोथा अध्ययन पर्यंतना श्रुतना अधिकारी छे. आम आगमश्रुतना अधिकारी मुनिवरो योगवहन करवा पूर्वक योग्यता मुजब अध्ययन आदि फरीने पोताना ज्ञान दर्शन चारित्रने निर्मल बनावे के अने योग्यता मुजब धर्मकथा द्वारा जिणवाणीनुपान करावी साधु-साध्वी श्रावक-श्राविका रूप चारे प्रकारना संघने तेमज मार्गाभिमुख जीवोने मुक्तिमार्ग प्रदान करे छे. 45 आगमसूत्रो 6 विभागोमां वहेंचायेल छे. (1) अंगसूत्रो-११ (2) उपांगसूत्रो-१२ (3) पयन्नासूत्रो-१० (4) छेदसूत्रो-६ (5) मूल सूत्रो-४ (6) चूलिकासूत्रो-२. आ सूत्रोनु स्वाध्याय आदि अध्ययन वधे ते माटे उपयोगी बने ते रीते 45 मूल सूत्रो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघमां सळंग मुद्रित नथी अने जेथी आगम सूत्रोना स्वाध्याय आदिनी अनुकूलता थाय ते माटे शक्य प्रयत्ने संशोधन करीने प्रगट करवानी योजना विचारवामां आवी छे, ते योजना मुजब 45 आगमसूत्रो 14 विभागमा संपादन थशे. पहेलो, आठमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थया पछी आ चोथो विभाग संपादित थयेल छे. आ चोथा विभागमा श्री ज्ञातासूत्र, श्री उपासकदशासूत्र, श्री अन्तकृद्दशासूत्र, श्री अनुत्तरोपपातिकदशासूत्र, श्रीप्रश्नव्याकरणसूत्र, श्रीविपाकसूत्र एम छ ॐगसूत्रो आपवामां आव्या छे. आ अंगसूत्रोनी रचना द्वादशांगी प्ररूपक श्री सुधर्मास्वामी गणधर भगवंते करी छे. आ सूत्रोना संपादनमा रायश्रीधनपतसिंहजी प्रकाशित आगमसंग्रह, पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेवश्रीसागरानंदसूरीश्वरजी महाराज संशोधित श्री आगममंजूषा, श्रीमती आगमोदय समिति प्रकाशित पूज्य आवार्यदेव नवांगीटीकाकार श्री अभयदेवसूरीश्वरजी म. विरचित टीका, श्री जैन आत्मानंद सभा प्रकाशित सटीक आगमो, श्री सिद्धचक्र समिति प्रकाशित सटीक ज्ञातासूत्र, श्री जैन धर्म प्रचारक सभा प्रकाशित श्री अंतकृद्दशा अने श्री विपाकसूत्र, शाह नगीनदास नेमचंद प्रकाशित श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र, श्री मुक्तिविमल जैन ग्रन्थमाला प्रकाशित पूज्य आचार्यप्रवर श्री ज्ञानविमलसूरीश्वरजी म. विरचित श्री प्रश्नव्याकरणवृत्ति, श्री मुक्ति कमल जैन मोहनमाला प्रकाशित श्री विपाकसूत्र विगेरे ग्रन्थोनो उपयोग कयों के ते माटे ते सौ प्रत्ये कृतज्ञता प्रगट करु छु. टीकाओ आदिमा रहेला पाठांतरो मेलवीने मूलपाठ जोडे कौशमा आपेला छे. श्री श्रमण संघमा आगमो कंठस्थ करवामां, स्वाध्याय करवामां, विस्तृत टीकाओना वांचन पछी मूलसूत्रोनु पुनरावर्तन करवामां, आ मूल सूत्रोना संयुक्त संपादन थी घणी Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन [5 अनुकूलता रहेशे. अने अथी उत्साही मुनि भगवंतो होशे होशे सूत्रो कंठस्थ करीने आगम श्रुतने धारण करवा माटे पण समर्थ बनी शकशे. 2, 5, के 10, 20 सूत्र कंठस्थ करनारा घणा मुनिवरो तैयार थशे अने पुरतो प्रयत्न थाय तो लगभग अक लाख श्लोक प्रमाण मूल सूत्रो कंठस्थ करी धारी राखनारा अनेक गणो मुनिवरोमां थइ शकशे. 'ज्ञानधनाः साधवः' 'शास्त्रचक्षुषः साधवः' अविधान मुजब श्रमण संघना प्राण समान आ आगम सूत्रोनु श्री श्रमण भगवंतो द्वारा विशेष परिशीलन थतां श्रीसंघने माटे श्री शासन ने माटे घणी उज्वलता फेलाशे. अने से आशयथी स्वपरना श्रेयकारी आगम सूत्रोनां संशोधन संपादनमा अविरत उत्साह प्रवर्तमान छे.. प्रकाशननी सगवडता माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्स (ब्यावर) ना व्यवस्थापक श्री छगनलालभाई अ जे खंत अने उत्साह बताव्या छे तेने कारणे आ प्रकाशनो समयसर प्रकाशित थइ रह्या छे. - चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीर देवे प्रकाशेल जिनवाणीनो प्रभाव पांचमा आराना छेडा सुधी रहेशे. अ ज्वलंत जिनवाणीनो प्रकाश आपणा आत्माने योग्यता अने अधिकार मुजब अजवालनारो बने अने जिनवाणीनी आ उपासना भक्तिमां भावना पूर्वक रस लइ रह्यो छु ते भावोल्लास टकी रहे अने सौ श्रुत आराधनामा उजमाल बनी एज मारा अंतरनी शुभ अभिलाषा छे. वीर सं० 2502 वि० सं० 2032 / / ज्येष्ठ सुद 11 सोमवार / हालारदेशोद्धारक कविरस्न पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजय.. ता. 7-6-76 अमृतसूरीश्वरजी महाराजानो चरणसेवक भाराधन भवन एस. के. बोले रोड पं० जिनेन्द्रविजय गणी दादर मुबह-२८ Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Rsssssssssssss प्रकाशकीय निवेदन अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्री आगमसुधासिन्धु चोथो विभाग मूल प्रगट करता .. आनंद अनुभवीए छीए. हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट . करवानु काम शरू करता आ ग्रन्थ नागरी लिपिमां मोटा टाइपमा प्रगट करेल छे. आ प्रकाशन पूर्वे श्री आगम-सुधा-सिन्धुना पहेलो, आठमो, बारमो, तेरमो चौदमो विभाग प्रगट थई गया छे. हाल छट्ठा अने अग्यारमा विभागनु मुद्रण चाली रह्य छे. आ ग्रन्थनु संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू. आचार्यदेव श्रीमद्न . विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू० पंन्यासश्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंत थी करेल छे. कागल छपाइ आदिना भाव वधवाने कारणे खर्च धार्या करता वधु आवे छे. मोटा टाइपमा मुद्रित करतां पेज वधारे थाय छे. परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकुलता रहशे. आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरूकुलवासी सुविहित मुनिओ छे. ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमा आगम वाचनादिमा अनुकुलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करता अमे आनंद अनुभविए छीए. श्री ज्ञातासूत्र आदि छ मूल अंगसूत्रो आ चोथा विभागमा प्रगट थइ रह्यां छे. 45 मूल आगम 14 विभागमा प्रगट थशे. सटीक आगमोमां श्रीमदन्तकृद्दशा, श्रीमदन्तरोपपातिकदशा अने श्रीमदुपासकदशा सूत्र तैयार थइ गयां छे. मुद्रण मादे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्सना व्यवस्थापको सारी खंत राखी के तो तेमनो आभार मानी छी. लि: वीर संवत् 2502 वि० स०२०३२ ज्येष्ठ सुद 5 गुरुवार ता.३-६-७६ महेता मगनलाल चत्रभुज शाह कानजी हीरजी मोदी Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सादर समर्पण . . .. परम पूज्य तपोनिधि पू. पन्यास श्रीमणिविजयजी दादाना चरम लाडिला शिष्यरत्न परम पूज्य कलिकालकल्पतरु, शासन संरक्षक, संघस्थविर परमआराध्ययाद आचार्यदेवेश श्रीमविजयसिद्धिसूरीश्वरजी महाराजना पट्टधर प्रवचन पीयूषनिधि सिद्धान्तमार्तड परमशासन प्रभावक प्रातःस्मरणीय आगमरहस्यज्ञाता पूज्यपाद श्राचार्य देवेश श्रीमद् विजयमेघसूरीश्वरजी महाराजा जेओश्रीए संघस्थविर गुरुदेवना सानिध्यमा अंतिम अवस्था सुधी रहीने श्री महावीर परमात्माना महानमार्गने आराधना प्रभावना रक्षा आदि वडे दीप्तिमन्त राखी जीवनने उज्वल बनाव्यु मारा दादागुरु श्रीमद्विजयकपूरसूरीश्वरजी महाराजा तथा गुरुदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजाने आचार्यादि. प्रदप्रदान सानिध्य आदि पोताना गुरुदेव साथे आपी महान उपकार कयों छे. तेओश्रीना उपकारोना यादमा i सुधा सिन्धु चोथो विभाग सादर कोटिशः वंदना साथे समर्पण करी कृतकृत्त्यसा अनुभवु छु. गुरुदेवपदकजभृङ्गायमाण जिनेन्द्रविजय . .. Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , अनुक्रमणिका 9 // श्री ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रम् // // प्रथमः श्रुतस्कन्धः // . पृष्ठांकः 11 दावद्रव क्रमः अध्ययन नाम ... ... पृष्ठांकः 150 12 उदक 152 क्रमः अध्ययन नाम 1. उत्क्षिप्त 2 संघाट 3 अण्डक 4 कूर्म 5 शैलक 6 तुम्बक 7 रोहिणीशात ... 8 मल्लीज्ञात ... 9 माकन्दीदारक .... .10 चन्द्र 101 .... 232 .... 14 तेतलिपुत्र 15 नन्दीफल 16 अपरकङ्का 17 अश्व 136 / 18 सुसुमा 146 16 पुण्डरोक // द्वितीयः श्रुतस्कन्धः // पृष्ठांकः / क्रमः वर्गः - 246 / 6 षष्ठ (अध्ययन-३२) .... 254 / 7 सप्तम ( , 4) .... 254 | 8 अष्टम ( , 4) .... / 9 नवम ( , 8) .... 256 / 10 दशम ( , 8) पृष्ठांक 256 क्रमः वर्गः 1 प्रथम (अध्ययन-५) 2 द्वितीय (, 5) 3 तृतीय ( , 54) 4 चतुर्थ ( , 54) 5 पञ्चम (, 32) ... 257 .... 258 258 कमः पृष्ठांकः // श्री उपासकदशा सूत्रम् // अध्ययन नाम पृष्ठांक अध्ययन नाम 1 आनन्द .... 261 / 6 कुण्डकोलिक .... 2 कामदेव ___... 275 | 7 सद्दालपुत्र .... 3 चुलणीपिता ... 282 | 8 महाशतक .... 4 सुरादेव है नन्दिनीपिता ... 5, चुल्लशतक ... 288 | 10 सालिहीपिता ... 289 262 302 300 308 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुक्रमणिका .... .... .... .... पृष्ठांकः 327 332 342 343 पृष्ठांक 356 ... पृष्ठांक: 402 407 411 // श्रीयंतकृद्दशा सूत्रम् // कमः वर्ग पृष्ठांकः / क्रम वर्ग 1 प्रथम (अध्ययन-१०) - 311 / 5 पञ्चम (अध्ययन-१०) 2 द्वितीय (, 10) .... 314 / 6 षष्ठ ( , 16) 3 तृतीय (, 13) .... 314 / 7 सप्रम ( , 13) 4 चतुर्थ ( , 10) .... 326 / 8 अष्टम ( , 50) // श्री अनुत्तरोपपात्तिकसूत्रम् // क्रमः वर्ग . पृष्ठांकः / क्रमः वर्ग 5 प्रथम (अध्ययन-१०) ... 353 / 3 तृतीय (अध्ययन-१०) 2 द्वितीय ( , 13) .... 355 // श्री प्रश्नव्याकरणसूत्रम् // क्रमः अध्ययन नाम पृष्ठांकः / क्रमः अध्ययन नाम 1 हिंसाकर्माश्रव 365 6 अहिंसासंवर ..... 2 मृषावादकर्मा अव 375 7 सत्यसंवर .... .3 अदत्तादानकर्मा श्रव 380 8 अदत्तादानविरमण 4 अब्रह्माश्रव .... 310 9 ब्रह्मचर्य .... ' 5 परिग्रहाश्रव ... 368 | 10 परिग्रहविरमण .. // श्री विपाकसूत्रम् // // दुःखविपाकः प्रथमः श्रुतस्कन्धः॥ कमः अध्ययन नाम क्रम अध्ययन नाम 1 मृगापुत्रीय ... 427 6 नन्दिवर्धन .... 2 उज्झितक 438 | 7 उम्बरदत्त .... 3 अभग्नसेन, ... 447 8 शौरिकदत्त .... 4 शकट 456 9 देवदत्ता ... 5 बृहस्पतिदत्त .... 460 | 10 अंजूश्री .... सुखविपाकः द्वितीयः श्रुतस्कन्धः क्रमः अध्ययन नाम पृष्ठांकः / क्रमः अध्ययन नाम 1 सुबाहु 4876 धनपति. ... 2 मद्रनन्दी ... 492 / 7 महाबल ... 3 सुजात ... 463 भद्रनन्दी 4 सुवासव महाचन्द्र जिनदास ..... 493 / 10 वरदत्त ... . 414 416 पृष्ठांकः पृष्ठांकः 463 468 473 477 485 पृष्ठांक: 464 414 464 495 465 493 Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दीह // शुद्धिपत्रकम् // पृष्ठांक पंक्ति: अशुद्धं शुद्धम् / पृष्ठांकः पंक्तिः अशुद्ध शुद्धम् / 3 2 जति णं ... बेउडु छपाते न | 82 23 सखसमए संखसमए धम्मकहाओ अ, जोइए 83 18 मल्ललंकारेणं मल्लालंकारेणं 4 8 (रयणभूमियविडंक) (रयणभूमियंविडक) 87 18 भवं अव्वए भवं 4 21 सुत्तस्सहे सत्तस्सहे 88 4 थाउर- धाउर७ 23 सुयोदगेहि सुहोदगेहि 13 पंथयपामोक्खाति पंथयपामोक्खाति 8 18 सिद्धत्य-मंगल. सिद्धत्थकाय-मंगल० | 17 5 संगोवंति० संगोवंति 823 अछरग- अच्छरग 17 17 पत्थह, पत्थए 10 2 अभियगट्ठा अभिगयट्ठा 102 10 पारिसा परिसा 1018 रज्जलाभो। रज्जलाभो सामी! 106 15 भगवता भगवती 1212 पंतिसोभत-पंतिसाभंत तिसोभंत 106 16 पोडमद्देहि पीढमद्देहि 15 19 सेणिय सेणियं राय 106 18 (पउमुप्यलुप्यल) (पउमुप्पलुप्पल) 20 6 तएणं तए णं से 107 15 जागजन्नए नागजन्नए 22 6 परिवहरति परिवहति 108 8 कल कल्लं जाव 24 17 अज्जं अज्ज (मज्ज) 110 23 अनभिरिवमाणा अनभिखिज्जमाणा 26 21 दोह 111 5 मडुप्पवाइएसु पदुप्पवाइएसु 27 4 चट्ठ अटूट 111 14 संखुम्भमाणी संखुम्भमाणी 26 18 पडिच्छते पडिच्छिते 116 14 पडिवसज्जेति पडिविसज्जेति 31 21 खलं खलु 122 18 तिदंडं तिदंडं 3824 मेहस्स मेहस्स कुमारस्स 124 16 दद्वरं वद्र्रे 36 2 आवरण आमरण 125 76 36 16 देसाणुप्पियाहि देवाणुप्पियाहि 125 11 उवागग्छंति उवागच्छति 44 5 विझगिरियामूले विझगिरिपायमूले 127 21 जितसत्त- जितसत्त४५ 15 महा! मेहा! 128 3 विभूषिया विभूसिया 48 7 अणुगा. अणगा 126 10. खओवसमेण खओवसमेणं 50 12 तवोकप्म तवोकम्म 131 10 उवागग्छति उवागच्छंति 56 16 दिदेसत्थस्स विदेसत्थस्स / 132 17 महिला मिहिला 56 16 सरपंतियासु सरपंतिसु ... 136 10 पंचेहिं पंचहि 55 15 लूहइ लहेइ 137 1 सपुप्पज्जित्था समुप्पज्जित्था 56 17 करेति करेंति 137 5 आगाहित्तए• ओगाहितए. 71 6 पेच्छणाघरएसु पेच्छणघरएसु / 138 9 गंट्टि गंट्टि७३ 13 जोव्वणगमणुयत्ते जोवणगमणुपत्ते / 139 6 बमुमज्म- बहुमज्न०५ 19 एसंचान्ति संचाएन्ति 139 14 मग्गाणगवेसणं मग्गणगवेसणं 76 12 उवतेति उव्वतंति 140 22 दुदूर- ददुर• * .824 मेरीएए मेरीए 141 6 साहीणा साहोणो Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुद्धिपत्रकम् [ 11 पृष्ठांक: पंक्तिः अशुद्धं शुद्धम् पृष्ठांकः पंक्तिः अशुद्धं 141 24 वेउन्वि-समु- वेउब्धिय-समुग्धातेर्ण :58 पउभे पउमे ग्घातणं 264 18 गरघट्टएणं गन्धट्टएणं 144 2 मे न अण्णहा मे न 266 17 च चणं 147 2 ससिमंडलगार ससिमंडलागार 268 50 पडिलामेमाणस्स पडिलामेमाणस्स 148 20 लवख० लवण० 2726 मचलव० मचवल. 155 11 जाय जाव 202 14 सिन्नवेसस्स सन्निवेसस्स 157 2 आपच्छामि आपुच्छामि 273 1 मवे भंते 156 2 समणोवासाए समणोवासए 273 21 ससणे समणे 162 22 तत्पणाहि तप्पणाहि 274 22 प्रथमध्ययनम् प्रथममध्ययनम् 176 3 कणगज्जएण कणगज्झएणं दोवि 17 14 निवाए निनाए 276 13 लोभेहि लोमेहि 184 17 बहुसंभारत्तं- बहुसंमारसंजुत्तस्स 277 2 कित्तिपरिवज्जिया कित्तिपरिवज्जिया जुत्तस्स 277 16 भिहि भिडि 187 17 काढे कोढे 277 20 नीलप्पल नीलुप्पल 160 16 अवसवसे अवस्सबसे 280 12 चालित्तए वो चालित्तए वा 282 10 महाहि देहे महाविदेहे 193 12 एडिज्जामाणंसि एडिज्जमाणंसि 283 8 समणोवसाए समणोवासए 200 12 मेरा 286 11 (महाकामयवाणे) (महाकामवणे) 202 17 गच्छा गच्छह 300 16 विहरइ विहरह 203 4 ०चामरहि चामराहि 30420 सहासयए महासयए 205 7 तते ण तते णं से 316 3 निक्खिति निरिक्षति 253 6 हयगपा हयगया 322 15 गुत्तवभयारी गुत्तबंभयारी * 215 16 उगच्छति उवागच्छति 326 11 जूहा जहा 220 4 अद्धजोवणं अद्धजोयणं च 331 17 भावेमणा भावेमाणा 220 12 उत्तरति उत्तरति 2 337 8 पाणीजक्खे पाणिजक्खे 231 4 उरगा उरगो 341 8 पायवंदते, पायवंदते? 234 10 दारभिसंकीहि. दाराभिसंकोहि 341 16 पुत्ता। 235 16 अयरिभूए अपरिभूए 352 24 नाम नामाई 237 11 घणण्कणगं घणकणग 348 15 अराहेत्ता आराहेत्ता 239 16 सत्थवारे सत्थवाहे 349 22 सम्व 2 सव्व. 2 243 16 पढवी. पुढवी. 350 15 चोद्दसमं करेति 2 चोद्दसमं करेति 2 247 1 पनत्ता पन्नत्ता अट्ठारसमं सम्व.२ सोलसमं 246 12 अरओ अरहओ करेति 2 सव्व० 2 250 5 अंवसालावणाओ अंबसालवणाओ अट्ठारसमं 256 18 1-5 352 15 अट्टमो 257 8 प्पभाए प्पभा 353 17 पट्टसु अट्ठसु भेरी पुत्ता! अट्टमो Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गिण्हह 13] शुद्धिपत्रकम् पृष्ठांक: पंक्तिः अशुद्ध शुद्धम् पृष्ठांक: पंक्ति: अशुद्धम् 356 5 अणत्तरो० अणुत्तरो 443 8 जाते जाते जाते 356 11 इयदासणं इयदसाणं 446 14 गयर० खहयर० 362 14 भहाणमं महाणाम 368 6 बदुसंकिलिटुकम्मा बहुसंकिलिट्टकम्मा 455 20 गिण्हइ 368 20 थूमं थूभ 456 14 तो से तीसे 372 20 आलुग्ग- ओलुग्ग 456 15 उजाणे उज्जाणे 372 21 पूव्वकम्मादयो० पूब्धकम्मोदयो० 457 23 बहुविहअहिं बहुविहअय-मंसेहि 374 21 तासओ तासणओ मंसेहि 378 6 ओहेव आहेव 459 8 सुहरिसणं सुवरिसणं 382 8 पडुपहडाय- पडुपडहाहय- 462 2-3 20 वहस्सतिदत्ते बहस्सतिदत्ते 383 2 पिच्चक्ख पउवणं पच्चक्ख पिउवणं 462 3 विण्णाय० विण्णाय० 383 22 शिसमप्पेवसं विसमप्पवेसं 463 11-14 सुदरंगे सुदरंगे 361 6 थूम थूभ. 466 24 तंबभरिएदि तंबभरिएहि 361 15 सुदरंगा सुदरंगा 465 5 चिटुति चिति 393 1 कणगिरि- कणगिरि / 473 8 रोगयंकेहि रोगायंकेहि 396 11 रोमराजीआ रोमराजीओ 474 12 5 396 23 वद्धरुद्धा बद्धरुद्धा 475 21 तित्तरो तित्तिरे 400 9 लोभामिभूत- लोभाभिभूत 475 1 (धम्म० (धम्म०) 403 3 दुहट्टि(दुहदुहि)- दुहट्ठि(दुहदुहि)याणं 475 2 ०रस० करसि० हियाणं 475 2 कविटुरसयाणि कविदुरसियाणि य 410 3 तवसजम० भीतो तवसंजम० भीतो 475 21 भत्तधेयाणा मत्तवेयणा 410 4 तस्हा तम्हा 476 4 मज्छखलए. मच्छखलए 411 1 अष्टममध्यनम् अष्टममध्ययनम् 480 18 मुजुत्ताए संजुत्ताए 416 2 -विमुद्धमूलो -विसुद्धमूलो 480 22 बारियाए दारिपत्ताए 420 10 सम्मुप्पन्न समुप्पन्न 482 17 जिमयिक जिमिय० 423 23 -पक्वमंति- -पक्कमसि 482 22 - उवागञ्छति उवागच्छति 421 4 यालुणवडियाए कालुणवडियाए 483 16 गंधेवट्टएणं. गंधवट्टएणं 426 15 इंदमहेह० मिग- इंदमहेइ. निग्ग- 487 16 समोगडे समोसढे ग्छति च्छति 484 3 आरारहं आसरहं 432 10 उडागच्छति उवागच्छति 486 5 इंदभई 433 24 मं जो तं जो 486 7 सुबारुकुमारे सुबाहुकुमारे 434 12 तच्छणेयि तन्छणेहि 462 10 तत्वं तत्थ 436 24 कर्हि कहि 464 18 सिरोदेवी सिरीदेवी 443 16 (पासणिय)-दसणं दंसणं (पासणियं) | 465 35 सिन्महिति सिािहिति शुद्धिपत्रकनो उपयोग करीने ग्रन्थनु अध्ययन आदि करवु जरुरी छे. Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाम 2554 45 आगम मूल-पुस्तक श्रेणी योजना * श्री आगम-सुधा-सिन्धु: * संपादकः-तपोमूर्ति पूज्य आचार्यदेवश्री विजयकर्पू रखरीश्वरजी म. ना पट्टधर हालारदेशोद्धारक पूज्य आचार्यदेव श्रीविजयअमृतसूरीश्वरजी म. ना शिष्यरत्न . पू. पं. श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अग्यार अंग सूत्रोः सप्तमो विभागः प्रथमो विभागः 5. श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र 4454 श्लोक 6. , चंद्र प्रज्ञप्ति 2200 श्री आचारांग 7. ,, सूर्य प्रज्ञप्ति 2266 " सूत्रकृताङ्ग 2100 8. , कलिका सूत्र ,, ठाणांग 3700 1., कल्पावतंसिका , 4. ,, समवायांग 1660 10. ,, पुष्पिका 1106 11 ,, पुष्पचूलिका द्वितीय-तृतीय-विभागः 12, वह्निदशा . 5. श्री भगवती सूत्र 15752 ___चतुर्थो विभागः 10 पयन्ना सूत्रो:६.श्री ज्ञाता सूत्र 5464 उपासकदशा 812 अष्टमो विभाग:अंतकृद्दशा 790 नाम श्लोक अनुत्तरोपपातिक , 1. श्री चउशरण 80 " प्रश्नव्याकरण 2, आउरपच्चक्खाण , 100 विषाक 1216 3., महापच्चक्वाण , 4., भक्त परिज्ञा 215 घार उपांग सूत्रो:-- 5., तंदुलबैयालीय , 138 पञ्चमो विभागः 6. , संस्तारक 155 , गच्छाचार 175 नाम श्लोक , गणिविज्जा 1. श्री उववाइ 1167 ., देवेन्द्र स्तव 375 2., राजप्रश्नीय 2120 ,, मरणसमाधि 875 3., जीवाभिगम , चंद्र वेध्यक षष्ठो विभागः 2, , वीरस्तव " पन्नवणा सूत्र 16. 1250 176 7787 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... . 2106 x 105 -: 6 छेद सूत्रो:-- 4 मूल सूत्रो:. नवमो विभागः द्वादशमो विभागः नाम - इलोक। 1 श्री आवश्यक सूत्र .. 2500 1. श्री निशीथ 21 / 2, ओघनियुक्ति , 1355 बृहत्कल्प पंचकल्पभाष्य 3135 त्रयोदशमो विभागः , व्यवहार 373 / 3 श्री वशवकालिक सूत्र दशाश्रुत | , पिंडनियुक्ति , 835 जीतकल्प / 4, उत्तराध्ययन , 2000 दशमो विभागः 2 चूलिका सूत्रो 6 श्री महा निशीथ सूत्र 4548 चतुर्दशमो विभागः एकादशमो विभागः 1 श्री नंदी सूत्र श्री कल्पसूत्र सूत्र (प्रताकार ३६पोइन्ट टाइप) | 2 श्री अनुयोगद्वार सूत्र 1866 1215 ... सटीक आगमो आदि नं. नाम मूल श्लोक टीकाकार .' टीका श्लोक 1 श्री आचारांग सूत्र श्री शीलांकाचार्य ... 12000 2 श्री उपासकदशांग , श्री अभयदेवसूरिजी 800 3 श्री अंतकृदशांग , 400 4 श्री अनुत्तरोपपातिक , 182 100 5 नवस्मरणानि गौतमस्वामिरासंच 700 2554 812 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45 अागम मूल पुस्तक श्रेणी योजना अंगे * निवेदन . जणावतां आनद थाय छे के परम करुणानिधि चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीरदेवे भव्य जीवोना श्रेयना हेतु रूप तीर्थनी स्थापना करी अने गणधर देवोने त्रिपदीनु प्रदान कयु. लब्धिनिधान श्री गणधर देवो द्वादशांगीनी रचना करी. जेमनी पाट परंपरा विद्यमान छे ते श्रीमत्सुधर्मस्वामीजीनी द्वादशांगी प्रवर्तमान रही अने वर्तमानमा अग्यार अंग आदि अंग प्रविष्ट अने बार उपांग दश पयन्ना, छ छेद, 4 मूल अने 2 चूलिका सूत्रो एम अंग बाह्य श्रुतज्ञान आदि विद्यमान छे ते सूत्रो उपर पूर्वाचार्य महापुरूषो विरचित नियुक्ति, भाष्य, चूणि, टोका, अवचूरि विगेरे आगमानुसारी श्रुत विद्यमान छे. __ आ कल्याणकारी श्रुतना आधारे श्री महावीर परमात्मानुशासन प्रवर्तमान के पूज्य आचार्य भगवंतो आदि मुनिराजो आदि योगवहन, गुरुकुलवास, गुरूआज्ञा आदि योग्यता मुजब अ श्रुतना अधिकारी छे. अने अथी से शास्त्रीय मर्यादामा रहेता पूज्योने आ श्रुतज्ञानना स्वाध्याय आदिनी अनु. कुलता रहे ते हेतुथी श्रुत भक्तिरूपे 45 आगमो मूल तेमज केटलाक सूत्रोनी टीका आदि मुद्रित करवानुनक्की कयु छे तेनु संशोधन अने संपादन हालार-देशोद्धारक पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्य पूज्य पन्यास श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अथाग परिश्रम पूर्वक करी रह्या छे. आ सूत्री श्री संघना भंडारोमा पूज्य गुरुदेवोने अर्पण करवा प्रसारित करवानो अमे निणय कर्यो छे. तेनी मर्यादित नकलो प्रकाशित थाय छे अने जे श्री संघो के श्रुतभक्ति रूपे श्रावको आ प्रतिओ 'मेळववी होय तेमणे पोतानी नकल नी यादी लखावी देवा विनंति छे. सूत्रोनी नकलो मर्यादित प्रकाशित थाय छे वळी बुकसेलरोने ते वेंचवा आपवानो नथी अटले पाछलथी प्रतिम्रो प्राप्त थवी मुश्केल पडशे. जेथी भंडारोने सुव्यवस्थित अने समृद्ध बनाववा श्री संघोओ पोताना सेट तरतमा लखावी देवा, पूज्य गुरुदेवो के संघोने अर्पण करवा या श्री शासननी मिल्कत रूपे सुरक्षित राखी, पूज्य गुरुदेवोने स्वाध्याय आदि माटे अर्पण करवा सुधावको पण आ सेट खरीदी शकशे. तेओ आ सेट वांची के बैंची शकशे नहीं. __45 आगमो भने 4 सूत्रोनी टीकाओ आदि ने कार्य हाथ उपर परायु छे सेनु मूल्य रु० 700 थशे.. चौद विभागमा 45 आगम प्रगट थशे. तेमा 1 लो, 8 मो, 12 मो, 13 मो चौदमो विभाग पण पूर्ण थयो छे बाद आ चोथो प्रगट थाय छे छट्ठो अने अग्यारमो विभाग छपाइ रहेल छे. श्री उपासकदशा सटीक श्री अंतकृद्दशा सटीक,श्री अनुत्तरोपपातिक दशा सटीक, नवस्मरण अने श्री गौतमस्वामी रास पण प्रगट थइ गयेल छे, श्री आचारांग सूत्र सटीक हवे छपाशे. Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 ) निवेदन पहोंचाडवानी सगवडता रहे ते माटे 8 थी 10 सूत्रो तैयार थयेथो रवाना कराशे. जेथी सेट मंगावनारे पोताने मोकलवानां ग्रन्थो रेल्वे के ट्रान्सपोर्ट द्वारा प्राप्त थाय ते सरनामु जणाव. आ आगम श्रेणी अंगे नाम नोंघाववा तथा रकम मोकलवाना सरनामा:(१) महेता मगनलाल चत्रभुज (4) शा. वेलजी हीरजी गुढका शाक मारकेट सामे निशाल फली, 52 बी एम. आझाद रोड, रंगवाला चाल, जामनगर, (सौराष्ट्र) मुंबई 400011 (2) शा. मनसुखलाल जीवराज भाडलावाला (5) शा. रीखवचंद फुलचंद शराफ बजार, राजकोट (सौराष्ट्र) . सी. पी. टेन्क पहेलो पारसीवाडो : खलीफ मेन्सन, वी. पी. रोड, मुंबई-४.. (3) शा. वालजी गणशी C/ हीरा एम्पोरीयम, आनंदरोड, (6) नवीनचंद्र बाबुलाल शाह .. मलाड (वेस्ट) मुंबई-४०००६४ . डेली फली लालबाग सामे, जामनगर (7) संघवी जयंतिलाल त्रिभोवनदास Co महावीर स्टोर 2686 फुवारा बजार गांधी रोड अमदावाद आ आगम श्रेणी उपरांत अप्रगट तथा अप्राप्य ग्रन्थोनु विशाल पाया उपर प्रकाशन करवानी पण अमारी धारणा छे. श्रुतज्ञाननी आ भक्तिना कार्यमा सौनी साथ मलशे तो अमे वहेलासर सफल थशु अयी जा अंगे योग्य सहकारनी अपेक्षा राखी श्रतज्ञान भक्तिना कार्यमा साथ आपवा नम्र विनंति छे. Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अहम् / पञ्चमगणधरदेव-श्रीमत्सुधर्मस्वामिप्रणीतं // श्रीज्ञाताधर्मकथांगसूत्रम् // // 1 // अथ श्री उत्क्षिप्ताख्यं प्रथममध्ययनम् // . ते णं काले णं ते णं समए णं चंपानामं नयरी होत्था वराणश्रो // सूत्रं 1 // तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीमाए पुगण,भहे नाम चेइए होत्था, वरणश्रो // सूत्रं 2 // तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिको नाम राया होत्या वराणो॥ सूत्रं 3 // ते णं काले णं ते णं समए णं समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतेवासी अजसुहम्मे नाम थेरे जातिसंपन्ने कुलसंपराणे बलरूव-विणय-णाणदसण-चरित्तलाघवसंपगणे अोयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोहे जियइंदिए जियनिहे जियपरिसहे जीवियास-मरणभय विप्पमुक्के तवप्पहाणे गुणप्पहाणे एवं करणचरणनिग्गह-णिच्छय-अजव मद्दवलाघव-खंति-गुत्तिमुत्ति 10 विजामंत-बंभवय(चेर)नयनियम-सच्चसोय-गाणदसण 20 चरित्तप्पहाणे, अोराले घोरे घोरव्वए घोरतवस्सी घोरखंभचेर. वामी उच्छूसरीरे संखितविउल-तेयल्लेसे(तेउलेसे) चोदसपुवी चउणाणो. वगते पंचहि अणगारमएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुवाणुपुचि चरमाणे गामागुगामं दूतिजमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव पुराणभद्दे चतिए तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छइत्ता प्रहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति // सूत्र 4 // Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2] [ श्रीमागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः तएणं चंपानयरीए परिसा निग्गया कोणियो निग्गयो धम्मो कहियो परिसा जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसि पडिगया 1 / तेणं कालेणं तेणं समयेणं अजसुहम्मस्स अणगारस्स जेट्टे अंतेवासी अजजंबू णामं अणगारे कासवगोत्तेणं सत्तुस्सेह जाव अजसुहम्मस्स थेरस्स श्रदूरसामंते उद्धंजाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगते संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति, तते णं से अजजंबूणामे जायसड्ढे जायसंसए जायकोउहल्ले संजातसड्डे संजातसंसर संजायकोउहल्ले उप्पनसड्ढे उप्पन्नसंसए उप्पन्नको उहल्ले समुप्पनसड्ढे समुप्पन्नसंसए समुप्पन्नकोउहल्ले उठाए उट्ठति उट्टाए उद्वित्ता जणामेव अजसुहम्मे थेरे तेणामेव उवागच्छति 2 अजसुहम्मे थेरे (अजसुहम्मं थेरं) तिक्खुत्तो थायाहिणपयाहिणं करेइ 2 वंदति नमसति वंदित्ता नमंसित्ता अजसुहम्मस्म थेरस्म णचासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहं(हे) पंजलिउडे विणएणं पज्जुवासमाणे एवं वयासी-जति भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं अाइगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबुद्धे पुरिसुतमेणं पुरिस तीहेणं पुरिसवरपुंडरीएणं पुरिसवरगंधहत्थीणा लोगुत्तमेणं लोगनाहेणं लोगहिएणं लोगपईवेणं लोगपज्जोयगरेणं अभयदरेणं चवखुदयेणं मग्गदयेणं सरणदयेणं बोहिदयेणं धम्मदयेणं धम्मदेसयेणं धम्मनायगेणं धामसारहीणा धम्मवरचाउरंतचकवट्टिणा अपडिहयवरनाण-दसणधरेणं वियदृछउमेणं जिणेणं जाणएणं (जावएगां) तिन्नेणं तारएणं बुद्धेणं बोहएणं मुत्तेणं मोअगेणं सधरणेणं सम्बदरिसिणा सिवमपल-मरुतमणंत-मक्खयमव्वाबाह-मपुणरावित्तियं सामयं ठाण मुवगतेणं(ठाणं संपत्तेणं)पंचमस्स अंगस्स अयम8 पन्नत्ते, छट्ठस्स णं अंगस्स णं भंते ! णायाधम्मकहाणं के अट्ठ पन्नत्ते ?, जंबत्ति तए णं अजसुहम्मे थेरे अजजंबणामं अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवता महावीरेणं जाव संपत्तेणं छठुस्स अंगस्त दो सुयक्खंधा पनत्ता, तंजहा-गायाणि य धम्मकहायो य, जति णं भंते / Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सामगोण जाव सत्ता धम्मकहायो य हस अंगस्स दो मते ! समोणं श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् ] समणेणं भगवता महावीरेणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्म अंगस्स दो सुयखंधा पन्नत्ता, तंजहा-णायाणि य धम्मकहाणों य 2 / जति णं भंते ! समणेणं भगवत्ता महावीरेणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स दो सुयखंधा पनत्ता, तंजहा-णायाणि य धम्मकहायो य, पढमस्स णं भंते ! सुयधस्स समोणं जाव संपत्तेणं णायाणं कति अज्झयणा पन्नत्ता ?, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं णां गाणं एगणवीसं अज्झयणा पत्नत्ता, तंजहा-उक्खितणाए 1 संघाडे 2 अंडे 3 कुम्मे य 4 सेलगे 5 / तुबे य 6 रोहिणी 7 मल्ली 8 मायंदी 1 चंदिमा इय 10 // 1 // दावहवे 11 उदगणाए 12 मंडुक्के 13 तेयलीविय 14 / नंदीफले 15 अवरकंका 16, अतिन्ने 17 सुसुमा इस 18 // 2 // अवरे य पुंडरीयणायए 11 एगुणवीसतिमे 3 / // सूत्रं 5 // जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं णायाणं एगूणवीसा अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-उक्खित्तणाए जाव पुंडरीरत्ति य, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स के अट्ठ पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं 2 इहव जंबहीवे दीवे भारहे वासे दाहिणद्धभरहे रायगिहे णामं नयरे होत्था, वरणो, गुणमिलए चेतिए वन्नयो तत्थ णं रायगिहे नगरे सेणिए नाम राया होत्या महताहिमवंत-महंत मलयमंदर-महिंदसारे वनयो, तस्स णं सेणियस्स रनो नंदा नामं देवी होत्था सुकुमालपाणिपाया वराणश्रो // सू० 6 // तस्स णं सेणियस्स पुत्ते नंदाए देवीए अत्तए अभर नामं कुमारे होत्था अहीण जाव सुरूवे सामदंड-भेयउवप्पयाण-णीति-सुप्पउत्तणय-विहिन्नू ईहावूहमग्गण-गवेसण-अत्थसत्थमइ-विसारए उप्पत्तियाए वेणइयाए कम्मियाए पारणामिश्राए चउव्विहाए बुद्धिए उववेए सेणियस्स रगणो बहुसु कज्जेसु य कुडु बेसु य मंतेसु य गुज्मेसु य रहस्सेसु य निच्छएसु य ापुच्छणिज्जे पडि. पुच्छणिज्जे मंदी पमाणं श्राहारे श्रालंबणं चकखु मेढीभूए पमाणभूए श्राहार Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागः भूए श्रालंबणभूए चकाखूभूए सबकज्जेसु सधभूमियासु लद्धपच्चए विइराणवियारे रजधुरवितए यावि होत्था, सेणियस्स रनो रज्जं च रटुं च कोसं च कोट्ठागारं च बलं च वाहणं च पुरं च अंतेउरं च सयमेव समुवेक्खमाणे 2 विहरति // सूत्रं 7 // तस्स णं सेणियस्स रन्नो धारिणी नामं देवी होत्था जाव सेणियस्स रन्नो इट्टा जाव विहरइ // सूत्रं 8 // तए णं सा धारिणीदेवी अन्नया कयाइ तंसि तारिसगंसि छकट्ठक(६)लट्ठ मट्ठ-संठिय--खंभुग्गयं पवरवर-सालभंजिय-उजल--प्रणिकणग-रयणथुभिय-- विडंग(रयणमू मेपविडंक)जालद्धचंद-णिज्जूह-कंतर-कणयालि-चंदसालिया-विभत्तिकलिते सरसच्छ-धाऊवलवगणरइए बाहिरयो दूमियवट्ठमट्ठ अभित. रयो पत्तसुविलिहिय-चित्तकम्मे णाणाविह-पंचायण मणिरयण-कोट्टिमतले पउमलया-फुल्लवल्लि-वरपुष्फ जातिउल्लोय-चित्तियतले वं(च)दणवर-कणगकलससुत्रिणिम्मिय-गडिपुजि(पूजि)य-सरसपउम-सोहंतदारभाए पयरगालंबंत-मणिमुत्तदाम-सुविरइय-दारमोहे सुगंधवर-कुसुममउय-पम्हल-सयणोवयारे - मणहिययनिव्वुझ्यरे कप्पूर-लवंग मलयचंदन कालागुरु -पवरकुंदुरुक-तुरुकधूव- डझतसुरभि-मघमघंत-गंधुद्धयाभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूते मणिकिरण-पणासियंधकारे, किं बहुणा ?, जुड़गुणेहिं सुरवरविमाण-देलंबिय-वरघरएं तसि तारिसगंसि सयणिज्जसि सालिंगणवट्टिए उभयो विबोयणे दुहयो उनएमज्जे णयगंभीरे गंगापुलिण-वालुया-उद्दाल-सालिसए उयचिय-खोमदुगुल्ल पट्टपडि-च्छराणे श्रच्छरय-मलयनवय(नयतय)कुसत्तलिंब सीहकेसर-पच्चुत्थए सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे श्राइणगख्य-रणवणीय-तुल्लफासे पुब्बरतावरत्त-कालसमयंसि सुत्तजागरा श्रोहीरमाणी 2 एगं महं सुत्तस्सेहं रययकूडसनिहं नहयलंसि सोमं सोमागारं लीलायंत जंभायमाणं मुहमतिगयं गयं पासित्ता णं पडिबुद्धा 1 / तते णं सा धारिणी देवी अयमेारूवं. उरालं कल्लाणं सिवं धन्नं मंगल्लं सस्सिरीयं महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुद्धा Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग स्त्रम् ) समाणी हट्टतुट्टा चित्तमाणंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवस-विसप्पमाण-हियया धाराहय-कलंबपुष्फगं पेव समूमसिय रोमकूवातं सुमिणं श्रो.गाहइ 2 सयणिजायो उ(अब्भु)?ति 2 पायपीढातो पच्चोरुहइ पचारहइत्ता अतुरियमचाल मसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए गतीए जेणामेव से सेणिए राया ते णामेव उबागच्छइ उवागन्छइत्ता सेणियं रायं ताहिं इटाहिं ताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मगामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरियाहिं हियर गमणि,जाहिं हिययपल्हाणिजाहिं मिपमहुर-रिभियगंभीरसस्सिरीकाहिं गिराहिं संलवमाणी 2 पडिबोहेइ पडिबोहेत्ता सेणिएणं रना अभगुनाया समाणी णाणामणि कणगरयण भत्तिचित्तंसि भदासणंसि निसीयति 2 त्ता यासत्या विसत्था सुहासणवरगया करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु सेणियं रायं एवं वदासी एवं खलु श्रहं देवाणुप्पिया ! अन तं से तारिसगं से सयणिज्जमि सालिंगणवट्टिए जाव नियग-वयणमइयंतं गयं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, तं एयस्स णं देवाणुप्पिया ! उरालस्स जाव सुमिणस्स के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सति ? 2 // सू० 1 // ___तते णं से.गए राया धारिणीए देवीए अंतिए एयमट्ट सोचा निसम्म हट्ट जार हियो धाराहयनी-सुरभिकुसुम-चं चु)चुमालइय-तणु-ऊससिय-रोमकूवे तं सुमिणं उग्गिराहइ उग्गिराहइत्ता ईहं पविसति 2 अप्पणो साभाविएणं मइपुचएणं बुद्धिविनाणेणं तस्स सुमिणस्स अत्थोग्गहं करेति 2 धारणि देवीं ताहिं जाव हिययपल्हायणिजाहिं मिउमहुर-रिभिय-गंभीर-ससिरियाहिं वग्गूहिं अणुव्हेमाणे 2 एवं वयासी-उराले णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणे दिडे, कल्लाणे णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणे दि?, सिवे धन्ने मंगल्ले सस्सिरीए णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणे दिट्टे, आरोग्ग-तुट्ठिदीहाउय-कल्लाण-मंगलकारए णं तुमे देशी ! सुमिणे दि8, अत्थलाभो ते देवाणुपिए ! पुत्त Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः लाभो ते देवाणु पिए :, रजलाभो ते देवाणुप्पिए ! भोगलाभो ते देवाणुप्पिए!, सोक्ख नाभो ते देवाणुप्पिए !, एवं खलु तुमं देवाणुपिए ! नवराहं मासाणं बहुपडि उन्नाणं अट्ठमाण य रादिदियाणं विक्कताणं अम्ह कुलके(हे)उं कुलदीवं कुलपवयं कुलवडिंसयं कुलतिलकं कुलकित्तिकरं कुलवित्तिकरं कुलणंदिकरं कुलजसकरं कुलाधारं कुलपावं कुलविवद्धणकरं सुकुमालपाणिपायं जार दारयं पयाहिसि, सेवि य णं दारए उम्मुक-बालभावे विनाय-परिणयमेत्ते जोवणगमणुपत्ते सूरे वीरे विवक्ते विच्छिन्नविपुलबलवाहणे रजवती रया भविस्सइ, तं उराले णं तुमे देवीए सुमिणे दि8 जाव आरोग्गतुहितीहाउ-कल्लाणकारए णं तुमे देवी! सुमिणे दि?त्तिकठ्ठ भुजो 2 अणुव्हेइ // सू० 10 // तते णं सा धारणी देवी सेणिएणं रना एवं वुत्ता समाणी हट्टतुट्ठा जाव हियया करतलपरिग्गहियं जाव अंजलिं कटु एवं वदासी एवमेयं देवाणुप्पिया ! तहमेयं श्रवितहमेयं असंदिद्धमेयं इच्छियमेयं देवाणुप्पियः ! पडिच्छियमेयं इच्छियाडिच्छियमेयं सच्चे णं एस अट्टे जं णं तुम्भे वदहत्ति कटु तं सुमिणं सम्म पडिच्छइ पडिच्छइत्ता सेणिएणं रन्ना अब्भणुराणाया समाणी णाणाम.ण-कण,गरयणभत्तिचित्तायो भहातणायो अभुटेइ अभुटेता जेणेव सए संयणिज्जे तेणेव आगञ्छइ 2 ता सयंसि सयणिज्जसि निनीयइ, निमीयइत्ता एवं वदासी मा मे से उत्तमे पहाणे मंगले सुमिणे अन्नेहिं पावसुमिणेहिं पडिहमिहित्तिकटु देवय-गुरुजणसंवद्धाहिं पसत्थाहिं धम्मियाहि कहाहिं सुमिणजागरियं पडिजागरमाणी विहरइ॥सू० 11 // तए णं सेणिए राया पच्चूमकालममयंसि कोडंविधपुरिसे सद्दावेइ सदावइत्ता एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! बाहिरियं उबट्टाणसालं अज सविसेसं परमरम्मं. गंधोदग सित्त-सुइय-संमजिग्रोवलित्तं पंचवन्न-सरससुरभि-मुक-पुष्फ-पुंजोबयार-कलियं कालागरु-पररकुंदुरुक-तुरुकधूव-डझंत-मघमघंत-गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधव Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / ट्टिभूतं करेह य कारवेह य 2 एवमाणत्तियं पचप्पिणह, तते णं ते कोड:विपुरिसा सेणिएणं रना एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा जाव पचपिणंति, तते णं सेणिए राया कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पल-कमल-कोमलुम्मिलियंमि अहापंडुरे पभाए रत्तासोग-पगास किंसुय-सुयमुह-गुंजद्धरागबंधुजीवग--पारावयचलणनयण---परहुयसुरत्तलोयण--जासु मेणकुसुम-जलियजलण-तवणिजकलस-हिंगुलयनिगर रूपाइरेग-रेहन्तसस्सिरीए दिवागरे अहकमेण उदिए तस्स दिणकर-करपरंपरावयार-पारदमि ग्रंधयारे बालातबकु कमेणं खइयब्व जीवलोए लोयण-विस पाणुयास-दिगसंतविसदद सेयंमि लोए कमलागर संडबोहए उट्ठियांमे सूरे सहस्सरसिमि दिण,यरे तेयसा जलंते सयणि जायो उट्ठति 2 जेणेव अट्टामाला तेणेव उवागच्छइ 2 पट्टणसालं अणुपविसति 2 अणेगवायाम जोगग्गण-वामदणमलजुद्धकरणेहिं संते परिस्संते सयपाहिं सहस्समागेहिं सुगंधवर. तेल्लमादिएहिं पीणणिज्जेहिं दीवणिज्जेहिं दपणिज्जेहिं मदणिज्जेहिं विहणिज्जेहिं सबिदिय-गाय-पल्हापणिज्जेहिं अभंगएहिं अभंगिए समाणे तेल्लचम्मंसि पडिपुगण-पाणिपाय-सुकुमाल-कोमलतलेहिं पुरिसेहि छेएहिं दक्खेहिं पट्टेहिं कुसलेहिं मेहाबीहिं निउणेहिं निउणसि. प्पोवगतेहिं जियपरिस्समेहिं अभंगण-परिमद्दणुव्वलण-करण:गुण-निम्माएहिं अट्ठिसुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउब्बिहाए संबाहणाए संवाहिए समाणे अवगयपरिस्समे नरिंदे अट्टण-सालायो पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमइत्ना जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छडू उवागच्छइत्ता मजणघरं अणुपविसति श्रणुपविसित्ता समंत(मुत्त, मत्त). जालाभिरामे विचित्तमणिरयणकोट्टिमतले रमणिज्जे राहाणमंडवंसि णाणामणि-रयणभत्तिचित्तंसि गहाणपीढंसि सुहनिसन्ने सुयोदगेहिं पुष्फो. दएहिं गंधोदएहिं सुद्धोदएहि य पुणो पुणो कलाणग-पवरमजणवि Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमानः हीए मजिए तत्य कोउयसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणग-पवर-मजणावसाणे पम्हल-सुकुमाल-गंधकासाईय-लूहियंगे अहत-सुमहग्छ-दूसरयण-सुसंवुए सरससुरभि-गोसीसचंदणाणुलित्तगते सुइमालावन्नगविलेवणे भाविद्धमणिसुवन्ने कपिय हारद्धहार-तिसरय-पालंबपलंबमाण-कडिसुत्त-सुकयसोहे पिणद्धगेवेज्जेअंगुलेजग-ललियंग-लालय-कयाभरणे णाणामणि-कडगतुडिय-थंभियभुए श्रहियरूवसस्सिरीएकुंडलुजोइयाणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थय-सुकतरइयवच्छे पालंबपलंबमाण-सुकय-पडउत्तरिज्जे मुद्दियापिंगलंगुलीए णाणामणि-कणगरयण-विमलमहरिह-निउणोविय-मिसिमिसंत-विरइय-सुसिलिट्ठ-विसिट लट्ठमंठिय-पसत्य-अाविद्धवीरखलए, किं बहुणा ? कप्परुक्खए चेव सुग्रलंकिय विभूसिए नरिंदे सकोरिंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं उभत्रों वउचामरवालवीइयंगे मंगलजय-सदकयालोए अणेगगणनायग-दंडणायग-राईसर-तलवर-माउंविष कोडुपिय-मंतिमहामंति-गणग-दोबारिय-अमञ्च-चेड-मीटमद्दय-नगरणिगम-सेटि-सेणावइ-सत्थवाह-दूय-संधिवालसद्धिं संपरिबुडे धवल-महामेहनिग्गएविव गहगण-दिप्पंत-रिक्ख-तारागणाण मज्झ ससिव्व पियदंसणे नरखई मजणघरायो पडिनिक्खमति पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छइत्ता सीहासणवरगंते पुरस्थाभिमुहे सन्निसन्ने 1 / तते णं से सेणिए राया अप्पणो अदूरसामंते उत्तरपुरच्छिमे दिसिभागे अट्ठ भदासणाई सेयवस्थ-पच्चुत्थुयाति सिद्धत्थ-मंगलोवयार-कतसौतिकम्माई रयावेइ र सावित्ता णाणामणि-रयणमंडियं अहिय-पेच्छणिजरूवं महंग्य-वरपट्टणुग्गयं सराह-बहुभत्ति-सयचित्तट्ठाणं ईहामिय-उसम-तुरय-णरमगर-विहग-वालग-किंनर-रु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलय-पउमलय-भत्तिचित्तं सुखचिय-वरकणग-पवरपेरंत-देसभागं अभितरियं जवणियं अंबावेइ अंडावइत्ता अछरग-मउप-मसूरग-उच्छइयं धालवत्थ पचत्थुयं विमिटुं यंगसुहफासयं सुमउयं धारिणीए देवीए भद्दासणं रयावेइ रयावइत्ता कोडवियपुरिसे सद्दा Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / [6 वेइ सहावेत्ता एवं वदामी-खिप्पामेव भो देवाणुपिया ! अलंग-महानिमित्तसुत्तत्यपाढए विविहसत्थकुसले सुमिणपाढए सदावेह सदावइत्ता एयमाणत्तियं खियामेव पचप्पिणह २।तते णं ते कोडुबियपुरिसा सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ता समाणा हट्ट जाव हियया करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं देवो तहत्ति प्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणति 2 सेणि यस्स रनो अंतियायो पडिनिक्खमंति 2 रायगिहस्स नगरस्स मझमज्झेणं जेणेव सुमिणपाढगगिहाणि तेणेव उवागच्छंति उवागछित्ता सुमिणपाढए सदाति 3 / तते णं ते सुमिणपाढगा सेणियस्स रनो कोडुबियपुरिसेहिं सद्दाविया समाणा हट्ट 2 जाव हियया राहाया कयबलिकम्मा जाव पायच्छित्ता अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा हरियालिय-सिद्धत्थय-कय-मुद्धाणा (सिद्धत्थयहरियालिया-कयमंगल-मुद्धाणा) सतेहिं सतेहिं गिहेहिंतो पडिनिक्खमंति 2 रायगिहस्स नगरस्स मज्झमझेणं जेणेव सेणियस्स रनो भवणव.संगदुवारे तेणेव उवागच्छंति 2 एगतयो मिलयंति 2 सेणियस्स रन्नो भवणवडेंसगदुधारेणं अणुपविसंते अणुपविसित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता सेणियं रायं जएणं विजएणं बद्धावेंति, सेणिएणं रन्ना अचिय वंदिय पूतिय माणिय सकारिया सम्माणिया समाणा पत्तेयं 2 पुवन्नत्थेसु भदासणेसु निसीयंति 4 / तते णं सेणिए राया जवणियंतरियं धारणी देवीं ठवेइ ठवेत्ता पुष्फफलपडिपुराणहत्थे परेणं विणएणं ते सुमिणपाढए एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! धारिणीदेवी अज तंसि तारिसयंसि सयणिज्जंसि नाव महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुद्धा, तं एयस्त णं देवाणुपिया ! उरालस्स जाव सस्सिरीयस्स महासुमिणस्स के मन्ने कलाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सति 5 / तते णं ते सुमिणपाढगा सेणियस्स रन्नो अंतिए एयम8 सोचा णिसम्म हट्ट जाव हियया तं सुमिणं सम्मं श्रोगिरहंत 2 ईहं अणुपवि Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभागः संति 2 अनमन्नेण सद्धिं संचालेंति संचालित्ता तस्स सुमिणस्स लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अभियगट्ठा सेणियस्स रनो पुरो सुमिणसत्थाई उच्चारेमाणा 2 एवं वदासी-एवं खलु अम्हं सामी ! सुमिणसत्थंसि बायालीसं सुमिणा तीसं महासुमिणा बावत्तरि सव्वसुमिणा दिट्ठा, तत्थ णं सामी ! अरिहंतमायरो वा चकवट्टिमातरो वा अरहतंसि वा चकवट्टिसि वा गम्भं वकममाणंसि एएसिं तीसाए महासमिणाणं इमे चोइस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुज्झति, तंजहा-गय-उसभ-सीह-अभिसेय-दामसमि-दिणयरं झयं कुभं। पउममर-सागर-विमाण-भवण-रयणुचय सिहं च // 1 // वासुदेवमातरो वासुदेवसि गर्भ वक्कममाण से एएसिं चोदसाह महासुमिणाणं अनतरे सत्त महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुज्झति, बलदेवमातरो वा बलदेवंसि गम्भं वक्कममाणंसि एएसि चोइसराहं महासुमिणाणं अण्णतरे वत्तारि महासुविणे पासित्ताणं पडिडुज्झति, मंडलियमायरो वा मंडलियंसि गभं वकममाणंसि एएसिं चोदसराहं महासुमिणाणं अन्नतरं एग महासुमिणं पामित्ताणं पडिबुज्झति, इमे य णं सामी ! धारणीए देवीए एगे महासुमिणे दिव, तं उराले णं सामी ! धारणीए देवीए सुमिणे दि8, जार आरोग्गतुट्ठि-दीहाउ-कल्लाण-मंगलकारए णं सामी / धारिणीए देवीए सुमिणे दि8, अत्थलाभो सामी ! सोक्खलाभो सामी ! भोगलाभो सामी! पुत्तलाभो सामो रजलाभो ! एवं खलु सामी ! धारिणीदेवी नवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं जाव दारगं पयाहिसि, सेवि य णं दारए उम्नुकबालभावे विना(राण)यपरिणयमित्ते जोवणगमणुपत्ते सूरे वीरे विक्कते विच्छिन्न-विउल-बलवाहणे रजवती राया भविस्सइ थर गारे वा भावियप्पा, तं उराले णं सामी ! धारिणीए देवीए सुमिणे दिढे जाव श्रारोग्गट्टि जार दि?त्ति कटु भुजो 2 अणुव्हेंति 6 / तते णं सेणिए राया तेसिं सुमिणपाढगाणं अंतिए एयम सोचा णिसम्म हट्ट जाव हियए Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / [11 करयल जाव एवं वदासी-एवमेयं देवाणुप्पिया ! जाव जन्नं तुम्भे वदहत्तिकटु तं सुमिणं सम्म पडिच्छति 2 ते सुमिणपाढए विपुलेणं असणपाण-खाइमसाइमेणं वत्थगंध-मल्लालंकारेण य सकारेति सम्माणेति 2 विपुलं जीवियारिहं पीतिदाणं दलयति 2 पडिविसज्जेइ 7 / तते णं से सेणिए राया सीहारण यो अब्भुट्ठति 2 जेणेव धारिणी देवी तेणेव वागच्छइ उवागच्छइत्ता धारिणीदेवीं एवं वदासी-एवं खलु देवाणु. प्पिए ! सुमिणसत्थंसि बायालीसं सुमिणा जाव एगं महासुमिणं जाव भुजो 2 अणुवूहति, तते णं धारिणीदेवी सेणियस्स रन्नो अंतिए एयमटुं सोचा णिसम्म हट्ट जाव हियया तं सुमिणं सम्म पडिच्छति 2 जेणेव सए वासघरे तेणेव उवागच्छति 2 रहाया कयबलिकम्मा जाव विपुलाहिं जाव विहरति 8 // सूत्रं 12 // तते णं तीसे धारिणीए देवीए दोसु मासेसु वीतिवकतेसु ततिए मासे वट्टमाणे तस्स गभस्स दोहलकालसमयंसि अयमेयारूवे कालमेहेसु दोहले पाउभवित्था-धनायो णं तायो अम्मयायो सपुन्नायो णं तायो अम्मयायो कयत्थायो णं तायो कयपुत्रायो कयलक्खणायो कयविहवायो सुलद्धेणं तासिं माणुस्सए जम्मजीवियफले जायो णं मेहेसु भुग्गतेसुश्रभुज्जुएसु प्रभुनतेसु अभुट्ठिएसु सगजिएसु सविज्जुएसु सफुसिएसु सथणिएसु धंतधोत-रुप्पपट्ट. अंकसंख-चंदकुद-सालि-पिट्ठरासि-समप्पमेसु चिउर-हरियाल-भय-चंपग-सण (कवण)-कोरंट-परिमय(ग)-पउमरय-समप्पभेसु लक्खारस-सरसरत्त-किसुयजासुमण-रत्तबंधुजीवग-जाति-हिंगुलय-सरसकुकुम-उरम्भससरुहिर इंदगोवगसमप्पभेसु बरहिण-नीलगुलिय -सुगचासपिच्छ-भिंगपत्त मास(म)ग-नीलुप्पलनियर-नवसिरीस-कुसुम-णव-सदल-समप्पभेसु जच्चंजण-भिंगभेय-रिट्ठग-भमराबलि-गवल-गुलिय-कजल-समप्पभेसु फुरंत-विज्जुतसगजिएसु वायवस-विपुलगगण-चवल-परिसकिरेसु निम्मल-वरवारिधारा-पगलिय-पयंडमारुय-समाइय Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15) [ ममदागमसुभासिन्धुः / चतुर्थो विमामः समात्यरत-उपरिवरि(मयय)उरियवासं पवासिएसु धारापहकर-णिवायनिम्बाविय मेइणितले हरियगणकंचुए पल्लविय पायवगणेसु वल्लिवियाणेसु पसरिएसु उन्नएसु सोभग्गमुवागएसु (नगेतु नएसु वा) वेभारगिरिप्पवायतडकडगविमुक्केसु उज्झरेसु तुरिय पहाविय-पलोट्ट-फेणाउलं सकलुसं जलं वहंतीसु गिरिनदीसु सज्जज्जुण जीव-कुडय-कंदल-सिलिंध-कलिएसु उववणेसु मेहरसिय-हट्टतुटुचिट्ठिय हरिसवस-पमुक्कंठकेकारखं मुयंतेसु वरहिणेसु उउवसमय-जणिय-तरुण-सहयरि-पणचितेसु नवसुरभि-सिलिंध-कुडय-कंदल-कलंबगंघदणि मुयंतेसु उबवणेसु परहुय-स्यरिभित-संकुलेसु उद्दायंत-रत्तइंदगोवय-थोत्रय-कारुनविलवितेसु योणयतणमंडिएसु दद्द रपयंपिएसु संपिडिय-दरियभमर महुकरि-पहकर-परिलित-मत्तछप्पय-कुसुमासवलोल-मधुरगुजंतदेसभाएसु उववणेसु परिसा(ज्मा, भा)मिय-चंदसूर गहगण-पण?-नक्खत्ततारगपहे इंदाउहबद्धचिंधपट्टसि अंबरतले उड्डीण-बलाग-पंतिसोमंत-पंतिसाभंत-मेहविंदे कारंडग-चकवाय-कलहंस-उस्सुयकरे संपत्ते पाउसंमि काले राहाया कयवलिकामा कयकोउय-मंगलपायच्छित्तायो किं ते वरपायपत्तणेउर-मणिमेहलहार-रइय(उचिय)कडग-खुड्य-विचित्त-वरवलय-थंभियभुयायो कुंडल-उज्जोवियाणणायो (कुंडलोज्जोतितानना वरपायपत्त-नेउर-मणि-मेहला- हाररइय--उचियकडग खुड्डय-एगावलिकंठमुरय-तिसरय-बरखलय-हेमसुत्त-कुंडलु-जोबियाणणायो) रयणभूसियंगायो नासानीसास-वायवोझ चक्खुहरं वरणफरिस-संजुत्तं हयला. लापेलवाइरेयं धवल कणय-खचियन्त-कम्मं श्रागासफलिह-सरिसप्पभं अंसुयं पवर परिहियायो दुगूल-सुकुमाल-उत्तरिजात्रो सव्वोउय-सुरभिकुसुम-पवरमल्लसोभितसिरायो (सुरइय-पलंबमाण-सोहमाण-कंतविकसंत-चित्तमालाश्रो) कालागरू धूवधूवियायो सिरिसमाणवेसायो सेयणय-गंधहत्थिरयणं दुरूढायो समाणीयो सकोरिटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं चंदप्यम-इर-वेरुलियविमलदंड-संख-कंद-दगरय-श्रमयमहियफेण पुज-सनिगास--चउचामरवाल-वी Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञानाधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् ) .. [17 जितंगीयो (सेयवरचामरेहिं उडुबमाणीहिं 2) सेणिएणं रन्ना सद्धिं हत्थिखंधवरगएणं पिट्ठो समगुगच्छमाणीयो चाउरंगिणीए सेणाए महता हयाणीएणं गयाणिरणं रहाणिएणं पायत्ताणीएणं सब्बड्डीए सबजुइए जाव निग्यो तणादियरवेणं रायगिहं नगरं सिंघाडग-तियचउकचच्चर-चउम्सुह-महााह-पहेसु बासितसित्त-सुचिय-संमजियोवलित्तं नाव सुगंधवरगंधियं गंधवट्टीभूयं अवलोएमाणीयो नागरजणेणं अभिणंदिजमाणीयो गुच्छ-लया-रुक्खगुम्म-वल्लि-गुच्छ श्रोच्छाइयं सुरम्मं वेभारगिरि-कडग-पायमूलं सव्वश्रो समंता (पोलोएमाणीयो 2) श्राहिंडेमाणीयो 2 दोहलं विणियंति, तं जइ णं अहमवि मेहसु अभुवगएसु जाव दोहलं विणिज्जामि // सूत्रं 13 // तए णं सा धारिणी देवी तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि असंपन्नदोहला असंपुन्नदोहला असंमाणियदोहल्ला सुक्का भुवखा णिम्मंसा श्रोलुग्गा श्रोलग्गसरीरा पमइलदुब्बला किलंता श्रोमंथिय-वयणनयणकमला पंडुइयमुही करयलमलियब्व चंपगमाला णित्तेया दीणविवराणवयणा जहोचियपुष्पगंध-मल्लालंकारहारं अभिनसमाणी कीडारमणकिरियं च परिहावेमाणी दीणा दुम्मणा निराणंदा भूमिगयदिट्ठीया श्रोहयमणसंकप्पा जाव झियायइ 1 / तते णं तीसे धारिणीए. देवीए अंगपडियारियायो अभितरियायो दासचेडीयायो धारिणीं देवीं भोलुग्गं जाव झियायमाणिं पासंति पासित्ता एवं वदासी-किगणं तुमे देवाणुप्पिए ! भोलुग्गा श्रोलुग्गसरीरा जाव झियायसि ? 2 / तते णं सा धारणी देवी ताहिं अंगपडियारियाहिं अभितरियाहिं दासचेडियाहिं एवं वुत्ता समाणी (तायो चेडीयो) नो अाढाति णो य परियाणाति अणाढायमाणी अपरियाणमाणी तुसिणिया संचिट्ठति 3 / ततेणं तायो अंगपडियारियायो अभितरियायो दासचेडियायो धारिणीं देवीं दोच्चपि तच्चमि एवं वयासी-किन्नं तुमे देवाणुप्पिए!श्रोलुग्गा भोलुग्गसरीरा Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः जाव मियायसि ? 4 / तते णं सा धारिणीदेवी ताहिं अंगपडियारियाहिं अभितरियाहिं दासचेडियाहिं दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्ता समाणी णो श्रादाति णो परियाणति अणाढायमाणा अपरियायमणा तुसिणिया संचिट्ठति 5 / तते णं तायो अंगपडियारियायो दासचेडियायो धारिणीए देवीए अणाढातिजमाणीयो अपरिजाणिजमाणियो तहेव संभंतायो समाणोश्रो धारणीए देवीए अंतियायो पडिनिक्खमंति 2 जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति 2 करतलपरिग्गहियं जाव कटु जएणं विजएणं वद्धाति वद्धावइत्ता एवं वदासी-एवं खलु सामी ! किंपि अज धारिणीदेवी शोलुग्गा श्रोलुग्गसरीरा जाव अट्टज्माणोवगया झियाय ते 6 / तते णं से सेणिए राया तासिं अंगपाडियारियाणं अंतिए एयम8 सोचा णिसम्म तहव संभंते समाणे सिग्धं तुरियं चवलं वेइयं जेणेव धारिणीदेवी तणेव (पहारेत्थगमणाए) उवागच्छइ उवागच्छइत्ता धारणी देवीं बोलुग्गं श्रोलुग्गसरीरं जाव अट्टज्माणोवगयं झियायमाणिं पासइ पासित्ता एवं वदामी-किन्नं तुमे देव णुप्पिए ! अोलुग्गा अोलुग्गसरीरा जाव अट्टज्माणोवगया झियायसि ? 7 / तते णं सा धारणी देवी सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ता समाणी नो थाढाइ जाव तुसिणीया संचिट्ठति 8 / तते णं से सेणिए राया धारिणी देवी दोच्चंपि तच्चपि एवं वदासी-किन्नं तुमे देवाणुप्पिए ! यो नुग्गा जाब झिवापसि ? 1 / तते णं सा धारिणीदेवी सेणिएणं रना दोच्चपि तच्चपि एवं वुत्ता समाणी णो श्रादाति णो परिजाणाति तुसिणीया संचिट्ठइ 10 / तते णं सेणिए राया धारणिं देवि सवहसावियं करेइ 2 ता एवं वयासी-किराणं (किराहं किराणं) तुमं देवाणुप्पिए ! अहमेयम्स अट्ठस्म अणरिहे सवणयाए, ताणं तुमं ममं अयमेयास्वं मणोमाणसियं दुक्खं रहस्सी करेसि ? 11 / तते णं सा धारिणीदेवी सेणिएणं रन्ना सबहसाविया ममाणी सेणियं रायं एवं बदासी-एवं खलु सामी ! मम तस्स उरालस्स जाव महासुमिणस्स तिगह Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् ] मासाणं बहुपडिपुन्नागां अयमेयारूवे अकालमेहेसु दोहले पाऊभूए-धन्नायोणं तायो अम्मयायो कयत्थाश्रो णं तायो अम्मयात्रो जाव वेभारगिरिपायमूलं आहिंडमाणीयो डोहलं विणिति, तं जइ गां अहमवि जाव डोहलं विणिजामि, तते गां हं सामी ! अयमेयास्वंसि अकालदोहलंसि अविणिजमाणंसि अोलुग्गा जाय अट्टज्माणोवगा झियायामि, एएणं अहं कारणेणं सामी ! भोलुग्गः जाव अट्टज्माणोवगया झियायामि 12 / तते णं से सेणिए राया धारिणीए देवीए अंतिए एयम४ सोचा णिसम्म धारिणिं देविं एवं वदासी-मा णं तुम देवाणुप्पिए / बोलुग्गा जाव मियाहि, अहं णं तहा जत्तिहामि (करिम्सामि) जहा णं तुम्भं अयमेयारूवस्स अकालदोहलस्स मणोरहसंपत्ती भविस्संइत्तिकट्टु धारिणी देवीं इट्टाहिं कंताहिं पियाहिं मणुनाहिं मणामाहिं वग्गूहि समासासेइ 2 जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छइत्ता सीहासणवरगते पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने धारिणीए देवीए एयं अकालदोहलं बहहिं पाएहि य उवाएहि य उप्पत्तियाहि य वेणइयाहि य कम्मियाहि य परिणामियाहि य चउनिहाहिं बुद्धीहिं अणुचिंतेमाणे 2 तस्स दोहलस्स आयं वा उवायं वा ठिई वा कम वा (उप्पत्ति वा) अविंदमाणे श्रोहयमणसंकप्पे जाव झियायति 13 // सूत्रं 14 // तदाणंतरं अभए कुमारे राहाते कयबलिकम्मे जाव सव्वालं. कारवि सिए पायवंदते पहारेत्थ गमणाए 1 / तते णं से अभयकुमारे जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छइत्ता सेणियं श्रोहयमणसंकप्पं (झियायमाणं) जाव पासइ 2 त्ता अयमेयारूवे अब्भत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगते संकप्पे समुप्पजित्था-अन्नया य ममं सेणिए राया एजमाणं पासति पासइत्ता पाढाति परिजाणति सकारेइ सम्माणेइ बालवति संलवति अा. सणेणं उवणिमंतेति मत्थयंसि अग्घाति, इयाणिं ममं सेणिए राया णो श्राढाति णो परियाणइ णो सकारेइ णो सम्माणेइ गो इट्टाहिं कंताहिं कप (भियायमाणपजित्या-अन्नया सम्मायोइ बाला सेणिए राय Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः पियाहिं मणुनाहिं (मणामाहि) थोरालाहिं वग्गूहिं पालवति संलवति नो श्रद्धासणेणं उवणिमंतेति णो मत्थयंसि अग्वाति य, किंपि श्रोहयम. णसंकप्पे मियायति, तं भवियव्व णं एत्य कारणेणं, तं सेयं खलु म सेणियं रायं एयमट्ठ पुच्छित्तए, एवं संपेहेइ 2 जेणामेव सेगिए राया तेणामेव उवागच्छइ 2 करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ वद्धावइत्ता एवं वदासी-तुम्भे णं तायो ! यन्नया मम एजमाणं पासित्ता श्रादाह परिजाणह जाव मत्थयंसि अग्घायह घासणेणं उवणिमंतेह, इयाणि तायो ! तुम्भे ममं नो श्रादाह जाव नो श्रामणेणं उपणिमंतेह किंपि श्रोहयमणसंकप्पा जाव झियायह, तं भवियव्वं तो ! एत्थ कारो, तो तुम्भे मम तायो ! एयं कारणं अगू. हेमाणा असंकेमाणा श्रनिराहवेमाणा अप्पच्छाएमाणा. जहाभूतमवितहमसंदिद्धं एयमट्ठमाइक्खह, तते णं हं तस्स कारणस्स अंतगमणं गमिस्सामि 2 / तते णं से सेणिए राया अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे अभयकुमारं एवं वदासी-एवं खलु पुत्ता ! तव चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए तरस गम्भस्स दोसु मासेसु अइक्कतेसु तइयमासे वट्टमाणे दोहलकालसमयंसि अयमेयारूवे दोहले पाउभवित्था-धन्नात्रो णं तायो अम्मयायो तहेब निरवसेसं भाणियव्वं जाव विणिति, तते णं अहं पुत्ता धारिणीए देवीए तस्स अकालदोहलस्स बहूहिं पाएहि य उवाएहिं जाव उप्पत्ति अविदमाणे श्रोहयमणसंकप्पे जाव मियायामि, तुमं प्रागपि न याणामि, तं एतेणं कारणेणं अहं पुत्ता ! श्रोहय जाव झियामि 3 / तते णं से अभयकुमारे सेणियस्स रन्नो अंतिए एयमट्ट सोचा णिसम्म हट्ठ जाव हियए सेणियं रायं एवं वदासी-मा णं तुम्भे तायो ! श्रोहयमण जाव झियायह, अहराणं तहा करिस्मामि जहा णं मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारुवस्स अकालडोहलस्स. मणोरहसंपत्ती भविस्सइत्तिकट्टु Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् ] . [.17 सेणियं रायं ताहिं इटाहि कंताहिं जाव समासासेइ 4 / तते णं सेणिए राया अभोणं कुमारेणं एवं कुत्ते समाणे हट्टतुढे जाव अभयकुमारं सकारेति संमाणेति 2 पडिविसज्जेति 5 // सूत्रं 15 // तते णं से अभयकुमारे सकारियसम्माणिए पडिविसजिए समाणे सेणियस्स रन्नो अंतियायो पडिनिक्खमइ 2 जेणामेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छति 2 सीहासणे निसन्ने 1 / तते गां तस्स अभयकुमारस्स श्रयमेयारूवे अब्भस्थिए जाव समुप्पन्जित्था-नो खलु सक्का माणुस्सएणं उवाएणं मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अकालडोहल मणोरहसंपत्ति करेत्तए णन्नत्थ दिव्वेणं उवाएणं, अत्थि णं मझ सोहम्मकप्पवासी पुव्वसंगतिए देवे महिड्डीए जाव महासोक्खे, तं सेयं खलु मम पोसहसालाए पोसहियस्स बंभचारिस्स उम्मुक्क-मणिसुवन्नस्स ववगय-मालावन्नग-विलेवणस्स निक्खित्त-साथमुसलस्स एगस्स अबीयस्स दब्भसंथारोवगयस्स अट्ठमभन परिगिरिहत्ता पुवसंगतियं देवं मणसि करेमाणस्स विहरित्तए, तते णं पुव्वसंगतिए देवे मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवे अकालमेहेसु डोहलं विणेहिति 2 / एवं संपेहेति 2 जेणेव पोसहसाला तेणामेव उवागच्छति 2 पोसहसालं पमजति 2 उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ 2 दम्भसंथारगं पडिलेहेइ 2 डब्भसंथारगं दुरूहइ 2 अट्ठमभत्तं परिगिराहइ 2 पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जार पुषसंगतियं देवं मणसि करेमाणे 2 चिट्ठइ 4 / तते गां तस्स अभयकुमारस्स अट्ठमभत्ते परिणाममाणे पुब्वसंगतिग्रस्स देवस्स श्रासणं चलति, तते णं पुव्वसंगतिए सोहम्मकप्पवासी देवे पासणं चलियं पासति 2 श्रोहिं पउंजति 5 / तते गां तस्ल पुव्वसंगतियस्स देवस्स अयमेयाख्वे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु मम पुत्वसंगतिए जंबद्दीवे 2 भारहे वासे दाहिणभरहे वासे रायगिहे नयरे पोसहसालाए पोसहिए अभए नाम कुमारे श्रट्ठमभत्तं Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः परिगिरिहत्ता गां मम मणसि करमाणे 2 चिट्ठति, त सेयं खलु मम अभयस्स कुमारस्स अंतिए पाऊभवित्तए 6 / एवं संपेहेइ 2 उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमति 2 वेउब्वियसमुग्याएणं समोहणति 2 संखेजाई जोयणाई दंडं निसिरति, तंजहा-रयणाणं 1 वडराणं 2 वेरुलियाणं 3 लोहियक्खाणां 4 मसारगलाणं 5 हंसगम्भाणं 6 पुलगाणं 7 सोगंधेियाणं 8 जोइरसाणं 1 अंकाणं 10 अंजणाणं 11 रयणाणां 12 जायसवाणं 13 अंजणपुलगाणां 14 फलिहाणं 15 रिट्ठागां 16, अहानायरे पोग्गले परिसाडेइ 2 श्रहासुहुमे पोग्गले परिगिराहति परिगिराहइत्ता अभयकुमार-मणुकंपमाणे देवे पुव्वभवजणियनेह-पीइबहुमाण-जायसोगे(जणियसोहे) तथो विमाणवरपुंडरीयायो रयणुत्तमायो धरणियल-गमणतुरित-संजणित-गमणपयारो वाघुरिणत-विमल-कणग-पयरग-वडिंसग(पकंपमाण-चललोल-ललियपरिलंबमाण-नरमगर-तुरग-मुहसय-विणिग्गिन्नपवरमोत्तिप-विरायमाण)मउडुक्कडाडोव-दंसणिजो अणेगमणि-कणग-रतण-पहकर. परिमंडेत(भाग)भत्तिचित्त- विणिउत्त-गमगगुण-जणियहरिसे (जणिाय-खो लमाण-वरललित-कुंडलु जलिय-अहियाभरण-(वयणगुण)-जनितसोभे गर, जलमलविमल-दसणविरायमाण-रुवे उदितोविव कोमुदीनिसाए सणिच्छरंगार-उजलिय मझभागत्थे णयणाणंदो सरयवंदो दिव्वो सहि-पजलुजलियदसणाभिरामो उउ-लच्छि-समत-जायसोहे पइट्टगंधुद्धयाभिरामो मेरिव नगवरो विगुब्वियवित्रितवेसे दीवसमुदाणं असंखपरिमाण-नामधेजाणं मज्झंकारेगां वोइवयमाणो उज्जोयंतो पभाए विमलाते जीव लोगं रायगिहं पुरवरं च अभयरस य तस्स पास उवयति दिवरूपधारी 7 // सूत्रं 16 // तते गां से देवे अंतलिक्खपडिवन्ने दसद्धवन्नाइं सखिखिणियाई पवरवस्थाई परिहिए, एको ताव एसो गमो 1 / अराणोऽवि गमो-ताए उकिहाए तुरियाए लाए चंडाए सीहाए उद्धृयाए, जतिणाए छेयाए दिव्वाए Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [16 श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् ] ... देवगतीए जेणामेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे जेणामेव दाहिग द्धभरहे रायगिहे नगरे पोसहसालाए अभयए कुमारे तेणामेव उवागच्छइ 2 अंतरिक्खपडिवन्ने दसद्धवन्नाइं सखिखिणियाइं पवरवत्थाइं परिहिए अभयं कुमारं एवं वयासी-अहन्नं देवाणुप्पिया ! पुव्वसंगतिए सोहम्मकप्पवासी देवे महड्डिए जराणां तुमं पोसहसालाए अट्ठमभत्तं पगिरिहत्ता गां ममं मणसि करेमाणे चिट्ठसि तं एस गां देवाणुप्पिया ! अहं इहं हबमागए, संदिसाहि गां देवाणुप्पिया ! किं करेमि किं दलामि किं पयच्छामि किं वा ते हियइच्छितं ? 2 / तते गां से अभए कुमारे तं पुवसंगतियं देवं अंतलिक्खपडि. वन्नं पासइ पासित्ता हतु? पोसह पारेइ 2 करयलपरिगहियं जाव अंजलि कटु एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारवे अकालडोहले पाउन्भूते-धन्नायो ग तायो अम्मेयायो तहेव पुजगमेणं जाव विणिजामि, तन्नं तुमं देवाणुप्पिया ! मम चुल्लमाउराए धारिणीए देवीए अयमेयास्वं कालडोहलं विणेहि 3 / तते णं से देवे अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठतु? अभयकुमारं एवं वदासी-तुमराणं देवाणुप्पिया! सुणिव्यवीसत्थे अच्छाहि, अहराणं तव चुलमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवं डोहलं विणेमीतिकटु अभयस्स कुमारस्स अंतियाश्रो पडिणिक्खमति 2 उत्तरपुरच्छिमे णं वेभारपव्वए वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहगणति 2 संखेजाइं जोयणाई दंडं निस्सरति जाव दोच्चंपि वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहराणति 2 खिप्पामेव सगजतियं सविज्जुयं ...सफुसियं तं पंचवन्न-मेहणिणाश्रोव-सोहियं दिव्वं पाउससिरिं विउव्वेइ 2 जेणेव अभए कुमारे तेणामेव उवागच्छइ 2 अभयं कुमारं एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए तब पियट्टयाए सगजिया सफुसिया सविज्जुया दिव्वा पाउससिरी विउब्बियां, तं विणेउ णं देवाणुप्पिया ! तव चुल्लमाउया धारिणीदेवी श्रयमेयारूवं अकालडोहलं 4 / तते णं से अभयकुमारे तस्स पुवसंगति Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीभदागमसुधासिन्कु / चतुर्थो दिमाग यस्स देवस्स सोहम्मकष्पवासिस्स अंतिए एयमटुं सोचा णिसम्म हट्टतुट्टे सयातो भवणाश्रो पडिनिक्खमति 2 जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छति करयल जाव अंजलिं कटु एवं वदासी-एवं खलु तायो ! मम पुव्वसंगतिएणं सोहम्मकप्पवामिणा देवेणं खिप्पामेव सगजिता सविज्जुता पंचवन्न मेहनिनायोव-सोभिता दिव्वा पाउससिरी विउब्बिया, तं विणेउ णं मम चुलमाउया धारिणी देवी अकालदोहलं / / तते णं सेणिए राया अभयस्स कुमारस्स अंतिए एतम8 सोचा णिसम्म हट्टतुट्टे जाव कोडवियपुरिसे सदावेति सदावइत्ता एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! रायगिहं नयरं सिंघाडग-तिय-चउक-चचर-वउमुह-महापह-पहसु प्रासित्तोसित्तविपुलबट्ट-वग्धारिय-मल्लदामालावंजाव सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेहय 2 मम एतमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तते णं ते कोडुबियपुरिसाजाव पचप्पिणंति 6 / ततेणं से सेणिए राया दोच्चपि कोडुबियपुरिसे सहावेइ 2 एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! हयगयरह-जोह-पवरकलितं चाउरंगिणिं सेन्नं सन्नाहेह सेयणयं च गंधहत्यि परिकप्पेह, तेवि तहेव जाव पचप्पिांति 7 / तते णं से सेणिए राया जेणेव धारिणीदेवी तेणामेव आगच्छति 2 धारिणीं देवीं एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिए। सगजिया जाव पाउससिरी पाउन्भूता तराणं तुम देवाणुप्पिए ! एवं अकालदोहलं विणेहि 8 / तते णं सा धारिणीदेवी सेणिएणं स्ना एवं वुत्ता समाणी हट्टतुट्ठा जेणामेव मजणघरे तेणेव उवागच्छति 2 मजणघरं अणुपविसति 2 अंतो अंतेउरंसि गहाता कतबलिकम्मा कतकोउय-मंगल-पायच्छिता, किं ते वरणायपत्तणेउर जाव श्रागासफालियसमप्पभं अंसुयं नियत्था सेयणयं गंधहत्थिं दूरूढ़ा समाणी श्रमयमहिय-फेणपुज-सगिणगासाहि सेयचामरवालवीयणीहिं वीइजमाणी 2 संपत्थिता 1 / तते गां से सेणिए राा गहाए कयबलिकम्मे नाव सस्सिरीए हथिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 21 श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् ] छत्तेगां धरिजमाणेणं चउचानराहिं वीइजमाणेणं धारिणीदेवीं पिट्ठतो अणुगच्छति 10 / तते णं सा धारिणीदेवी सेणिएणं रन्ना हत्थिखंधवरगएणं पिट्ठतो पिट्ठतो समणुगम्ममाणमग्गा हयगय-रहजोह-कलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिखुए महता भडचडगरवंदपरिखित्ता सन्धिड्डीए सव्वजुइए जाव दुदुभि-निग्घोस-नादितरवेणं रायगिहे नगरे सिंघाडगतिगवउक्कचच्चर जाव महारहेसु नागरजणेणं अभिनंदिजमाणा 2 जेणामेव वेभारगिरिपव्वए तेगामेव उवागच्छति 2 वेभारगिरि-कडग-तडपायमूले बागमेसु य उजाणेसु य काणणेसु य वणेसु वणमंडेसु य रुक्खेसु य गुच्छेसु य गुम्मेसु य लयासु य वल्लीसु य कंदरासु य दरीसु य चुराढीसु य दहेसु य क छेसु य नदीसु य संगमेसु य विवरतेनु य अच्छमाणी य पेच्छमाणी य मज्जमाणी य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य पल्लवाणि य गिराहमाणी य माणेमाणी य अग्घायमाणी य परिभुजमाणी य परि. भाएमाणी य केभारगिरिपारमूले दोहलं विणेमाणी सव्वतो समंता अाहिंडति 1 / / तते णं धारिणी देवी विणीतदोहला संपुन्नदोहला संपन्नडोहला जाया यावि होत्था 12 / तते णं से धारिणीदेवी सेयणयगंधहत्थि दूरूदा समाणी सेणिएणं. हत्थिखंधवरगएणं पिट्ठयो 2 समगुगम्ममाणमग्गा हयगय जाव रहेणं जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छइ 2 रायगिहं नगरं मझमज्झेणं जेणामेव सए भरणे तेणामेव उवागच्छति 2 ता विउलाई माणुस्साई भोगभोगाइं जाव विहरति 13 // सूत्रं 17 // तते णं से अभए कुमारे जेणामेव पोसहमाला तेणामेव उवागच्छइ 2 पुब्बसंगतियं देवं सकारेइ सम्माणोइ 2 पडिविसज्जेति 2, तते णं से देवे सगजियं पंचवन्नं मेहोवसोहियं दिलं पाउससिरिं पडिमाहरति 2 जामेव दिसि पाउम्भूए तामेव दिसि पडिगते // सूत्रं 18 // तते णं सा धारिणीदेवी तंसि अकालदोहलंसि विणीयंसी सम्माणियडो Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 220 / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः हला तस्स गभस्स अणुकंपणट्टाए जयं चिट्ठति जयं श्रासयति जयं सुवति थाहारंपिय णं पाहारेमाणी णाइतित्तं णातिकडुयं णातिकसायं णातियविलं णातिमहुरं जं तस्स गम्भस्स हियं मियं पत्थयं देसे य काले य श्राहारं अाहारेमाणी णाइचिन्तं णाइसोगं णाइदेराणं णाइमोहं णाइभयं णाइपरितासं(ववगय-चित्तसोयमोहभयं उदुभयमाण-परितोसा सुहेहिं) भोयणच्छायण-गंधमल्लालंकारेहिं तं गम्भं सुहंसुहेणं परिवहरति // सूत्रं 11 // तते णं सा धारिणीदेवी नवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं श्रद्धट्ठमाणरातिदियाणं वीतिक्कंताणं अद्धरत्तकालसमयंसि सुकुमालपाणिपादं जाव सव्यंगसु. दरंगं दारगं पयाया 1 / तए णं तायो अंगपडियारिपायो धारिणी देवीं नवराहं मासाणं जाव दारगं पयायं पासन्ति 2 सिग्धं तुरियं चवलं वतिय जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति 2 सेणियं रायं. जएणं विजएणं वद्धावेति 2 करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! धारिणीदेवी णवराहं मासाणं जाव दारगं पयाया तन्नं अम्हे देवाणुपियाणं पियं णिवेदेमो पियं भे भवउ 2 / तते णं से सेणिए राया तासिं अंगपडियारियाणं अंतिए एयमढे सोचा णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव तायो अंगपडियारियाओ महुरेहिं वयणेहिं विपुलेण य पुष्पगंधमलालंकारेणं सकारेति सम्माणेति 2 मत्थयधोयायो करेति पुत्ताणुपुत्तियं वित्तिं कप्पेति 2 पडिविसज्जेति 3 / तते णं से सेणिए राया कोडुबियपुरिसे सहावेति 2 एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पया ! रायगिहं नगरं पासिय जाव परिगयं करेह 2 चारगपरिसोहणं करेह 2 त्ता माणुम्माणवद्धणं करेह 2 एतमाणत्तिवं पञ्चप्पिणह जाव पञ्चप्पिणंति 4 / तते णं से सेणिए राया अट्ठारस-सेणीप्पसेणीयो सद्दावेति 2 एवं वदासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! रायगिहे नगरे श्रभितरबाहिरिए उस्सुक्कं उक्करं अभडप्पवेसं श्रदंडिमकुडंडिमं श्रधरिम. श्रधारगिज श्रणुद्ध. Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ल च बहवे श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् ] . [ 23 यमुइंगं अमिलायमल्लदामं गणियावर-णाडइजकलियंत्रणेगतालायराणुचरितं पमुइ अपकीलियाभिरामं जहारिहं दसदिवसियं ठिइवडियं करेह 2 एयमाणत्तियं पञ्चप्पि पह, तेवि करिति 2 तहेव पचप्पिणंति 5 / तए णं से सेणिए राया बाहिरियाए उअट्ठाणसालाए सीहा सणवरगए पुरत्याभिमुहे सन्निसन्ने सइएहि य साहस्मिएहि य सशसाहस्सेहि य जाएहिं दाहिं भागेहिं दलयमाणे 2 पडिन्छेमाणे 2 एवं च णं विहरति 6 / तते णं तस्स अम्मापियरो पढमेदिवसे जातकम्मं करेंति 2 बितियदिवसे जागरियं करेंति 2 ततिए दिवसे चंदसूरदंसणियं करेंति 2 एवामेव निव्वत्ते असुइजायकम्मकरणे (सुइजातकम्मकरणे) संपत्ते बारसाहदिवसे विपुलं असणं पाणं खातिमं सातिमं उवक्खडावेंति 2 मित्त-णाति-णियग-सयण-संबंधि-परिजणं बलं च बहवे गणणाग दंडणायग जाव अामन्तेति ततो पच्छा राहाता कपबलिकम्मा कयकोउय जाव सव्वालंकारविभूमिया महतिमहालयंसि भोयणमंडवंसि तं विपुलं असणं पाणं खाइमं सातिमं मित्तनाति गणणायग जाव सद्धि प्राप्ताएमाणा विमाएमाणा परिभाएमाणा परिभुजेमाणां एवं च णं विहरति, जिमितभुत्तुतरागतावि य णं समाणा श्रायंता चोक्खा परमसुइभूया तं मित्तनाति-नियग-सयणसंबंधि-परिजण-गणणायग-दंडनायग जाब विपुलेणं पुष्फवस्थ गंधमलालंकारेणं सकारेंति सम्माणति 2 एवं वदासी-जम्हा णं अम्हं इमम्स दारगरस गम्भत्थस्म चेव समाणस्स अकालमेहेसु डोहले पाउभृते तं होउ णं अम्हं दारए मेहे नामेणं मेहकुमारे. तस्स दारगस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं गोराणं गुणनि'फन्नं नामधेज्जं करेंति (मेहात्ति) 7 / तते णं से मेहकुमारे पंचधातीपरिग्गहिए, तं जहा-खीरधातीए मंडणधातीए मजणधातीए कीलावणधालीए अंकधातीए, अन्नाहि य बहूहिं खुजाहिं चिलाइयाहिं वामणि-वडभिबचरि-बउसि--जोणिय-पल्हविण-इसिणिया-चाधोगिणि-लासियलउसिय-दमिलि-सिंहलि-भारबि-पुलिंदि-पकणि-बहलि-मरुडि सबरि-पारसीहिं कपकाउय जाव सामन्तीत ततो पच्छा Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभाग णाणादेमीहिं विदेस-परिमंडियाहिं इंगित-चिंतिय-पत्थिय-वियाणियाहिं सदेसणेवत्थ गहितसाहिं निउणकुसलाहिं विणीयाहिं चेडियाचकवाल-वरिसधरकंचुइअ-महयरग-वंदपरिखिते हत्यायो हत्थं संहरिजमाणे अंकायो अंक परिभुजमाणे परिगिजमाणे चालिजमाणे उवलालिजमाणे (उप्रणचिन्जमाणे 2, उबगाइजमाणे 2, उवलालिजमाणे 2, अवगहिजमाणे 2, अक्यासिजमाणे 2, परिवंदिजमाणे 2, परिचुबिजमाणे 2) रम्मंसि मणिकोट्टेमतलंसि परिमिजमाणे 2 णिव्वायणिव्याघायंसि गिरिकंदरमल्लीणेव चंपगपायवे सुहं सुहेणं वड्डइ 8 / तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो अणुपुवेणं नामकरणं च पजेमणं च एवं चंकम्मणगं च चोलोवणयं च महता महया इड्डीमकारसमुदएणं करिंसु 1 / तते णं तं मेहकुमारं अम्मापियरो सातिरेगट्ठवासजातगं चेव गभट्ठमे वासे सोहणं से तिहिकरणमुहुत्तंसि कलायरियस्स उवणेति 10 / तते णं से कलायरिए मेहं कुमारं लेहाइयायो गणितप्पहाणायो सउणस्तपज्जवसाणायो बावत्तरि कलायो सुत्तयो य अत्थयो य करणयो य सेहावेति सिक्खा. वेति, तंजहा-लेहं गणियं रूवं नट्ट गीयं वाइयं सरम(ग)यं पोक्खरगयं समतालं जूयं 10 जणवायं पासयं अट्ठावयं पोरेकच्चं दगमट्टियं अन्नविहिं पाणविहिं वत्थविहिं विलेवणविहिं सयणविहिं 20 अज्ज पहेलियं मागहियं गाहं गीइयं सिलोयं हिरण्णजुत्तिं सुबन्नजुत्ति चुनजुत्ति अाभरणविहिं 30 तरुणीपडिकम्मं इत्थिलक्खणां पुरिसलक्खयां हयलक्खणां गयलक्खणं गोणलक्खणं कुक्कुडलक्खणं छत्तलक्खणं डंडलक्खणं असि. लक्खणं 40 मणिलक्खणं कागणिलक्खणं वत्थुविज्जं खंधारमाणं नगरमागां वह परिवूहं चारं परिचारं चकवूहं 50 गरुलवूहं सगडवूहं जुद्धं निजुद्धं जुदातिजुद्धं अट्टियुद्धं मुट्ठियुद्धं बाहुयुद्धं लयाजुद्धं ईसत्थं 60 छरुपवायं धणुव्वेयं हिरन्नपागं सुवन्नपागं सुत्तखेडं वट्टखेड Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञातधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] [15 नालियाखेडं पत्तच्छेज्ज कडच्छेज्ज सजीवं 70 निजीवं सऊणस्यमिति 10 // सूत्रं 20 // तते णं से कलायरिए मेहं कुमारं लेहादीयायो गणियप्पहाणाश्रो सउणस्य-पजवसाणायो वावत्तरि कलायो सुत्तो य अत्थयो य करणयो य सिहावेति सिवखावइ सिहावेत्ता सिकखावेत्ता अम्मापिऊणं उवणेति, तते णं मेहस्स कुमारस्स अम्मापितरो तं कलायरियं मधुरेहिं वयणेहिं विपुलेणं वत्थगंधमल्लालंकारेणं सकारेंति सम्माणेति 2 ता विपुलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयंति 2 ता पडिविसज्जेति // सूत्रं 21 // तते णं से मेहे कुमारे बावत्तरिकलापंडिए णवंगसुत्तपडिबोहिए अट्ठारसविहिप्पगारदेसीभासाविसारए गीइरई गंधवनट्टकुसले हयजोही गयजोही रहजोही बाहुजोही बाहुप्पमदी अलं भोगसमत्थे साहसिए वियालचारी जाते यावि होत्था 1 / तते णं तस्स मेहकुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं बावत्तरिकलापंडितं जाव वियालचारी जायं पासंति 2 त्ता अट्ठ पासातवडिसए करेंति अब्भुग्गय-मुसियपहसिए विव मणिकणग रयणभत्तिचित्ते वाउद्भूत विजय-वेजयंती-पडागा छत्ताइच्छत्तकलिए तुगे गगणतल-मभिलं. घमाणसिहरे जालंतर-रयण-पंजरुम्मिल्लियव्व मणिकणगथूभियाए वियसितसयपत्तपुडरीए तिलयरयणद्धय-चंदचिए नानामणिमय दामालंकिते अंतो बहिं च सराहे तवणिज-रुइल-वालुयापत्थरे सुहफासे सस्सिरीयस्वे पासादीए जाव पडिस्वे, एगं च णं महं भवणं करेंति अणेगखंभ-सयसन्निविट्ठ लीलट्ठिय-सालभंजियागं अब्भुग्गय-सुक्य-वइर-वेतियातोरण-वररइय-सालभंजिया-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-लट्ठसंठित-पसत्थ-वेरुलिय-खंभ-नाणामणि-कणगरयणखचितउज्जलं बहुसम-सुविभत्त-निचिय-रमणिज-भूमिभागं ईहामिय जाव भत्तिचित्तं खंभुग्गय-वयर-वेइयापरिगयाभिरामं विजाहर-जमल-जुयल-जुत्रं पिव अचीसहस्स मालणीयं स्वगसहस्स-कलियं भिसमाणं भिभिसमाणं Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधातिन्धुः / / चतुर्थो विमानः चखुल्लोयणलेस सुहफासं सस्सिरीयरूवं कंचेण-मणिरयण-थूभियागं नाणाविह-पंचवन्न- घंटापडाग-परिमंडियग्गसिरं(सिहरं) धवलमिरीचिकवयं विणिम्मुयंत लाउलोइयमहियं जाव गंधवट्टिभूयं पासादीयं दरिमणिज्ज अभिरूवं पडिरूवं 2 // सूत्रं 22 // तते णं तस्स मेहकुमारस्स. अम्मापियरो मेहं कुमारं सोहणंसि तिहिकरण नक्ख. तमुहुत्तंसि सरिसियाणं सरिसव्वयाणं सरित्तयाणं सरिस लावनरूव-जोव्यणगुणोववेयाणं सरिसएहितो रायकुलेहितो थाणिल्हियाणं पसाहणटुंगविहव-बहुअोवयण-मंगलसुजंपियाहिं अट्ठहिं रायवरकराणाहिं सद्धिं एगदिवसेणं पाणिं गिराहाविसु 1 / तते णं तस्स मेहस्स अम्मापितरो इमं एतास्वं पीतिदाणं दलयंति अट्ठ हिरण्णकोडीयो अट्ठ सुवराणकोडीयो गाहाणुसारेण* भाविणयव्वं जाव पेसणकारियायो / *(गाथाइचेह नोपलभ्यन्ते, केवलं ग्रन्थान्तरानुसारेण लिख्यन्ते--"अहिरण्णसुवनय कोडोओ मउडकुडला हारा / अहहार एकावलो उ, मुत्तावला अट्ठ // 1 // कणगावलि-रयणावलि कडगजुगा तुडियजोयखोमजुगा / वडजुगपट्टजुगाई दुकूलजुगलाई अह्र वग्ग)ह // 2 // सिरिहिरिधिइकित्तीउ बुद्धी लच्छो * य होंति अठ्ठह / नंदा भद्दा य तला झय वय नाडाई आसेव // 3 // हत्थी . जाणा जुग्गा उ सोया तह संदमाणी गिजाओ। थिल्लोइ वियडजाणा रह गामा दास दासोओ॥ 4 // किंकरकंचुइ मयहर वरिसधरे तिविह दोव थाले य। पाई थासग पल्लग कनिविय अवएड अवपक्का // 5 // पावीढ भिसिय करोडियाओ पल्लंकर य पडिसिजा / हंसाईहिं विसिहा आसणभेया उ अट्ठ // 6 // हंसे 1 कुचे 2 गरुडे 3 ओणय 4 पणए 5 य दोह 6 भद्दे 7 य / * पक्खे 8 मयरे 9 पउमे 10 होइ दिसासोत्थिए 11 कारे // 7 // तेल्ले कोह..समुग्गा पत्ते चोए य तगर एला य। हरियाले हिंगुलर मणोसिला सासव समुग्गे॥४॥ खुजा चिलाइ वामणि वडभोओ बयरी उ वसियाओ / जोणिय पहवियाओ ईसिणिया घोरइणिया य॥९॥ लासिय लउसिय दमिणो सिंहलि 'तह आरबो पुलिंदो य / पक्कणि बहणि मुरंढो सबरीओ पारसीओ य // 10 // छत्तधरो चेडीओ चामरधर-तालियंटयधरीओ। सकरोडियाधरीउ खीराती पंच Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 1 ] [ 27 धावीओ // 11 // अटुंगमदियाओ उम्मदिगविगमंडियाओ य / वण्णयचुण्णय पीसिय कोलाकारी य दवगारो॥१२॥ उच्छाविया उ तह नाडइल्ल कोडुविणी महाणसिणी। भंडारिअजधारि पुप्फधरी पाणियधरो य // 13 // वलफारिस सेन्जाकारियाओ अ-भंतरी उ पाहिरिया। पडिहारी मालारी पेसणकारोउ घट्टह // 14 // ) अन्नं च विपुलं धणकणग-रयण-मणिमोत्तिय-संखसिलप्पवाल-रत्तरयणसंत-सारसावतेज्जं अलाहि जाव अासत्तमायो कुलवंसायो पकामं दाउं पकामं भोत्तुपकामं परिभाएउ 2 / तते णं से मेहे कुमारे एगमेगाए भारियाए एगमेगं हिरराणकोडिं दलयति एगमेगं सुवन्नकोडिं दलयति जाव एगमेगं पेपणकारि दलपति, अन्नं च विपुलं धणकणग जाव परिभाएउं दलयति 3 / तते णं से मेहे कुमारे उप्पिं पासातवरगते फुट्टमाणेहिं मुइंगमस्थएहिं वरतरुणिसंपउत्तेहिं बत्तीसबद्धएहिं नाडएहिं उअगिजमाणे 2 उवलालिजमाणे 2 सद्द-फरिस-रस-रूप-गंधविउले माणुस्सए कामभोगे पञ्चणुभवमाणे विहरति 4 // सूत्रं 23 // तेणं कालेणं 2 समणे भगवं महावीरे पुवाणुपुरि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणामेव रायगिहे नगरे गुणसिलए चेतिए जाव विहरति 1 / तते णं से रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग-वउक-चच्चर-चउमुह-महापहपहेसु महया बहुजणसति वा जाव बहवे उग्गा भोगा जाव रायगिहस्स नगरस्स मझमझेणं एगदिसिं एगाभिमुहा निग्गच्छति, इमं च णं मेहे कुमारे उप्पिं पासातवरगते फुट्टमाणेहिं मुयंगमत्थएहिं जाव माणुस्सए कामभोगे भुजमाणे रायमग्गं च योलोएमाणे 2 एवं च णं विहरति 2 / तए णं से मेहे कुमारे ते बहवे उग्गे भोगे जाव एगदिसाभिमुहे निग्गच्छमाणे पासति पासित्ता कंचुइजपुरिसं सदावेति 2 एवं वदासी-किन्नं भो देवाणुपिया ! अज रायगिहे नगरे इंदमहेति वा खंदमहेति वा एवं रुद्द-सिव-वेसमण-नाग-जक्ख-भूय-नई-तलाय. रुक्ख-चेतिय-पव्वय-उजाण-गिरिजत्ताइ वा जो णं बहवे उग्गा भोगा किन भो भवसमण नागा बहवे उग्गा Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [श्रीमदागममुधासिन्धुः चतुर्थो विमागा जार एगदिसि एगाभिमुहा णिग्गच्छति / तते णं से कंचुइजपुरिसे समणस्स भगवश्री महावीरस्स गहियागमणपवत्तीए मेहं कुमार एवं वदासीनो खलु देवाणुपिया ! श्रज रायगिहे नयरे इंदमहेति वा जाव गिरिजत्तायो वा, जन्नं एए उग्गा जाव एगदिसि (गाभिमुहा निग्गच्छन्ति, एवं खलु देवाणु पया ! समणे भगवं महावीरे श्राइकरे तित्थकरे जाव संपाविउकामे पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगामं दुइजमाणे इहमागते इह संपत्ते इह समोसढे इह चेव रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए अहापडि जाव विहरति 4 / // सूत्रं 24 // तते णं से मेहे (मेहे कुमारे) कंचुइजपुरिसस्स अंतिए एतमढे सोचा णिसम्म हट्टतुटे कोडबियपुरिसे सहावेति 2 एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंटे श्रासरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह, तहत्ति उवणेति 1 / तते णं से मेहे राहाते जाव सव्वालंकारविभूसिए चाउग्घंटे बासरहं दूरूढे समाणे सकोरंटमलदामेणं छत्तेणं धरिजमागणं महया भडबडगर-विंदारियाल-संपरिबुडे रायगिहस्स नगरस्स मज्झ मज्झेणं निग्गच्छति 2 जेणामेव गुणसिलए चेतिए तेणामेव उवागच्छति 2 त्ता समणस्स भगवश्रो महावीरस्स छत्तातिछत्तं पडागातिपडागं विजाहरचारणे जंभए य देवे ओवयमाणे उप्पयमाणे पासति पासित्ता चाउरघंटायो ग्रासरहाथो पचोरुहति 2 समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छति, तंजहा-सचित्ताणं दव्वाणं विउ(श्रो)सरणयाए, अचित्ताणं दवाणं अविउसरणयाए, एगसाडिय-उत्तरासंग-करणेणं, चाखुप्फासे अंजलिपग्रहेणं, मणसो एगत्तीकरणेणं (एगत्तभावेणं), जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छति 2 समणं 3 तिक्खुत्तो श्रादाहिणं (अयाहिणं) पदाहिणं करेति 2 वंदति णमंसइ 2 समणस्स भगवत्रो महावीरस्स णचासन्ने नातिदूरे सुस्सूममाणे नमंसमाणे अंजलियउडे अभिमुहे विणएणं पज्जुवासति 2 / तए णं समणे भगवं महावीरे मेहकुमारस्स तीसे य महतिमहालियार Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [28 भोज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 1 ] परिमाए मज्भगए विचित्तं धम्ममातिक्खति जहा जीवा बझति मुच्चंति जह य संकिलिस्संति धम्मकहा भाणियव्वा जाव परिसा पडिगया 3 // सूत्रं 25 // तते णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतिए धम्म सोचा णिसम्म हट्टतुटु समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रादाहिणं पदाहिणं करेति 2 वंदति नमसइ 2 एवं वदासी-सदहामि णं भंते ! णिग्गंथं पावरणं एवं पत्तियामि णं रोएमि णं अभुट्ठमि णं भंते ! निग्गथं पारयणं, एवमेयं भते ! तहमेयं अवितहमेयं इच्छितमेयं पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छितपडिच्छिर मेयं भंते ! से जहेव तं तुब्भे वदह, जं नवरं देवाणुप्पिया ! अम्मापियरो श्रापुच्चामि तयो पन्छा मुडे भवित्ता णं पव्वइस्सा:म, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 1 / तते णं से मेहे कुमारे समणं 3 वंदति नमंसति 2 जेणामेव चाउग्घंटे श्रासरहे तेणामेव उवांगच्छति 2 त्ता चाउग्घंटे बासरहं दूरूहति 2 महया भडचडगरपहकरेणं रायगिहरस नगरस्स मझमज्झेणं जेणामेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छति 2 त्ता चाउरघंटायो आसरहायो पञ्चोरूहति 2 जेणामेव अम्मापियरो तेणामेव उवागच्छति 2 ता अम्मापिऊणं पायवडणं करेति 2 एवं वदासी-एवं खलु अम्मयायो ! मए समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए धम्मे गि.सते सेवि य मे धम्मे इच्छिते पडिच्छते अभिरुइए 2 / तते णं तस्स मेहस्स अम्मापियरो एवं वदासी-धन्नेसि तुमं जाया ! मंपुन्नोऽसि तुमं जाया ! कयस्थोऽसि तुमंजाया! कयलक्खयोसि तुमं जाया! जन्नं तुमे समणस्स 3 अंतिए धम्मे णिसंते,सेवि य ते धम्मे इच्छिते पडिच्छिते अभिरुइए ३।तते णं से मेहे कुमारे अम्मापियरो दोच्चंपि तच्चंपे एवं बदासी-एवं खलु अम्मयातो ! मए समणस्स 3 अंतिए धम्मे निसंते, सेवि य मे धम्मे इच्छिते पडिच्छिते इच्छिय- . पडिच्छिए अभिलइए, तं इच्छामि णं अम्मयात्रो ! तुम्भेहिं श्रब्भणुनाए Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमसुधासिन्यु :: चतुर्थो विभागः समाणे समणस्स भगवतो महावीरस्म अंतिए मुंडे भवित्ताणं श्रागारातो अणगारियं पवइत्तए 4 / तते णं सा धारिणी देवी तमणिटुं अकंतं अधियं अमणुन्नं अमणामं असुयपुवं फरूसं गिरं सोचा णिसम्म इमेणं एतारूवेणं मणोमाणसिएणं महया पुत्तदुक्खेणं अभिभूता समाणी सेयागयः रोमकूव-पगलंत-विलीणगाया सोयभर-पवेवियंगी णित्तेया दीण-विमण-वयणा करयलमलियव्व कमलमाला तक्खण-सोलुग्ग-दुब्बल-सरीरा लावन्न-सुन्ननिच्छाय-गतिरोया पसिदिल-भूमण पडतखुम्मिय-संचुनिय-धवल-बलय-पन्भट्ठः उत्तरिजा सूमाल-विकिन्न-केसहत्था मुच्छावस-गट्ठचेयगरई परसुनियत्तव्य चंपकलया निवत्तमहिमव्व इंदलट्ठी विमुकसंधिबंधणा कोट्टिमतलंसि सव्वंगेहिं धसत्ति पडिया 5 / तते णं सा धारिणी देवी ससंभमोवत्तियाए तुरियं कंत्रण-भिंगार-मुहविणिग्गय-सीपल-जलविमलधाराए परिसिंचमाणा निधावियगायलट्ठी उखेवण-तालवंटवीयणग-जणियवाएणं सफुसिएणं अंतेउरपरिजमोणं प्रासासिया समाणी मुत्तावलि-सन्निगाम-पवडंत-अंसुधाराहिं सिंचमाणी पोहरे कलुणविमणदीणा रोयमाणी कंदमाणी तिप्पमाणी सोयमाणी विलवमाणी मेहं कुमारं एवं वयासी-६ // सूत्रं 26 // तुमंसिणं जाया ! अम्हं एगे पुत्ते इट्टे कंते पिए मणुन्ने मणामे थेज्जे वेसासिए सम्मए बहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे रयणे रयणभृते जीवियउस्सासय(जीविउस्मइए) हिययाणंदजणणे उबरपुष्पं व दुल्लभे सवणयाए किमंग पुण पासणयाए ? णो खलु जाया ! अम्हे इच्छामो खणमवि विप्पयोगं सहिंत्तते तं भुजाहि ताव जाया ! विपुले माणुस्सए कामभोगे जाव ताव वयं जीवामो तो पच्छा अम्हेहिं कालगतेहिं परिणयवए वड्डिय-कुलवंस-तंतुकमि निरावयखे समणस्स भगवश्री महावीरस्म अंतिए मुंडे भवित्ता श्रागारातो अणगारियं पब्वइस्मसि 1 / तते णं से मेहे कुमारे अम्मापिकहिं एवं वृत्ते समाणे अम्मापियरो एवं वदासी-तहेव गां तं अम्मतायो ! Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 1 ] जहेब णं तुम्हे ममं एवं वदह तुमसे णं जाया ! श्रम्हं एगे पुत्ते तं चेव जार निरावयक्खे समणस्त 3 जार पवइस्ससि, एवं खलु अम्मयायो ! माणुस्सए भवे अधुवे अणियए अमासए वसण-सउववाभिभूते विज्जुलयाचंचले अणिच्चे जलबुब्बु पसमाणे कुमग्गजलबिंदुसन्निभे संभब्भरागसरिसे सुविणदंसणोक्मे सडणपडणविद्ध सणधम्मे पच्छा पुरं च णं अवस्स विपनहणिज्जे से केणं जाणति अम्मयायो ! के पुदि गमणाए के पच्छा गमणाए ? तं इच्छामि णं अम्मयायो ! तुम्भेहिं अभणुन्नाते समाणे समणस्स भगवतो महावीरस्स जाव पव्वतित्तए 2 / तते णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो एवं वदासी-इमातो ते जाया ! (इमायो ते जायायो विपुलकुल-बालियायो कला-कुसल-सव्व-कालललियसुहायो मद्दवगुणजुत्तनिउण-विणयोवयार-पंडियवियक्खणायो मंजुलमिय-महुर-भणिय-हसियविपेक्खिय-गइ-विलास-ट्ठिय-विसारियायो अविकल-कुलसीलसालिणीयो विसुद्धकुल-ससंताण-तंतुवद्धा-पगभुम्भवप्पभाविणीयो मोणुकूल-सीलसालिणीयो अट्ठ तुज्मगुलवल्लहायो भज्जायो उत्तमायो निच्चं भावाणुरत्ता सव्वंगसुदरीश्रो)सरिसियाश्रो सरिसत्तयागो सरिसव्वयायो सरिसलावन्न-रूव-जोधण-गुणोववेयात्रो सरिसेहितो रायकुलेहितो श्राणियल्लियायो भारियायो, तं भुजाहि णं जाया ! एताहिं सद्धिं विपुले माणुस्सए कामभोगे, तयो पच्छा भुत्तभोगे समणस्स 3 जाव पव्वइस्ससि 3 / तते णं से मेहे कुमारे थम्मापितरं एवं वदासी-तहेव णं अम्मयायो ! जन्नं तुन्भे ममं एवं वदह-इमायो ते जाया ! सरिसियायो जाव समणस्स 3 पव्वरस्ससि, एवं खलं अम्मयाश्रो! माणुस्सगा कामभोगा असुई असासया वंतासवा पित्तासवा खेलासवा सुकासवा सोणियासवा दुरुस्सासनीसासा दुख्य-मुत्त-पुरिस-पूय बहुपडिपुन्ना उच्चार-पासवण-खेल-जल-सिधाणग-वंत-पित्तसुक्क-सोणित-संभवा अधुवा श्रणितिया असासया सडण-पडण-विद्ध सण Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 32) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : चतुर्थो विभागः धम्मा पच्छा पुरं च णं अवस्सविप्पजहणिजा, से के णं अम्मयात्रो! जाणंति के पुबि गमणाए के पन्छा गमणाए ?, तं इच्छामि णं अम्मयायो ! जाव पव्वतित्तए 4 / तते णं तं मेहं कुमारं अम्मापितरो एवं वदासी-इमे ते जाया ! अजयपजय-पिउपज्जयागए सुबहु हिरन्ने य सुवराणे य कसे य दूसे यमणिमोत्तिए य संख-सिलप्पवाल-रत्तरयण-संतसारसावतिज्जे य अलाहि जाव अासत्तमायो कुलवंसायो पगाम दाउं पगामं भोत्तु पकामं परिभाएउ तं अणुहोहि ताव जाव जाया ! विपुलं माणुस्सगं इडिसकारसमुदयं, तो पच्छा अणुभूयकल्लाणे समणस्स भगवयो महावीरस्म अंतेए पव्वइस्ससि 5 / तते णं से मेहे कुमारे अम्मापियरं एवं वदासी-तहेव णं अम्मयायो ! जगणं तं वदह इमे ते जाया ! अजग-पजग पिउपज-यागए जार तो पच्छा अणुभयकल्लाणे पब्वइ. स्ससि, एवं खलु अम्मयायो ! हिरन्ने य सुवराणे य जाव सावते जे अग्गिसाहिए चोरसाहिए रायसाहिए दाइयसाहिए मच्चुसाहिए अग्गिसामन्ने जाव मच्चुसामन्ने सडणपडण-विद्धंसण-धम्मे पच्छा पुरं च णं अवस्स-विप्पजणिज्जे, से के णं जाणइ अम्मयायो! के जाव गमणाए तं इच्छामि णं जाव पव्वतित्तए 6 / तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो जाहे नो संचाएइ मेहं कुमारं बहूहिं विसयाणुलोमाहिं श्रापवणाहि य पन्नवणाहि य सन्नवणाहि य विनवणाहि य ाघवित्तए वा पन्नवित्तए वा सन्नवितए वा विनवित्तए वा ताहे विसयपडिफूलाहिं संज्मभउव्वेय-कारियाहिं पनवणाहिं पनवेमाणा एवं वदासी-एस णं जाया! निग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवलिए पडिपुन्ने णेयाउए संसुद्धे सल्लगत्तणे सिद्धिमग्गे मुत्तिमग्गे निजाणमग्गे निव्वाणमग्गे सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे, अहीव एगंतदिट्टीए खुरो इव एगधाराए (एगंतधाराए) लोहमया इव जवा चावेयव्वा वालुयाकवले इव निरस्साए, गंगा इव महानदी पडिसोयगमणाएं, महास Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-त्रा में अध्ययनं 1 ] [ 1 मुद्दो इस भुयाहिं दुत्तरे तिक्खं चंकमियव्वं गरुयं लंबेयव्वं श्रसिधारब संचरियन्वं, णो य खलु कप्पति जाया ! समणाणं निग्गंथाणं पाहाकम्मिए वा उद्दोसिए वा कीयगडे वा ठवियए वा रइयए वा दुभिक्खभत्ते वा कतारभत्ते वा वदलियाभत्ते वा गिलाणभत्ते वा मूलभोयणे वा कंदभोयणे वा फलभोयणे वा बीयभोयणे वा हरियभोयणे वा भोत्तए वा पायए वा, तुमं च णं जाया ! सुहसमुचिए णो चेव णं दुहसमुचिए णालं सीयं णालं उराहं णालं खुहं णालं पिवासं णालं बाइय-पित्तिय-सिभिय-सन्निवाइय-विविहे रोगायक उच्चावए गामकंटए बाबीसं परीसहोवसग्गे उदिन्ने सम्मे अहियासित्तए, तं भुजाहि ताव जाया ! माणुस्सए कामभोगे, ततो पच्छा भुत्तभोगी समणस्स 3 जाव पबतिस्ससि 7 / तते णं से मेहे कुमारे अम्मापिऊहिं एवं वुत्ते समाणे अम्मापितरं एवं वदासी-तहेव णं तं अम्मयायो! जन्नं तुब्भे ममं एवं वदह एस णं जाया ! निग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे, पुणरवि तं चेव जाव तो पच्छा भुत्तभोगी समणस्स 3 जाव पब्वइस्ससि, एवं खलु अम्मयायो ! णिग्गंथे पावयणे कीवाणं कायराणं कापुरिसाणं इहलोगडिव द्राणं परलोगनिप्पिवालाणं दुरणुचरे पाययजणस्स णो चेव णं धीरस्स निच्छियस्स(च्छया) ववसियस्स एथं किं दुक्कर करणयाए ?, तं इच्छामि णं अश्मयायो! तुम्भेहिं श्रमणुनाए समाणे समणस्स भगवयो महावीरस्स जाव पवइत्तए 8 // सूत्रं 27 // तते णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो जाहे नो संचाइंति बहूहिं विसयाणुलोमाहि य विस पडिकूलाहि य श्राघवणाहि य पनवणाहि य सन्नवणाहिय विनवणाहि य आघवित्तए वा पनवित्तए वा सन्नवित्तए वा विनवित्तए वा ताहे अकामए (अकामगाई) चेव मेहं कुमारं एवं वदासी-इच्छामो ताव जाया ! एगदिवसमवि ते रायसिरिं पासित्तए 1 / तते णं से मेहे कुमारे अम्मापितरमणुवत्तमाणे तुसिणीए संचिट्ठति 2 / तते णं से सेणिए राया कोडुबियपुरिसे Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा सद्दावेति 2 त्ता एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! मेहस्स कुमारस्स महत्थं महग्धं महरिहं विउलं रायाभिसेयं उवट्ठवेह 3 / तते णं ते कोडु बियपुरिसा जाव तेवि तहेव उवट्ठवेंति 4 / तते णं से सेणिए राया बहूहिं गणणायग-दंडणायगेहि य जाव सं परिवुडे मेहं कुमारं अट्ठसएणं सोवनियाणं कलसाणं एवं रुप्पमयाणं कलसाणं सुवन्नरुपमयाणं कलसाणं मणिमयाणं कलसाणं सुवन्नमणिमयाणं कलसाणं रुप्पमणिमयाणं कलसाणं सुवन्नरुप्पमणिमयाणं कलसाणं भोमेजाणं कलसाणं सव्वोदएहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वपुप्फेहिं सबगंवेहिं सवमल्लेहिं सब्बोसहीहि य सिद्धत्य हि य सविटीए सबर्जुईए सबबलेणं जार दुदुभिनिग्घोस-णादितरवेणं महया 2 रायाभिसेएणं अभिसिंवति 2 करयल जाव कटु एवं वदासी-जय जय णंदा ! जय 2 भद्दा ! जय णंदा० भद्द ते अजियं जिणोहि जियं पालयाहि जियमज्झे वसाहि अजियं जिणेहि सत्तुपक्खं जियं च पालेहि मित्तपक्खं.जाव भरहो इव मणुयाणं रायगिहस्स नगरस्स अन्नेसिं च बहुणं गामागरनगर जाव सन्निवेसाणं आहेबच्चं जाव विहराहित्ति कटु जय 2 सपउंजंति 4 / तते णं से मेहे राया जाते महया जाव विहरति 5 / तते णं तस्स मेहस्स स्त्रो अम्मापितरो एवं वदामी-भण जाया ! किं दलयामो कि पयच्छामो किं वा ते हियइच्छिए सामत्थे(मन्ते) ? 6 / तते णं मेहे राया अम्मापितरो एवं वदासी-इच्छामि गं श्रम्मयायो ! कुत्तिय.वणायो रयहरणं पडिगहगं च उवणेह कामवयं च सद्दावेह 7 / तते णं से सेणिए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेति सद्दा. वेत्ता एवं वदासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! सिरिघरातो तिन्नि सयसहस्सातिं गहार दोहिं सयसहस्सेहिं कुत्तियावणाश्रो रयहरणं पडि. ग्गहगं च उवणेह सयसहस्सेणं कासवयं सदावेह 8 / तते णं ते कोड: बियपुरिसा सेगिएणं रना एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्टा सिरिघरायो तिन्नि Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हिणं तुम देवाण तते णं से सेमयासी संदियह / श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] [35 सयसहस्साति गहाय कुत्तियावणातो दोहिं सयसहस्सेहिं रयहरणं पडिग्गहं च उवणेति सयसहस्सेणं कासवयं सद्दावेंति 1 / तते णं से कासवए तेहिं कोडुबिधपुरिसेहिं सदाविए समाणे हट्ठ जाव हयहियए राहाते कतबलिकम्मे कयकोउय-मंगलपायच्चित्ते सुद्धप्पावेसातिं वत्थाई मंगलाई पवरपरिहिए अप्पमहग्याभरणालंकितसरीरे जेणेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छति 2 सेणियं रायं करयलमंजलिं कटु एवं वयासी-संदिमह णं देवाणुप्पिया ! जं मए करणिज्जं 10 / तते णं से सेणिए राया कासवयं एवं वदासीगच्छाहि णं तुमं देवाणुप्पिया ! सुरभिणा गंधोदएणं णिक्के हत्थपाए पक्खालेह सेयाए चउप्फालाए पोत्तीए मुहं बंधेत्ता मेहस्स कुमारस्स चउरंगुलवज्जे णिक्खमणपाउग्गे अग्गकेसे कप्पेहि 11 / तते णं से कासवए सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ते समाणे हट्ठ जाव हियए जाव पडिसुणेति 2 सुरभिणा गंधोदएणं हत्थपाए पक्खालेति 2 सुद्धवत्थेणं मुहं बंधति 2 ता परेणं जत्तेणं मेहस्स कुमारस्म चउरंगुलवज्जे णिवखमणपाउग्गे अग्गकेसे कप्पति 12 / तते णं तस्म मेहस्स कुमारस्स माया महरिहेणं हंसलकखणेणं पडसाडएणं अग्गकेसे पडिच्छति 2 सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेति 2 सरसेणं गोसीसबंदणेणं चच्चायो दलयति 2 सेयाए पोतीए बंधेति 2 रयणसमुग्गयंसि पक्खिवति 2 मंजूमाए पक्खिवति 2 हारवारिधार-सिंदुवार-छिन्नमुत्तावलिपगासाई अंसूई विणिम्मुयमाणी 2 रोयमाणी 2 कंदमाणी 2 विलवमाणी 2 एवं वदासी-एस णं अम्हं मेहस्स कुमारस्स अब्भुदएसु य उस्मवेसु य पव्वेसु य तिहीसु य छणेसु य जन्नेसु य पव्वणीसु य अपच्छिमे दरिसणे भविस्सइत्तिकटु उस्सीसामूले ठवेति. 13 / तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापितरो उत्तरावकमणं सीहासणं रयावेंति मेहं कुमारं दोच्चपि तच्चपि सेयपीयएहिं कलसेहिं राहावेंति 2 पम्हलसुकुमालाए गंधकासाइयाए गायातिं लूहेंति 2 सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाति Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26]. [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभाग अणुलिंपति 2 नासानीसासवायबोझ जाव हंसलकखणं पडगसाडगं नियंसेंति 2 हारं पिणद्धति 2 अद्वहारं पिणद्धति 2 एगावलि मुत्तावलिं कणगावलि रयणावलि पालं पायपलं कडगाइं तुडिगाई केउराति अंगयातिं दसमुहियाणं तयं कडिसुतयं कुडलातिं चूडामणिं रयणुकडं मउडं पिणद्वति 2 दिव्वं सुमणदामं पिणद्रांति 2 दह रमलयसुगंधिए गंधे पिणद्धति 14 / तते णं तं मेहं कुमारं गंठिम-वेढिम-पूरिम-संघाइमेण चउबिहेणं मल्लेणं कप्परुक्खगंपिव अलंकितविभूसियं करेंति 15 / तते णं से सेणिए राया कोडुपियपुरिसे सहावेति 2 एवं वयामी-खिप्पामेव भों देवाणुपिया ! अणेग-खं समय-सन्निविट्ठ लीलट्ठिय-सालभंजियागं ईहा.मग-उसभ-तुरय-नर-मगर-विहग-बालग-किन्नर-कर-सरभ-चमर-कुंजर-वण नयपउमलय-भत्तिचित्तं घंटावलि-महुर-मणहरसरं सुभकंत-दरिसणिज्ज निउणो. विय-मिसिमिर्मित-मणिरयण-घंटियाजाल-परिखित्तं श्रब्भुग्गय-वइर-वेतियापरिगयाभिरामं विजाहर-जमल-जंतजुत्तंपिव अच्चीसहरूमालणीयं रूग. सहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुलोयणलेस्सं सुहफास सस्सिरीयरूवं सिग्धं तुरितं चवलं वेतियं पुरिससहस्तराहिणीं सीयं उबट्टवेह 15 / तते णं ते कोडुबियपुरिसा हट्टतुट्टा जाव उवट्ठति 16 / तते णं से मेहे कुमारे सीयं दूरूहात 2 त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने 17 / तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्त माया राहाता कयरलिकम्मा जाव अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरा सीयं दूरूहति 2 मेहस्स कुमारस्स दाहिणे पासे भदासणंसि निसीयति, तते गणं तस्स मेहस्स कुमारस्स अंबधाती रयहरणं च पडिग्गहगं च गहाय सीयं दूरूहति 2 मेहस्स कुमारस्स वामे पासे भदासणंसि निसीयति, तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पिट्ठतो एगा वरतरुणी सिंगारागार चारवेसा संगय-गय-हसिय-भणिय-चेट्ठियविलास-संलावुल्लावनिउण-जुत्तोवयारकुसला ...अामेलग-जमल-जुयल-वट्टिय Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 1 ] [37 श्रब्भुन्नय-गीण-रतिय-संठित-पोहरा हिम-रयय कुदेंदुपगासं सकोरेंट-मल्लदामधवलं यायवत्तंगहाय सलील योहारेमाणी 2 चिट्ठति,ततेणं तस्स मेहस्स वुमारस्स दुवे वरतरुणीयो सिंगारागार-चारुवेसायो जाव कुसलायो सीयं दूरुहंति 2 मेहस्स कुमारस्त उभयो पाति नाणामणि-कणगरयण-महरिह-तवणिज्जुजलविचितदंडायो चिल्लियायो सुहुम-वर-दीहवालायो संखकुद-दगरय-अमयमहिय-फेणपुंज-सन्निगायो चामरायो गहाय सलीलं योहारेमाशीयो 2 चिट्ठति, तते णं तस्ल मेहकुमारस्म एगा वरतरुणी सिंगारा जाव कुसला सीयं जाव दूरूहति 2 मेहस्स कुमारस्स पुरतो पुरत्थिमेणं चंदप्पभ-वइर. वेरुलिय-विम नदंडं तालविंटं गहाय चिट्ठति, तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स एगा वरतरुणी जाव सुरूषा सीयं दूरूहति 2 मेहस्स कुमारस्स पुः वद वखणेणं सेयं रययामयं विमलसलिलपुन्नं मत्तगय-महामुहाकितिसमाणं भिंगारं गहाय चिट्ठति 18 / तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पिया कोडुबियपुरिसे सद्दावेति२ ता एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुपिया! सरिसयाणं सरिसत्तयाणं सरिबयाणं एगाभरण गहित-निजोयाणं कोडबियवरतरुणाण सहस्सं सदावेह जाव सदावते, तए णं कोडविवरतरुणपुरिमा सेणियस्स रन्नो कोडवियपुरिसेहिं सदाविया समाणा हट्ठा राहाया जाव एगाभरण-गहितणिजोया जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छंति 2 सेणियं रायं एवं वदामी-संदिसह णं देवाणुपिया ! जन्नं अम्हेहिं करणिज्जं 11 / तते णं से सेणिए तं कोड बिय-वर-तरणसहस्सं एवं वदासी गच्छह णं देवाणुप्पिया! मेहस्स कुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं परिवहेह, तते तं वोडुबियवरतरुणसहस्सं सेणिएणं रना एवं वृत्तं संतं हट्ठ तुटुं तस्स मेंहस्स कुमारस्प्त पुरिससहस्सवाहिणीं सीयं परिवहति 20 / तए णं तस्स मेहम्स कुमारस्म पुरिमसहस्सवाहिणिं सीयं दूरूढरस समाणस्स इमे अट्ठमंगलया तप्पढमयाए पुरितो. अहाणुपुबीए संपट्ठिया, तंजहा-सोस्थिय सिरिवच्छ Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 38) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः णंदियावत वद्धमाणग भासण कलस मच्छ दप्पण जाव बहवे अत्यत्थिया जाव ताहिं इटाहिं जाव अणारयं अभिणंईता य अभियुणं ता य एवं वदासी-जय 2 णंदा ! जय 2 णंदा जय 2 भदा ! भदं ते अजियाई जिणाहि दियाइं जियं च पालेहि समणधम्मं जियविग्घोविय वसाहि तं देव ! सिद्धिमज्झे, निहणाहि रागदोसमल्ले तवेणं वितिधणिय(वलिय)बद्धकच्छे, महाहि य अट्टकम्मसत्तू झाणेणं उत्तमेणं सुक्केणं, अप्पमत्तो पावय वितिमिरमणुत्तरं केवलं नाणं गच्छ य मोखं परमपयं सासयं त्र अयलं हंता परीसहचमु, अभीयो परीसहोवसग्गाणं धम्मे ते अविग्धं भवउत्तिकटु पुणो 2 मंगलजय 2 सह पति 21 / तते णं से मेहे कुमारे रायगिहस्स नगरस्स मज्झमज्झेणं निग्गवति 2 जेणेव गुणसिलए चेतिए तेणामेव उवागच्छति 2 पुरिससहस्सवाहिणीयो सीयायो पचोरुभति 22 // सूत्रं 28 // तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं पुरो कट्टु जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छति 2 त्ता समणं भगवं महावीरं तिखुत्तो पायाहिणं पयाहिणं करेंति 2 तावदंति नमसंति 2 ता एवं वदासी-एस णं देवाणुप्पिया / मेहे कुमारे अम्हं एगे पुत्ते इट्टे कते जाव जीवियाउसासए हिययणंदि(हिययाणंद)जए.ए उबरपुष्पंपि(वि)व दुल्लहे सवणयाए किमंग पुण दरिसणयाए ?, से जहा नामए उप्पलेति वा पउमेति वा कुमुदेति वा पंके जाए जले संवडिए नोवलिप्पइ पंकरएणं णोवलिपइ जलर एणं एवामेव मेहे कुमारे कामेसु जाए भोगेसुसंवुड्ढे नोवलिप्पति कामरएणं नोवलिप्पति भोगरपणं, एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभउब्बिगे भीए जम्मणजरमरणाणं इच्छइ देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता यागारायो श्रणगारियं पब्बतित्तए, अम्हे णं देवाणुप्पियाणं सिस्सभिक्खं दलयामो, पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सिस्सभिक्खं 1 / तते णं से समणे भगवं महावीरे मेहस्स अम्मापिऊएहिं एवं वुत्ते समाणे एयम8 सम्म पडिसुणेति Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्ष कथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] [ 36 2 / तते णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतियायो उत्तरपुरच्छिमं दिमिभागं अवकमति 2 त्ता सयमेव श्रावरणमल्लालंकारं श्रोनुयति 3 / तते णं से मेहकुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं थापरणमल्लालंकारं पडिच्छति 2 हार-वारिधार-सिंदुवार-छिन्नमुत्तावालपगासातिं घुसूणि विणिम्मुयमाणी 2 रोयमाणी 2 कंदमाणी 2 विलवमाणी 2 एवं वदामी-जतियध्वं जाया ! घडियध्वं जाया ! परक्कमियब्वं जाया ! अस्सिं च णं अट्ठ नो पमादेयव्वं अम्हंपि णं एमेव मग्गे भवउत्तिकटु मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो समणं भगवं महावीरं वदति नमसंति 2 जामेव दिसि पाउभृता तामेव दिसि पडिगया 4 // सूत्रं 21 // तते णं से मेहे कुमारे सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति 2 जेणामेव समणे 3 तेणामेव उवागच्छति 2 समणं भगवं महावीरं तिखुत्तो पायाहिणं पाहिणं करेति 2 वंदति नमंसति 2 एवं वदासी-श्रालित्ते णं भंते ! लोए, पलित्ते णं भंते ! लोग, प्रालित्तालित्ते णं भंते ! लोए जराए मरणेण य, से जहाणामए केई गाहावती श्रागारंसि झियायमाणांसि जे तत्थ भंडे भवति अप्पभा(सा)रे मोल्लगुरुए तं गहाय श्रायाए एगंतं श्रवकमति एस मे णित्यारिए समाणे पच्छा पुरा (छाउरस्स) हियाए सुहाए खमाए णिस्सेसार प्राणुगामियत्ताए भविस्मति एवामेव ममवि एगे पायाभंडे इ8 कते पिए मणुन्ने मणामे एस मे नित्थारिए समाणे संसारवोच्छेयकरे भविस्सति, तं इच्छामि णं देसाणुप्पियाहिं सममेव पवावियं सयमेव मुंडावियं सेहावियं मिक्खावियं सयमेव अायार-गोयर-विणयवेराइय-चरणकरण-जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं 1 / तते णं समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं सयमेव पवा. वेति सयमेव अायार जाव धम्ममातिक्खइ-एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं चिट्टितव्वं मिसीयव्वं तुयट्टियव्वं भुजियव्वं भासियव् एवं उट्ठाए उट्ठाय पाणेहिं भूतेहिं जीवेहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमितव्वं अरिंस च णं श्र? णो पमादेयत्वं 2 / Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्को विमानः तते णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतिए इमं एयारूवं धम्मियं उवएसं णिसम्म सम्म पडिवजइ तमाणाए तह गच्छइ तह चिट्ठइ जाव उट्ठाए उट्ठाय पाणेहिं भूतेहिं जीवेहिं सत्तेहिं संजमइ 3 // सूत्रं 30 // . जे दिवसं च णं हे कुमारे मुंडे भवित्ता श्रागाराग्रो अणगारियं पवइए तस्स णं दिवसस्स पुव्वावरराहकालसमयंसि समणाणं निग्गंयाणं अहारातिणियाए सेनासंथारएसु विभजमाणेसु मेहकुमारस्स दारमूले सेजासथारए जाए यावि होत्था 1 / तते णं समणा णिग्गंथा पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्माणुजोगचिंताए य उच्चारस्स य पासवणस्स य अइगच्छमाणा य निग्गच्छमाणा य अप्पेगतिया मेहं कुमारं हत्थेहि संघट्टति एवं पाएहिं सीसे पोट्टे कायंसि अप्पेगतिया श्रोलंडेति अप्पेगइया पोलंडेइ अप्पेगतिया पाय-रय-रेणुगुडियं करेंति 2 / एवंमहालियं च णं रयणीं मेहे कुमारे णो संचाएति खणमवि अच्छि निमीलित्तए 2 / तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स. अयमेयाख्वे अभत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं सेणियस्स रन्नो पुत्ते धारिणीए देवीए अत्तए मेहे जाव समणयाऐ, तं जया णं अहं अगारमज्झे व(आव)सामि तया णं मम समणा णिग्गंथा पाढायंति परिजाणंति सक्कारेंति सम्माणति अट्ठाई हेऊति पसिणातिं कारणाई वाकरणाई श्रातिकखंति इट्ठाहिं कंताहिं वग्गूहिं पालवेंति संलवेंति 3 / जप्पभितिं च णं अहं मुंडे भवित्ता आगारायो अणगारियं पव्वइए तप्पभिति च णं मम समणा नो श्रादायति जाव नो संलवंति, अदुत्तरं च णं मम समणा णिग्गंथा रायो पुज्वरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए पुच्छणाए जाब महालियं च णं रत्तिं नो संचाएमि अच्छि णिमिलावेत्तए, तं सेयं खलु मज्झ कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते समणं भगवं महावीरं श्रापच्छित्ता. पुणरवि श्रागारमज्झे वसित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेति Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [11 श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 1 ] 2 अट्ट-दुहट्ट-वसट्ट माणसगए णियपडिरूवियं च णं तं रयणिं खवेति 2 करलं पाउप्पभायाए सुविमलाए रयणीए जाव तेयसा जलंते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उपागच्छति 2 तिखुत्तो श्रादाहिणं पदाहिणं करेइ 2 वंदइ नमसइ 2 जाव पज्जुवासइ 4 // सू० 31 // तते णं मेहाति समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं एवं वदासी-से गुणं तुम मेहा ! रायो पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि समणेहिं निग्गंथेहिं वायणाए पुच्छणाए जाव महालियं च णं राई णो संचाएमि मुहुत्तमवि अच्छि निमिलावेत्तए 1 / तते णं तुभं मेहा ! इमे एयारूवे अभत्थिए जाव समुपजित्था-जया णं अहं अगारमझे वसामि तया णं मम समणा निग्गंथा पाढायंति जाव परियाणंति, जप्पभितिं च णं मुंडे भवित्ता श्रागाराग्रो अणगारियं पव्वयामि तप्पभित्तिं च णं मम समणा णो थाढायंति जाव नो परियाणंति अदुत्तरं च णं समणा निग्गंथा रायो अप्पेगतिया वायणाए जाव पायरयरेणुगुडियं करेंति 2 / त सेयं सलु मम कल्लं पाउप्पभायाए (रयणीए) समणं भगवं महावीरं श्रापुच्छित्ता पुणरवि श्रागारमज्झे श्रावसित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेसि 2 अट्टदुहट्ट-वसट्रमाणसे जाव रयणी खवेसि 2 जेणामेव अहं तेणामेव हव्वमागए, से णूणं मेहा ! एस अत्थे सम? ?, हंता प्रत्ये सम? 3 / एवं खलु मेहा ! तुमं इश्रो तच्चे अईए भाग्गहणे वेषड्ढगिरिपायमले वणयरेहिं णिवत्तियणामधेज्जे सेते संखदल-उजल-विमल-निम्मल दहिघण-गोखीर-फेण-रयणियरप्पयासे सत्तुस्सेहे णवायए दसपरिणाहे सत्तंगपतिट्टिए समे सुसंठिए सोमे समिए (सोम्मसम्मिए) सुरुवे पुरतो उदग्गे समूसियसिरे सुहासणे पिट्ठयो वराहे अतियाकुच्छी अच्छिद्दकुच्छी अलंबकुच्छो पलंब लंबोदराहरकरे धणुपट्टा गइ-विसिट्ठपुढे अल्लीण-पमाणजुत्त-ट्टियापीवर-गत्तावरे (अभुग्गय-मउल-मल्लिया-धवलदंते थानामिय-चादललिय-संवैल्लतग्गसुडे) Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 42 ] . .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः अल्लीणपमाण-जुत्तपुच्छे पडिपुन्न-सुचारु-कुम्मचलणे पंडुर-सुविसुद्ध-निद्ध-णिस्वहय-विसतिणहे छद्दते सुमेरुप्पभे नामं हत्थिराया होत्था, तत्थ णं तुमं मेहा ! बहूहिं हत्थीहि य हत्थीणियाहि य लोट्टएहि य लोट्टियाहि य कलभेहि य कलभियाहि य सद्धिं संपरिबुडे हत्थिसहस्सणायए देसए पागट्ठी पट्टवए जूहबई वंदपरियट्टए अन्नेसिं च बहूणं एकल्लाणं हत्थिकलभाणं पाहेवच्चं जाव विहरसि 4 / तते णं तुमं मेहा ! णिचप्पमत्ते सई पललिए कंदप्परई मोहणसीले अवितराहे कामभोगतिसिए बहूहिं हत्थीहि य जाव संपरिबुडे वेयडगिरिपायमूले गिरीसु य दरीसु य कुहरेसु य कंदरासु य उज्झरेसु य निझरेसु य वियरएसु य गद्दासु य पल्लवेसु य चिल्ललेसु य कडयेसु य कडयपल्ललेसु य तडीसु य वियडीसु य टंकसु य कूडेसु य सिहरेसु य पभारेसु य मंचेसु य मालेसु य काणणेसु य वणेसु य वणसंडेसु य वणराईसु य नदीसु य नदीकच्छेसु य जूहेसु य संगमेसु य वावीसु य पोक्खरिणीसु य दीहियासु य गुजालियासु. य सरेसु य सरपंतियासु य सरसरपंतियासु य वणयरएहिं दिनवियारे बहूहिं हत्थीहि य जाव सद्धिं संपरिबुडे बहुविह-तरुपल्लव-पउर-पाणियतणे निभए निरुब्बिग्गे सुहंसुहेणं विहरसि 5 / तते णं तुमं मेहा ! अन्नया कयाई पाउस-बरिसारत्त सरय-हेमंत-वसंतेसु कमेण पंचसु उऊसु समतिक्कतेसु गिम्हकालसमयंसि जेट्टामूलमासे पायवघंस-समुट्ठिएणं सुक्कतणपत्त-कयवर-मारुत-संजोग-दीविएणं महाभयंकरेणं हुयवहेणं वणदवजाला-संपलित्तेसु वर्णतेसु धूमाउलासु दिसासु महावायवेगेणं संघट्टिएसु छिन्नजालेसु श्रावयमाणेसु पोल्लरुक्खेसु अंतो 2 झियायमाणेसु मयकुहित-विणिविठ्ठ-किमिय(ण)(मव)-कद्दम-नदीवियरग-जिगण-पाणीयंतेसु वर्णतेसु भिंगारक-दीणकंदियरवेसु खर-फरस-अणि?-रिट्ट-वाहित-विद्द मग्गेसु दुमेसु तराहावस-मुक्क-पक्ख-पयडिय-जिब्भतालुय-असंपुडिततुड-पक्खिसंघेसु ससं Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] [41 तेसु गिम्ह-उम्हउराह-वाय-खरफरूम-चंडमारुय--सुक्तणपत्त-कयवर-वाउलिभमंतदित्त-संभंत-सावयाउल-मिगतराहा-बद्धचिरहपट्टेसु गिरिवरेसुसंवट्टिएसु तत्यमिय-पसव-सिरीसिवे अबदालिय-बयण-विवर-णिलालियग्गजीहे महं. ततुब-इव-पुन्नकन्ने संकुचियथोर-पीवरकरे ऊसियलगूले पीणाइय-विरस-रडियसबेणं फोडयंतेव अंबरतलं पायददरएणं कंप्यंतेव मेइशितलं विणिम्मुयमाणे य सीयारं सबतो समंता वल्लिवियाणाई छिदमाणे स्वखसहरसाति तत्थ सुबहूणि णोल्लायंते विणट्टरट्ठव णवरिंदे वायाइव्व पोए मंडलवाएव्व परिभमंते अभिक्खणं 2 लिंडणियरं पमुचमाणे 2 बहूहि हत्थीहि य जाव सद्धिं दिसोदिसिं विप्पलाइत्था 6 / तत्थ णं तुमं महा ! जुन्ने जराजजरियदेहे याउरे झंझिए पिवासिए दुब्बले किलंते नटुसुइए मूढदिसाए सयातो जूहातो विप्पहूणे वणदवजालापारद्धे उराहेण तराहाए य छुहाए य परब्भाहए समाणे भीए तत्थे तसिए उविग्गे संजातभए सव्वतो समंता श्राधावमाणे परिधावमाणे एगं च णं महं सरं अप्पोदयं पंकबहुलं अतिस्थेणं पाणियपाए उइन्नो 7 / तत्थ णं तुमं मेहा! तीरमतिगते पाणियं असंपत्ते अंतरा चेव सेसि विसन्ने, तथ णं तुमं मेहा! पाणियं पाइस्सामित्तिकटटु हत्थं पसारेसि, सेवि य ते हत्थे उदगं न पावति, तते णं तुम मेहा ! पुणरवि कायं पच्चुद्धरिस्सामीतिकटु बलियतरायं पंकसि खुत्ते / तते णं तुमे मेहा! अन्नया कदाइ एगे चिरनिज्जूढे गयवरजुवाणए सगायो जुहायो करचरणदंत-मुसलप्पहारेहिं विप्परद्धे समागो तं चेव महद्दहं पाणीयं पादेउं समोयरेति 1 / तते णं से कलभए तुमं पासति 2 तं पुबवेरं समरति 2 श्रासुरुत्ते रुटे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे जेणेव तुमं तेणेव उवागच्छति 2 तुम तिक्खेहिं दंतमुसलेहिं तिक्खुनो पिट्ठतो उच्छुभति उच्छुभित्ता पुव्ववेरं निजाएति 2 हट्टत? पाणियं पियति 2 जामेव दिसिं पाउ भूए तामेव दिसि पडिगए 10 / तते णं तव मेहा ! सरीरगंसि वेपणा पाउभवित्था Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44 ] [ श्रीपदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः उजला विउला (तिउला) कक्खडा जाप दुरहियासा पित्तजर-परिंगयसरीरें दाहयक्तीए यावि विहरित्या 11 / तते णं तुम मेहा ! तं उजलं जाव दुरहियासं सत्तराईदियं वेयणं वेदेसि सवीसं वाससतं परमाउं पालइत्ता अट्टवसमृदुहट्टे कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबुद्दीवे भारहे वासे दाहिणड्डमरहे गंगाए महाणदीए दाहिणे कूले विझगिरियामूले एगेणं मत्तवरगंधहत्थिाणा एगाए गयवरकरेणूए कुच्छिसि गयकलभए जणिते 12 / तते णं सा गयकल भेया णवराहं मासाणं वसंतमासंमि तुमं पयाया, तते णं तुमं मेहा ! गम्भवासायो विप्पमुक्के समाणे गयकलभए यावि होत्था, रत्तुप्पलरत्तसूमा लए जासुमणारत्त-पारिजत्तय-लक्खारस-सरसकुंकुम-संभ भरागवन्ने इ8 णिगस्स जूहवइणो गणियायार-कणेरु कोत्यहत्थी अणेग-हत्यिसय. संपरिबुडे रम्मेसु गिरिकाणणेसु सुहसुहेणं विहरसि 13 / तते णं तुम मेहा ! उम्मुक्कबालभावे जोवणगमणुपत्ते जूहवइणा कालधम्मुणा संजुत्तेणं तं जूहं सयमेव पडिवजसि 14 / तते णं तुम मेहा ! वणयरेहिं निव्वत्तिय. नामवेज्जे जाव चदंते मेरुपमे हत्थिरयणे होत्था, तत्थ णं तुमं मेहा ! सत्तुस्सहे (सत्तंगपइट्ठिए) तहेव जाव पडिरूवे, तत्थ णं तुमं मेहा ! सत्तमइयस्स जूहस्स आहेबच्चं जाव अभिरमेत्था, तते णं तुमं अन्नया कयाइ गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूले वणदवजालापलितेसु वणंतेसु सुधूमाउलासु दिसासु जाव -मंडलवाएब तते णं परिभमंते भीते तत्थे जाव संजायभए बहूहिं हत्थीहि य जाव कलभियाहि य सद्धिं संपरिबुडे सव्वतो समंता दिमोदिसि विप्पलाइत्था, तते णं तब मेहा ! तं वणदवं पासिता अयमेयारूवे अथिए जाव समुप्पजित्था-कहिराणं मन्ने मए अयमेयारूवे अग्गिसंभवे अणुभूयपुव्वे ?, तव मेहा ! लेस्साहिं विसुज्झमाणीहिं अभवसाणेणं सोहणेणं सुभेणं परिणामेणं तयावरणि जाणं कम्माणं खोवसमेणं ईहापूह-मग्गण-गवेसणं करेमाणस्स सन्निपुव्वे जातिसरणे समुपनित्था. 15 / तते णं तुम मेहा ! Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकवाङ्ग-सूत्रम् // अध्ययनं 1 ] [45 एयमटुं सम्मं अभिसमेसि, एवं खलु मया अतीए दोच्चे भाग्गहणे इहेव जंबुहावे 2 भारहे वासे वियड्ढगिरिसायमूले जार तत्थ गणं महया अयमेयारूपे अग्गिसंभवे समणुभूए 16 / तते णं तुम मेहा ! तस्सेव दिवसस पुधापर(पबावर)राहकालसमयंसि नियएणं जूहेणं सद्धिं समन्नागए यावि होत्था, तते णं तुम मेहा ! सतुस्सेहे जाव सन्निपुब्वे जाइस्सरणे चउद्द'ते मेरुप्पभे नाम हत्थी होत्था 17 / तते णं तुझ मेहा ! अयमेयाख्वे अझथिए जार समुप्पजित्था-तं से खनु मम इयाणिं गंगाए महानदीए दाहिणिल्लामे कूलसि विझगिरिपापमूले दवग्गिसंजाय(मंताण)कारणट्ठा सएस जूहणं महालयं मंडलं घाइत्तएत्तिकटु एवं संपहेसि 2 सुहंसुहेणं विहरसि 18 / तते णं तुम मेहा ! अन्नया कदाइं पढमपाउसंसि महावुट्टिकायंसि मन्निवइयंसि गंगाए महानदीए अदूरसामंते बहूहिं हत्थीहिं जाव कलभियाहि य मनहि य हत्थिसएहिं संपरिबुडे एगं महं जोयणपरिमंडलं महतिमहालयं मंडलं घाएसि, जं तत्थ तणं वा पत्तं वा कट्ठ वा कंटए वा लया वा वल्ली वा खाणु वा रुक्खे वा खुवे वा तं सव्वं तिखुत्तो याहुणिय एगते एडेसि 2 गएण उट्ठवेसि हत्थेणं गेराहसि [2 ता] तते णं तुमं महा ! तस्सेव मंडलस्म अदूरमामते गंगाए महानदीए दाहिणिल्ले कूले विझगिरिपायमूले गिरीसु य जार विहरसि 11 / तते णं मेहा ! अन्नया कदाइ मझिमर वरिसारसि महाविट्टिकायंसि सन्निवइयंसि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि 2 दोव्बंपि तच्चपि मंडलं घाएसि 2 एवं चरिमे वासा. रतसेि महावृट्टिकायंसि सन्निदइयमाणंसि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि 2 तच्चापे मंडलधां करेसि जं तत्थ तणं वा जाव सुहंसुहेणं विहरसि 20 / अह मेहा ! तुम गइंदभावंमि वट्टमाणो कमेणं नलिणिवमा-विवहणगरे हेमंते कुंदलोद्ध-उद्वत-तुसारपउरंमि अतिवकते अहिणवे गिम्हसमयंसि पत्ते वियट्टमाणेसु वणेसु वणकरेणु(वणरेणु)-विविहदिराणकयपंसुघाश्रो Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः कीलाकयपंसुघायो तुम कुसुम(उउयकुसुम)कय-चामरकन्नपूर-परिमंडियाभिरामो मावस-विगसंत-कडलडकिलिन गंधमदवारिणा सुरभिजणियगंधो करेणुपरिवारि यो उउसमत्त-जणितसोभो काले दिणयर-करपयंडे परिसोसिय-तरुवरसिहर-सिरिधराये (सीहरभीमतर-दंसणिज्जे) भिगार-रवंतभेरवरवे गाणाविह-पत्तकठ्ठ-तण कयवरुद्धत पइमारुयाइद्ध-जहयल-पडुममाणे(दुमगणे) वाउलियादारुणतरे तराहावस-दोसडूसिय-भमंत-विविह-सावयसमाउले भीमदरिसणिज्जे वट्टते दाम्णंमि गिम्हे मारुतवस-पसर-पसरिय-वियंभिएणं अमहियभामभेरव-रवणगारेणं महुधारापडिय-सित्तउडायमाण धगधगधगं-तप्पंदु(सद्) द्रुएणं दिततरसलिंगेणं धूममाला उलेणं सावयसयंतकरणेणं अभहियवणदवेणं जालालोविय-निरुद्ध-धूमंधकारभीयो पायपाल(प्रायवालोय)महंत-तुबइ'यपुत्र कन्नो याकुचिय-थोर-पीवरकरो भयवस-(कराभोयसव्व)भयंत दित्तनयणो वेगेण महामहोब्ब पवणोल्लियामहल्लरूवो जेणेव को ते पुरा देवग्गिभयभीयहियएणं अवगय-तणप्पएस-रुक्खो रुक्खोसो दवग्गि-संताणकारणहाए जेणेव मंडले तेणेव पहारेत्थ गमणाए, एको ताव एस गमो 21 / तते णं तुम मेहा ! अन्नया कदाई कमेणं पंचसु उऊसु समतिक्कतेसु गिम्हकाल-समयंसि जेट्टामूले मासे पायवसंघस-समुट्ठिएणं जाव संवट्टिएसु मियपसु-पक्खिसिरीसिवे दिसो दिसि विप्पलायमाणेसु तेहिं बहूहि हत्थीहि य जाव कलभियाहि य सद्धि जेणेव मंडले तेणेव पहारेत्य गमणाए, तत्थ णं अराग बहवे सीहा य वग्या य विगया य दीविया य अच्छा य तरच्छा य पारासरा यसरमा य सियाला विराला सुणहा कोला ससा कोकंतिया चित्ता चिल्लला पुव्वपविट्ठा अग्गिभयविहुया एगयनो बिलधम्मेणं चिट्ठति 22 / तए णं तुमं मेहा ! जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि 2 ता तेहिं बहूहि सीहेहिं जाव चिललएहि य एगययो बिलधम्मेणं चिट्ठसि, तते णं तुमं मेहा !.पाएणं गतं कंडइस्सामीतिकटटु पाए उक्खित्ते तंसिं च णं अंतरंसि Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] [ 47 अन्नेहिं बलवन्तेहिं सत्तेहिं पणोलिजमाणे 2 ससए अणुपवि? 23 / तते णं तुमं मेहा ! गायं कंडुइत्ता पुणरवि पायं पडिनिक्सविस्सामित्तिकटुतं ससयं अणुपविट्ठपाससि 2 पाणाणुकंपयाए भूयाणुकंपाए जीवाणुकंपाए सत्ताणुकंपयाए सो पाए अंतरा चेव संधारिए, नो चेव णं णिक्खित्ते, तते णं तुम मेहा ! ताए पाणाणुकंपयाए जाव सत्ताणुकंपयाए संसारे परित्तीकत्ते माणुस्साउए निबद्धे 24 / तते णं वणदवे अड्डातिजाति रातिदियाइं तं वणं झामेइ 2 निट्ठिए उवरए उवसंते विज्माए यावि होत्या, तते णं ते बहवे सीहा य जाव चिल्लला य तं वणदवं निट्ठियं जाव विज्झायत्ति पासंति 2 ता अग्गिभयविप्पमुक्का तराहाए य छुहाए य परब्भाहया समाणा मंडलातो पडिनिक्खमंति 2 सव्वतो समंता विप्पसरित्था, [तए णं ते बहवे हस्थि जाव छुहाए य पररुभाहया समाणा तयो मंडलायो पडिनिवखमंति 2 दिसो दिसि विप्पसरित्था,] 25 / तए णं तुमं मेहा ! जुन्ने जराजजरियदेहे सिढिल-वलित-यापिणद्धगत्ते दुब्बले किलते जुजिए पिवासिते अत्थामे अबले अपरक्कमे अचंकमणो वा ठाणुखंडे वेगेण विप्पसरिस्सामित्तिकटु पाए पसारेमाणे विज्जुहते विव रयतगिरिपब्भारे धरणितलंसि सव्वंगेहि य सन्निवइए, तते णं तव मेहा ! सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूता उजला जाव दाहवक्कंतिए यावि विहरसि, तते णं तुम मेहा ! तं उज्जलं जाव दुरहियासं तिन्नि राइंदियाइं वेयणं वेएमाणे विहरित्ता एगं वाससंतं परमाउं पालइत्ता इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे रायगिहे नयरे सेणितस्स रनो धारिणीए देवीए कुच्छिसि कुमारत्ताए पञ्चायाए 26 // सूत्रं 32 // तते णं तुमं मेहा ! आणुपुव्वेणं गम्भवासायो निक्खते समाणे उम्मुक्कबालभावे जोव्वणगमणुपत्ते मम अंतिए मुंडे भवित्ता श्रागाराग्रो अणगारियं पव्वइए, तं जति जाव तुमे मेहा ! तिरिक्ख-जोणिय-भावमुवगएणं अपडिलद्ध-संमत्तरयणलंभेणं से पाणे (पाये) पाणाणुकंपयाए जाव अंतरा चेव संधारिते नो चेव णं निक्खित्ते Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 48 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः किमंग पुण तुमं मेहा ! इयाणि विपुलकुल-समुभवेणं निरुवहय-सरीर. दंत(पत्त)लद्धपंचिंदिएणं एवं उट्ठाण-बल-वीरिय-पुरिसगार-परक्कममंजुत्तेणं मम अंतिए मुंडे भवित्ता श्रागारातो अणगारियं पव्वतिए समाणे समणाणं निग्गंथाणं रायो पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि वायणाए जाव धम्माणुयोगचिंताए य उचाररस वा पासवणस्स वा अनिगच्छमाणाण यनिग्गन्छमाणाण य हत्थसंघट्टणाणि य पारसंघट्टणाणि य जाव रयरेणुगुडणाणि य नो सम्म सहसि खमसि तितिक्खसि अहियासेसि ? 1 / तते णं तस्स मेहस्स अणुगारस्स समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए एतमटुं सोचा णिसम्म सुभेहिं परिणामेहिं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं लेस्साहिं विसुज्भमाणीहि तयावरणिजाणं कम्माणं खयोवसमेणं ईहावू(पो)ह-मग्गण-गवेसणं करेमाणस्स सन्निपुब्वे जातीसरणे समुष्पन्ने, एतमट्ठ सम्मं अभिसमेति 2 / तते णं से मेहे कुमारे समणेणं भगवया महावीरेणं संभारियफुव्व-(भवे)जातीसंभरणे दुगुणाणीयसंवेगे पाणंदयंसुपुन्नमुहे हरिसवसेणं धाराहयकदंबकं पिव समुस्ससितरोमकूवे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 ता एवं वदासी-ग्रजपभिती णं भंते ! मम दो अच्छीणि मोत्तॄणं अवसेसे काए समणाणं णिग्गंथाणं निस?त्तिकट्टु पुणरवि समणं भगवं महावीरं वदति नमंसति 2 एवं वदासी-इच्छामि णं भंते ! इयाणिं दोच्चपि सयमेव पव्वावियं सयमेव मुंडावियं जाव सयमेव अायारगोयरं जायामायावत्तियं धम्ममातिक्खह 3 / तएणं समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं सयमेव पवावेइ जाव जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खइ, एवं देवाणुप्पिया ! गन्तव्वं एवं चिट्ठियत्वं एवं णिसीयव्वं एवं तुयट्टियव्व एवं भुजियव्वं भासियध्वं उट्ठाय 2 पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं संजमेणं संजमितव्वं, तते णं से मेहे समणस्स भगवतो महावीरस्स अयमेयावं धम्मियं उवएसं सम्म पडिच्छति 2 तह चिट्ठति जाव संजमेणं संजमति, तते णं से मेहे अणगारे जाए ईरियासमिए अणगारवन्नो भाणियन्वो 4 / Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 46 श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् // अध्ययनं 1 ] तते णं से मेहे श्रणगारे समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए एतारुवाणं थेराणं सामातियमातियाणि एकारस अंगाति अहिज्जति 2 ता बहूहिं चउत्थछट्टट्ठम-दसम दुवालसेहिं मासद्ध मासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरति, तते णं समणे भगवं महावीरे रायगिहायो नगरायो गुणसिलामो चेतियायो पडिनिक्खमति 2 बहिया जणवयविहारं विहरति 5 // सूत्रं 33 // तते णं से मेहे अणगारे अन्नया कदाइ समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 एवं वदासी-इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुनाते समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबन्धं करेह 1 / तते णं से मेहे समजेणं भगवया महावीरेण अभगुन्नाते समाणे मासियं भिखुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति, मासियं भिक्खुपडिमं अहासुत्तं ग्रहाकप्पं ग्रहामग्गं जाव सम्मं कारणं फासेति पालेति सोभेति तीरेति किट्टति सम्मं कारण फासेत्ता पालित्ता सोभेत्ता तीरेत्ता किट्टत्ता पुणरवि समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 त्ता एवं वदासीइच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुनाते समाणे दोमासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरित्तए 2 / अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबन्धं करेह, जहा पढमाए अभिलावो तहा दोचाए तच्चाए चउत्थाए पंचमाए छम्मासियाए सत्तमासियाए पढमसत्तराइंदियाए दोच्चं सत्तरातिदियाए तइयं सत्तरातिदियाए अहोरातिदियाएवि एगराइंदियाएवि 3 / तते णं से मेहे श्रणगारे बारस भिक्खुपडिमाश्रो सम्मं कारणं फासेत्ता पालेत्ता सोभेत्ता तीरेत्ता किट्टोत्ता पुणरवि वंदति नमसइ 2 ता एवं वदासी-इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुनाए समाणे गुणरतणसंवच्छरं तवोकम्म उवसंपजिता णं विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 4 / तते णं से मेहे श्रणगारे पढमं मासं चउत्थंचउत्थेणं अणिविखत्तेणं तवोकम्मेणं दिया गणुक्कु. डुए सूराभिमुहे पायावणभूमीए पायावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं, Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागः दोच्चं मांसं छटुं?णं अणिविखतणं जाव अवाउडएण, तच्चं मामं अट्ठमंट्टमेणं अाणाक्खत्तणं जाव अवाउडएण, चउत्थं मासं दसमं 2 अणिक्खित्तेणं तबोकम्मेणं दिया ठाणुवकुडूए सूराभिमूहे अायारणभूमीए पायावेम.णे रति वीरासणेणं अघाउडएणं, पंचमं मासं दुवालममं 2 अणिखित्तेणं तबोकम्मेणं दिया गणुक्कुडूए सूराभिमुहे पायावणभूमिए थायावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडतेणं 5 / एवं खलु एएणं अभिलावेणं छठे चोदसमं 2 सत्तमे सोलसमं 2 अट्ठमे अट्ठारसमं 2 नवमे वीसतिम 2 दसमे बावीसतिम 2 एकारसमे चउब्बीसतिमं 2 बारसमे छब्बीसतिमं 2 नेरसमे अट्ठावीसतिमं 2 चोदसमे तीलइमं 2 पंचदसमे बत्तीसतिमं 2 सोलममे चउर्त सतिमं 2 अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया गणुक्कुडएणं सूगभिमुहे पायावगभूमीए पायावेमाणे रत्तिं वीरासणेण य अवाउडतेण य 6 / तते णां से मेहे अणगारे गुणरयणसंवच्छरं तवोकप्म ग्रहासुत्तं जाव सम्मं कारणं फासेइ पालेइ सोभेइ तीरेइ किट्टेड, अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं फासेत्ता पालेत्ता सोहेत्ता तीरेत्ता कित्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 बहूहिं चउत्थ-छट्टट्ठमदसमदुवालसेहिं मासद्धमामखमणेहिं विचितेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरति 7 // सूत्रं 34 // तते णं से मेहे अणगारे तेणं उरालेणं विपुलेणं सस्सिरीपणं पयत्तेणं पग्गहिएणं कलाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं उदग्गेणं . उदारएणं उत्तमेणं महागुभावेणं तवो कम्मेणं सुक्के भुक्खे लुक्खे निम्मंसे निस्सोणिए किरिकिडियाभूए अट्टियम्मावणद्ध किसे धमणिसंतए जाते यावि होत्था, जीवं जीवेणं गच्छति जीवं जीवेणं चिट्ठति भासं भासित्ता गिलायति भासं भासमाणे गिलायति भासं भा.सस्सामित्ति गिलायति, से जहा न.मए इंगालसगडियाइ वा कट्ठसगडियाइ वा पत्तसगडियाइ वा तिलसगडियाइ वा एरंडकट्ठसगडियाइ वा उराहे दिन्ना सुका समाणी ससद्द गच्छइ, ससह : चिट्ठति, एवामेव मेहे अण्ग रे सस गच्छइ संसह चिइ, उचिए तवेणं Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 1 श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 1 / अवचिते मंससोणिएणं हुयासणे इव भासरासिपरिच्छन्ने तवेणं तेएणं तवतेयसिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणे 2 चिट्ठति 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे श्राइगरे तित्थगरे जाव पुत्राणुपुचि चरमाणे गामाणुगामं दुतिजमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणामेव रायगिहे नगरे जेणामेव गुणसिलए चेतिए तेणामेव उवागच्छति 2 त्ता ग्रहापडिस्वं उम्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति 2 / तते णं तस्स मेहस्स अणगारस्स रायो पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झस्थिते जाव समुपजित्थाएवं खलु अहं इमेणं उरालेणं तहेव जाव भासं भासिस्सामीति गिलामि तं अस्थि ता मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे सद्धा घिई संवेगे तं जाव ता मे अस्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसगारपरकमे सद्धा धिई संवेगे जार इमे धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरति ताव ताव मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयमा जलते सूरे समणं 3 वंदित्ता नमंसित्ता समणेणं भगवता महावीरेणं अभणुनायस्स समाणस्स सयमेव पंच महब्बयाई पारुहित्ता गोयमादिए समणे निग्गंथे निग्गथीयो य खामेत्ता तहारूवेहिं कडाईहिं थेरेहिं सद्धिं विउलं पव्वयं सणियं सणियं दुरूहति दुरूहित्ता सयमेव मेहघणसन्निगासं पुढविसिलापट्टयं पडिलेहेत्ता संलेहणाभूसणाए झूसियस्स भताण-पडियाइक्खितस्स पायोवगयस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तए 3 / एवं संपेहेति 2 कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समणं 3 तिक्खुनो श्रादाहियां पदाहियां करेइ 2 ता वंदति नमंसति 2 नचासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे नमंसमाणे अभिमुहे विणएगां पंजलियपुडे पज्जुवासति 4 / मेहेत्ति समणे भगवं महावीरे मेहं अणगारं एवं वदासी-से गूणं तव मेहा ! रायो पुव्व मेघणसागडियाइविखतमल पाउपभाषा 2 समणं नातिदूरे मुहात समयो Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 52 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः रत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिते जाव समुपजित्था एवं खलु अहं इमेगां अोरालेगां जाव जेणेव अहं तेणेव हव्वमागए, से गूगां म्हा अट्टे सम? ?, हंता अस्थि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध करेह 5 / तते गां से मेहे अणगारे समणेगां भगवया महावीरेगां अब्भणुनाए समाणे हट्ट जाक हियए उठाए उ?ई 2 त्ता समणं 3 तिक्खुत्तों आयाहिणं पयाहिणं करेइ 2 त्ता वंदइ नमसइ 2 ता सयमेव पंच महव्वयाइं प्रारुभेइ 2 ना गोयमाति समणे निग्गंथे निग्गंथीयो य खामेति खामेत्ता य तहाख्वेहिं कडाईहिं थेरेहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं 2 दुरूहति 2 सयमेव मेहघण-सन्निगासं पुढविसिलापट्टयं पडिलेहति 2 उच्चारपासवणभूमि पडलेहति 2 दम्भसंथारगं संथरति 2 दम्भसंथारगं दुरूहति 2 पुरत्याभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वदासी-नमोऽथु णं अरिहंताणं भगवंताणं जाव संपत्ताणं, णमोऽत्थु णं समणस्स भगवयो महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए पासउ मे भगवं तत्थगते इहगतंतिकटु वंदति नमंतइ 2 ता एवं वदासी-पुब्बिंपिय णं मए समणस्स 3 अंतिए सव्वे पाणाइवाए पञ्चक्खाए मुसावाए अदिन्नादाणे मेहुणे परिग्गहे कोहे माणे माया लोभे पेज्जे दोसे कलहे अब्भक्खाणे पेसुन्ने परपरिवाए अरतिरति मायामोसे मिच्छादसणसल्ले पञ्चक्खाते, इयाणिंपिणं अहं तस्सेव अंतिए सव्वं पाणातिवायं पञ्चक्खामिजाव मिच्छादसणसल्लं पञ्चक्खामि, सव्वं असणपाणखादिमसातिमं चउन्विहंपि श्राहारं पञ्चक्खामि जावज्जीवाए, जंपि य इमं सरीरं इट्टकंतं पियं जाव विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतीतिकट्टु एयंपिय णं चरमेहिं ऊसासनिस्सासेहिं वोसिरामित्तिकटटु संलेहणा-भूसणाझसिए भत्तपाण-पडियाइक्खिए पायोवगए कालं. अणवर्कखमाणे विहरति, तते णं ते थेरा भगवंतो मेहस्स श्रणगारस्स अगिलाए Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् // अध्ययनं 1 ] [.53 वेयावडियं करेंति 6 / तते णं से मेहे अणगारे समणस्स भगवश्रो महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याई एकारस अंगाइं अहिजित्ता बहुपडिपुन्नाई दुवालस वरिसाइं सामनपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसेत्ता सर्टि भताई अणसणाए छेदेत्ता भालोतियपडिक्कते उद्धियसल्ले समाहिपत्ते आणुपुव्वेणं कालगए, तते णं ते थेरा भगवंतो मेहं अणगारं पाणुपुव्वेणं कालगणं पासेंति 2 परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सगं करेंति. 2 मेहस्स पायारभंडयं गेहंति 2 विउलायो पव्वयायो सणियं 2 पचोरहंति 2 जेणामेव गुणसिलए चेइए जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छति 2 ता समणं 3 वंदति नमंसंति 2 ता एवं चयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी मेहे णामं श्रणगारे पगइभदए जाव विणीते से णं देवाणुप्पिएहिं अब्भणुनाए समाणे गोतमातिए समणे निग्गंथे निग्गंथीयो य खामेत्ता अम्हेहिं सद्धिं विउलं पव्वयं सणियं 2 दुरूहति 2 सयमेव मेघघणसन्निगासं पुढविसिलं पट्टयं पडिलेहेति 2 भत्तपाण-पडियाइक्खित्ते अणुपुव्वेणं कालगए एस णं देवाणुप्पिया ! मेहस्स अणगारस्स अायारभंडए 7 // सूत्रं 35 // __ भंतेत्ति भगवं गोतमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 ता एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी मेहे णाम अणगारे से णं भंते ! मेहे अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ?, गोतमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-एवं खलु गोयगा! मम अंतेवासी मेहे णामं अणगारे पगतिभद्दए जाव विणीए से णं तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याति एकारस अंगाति अहिजति. 2 बारस भिक्खुपडिमायो गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं कारणं फासेत्ता जाव कित्ता मए अब्भणुनाए समाणे गोयमाइ थेरे खामेइ 2 तहास्वेहिं जाव विउलं पव्वयं दुरूहति 2 दब्भसंथारगं संथरति 2 दब्भसंथारोवगए सयमेव पंच Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 54) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः म चतुर्थो विभागः महब्बए उचारेइ बारस वासातिं सामगणपरिगायं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अपाणं झूसित्ता सट्टि भत्तातिं अणसणाए छेदेत्ता बालोइयपडिक्कते उद्धियसल्ले समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा उद्धं चंदिमसूरग. हगण-णक्खत्ततारारूवाणं बहूई जोयणाई बहूई जोयणसयाई बहूई जोयणसहस्साई बहूई जोयणसयसहस्साई बहूइ जोयणकोडीयो बहूइ जोश्रणकोडाकोडीयो उ8 दूरं उप्पइत्ता सोहंमीसाण-सणंकुमार-माहिंद बंभ-लंतगमहासुक सहस्साराणय-पाणयारणच्चुते तिगिण य अट्ठारसुत्तरे गेवेज-विमाणावामसए वीइवइत्ता विजए महाविमाणे देवत्ताए उववरणे, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं तेत्तीसं सागारोवमाई ठिई पराणत्ता, तत्थ णं मेहस्सवि देवस्स तेत्तीसं सागरोवमातिं ठिती पन्नत्ता 1 / एस णं भंते ! मेहे देवे तायो देवलोयायो पाउक्खएणं ठितिक्खएणं भवक्खएणं अशांतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुझिहिति मुचिहिति परिनिवाहिति सव्वदुक्खाणमंतं काहिति 2 / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं थाइगरेणं तित्थगरेणं जाव संपत्तेणं अप्पोपालंभनिमित्तं पढमस्स नायज्मयणस्स अयम8 पन्नत्ते तिबेमि 3 // सूत्रं 36 // पढमं यज्झयणं समत्तं / // इति प्रथममध्ययनम् // 1 // // 2 // अथ संघाटाख्यं द्वितीयमध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं पढमस्स नायज्झयणस्स श्रयम? पत्नत्ते बितीयस्स णं भंते / नायज्झयणस्स के अट्ठ पत्नत्ते ?, एवं खलु जंब ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णामं नयरे होत्था वनयो 1 / तस्स णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए गुणसिलए नामं चेतिए होत्था वन्नो, तस्स णं गुणसिलयस्स चेतियस्स अदूरसामंते Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 1 ] . एत्थ णं महं एगे जिराणुजाणे यावि होत्था विणदेवउले परिसडियतोरणघरे ना गाविह गुछगुम्म-लयावल्लि-वच्छच्छाइए अणेग-वालसय-संकणिज्जे यावि होत्था 2 / तरस णं जिन्नुजाणस्स बहुमझदेसभाए एस्थ णं महं एगे भग्गकूवए यावि होत्था, तस्त णं भग्गकूवस्स अदूरसामंते एत्थ णं महं एगे मालुयाकच्छप यावि होत्था, किराहे किराहोभासे जाव रम्मे घनकडियडच्छाए महामेह-निउरंबभूते (पत्तिए पुष्फिए फलिए हरियगरे-रिजमाणे सिरीए अईव अईव उवमोभेमाणे चिट्ठइ)बहूहिं रुक खेहि य गुच्छेहि य गुम्मेहि य लयाहि य वल्लीहि य कुसेहि य (कूविएहि य) खाणु(सत्त) हि य संच्छन्ने पलिच्छन्ने यंत झुमिरे बाहिं गंभीरे अणेग-वालसय-संकणिज्जे यावि होत्या 3 // सूत्रं 37 // तत्य णं राय:गहे नगरे धरणे नामं सत्थवाहे अड्डे दित्ते जाव विउलभत्तपाणे, तस्स णं धराण,स्स सस्थवाहस्स मदा नाम भारिया होत्था सुवुमालपाणिपाया . बहीण-पडिपुराणा-पंचिंदियसरीरा लवखण-वंजण-गुणोववेया माणुम्माणप्पमाण-पडिपुन्न-सुजात-मव्वंगसुदरंगी ससिसोमागारा कंता पियदंसणा सुरूवा करयल-परिमिय-तिवलियमज्मा कुंडलुल्लिहिय गंडलेहा कोमुदि-रयणियर-पडिपुराण सोमवयणा सिंगारागार-चारुबेसा जाव पडिरूवा वंभा अवियाउरी जाणुकोप्परमाया यावि होत्था // सूत्रं 38 // तस्स णं धरणस्स सत्थवाहस्स पंथए नाम दासचेडे होत्था सव्वंगसुदरंगे मंसोवचित्त बाल-कीलावण-कुसले यावि होत्था, तते णं से धराणे सत्यवाहे रायगिहे नयरे बहूणं नगरनिगम-सेटिमाथवाहाणं अट्ठारसराह य से.णयप्पसेणीणं बहुसु कज्जेसु य कुडुबेसु य मंतेसु य जाव चक्खुभूते यावि होत्था, नियगस्सवि य णं कुडुबस्स बहुसु य कज्जेसु जाव चक्खुभूते यावि होत्था // सूत्रं 31 // तत्थ णं रायगिहे नगरे विजए नामं तकरे होत्था, पावे चंडालरूवे भीमतर-रुद्दकम्मे थारूसिय-दित्तरत्तनयणे खरफरुस-महल्ल-विगयबीभत्यदाढिए असंपुडितउट्टे उद्धृयपइन्न-लंबंतमुद्धए भमरराहुवन्ने निरणुकोसे Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विमांगा निरणुतावे दारुण पइभए निसंसतिए(निसंसे) निरणुकंपे अहिव्व एगंतदिट्ठिए खुरेव एगंतधाराए गिद्धेव श्रामिसतल्लिच्छे अग्गिमिव सव्वभक्खे जलमित्र सव्वगाही उवकंचण-वंचण-मायानियडि-कूडकवड-साइसंपयोगबहुले चिरनगर-विणट्ठ-दुट्ठ-सीलायारचरित्ते जयपसंगी मनपसंगी भोजपसंगी मंसपसंगी दारुणे हिययदारए (जणहियाकारए) साहसिए संधिच्छेयए उवहिए विस्सं भघाती थालीयग-तित्थभेय-लहुहत्थ-संपउत्ते परस्स दव्वहरणंमि निव्वं अणुबद्धे तिव्ववेरे रायगिहस्स नगरस्स बहूणि इगमणाणि य निग्गमाणि य दाराणि य अवदाराणि य छिडियो य खंडीयो य नगरनिद्धमणाणि य संवट्टणाणि य निबट्टणाणि य जूवखलयाणि य पाणागाराणि य वेसागा राणि य तद्दारहाणाणि य तकरट्टाणाणि य तकरघराणि य सिंगाडगाणि - य तियाणि य चउक्काणि य चच्चराणि य नागघराणि य भूयघराणि य जक्खदेउलाणि य सभाणि य पवाणि य पणियसालाणि य सुन्नघराणि य श्राभोएमाणे 2 मग्गमाणे गवसमाणे, बहुजणस्स छिद्दे सुः य विसमेसु य विहुरेसु य वसणेसु य अभुदएसु य उस्सवेसु य पसवेसु य तिहीसु य छणेसु य जन्नेसु य पब्वणीसु य मत्तपमत्तस्स य वक्खित्तस्स य वाउलरस य सुहितस्स य दुक्खियस्स य दिदेसस्थस्स य विप्पवसियस्म य मग्गं च छिद्दच विरहं च अंतरं च मग्गमाणे गवेसमाणे एवं च णं विहरति, बहियावि यणं रायगिहस्स नगररस पारामेसु य उजाणेसु य वाविपोक्खरणीदीहिया-गुजालियासरेसु य सरपंतियासु य सरसरपंतियासु य जिराणुजाणेसु य भग्गकूवएसु य मालुयाकच्छएसु य सुसाणएसु य गिरिकंदर-लेण-उवट्ठाणेसु य बहुजणस्स छिद्देसु य जाव एवं च णं विहरति // सूत्रं 40 // तते णं तीसे भद्दाए भारियाए अन्नया कयाई पुब्बरतावरत्त-कालसमयंसि कुडुबजागरियं जागरमाणीए श्रयमेयारुवे अज्झथिए जाव समुपजित्या-श्रहं धगणेण सत्थवाहेण सद्धिं बहूणि वासाणि सद्दफरिस-रसगंध Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / / अध्ययमं 2 ] [ 57 रूवाणि माणुस्सगाई कामभोगाई पच्चणुभवमाणी विहरामि, नो चेवणं अहं दारगं वा दारिगं वा पयायामि 1 / तं धन्नाश्रोणं तायो अम्मयायो जाव सुलद्धे णं माणुस्सए जम्मजीवियफले तासिं अम्मयाणं जासिं मन्ने णिगयकुच्छिसंभू. यातिं थणदुद्धलुद्धयाति महुरसमुल्लावगातिं मम्मणपयंपियाति थणमूलकक्ख. देसभागं अभिसरमाणाति मुद्धयाइं थणयं पिवंति 2 / ततो य कोमलकमलो. वमेहिं हत्थेहिं गिरािहऊणं उच्छंगे निवेसियाई देंति समुल्लावए पिए सुमहुरे पुणो 2 मंजुलप्पभणिते, तं अहन्नं अधन्ना अपना अलक्खण। अकयपुन्ना एत्तो एगमवि न पत्ता, तं सेयं मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलंते धरणं सत्थवाहं श्रापुच्छित्ता धराणेणं सत्थवाहेग श्रमणुनाया समाणी सुबहुँ विपुलं असणपाण-खातिमसातिमं उवक्खडावेत्ता सुबहुँ पुप्फवत्थ-गंधमल्लालंकारं गहाय बहूहिं मित्तनाति-नियग-सयण-संबंधिपरिजणमहिलाहिं सद्धिं संपरिवुडा जाई इमाई रायगिहस्स नगरस्स बहिया णागाणि य भूयाणि य जक्खाणि य इंदाणि य खंदाणि य रुहाणि य सेवाणि य वेसमणाणि य तत्थ णं बहूणं नागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य महरिहं पुष्फचणियं करेत्ता जागुपायपडियाए एवं वइत्तए-जइ णं अहं देवाणुप्पिया ! दारगं वा दारिगं वा पयायामि तो णं अहं तुब्भं जायं च दायं च भायं च अक्खयणिहिं च अणुवड्ढे मित्ति कटु उवाति उवाइत्तए 3 / एवं संपेहेति 2 कल्लं जाव जलते जेणामेव धरागो सत्थवाहे तेणामेव उवागच्छति उवागच्छित्ता एवं वदासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं सद्धिं बहूई वासातिं जाव देंति समुल्लावए सुमहुरे पुणो 2 मंजुलप्पभणिते तगणं अहं अहन्ना अपुन्ना अकयलक्खणा एत्तो एगमवि न पत्ता, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं अभणुनाता समाणी विपुलं असणं 4 जाव अणुवड्डोमि उवाइयं करेत्तए 4 / तते / धरणे सत्थवाहे भदौं भारियं एवं वदासी-ममंपि य णं खलु देवाणुप्पिए ! या दारगं वा दाणवढे मिति का गो या! तुमहत तगणं अहवाणुपिया ! य करेत्तए Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 58 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः एस चेव मणोरहे-कहं णं तुमं दारगं दारियं वा पयाएजसि ?, भद्दाए सत्थवाहीए एयमट्ठमणुजाणति, तते णं सा भद्दा सस्थवाही धरणेणं सत्थवाहेणं अब्भाणुनाता समाणी हट्टतुट्ट जाव हयहियया विपुलं असणपाणखातिमसातिम उवक्खडावेति 2 ता सुबहुँ पुप्फगंध-वस्थमल्लालंकारं गेराहति 2 सयायो गिहायो निग्गच्छति 2 रायगिहं नगरं मझमझेणं निग्गच्छति 2 ना जेणेव पोवखरिणी तेणेव उवागच्छति 2 पुखरिणीए तीरे सुबहुँ पुष्फ जाव मल्लालंकारं ठवेइ 2 पुक्खरिणिं श्रोगाहइ 2 जलमजणं करेति जलकीडं करेति 2 राहाया कयबलिकम्मा उल्लपडसाडिगा जाई तत्थ उप्पलाइं जाव सहस्सात्ताई ताइं गिराहइ 2 पुक्खरिणीयो पच्चोरहइ 2 तं सुबहुँ पुष्फगंधमल्लं गेराहति 2 जेणामेव नागघरए य जाव वेममणघरए य तेणेव उवागच्छति 2 तत्थ णं नागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य पालोए पणामं करेइ ईसिं पच्चुन्नमइ 2 लोमहत्थगं परामुसइ 2 नागपडिमायो य जाव वेसमणपडिमायो य लोमहत्थेणं पमजति उदगधाराए अभुक्खेति 2 पम्हलसुकुमालाए गंधकासाईए गायाई लूहइ 2 महरिहं वत्थारुहणं च मल्लारहणं च गंधारहणं च चुन्नारुहणं च वन्नारहणं च करेति 2 जाव धूवं डहति 2 जानुपायपडिया पंजलिउडा एवं वदासी-जइ णं अहं दारगं वा दारिगं वा पयायामि तो णं अहं जायं च जाव अणुवड्ढे मित्ति कटु उवातियं करेति 2 जेणेव पोक्खरिणी तेणेव आगच्छति 2 विपुलं असणं 4 श्रासाएमाणी जाव विहरति, जिमिया जाव सुइभूया जेणेव सए गिहे तेणेव उवागया अदुत्तरं च णं भद्दा सत्थवाही चाउद्दसट्टमुद्दिट्ट-पुन्नमासिणीसु विपुलं असणं 4 उवक्खडात 2 बहवे नागा य जाव वेसमणा य उवायमाणी जाब एवं च णं विहरति 5 // सूत्रं 41 // तते णं सा भद्दा सत्थवाही अन्नया कयाइ केणति कालंतरेणं श्रावन्नसत्ता जाया यावि होत्था 1 / तते णं तीसे भदाए Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 56 श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् // अध्ययनं 2 ] सत्थवाहीए दोसु मासेसु वीतिक्कतेसु ततिए मासे वट्टमाणे इमेयास्वे दोहले पाउभूते-धनायो णं तायो अम्मयायो जाव कयलक्खणायो णं तायो अम्मयायो जायो णं विउलं असणं 4 सुबहुयं पुप्फवत्थ-गंधमल्लालंकारं गहाय मित्तनाति-नियग-सयण-संबंधि-परियण-नयरमहिलियाहि य सद्धिं संपरिखुडायो रायगिहं नगरं मझमझेणं निग्गच्छति 2 जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति 2 पोक्खरिणीं श्रोगाहिंति 2 राहायात्रो कयबलिकम्मायो सव्वालंकारविभूसियायो विपुलं असणं 4 श्रासाएमाणीयो जाव पडिभुजेमाणीयो दोहलं विणेति एवं संपेहेति 2 कल्लं जाव जलंते जेणेव धराणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति 2 धरणं सत्थवाहं एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम तस्स गब्भस्स जाव विणेति तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं अब्भणुनाता समाणी जाव विहरित्तए ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 2 / तते णं सा भदा सत्थवाही धरणेणं सत्थवाहेणं अब्भणुनाया समाणी हट्टतुट्टा जाव विपुलं असणं 4 जाव राहाया जाव उल्पडसाडगा जेणेव नागघरते जाव धूवं दहति 2 पणामं करेति पणामं करेत जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छति 2 तते णं तायो मित्तनाति जाव नगरमहिलायो भदं सत्थवाहिं सव्वालंकारविभूसितं करेति 3 / तते णं सा भद्दा सत्थवाही ताहिं मित्तनातिनियगसयण-संबंधिपरिजण-णगरमहिलियाहिं सद्धिं तं विपुलं असणं 4 जाव परिभुजमाणी य दोहलं विणेति 2 जामेव दिसिं पाउन् ता तामेव दिसि पडिगया 4 / तते णं सा भद्दा सत्थवाही संपुन्नडोहला जाव तं गम्भं सुहंसुहेणं परिवहति, तते णं सा भद्दा सत्थवाही णवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाण राइंदियाणं सुकुमालपाणिपादं जाव दारगं पयाया / तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे जातकम्मं करेंति 2 तहेव जाव विपुलं असणं 4 उवक्खडावेंति 2 तहेव मित्तनाति-निययसयण Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 60 ] उवाइयलद्धे अम्मापियरो नायव भायं [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः संबंधि-परियणनगर-महिलियाहि य भोयावेत्ता अयमेयास्वं गोन्नं गुणनिष्फन्नं नामधेज्जं करेंति जम्हा णं अम्हं इमे दारए बहूणं नागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाणा य उवाइयलद्धे णं ते होउ णं अम्हं इमे दारए देवदिन्ननामेणं 6 / तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधिज्ज करेंति देवदिन्नेत्ति, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो जायं च दायं च भायं च अक्खयनिहिं च अणुवड्डेति॥सूत्रं ४२॥तते णं से पंथए दासचेडए देवदिनस्स दारगस्स बालग्गाही जाए, देवदिन्नं दारयं कडीए गेराहति 2 बहूहिं डिभएहि य डिंभगाहि य दारएहि य दारियाहि य कुमारएहि श्र कुमारियाहि य सद्धिं संपरिबुडे अभिरममाणे अभिरमति 1 / तते णं सा भद्दा सत्थवाही अन्नया कयाई देवदिन्नं दारयं राहायं कयबलिकम्मं कयकोउयमंगल-पायच्छित्तं सवालंकारभूसियं करेति, पंथयस्स दासचेडयस्स हत्थयंसि दलयति 2 / तते णं से पंथए दासचेडए भदाए सत्थवाहीए हत्थात्रो देवदिन्नं दारगं कडिए गिराहति 2 सयातो गिहायो पडिनिक्खिमति 2 बहूहिं डिभएहि य डिभियाहि य जाव कुमारियाहि य सद्धिं संपरितुडे जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छइ 2 देवदिन्नं दारगं एगते ठावेति 2 बहूहिं डिंभएहि य जाव कुमारियाहि य सद्धिं संपरिबुडे पमत्ते यावि होत्था (विहरति) 3 / इमं च णं विजए तकरे रायगिहस्स नगरस्स बहूणि बाराणि य अवदाराणि य तहेव जाव श्राभोएमाणे मग्गेमाणे गवेसेमाणे जेणेव देवदिन्ने दारए तेणेव उवागच्छइ 2 देवदिन्नं दारगं सव्वालंकारविभूसियं पासति पासित्ता देवदिन्नस्स दारगस्स श्राभरणालंकारेसु मुछिए गढिए गिद्धे अभोववन्ने पंथयं दासचेडं पमत्तं पासति 2 दिसालोयं करेति करेत्ता देवदिन्नं दारगं गेराहति 2 कक्खंसि अल्लियावेति 2 उत्तरिज्जेणं पिहेइ 2 सिग्धं तुरियं चवलं चेतियं रायगिहस्स नगरस्स अवदारेणं निग्गच्छति 2 जेणेव जिराणुजाणे जेणेव भग्गकूवए तेणेव उवागच्छति 2 Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 2 ] [ 61 देवदिन्नं दारयं जीवियायो ववरोवेति 2 श्राभरणालंकारं गेराहति 2 देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरगं निप्पाणं निच्चेटु जीवियविप्पजढं भग्गकूवए पक्खिवति 2 जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छति 2 मालुयाकच्छयं अणुपविसति 2 निच्चले निष्फदे तुसिणीए दिवसं खिमाणे चिट्ठति 4 / // सूत्रं 43 // तते णं से पंथए दासचेडे तो मुहुत्तंतरस्स जेणेव देवदिन्ने दारए उविए तेणेव उवागच्छति 2 देवदिन्नं दारगं तंसि ठाणंसि अपासमाणे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे देवदिन्नदारगस्स सव्वतो समंता मग्गणगवेसणं करेइ 2 देवदिन्नस्स दारगस्स कथइ सुतिं वा खुति वा पउत्तिं वा अलभमाणे जेणेव सए गिहे जेणेव धरणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति 2 धराणं सस्थवाहं एवं वदासी-एवं खलु सामी ! भदा सत्थवाही देवदिन्नं दारयं राहायं जाव मम हत्थंसि दलयति तते णं अहं देवदिन्नं दारयं कडीए गिराहामि 2 जाव मग्गणगवेसणं करेमि तं न णजति णं सामि ! देवदिन्ने दारए केणइ हते वा अवहिए वा अवखित्ते वा पायवडिए धराणस्स सस्थवाहस्स एतमट्ठ निवेदेति 1 / तते णं से धरणे सत्थवाहे पंथयदासचेडयरस एतम8 सोचा णिसम्म तेण य महया पुत्तसोएणाभिभूते समाणे परसुणियत्तेव चंपगपायवे धसत्ति धरणीयलंसि सव्वंगेहिं सन्निवइए 2 / तते णं से धराणे सत्थवाहे ततो मुहुत्तंतरस्स अासत्थे पच्छागयपाणे देवदिन्नस्स दारगस्स सव्वतो समंता मग्गणगवेसणं करेति देवदिन्नस्स दारगस्स कथइ सुई वा खुइं वा पउत्तिं वा अलभमाणे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ 2 महत्थं पाहुडं गेराहति 2 जेणेव नगरगुत्तिया तेणेव उवागच्छति 2 तं महत्थं पाहुडं उवणेति उवणतित्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम पुत्ते भदाए भारियाए अत्तए देवदिन्ने नाम दारए इठे जाव उंबरपुप्फंपिव दुल्लहे सवणयाए किमंग पुण पासणयाए ? 3 / तते णं सा भद्दा देवदिन्नं राहायं सव्वा Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 62 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : चतुर्थो विभागः लंकारविभूसियं पंथगस्स हत्थे दलाति जाव पायवडिए तं मम निवेदेति तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! देवदिन्नदारगस्स सव्वश्रो समंता मग्गणगवेसणं कयं 4 / तए णं ते नगरगोत्तिया धराणेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा सन्नद्धबद्धवम्मियकवया उप्पीलिय-सरासणवट्टिया जाव गहियाउहपहरणा धरणेणं सत्थवाहेणं सद्धिं रायगिहस्स नगरस्स बहूणि अतिगमणाणि य जाव पवासु य मग्गणगवेसणं करेमाणा रायगिहाथो नगरात्रो पडिनिक्खमंति 2 जेणेव जिराणुजाणे जेणेव भग्गकूवए तेणेव उवागच्छति 2 देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरगं निप्पाणं निच्चे? जीव(जीवियाविप्पजदं पासंति 2 हा हा अहो अकजमितिकटु देवदिन्नं दारगं भग्गकूवायो उत्तारेंति 2 धरणस्त सत्थवाहस्स हत्थेणं दलयंति 5 // सूत्रं 44 // तते णं ते नगरगुत्तिया विजयस्स तकरस्स पयमग्ग-मणुगच्छमाणा जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छंति 2 मालुयाकच्छयं अणुपविसंति 2 विजयं तकरं ससक्खं सहोदं सगेवेज्जं जीवग्गाहं गिराहंति 2 अट्टिमुट्ठिजाणुकोप्पर-पहार-संभग्ग-महियगत्तं करेंति 2 अवउडाबन्धणं करेंति 2 देवदिन्नगस्स दारगस्म अाभरणं गेरहंति 2 विजयस्स तकरस्स गीवाए बंधंति 2 मालुयाकच्छगायो पडिनिक्खमंति 2 जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छति 2 रायगिहं नगरं अणुपविसंति 2 रायगिहे नगरे सिंघाडग-तियचउक-चच्चरमहापहपहेसु कसप्पहारे य लयप्पहारे य छिवापहारे य निवाएमाणा 2 छारं च धूलिं च कयवरं च वरिं पकिरमाणा 2 महया 2 सणं उग्घोसेमाणा एवं वदंति-एस णं देवाणुप्पिया ! विजय नामं तकरे जाव गिद्धे विव श्रामिसमक्खी बालघायए बालमारए, तं नो खलु देवाणुप्पिया ! एयस्स केति राया वा रायपुत्ते वा रायमच्चे वा अवरज्झति एस्थडे (नन्नत्थ) अप्पणो सयाति कम्माई अवरभंतित्तिकट्टु जेणामेव चारगसाला तेणामेव उवागच्छंति 2 हडिबंधणं करेंति 2 भत्तपाणनिरोहं Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 2 ] [63 करेंति 2 तिसंझ कसप्पहारे य जाव निवाएमाणा 2 विहरंति 1 / तते णं से धराणे सत्थवाहे मित्तनाति-नियगसयण-संबंधिपरियणेणं सद्धिं रोयमाणे जाव विलवमाणे देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरस्स महया इड्डीसक्कारसमुदएणं निहरणं करेंति 2 बहूई लोतियातिं मयगकिच्चाई करेंति 2 केणइ कालं. तरेणं अवगयसोए जाए यावि होत्था 2 // सूत्रं 45 // तते णं से धराणे सत्थवाहे अन्नया कयाई लहूसयंसि रायावराहसि संपलत्ते जाए यावि होत्था, तते णं ते नगरगुत्तिया धराणं सस्थवाहं गेहंति 2 जेणेव चारगे तेणेव उवागच्छंति 2 चारगं अणुपवेसंति 2 विजएणं तकरेणं सद्धिं एगयत्रो हडिबंधणं करेंति 1 / तते णं सा भद्दा भारिया कल्लं जाव जलते विपुलं असणं 4 उवक्खडेति 2 भोयणपिंड(पडि)ए क(भारेति 2 भोयणाई पक्खिवति लंछियमुद्दियं करेइ 2 एगं च सुरभिवारिपडिपुन्नं दगवारयं करेति 2 पंथयं दासचेडं सदावेति 2 एवं वदासीगच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! इमं विपुलं असणं 4 गहाय चारगसालाए धरणस्स सत्थवाहस्स उवणेहि, तते.णं से पंथर भदाए सत्थवाहीए एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्टे तं भोयणपिंडयं तं च सुरभिवरवारिपडिपुन्नं दगवारयं गेगहति 2 सयायो गिहायो पडिनिक्खमति 2 रायगिहे नगरे मेझमज्झेणं जेणेव चारगसाला जेणेव धन्ने सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति 2 भोयणपिडयं पवेति 2 उल्लंछति 2 ता भायणाइं गेहति 2 भायणाई धोवेति 2 हत्थसोयं दलयति 2 धरणं सत्थवाहं तेणं विपुलेणं असणपाण-खाइमसाइमेणं परिवेसति, तते णं से विजए तकरे धरणं सत्थवाहं एवं वदासी-तुमराणं देवाणुप्पिया ! मम एयाश्रो विपुलातो असण-पाण-खाइमसाइमायो संविभागं करेहि 2 / तते णं से धरणे सत्थवाहे विजयं तकरं एवं वदासी-अवि याइं अहं विजया ! एयं विपुलं असणं 4 कायाणं वा सुणगाणं वा दलएजा उक्कुरुडियाए वाणं छड्डेजा नो चेव णं तव पुत्तघायगस्स पुत्तमार Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विभागः गस्स अरिस्स वेरियस्स पडिणीयस्स पञ्चामित्तस्स एत्तो विपुलायो असण-पाण-खाइमसाइमायो संविभागं करेजामि 3 / तते णं से धरणे सत्थवाहे तं विपुलं असणं 4 श्राहारेति 2 तं पंथयं पडिविसज्जेति, तते णं से पंथए दासचेडे तं भोयणपिडगं गिगहति 2 जामेव दिसि पाउन्भुते तामेव दिसि पडिगए 4 / तते णं तस्स धराणस्स सत्थवाहस्स तं विपुलं असणं 4 श्राहारियस्त समाणस्स उच्चारपासवणे णं उव्वाहित्था, तते णं से धरणे सत्थवाहे विजयं तकरं एवं वदासी-एहि ताव विजया ! एगंतमवकमामो जेणं अहं उबारपासवणं परिढुवेमि, तते णं से विजए तकरे धरणं सत्थवाहं एवं वयासी-तुम्भं देवाणुप्पिया ! विपुलं असणं 4 श्राहारियस्स अस्थि उच्चारे वा पासवणे वा ममन्नं देवाणुप्पिया ! इमेहिं बहूहिं कसप्पहारेहि य जाव लयापहारेहि य तराहाए य छुहाए य परब्भवमाणस्स णस्थि केइ उच्चारे वा पासवणे वा तं छदेणं तुमं देवाणुप्पिया ! एगते अवकमित्ता उच्चारपासवणं परिहवेहि, तते णं से धराणे सत्यवाहे विजएणं तकरेणं एवं वुत्ते समाणे तुसिणीए संचिट्ठति 5 / तते णं से धराणे सत्थवाहे मुहुत्तंतरस्स बलियतरागं उच्चारपासवणेणं उव्वाहिजमाणे विजयं तकरं एवं वदासीएहि ताव विजया ! जाव अवकमामो 6 / तते णं से विजए धराणं सत्यवाहं एवं वदासी-जइ णं तुमं देवाणुप्पिया ! ततो विपुलायो-असण-पाणखाइमसाइमायो संविभागं करेहि ततोऽहं तुमेहिं सद्धिं एगंतं अवकमामि 7 / तते णं से धराणे सत्थवाहे विजयं एवं वदासी-अहन्नं तुम्भं ततो विपुलायो असण-पाण-खाइमसाइमायो संविभागं करिस्सामि, तते णं से विजए धराणम्स सस्थवाहस्स एयमट्ठ पडिसुणेति 8 / तते णं से विजए धराणेणं सद्धिं एगते अवकमेति उच्चारपासवणं परिट्ठवेति श्रायंते चोक्खे परमसुइभए तमेव गणं उवसंकमित्ता णं विहरति, तते णं सा भद्दा कल्लं जाव जलते विपुलं असणं 4 जाव परिवेसेति 1 / तते णं से धरणे Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 2 ] सत्थवाहे विजयस्स तकरस्स ततो विपुलायो असण-पाण-खाइमसाइमायो संविभागं करेति, तते णं से धरणे सत्थवाहे पंथयं दासचेडं विसज्जेति 10 / तते णं से पंथए भोयणपिडयं गहाय चारगायो पडिनिक्खमति 2 रायगिहं नगरं मझमज्झेणं जेणेव सए गेहे जेणेव भद्दा भारिया तेणेव उवागच्छइ 2 ता भद्द सत्थवाहिणिं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए ! धराणे सत्थवाहे त(हे)व पुत्तघायगस्स जाव पञ्चामित्तस्स ताश्रो विपुलायो असण-पाणखाइमसाइमायो संविभागं करेति 11 // सूत्रं 46 // तते णं सा भद्दा सत्थवाही पंथयस्स दासचेडयस्स अंतिए एयम8 सोचा थासुरुत्ता रुट्टा जाव मिसिमिसेमाणा धराणस्स संस्थवाहस्स परोसमावज्जति 1 / तते णं से धराणे सत्थवाहे अन्नया कयाइं मित्तनाति-नियगसयण-संबंधिपरियणेणं सएण य अत्थसारेणं रायकजातो अप्पाणं मोयावेति 2 चारगसालायो पडिनिक्खमति 2 जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छति 2 अलंकारियकम् करेति(करावेइ) 2 जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति 2 अह(अहाक्य) धोयमट्टियं गेराहति पोक्खरिणीं श्रोगाहति 2 जलमजणं करेति 2 राहाए कयबलिकम्मे जाव रायगिहं नगरं अणुपविसति 2 रायगिहनगरस्स मज्झमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव पधारेत्थ गमणाए 2 / तते णं तं धरणं सत्थवाहं एजमाणं पासित्ता रायगिहे नगरे बहवे नियग-सेट्टि-सस्थवाह-पभितो अोढंति परिजाणंति सकारेंति सम्माणति अब्भुट्ठति सरीरकुसलं पुच्छंति 3 / तते णं से धरणे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति 2 जाविय से तत्थ बाहिरिया परिसा भवति तंजहा-दासाति वा पेस्साति वा भियगाइ वा भाइलगाइ वा, सेवि य णं धरणं सत्थवाह एज्जतं पासति 2 पायवडियाए खेमकुसलं पुच्छंति, जावि य से तत्थ अभंतरिया परिसा भवति तंजहा-मायाइ वा पियाइ वा भायाति वा भगिणीति वा, सावि य णं धगणं सत्थवाहं एजमाणं पासति 2 श्रासणायो Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 66 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः अब्भुट्ठति 2 कंठाकंठियं अवयासिय बाहप्पमोक्खणं करेति 4 / तते णं से धरणे सत्थवाहे जेणेव भद्दा भारिया तेणेव उवागच्छति, तते णं सा भद्दा धरणं सत्थवाहं एजमाणं पासति पासित्ता णो अाढाति नो परियाणाति अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी तुसिणीया परम्मुही संचिट्ठति 5 / तते णं से धराणे सत्थवाहे भई भारियं एवं वदासी-किन्नं तुम्भं देवाणुप्पिए ! न तुट्ठी वा न हरिसे वा नाणंदे वा जं मए सएणं अत्थसारेणं रायकजातो अप्पाणं विमोतिए ? 6 / तते णं सा भदा धरणं सत्थवाहं एवं वदासीकहन्नं देवाणुप्पिया ! मम तुट्ठी वा जाव आणंदे वा भविस्सति ? जेणं तुम मम पुत्तघायगस्स जार पचामित्तस्स ततो विपुलातो असण-पाणखाइम-साइमायो संविभागं करेसि 7 / तते णं से धरणे भद्द एवं वदासी-नो खलु देवाणुप्पिए। धम्मोत्ति वा तवोत्ति वा कयपडिकझ्या वा लोगजत्ताति वा नायएति वा घाडिएति वा सहाएति वा सुहिति वा ततो विपुलातो असण-पाणखाइम-साइमायो संविभागे कए, नन्नत्थ सरीरचिंताए 8 / तते णं सा भद्दा धराणेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणी हट्ट जाव भासणातो अब्भुट्ठति कंठाकंठिं अवयासेति खेमकुसलं पुच्छति 2 राहाया जाव पायच्छित्ता विपुलाति भोगभोगाइं भुजमाणी विहरति / / तते णं से विजए तकरे चारगसालाए तेहिं बंधेहिं वहेहिं कसप्पहारेहि य जाव तराहाए य छुहाए य परब्भवमाणे कालमासे कालं किच्चा नरप्सु नेरइयताए उववन्ने 10 / से णं तत्थ नेरइए जाते काले कालोभासे जाव वेयणं पचणुभवमाणे विहरइ, से णं ततो उव्वट्टित्ता अणादीयं श्रणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकतारं अणुपरियट्टिस्सति एवामेव जंबू ! जे णं अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा थायरियउवमायाणं अंतिए मुंडे भवित्ता श्रागारात्रो अणगारियं पव्वतिए समाणे विपुलमणि-मुत्तिय-धणकणग रयणसारेणं लुब्मति सेविय एवं चेव 11 // सूत्रं 47 // तेणं कालेणं तेणं पवणुभवमाणे सरकतार अणुपायरियउवमानमणि Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / / अध्ययनं 2 ] [67. समएणं धम्मघोसा नाम थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना 2 जाव पुवाणुपुदि चरमाणे जाव जेणेव रायगिहे नगरे जेणेव गुणसिलए चेतिए जाव ग्रहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति, परिसा निग्गया धम्मो कहियो 1 / तते णं तस्स धराणस्स सत्थवाहस्स बहुजणस्स अंतिए एतम8 सोचा णिसम्म इमेतारूवे अज्झस्थिते जाव समुपजित्था-एवं खलु भगवंतो जातिसंपन्ना इहमागया इह संपत्ता तं इच्छामि . णं थेरे भगवंते. वंदामि नमसामि राहाते जाव सुद्धप्पावेसाति मङ्गलाई वत्थाई पवरपरिहिए पायविहारचारेणं जेणेव गुणसिले चेतिए जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति 2 वंदति नमंसति 2 / तते णं थेरा धरणस्स विचित्तं धम्ममातिक्खंति, तते णं से धराणे सत्थवाहे धम्मं सोचा एवं वदासी-सदहामि गं भंते ! निग्गंथे पावयणे जाव पव्वतिए जाव बहूणि वासाणि सामनपरियागं पाउणित्ता भत्तं पञ्चक्खातित्ता मासियाए संलेहणाए सर्टि भत्ताइं अणसणाए छेदेइ 2 त्ता कालमासे कालं किंचा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उवन्ने, तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलियोवमाइं ठिती पन्नत्ता, तत्थ ण धराणस्स देवस्स चत्तारि पलिग्रोवमाइं ठिती पराणत्ता 3 / से गं धराणे देवे तायो देवलोयायो घाउखएगां ठितीक्खएगां भवक्खएगां अांतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिझिहिति जाव. सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति 4 // सूत्रं 48 // जहा णं जंबू ! धगणेणं सत्थवाहेणं नो धम्मोत्ति वा जाव विजयस्स तकरस्स ततो विपुलायो असण-पाण-खाइमसाइमाश्रो संविभागे कए नन्नत्थ सरीरसारक्खणट्ठाए 1 / एवामेव जंबू ! जे णं अम्हं निग्गंथे वा 2 जाव पव्वतिए समाणे ववगयराहाणुम्मदण-पुष्पगंध-मल्लालंकारविभूसे इमस्स पोरालियसरीरस्स नो वनहेउं वा रूवहेउं वा विसयहेउं वा असणं 4 श्राहारमाहारेति, ननत्थ णाणदंसणचरित्ताणं वहणयाए Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमसुवासिन्धुः / चतुर्थो विभागः 2 / से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणं समणीणं सावगाण य साविगाण य अञ्चणिज्जे जाव पज्जुवासणिज्जे भवति, परलोएवि य णं नो बहूणि हत्यच्छेयणाणि य कन्नच्छेयणाणि य नासाछेयणाणि य एवं हिययउप्पायणाणि य वसणुप्पाडणाणि य उल्लंबणाणि य पाविहिति अणातीयं च णं अणवदग्गं दीहं जाव वीतिवतिस्सति जहा व से धरणे सत्थवाहे 3 / एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव दोचस्स नायज्झयणस्स अयम? पराणत्तेत्तिबेमि 4 // सूत्रं 41 // वितीयं अज्झयणं समत्तं // 2 // ॥इति द्वितीयमध्ययनम् // 2 // // 3 // अथ अण्डकाख्यं तृतीयमध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं दोचस्म अज्झयणस्स णायाधम्मकहाणं अयम? पत्नत्ते तइअस्स अज्झयणस्स के पट्टे पराणते ?, एवं खलु जंबू / तेणं कालेणं 2 चंपा नाम नयरी होत्था वन्नयो 1 / तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए सुभूमिभाए नाम उजाणे होत्था सम्बोउए(य) सुरम्मे नंदणवणे इव सुहसुरभि-सीयलच्छायाए समणुबद्धे 2 / तस्स णं सुभूमिभागस्त उजाणस्स उत्तरो एगदेसंमि मालुयाकच्छए वन्नो, तत्थ णं एगा वरमऊ(यु)री दो पुढे परियागते पिट्ठडीपंडरे निवणे निस्वहए भिन्नमुट्टिप्पमाणे मऊरी अंडए पसवति 2 सतेणं पक्खवाएणं सारक्खमाणी संगोवमाणी संविढे माणी विहरति 3 / तत्थ णं चंपाए नयरीए दुवे सत्थवाहदारगा परिवसति तंजहा-जिणदत्तपुत्ते य सागरदत्तपुत्ते य, सहनायया सहवडियया सहपंसुकीलियया सहदारदरिसी अन्नमन्न-मणुरत्तया अन्नमन-मणुव्वयया अन्नमन्नच्छंदाणुवत्तया अन्नमन्नहियतिछियकारया अन्नमन्नेसु गिहेसु किच्चाई करणिजाई पचणुभवमाणा विहरन्ति 4 // सूत्रं 50 // Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् में अध्ययनं 3 ] [6 तते णं तेसिं सत्थवाहदारगाणं अन्नया कयाई एगतयो सहियाणं समुवागयाणं सन्निसन्नाणं सन्निविट्ठाणं इमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पजित्था-जन्नं देवाणुप्पिया ! श्रम्हं सुहं वा दुक्खं वा पव्वजा वा विदेसगमणं वा समुप्पजति तन्नं अम्हेहिं एगयो समेचा(संहिचा) णित्थरियव्वंतिकटु अन्नमन्नमयारूवं संगारं पडिसुणेति 2 सकम्मसंपउत्ता जाया यावि होत्था // सूत्रं 51 // तत्थ णं चंपाए नयरीए देवदत्ता नामं गणिया परिवसइ अड्डा जाव भत्तपाणा चउसट्ठि-कलापंडिया चउसट्ठि-गणियागुणोववेया श्रउणत्तीसं विसेसे रममाणी एकवीस-रतिगुणप्पहाणा बत्तीस-पुरिसोवयार-कुसला णवंग सुत्त-पडिबोहिया अट्ठारस-देसीभासा-विसारया सिंगारागारचारुवेसा संगयगयहसिय-भणिय-विहिय-विलाससललिय-संलावनिउणजुत्तोवयारकुसला (सुंदरथणजघण-वयण-नयण-लावराण-रूवजोव्वण-विलासकलिया) ऊसियझया सहस्सलंभा विदिन-छत्तचामर-बालवियणिया कनीरहप्पयाया यावि होत्था बहूणं गणियासहस्साणं पाहेवच्चं जाव विहरति 1 / तते णं तेसिं सत्यवाहदारगाणं अन्नया कदाइ पुव्वा(पञ्चा)वरगह-कालसमयसि जिमियभुत्तुत्तरागयाणं समाणाणं श्रायन्ताणं चोक्खाणं परमसुतिभूयाणं सुहासणवरगयाणं इमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पजित्था 2 / तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! कल्लं जाव जलंते विपुलं असणं 4 उवक्खडा. वेत्ता तं विपुलं असणं 4 धूवपुष्फगंधवत्थं गहाय देवदत्ताए गणियाए सद्धि सुभूमिभागस्त उजाणस्स उजाणसिरिं पचणुभवमाणायां विहरित्तएत्तिकटु अन्नमन्नस्स एयमट्ठ पडिसुणेति 2 कल्लं पाउब्भूए कोडुबियपुरिसे सहावेंति 2 एवं वदासी-गच्छह णं देवाणुप्पिया ! विपुलं असणां 4 उवक्खडेह 2 तं विपुलं असणं 4 धूवपुष्र्फ गहाय जेणेव सुभूभिभागे उजाणे जेणेव णंदापु.' क्खरिणी तेणामेव उवागच्छह 2 नंदापुम्खरिणीतो अदूरसामंते थूणामंडवं पाहणह 2 आसित-सम्मजितोवलित्तं सुगंध जाव कलियं करेह 2 अम्हे Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 70 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभाग पडिवालेमाणा 2 चिट्ठह जाव चिट्ठति 3 / तए णं सत्थवाहदारगा दोच्चंपि कोडुबियपुरिसे सद्दावेंति 2 एवं वदामा-खिप्पामेव लहुकरण-जुत्तजोतियं (जुत्तएहिं) समखुरखालिहाणं समलिहिय-तिखग्ग-सिंगएहिं (जंबूणयमयकलाबजुत्त-पइविसिट्ठएहिं) रययामय-घंटसुत्त-रज्जुपवर-कंचणखचिय-णत्थपग्गहोवग्गहितेहिं नीलुप्पल-कयामेलएहि पवरगोण-जुवाणएहिं नाणामणिरयणकंत्रण-घंटियाजाल-परिक्खित्तं पवरलक्खणोववेयं (सुजात-जुगजुत्त-उज्जुगपसत्थ-सुविरइय-निम्मियं) जुत्तमेव पवहणं उवणेह, तेऽवि तहेव उवणेंति 4 / तते णं से सत्थवाह-दारगा राहाया जाव सरीरा पवहणं दुरूहंति 2 जेणेव देवदत्ताए गणियाए गिहं तेणेव उवागच्छति 2 ता पवहणातो पञ्चोरुहति 2 देवदत्ताए गणियाए गिहं अणुपविसेंति 5 / तते णं सा देवदत्ता गणिया सत्यवाहदारए एजमाणे पासति 2 हट्ट 2 जाव भासणाश्रो अभुट्ठति 2 सत्तट्ठ पदाति अणुगच्छति 2 ते सत्थवाहदारए एवं वदासीसंदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमिहाग-मणप्पतोयणं ? तते णं ते सत्थवाहदारगा देवदत्तं गणियं एवं वदासी-इच्छामो णं देवाणुप्पिए ! तुम्हेहिं सद्धिं सुभूमिभागस्स उजाणस्स उजाणसिरिं पचणुभवमाणा विहरित्तए 6 / तते णं सा देवदत्ता तेसिं सत्यवाहदारगाणं एतमट्ठ पडिसुणेति 2 राहाया कयकिचा किं ते पवर जाव सिरिसमाणवेसा जेणेव सत्थवाहदारगा तेणेव समागया 7 / तते णं ते सत्थवाहदारगा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं जाणं दुरूहति 2 चंपाए नयरीए मज्झमज्झेणं जेणेव सुभूमिभागे उजाणे जेणेव नंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति 2 पवहणातो पचोरहंति 2 नंदापोक्खरिणी श्रोगाहिंति 2 जलमजणं करेंति जलकीडं करेंति गहाया देवदत्ताए सद्धिं पच्चुत्तरंति जेणेव थूणामंडवे तेणेव उवागच्छंति 2 थूणामंडवं अणुपविसंति 2 सव्वालंकारविभूसिया श्रासत्था वीसत्था सुहासणवरगया देवदत्ताए सद्धिं तं विपुलं असणं 4 धूवपुष्फगंधवत्यं श्रासाएमाणा Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 3 ) [71 वीसाएमाणा परिभुजेमाणा एवं च णं विहरति, जिमियभुत्त्तरागयाविय णं समाणा देवदत्ताए सद्धिं विपुलातिं माणुस्सगाई कामभोगाई भुजमाणा विहरति 8 // सूत्रं 52 // तते णं ते सत्थवाहदारगा पुवा(पञ्चा)वरराह-कालसमयसि देवदत्ताए गणियाए सद्धिं थूणामंडवायो पडिनिक्खमंति 2 हत्थसंगेलीए सुभूमिभागे बहूसु श्रालिघरएसु 4 कयलीघरेसु य लयाघरएसु य अच्छणघरएसु य पेच्छणाघरएसु य पसाहणघरएसु य मोहणघरएसु य सालघरएसु य जालघरएसु य कुसुमघरएसु य(जाव) उजाणसिरिं पञ्चणुभवमाणा विहरंति ॥सूत्रं 53 // तते णं ते सत्थवाहदारया जेणेव से मालुयाकच्छए तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तते णं सा वणमऊरी ते सत्थवाहदारण एजमाणे पासति 2 भीया तत्था तसिया उबिग्गा पलाया महया 2 सद्देणं केकारवं विणिम्मुयमाणी 2 मालुयाकच्छाश्रो पडिनिक्खमति 2 एगंसि रुक्खमालयंसि ठिचा ते सत्थवाहदारए मालुयाकच्छयं च अणिमिसाए दिट्ठीए पेहमाणी 2 चिट्ठति 1 / तते णं ते सत्थवाहदारगा अण्णमन्नं सद्दाति 2 एवं वदासी-जहा णं देवाणुप्पिया ! एसा वणमऊरी अम्ह एजमाणा पासित्ता भीता तत्था तसिया उविग्गा पलाया महता 2 सद्देणं नाव अम्हे मालुयाकच्छयं च पेच्छमाणी 2 चिट्ठति तं भवियव्वमेत्थ कारणेणंतिकटु मालुयाकच्छयं अंतो अणुपविसंति 2 तस्थ णं दो पुट्ठ परियागये जाव पासित्ता अन्नमन्नं सदावेंति 2 एवं वदासी-सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमे वणमऊरीअंडए साणं जाइमंताणं कुक्कुडियाणं अंडएसु अ पक्खिवावेत्तए 2 / तते णं तायो जातिमन्तायो कुक्कुडियायो ताए अंडए सए य अंडए सएणं पक्खवाएणं सारक्खमाणीश्रो संगोंवेमाणीयो विहरिस्संति 3 / तते णं अम्हं एत्थं दो कीलावणगा मऊरपोयगा भविस्सतित्तिकटु अन्नमन्नस्स एतमट्ठ पडिसुणेति 2 सए सए दासचेडे सद्दाति 2 एवं वदासी-गच्छह णं तुब्भे Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 72 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धु : चतुर्थो विभागः देवाणुप्पिया ! इमे अंडए गहाय सगाणं जाइमंताणं कुक्कुडीणं अंडएसु पक्विवह जाव तेवि पक्खिवेति 4 / तते णं ते सत्थवाहदारगा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूमिभागस्स उजाणस्स उजाणसिरिं पञ्चणुभवमाणा विहरित्ता तमेव जाणं दुरूदा समाणा जेणेव चंपानयरीए जेणेव देवदत्ताए गणियाए गिहे तेणेव उवागच्छंति 2 . देवदत्ताए गिहं अणुपविसंति 2 देवदत्ताए गणियाए विपुलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयंति 2 सकारेंति 2 सम्माणति 2 देवदत्साए गिहातो पडिनिक्खिमंति 2 जेणेव सयाई 2. गिहाई तेशेव उआगच्छति 2 सकम्मसं उत्ता जाया यावि होत्था 5 / // सूत्रं 54 // तते णं जे से सागरदत्तपुत्ते सत्थवाहदारए से णं कल्लं जाव जलते जेणेव से वणमऊरीयंडए तेणेव उवागच्छति 2 तंसि मऊरीअंडयंसि संकिते कंखिते वितिगिच्छा-समावन्ने भेयसमावन्ने कलुससमावन्ने किन्नं ममं एत्थ किलावणमऊरीपोयए भविस्सति उदाहु णो भविस्सइत्तिकटु तं मउरीअंडयं अभिक्खणं 2 उव्वत्तेति परियत्तेत्ति श्रासारेति संसारेति चालेति फंदेइ घट्टति खोभेति अभिक्खणं 2 कन्नमूलंसि टिट्टियावेति 1 / तते णं से मऊरीअंडए अभिक्खणं 2 उव्वत्तिजमाणे जाव टिट्टियावेजमाणे पोचडे जाते यावि होत्था 2 / तते णं से सागरदत्तपुत्ते सत्थवाहदारए अन्नया कयाइं जेणेव से मऊरअंडए तेणेव उवागच्छति 2 तं मऊरीअंडयं पोचडमेव पासति 2 अहो णं ममं एस कीलावणए मऊरीपोयए ण जाएत्तिकटु श्रोहतमण जाव मियायति 3 / एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथों वा निग्गंथी वा पायरिय-उवज्भयाणं अंतिए पव्वतिए समाणे पंचमहब्बएसु छज्जीवनिकाएसु निग्गंथे पावयणे संकिते जाव कलुससमावन्ने से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं सावगाणं साविगाणं हीलणिज्जे निंदणिज्जे खिसणिज्जे गरहणिज्जे परिभवणिज्जे परलोएऽविय णं श्रागच्छति बहूणि दंडणाणि य Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग सूत्रम् / / अध्ययनं 3 ] [ 73 जाव अणुपरियट्टए 4 // सूत्रं 55 // तते णं से जिणदत्तपुत्ते जेणेव से मऊरीअंडए तेणेव उवागच्छति 2 तंसि मउरीअंडयंसि निस्संकिते, सुवत्तए णं मम एत्थ की नावणए मऊरीपोयए भविस्सतीतिकटु तं मऊरीअंडयं अभिक्खणं 2 नों उब्वत्तेत्ति जाव नो टिट्टियावेति 1 / तते णं से मउरीअंडए अणुव्वत्तिजमाणे जाव अटिट्टिया-विजमाणे तेणं कालेणं तेगां समएणं उब्भिन्ने मऊरिपोयए एत्थ जाते 2 / तते णं से जिणदत्तपुत्ते तं मऊरपोययं पासति 2 हट्टतुट्टे मऊरपोसए सदावेति 2 एवं वदासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! इमं मऊर-पोययं बहूहिं मऊर-पोसण-पाउग्गेहिं दव्वेहिं अणुपुब्वेणं सारक्खमाणा संगोवेमाणा संवड्ढेह नटुल्लगं च सिक्खावेह 3 / तते णं ते मऊरपोसगा जिणदत्तस्स पुत्तस्स एतमट्ठ पडिसुणेति 2 तं मउरपोययं गेराहंति जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छंति 2 तं मयूरपोयगं जाव नटुलगं सिक्खाति 4 / तते णं से मऊरपोयए उम्मुक्कबालभावे विनाय परिणयमित्ते जोव्वणगमणुयत्ते लवखणवंजण-गुणोववेये माणुम्माणप्पमाण-पडिपुन्न-सुजायसव्वंगसुदरंगे पक्खपेहुणकलावे विचित्तपिच्छ-सत(च्छावसत्त)चंदए नीलकंठए नचणसीलए एगाए चप्पुडियाए कयाए समाणीए अणेगाति नटुल्लगसयाति केकारवसयाणि य करेमाणे विहरति, तते णं ते मऊरपोसगा तं मऊरपोयगं उम्मुक जाव करेमाणं पासित्ता 2 तं मऊरपोयगं गेराहंति 2 जिणदत्तस्स पुत्तस्स उवणेति, तते णं से जिणदत्तपुत्ते सत्यवाहदारए मऊरपोयगं उम्मुक्क जाव करेमाणं पासित्ता हट्टतु? तेसिं विपुलं जीवियारिहं पीतिदाणं जाव पडिविसज्जेइ 5 / तए णं से मऊरपोतए जिणदत्तपुत्तेणं एगाए चप्पुडियाए कयाए समाणीए णंगोलाभंगसिरोधरे सेयावंगे गिराहइ अवयारियपइन्नपक्खे उक्खित्त-चंदकातियकलावे केकाइयसयाणि विमुच्चमाणे णचइ 6 / तते णं से जिणदत्तपुत्ते तेणं मउरपोयएणं चंपाए नयरीए सिंघाडग जाव पहेसु सतिएहि य साह Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 74 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विभागः स्सिएहि य सयसाहस्सिएहि य पणिएहि य जयं करेमाणे विहरति 7 / एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा पव्वतिए समाणे पंचसु महव्वएसु छसु जीवनिकाएसु निग्गंथे पावयणे निस्संकिते निक्कंखिए निवितिगिच्छे से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं समणीणं जाव वीतिवतिस्सति = / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं णायाणां तच्चस्स अज्झयणस्स अयम? पन्नत्ते तिबेमि 1 // सूत्रं 56 // तच्चं नायझयणं समत्तं / / / // इति तृतीयमध्ययनम् // 3 // // 4 // अथ कूर्माभिधानं चतुर्थमध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं नायाणं तन्चस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते चउत्थस्स णं णायाणं के अट्ठ पत्नत्ते ?, एवं खलु जंबू / तेणं कालेणं 2 वाणारसी नामं नयरी होत्था वनश्रो, तीसे णं वाणारसीए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभागे गंगाए महानदीए मयंगतीरबहे नाम दहे होत्था 1 / अणुपुय-सुजाय-वप्पगंभीर-सीयलजले (अच्छविमल-सलिलपलिच्छन्ने) संछन्न-पत्तपुप्फ-पलासे(पउमपत्तं-भिसमुणाले) बहुउप्पल(पउम)-कुमुय-नलिण-सुभग--सोगंधिय-पुंडरीय-महापुंडरीय-सयपत्तसहसपत्त-केसरफुल्लो(पुष्फो)वचिए पासादीए 4, तत्थ णं बहूणं मच्छाण य कच्छमाण य गाहाण य मगराण य सुसुमाराण य सइयाण य साहस्सियाण य सयसाहस्सियाण य जूहाई निब्भयाई निरुव्विग्गाई सुहंसुहेणं अभिरममाणगाति 2 विहरंति, तस्स णं मयंगतीरदहस्स अदूरसामंते एत्थ णं महं एगे मालुयाकच्छए होत्था वनश्रो 2 / तत्थ णं दुवे - पावसियालगा परिवसंति, पावा चंडा रोहा तल्लिच्छा साहसिया लोहितपाणी श्रामिसत्थी शामिसाहारा श्रामिसप्पिया श्रामिसलोला श्रामिसं गवेसमाणा Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 4 ] [75 रत्तिं वियालचारिणो दिया पच्छन्नं चावि चिट्ठति 3 / तते णं तायो मयंगतीरदहातो अन्नया कदाइं सूरियंसि चिरत्थमियंसि लुलियाए संझाए पविरलमाणुसंसि णिसंत-पडिणिसंतंसि समाासि दुवे कुम्मगा श्राहारथी आहारं गवेसमाणा सणियं 2 उत्तरंति, तस्सेव मयंगतीरदहस्स परिपेरंतेणं सब्बतो समंता परिघोलेमाणा 2 वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, तयणांतरं च णं ते पावसियालगा थाहारथी जाव अाहारं गवेसमाणा मालुयाकच्छयायो पडिनिक्खमंति 2 ता जेणेव मयंगतीरे दहे तेणेव उवागच्छंति तस्सेव मयंगतीरदहस्स परिपेरंतेषां परिघोलेमाणा 2 वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति 4 / तते गां ते पावसियाला ते कुम्मए पासंति 2 जेणेव ते कुम्मए तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तते णं ते कुम्मगा ते पावसियालए एजमाणे पासंति 2 भीता तत्था तसिया उव्विग्गा संजातभया हत्थे य पादे य गीवाए य सएहिं 2 काएहिं साहरंति 2 निचला निष्फंदा तुसिणीया संचिट्ठति 5 / तते णं ते पावसियालया जेणेव ते कुम्मगा तेणेव उवागच्छंति 2 ते कुम्मगा सव्वतो समन्ता उव्वतेंति परियत्तेति श्रासारेंति संसारेंति चालेंति घट्टति फदेंति खोभेति नहेहिं पालुपंति दंतेहि य अक्खोडेंति नो चेव णं संचाएंति तेसिं कुम्मगाणं सरीरस्स श्राबाहं वा पबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएत्तए छविच्छेयं वा करेत्तए 6 / तते णं ते पावसियालया एए कुम्मए दोच्चंपि तच्चपि सव्वतो समंता उव्वतेंति जाव नो चेव गां एसंचान्ति करेत्तए, ताहे संता तंता परितंता निम्विन्ना समाणा सणियं 2 पच्चोसक्केंति एगंतमवकमंति निचला निष्फंदा तुसिणीया संचिट्ठांति 7 / तत्थ णं एगे कुम्मगे ते पावसियालए चिरंगते दूरंगए जाणित्ता सणियं 2 एगं पायं निच्छुभति, तते णं ते पावसियाला तेगां कुम्मएगां सणियं 2 एगं पायं नीणियं पासंति 2 ताए उकिट्ठाए गईए सिग्धं चवलं तुरियं चंडं जतियां वेगितं जेणेव से कुम्मए तेणेव उवा Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पपवतिए समाजे जाव भवतिम कुमए अग दिए / तहत दंडगाणां जाव हीलगिज्जे जाब इंदिया अगुत्ता भाता र 76 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः गच्छंति 2 तस्स गां कुम्मगस्स तं पायं नखेहिं पालुपंति दंतेहिं अक्खोडेंति ततो पच्छा मंसं च सोणियं च श्राहारेंति 2 तं कुम्मगं सव्वतो समंता उव्वतेंति जाव नो चेव गां संचाइन्ति करेत्तए ताहे दोच्चंपि अवकमंति एवं चत्तारिवि पाया जाव सणियं 2 गीवं णीणेति, तते गां ते पावसियालगा तेगां कुम्मएणां गीवं णीणियं पासंति 2 सिग्धं चवलं 4 नहेहिं दंतेहिं कवालं विहाडेंति 2 तं कुम्मगं जीवियानो ववरोवेंति 2 मंसं च सोणियं च श्राहारेंति 8 / एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा 2 शायरियउवज्मायाण अंतिए पव्वतिए समाणे पंच से इंदिया अगुत्ता भवंति से गां इहभवे चेव बहूगां समणाणां 4 हीलणिज्जे जाव भवति, परलोगेऽविय गां श्रागच्छति बहूगां दंडणाणां जाव अणुपरियट्टति, जहा से कुम्मए अगुत्तिदिए 1 / तते णं ते पावसियालगा जेणेव से दोचए कुम्मए तेणेव उवागच्छंति 2 तं कुम्मगं सबतो समंता उबतेंति जाव दंतेहिं अक्खुडेंति जाव करेत्तए, तते णं ते पावसियालगा दोच्चपि तच्चपि जाव नो संचाएन्ति तस्स कुम्मगस्स किंचि आवाहं वा विबाहं वा जाव छविच्छेयं वा करेत्तए ताहे संता तंता परितंता निम्विन्ना समाणा जामेव दिसिं पाउम्भूता तामेव दिसि पडिगया, तते णं से कुम्मए ते पावसियालए चिरंगए दूरगए जाणित्ता सणियं 2 गीवं नेणेति 2 दिसावलोयं करेइ 2 जमगसमगं चत्तारिवि पादे नीणेति 2 ताए उकिट्टाए कुम्मगईए वीइवयमाणे 2 जेणेव मयंगतीरबहे तेणेव उवागन्छइ 2 मित्तनाति-नियग-सयण-संबंधिपरियणेणं सद्धिं अभिसमन्नागए यावि होत्था 10 / एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं समणो वा 2 पंच से इंदियाति गुत्तातिं भवंति जाव जहा उ से कुम्मए गुतिदिए 11 / एवं खलु जंबू ! समणेगां भगवया महावीरेगां चउत्थस्स नायझयणस्स अयम? पराणत्ते तिबेमि 12 // सूत्रं 57 // चउत्थं नायज्झयगां समत्तं // // इति चतुर्थमध्ययनम् // 4 // Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् // अध्ययनं 5 ] [ 77 // 5 // अथ श्री शैलकाख्यं पञ्चमध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं चउत्थस्स नायज्झयणस्स श्रयम? पनत्ते पंचमस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 बारवती नाम नयरी होत्था पाईण-पडीणायया उदीण-दाहिणविच्छिन्ना नवजोयण-विच्छिन्ना दुवालस-जोयणायामा धणवइ-मतिनिम्मिया चामीयर-पवरपागार-णाणामणि-पंचवन्न-कविसीसग-सोहिया अलयापुरि-संकासा पमुतिय-पकीलिया पञ्चक्खं देवलोयभूता, तीसे णं बारवतीए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए रेवतगे नाम पव्वए होत्था तुगे गगणतल-मणुलिहंतसिहरे णाणाविह-गुच्छगुम्म लयावल्लिपरिगते हंस-मिग-मयूर-कोंच-सारस--चकवाय-मयणसाल-कोइल-कुलोववेए अणेग-तड-कडग-वियर-उज्झरय-पवाय-फभार-सिहरपउरे अच्छरगण-देवसंघ-चारण-विजाहर-मिहुणसंविचिन्ने निचच्छणए दसारवर-वीरपुरिस-तेलोकबलवगाणां सोमे सुभगे पियदसणे सुरूवे पासातीए 4, 1 / तस्स णं रेवयगस्स अदूरसामते एत्थ णं णंदणवणे नामं उज्जाणे होत्था, सव्वोउयपुष्फफलममिद्धे रम्मे नंदणवणप्पगासे पासातीए 4, तस्स णं उजाणस्स बहुमज्झदेसभाए सुरप्पिए नामं जक्खाययणे होत्था दिव्वे, वनयो 2 / तत्थ णं बारवतीए नयरीए कराहे नामं वासुदेवे राया परिवसति, से णं तत्थ समुदविजय पामोक्खाणं दसराहं दसाराणं बलदेवपामोक्खाणं पंचराहं महावीराणं उग्गसेण-पामोक्खाणं सोलसराहं राईसहस्साणं पज्जुन्न-पामोक्खाणं अद्भुट्ठाणं कुमारकोडीणं संबपामोक्खाणं सट्ठीए दूतसाहस्सीणं वीरसेणपामोक्खाणं एकवीसाए वीरसाहस्सीणं महासेन-पामोक्खाणं छप्पन्नाए बलवग-साहस्सीणं रुप्पिणीपामोक्खाणं बत्तीसाए महिलासाहस्सीणं अणंगसेणा-पामोक्खाणं अणेगाणं गणियासाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं ईसरतलवर जाव सत्थवाहपभिईणं वेयड्डगिरि-सायर-पेरंतस्स य दाहिणड्ढ-भरहस्स Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 78] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः य बारवतीए नयरीए य आहेवर्च जाव पालेमाणे विहरति 3 // सूत्रं 58 // तस्स णं बारवईए नयरीए थावचा णाम गाहावतिणी परिवसति अड्डा जाव अपरिभूता, तीसे णं थावचाए गाहावतिणीए पुत्ते थावच्चापुत्ते णामं सस्थवाहदारए होत्था सुकुमालपाणिपाए जाव सुरूवे 1 ।तते णं सा थावच्चा गाहावइणी तंदारयं सातिरेग-अट्ठवास-जाययं जाणित्ता सोहणंसि तिहि-करण णक्खत्त-मुहुतंसि कलायरियस्स उवणेति, जाव भोगसमत्थं जाणित्ता बत्तीसाए इब्भकुल-बालियाणं एगदिवसेणं पाणिं गेराहावेति, बत्तीसतो दायोजाव बत्तीसाए इब्भकुलबालियाहिं सद्धिं विपुले सदफरिम-रसरूप-वन्नगंधे जाव मुंजमाणे विहरति 2 / तेणं कालेणं 2 अरहा अरिट्ठनेमी सो चेव वगणयो दसधणुस्सेहे नीलुप्पल-गवल-गुलिय-अयसि-कुसुमप्पगासे अट्ठारसहिं समणसाहस्सीहिं सद्धिं संपरिखुडे चत्तालीसाए अजियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिबुडे पुव्वाणुपुदि चरमाणे जाव जेणेव बारवती नगरी जेणेव रेवयगपव्वए जेणेव नंदणवणे उजाणे जेणेव सुरप्पियस्त जक्खस्स जक्खाययणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ 2 अहापडिरूवं उग्गहं योगिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति, परिसा निग्गया धम्मो कहियो 3 / तते णं से कराहे वासुदेवे इमीसे कहाए लट्ठ समाणे कोडबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सभाए सुहम्माए मेघोघरसियं गंभीरं महुरसह कोमुदितं भेरिं तालेह, तते णं ते कोडबियपुरिसा कराहेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ट जाव मत्थए अंजलि कटु-एवं सामी 2 तहत्ति जाव पडिसुणेति 2 कराहस्स वासुदेवस्स अंतियायो पडिनिक्खमंति 2 जेणेव सहा सुहम्मा जेणेव कोमुदिया भेरी तेणेव उवागच्छति तं मेघोघरसियं गंभीरं महुरसह कोमुदितं (सामुदायिकी) भेरि तालेंति 4 / ततो निद्ध-महुर-गंभीर-पडिसुएणंपिव सारइएणं बलाहएणंपिव अणुरसियं भेरीएए तते णं तीसे कोमुदियाए भेरियाए तालियाए Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :अध्ययनं 5 ] [ 76 समाणीए बारवतीए नयरीए नवजोयण-विच्छिन्नाए दुवालस-जोयणायामाए सिंघाडग-तिय-चउ चवर-कंदरदरीए विवर-कुहर-गिरिसिहर-नगरगोउर-पासातवार-भवणदेउल-पडिया-सयसहस्ससंकुलं सब करेमाणे बारवति नगरिं सब्भितरबाहिरियं सव्वतो समंता से सद्द विप्पसरित्था 5 / तते णं बाखतीए नयरीए नवजोयणविच्छिन्नाए बारसजोयणायामाए समुद्दविजयपामोक्खा दसदसारा जाव गणियासहस्साई कोमुदीयाए भेरीए सह सोचा णिसम्म हट्टतुट्ठा जाव राहाया भाविद्ध-वग्धारिय-मल्लदामकलावा यहतवस्थ-चंदणोकिन्न-गायसरीरा अप्पेगतिया हयगया एवं गयगया रहसीया-संदमाणीगया अपेगतिया पायविहारचारेणं पुरिस-वग्गुरा-परिखित्ता कराहस्स वासुदेवस्स अंतियं पाउभवित्था 6 / तते णं से कराहे वासुदेवे समुदविजय-पामोक्खे दस दसारे जाव अंतियं पाउभवमाणे पासति पासित्ता हट्टतुट्ठ जाव कोडबियपुरिसे सदावेति 2 एवं क्यासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउरिंगिणी सेणं सज्जेह विजयं च गंधहत्यि उवट्ठवेह, तेवि तहत्ति उवट्टवेति, जाव पज्जुवासंति 7 // सूत्रं 51 // थावचापुत्तेवि णिग्गए जहा मेहे तहेव धम्म सोचा गिसम्म जेणेव थावच्चा गाहावतिणी तेणेव उवागच्छति 2 पायग्गहणं करेति जहा मेहस्स तहा चेव णिवेयणा जाहे नो संवाएति विसयाणुलोमाहि य विसयपडिकूलाहि य बहूहिं बाघवणाहि य पनवणाहि य सन्नवणाहि य विनवणाहि य श्राघवित्तए वा 4 ताहे अकामिया चेव थावच्चापुत्तदारगस्स निक्खमण-मणुमन्नित्था नवरं निक्खमणाभिसेयं पासामो, तए णं से थावच्चापुत्ते तुसिणीए संचिठ्ठइ 1 / तते णं सा थावचा पासणायो अब्भुट्ठति 2 महत्थं महग्धं महरिहं रायरिहं पाहुडं गेराहति 2 मित जाव संपरिवुडा जेणेव कराहस्स वासुदेवस्स भवणवरपडिदुवारदेसभाए तेणेव उवागच्छति 2 पडिहारदेसिएणं मग्गेणं जेणेव कराहे वासुदेवे तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव वद्धावेति 2 तं Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 80] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः महत्थं महग्धं महरिहं रायरिहं पाहुडं उवणेइ 2 एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम एगे पुत्ते थावच्चापुत्ते नामं दारए इ8 जाव से णं संसारभाउधिग्गे इच्छति अरहयो अरिट्टनेमिस्त जाव पव्वतित्तए अहराणं निक्खमणसकारं करेमि, इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! थावच्चापुत्तस्स निक्खममाणस्स छत्त मउड-चामरायो य विदिन्नायो 2 / तते णं कराहे वासुदेवे थावच्चा-गाहापतिणी एवं वदासी-अच्छाहि णं तुमं देवाणुप्पिए ! सुनिव्वुया वीसत्था, अहराणं सयमेव थावच्चापुत्तस्स दारगस्स निक्खमणसकारं करिस्सामि, तते णं से कराहे वासुदेवे चाउरंगिणीए सेणाए विजयं हत्थिरयणं दुरुढे समाणे जेणेव थावच्चाए गाहावतिणीए भवणे तेणेव उवागच्छति 2 थावच्चापुत्तं एवं वदासी-मा णं तुमे देवाणुप्पिया ! मुडे भवित्ता पव्वयाहि, भुजाहि णं देवाणुप्पिया ! विउले माणुस्सए कामभोए मम बाहुच्छायापरिग्गहिए, केवलं देवाणुप्पियस्स अहं णो संचाएमि वाउकायं उवरिमेणं गच्छमाणं निवारित्तए, अण्णे णं देवाणुप्पियस्स. जे किंचिवि श्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएति तं सव्वं निवारेमि 3 / तते णं से थावचापुत्ते कराहेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे कराहं वासुदेवं एवं वयासी-जइ णं तुमं देवाणुप्पिया ! मम जीवियंतकरणं मच्चु एजमाणं निवारेसि नरं वा सरीररूवविणासिणिं सरीरं वा अइवयमाणिं निवारेसि तते णं अहं तव बाहुच्छायापरिग्गहिए विउले माणुस्सए कामभोगे भुजमाणे विहरामि 4 / तते णं से कराहे वासुदेवे थावच्चापुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे थावच्चापुत्तं एवं वदासीएए णं देवाणुप्पिया दुरतिकमणिज्जा णो खलु सका सुबलिएणावि देवेण वा दाणवेण वा णिवारित्तए णन्नत्थ अप्पणो कम्मक्खएणं, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! अन्नाणमिच्छत्तविरइकसायसंचियस्स अत्तणो कम्मक्खयं करित्तए 5 / तते णं से कराहे वासुदेवे थावच्चापुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे कोडबियपुरिसे सद्दावेति 2 एवं वदासी-गच्छह णं देवाणुप्पिया ! Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 5 ] [81 बारवतीए नयरीए सिंघाडग-तियग-चउक-चच्चर जाव हत्थिखंधवरगया महया 2 सद्दे णं उग्घोसेमाणा 2 उग्घोसणं करेह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! थावचापुत्ते संसारभउब्विग्गे भीए जम्मणमरणाणां (जम्मजरामरणागां) इच्छति अरहतो अरिट्टनेमिस्स अंतिए मुंडे भवित्ता पव्वइत्तए, तं जो खलु देवाणुप्पिया ! राया वा जुयराया वा देवी वा कुमारे वा ईसरे वा तलवरे वा कोडुबिय-पुरिसे वा मांडविय-पुरिसे वा इब्भसेटि-सेणावइ-सत्थवाहे वा थावच्चापुत्तं पव्वयंतमणुपव्वयति तस्स णं कराहे वासुदेवे अणुजाणति पच्छातुरस्सविय से मित्तनाति-नियग-संबंधिपरिजणस्स जोगखेमं वट्टमाणं पडिवहतित्तिक? घोसणं घोसेह जाव घोसंति 6 / तते गां थावच्चापुत्तस्स अणुराएगां पुरिससहस्सं निक्खमणाभिमुहं राहायं सव्वालंकारविभूसियं पत्तेयं 2 पुरिससहस्सवाहिणीसु सिवियासु दुरूढं समागां मित्तणातिपरिवुडं थावच्चापुत्तस्स अंतियं पाउन्भूयं 7 / तते गां से कराहे वासुदेवे पुरिससहसमंतियं पाउब्भवमाणां पासति 2 कोडुबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वदासी-जहा मेहस्स निक्खमणाभिसेश्रो तहेव सेयापीएहिं राहावेति 2 जाव अरहतो अरिट्टनेमिस्स छत्ताइच्छत्तं पडागातिपडागं पासंति 2 विज्जाहरचारणे जाव पासित्ता सीवियाग्रो पचोरुहंति, तते गां से कराहे वासुदेवे थावच्चापुत्तं पुरयो काउं जेणेव अरिहा अरिहनेमी सव्वं तं चेव आभरण-मल्लंकारं योमुयति, 8 / तते णं से थावच्चागाहावइणी हंसलवखणेणं पडगसाडएणं ग्राभरणमल्लालंकारे पडिच्छइ हार-वारिधार-छिन्नमुत्तावलिप्पगासातिं अंसूणि विणिम्मुचमाणी 2 एवं वदासी-जतियव्वं जाया ! घडियब्बं जाया ! परिकमियव्वं जाया ! अस्सि च णं अट्ठ णो पमादेयव्वं, जामेव दिसिं पाउब्भूता तामेव दिसिं पडिगया 1 / तते णं से थावचापुत्ते पुरिससहस्सेहिं सद्धिं सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति जाव पव्वतिए 10 / तते णं से थावच्चापुत्ते अणगारे जाते ईरियासमिए भासासमिए Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 82] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः जाव विहरति, तते णं से थावच्चापुत्ते अरहतो अरिष्टनेमिस्स तहाख्वाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याति चोइस पुव्वाइं अहिजति 2 बहूहिं जाव चउत्थेणं विहरति 11 / तते णं अरिहा अरिट्ठनेमी थावच्चापुत्तस्स अणगारस्स तं इन्भाइयं अणगारसहस्सं सीसत्ताए दलयति, तते णं से थावच्चापुत्ते अन्नया कयाई अरहं अरिट्टनेमि वंदति नमंसति 2 एवं वदासी-इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुनाते समाणे सहस्सेणं अणगारेणं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! तते णं से थावचापुत्ते यणगारसहस्सेणं सद्धिं तेणं उरालेणं उग्गेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं जाव बहिया जणवयविहारं विहरति 12 // सूत्रं 60 // . तेणं कालेणं तेणं समएणं सेलगपुरे नामं नगरं होत्था, सुभूमिभागे उजाणे, सेलए राया पउमावती देवी मंडुए कुमारे जुवराया, तस्स णं सेलगस्स पंथगपामोक्खा पंच मंतिसया होत्था उप्पत्तियाए वेणाइयाए 4 उववेया रजधुरं चिंतयंति 1 / थावचापुत्ते सेलगपुरे समोसढे राया णिग्गतो धम्मकहा, धम्मं सोचा जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे उग्गा भोगा जाव चइत्ता हिरन्नं जाव पबइत्ता तहा णं अहं नो संचाएमि पव्वत्तित्तए 2 / अहन्नं देवाणुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं जाव समणोवासए जाव अहिगयजीवाजीवे जाव अप्पाणां भावमाणे विहरंति, पंथगपामोक्खा पंच मंतिसया समणोवासया जाया,थावचापुत्ते बहिया जणवयविहारं विहरति ३॥सू०६१ // तेणं कालेणं 2 सोगंधिया नाम नयरी होत्था वन्नयो, नीलासोए उजाणे वन्नो, तत्थ णं सोगंधियाए नयरीए सुदंसणे नामं नगरसेट्ठी परिवसति अड्डे जाव अपरिभूते 1 / तेणं कालेणं 2 सुए नामं परिवायए होत्या, रिउव्वेयजजुब्वेय-सामवेय-अथव्वणवेय-सट्टितंतकुसले (संखाणे सिखाणकप्पे कप्पे वागरणे छदे निरुत्ते जोइसामयणे) संखसमए लट्ठ (वेयाणं इतिहासपंचमाणं निघंटुकट्ठाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं सारए वारए पारए सडंगवी सहितं Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-मूत्रम् :: अध्ययनं 5 ] [ 83 तविसारए अन्नेसु य बंभराणएसु सत्थेसु सुपरिनिट्ठिए पंचजम-पंचनियम-जुत्तं) सोयमूलयं दसप्पयारं परिव्वायगधम्मं दाणधम्मं च सोयधम्मं च तित्थाभिसेयं च श्राघवेमाणे पनवेमाणे धाउरत्त-वत्थपवरपरिहिए तिदंड-कुंडिय-छत्तछलु(कंचनीय, करोडिय)छराणालयंकुस-पवित्तय-केसरीहत्थगए परिवायगसहस्सेणं सद्धिं संपरिखुडे जेणेव सोगंधियानगरी जेणेव परिव्वायगावसहे तेणेव उवागच्छइ 2 परिवायगावसहसि भंडगनिक्खेवं करेइ 2 त्ता संखसमएणं अप्पाणं भावमाणे विहरति 2 / तते णं सोगंधियाए सिंघाडग-तिगचउक्कचचर-चउमुह-महापहपहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ-वं खलु सुए परिवायए इह हव्यमागते जाव विहरइ, परिसा निग्गया सुदंसणे निग्गए 3 / तते णं से सुए परिवायए तीसे परिसाए सुदंस्सणस्स य अन्नेसिं च बहूणं संखाणं परिकहेति-एवं खलु सुदंसणा ! अम्हं सोयमूलए धम्मे पन्नत्ते सेविय सोए दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-दव्वसोए य भावसोए य, दव्वसोए य उदएणं मट्टियाए य, भावसोए दब्भेहि य मंतेहि य, जन्नं अम्हं देवाणुप्पिया ! किंचि असुई भवति तं सव्वं सजो पुढवीए आलिप्पति ततो पच्छा सुद्धेण वारिणा पक्खालिजति ततो तं असुई सुई भवति, एवं खलु जीवा जलाभिसेयपूयप्पाणो अविग्घेणं सग्गं गच्छंति, तते णं से सुदंसणे सुयस्स अंतिए धम्म सोचा हट्टे सुयस्स अंतियं सोयमूलयं धम्मं गेराहति 2 परिव्वायए विपुलेणं असण-पाणखाइमसाइमेणं वत्थ-गन्धमल्ललंकारेणं पडिलामेमाणे जाव विहरति 3 / तते णं से सुए परिवायगे सोगंधियायो नगरीयो निगच्छति 2 त्ता बहिया जणवयविहारं विहरति 4 / तेणं कालेणं 2 थावचापुत्तस्स समोसरणं, परिसा निग्गया, सुदंसणोवि णीइ, थावचापुत्तं वंदति नमंसति 2 एवं वदासी-तुम्हाणं किंमूलए धम्मे पन्नत्ते ?, तते णं थावच्चापुत्ते सुदंसोणं एवं वुत्ते समाणे सुदंसणं एवं वदासी-सुदंसणा ! विणयमूले धम्मे पन्नत्ते, सेविय विणयमूले धम्मे दुविहे पन्नत्ता, तंजहा-अगारविणए अणगारविणए Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 84] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : चतुर्थो विभागः य, तत्य णं जे से श्रगारविणए से णं पंच अणुव्वयातिं सत्त सिक्खावयाति एकारस उवासगपडिमायो, तत्थ णं जे से अणगारविणए से णं पंच महव्वयाई, तंजहा-सव्वातो पाणातिवायायो वेरमणं सव्वाश्रो मुसावायायो वेरमणं सव्वातो अदिनादाणातो वेरमणं सव्वायो मेहुणाश्रो वेरमणं सव्वाश्रो परिग्गहायो वेरमणं सम्बायो राइभोयणायो वेरमणं जाव मिच्छादंसणसल्लायो वेरमणं 5 / दसविहे पञ्चक्खाणे बारस भिक्खुपडिमायो, इच्चेएगां दुविहेगां विणयफूलएगां धम्मेगां अणुपुव्वेणां अट्ठकम्मपगंठीयो. खवेत्ता लोयग्गपइट्ठाणे भवंति 6 / तते णं थावच्चापुत्ते सुदंसगां एवं वदासीतुम्मे णं सुदंसणा ! किंमूलए धम्मे पनते ?, अम्हाणां देवाणुप्पिया ! सोयमूले धम्मे पन्नते जाव सग्गं गच्छंति 7 / तते गां थावच्चापुत्ते सुदंसणां एवं वदासी-सुदंस गा ! से जहा नामए केइ पुरिसे एगं महं रुहिरक्यं वथं रुहिरेण चेव धोवेजा तते गां सुदंसणा ! तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेण चेव पक्खालिजमाणस्म अत्थि काइ सोही ?, णो तिण? समढे, एवामेव सुदंसणा ! तुभंपि पाणातिवाएगां जाव मिच्छादसणसल्लेणं नथि सोही जहा तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स महिरेणं चेव पक्खालिजमाणस्स नत्थि सोही, सुदंसणा ! से जहाणामए केइ पुरिसे एगं महं रुहिरकयं वत्थं सन्जियाखारेगां अणुलिंपति 2 पयगां थारुहेति 2 उगहं गाहेइ 2 ता ततो पच्छा सुद्धेणं वारिणा धोवेजा, से णणं सुदंमणा ! तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स सजियाखारेगां अणुलित्तस्स पयणं पारुहियस्स उगहं गाहितस्स सुद्धेणं वारिणा पक्खालिजमाणस्स सोही भवति ?, हंता भवइ, एवामेव सुदंसणा ! अम्हंपि पाणाइवाय-वेरमणेणं जाव मिच्छादसण-सल्लवेरमणेगां अस्थि सोही, जहा वा तस्स रुहिरकयस्स वयस्स जाव सुद्धगां वारिणा पक्खालिजमाणस्स अस्थि सोही 8 / तत्थ णां से सुदंसणे संबुद्धे थावच्चापुत्तं वंदति नमंसति 2 एवं वदासी-इच्छामि गां भंते ! धम्मं सोचा जाणित्तए जाव Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 5 ] [85 समणोवासए जाते अहिगयजीवाजीवे जाव पडिलामेमाणे विहरति, तए गां तस्त सुयस्स परिव्वायगस्त इमीसे कहाए लट्ठस्स समाणस्स अयमेयारूवे जाव समुप्पजित्था-एवं खलु सुदंसणेणां सोयं धम्मं विप्पजहाय विणयमूले धम्मे पडिवन्ने, तं सेयं खलु मम सुदंसणस्स दिट्टि वामेत्तए, पुणरवि सोयमूलए धम्मे बाघवित्तएत्तिकटु एवं संपेहेति 2 परिव्वायगसहस्सेगां सद्धिं जेणेव सोगंधिया नगरी जेणेव परिवायगावसहे तेणेव उवागच्छति 2 परिवायगावसहंसि भंडनिक्खेवं करेति 2 धाउरत्तवत्थपरिहिते पविरलपरिवायगेगां सद्धिं संपरिबुडे परिव्वायगावसहायो पडि. निक्खमति 2 सोगंधियाए नयरीए मज्झमज्झेणां जेणेव सुदंसणस्स गिहे जेणेव सुदंसणे तेणेव उवागच्छति, तते णं से सुदंसणे तं सुयं एजमाणां पासति 2 नो अब्भुट्ठोति नो पञ्चुग्गच्छति णो अाढाइ नो परियाणाइ नो वंदति तुसिणीए संचिट्ठति 1 / तए णां से सुए परिव्वायए सुदंसणं श्रणब्भुट्टियं जाव पासित्ता एवं वदासी-तुमं णं सुदंसणा! अन्नदा ममं एजमाणं पासित्ता अब्भुट्टेसि जाव वंदसि, इयाणिं सुदंसणा ! तुमं ममं एजमाणं पासित्ता जाव णो वंदसि,तं कस्स णं तुमे सुदंसणा ! इमेयाख्वे विणयमूलधम्मे पडिवन्ने ?, तते गां से सुदंसणे सुरणां परिव्वायएगां एवं वुत्ते समाणे भासणायो अब्भुटठेति 2 करयल-परिगहिय-दसराहं जाव सुयं परिवायगं एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अरहतो अरिट्टनेमिस्स अंतेवासी थावच्चापुत्ते नाम अणगारे जाव इहमागए इह चेव नीलासोए उजाणे विहरति, तस्स णं अंतिए विणयमूले धम्मे पडिवन्ने 10 / तते गां से सुए परिवायए सुदंसगां एवं वदासी-तं गच्छामो णं सुदंसणा ! तव धम्मायरियस्स थावच्चापुत्तस्स अंतियं पाउब्भवामो इमाइं च गां एयारूवातिं अट्ठाई हेऊई पसिणातिं कारणाति वागरणातिं पुच्छामो, तं जइ गां मे से इमाइं अट्ठातिं जाव वागरति तते गां अहं वंदामि नमसामि, अह मे से इमाति अट्टातिं Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 86) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा जाव नो से वाकरेति तते गां अहं एएहिं चेव श्र?हिं हेऊहिं निप्पट्ठपसिणवागरण करिस्सामि 11 / तते गां से सुए परिव्वायगसहस्सेगां सुदंसणेण य सेट्ठिणा सद्धिं जेणेव नीलासोए उजाणे जेणेव थावच्चापुत्ते अणगारे तेणेव उपागज्छति 2 ता थावच्चापुत्तं एवं वदासी-जत्ता ते भंते ! जवणिज्जं ते अव्वाबाहपि ते फासुयं विहारं ते ?, तते णं से थावच्चापुत्ते सुण्णं परिवायगेणं एवं वुत्ते समाणे सुयं परिवायगं एवं वदासी-सुया ! जत्तावि मे जवणिज्जपि मे अव्वाबाहपि मे फासुयविहारंपि मे 12 / तते णं से सुए थावच्चापुत्तं एवं वदासी-कि भंते ! जत्ता ? सुया ! जन्नं मम णाणदंसणचरित्ततव-संजममातिएहिं जोएहिं जोयणा से तं जत्ता, से किं ते भंते ! जवणिज्ज ?, सुया ! जवणिज्जे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-इंदियजवणिज्जे य नोइंदियजवणिज्जे य, से किं तं इंदियजवणिज्जे ?, सुया ! जन्नं ममं सोतिंदिय-चक्खिदिय-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिंदियाइं निरुवहयाई वसे वट्टांति सेतं इंदियजवणिज्ज, से किं तं नोइंदियजवणिन्जे?, सुया ! जन्नं कोहमाणमायालोभा खीणा उवसंता नो उदयंति से तं नोइंदियजवणिज्जे 13 / से किं तं भंते ! अव्वाबाहं ? सुया ! जन्नं मम वातिय-पित्तिय-सिभियसन्निवाइया विविहा रोगातंका णो उदीरेंति सेत्तं अव्वाबाहं, से कि तं भंते ! फासुयविहारं ?, सुया ! जन्नं पारामेसु उज्जाणेसु देवउलेसु सभासु पव्वासु इत्थि-पसु-पंडग-विवजियासु वसहीसु पाडिहारियं पीठफलग-सेजासंथारयं उग्गिरिहत्ता विहरामि सेत्तं फासुयविहारं 14 / सरिसवया ते भंते ! किं भक्खेया अभक्खेया ?, सुया ! सरिसवया भक्खेयावि अभक्खेयावि, से केण?णां भंते ! एवं वुच्चइ-सरिसवया भवखेयावि अभक्खेयावि ?, सुया ! सरिसवया दुविहा पन्नता, तंजहा-मित्तसरिसवया धन्नसरिसवया य, तत्थ गां जे ते मित्तसरिसवया ते तिविहा. पन्नता, तंजहा-सहजायया सहवडियया सहपंसुकीलियया, ते गां. समणागां Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्म कथाङ्ग-सूत्रम् / / अध्ययनं 5 ] [87 णिग्गंथाणां अभक्खया, तत्थ गांजे ते धन्नसरिसवया ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पत्थपरिणया य असत्थपरिणया य 15 / तत्थ गां जे ते असत्थपरिणया ते समणाणं निग्गंथाणां अभक्खेया, तत्थ णं जे ते सत्थपरिणया ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-फासुगा य अफासुगा य, अफासुया aaN सुया ! नो भक्खया, तत्थ गांजे ते फासुया ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-जातिया य प्रजातिया य, तत्थ णं जे ते अजातिया ते अभक्खेया, तत्थ गां जे ते जाइया ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-एसणिजा य अणेसणिजा य, तत्थ गां जे ते अणेसणिजा ते णं अभक्खया, तत्थ गांजे ते एसणिज्जा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-लद्धा य अलद्धा य, तत्थ गां जे ते अलद्धा ते अभक्खया, तत्थ गां जे ते लद्धा ते निग्गंथागां भक्खया, एएणं अट्ठणं सुया ! एवं वुच्चति-सरिसवया भक्खेयावि अभक्खेयावि, एवं कुलत्थावि भाणियव्वा 16 / नवरि इमं णाणत्तं-इथिकुलत्था य धनकुलत्था य, इथिकुलत्था तिविहा पन्नत्ता, तंजहा–कुलवधुया य कुलमाउया इ य कुलधूया इ य, धनकुलत्था तहेव, एवं मासावि 17 / नवरि इमं नाणत्तं-मासा तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-कालमासा य अत्थमासा य धनमासा य, तत्थ णं जे ते कालमासा ते गां दुवालसविहा पन्नत्ता, तंजहा-सावणे जाव प्रासादे, ते गां अभक्खेया, अस्थमासा दुविहा-हिरनमासा य सुवराणमाप्ता य, ते गां अमक्खेया धनमासा तहेव 18 / एगे भवं दुवे भवं ऋणेगे भवं श्रव्वए अक्खए भवं अव्वए भवं अवट्ठिए भवं अणेगभूयभावे भविएवि भवं ?, सुया ! एगेवि अहं ! दुवेवि अहं जाव अणेगभूयभावभविएवि अहं, से केण?णं भंते ! एगेवि अहं जाव सुया ! दवट्ठयाए एगे ग्रहं नाणदंसणट्टयाए दुवेवि अहं, पएसट्ठाए अक्सएवि अहं अव्वएवि अहं अवट्ठिएवि अहं, उवयोगट्टयाए अणेगभूयभावभविएवि अहं 11 / एत्थ णं से सुए संबुद्धे थावच्चापुत्तं वंदति नमसति 2 एवं वदासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भे अंतिए केवलि Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 88] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः पन्नत्तं धम्मं निसामित्तए धम्मकहा भाणियब्वा, तए णं से सुए परिवायए थावचापुत्तस्स अंतिए धम्मं सोचा णिसम्म एवं वदासी-इच्छामि णं भंते ! परिवायग-सहस्सेणं सद्धिं संपरिबुडे देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भविता पव्वइत्तए, अहासुहं जाव उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे तिडंडयं जाव थाउरत्तायो य एगते एडेति 2 सयमेव सिहं उप्पाडेति 2 जेणेव थावच्चापुत्ते तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता जाव मुडे भवित्ता जाव पव्वतिए सामाइयमातियाई चोइस पुव्वाति अहिजति 20 / तते णं थावच्चापुत्ते सुयस्स अणगारसहस्सं सीसत्ताए वियरति, तते गां से थावच्चापुत्ते सोगंधियायो नीलासोयायो पडिनिक्खमति 2 बहिया जणवयविहारं विहरति 21 / तते णं से थावच्चापुत्ते अणगारसहस्सेणं सद्धिं संपरिबुडे जेणेव पुंडरीए पवए तेणेव उवागच्छइ 2 पुंडरीयं पव्वयं सणियं 2 दुरूहति 2 मेघघणसन्निगासं देवसन्निवायं पुढविसिलापट्टयं जाव पायोवगमणं णुवन्ने 22 / तते णं से थावच्चायुत्ते बहूणि वासाणि सामन्नपरियागं पाणित्ता मासियाए संलेहणाए सर्टि भतातिं अणसणाए जाव केवलवरनाणदंसणं समुप्पाडेत्ता ततो पच्छा सिद्धे जाव पहीणे 23 // सूत्रं 62 // तते गां से सुए अन्नया कयाई जेणेव सेलगपुरे नगरे जेणेव सुभूमिभागे उजाणे समोसरणं परिसा निग्गया सेलो निग्गच्छति धम्मं सोचा जं नवरं देवाणुप्पिया ! पंथगपामोक्खातिं पंच मंतिसयाति प्रापुच्छामि मण्डुयं च कुमारं रज्जे ठावेमि, ततो पच्छा देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुडे भवित्ता श्रागारायो अणगारियं पव्वयामि, अहासुहं 1 / तते गां से सेलए राया सेलगपुरं नयरं अणुपविसति 2 जेणेव, सए गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ 2 सीहासणं सन्निसन्ने, तते णं से सेलए राया पंथयपामोक्खे पंच मंतिसए सदावेइ सहावेत्ता एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए सुयस्स अंतिए धम्मे णिसंते सेवि यमे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 5 ] [89 अभिरुतिए अहं णं देवाणुप्पिया ! संसारभयउम्बिग्गे जाव पव्वयामि, तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! किं करेह किं ववसह किं वा ते हियइच्छियं ? 2 / तते णं तं पंथयपामोक्खा पंचमंतिसया सेलगं रायं एवं वदासी-जइ णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! संसार जाव पव्ययह श्रम्हाणं देवाणुप्पिया ! किमन्ने थाहारे वा बालंबे वा अम्हेऽविय णं देवाणुप्पिया ! संसारभयउविग्गा जाव पव्वयामो, जहा देवाणुप्पिया ! अम्हं बहुसु कज्जेसु य कारणेसु य जाव तहा णं पवतियाणवि समाणाणं बहुसु जाव चक्खुभूते 3 / तते णं से सेलगे पंथगपामोक्खे पंच मंतिसए एवं वदासी-जति णं. देवाणुप्पिया ! तुब्भे संसार जाव पव्वयह तं गच्छह णं देवाणुप्पिया! सएसु 2 कुडुबेसु जेट्टे पुत्ते कुडुबमज्झे ठावेत्ता पुरिससहस्सवाहिणीयो सीयारो दुरुढा समाणा मम अंतियं पाउभवहत्ति, तहेब पाउब्भवंति 4 / तते णं से सेलए राया पंच मंतिसयाई पाउम्भवमाणातिं पासति 2 हट्ठतुढे कोडांबियपुरिसे सद्दावेति 2 एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! मंडुयस्स कुमारस्स महत्थं जाव रायाभिसेयं उवट्ठवेह जाव अभिसिचति जाव राया विहरति / तते णं से सेलए मंडुयं रायं यापुच्छइ 5 / तते णं से मंडुए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ 2 एवं वदासी-खिप्पामेव सेलगपुरं नगरं ग्रासित जाव गंधवट्टि भूतं करेह य कारवेह य 2 एवमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तते णं से मंडुए दोच्चपि कोड बियपुरिसे सदावेइ 2 एवं वदासी-खिप्पामेव सेलगस्स रनो महत्थं जाव निक्खमणाभिसेयं जहेव मेहस्स तहेव णवरं पउमावतीदेवी अग्गकेसे पडिच्छति सव्वेवि पडिग्गहं गहाय सीयं दुरूहंति, अवसेसं तहेव जाव सामातियमातियाति एकारस अंगाई अहिजति 2 बहूहिं चउत्थ जाव विहरति 6 / तए णं से सुए सेलयस्स अणगारस्स ताई पंथयपामोक्खाति पंच अणगारसयाई सीसत्ताए वियरति, तते णं से सुए अन्नया कयाई Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 60 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विभागः सेलगपुरायो नगरायो सुभूमिभागायो उजाणाश्रो पडिनिक्खमति 2 त्ता बहिया जणवयविहारं विहरति, तते णं से सुए अणगारे अन्नया कयाई तेणं श्रणगारसहस्सेणं सद्धिं संपरिबुडे पुवाणुपुल्विं चरमाणे गामाणुगामं विहरमाणे जेणेव पोंडरीए पवए जाव सिद्धे 7 // सूत्रं 63 // तते णं तस्स सेलगस्त रायरिसिस्स तेहिं अंतेहि य पंतेहि य तुच्छेहि य लूहेहि य अरसेहि य विरसेहि य सीएहि य उगहेहि य कालातिक्कतेहि य पमाणाइक्कंतेहि य णिच्चं पाणभोयणेहि य पयइसुकुमालयस्स सुहोचियस्स सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूता उजला जाव दुरहियासा (रोगायक उजले जाव दुरहियासे) कंडयदाह-पित्तजर-परिगयसरीरे यावि विहरति, तते णं से सेलए तेणं रोयायकेण सुक्के जाए यावि होत्था 1 / तते णं सेलए अन्नया कदाई पुव्वाणुपुब्बिं चरमाणे जाव जेणेव सुभूमिभागे जाव विहरति, परिसा निग्गया, मंडुयोऽवि निग्गयो, सेलयं अणगारं जोव वंदति नमसति 2 पज्जुवासति 2 / तते णं से मंडुए राया सेलयस्स अणगारस्स सरीरयं सुक्क भुक्कं जाव सव्वाबाहं सरोगं पासति 2 एवं वदासी-अहं णं भंते ! तुभं ग्रहापवित्तेहिं तिगिच्छएहिं अहापवित्तेणं योसहभेसज्जेणं भत्तपाणेणं तिगिच्छं बाउंटावेमि, तुब्भे णं भंते ! मम जाणसालासु समोसरह फासुग्रं एसणिज्ज पीढ-फलगसेजा-संथारगं योगिरिहत्ताणं विहरह 3 / तते णं से सेलए अणगारे मंडयस्स रन्नो एयमट्ठ तहत्ति पडिसुणेति, तते णं से मंडुए सेलयं वंदति नमंसति 2 जामेव दिसिं पाउन्भूते तामेव दिसिं पडिगए 4 / तते णं से सेलए कल्लं जाव जलते सभंड-मत्तोवगरण-मायाए पंथयपामोक्खेहिं पंचहिं श्रणगारसएहिं सद्धिं सेलगपुर-मणुपविसति 2 जेणेव मंडुयस्स जाणसाला तेणेव उवागच्छति 2 फासुयं पीढ जाव विहरति 5 / तते णं से मंडुए चिगिच्छए सद्दावेति 2 एवं वदासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! सेलयस्स फासुएसणिज्जेणं जाव तेगिच्छं प्राउट्टह, तते Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 5 ] [61 णं तेगिच्छया मंडुएणं रन्ना एवं वुत्ता हटुतुट्ट जाव सेलयस्स अहापवित्तेहिं श्रोसहभेसजभत्तपाणेहिं तेगिच्छं प्राउट्टति, मनपाणयं च से उवदिसंति 6 / तते णं तस्स सेलयस्स हापवत्तेहिं जाव मजपाणेण रोगायके उवसंते होत्था ह? म(क)लसरीरे जाते ववगयरोगायके, तते णं से सेलए तंसि रोगायकसि उवसंतसि समाणंसि तंसि विपुलंसि असण-पाण-खाइमसाइमंसि मजपाणए य मुच्छिए गढिए गिद्धे अझोववन्ने श्रोसन्ने श्रोसन्नविहारी एवं पासत्थे 2 कुसीले 2 पमत्ते संसत्ते उउबद्ध-पीढफलग-सेन्जासंथारए पमत्ते यावि विहरति, नो संचाएति फासुएसणिज्ज पीदं पञ्चप्पिणित्ता, मंडुयं च रायं श्रापुच्छित्ता बहिया जाव (जणवयविहारं अब्भुजएण पवत्तेण पग्गहिएण) विहरित्तए 7 / तते णं तेसिं पंथयवजाणं पंचराहं अणगारसयाणं अन्नया कयाई एगयो सहियाणं जाव पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणाणं श्रयमेयारूवे अब्भथिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु सेलए रायरिमी चइत्ता रज्जं जाव पव्वतिए 8 / विपुलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं मजपाणए मुच्छिए, नो संचाएति जाव विहरित्तए, नो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया! समणाणं जाव पमत्ताणं विहरित्तए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं कल्लं सेलयं रायरिसिं थापुच्छित्ता पाडिहारियं पीढफलग-सेजासंथारगं पञ्चप्पिणित्ता सेलगस्स अणगारस्स पंथयं अणगारं वेयावच्चकरं ठवेत्ता बहिया अभुजएणं जाव विहरित्तए 1 / एवं संपेहेंति 2 कल्लं जेणेव सेलए अापुच्छित्ता पाडिहारियं पीढ-फलग-सेजासंथारगं पञ्चप्पिणंति 2 पंथयं अणगारं वेयावच्चकरं ठावंति 2 बहिया जाव विहरंति 10 ॥सूत्रं 64 // तते णं से पंथए सेलयस्स सेजासंथार-उच्चारपासवण-खेलसंघाण-मत्तश्रोसह-भेसज-भत्तपाणएणं अगिलाए विणएणं वेयावडियं करेइ 1 / तते णं से सेलए अन्नया कयाई कत्तिय. चाउम्मासियंसि विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं श्राहारमाहारिए सुबहुँ Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 62] [ श्रीमदागमसुवासिन्धुः / चतुर्थो विभागः मजपाणयं पीए पुव्वा(पञ्चा)वरराहकालसमयंसि सुहप्पसुत्ते 2 / तते णं से पंथए कत्तिय-चाउम्मासियंसि कयकाउस्सग्गे देवसियं पडिकमणं पडिक्कते चाउम्मासियं पडिकमिउंकामे सेलयं रायरिसिं खामणट्ठयाए सीसेणं पाएसु संघट्ट 3 / तते णं से सेलए पंथएणं सीसेणं पाएसु संघट्टिए समाणे श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे उट्ठति 2 एवं वदासी-से केस णं भो एस अप्पत्थियपत्थए जाव परिवजिए जे णं ममं सुहपसुत्तं पाएसु संघट्टति ? तते णं से पंथए सेलएणं एवं वुत्ते समाणे भीए तत्थे तसिए करयल-परिगहियदसनहं जाव कटु एवं वदासी-ग्रहणणं भंते ! पंथए कयकाउस्सग्गे देवसियं पडिक्कमणं पडिक्कते चाउम्मासियं पडिवकते चाउम्मासियं खामेमाणे देवाणुप्पियं वंदमाणे सीसेणं पाएसु संघट्टमि, तं खमंतु णं देवाणुप्पिया ! खमन्तु मेऽवराहं तुमगणं (खंतुमरहंतु णं) देवाणुप्पिया ! णाइभुजो एवं करणयाएत्तिकट्ट सेलयं अणगारं एतमट्ठ सम्मं विणएणं भुजो 2 खामेति 4 / तते णं तस्स सेलयस्स रायरिसिस्स पंथएणं एवं वुत्तस्स अयमेयारूवे जाव समुप्पजित्था-एवं खलु अहं रज्जं च जाव भोसन्नो जाव उउबद्धपीढफलग-सेन्जासंथारए विहरामि, तं नो खलु कप्पति समणाणं णिग्गंथाणं अपसत्थाणं जाव विहरित्तए, तं सेयं खलु मे कल्लं मंडुयं रायं पापुच्छित्ता पाडिहारियं पीढफलग-सेज्जासंथारयं पचप्पिणित्ता पंथएणं श्रणगारेणं सद्धिं बहिया अब्भुजएगा जाव जणवयविहारेगां विहरित्तए, एवं संपेहेति 2 कल्लं जाव विहरति 5 // सूत्रं 65 // एवामेव समणाउसो ! जाव निग्गंथे वा 2 श्रोसन्ने जाव संथारए पमत्ते विहरति से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणां 4 हीलणिज्जे संसारो भाणियव्यो 1 / तते गां ते पंथगवजा पंच अणगारसया इमीसे कहाए लट्ठा समाणा अन्नमन्नं सदावेंति 2 एवं वयासी-सेलए रायरिसी पंथएगा बहिया जाव विहरति, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं सेलयं Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 6 ] [ 63 उवसंपजित्ता णं विहरित्तए, एवं संपेहेंति 2 ता सेलयं रायं उवसंपजिताणं विहरंति 2 // सूत्रं 66 // तते णं ते सेलयपामोक्खा पंच अण. गारसया बहूणि वासाणि सामनपरियागं पाउणित्ता जेणेव पोंडरीये पव्वए तेणेव उवागच्छंति 2 जहेव थावचापुत्ते तहेव सिद्धा 1 / एवामेव समणाउसो ! जो निग्गंथो वा 2 जाव विहरिस्सति एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं पंचमस्स णायज्झयणस्स अयम? पराणत्तेत्तिबेमि 2 // सूत्रं 67 // पंचमं नायज्झयणं समत्तं // // इति पञ्चममध्ययनम् // 5 // // 6 // श्रीतुम्बकाख्यं षष्ठमध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं पंचमस्त णायज्झयणस्स श्रयम? पन्नत्ते छट्ठस्स णं भंते ! नायज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे समोसरणं परिसा निग्गया 1 / तेणं कालेणं 2 समणस्स भगवयो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासो इंदभूती अणगारे अदूरसामंते जाव सुकन्झाणोवगए विहरति, तते णं से इंदभूती अणगारे जायस8. समणस्स 3 एवं वदासी-कहगणं भंते ! जीवा गुरुयत्तं वा लहुयत्तं वा हव्वमागच्छंति ?, गोयमा ! से जहा नामए केइ पुरिसे एगं महं सुक्कं तु हिच्छिड्डे निस्वयं दम्भेहिं कुसेहिं वेढेइ 2 मट्टियालेवेणं लिंपति उराहे दलयति 2 सुक्कं समाणं दोच्चपि दभेहि य कुसेहि य वेटेति 2 मट्टियालेवेगां लिंपति 2 उराहे सुक्कं समाणां तच्चंपि दन्भेहि य कुसेहि य वेढेति 2 मट्टियालेवेगां लिंपति, एवं खलु एएणुवाएगां अंतरा वेढेमाणे अंतरा लिंपेमाणे अंतरा सुकवेमाणे जाव अहिं मट्टियालेवेहिं आलिंपति, अत्थाह-मतारम-पोरिसियंसि उदगंसि पक्खिवेजा, से गूणं गोयमा ! से तुबे तेसिं अट्ठाहं मट्टियालेवाणं गुरुय- . Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 64 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः याए भारिययाए गुरुयभारिययाए उप्पिं सलिलमतिवइत्ता अहे धरणियलपइट्ठाणे भवति, एवामेव गोयमा ! जीवावि पाणातिवाएणं जाव मिच्छादंसणसल्लेणं अणुपुब्वेणं अट्ठ कम्मपगडीयो समजिणन्ति, तासिं गरुययाए भारिययाए गरुयभारिययाए कालमासे कालं किच्चा धरणियल-मतिवतित्ता अहे नरगतल-पइट्ठाणा भवंति, एवं खलु गोयमा ! जीवा गुरुयत्तं हव्वमागच्छति 2 / अहराणं गोयमा ! से तुबे तंसि पढमिल्लुगंसि मट्टियालेवंसि तिन्नसि कुहियंसि परिसडियंसि ईसिं धरणियलायो उप्पतित्ता णं चिट्ठति, ततोऽणंतरं च णं दोच्चपि मट्टियालेवे जाव उप्पतित्ता णं चिट्ठति, एवं खलु एएणं उवाएणं तेसु अट्ठसु मट्टियालेवेसु तिन्नेसु जाव विमुक्कबंधणे अहेधरणियल-मइवइत्ता उप्पिं सलिलतल-पइट्टाणे भवति, एवामेव गोयमा ! जीवा पाणातिवातवेरमणेणं जाव मिच्छादसण-सल्ल-वेरमणेणं अणुपुब्वेणं अट्ठ कम्मपगडीयो खवेत्ता गगणतल-मुप्पइत्ता उप्पिं लोयग्गपतिढाणा भवंति, एवं खलु गोयमा ! जीवा लहुयत्तं हवमागच्छंति 3 / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं छट्ठस्स नायज्झयणस्स अयम? पन्नत्तेत्तिबेमि 4 // सूत्रं 68 // छट्ठ नायज्झयणं समत्तं // // इति षष्ठमध्ययनम् // 6 // // 7 // अथ श्रीरोहिणीज्ञाताख्यं सप्तममध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेगां जाव संपत्तेणं छट्टस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते सत्तमस्स णं भंते! नायज्झयणस्स के अट्ठ पन्नत्ते?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नाम नयरे होत्था, सुभूमिभागे उजाणे 1 / तत्थ णं रायगिहे नगरे धरणे नामं सत्थवाहे परिवसति, अड्डे०, भद्दा भारिया अहीणपंचेंदिय जाव सुरूवा, तस्स णं धराणस्स सत्थवाहस्स पुत्ता भदाए भारियाए अत्तया चत्तारि सस्थवाहदारया होत्था, तंजहा-धणपाले धणदेवे Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 7 ] [ 95 धणगोवे धणरक्खिए, तस्स णं धराणस्स सस्थवाहस्स चउराहं पुत्ताणं भारियायो चत्तारि सुराहायो होत्था, तंजहा-उझिया भोगवतिया रक्खतिया रोहिणिया 2 / तते णं तस्स धरणस्स अन्नया कदाइं पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि इमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था एवं खलु अहं रायगिहे बहूणं ईसर जाव पभिईणं सयस्स कुडुबस्स बहूसु कज्जेसु य करणिज्जेसु कोडुबेसु य मंतणेसु य गुज्झे रहस्से निच्छए ववहारेसु य श्रापुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे मेढी पमाणे श्राहारे बालंबणे चक्खुमेढीभूते कजवट्टावए 3 / तं ण णजति जं मए गयंसि वा चुयंसि वा मयंसि वा भग्गंसि वा लुग्गंसि वा सडियंसि वा पडियंसि वा विदेसत्थंसि वा विप्पवसियंसि वा, इमस्स कुडुबस्स किं मन्ने थाहारे वा बालंबे वा पडिबंधे वा भविस्सति ? 4 / तं सेयं खलु मम कल्लं जाव जलंते विपुलं असणं 4 उवक्खडावेत्ता मित्तणाति-नियगसयण-संबंधि-परिजणं चउराहं सुराहाणं कुलघरवग्गं ग्रामंतेत्ता तं मित्तणाइ-णियगसयण-संबंधिपरिजणं चउराह य सुराहाणं कुलघरवग्गं विपुलेलं असह-पाय-खाइम-साइमेणं यूक्युप्मावत्यगंध नर सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्तणाति-नियग-सयणसंबंधिपरिजणस्स चउराह य सुराहाणं कुलघरवग्गस्स पुरतो चउराहं सुराहाणं परिक्खणट्टयाए पंच 2 सालिग्रक्खए दलइत्ता जाणामि ताव का किहं वा सारवखइ वा संगोवेइ वा संवड्डेति वा ? 5 / एवं संपेहेइ 2 कल्लं जाव मित्तणाति-नियग-सयण-संबंधिपरिजणं चउराहं सुराहाणं कुलघरवग्गं पामतेइ 2 विपुलं असणं 4 उवक्खडावेइ ततो पच्छा राहाए कयबलिकम्मे जाव भोयणमंडवंसि सुहासण-वरगए मित्तणाति-नियग-सयण-संबंधि-परिजणेणं चउराह य सुराहाणं कुलघरवग्गेणं सद्धिं तं विपुलं असणं 4 जाव सकारेति 2 तस्सेव मित्तनाति-नियग-सयणसंबंधि-परिजणस्स चउराह य सुराहाणं कुलघरवग्गस्स य पुरतो पंच सालिअक्खए गेराहति 2 जेट्ठा सुराहा उज्झितिया तं सदावेति 2 एवं वदासी Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 66 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः तुमं णं पुत्ता ! मम हत्यायो इमे पंच सालिग्रक्खए गेराहाहि 2 अणुपुव्वेणं सारक्वेमाणी संगोवेमाणी विहराहि, जया णंऽहं पुत्ता ! तुम इमे पंच सालिअक्खए जाएजा तया णं तुमं मम इमे पंच सालिग्रक्खए पडिदिजाएजासित्तिकटु सुगहाए हत्थे दलयति 2 पडिविसज्जेति 6 / तते णं सा उमिया धराणस्स तहत्ति एयमट्ठ पडिसुणेति 2 धराणस्स सत्यवाहस्स हत्थायो ते पंच सालिअक्खए गेराहति 2 एगंतमवकमति एगंतमवकमियाए इमेयारूवे अभत्थिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु तायाणं कोट्ठागारंसि बहवे पल्ला सालीणं पडिपुराणा चिट्ठति, तं जया णं ममं तायो इमे पंच सालिअक्खए जाएस्सति तया णं अहं पल्लंतरात्रो अन्ने पंच सालिग्रक्खए गहाय दाहामित्तिकट्टु एवं संपेहेइ 2 तं पंच सांलिअक्खए एगते एडेति 2 सकम्मसंजुत्ता जाया यावि होत्था 7 / एवं भोगवतियाएवि, णवरं सा छोल्लेति 2 अणुगिलति(फोल्लेइ) 2 सकम्मसंजुत्ता जाया 8 / एवं रक्खियावि, नवरं गेहति 2 इमेयारूवे अभथिए जाव समुप्पजित्था एवं खलु मम तायो इमस्स मित्तनाति-नियग-सयणसंबंधि-परिजणस्त चउराह य सुराहाणं कुलघरवग्गस्स य पुरतो सदावेत्ता एवं वदासी-तुमण्णं पुत्ता ! मम हत्थायो जाव पडिदिजाएंजासित्तिकटु मम हत्थंसि पंच सालिअक्खए दलयति तं भवियवमेत्य कारणेणंतिकटु एवं संपेहेति 2 ते पंच सालिअक्खए सुद्धे वत्थे बंधइ 2 रयणकरंडियाए पक्खिवेइ 2 ऊसीसामूले ठावेइ 2 तिसंझ पडिजागरमाणी विहरइ 1 / तए णं से धरणे सत्थवाहे तस्सेव मित्त जाव चउत्थिं रोहिणीयं सुराहं सदावेति 2 जाव तं भवियव्वं एस्थ कारणेणं तं सेयं खलु मम एए पंच सालियक्खए सारक्खेमाणीए संगोवेमाणीए संवड्ढे माणीएत्तिकटु एवं संपेहेति 2 कुलघरपुरिसे सदावेति 2 एवं वदासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया! एते पंच सालिक्खए गेराहह 2 पढमपाउसंसि महावुट्टिकायंसि निवइयंसि समाणंसि Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 80 श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 7 ] खुड्डागं केयारं सुपरिकम्मियं करेह 2 त्ता इमे पंच सालिअक्खए वावेह 2 दोच्चंपि तच्चपि उक्खयनिहए करेह 2 वाडिपरिक्खेवं करेह 2 सारक्खेमाणा संगोवेमाणा अणुपुब्वेणं संवड्ढेह 10 / तते णं ते कोडबिया रोहिणीए एतमट्ठ पडिसुणंति तं पंच सालिअक्खए गेराहंति 2 अणुपुब्वेणं सारखंति संगोवंति. विहरंति 11 / तए णं ते कोडुबिया पढमपाउसंसि महावुट्टिकायंसि णिवइयंसि समाणंसि खुड्डायं केदारं सुपरिकम्मियं करेंति 2 ते पंच सालिअक्खए ववंति दुच्चंपि तच्चपि उक्खयनिहए करेंति 2 वाडिपरिक्खेवं करेंति 2 अणुपुव्वेणं सारक्खेमाणा संगोवेमाणा संवड्ढे माणा विहरंतेि 12 / तते णं ते साली अणुपुव्वेणं सारक्खिजमाणा संगोविजमाणा संवड्डिजमाणा साली जाया किराहा किराहोभासा जाव निउरं. बभूया पासादीया 4, तते णं साली पत्तिया वत्तिया(तइया) गम्भिया पसूया भागयगंधा खीराइया बद्धफला पक्का परियागया सल्लइपत्तया (सल्लइया पत्तइया) हरियपव्वकंडा जाया यावि होत्था 13 / तते णं ते कोडुबिया ते सालीए पत्तिए जाव सल्लइए पत्तइए जाणित्ता तिक्खेहिं णवपजणएहिं असियएहिं लुणेति 2 करयलमलिते करेंति 2 पुणंति, तत्थ णं चोक्खाणं सूयाणं अक्खंडाणं अफोडियाणं छड्डछडापुट्ठा(प्या)णं सालीणं मागहए पत्थह जाए तते णं ते कोडबिया ते साली णवएसु घडएसु पक्खिवंति 2 उपलिंपंति 2 लिंपेंति 2 लंछियमुहिते करेंति 2 कोट्ठागारस्स एगदेसंसि ठाति 2 सारवखेमाणा संगोवेमाणा विहरंति 14 / तते णं ते कोडुबिया दोच्चमि वासारत्तंसि पढमपाउसंसि महावुट्टिकायंसि निवइयंसि खुड्डागं केयारं सुपरिकम्मियं करेंति ते साली वर्वति दोच्चंपि तच्चपि उक्खयणिहए जाव लुणेति जाव चलणतलमलिए करेंति 2 पुणंति, तत्थ णं सालीणं बहवे कुडवा(मुरला) जाव एगदेसंसि ठावेंति 2 सारक्खमाणा संगोवेमाणा विहरंति 15 / तते णं ते कोडुबिया तच्चसि वासारत्तंसि Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः महावुट्टिकायंसि निवइयंसि बहवे केदारे सुपरिकम्मियं करेंति जाव लुणेति 2 संवहंति 2 खलयं करेंति 2 मलेति जाव बहवे कुभा जाया, तते णं ते कोडुबिया साली कोट्ठागारंसि पक्खिवंति जाव विहरंति, चउत्थे वासारत्ते बहवे कुंभसया जाया 16 / तते णं तस्स धराणस्स पंचमयंसि संवच्छरंसि परिणममाणं स पुबरतावरत्त-कालसमयंसि इमेयारूवे अब्भस्थिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु मम इयो अतीते पंचमे संवच्छरे चउराहं सुराहाणं परिक्खणट्ठयाए ते पंच सालिग्रक्खता हत्थे दिना तं सेयं खलु मम कल्लं जाव जलंते पंच सालिग्रक्खए परिजाइत्तए जाव जाणामि ताव काए किहं सारक्खिया वा संगोविया वा संवडिया जावत्तिकटु एवं संपेहेति 2 कल्लं जाव जलंत विपुलं असणं 4 जाव मित्तनाय-निगम-सयण-संबंधिपरिजणं चउराह य सुराहाणं कुलघर जाव सम्माणित्ता तस्सेव मित्तनायनियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स चउराह य सुराहाणं कुलघरवग्गस्स पुरयो जेट्ठ उभियं सदावेइ 2 ता एवं वयासी-एवं खलु अहं पुत्ता ! इतो अतीते पंचमंसि संवच्छरंसि इमस्स मित्तनायनियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स चउराह य सुराहाणं कुलघरवग्गस्स य पुरतो तव हत्थंसि पंच सालिग्रक्खए दलयामि जया णं अहं पुत्ता ! एए पंच सालियअक्खए जाएजा तया णं तुमं मम इमे पंच सालिअक्खए पडिदिजाएजासित्तिक? तं हत्थंसि दलयामि, से नूणं पुत्ता ! अत्थे सम? ?, हंता अत्थि, तन्नं पुत्ता ! मम ते सालिअक्खए पडिनिजाएहि 17 / तते णं सा उज्झितिया एयम४ धराणस्स पडिसुणेति 2 जेणेव कोट्ठागारं तेणेव उवागच्छति 2 पल्लातो पंच सालिक्खए गेराहति 2 जेणेव धरणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति 2 धरणं सस्थवाहं एवं वदासी-एए णं ते पंच सालिअक्खएत्तिकटु धरणस्स हत्थंसि ते पंच सालिअक्खए दलयति, तते णं धरणे उझियं सवहसावियं करेति 2 एवं वयासी-किरणं पुत्ता ! एए ते चेव पंच Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 7 ] [ 88 सालिअक्खए उदाहु अन्ने ?, तते णं उझिया धरणं सत्थवाहं एवं वयासी-एवं खलु तुम्भे तातो ! इयोऽतीए पंचमे संवच्छरे इमस्स मित्तनाति-नियग-सजण-संबंधि-परिजणस्स चउराह य सुराहाणं कुलघरवग्गस्स जाव विहरामि, तते णंऽहं तुम्भं एतमट्ठ पडिसुणेमि 2 ते पंच सालिबक्खए गेराहामि एगंतमवकमामि तते णं मम इमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु तायाणं कोट्ठागारंसि बहवे जाव सकम्मसंजुत्ता, तं णो खलु तायो ! ते चेव पंच सालिअक्खए एए णं अन्ने, तते णं से धरणे उज्झियाए अंतिए एयम8 सोचा णिसम्म श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे उझितियं तस्स मित्तनाति-नियग-सजण-संबंधि-परिजणस्स चउराह य सुराहाणं कुलघरवग्गस्स य पुरो तस्स कुलघरस्स छारुभियं च छाणुझियं च कयवरुझियं च समु(संपु)च्छियं च सम्मजियं च पाउवदाई च राहाणोवदाइं च बाहिरपेसणकारिं ठवेति 18 / एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा 2 जाव पव्वतिते पंच य से महव्वयाति उझियाई भवंति से णं इह भवे चेव बहूणं समणा 4 जाव अणुपरियट्टिइस्सइ जहा सा उझिया / एवं भोगवइयावि, नवरं तस्स कंडितियं वा कोट्टतियं च पीसंतियं च एवं रुच्चंतियं रंधतियं परिवेसंतियं च परिभायंतियं च अभंतरियं च पेसणकारिं महाणसिणिं ठवेंति 11 / एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं समणो पंच य से महव्वयाइं फोडि(ल्लि)याई भवंति से णं इह भवे चेव बहूणं समणागों 4 जाव हीलणिज्जे 4 जहा व सा भोगवतिया 20 / एवं रक्खितियावि, नवरं जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छइ 2 मंजूसं विहाडेइ 2 रयणकरंडगायो ते पंच सालिअक्खए गेराहति 2 जेणेव धरणे तेणेव उवागच्छति 2 पंच सालिअक्खए धराणस्स हत्थे दलयति, तते णं से धरणे रक्खितियं एवं वदासी-किन्नं पुत्ता ! ते चेव ते पंच सालिअक्खया उदाहु अन्नेत्ति ?, HEREFHH Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः तते णं रक्खितिया धरणं सस्थवाहं एवं वयासी-एवं खलु तातो! जाव ते चेव ताया ! एए पंच सालिअक्खया णो अन्ने, कहन्नं पुत्ता !, एवं खलु तायो ! तुब्भे इयो पंचमंमि जाव भवियव्वं एत्थ कारणेणंतिकट्ठ ते पंच सालिअक्खए सुद्धे वत्थे जाव तिसंझं पडिजागरमाणी य विहरामि, ततो एतेणं कारणेणं तायो ! ते चेव ते पंच सालिअक्खए णो अन्ने, तते णं से धरणे रक्खितियाए अंतिए एयमटुं सोचा हट्टतुट्ट तस्स कुलघरस्स हिरनस्स य कंसदूस-विपुल-धण जाव सावतेजस्स य भंडागारिणि ठवेति 21 / एवामेव समणाउसो ! जाव पंच य से महव्वयाति रक्खियाति भवंति से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं 4 अञ्चणिज्जे जहा जाव सा रक्खिया 22 / रोहिणियावि एवं चेव, नवरं तुम्भे तायो ! मम सुबहुयं सगडीसागडं दलाहि जेणं अहं तुभं ते पंच सालिअक्खए पडिणिज्जाएमि, तते णं से धरणे रोहिणि एवं वदासी-कहराणं तुम मम पुत्ता ! ते पंच सालिअवखए सगड(डी)सागडेणं निजाइस्ससि ?, तते णं सा रोहिणी धरणं एवं वदासी-एवं खलु तातो ! इश्रो तुब्भे पंचमे संवच्छरे इमस्स मित्त जाव बहवे कुभसया जाया तेणेव कमेणं एवं खलु तायो ! इयो तुम्भे ते पंच सालिअक्खए सगडसागडेणं निन्जाएमि 23 / तते णं से धराणे सत्थवाहे रोहिणीयाए सुबहुयं सगडसागडं दलयति, तते णं रोहिणी सुबहुँ सगडसागडं गहाय जेणेव सए कुलघरे तेणेव उवागच्छइ कोट्ठागारे विहाडेति 2 पल्ले उभिदति 2 सगडीसागडं भरेति 2 रायगिहं नगरं मझमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव धरणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति 24 / तते णं रायगिहे नगरे सिंघाडग जाव बहुजणो अन्नमन्नं एवमातिक्खति-धन्ने णं देवाणुप्पिया ! धराणे सत्थवाहे जस्स णं रोहिणिया सुराहा जीए णं पंच सालियरखए सगडसागडिएणं निजाएति 25 / तते णं से धरणे सत्थवाहे ते पंच सालिअक्खए सगडसागडेणं निजाएतिते Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ] [ 1.1 पासति 2 हट्ट जाव पडिच्छति 2 तस्सेव मित्तनाति-निययसजणसंबंधि-परिजणस्स चउराह य सुराहाणं कुलघरपुरतो रोहिणीयं सुराहं तस्स कुलघरस्स बहुसु कज्जेसु य जाव रहस्सेसु य थापुच्छणिज्ज जाव वट्टावितं पमाणभूयं प्रवेति 26 / एवामेव समणाउसो ! जाव पंच महव्वया संवड्डिया भवंति से णं इह भवे चेव बहूणं समगाणं जाव वीतीवइस्सइ जहा व सा रोहिणीया 27 / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं सत्तमस्स नायझयणस्स अयम? पन्नत्तेत्तिबेमि 28 // सूत्रं 61 // सत्तमं नायज्झयणं समत्तं // . ॥इति सप्तममध्ययनम् // 7 // // 8 // अथ श्रीमल्लीज्ञाताख्य-मष्टममध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं सत्तमस्स नायज्झयणास्स अयम? पराणत्ते अट्ठमस्स णं भंते ! के अट्ठ पराणत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेगां तेषां समएगां इहेव जंबूद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पचत्थिमेणां निसढस्स वासहरपब्वयस्स उत्तरेणां सीयोयाए महाणदीए दाहिणेणां सुहावहस्स वक्खारपव्वतस्स पचत्थिमेगां पचत्थिमलवणसमुद्दस्त पुरच्छिमेगां एत्थ णं सलिलावती नामं. विजए पन्नत्ते 1 / तत्थ णं सलिलावती(नलिनावती)विजए वीयसोगा नामं रायहाणी पन्नत्ता, नवजोयणविच्छिन्ना जाव पचक्खं देवलोगभूया, तीसे णं वीयसोगाए रायहाणीए उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए इंदकुभे नामं उजाणे, तत्थ णं वीयसोगाए रायहाणीए बले नाम राया, तस्सेव धारणीपामोक्खं देविसहरसं उवरोधे होत्था 2 / तते णं सा धारिणी देवी अन्नया कदाइ सीहं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा जाव महब्बले नामं दारए जाए उम्मुक्क जाव भोगसमत्थे, तते णं तं महब्बलं अम्मापियरो सरिसियाणं कमलसिरी-पामोक्खागां Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 102] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः पंचराहं रायवरकन्नासयाणां एगदिवसेणां पाणिं गेराहावेति, पंच पासायसया पंचसतो दातो जाव विहरति 3 / थेरागमणं इंदकुभे उजाणे समोसढे परिसा निग्गया, बलोवि निग्गयो धम्मं सोचा णिसम्म जं नवरं महब्बलं कुमारं रज्जे पवेति जाव एकारसंगवी बहूणि वासाणिं सामराणपरियायं पाउणित्ता जेणेव चारुपव्वए मासिएगां भत्तेगां सिद्ध 4 / तते णं सा कमलसिरी अन्नदा सीहं सुमिणे जाव बलभदो कुमारो जायो, जुवराया यावि होत्था, तस्स णं महब्बलस्स रन्नो इमे छप्पिय बालवयंसगा रायाणो होत्था, तंजहा-अयले 1 धरणे 2 पूरणे 3 वसु 4 वेसमणे 5 अभिवंदे 6 सहजायया जाव संहिचाते णित्थरियव्वेत्तिकटु अन्नमन्नस्सेयमट्ठ पडिसुणेति 5 / तेणं कालेणां 2 इंदकुभे उजाणे थेरा समोसढा, पारिसा निग्गया महब्बले णं धम्मं सोचा जं नवरं छप्पिय बालवयंसए श्रापुच्छामि बलभद्द च कुमारं रज्जे ठावेमि जाव छप्पिय बालवयंसए श्रापुच्छति, तते णं ते छप्पिय बालवयंसए महब्बलं रायं एवं वदासी-जति णं देवाणुप्पिया ! तुम्भे पव्वयह अम्हं के अन्ने थाहारे वा जाव पव्वयामो, तते णं से महब्बले राया ते छप्पिय बालवयंसयाणां एवं वदासी-जति णं तुम्भे मए सद्धिं जाव पव्वयह तो णं गच्छह जे? पुत्ते सएहिं 2 रज्जेहिं ठावेह जाव पुरिससहस्सवाहिणीयो सीयायो दुरूढा जाव पाउब्भवंति 6 / तते णं से महब्बले राया छप्पिय बालवयंसए पाउन्भूते पासति 2 हट्टतुट्ठ जाव कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ जाव बलभदस्स अभिसेयो, पापुच्छति, तते णं से महब्बले जाव महया इड्डीए पव्वतिए एकारस अंगाई अहिजति 2 बहूहि चउत्थ जाव भावेमाणे विहरति 7 / तते गां तेसिं महब्बलपामोक्खाणां सत्तरहं अणगाराणां अन्नया कयाइ एगयो सहियागां इमेयारूवे मिहो कहासमुल्लावे समुप्पजित्था जराणां अम्हं देवाणुप्पिया ! एगे तवोकम्मं उव्वसंपजित्ता णं विहरति तगणं अम्हेहिं सव्वेहिं तवोकम्मं उवसंपजित्ताणं Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 8 ] [ 103 (कप्पइ) विहरित्तएत्तिकटु अराणमराणस्स एयमट्ठ पडिसुणेति 2 बहूहिं चउत्थ जाव विहरति 8 / तते णं से महब्बले अणगारे इमेणं कारणेणं इत्थिणामगोयं कम्मं निव्वत्तेसु-जति णं ते महब्बलवजा छ अणगारा चउत्थं उवसंपजित्ताणं विहरंति ततो से महबले अणगारे छ8 उवसंपजित्ता णं विहरइ, जति णं ते महब्बलवजा अणगारा छ8 उवसंपजित्ता णं विहरंति ततो से महब्बले यणगारे अट्ठमं उवसंपजित्ता णं विहरति, एवं अट्ठमं तो दसमं ग्रह दसमं तो दुवालसं, इमेहि य णं वीसाएहि य कारणेहिं श्रासेवियबहुलीकएहिं तित्थयरनामगोयं कम्मं निव्वत्तिंसु, तंजहा-अरहंत 1 सिद्ध 2 पवयण 3 गुरु 4 थेर 5 बहुस्सुए 6 तवस्सीसु 7 // वच्छल्लया य तेसिं अभिक्ख णाणोवोगे य 8 // 1 // दसण 1 विणए 10 श्रावस्सए य 11 सीलव्वए निरइयारं 12 / खणलव 13 तव 14 चियाए 15 वेयावच्चे 16 समाही य 17 // 2 // अप्पुवणाणगहणे 18 सुयभत्ती 11 पवयणे पभावणया 20 / एएहिं कारणेहिं तित्थयरत्तं लहइ जीयो (एसो, सो उ)॥३॥ 8 / तए णं ते महाब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति जाव एगराइयं उवसंपजिताणं विहरंति, 1 / तते गां ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्म उवसंपजित्ताणं विहरंति, तंजहा-चउत्थं करेंति 2 सव्वकामगुणियं पारेंति 2 छ? करेंति 2 चउत्थं करेंति 2 अट्ठमं करेंति 2 छ8 करेंति 2 दसमं करेंति 2 अट्ठमं करेंति 2 दुवालसमं करेंति 2 दसमं करेंति 2 चाउद्दसमं करेंति 2 दुवालसमं करेंति 2 सोलसमं करेंति 2 चोदसमं करेंति 2 अट्ठारसमं करेंति 2 सोलसमं करेंति 2 वीसइमं करेंति 2 अट्ठारसमं करेंति 2 वीसइमं करेंति 2 सोलसमं करेंति 2 अट्ठारसमं करेंति 2 चोदसमं करेंति 2 सोलसमं करेंति 2 दुवालसमं करेंति 2 चाउद्दसमं करेंति 2 दसमं करेंति 2 दुवाल Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 104 1 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागः समं करेंति 2 अट्ठमं करेंति 2 दसमं करेंति 2 छ8 करेंति 2 अट्ठमं करेंति 2 चउत्थं करेंति 2 छ8 करेंति 2 चउत्थं करेंति सव्वत्य सव्वकामगुणिएणं पारेंति, एवं खलु ऐसा खुड्डागसीहनिकीलियस्स तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी छहिं मासेहिं सत्तहि य अहोरत्तेहि य श्रहासुत्ता जाव बाराहिया भवइ, तयाणंतरं दोचाए परिवाडीए चउत्थं करेंति नवरं विगइवज्जं पारेंति, एवं तचावि परिवाडी नवरं पारणए अलेवाडं पारेंति, एवं चउत्थावि परिवाडी नवरं पारणए आयंबिलेण पारेंति 10 / तए णं ते महबलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहनिकीलियं तवोकम्म दोहिं संवच्छरेहिं अट्ठावीसाए य अहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव प्राणाए धाराहेत्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छति 2 थेरे भगवंते वंदति नमसंति 2 एवं वयासी-इच्छामो णं भंते ! महालयं सीहनिकीलियं तहेव जहा खुड्डागं नवरं चोत्तीसइमायो नियत्तए एगाए परिवाडीए कालो एगेणं संवच्छरेणं छहिं मासेहिं अट्ठारसहि य अहोरत्तेहिं समप्पेति, सव्वंपि सीहनिकीलियं छहिं वासेहिं दोहि य मासेहिं बारसहि य अहोरत्तेहिं समप्पेति 11 / तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त श्रणगारा महालयं सीहनिकीलियं अहासुत्तं जाव बाराहेत्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छति 2 थेरे भगवंते वदंति नमसंति 2 बहुणि चउत्थ जाव विहरति 12 / तते णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा तेणं श्रोरालेणं सुका भुवखा जहा खंदो नवरं थेरे श्रापुच्छित्ता चारुपव्वयं दुरुहंति 2 जाव दोमासियाए संलेहणाए सवीसं भत्तसयं चतुरासीति वाससयसहस्सातिं सामरणपरियागं पाउणंति 2 चुलसीतिं पुव्वसयसहस्सातिं सव्वाउयं पालइत्ता जयंते विमाणे देवत्ताए उववन्ना 13 // सूत्रं 70 // . तत्थ णं अत्थेगतियाणां देवागां बत्तीसं सागरोवमाइं -ठिती, तत्थ णं महब्बलवजागां छराहं देवानां देसूणाई बत्तीसं सागरोवमाई ठिती, Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ] / 105 महब्बलस्स देवस्स पडिपुन्नाइं बत्तीसं सागरोवमाई ठिती 1 / तते णं ते महब्बलवजा छप्पिय बालवयंसा देवा तायो देवलोगायो ग्राउक्खएणं ठिक्खएगां भवक्खएगां अशांतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे विसुद्ध-पितिमातिवंसेसु रायकुलेसु पत्तेयं 2 कुमारत्ताए पञ्चायायासी, तंजहापडिबुद्धी इक्खागराया, चंदच्छाए अंगराया, संखे कासिराया, रुप्पी कुणालाहिवती, अदीणसत्तू कुरुराया, जितसत्तू पंचालाहिबई 2 / तते णं से महब्बले देवे तीहिं णाणेहिं समग्गे उच्चट्ठाणद्वि(ग)एसु गहेसु सोमासु दिसासु वितिमिरासु विसुद्धासु जइतेसु सउणेसु पाहिणाणुकूलंसि भूमिसप्पिसि मामतंसि पवायंसि निष्फन्नसस्समेइणीयंसि कालंसि पमुइयपक्कीलिएसु जणवएसु अद्धरत्तकालसमयंसि अस्सिणोणक्खत्तेगां जोगमुवागएगां जे से हमंतागां चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे फग्गुणसुद्धे तस्स णं फग्गुणसुद्धस्स (गिम्हाणां पढमे मासे दोच्चे पक्खे चेतसुद्धे तस्स णं चित्तसुद्धस्स) चउत्थिपक्खेणां जयंतायो विमाणायो बत्तीसं सागरोवमट्टितीयायो श्रगांतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे मिहिलाए रायहाणीए कुंभगस्त रन्नो पभावतीए देवीए कुच्छिसि थाहारवक्कंतीए सरीरवक्कंतीए भववक्कंतीए ग भत्ताए वक्ते, तं रयणिं च णं चोदस महासुमिणा वनयो, भतारकहां सुमिणपाढगपुच्छा जाव विहरति 3 / तते णं तीसे पभावतीए देवीए तिराहं मासाणां बहुपडिपुन्नागां इमेयारूवे डोहले पाउन्भूते-धन्नायो णं तायो अम्मयायो जायो णं जलथलय-भासुरप्पभूएणां दसद्धवन्नेगां मल्लेगां अत्थुयपञ्चत्युयंसि सयणिज्जसि सन्निसन्नायो सरिणवन्नायो य विहरंति, एगं च महं सिरीदामगंडं पाडल-मल्लिय-चंपय-असोग-पुन्नाग-नाग-मरुयगदमणग-अणोज-कोजयपउरं परमसुह-फासदरिसणिज्जं महया गंधद्धणिं मुयंतं अग्यायमाणीयो डोहलं विणेंति 4 / तते णं तीसे पभावतीए देवीए इमेयारूवं डोहलं पाउब्भूतं पासिता अहासन्निहिया वाणमंतरा देवा Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 106 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः खिप्पामेव जलथलय जाव दसद्धवन्नमल्लं कुभग्गसो य भारग्गसो य कुभगस्स रन्नो भवसि साहरंति, एगं च णं महं सिरिदामगंडं जाव मुयंत उवणेंति, तए णं सा पभावती देवी जलथलय जाव मल्लेणं डोहलं विणेति, तए णं सा पभावतीदेवी पमत्थडोहला जाव विहरइ 5 / तए णं सा पभावतीदेवी नवराहं मासाणं श्रद्धट्ठमाण य रति(राइ)दियाणं जे से हेमंताणं पढमे मासे. दोच्चे पक्खे मग्गसिरसुद्धे तस्स णं मग्गसिरसुद्धस्स एकारसीए पुनरत्तावरत्त-कालसमयंसि अस्सिणीनक्खत्तेणं उचट्ठाणट्ठिएसे गहेसु जाव पमुइयपकीलिएसु जणवएसु आरोयाऽऽरोयं एकूणवीसतिम तित्थयरं पयाया 6 // सूत्रं 71 // तेणं कालेणं 2 ग्रहोलोग-वत्थव्वायो अट्ट दिसाकुमारीयो मयहरीयायो जहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए जम्मणं सव्वं नवरं मिहिलाए कुभयस्स पभावतीए अभिलायो संजोएव्वो जाव नंदीसरवरे दीवे महिमा 1 / तया णं कुंभए राया बहूहिं भवणवति 4 तित्थयर जाव कम्मं जाव नामकरणं, जम्हा णं अम्हे इमीए दारियाए माउए मल्लसयणिज्जसि डोहले विणीते तं होउ णं णामेणं मल्ली 2 / जहा महाबले नाम जाव परिवड्डिया, “सा वद्धती भगवती दियलोयचुता अणोवमसिरीया / दासीदासपरिवुडा परिकिन्ना पीडमद्दे हिं // 1 // असियसिरया सुनयणा विबोट्ठी धवलदंतपंतीया(सेदीया) / वरकमलगभगोरी(वराणा, कोमलंगी) फुल्लुप्पल(पउमुप्यनुष्यल)गंधनीप्तासा // 2 // 3 // सूत्रं 72 // तए णं सा मल्ली विदेहवररायकन्ना उम्मुक्कबालभावा जाव रूवेण जोव्वणेण य लावन्नेण य अतीव 2 उकिट्टा उकिट्ठसरीरा जाया यावि होत्था 1 / तते णं सा मल्ली देसूणवाससयजाया ते छप्पि रायाणो विपुलेण श्रोहिणा अाभोएमाणी 2 विहरति, तंजहा-पडिबुद्धिं जाव जियसत्तुं पंचालाहिवई 2 / तते णं सा मल्ली कोडबियपुरिसे सहावेइ 2 एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया असोगवणियाए एगं महं मोहणघरं करेह अणेग-खंभ-सयस Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढियाणाववयं कणगमई, याहारेति ततो कणगामतीए मलणं श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ] [ 107 निविट्ठ, तस्स णं मोहणघरस्स बहुमज्झदेसभाए छ गम्भघरए करेह, तेसि णं गभघरगाणं बहुमज्झदेसभाए जालघरयं करेह, तस्स णं जालघरयस्स बहुमज्झदेसभाए मणिपेढियं करेह 2 जाव पञ्चप्पिणंति 3 / तते णं मल्ली मणिपेढियाए उवरिं अप्पणो सरिसियं सरित्तयं सरिव्वयं सरिस-लावन्नजोव्वण-गुणोववेयं कणगमई मत्थयच्छिड्डं पउमुप्पलप्पिहाणं पडिमं करेति 2 जं विपुलं असणं 4 श्राहारेति ततो मणुनाश्रो असण-पाणखाइमसाइमायो कल्लाकलिं एगमेगं पिंडं गहाय तीसे कणगामतीए मत्थयछिड्डाए जाव पडिमाए मत्थयंसि पक्खिवमाणी 2 विहरति 4 / तते णं तीसे कणगमतीए जाव मत्थयछिड्डाए पडिमाए एगमेगंसि पिंडे पविखप्पमाणे 2 ततो गंधे पाउब्भवति, से जहा नामए अहिमडेत्ति वा जाव एत्तो अणिट्टतराए अमणामतराए 5 // सूत्रं 73 // तेणं कालेणं 2 कोसला नाम जणवए, तत्थ णं सागेए नाम नयरे तस्स णं उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए, एत्थ णं महं एगे णागघरए होत्था दिव्वे सच्चे सच्चोवाए संनिहियपाडिहरे, तत्थ णं नगरे पडिबुद्धिनाम इक्खागुराया परिवसति पउमावती देवी सुबुद्धी यमच्चे सामदंड० 1 / तते णं पउमावतीए अन्नया कयाइं जागजन्नए यावि होत्था, तते णं सा पउमावती नागजनमुवट्टियं जाणित्ता जेणेव पडिबुद्धि नाम इक्खागुराया तेणेव उवागच्छइ 2 करयल-परिंग्गहिय-दसनहं सिरसावत्तं मत्थए यंजलिं कटु एवं वदासी-एवं खलु सामी!मम कल्लं नागजन्नए यावि भविस्सति तं इच्छामि णं सामी ! तुन्भेहिं अब्भणुनाया समाणी नागजन्नयं गमित्तए, तुम्भेऽवि णं सामी ! मम नागजन्नयंसि समोसरह, तते णं पडिबुद्धी पउमावतीए देवीए एयमट्ठ पडिसुणेति 2 / तते णं पउमावती पडिबुद्धिणा रन्ना अब्भणुनाया हट्टतुट्ठ जाव हियया कोडांबियपुरिसे सद्दावेति 2 एवं वदासी–एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम कल्लं नागजराणए भविस्सति तं तुम्भे मालागारे सद्दावेह 2 एवं वदह-एवं खलु पउमावईए देवीए कल्लं Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 108 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : चतुर्थो विभागः नागजन्नए भविस्सइ तं तुम्भे णं देवाणुप्पिया ! जलथलय जाव दसद्धवन्नं मल्लं णागवरयंसि साहरह एगं च णं महं सिरिदामगंडं उवणेह, तते णं जलथलय जाव दसद्धवन्नेगां मल्लेगांणाणाविहभत्ति-सुविरइयं हंस-मिय-मउरकोंच-सारस-चकवाय-मयण-साल-कोइल-कुलोववेयं ईहामिय जाव भत्तिचित्तं महग्धं महरिहं विपुलं पुष्फमंडवं विरएह, तस्स णं बहुमज्झदेसभाए एगं महं सिरिदामगंडं जाव गंधद्धणि मुयंतं उल्लोयंसि अोलंबेह 2 पउमावति देविं पडिवालेमाणा 2 चिट्ठह 3 / तते णं ते कोडविया जाव चिट्ठति, तते णं सा पउमावती देवी कलं. कोडबिए एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! सागेयं नगरं सभितरबाहिरियं यासित-सम्मजितोवलित्तं जाव पञ्चप्पिणंति, तते णं सा पउमावती दोच्चंपि कोड बियपुरिसे सद्दावेति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! खिप्पामेव लहुकरणजुत्तं जाव जुत्तामेव उवट्ठवेह, तते णं तेऽवि तहेव उवट्टानेंति 4 / तते णं सा पउमावती अंतो अंतेउरंसि राहाया जाव - धम्मियं जाणं दूरूढा, तए णं सा पउमावई नियगपरिवालसंपरिबुडा सागेयं नगरं मझमज्झेणं णिजाति 2 जेणेव पुक्खरणी तेणेव उवागच्छति 2 पुक्खरणिं श्रोगाहइ 2 जलमजणं जाव परमसूइभूया उल्लपडसाडया जाति तत्थ उप्पलातिं जाव गेहति 2 जेणेव नागघरए तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तते णं पउमावतीए दासचेडीयो बहूयो पुष्फपडलग-हत्थगयायो धूव-कडुच्छुग-हत्थ-गयायो पिट्ठतो समणुगच्छंति 5 / तते णं पउमावती सविड्डिए जेणेव नागघरे तेणेव उवागच्छति 2 नागघरयं अणुपविसति 2 लोमहत्थगं जाव धूवं डहति 2 पडिबुद्धिं पडिवालेमाणी 2 चिट्ठति, तते णं पडिबुद्धी राहाए हत्थिखंधवरगते सकोरंट जाव सेयवरचामराहिं हयगयरहजोह-महया-भडग-चडकर-पहकरेहिं साकेयनगरं मझ मज्झेणं णिग्गच्छति 2 जेणेव नागघरे तेणेव उवागच्छति 2 हत्थिखंधायो पचोरुहति 2 Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ] [ 106 बालोए पणामं करेइ 2 पुष्फमंडवं अणुपविसति 2 पासति तं एगं महं सिरिदामगंडं, तए णं पडिबुद्धी तं सिरिदामगंडं सुइरं कालं निरिक्खइ 2 तंसि सिरिदामगंडसि जायविम्हए सुबुद्धिं श्रमचं एवं वयासी-तुमन्नं देवाणुप्पिया ! मम दोच्चेणं बहूणि गामागर जाव सन्निवेसाई बाहिंडसि बहूणि रायईसर जाव गिहाति अणुपविससि तं अस्थि णं तुमे कहिंचि एरिसए सिरिदामगंडे दिट्ठपुब्वे जारिसए णं इमे पउमावतीए देवीए सिरिदामगंडे ? 6 / तते णं सुबुद्धी पडिबुद्धिं रायं एवं वदासी-एवं खलु सामी! ग्रहं अन्नया कयाइं तुभं दोच्चेणं मिहिलं रायहाणिं गते तत्थ णं मए कुभगस्स रनो धूयाए पभावईए देवीए अत्तयाए मल्लीए संवच्छरपडिलेहणगंसि दिब्बे सिरिदामगंडे दिटुपुब्वे तस्स णं सिरिदामगंडस्स इमे पउमावतीए सिरिदामगंडे सयसहस्सतिमपि कलं ण अग्घति / तते णं पडिबुद्धी सुबुद्धिं अमच्चं एवं वदासी-केरिसिया णं देवाणुप्पिया ! मल्ली विदेहरायवरकन्ना जस्स णं संवच्छर-पडिलेहणयंसि सिरिदामगंडस्स पउमावतीए देवीए सिरिदामगंडे सयसहस्सतिमपि कलं न अग्धति ?, तते णं सुवुद्धी पडिबुद्धिं इक्खागुरायं एवं वदासी-विदेहरायवरकन्नगा सुपइट्ठिय-कुमुन्नय-चारुचरणा वन्नयो 8 / तते णं पडिबुद्धी सुबुद्धिस्स अमचस्स अंतिए सोचा णिसम्म सिरिदामगंडजणितहासे दूयं सदावेइ 2 एवं वयासी-गच्छाहि णं तुमं देवाणुप्पिया ! मिहिलं रायहाणिं तत्थ णं कुभगस्स रन्नो धूयं पभावतीए देवीए अत्तियं मलिं विदेह-वरराय-कराणगं मम भारियत्ताए वरेहि जतिविय णं सा सयं रजसुका 1 / तते णं से दूए पडिबुद्धिणा रन्ना एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ठ जाव पडिसुणेति 2 जेणेव सए गिहे जेणेव चाउग्घंटे बासरहे तेणेव उवागच्छति 2 चाउग्घंटे बासरह पडिकप्पावेति 2 दुरूढे जाव हयगयमहयाभड-चडगरेगां साएयायो णिग्गच्छति 2 जेणेव विदेहजणवए जेणेव मिहिला रायहाणी तेणेव पहारेथ गमणाए 10 // 74 // तेणं कालेणं Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 110 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः 2 अंगानाम जणवए होत्था, तत्थ णं चंपानामे णयरी होत्था, तत्थ णं चंपाए नयरीए चंदच्छाए अंगराया होत्था, तत्थ णं चंपाए नयरीए अरहनगपामोक्खा बहवे संजत्ता णावावाणियगा परिवसंति अड्डा जाव अपरिभूया 1 / तते णं से अरहन्नगे समणोवासए यावि होत्था अहिगयजीवाजीवे वन्नयो, तते णं तेसिं अरहन्नगपामोक्खाणं संजुत्ता-णावावाणियगाणां अन्नया कयाइ एगयो सहियाणं इमे एयारुवे मिहो कहासंलावे समुप्पजिस्थासेयं खलु अम्हं गणिमं च धरिमं च मेज्जं च पारिच्छेज्ज च. भंडगं गहाय लवणसमुद्द पोतवहणेगा योगाहित्तएत्तिकटु अन्नमन्नं एयमट्ठ पडिसुणेति 2 गणिमं च 4 गेराहंति 2 सगडिसागडियं च सज्जेंति 2 गणिमस्स 4 भंडगस्स सगडसागडियं भरेंति 2 सोहणंसि तिहिकरण-नवखत्तमुहुर्तसि विपुलं असणं 4 उवक्खडावेंति मित्तणाइ-नियगसजण-संबंधि-परिजणां भोगणवेलाए भुजाति जाव अापुच्छंति 2 सगडिसागडियं जोयंति 2 चंपाए नयरीए मझमज्झेगां जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छति 2 सगडिसागडियं मोयंति 2 पोयवहणां सज्जेंति 2 गणिमस्स य जाव चउब्विहस्स भंडगस्स भरेंति तंदुलाण य समितस्स य तेल्लयस्स य गुलस्स य घयस्स य गोरसस्स य उदयस्स य उदयभायणाण य श्रोसहाण य भेसज्जाण य तणस्स य कट्ठस्स य यावरणाण य पहरणाण य अन्नेसिं च बहूणं पोयवहणपाउग्गाणां दव्वाणां पोतवहां भरेंति, सोहणंसि तिहिकरणनक्खत्तमुहुत्तंसि विपुलं असणं 4 उवक्खडाति 2 मित्तणाति नियग-सजणसंबंधि-परिजणं भुजागेति जाव श्रापुच्छंति 2 जेणेव पोतट्ठाणे तेणेव वागच्छंति 2 / तते णं तेसिं अरहन्नग जाव वाणियगाणं परियणो जाय तारिसेहिं वग्गूहिं अभिणंदता य अभिसंथुणमाणा य एवं वदासी-ग्रज ताय भाय माउल भाइणज्जे भगवता समुद्दे णं अनभिरिवजमाणा 2 चिरं जीवह भह च भे पुणरवि लट्ठ कयकज्जे अणहसमग्गे नियगं घरं Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 8 ] [ 111 हव्वमागए पासामोत्तिकटु ताहिं सोमाहिं निद्धाहिं दीहाहिं (सप्पिवासाहि) पप्पु(च्छ)याहिं दिट्ठीहिं निरीक्खमाणा मुहुत्तमेत्तं संचिट्ठति 3 / तो समाणिएसु पुष्फबलिकम्मेसु दिन्नेसु सरस-रत्तचंदण-ददर-पंचंगुलितलेसु अणुक्खित्तंसि धूवंसि पूतिएसु समुद्दवाएसु संसारियासु वलयबाहासु ऊसिएसु सिएसु झयग्गेसु मडुप्पवाइएसु तूरेसु जइएसु सव्वसउणेसु गहिएसु रायवरसासणेसु महया उकिट्ठिसीहणाय जाव रवेणं पक्खुभितमहासमुद्द-वभूयंपिव मेइणिं करेमाणा एगदिसिं जाव वाणियगा णावं दुरूढा 4 / ततो पुस्समाणवो वक्कमुदाहु-हं भो ! सव्वेसिमवि अत्थसिद्धी उवट्ठिताई कल्लाणाई पडिहयाति सव्वपावाई जुत्तो पूसो विजयो मुहुत्तो अयं देसकालो, ततो पुस्समाणएणं वक्के समुदाहिए हट्टतु? कुच्छिधारकन्नधार-गभिज-संजत्ताणावावाणियगा वावारिसुतं नावं पुन्नुच्छंगं पुराणमुहिं बंधणेहिंतो मुचंति 5 / तते णं सा नावा विमुक्कबंधणा पवणबल-समाहया उस्सियसिया विततपक्खा इव गरुडजुबई गंगासलिल-तिक्खसोयवेगेहिं संखुब्भमाणी 2 उम्मीतरंग-मालासहस्साइं समतिच्छमाणी 2 कइवएहिं अहोरत्तेहिं लवणसमुद्द अणेगाति जोयणसतातिं योगाढा 6 / तते णं तेसिं अरहन्नग-पामोक्खाणं संजुत्तानावावाणियगाणं लवणसमुह अणेगाई जोयणसयाई श्रोगाढाणं समाणाणं बहूतिं उप्पातियसतातिं पाउब्भूयाई, तंजहा-अकाले गजिते अकाले विज्जुते अकाले थणियसबे, अभिक्खणं 2 यागासे देवतायो नच्चंति, एगं च णं महं पिसायरूवं पासंति, तालजंघ दिवं गयाहिं बाहाहिं मसिमूसग-महिसकालगं भरियमेहवन्नं लंबोट्ट निग्गयग्गदंतं निल्लालिय-जमलजुयलजीहं श्राऊ-सिय-वयणगंडदेसं चीणचिपिट-नासियं विगय-भुग्ग-भुमयं(मुग्गभग्गं) खजोयग-दित्तचक्खुरागं उत्तासणगं विसालवच्छं विसालकुच्छि पलंबकुच्छि पहसिय-पयलिय. पयडियगत्तं(विगयभुग्ग-भुमय-पहसिय-पयलिय-पयडिय-फुलिंग-खजोय-दित्त Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 112 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः चक्खुराग) पणञ्चमाणं अप्फोडतं अभिवयंत अभिगज्जंतं बहुसो 2 अट्टहासे विणिम्मुयंत नीलुप्पल-गवल-गुलिय-अयसिकुसुमप्पगासं खुरहारं असि गहाय अभिमुह-मावयमाणं पासंति 8 / तते णं ते अरहराणगवजा संजुत्ताणावावाणियगा एगं च णं महं तालपिसायं पासंति तालजंघं दिवं गयाहिं बाहाहि फुट्टसिरं भमर-णिगर-वरमासरासि-महिसकालगं भरियमेहवन्नं सुप्पणहं फालसरिसजीहं लंबोट्ट धवल-बट्टअसिलिट्ठ-तिक्खथिर-पीणकुडिल-दाढोवगूढवयणं विकोसिय-धारासि-जुयल-समसरिस-तणुय-चंचल-गलंत-रसलोल-चवल-फुरुफुरत-निल्लालियग्गजीहं अवय(अविच्छिय-महल्ल-विगयबीभत्स-लालपगलंत-रत्ततालुयं हिंगुलुय-सगम्भ-कंदरबिलंव अंजणगिरिस्स (अग्गिझरस्स) अग्गिजालुग्गिलंतवयणं ग्राऊसिय-अक्ख-चम्म-उइट्ट-गंडदेसं चीणचिपिड-बंक-भग्गणासं रोसागय-धमधमेंत मारुत-निट्ठर-खर-फरुसझुसिरं श्रोभुग्ग-णासियपुडं घाडुब्भड-रइयभीसणमुहं उद्धमुह-कन्नसक्कुलिय-महंतविगयलोम-संखालग-लंयंतचलियकन्नं पिंगल-दिप्पंतलोयणं भिउडि-तडियनिडालं(भिउडितडियं तडियनिडालं) नरसिर-माल-परिणद्धचिद्धं विचित्तगोणस-सुबद्धपरिकरं अवहोलंत पुप्फुयायंत-सप्पविच्छुय-गोधुदर-नउल-सरड. विरझ्य-विचित्त वेयच्छमालियागं भोगकूर-कराह-सप्प-धमधमेंत-लंबंतकन्नपूरं मजार-सियाल-लइयखंध दित्तघुघुयंत-घूयकय-कुतलसिरं घंटारवेणभीमं भयंकरं कायरजण-हिययफोडणं दित्तमट्टहासं विणिम्मुयंतं वसा-रुहिर-पूयमंसमल-मलिण-पोचडतणु उत्तासणयं विसालवच्छं पेच्छता भिन्नणह-मुहनयण-कन्न-वरवग्यचित्त-कत्तीणिवसणं सरस-रुहिर-गयचम्म-वितत-ऊसवियबाहुजुयल ताहि य खरफरसअसि-णिद्ध-अणि?-दित्तग्रसुभअप्पिय[अमणुन] अक्कंतवग्गूहि य तजयंतं पासंति तं तालपिसायरूवं एजमाणं पासंति 2 भीया संजायभया अन्नमन्नस्स कायं समतुरंगेमाणा 2 बहूणं इंदाण य खंदाण य रुदसिव-वेसमणणागा(मा)णं भूयाण य जक्खाण य यजकोट्टकि Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 8 ] [ 113 रियाण य बहूणि उवाइयसयाणि ग्रोवातियमाणा 2 चिट्ठांति 7 / तए णं से अरहन्नए समणोवासए तं दिव्वं पिसायरूवं एजमाणं पासति 2 अभीते श्रतस्थे अचलिए असंभंते अणाउले अणुविग्गे अभिन्नमुह-राग-णयणबन्ने अदीणविमणमाणसे पायवहणस्स एगदेसंसि वत्थंतेां भूमि पमजति 2 ठाणं ठाइ 2 करयलयो एवं वयासि-नमोऽत्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, जइ णं अहं एत्तो उवसग्गातो मुंचामि तो मे कप्पति पारित्तए ग्रह णं एत्तो उवसग्गायो ण मुचामि तो मे तहा पञ्चक्खाएयव्वेत्तिकटु सागारं भत्तं पञ्चक्खाति 8 / तते णं से पिसायरूवे जेणेव अरहन्नए समणोवासए तेणेव उवागच्छति 2 अरहन्नगं एवं वदासी-हं भो ! अरहन्नगा अपत्थियपस्थिया जाव परिवजिया णो खलु कप्पति तव सीलव्वय-गुणवेरमणापञ्चक्खाणे पोसहोवधासातिं चालित्तए वा एवं खोभेत्तए वा खंडित्तए वा भंजित्तए वा उज्झित्तए वा परिचइत्तए वा ? तं जति णं तुमं सीलब्वयं जाव ण परिचयसि तो ते अहं एवं पोतवहणं दोहिं अंगुलियाहिं गेराहामि 2 सत्तट्ठ-तलप्पमाण-मेत्तातिं उड्ड वेहासं उबिहामि 2 अंतो जलंसि णिबोलेमि जेणं तुम अट्टदुहट्टवस? असमाहिपत्ते अकाले चेव जीवियायो ववरोविज्जसि ।तते णं से अरहनते समगोवासए तं देवं मणसा चेव एवं वदासी-ग्रहणं देवाणुप्पिया! श्ररहन्नए णामं समणोवासए अहिगयजीवाजीवे नो खलु अहं सका केणइ देवेण वा जाव निग्गंथायो पावयणायो चालित्तर वा खोभेत्तए वा विपरिणामेत्तए वा तुमं णं जा सद्धा तं करेहित्तिकटु अभीए जाव अभिन्नमुह-रागणयणबन्ने यदीणविमा-माणसे निचले निप्पंदे तुसिणीए धम्मज्माणोवगते विहरति १०।तए णं से दिव्वे पिसायरूवे अरहन्नगं समणोवासगं दोच्चपि तच्चपि एवं वदासी-हं भो अरहन्नगा ! अपत्थिपत्थिया जाव परिवजिया जाव अभिन्नमुहरागणयणवन्ने अदीण-विमणमाणसे निच्चले निप्पंदे तुसिणीए धम्मज्झाशोवगए विहरति 11 / तते णं से दिव्वे पिसायरूवे अरहन्नगं धम्मज्मा 15 Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 114 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः णोवगयं पासति पासित्ता बलियतरोगं प्रासुरुत्ते तं पोयवहणं दोहिं अंगुलियाहिं गिराहति 2 सत्तट्ठतलाइं जाव अरहन्नगं एवं वदासी-हं भो अरहन्नगा ! अप्पत्थियपत्थिया णो खलु कप्पति तव सीलव्वय तहेव जाव धम्मज्माणोवगए विहरति 12 / तते णं से पिसायरूवे अरहन्नगं जाहे नो संचाएइ निग्गंथाश्रो पावयणायो चालित्तए वा खोभेत्तए वा विपरिणामेत्तए वाताहे उवसंते जाव निम्विन्ने तं पोयवहणं सणियं 2 उवरि जलस्स ठवेति 2 तं दिव् पिसायस्वं पडिसाहरइ 2 दिव्वं देवस्वं विउव्वइ 2 अंतलिक्खपडिवन्ने सखिखिणियाइं जाव परिहिते अरहन्नगं समणोवासगं एवं वयासी-हं भो ! अरहन्नगा ! धन्नोऽसि णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव जीवियफले जस्स णं तव निग्गंथे पावयणे इमेयाख्वा पडिवत्ती लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया 13 / एवं खलु देवाणुप्पिया ! सक्के देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए बहूणं देवाणं मझगते महया सद्देणं आतिक्खति 4 एवं खलु जंबूद्दीवे 2 भारहे वासे चंपाए नयरीए अरहन्नए समणोवासए अहिगयजीवाजीवे नो खलु सको केणति देवेण वा दाणवेण वा णिग्गंथायो पावयणाश्रो चालित्तए वा जाव विपरिणामेत्तए वा, तते णं अहं देयाणुप्पिया ! सक्कस्स णो एयम8 सदहामि णो पत्तियामि णो रोयामि तते णं मम इमेयारूवे अब्भत्थिए 5 गच्छामि णं अरहन्नयस्स अंतियं पाउम्भवामि जाणामि ताव अहं अरहन्नगं किं पियधम्मे णो पियधम्मे ? दढधम्मे नो दढधम्मे ? सीलब्वयगुणे किं चालेति जाव परिचयति णो परिपञ्चयतित्तिकटु, एवं संपेहेमि 2 श्रोहिं परंजामि 2 देवाणुप्पिया ! भोहिणा अाभोएमि 2 उत्तरपुरच्छिमं 2 उत्तरविउब्वियं जाव ताए उकिट्ठाए जेणेव समुद्दे जेणेव देवाणुप्पिया तेणेव उवागच्छामि 2 देवाणुप्पिया णं उबसग्गं करेमि, नो चेव णं देवाणुप्पिया भीया.वा०, तं जगणं सक्के देविंदे देवराया वदति सच्चे णं एसम8 तं दि8 णं देवाणु Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ] [ 115 प्पियाणं इड्डी जुई जसे जाव परकमे लद्रे पत्ते अभिसमन्नागए तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! खमंतु मरहंतु णं देवाणुप्पिया ! णाइभुजो 2 एवंकरणयाएत्तिक? पंजलिउडे पायवडिए एयमट्ठविणएणं भुजो 2 खामेइ 2 अरहन्नयस्स दुवे कुडलजुयले दलयति 2 जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव पडिगए 14 // सूत्रं 75 // तते णं से अरहन्नए निरुवसग्गमितिकट्टु पडिमं पारेति, तए णं ते अरहन्नगपामोक्खा जाव वाणियगा दक्खिणाणुकूलेणं बाएणं जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छंति 2 पोयं लंबेंति 2 सगडसागडं सज्जेंति 2 तं गणिमं 4 सगडि-सागडियं संकामेंति 2 सगडी-सागडियं जोएंति 2 जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छंति 2 मिहिलाए रायहाणीए बहिया अग्गुजाणंसि सगडीसगडं मोएंइ 2 मिहिलाए रायहाणीए तं महत्थं महग्धं महरिहं विउलं रायरिहं पाहुडं कुंडलजुयलं च गेगहंति 2 अणुपविसंति 2 जेणेव कुभए तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव तं महत्थं दिव्वं कुंडलजुयलं च उवणेति 2 तते णं कुभए तेसिं संजत्तगाणं जाव. पडिच्छइ 2 मल्ली विदेहवररायकन्नं सदावेति 2 तं दिव्वं कुंडलजुयलं मल्लीए विदेहवररायकन्नगाए पिणद्धति 2 पडिविसज्जेति 1 / तते णं से कुंभए राया ते अरहन्नगपामोक्खे जाव वाणियगे विपुलेणं असणवस्थगंध जाव उस्सुक्कं वियरति 2 रायमग्गमोगादेइ यावासे वियरतिर पडिविसज्जेति 2 / तते णं अरहन्नगसंजत्तगा जेणेव रायमग्गमोगाढे यावासे तेणेव उवागच्छंति 2 भंडववहरणं करेंति 2 पडिभंडं गेराहंति 2 सगडी-सागडियं भरेंति जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छति 2 पोत्व हणं मज्जति 2 भंडं संकामेंति दविखणाणुकूलेण वाए जेणेव चंपापोयट्ठाणे तेणेव पोयं लंति 2 सगडीसागडं सज्जति 2 तं गणिमं 4 सगडी-सागडियं संकाति 2 जाव महत्थं पाहुईं दिव्यं च कुडलजुयलं Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 116 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभागः गेगहंति 2 जेणेव चंदच्छाए अंगराया तेणेव उवागच्छति 2 तं महत्थं जाव उवोंति 3 / तते णं चंदच्छाए अंगराया तं दिव्वं महत्थं च कुंड. लजुयलं पडिच्चति 2 ते अरहन्नगपामोक्खे एवं वदासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! बहूणि गामागार जाव ग्राहिंडह लवणसमुद्दच अभिक्खणं 2 पोयवहणेहिं योगाहेह गाहह तं अत्थियाइं भे केइ कहिंचि अच्छेरए दिट्ठपुब्वे ?, तते णं ते अरहन्नपामोक्खा चंदच्छायं अंगरायं एवं वदासीएवं खलु सामी! अम्हे इहेव चंपाए नयरीए अरहन्नपामोक्खा बहवे संजत्तगा णावावाणियगा परिषसामो, तते णं अम्हे अन्नया कयाइं गणिमं च 4 तहेव बहीणमतिरित्तं जाव कुभगस्स रन्नो उवणेमो 4 / तते णं से कुभए मल्लीए विदेहरायवरकन्नाए तं दिव्वं कुंडलजुयलं पिणद्धेति 2 पडिव्विसज्जेति, तं एस णं सामी ! अम्हेहिं कुभरायभवणंसि मल्ली विदेहे अच्छेरए दि8 तं नो खलु अन्ना कावि तारिसिया देवकन्ना वा जाव जारिसिया णं मल्लीविदेहा, तते णं चंदच्छाए ते अरहन्नगपामोक्खे सकारेति सम्माणेति 2 पडिवसज्जेति 5 / तते णं चंदच्छाए वाणियगजणियहासे दूतं सदावेति जाव जइवियं णं सा सयं रजसुक्का, तते णं ते दूते हढे जाव पहारेत्थ गमणाए 2, 6 // सूत्रं 76 // तेणं कालेणं 2 कुणाला नाम जणवए होत्था, तत्थ णं सावत्थी नाम नगरी होत्था, तत्थ णं रुप्पी कुणालाहिवई नाम राया होत्था, तस्स णं रुप्पिस्स धुया धारिणीए देवीए अत्तया सुबाहुनामं दारिया होत्था, सुकुमाल जाव रूवेण य जोवणेणं लावराणेण य उकिट्ठा उकिट्टसरीरा जाया यावि होत्या, तीसे णं सुबाहुए दारियाए अन्नदा चाउम्मासियमजणए जाए यावि होत्था 1 / तते णं से रुप्पी कुणालाहिवई सुबाहुए दारियाए चाउम्मासियमजणयं उवट्ठियं जाणति 2 कोडुबियपुरिसे सहावेति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सुबाहुए दारियाए कल्लं चाउम्मासियमजणए भविस्सति तं Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ) [ 117 कल्लं तुम्भे णं रायमग्गमोगादसि चउक्कसि जलथलय-दसद्धवन्नमल्लं साहरह जाब सिरिदामगंडं बोलइन्ति, तते णं से रुप्पी कुणालाहिवती सुवनगारसेणिं सदावेति 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! रायमग्गमोगादसि पुप्फमंडवंसि णाणाविह-पंचवन्नेहिं तंदुलेहिं णगरं थालिहह तस्स बहुमज्झदेसभाए पट्टयं रएह 2 जाव पञ्चप्पिणंति 2 / तते णं से रुप्पी कुणालाहिवई हत्थिखंधवरगए चाउरंगिणीए सेणाए महया भड. अंतेउरपरियाल-संपस्वुिडे सुबाहुँ दारियं पुरतो कटु जेणेव रायमग्गे जेणेव पुष्फमण्डवे तेणेव उबागच्छति 2 हत्थिखंधातो पचोरूहति 2 पुष्फमंडवं अणुपविसति 2 सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सन्निसन्ने 3 / तते णं तायो यंतेउरियायो सुबाहुँ दारियं पट्टयसि दुरूहेंति 2 सेयपीतएहिं कलसेहिं राहागोंति 2 सव्वालंकारविभूसियं करेंति 2 पिउणो पायं वंदिउं उवणोंति तते णं सुबाहुदारिया जेणेव रुप्पी राया तेणेव उवागच्छति 2 पायग्गहणं करेति, तते णं से रूप्पी राया सुबाहुँ दारियं अंके निवेसेति 2 सुबाहुए दारियाए रूवेण य जोव्वणेण य लावराणेण य जाव विम्हिए वरिसधरं सदावेति 2 एवं वयासी-तुमराणं देवाणुप्पिया ! मम दोच्चेणं बहूणि गामागरनगरगिहाणि अणुपविससि, तं अत्थियाई ते कस्सइ रन्नो वा ईसरस्स वा कहिंचि एयारिसए मजणए दिट्ठपुब्वे जारिसए णं इमीसे सुबाहुदारियाए मजणए ? 4 / तते णं से वरिसधरे रुप्पिं करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु सामी ! यहं अन्नया तुब्भेणं दोच्चेणं मिहिलं गए तत्थ णं मए कुभगस्स रनों धूयाए पभावतीए देवीए अत्तयाए मल्लीए विदेहरायकन्नगाए मजणए दि8, तस्स णं मजणगस्स इमे सुबाहुए दारियाए मजणए सयसहस्सइमंपि कलं न अग्घेति 5 / तए णं से रूप्पी राया परिसधरस्स अंतिए एयमटुं सोचा णिसम्म सेसं तहेव मजणगजणितहासे दूतं सदावेति 2 एवं वयासी-जेणेव मिहिला नयरी तेणेव पहारित्थगमणाए 6 // सूत्रं 77 // तेणं कालेणं 2 Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 118 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः कासी नाम जणवए होत्था, तत्थ णं वाणारसीनाम नगरी होत्था, तत्थ णं संखे नाम कासीराया होत्था, तते णं तीसे मल्लीए विदेहरायवरकन्नाए अन्नया कयाइं तस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स संधी विसंघडिए यावि होत्था 1 / तते णं से कुभए राया सुवन्नगारसेणिं सदावेति 2 एवं वदासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! इमस्त दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स संधि संघाडेह, तए णं सा सुवन्नगारसेणी एतमट्ठ तहत्ति पडिसुगोंति 2 तं दिव्यं कुडलजुयलं गेहति 2 जेणेव सुवन्नगारभिसियायो तेणेव उवागच्छंति 2 सुवन्नगारभिसियासु णिवेसेति 2 बहूहिं पाएहि य जाव परिणामेमाणा इच्छंति 2 तस्स दिव्वस्स कुडलजुपलस्स संधि घडित्तए, नों चेव णं संचाएंति संघडित्तए 2 / तते णं सा सुवनगारसेणी जेणेव कुभए तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव वद्धावेत्ता एवं वदासी-एवं खलु सामी ! अज तुम्भे अम्हे सदावेह 2 जाव संधि संघाडेता एतमाणं पञ्चप्पिणह, तते णं अम्हे तं दिव्वं कुंडलजुयलं गेराहामो जेणेव सुवन्नगारभिसियायो जाव नो संचाएमो संघाडित्तए, तते णं अम्हे सामी ! एयस्त दिव्वस्स कुंडलस्स अन्नं सरिसयं कुडलजुयलं घडेमो 3 / तते णं से कुभए राया तीसे सुवन्नगारसेणीए अंतिए एयम8 सोचा निसम्म बासुरुत्ते तिवलियं भिउडीं निडाले साहट्ट एवं वदासी-से केणं तुम्भे कलायाणं भवह ? जे णं तुब्भे इमस्स कुडलजुयलस्स नो संचाएह संधि संघाडेत्तए ?, ते सुवन्नगारे निविसए प्राणवेति 4 / तते णं ते सुवन्नगारा कुभेणं रगणा निविसया प्राणत्ता समाणा जेणेव साति 2 गिहातिं तेणेव उवागच्छंति 2 सभंडमत्तोवगरणमायायो मिहिलाए रायहाणीए मझमज्झेणं निक्खमंति 2 विदेहस्त जणवयस्स मझमझेणं जेणेव कासी जणवए जेणेव वाणारसी नयरी तेणेव उवागच्छंति 2 अग्गुजाणंसि सगडीसागडं मोएन्ति 2 महत्थं जाव पाहुडं गेराहंति 2 त्ता वाणारसीनयरी मज्झमज्झेणं जेणेव संखे कासीराया तेणेव उवागच्छति 2 Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्यनं 8 ] [ 116 करयल जाव एवं वयासी-अम्हे णं सामी ! मिहिलातो नयरीयो कुभएणां रन्ना निविसया ग्राणत्ता समाणा इहं हव्वमागता तं इच्छामो गाँ सामी ! तुम्भ बाहुच्छाया-परिग्गहिया निब्भया निरुध्विग्गा सुहंसुहेगां परिवसिउं 5 / तते णं संखे कासीराया ते सुवनगारे एवं वदासी-किन्नं तुम्भे देवाणुप्पिया ! कुभएणं रन्ना निव्विसया प्राणत्ता ?, तते णं ते सुवनगारा संखं एवं वदासी-एवं खलु सामी ! कुभगस्स रन्नो धूयाए पभावतीए देवीए अत्तयाए मल्लीए कुडलजुयलस्स संधी विसंघडिए तते णं से कुभए सुवन्नगारसेणिं सदावेति 2 जाव निविसया श्राणत्ता, तं एएणं कारणेणं सामी ! अम्हे कुभएणं निविसया प्राणत्ता 6 / तते णं से संखे सुवन्नगारे एवं वदासी-केरिसिया णं देवाणुप्पिया ! कुंभगस्स धूया पभावतीदेवीए अत्तया मल्ली विदेहवररायकना ? तते णं ते सुवन्नगारा संखरायं एवं वदासी-णो खलु सामी ! अन्ना काई तारिसिया देवकन्ना वा गंधव्वकन्नगा वा जाव जारिसिया णं मल्ली विदेहवररायकन्ना, तते णं से संखे कुंडलजुअल-जणितहासे दूतं सदावेति जाव तहेव पहारेत्थ गमणाए 7 // सूत्रं 78 // तेणं कालेणं 2 कुरुजणवए होत्था, हथिणाउरे नगरे अदीणसत्तू नामं राया होत्था जाव विहरति, तत्थ णं मिहिलाए कुभगस्स पुत्ते पभावतीए अत्तए मल्लीए अणुजायए मल्लदिन्नए नाम कुमारे जाव जुवराया यावि होत्था, तते णं मल्लदिन्ने कुमारे अन्नया कोडुबियपुरिसे सहावेति 2 गच्छह णं तुम्भे मम पमदवणंसि एगं महं चित्तसभं करेह अणेग जाव पचप्पिणंति 1 / तते णं से मल्लदिन्ने चित्तगरसेणिं सदावेति 2 एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! चित्तप्तभं हावभाव-विलास-विब्बोयकलिएहिं रूवेहिं चित्तेह 2 जाव पञ्चप्पिणह, तते णं सा चित्तगरसेणी तहत्ति पडिसुणेति 2 जेणेव सयाइं गिहाई तेणेव उवागच्छति 2 तूलियानो वन्नए य गेराहंति 2 जेणेव चित्तसभा Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः तेणेव उवागच्छति 2 ता अणुपविसंति 2 भूमिभागे विरंचंति 2 भूमि सज्जेंति 2 चित्तसभं हावभाव जाव चित्तेउं पयत्ता यावि होत्था, तते णं एगस्स चित्तगरस्स इमेयारूवा चित्तगरलद्धी लद्धा पत्ता अभिसमन्नागयाजस्स णं दुपयस्स वा चउपयस्स वा अपयस्स वा एगदेसमवि पासति तस्स णं देसाणुसारेणं तयाणुरूवं निव्वत्तेति 2 / तए णं से चित्तगरदारए मल्लीए जवणियंतरियाए जालंतरेण पायंगुट्ठ पासति, तते णं तस्स णं चित्तगरस्स इमेयाख्वे जाव सेयं खलु ममं मल्लीएवि पायंगुट्ठाणुसारेणं सरिसगं जाव गुणोववेयं स्वं निव्वत्तित्तए, एवं संपेहेति 2 भूमिभागं सज्जेति 2 मल्लीएवि पायंगुट्ठाणुसारेणं जाव निधत्तेति, तते णं सा चित्तगरसेणी चित्तसभं जाव हावभाव जाव चित्तेति 2 जेणेव मल्लदिन्ने कुमारे तेणेव उवागच्छति 2 जाव एतमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति 3 / तए णं मल्लदिन्ने चित्तगरसेणि सकारेइ 2 विपुलं जीवियारिहं पीइदाणं दलेइ 2 पडिविसज्जेइ, तए णं मल्लदिन्ने अन्नया गहाए अंतेउरपरियालसंपरिबुडे अम्मधाईए सद्धिं जेणेव चित्तसभा तेणेव उवागच्छति 2 चित्तसभं अणुपविसइ 2 हावभावविलासविब्बोयकलियाई रूवाइं पासमाणे 2 जेणेव मल्लीए विदेहवररायकन्नाए तयाणुरुवे रूबे णिव्वत्तिए तेणेव पहारेत्थ गमणाए 4 / तए णं से मल्लदिन्ने कुमारे मल्लीए विदेहवररायकन्नाए तयाणुरुवं रूवं निव्वत्तियं पासति 2 इमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था-एस णं मल्ली विदेहवररायकन्नत्तिकटु लजिए वीडिए वियडे सणियं 2 पचोसकइ, तए णं मल्लदिन्नं अम्मधाई सणियं 2 पचोसक्कंतं पासित्ता एवं वदासी-किन्नं तुमं पुत्ता ! लजिए वीडिए(वेइडे) विनडे सणियं 2 पञ्चोसकसि ?, तते णं से मल्लदिन्ने अम्मधाति एवं वदासी-जुत्तं णं अम्मो ! मम जेट्टाए भगिणीए गुरुदेवयभ्याए लजणिजाए मम चित्तगरणिव्वत्तियं सभं अणुपविसित्तए ?, तएणं अम्मधाई मल्लदिन्नं कुमार एवं वदासी-नो खलु पुत्ता / एस मल्ली, एस Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 8 ] [ 121 णं मल्ली विदेहवररायकन्ना चित्तगरएणं तयाणुरूवे रूवे णिबत्तिए, तते णं मल्लदिन्ने अम्मधाईए एयमठं सोचा आसुरुत्ते एवं वथासी-केस णं भो चित्तयरए अपत्थियपस्थिए जाव परिवजिए जे णं मम जेट्टाए भगिणीए गुरुदेवयभूयाए जाव निव्वत्तिएकिट्टु तं चित्तगरं वज्झ पाणवेइ 5 / तए णं सा चित्तगरस्सेणी इमीसे कहाए लट्टा समाणा जेणेव मल्लदिन्ने कुमारे तेणेव उवागच्छइ 2 ता करयलपरिग्गहियं जाव वद्धावेइ 2 ता एवं बयासी-एवं खलु सामी ! तस्स चित्तगरस्स इमेयारूवा चित्तकरलद्धी लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया जस्स णं दुपयस्स वा जाव णिवत्तेति तं मा णं सामी ! तुम्भे तं चित्तगरं वज्झ श्राणवेह, तं तुब्भे णं सामी ! तस्स चित्तगरस्स अन्नं. तयाणुरूवं दंडं निव्वत्तेह, तए णं से मल्लदिन्ने तस्स चित्तगरस्स संडासगं छिंदावेइ 2 निविसयं प्राणवेइ 6 / तए णं से चित्तगरए मल्लदिन्नेणं णिविसिए प्राणत्ते समाणे सभंड-मत्तोंवगरण-मायाए मिहिलायो णयरीयो णिक्खमइ 2 विदेहं जणवयं मझमझेणं जेणेव कुरुजणवए जेणेव हत्थिणाउरे नयरे जेणेव अदीणसत्तू राया तेणेव उवागच्छति 2 त्ता भंडणिक्खेवं करेइ 2 चित्तफलगं सज्जेइ 2 मल्लीए विदेहवररायकन्नाए पायंगुट्ठाणुसारेण एवं णिवत्तेइ 2 कक्खंतरंसि छुब्भइ 2 महत्थं 3 जाव पाहुडं गेराहइ 2 हथिणापुरं नयरं मझमझेणं जेणेव अदीणसत्तू राया तेणेव उवागच्छति 2 तं करयल जाव वद्धावेइ 2 पाहुडं उवणेति 2 एवं वयासी-एवं खलु ग्रहं सामी ! मिहिलायो रायहाणीयो कुंभगस्स रन्नो पुत्तेणं पभावतीए देवीए अत्तएणं मल्लदिन्नेणं कुमारेणं निविसए प्राणत्ते समाणे इह हव्वमागए, तं इच्छामि णं सामी ! तुम्भं बाहुच्छायापरिग्गहिए जाव परिवसित्तए 7 / तते णं से श्रदीणसत्तू राया तं चित्तगदारयं एवं वदासी-किन्नं तुमं देवाणुप्पिया! मल्लदिराणेणं निविसए श्राणत्ते ?, तए णं से चित्तयरदारए अदीणसत्तुरायं एवं वदासी-एवं खलु Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 122 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः सामी ! मल्लदिन्ने कुमारे अण्णया कयाई चित्तगरसेणिं सदावेइ 2 एवं वयासी-तुम्भे णं देवाणुप्पिया ! मम चित्तसभं तं घेव सव्वं भाणियव्वं जाव मम संडासगं छिदावेइ 2 निविसयं प्राणवेइ, तं एवं खलु अहं सामी ! मल्लदिन्नेणं कुमारेणं निव्विसए प्राणत्ते 8 / तते णं अदीणसत्तू राया तं चित्तगरं एवं वदासी-से केरिसए णं देवाणुपिया ! तुमे मल्लीए तदाणुरूवे रूवे निव्वत्तिए ?, तते णं से चित्तगरदारए कक्खंतरायो चित्तफलयं णीणेति 2 अदीणसत्तुस्स उवणेइ 2 एवं वयासी-एस णं सामी ! मल्लीए विदेहवररायकन्नाए तयाणुरुवस्स रुवस्स केइ श्रागारभावपडोयारे निव्वत्तिए णो खलु सका केणाइ देवेण वा जाव मल्लीए विदेहरायवरकराणगाए तयाणुरूवे रूवे निव्वत्तित्तए, तते णं अदीणसत्तू पडिरूवजणितहासे दूयं सदावेति 2 एवं वदासी-तहेव जाव पहारेत्थ गमणयाए 1 ॥सूत्रं७॥ तेणं कालेणं 2 पंचाले जणवए कंपिल्ले पुरे नयरे जियसत्तू नाम राया पंचालाहिवई, तस्स णं जितसत्तुस्स धारिणीपामोक्खं देविसहस्सं बोरोहे होत्था, तत्थ णं मिहिलाए चोक्खा नाम परिवाइया रिउव्वेद जाव परिणिट्ठिया यावि होत्था 1 / तते णं सा चोक्खा परिवाइया मिहिलाए बहूणं राईसर जाव सस्थवाहपभितीणं पुरतो दाणधम्मं च सोयधम्मं च तित्थाभिसेयं च ग्राघवेमाणी पराणवेमाणी परूवेमाणी उवदंसेमाणी विहरति 2 / तते णं साचोक्खा परिवाइया अन्नया कयाई तिदंडं च कुडियं च जाव धाउरत्तायो य गेराहइ 2 परिव्वाइगावसहायो पडिनिक्खमइ 2 पविरल-परिवाइया सद्धिं संपरिखुडा मिहिलं रायहाणिं मझमझेणं जेणेव कुभगस्स रनो भवणे जेणेव करणंतेउरे जेणेव मल्ली विदेहवररायकन्ना तेणेव उवागच्छइ 2 उदय-परिफासियाए दभोवरि पञ्चत्थुयाए भिसियाए निसियति 2 ता मल्लीए विदेहवररायकन्नाए पुरतो दाणधम्मं च जाव विहरति 3 / तते णं मल्ली विदेहा चोक्खं परिवाइयं एवं वयासी-तुम्भे Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ] __ [ 123 णं चोक्खे ! किंमूलए धम्मे पन्नत्ते ?, तते णं सा चोक्खा परिव्वाइया मलिं विदेहं एवं वदासी-अम्हं णं देवाणुप्पिए ! सोयमूलए धम्मे पराणवेमि, जराणं अम्हं किंचि सुई भवइ तराणं उदएण य मट्टियाए जाव अविग्घेणं सग्गं गच्छामो, तए णं मल्ली विदेहवररायकन्ना चोक्खं परिवाइयं एवं वदासी-चोक्खा ! से जहा नामए केई पुरिसे रुहिरकयं वत्थं रुहिरेण चेव धोवेजा अस्थि णं चोक्खा ! तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं धोब्वमाणस्स काई सोही ?, नो इण? समढे, एवामेव चोक्खा ! तुब्भे णं पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं नत्थि काई सोही, जहा व तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं चेव धोव्वमाणस्स 4 / तए णं सा चोक्खा परिवाइया मल्लीए विदेहवररायकन्नाए एवं वुत्ता समाणा संकिया कंखिया विइगिच्छिया भेयसमावराणा जाया यावि होत्था, मल्लीए णो संचाएति किंचिवि पामोक्खमाइक्खित्तए तुसिणीया संचिट्ठति, तते णं तं चोक्खं मल्लीए बहुयो दासचेडियो हीलेंति निदंति खिसंति गरहंति अप्पेगतिया हेस्यालंति अप्पेगतिया मुहमकडिया करेंति अप्पेगतिया वग्घाडीयो करेंति अप्पेगतिया तज्जेमाणीयो तालेमाणीयो निच्छुभंति, तए णं सा चोक्खा मल्लीए विदेहवररायकन्नाए दासचेडियाहिं जाव गरहिजमाणी हीलिजमाणी प्रासुरुत्ता जाव मिसिमिसेमाणी मल्लीए विदेहरायवरकराणाए पयोसमावज्जति, भिसियं गेराहति 2 करणंतेउराश्रो पडिनिक्खमति 2 मिहिलायो निग्गच्छति 2 परिवाइयोसंपरिखुडा जेणेव पंचालजणवए जेणेव कंपिल्लपुरे बहूणं राइसर जाव परूवेमाणी विहरति 5 / तए णं से जियसत्तू अन्नदा कदाई अंतेउरपरियाल सद्धिं संपरिवुडे एवं जाव विहरति, तते णं सा चोक्खा परिव्वाइयासपरिवुडा जेणेव जितसत्तुस्स रराणो भवणे जेणेव जितसत्तू तेणेव उवागच्छइ 2 ता अणुपविसति 2 जियसत्तु जएणं विजएणं वद्धावेति, तते णं से जितसत्तू चोक्खं Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 124 ] ___ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः परिव्वाइयासपरिवुडं एजमाणं पासति 2 सीहासणायो अब्भुट्ठति 2 चोक्खं सकारेति 2 श्रासणेणं उपणिमंतेति, तते णं सा चोक्खा उदगपरि. फासियाए जाव भिसियाए निविसइ, जियसत्तुं रायं रज्जे य जाव अंतेउरे य कुसलोदंतं पुच्छइ, तते णं सा चोक्खा जियसत्तुस्स रन्नो दाणधम्मं च जाव विहरति 6 / तते णं से जियसत्तू अप्पणो श्रोरोहंसि जाव विम्हिए चोक्खं एवं वदासी-तुमं णं देवाणुप्पिया ! बहूणि गामागर जाव अडह बहूण य रातीसर० गिहातिं अणुपविससि तं अत्थियाइं ते कस्सवि रनो वा जाव एरिसए योरोहे दिट्ठपुव्वे जारिसए णं इमे मह उवरोहे ?, तए णं सा चोक्खा परिवाइया ईसिं अवहसियं करेइ 2 जियसत्तु एवं बयासीएवं च सरिसए णं तुमं देवाणुप्पिया! तस्स अगडदददुरस्स ?, के णं देवाणुप्पिए ! से अगडददुरे ?, जियसत्तू ! से जहा नामए अगडददुरे सिया, से णं तत्थ जाए तत्थेव वुड्ढे अराणं अगडं वा तलागं वा दहं वा सरं वा सागरं वा अपासमाणे चेवं मराणइ-अयं चेव अगडे वा जाव सागरे वा, तए णं तं कूवं अराणे सामुद्दए दद्दुरे हव्वमागए, तए णं से कूवददुरे तं सामुद्दददुरं एवं वदासी-से केस णं तुमं देवाणुप्पिया ! कत्तो वा इह हव्वमागए ?, तए णं से सामुद्दए ददुरे तं कूवददुरं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अहं सामुद्दए दद्दुरे, तए णं से कूवदद्दुरे तं सामुद्दयं ददुरं एवं क्यासी-केमहालए णं देवाणुप्पिया ! से समुद्दे ?,तएणं से सामुद्दए ददुरेतं कूवदद्दुरं एवं वयासी--महालए णं देवाणुप्पिया! समुद्दे,तए णं से दद्दूर पाएणं लीहं कड्ढेइ 2 एवं वयासी-एमहालए णं देवाणुप्पिया ! से समुद्दे ?, णो इण? सम8, महालए णं से समुद्दे, तए णं से कूबददुरे पुरच्छिमिलायो तीरायो उप्फिडित्ता णं गच्छइ 2 एवं वयासी-एमहालए णं देवाणुप्पिया ! से समुद्दे ?, णो इण? सम?, तहेव एवामेव तुमंपि जियसत्तू अन्नेसिं बहूणं राईसर जाव सस्थवाहपभिईणं भज्ज वा भगिणीं वा धूयं वा सुराहं Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ] [ 125 वा अपासमाणे जाणेसि जारिसए मम चेव णं योरोहे तारिसए णो अण्णस्स, तं एवं खलु जियसत्तू ! मिहिलाए नयरीए कुभगस्स धूता पभावतीए अत्तिया मल्ली नामति रूवेण य जुवणेण जाव नो खलु अराणा काई देवकन्ना वा जारिसिया मल्ली, विदेहवररायकराणाए छिराणस्सवि पायंगुट्ठगस्स इमे तवोरोहे सयसहस्सतिमंपि कलं न अग्घइत्तिकटु जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया, तते णं से जित्तसत्तू परिवाइयाजणितहासे दूयं सदावेति 2 जाव पहारेत्थ गमणाए 6 // सूत्रं 80 // ___तते णं तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छराहं राईणं दूया जेणेव मिहिल्ला तेणेव पहारेत्थ गमणाए 1 / तते णं छप्पिय दूतका जेणेब मिहिला तेणेव उवागच्छति 2 मिहिलाए अग्गुजाणंसि पत्तेयं 2 खंधावारनिवेसं करेंति 2 मिहिलं रायहाणी अणुपविसंति 2 जेणेव कुभए तेणेव उवागग्छंति 2 पत्तेयं 2 करयल जाव साणं 2 राईणं वयणातिं निवेदेति 2 / तते णं से कुंभए तेसिं दूयाणं अंतिए एयम8 सोचा श्रासुरुत्ते जाव तिवलियं भिउडिं एवं वयासी-न देमि णं अहं तुब्भं मल्ली विदेहवरकराणांतिकटु ते छप्पि दूते यसकारिय असम्माणिय अवदारेगां णिच्छुभावेति, तते णं जितसत्तुपामोक्खाणां छराहं राईगां दूया कुभएणां रना असकारिया असम्माणिया अवदारेगां णिच्छुभाविया समाणा जेणेव सगा 2. जाणवया जेणेव सयाति 2 णगराइं जेणेव सगा 2 रायाणो तेणेव उवागच्छति करयलपरिग्गहिय-दसनहं सिरावत्तं जाव कटु एवं वयासी-एवं खलु सामो ! अम्हे जितसरुपामोक्खागां छाहं राईणं दूया जमगसमगं चेव जेणेव मिहिला जाव अवदारेणां निच्छुभावेति, तं ण देइ णं सामी ! कुंभए मल्ली विदेहवररायकन्ना साणं 2 राईणं एयमट्ठ निवेदंति 3 / तते णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो तेसिं दूयाणं अंतिए एयम8 सोचा निसम्म ग्रासुरुत्ता अराणमराणस्स दूयसंपेसणं करेंति 2 एवं वदासी-एवं Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 126 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो बिभागः खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं छराहं राईणं दूया जमगसमगं चेव जाव निच्छूढा, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं कुभगस्स जत्तं गेमिहत्तएत्तिकटु अराणमराणस्स एतमट्ठ पडिसुणोंति 2 राहाया सगणद्धा हत्थिखंधवरगया सकोरंटमल्लदामा जाव सेयवरचामराहि. महया-हय-गय-रह-पवर-जोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिखुडा सव्विड्डीए जाव रवेणं सएहिं 2 नगरेहितो जाव निग्गच्छति 2 एगयो मिलायंति 2 जेणेव मिहिला तेणेव पहारेत्थ गमणाए 4 / तते णं कुभए राया इमीसे कहाए लट्ठ समाणे बलवाउयं सदावेति 2 एवं वदासी-खिप्पामेव जाव हय जाव सेगणं सन्नाहेह जाव पञ्चप्पिणंति, तते णं कुभए राहाते सरणद्धे हत्थिखंधवरगये सकोरंटमल्लदामे सेयवरचामरए महया हयगयरह-पवरजोह-कलिए मिहिलं मझमज्झेणं णिजाति 2 विदेहं जणवयं मझमझेणं जेणेव देसयंते तेणेव उवागच्छति 2 खंधावारनिवेसं करेति 2 जियसत्तुपामुक्खा छप्पिय रायाणो पडिवालेमाणे जुझसज्जे पडिचिट्ठति 5 / तते णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पिय रायाणो जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छति 2 कुभएणं रन्ना सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था, तते णं ते जियमत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो कुंभयं रायं हयमहिय-पवर-वीरघाइय-निवडिय-चिंधद्धयप्पडागं किच्छप्पाणोवगयं दिसो दिसि पडिसेहिंति 6 / तते णं से कुभए जितसत्तुपामोक्खेहिं छहिं राईहिं हयमहित जाव पडिसेहिए समाणे अत्थामे अबले अवीरिए जाव अधारणिजमितिकटटु सिग्धं तुरियं जाव वेइयं जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छति 2 मिहिलं अणुपविसति 2 मिहिलाए दुवारातिं पिहेइ 2 रोहसज्जे चिट्ठति 7 / तते णं ते जितसत्तुपामोक्खा छप्पि राया णो जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छंति 2 मिहिलं रायहाणिं हिस्संचारं णिरुच्चारं सव्वतो समंता अोरु भित्ताणं चिट्ठति, तते णं से कुभए मिहिलं रायहाण रुद्धं जाणित्ता अभंतरियाए उवट्ठाणसालाए सीहासणवरगए तेसि जितसत्तु Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ] [ 127 पामोक्खाणं छराहं रातीणं छिद्दाणि य विवराणि य मम्माणि य अलभमाणे बहूहिं पाएहि य उवाएहि य उप्पत्तियाहि य 4 बुद्धीहिं परिणामेमाणे 2 किंचि पायं वा उवायं वा अलभमाणे श्रोहतमणसंकप्पे जाव झियायति, इमं च णं मल्लीविदेहवररायकन्ना राहाया जाव बहूहिं खुजाहिं परिवुडा जेणेव कुभए तेणेव उवागच्छति 2 कुंभगस्स पायग्गहणं करेति 8 / तते णं कुभए मल्लिं विदेहवररायकन्नं णो अाढाति नो परियाणाइ तुसिणीए संचिट्ठति, तते णं मल्ली विदेहवररायकन्ना कुभगं एवं वयासी-तुम्भे णं तायो ! अराणदा ममं एजमाणं जाव निवेसेह, किराणं तुम्भं अज पोहतमणसंकप्पे झियायह ?, तते णं कुभए मल्लिं विदेहवररायकन्नं एवं वयासीएवं खलु पुत्ता ! तव कज्जे जितसत्तुपामुक्खेहिं छहिं रातीहिं दूया संपेसिया, ते णं मए यसकारिया जाव निच्छूढा 1 / तते णं ते जितसत्तुपामुक्खा तेसिं दूयाणं अंतिए एयम8 सोचा परिकुविया समाणा मिहिलं रायहाणिं निस्संचारं जाव चिट्ठांति, तते णं अहं पुत्ता तेसिं जितसत्तुपामोक्खाणं छराहं राईणं अंतराणि अलभमाणे जाव झियामि, 10 / तते णं सा मल्ली विदेहवररायकन्ना कुभयं रायं एवं वयासी-मा णं तुम्भे तायो ! अोहयमणसंकप्पा जाव झियायह, तुम्भे णं तायो ! तेसिं जितसत्तुपामोक्खाणं छराहं राईणं पत्तेयं 2 रहसियं दूयसंपेसे करेह, एगमेगं एवं वहह-तव देमि मल्लिं विदेहवररायकराणंतिकटु संझाकाल-समयंसि पविरलमणूसंसि निसंतंसि पडिनिसंतसि पत्तेयं 2 मिहिलं रायहाणिं अणुप्पवेसेह 2 गभघरएसु अणुप्पवेसेह मिहिलाए रायहाणीए दुवाराई पिधेह 2 रोहसज्जे चिट्ठह, तते णं कुभए एवं करेइ तं चे जाव पवेसेति रोहसज्जे चिट्ठति 11 / तते णं ते जितसत्तपामोक्खा छप्पिय रायाणो कल्लं पाउभृया जाव जालंतरेहिं कणयमयं मत्थयछिड्ड पउमुप्पलपिहाणं पडिमं पासति, एस णं मल्ली विदेहरायवरकरणत्तिकटु मल्लीए विदेहवररायकन्नाए रूवे य जोवणे य लावराणे य Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 128 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: चतुर्थो विभागः मुच्छिया गिद्धा जाव अमोववरणा अणिमिसाए दिट्ठीए पेहमाणा 2 चिट्ठति 12 / तते णं सा मल्ली विदेहवररायकन्ना राहाया जाव पायच्छित्ता सव्वालंकार-विभूषिया बहूहिं खुजाहिं जाव परिक्खित्ता जेणेव जालघरए जेणेव कणयपडिमा तेणेव उवागच्छति 2 तीसे कणगपडिमाए मत्थयायो तं पउमं अवणेति, तते णं गंधे णिद्धावति से जाह नामए अहिमडेति वा जाव असुभतराए चेव 13 / तते णं ते जियसत्तुपामोक्खा तेणं असुभेणं गंधेणं अभिभूया समाणा सएहिं 2 उत्तरिजएहिं प्रासातिं पिहेंति 2 त्ता परम्मुहा चिट्टति, तते णं सा मली विदेहवररायकन्ना ते जितसत्तुपामोक्खें एवं वयासी-किराणं तुम्भं देवाणुप्पिया ! सएहिं 2 उत्तरिज्जेहिं जाव परम्मुहा चिट्ठह ?, तते णं ते जितसत्तुपामोक्खा मल्ली विदेहवररायकन्नं एवं वयंति-एवं खलु देवाणुप्पिए ! अम्हे इमेणं असुभेणं गंधेणं अभिभूया समाणा सएहि 2 जाव चिट्ठामो, तते णं मल्ली विदेहवररायकन्ना ते जितसतुणमुक्खे एवं वयासी-जइ ता देवाणुप्पिया ! इमीसे कणगपडिमाए जाव पडिमाए कलाकलिं तायो मणुराणायो असण 4 एगमेगे पिंडे पविखप्पमाणे 2 इमेयारूवे असुभे पोग्गलपरिणामे इमस्स (किमंग) पुण थोरालिय-सरीरस्स खेलासवस्स वंतासवस्स पित्तासवस्स सुक्कसोणियपूयासवस्स दुरूवऊसास-नीसासस्स दुरूव-मुत्त-पुतिय-पुरीस-पुराणस्स सडण जाव धम्मस्स केरिसए परिणामे भविस्तति?, तं मा णं तुब्भे देवाणुप्पिया ? माणुस्सएसु कामभोगेसु सज्जह रज्जह गिज्झह मुज्झह अझोववजह, एवं खलु देवा णुप्पिया ! तुम्हे अम्हे इमायो तच्चे भवग्गहणे अवरविदेहवासे सलिलावतिसि विजए वीयसोंगाए रायहाणीए महब्बलपामोक्खा सत्तवि य बालवयंसया रायाणो होत्था सहजाया जाव पव्वतिता, तए णं अहं देवाणुप्पिया ! इमेणं कारणेणं इत्थीनामगोयं कम्मं निव्वत्तेमि जति णं तुभं चोत्थं उवसंपजित्ताणं विहरह तते णं अहं छट्ठ उवसंपजित्ताणं विहरामि सेसं Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 8 ] [ 126 तहेव सव्वं, तते णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! कालमासे कालं किच्चा जयंते विमाणे उववरणा तत्थ णं तुब्भे देसूणाति बत्तीसातिं सागरोवमाई ठिती, तते णं तुब्भे तायो देवलोयायो अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे 2 जाव साइं 2 रजाति उपसंपजित्ताणं विहरह, तते णं अहं देवाणुप्पिया ! तायो देवलोयायो घाउखएणं जाव दारियत्ताए पञ्चायाया,-किं थ तयं पम्हुटुंज थ तया भो जयंत पवरंमि वुत्था समयनिबद्धं देवा ! तं संभरह जाति // 1 // 14 / तते णं तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छराहं रायाणं मल्लीए विदेहवररायकन्नाए अंतिए एतमटुं सोचा णिसम्म सुभेणं परिणामेणं पसत्येणं अज्झवसाणेणं लेसाहिं विसुज्झमाणीहि तयावरणिजाणं कम्माणं खयोवसमेण ईहावूह-मग्गणगवेसणं करेमाणस्स सरिणजाइस्सरणे समुप्पन्ने, एयम४ सम्म अभिसमागच्छति 15 / तए णं मल्ली अरहा जितसत्तुपामोक्खे छप्पि रायाणो समुप्पण्णजाइसरणे जाणित्ता गब्भघराणं दाराई विहाडावेति, तते णं ते जितसत्तुपामोक्खा जेणेव मल्ली अरहा तेणेव उवागच्छंति 2 तते णं महबलपामोक्खा सत्तविय बालवयंसा एगयो अभिसमन्नागया यावि होत्था 16 / तते णं मल्लीए अरहाते जितसत्तूपामोक्खे छप्पिय रायाणो एवं वदासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! संसारभयउबिग्गा जाव पव्वयामि तं तुब्भे णं किं करेह किं च ववसह(वसह) जाव किं भे हियसामत्थे ?, जियसत्तुपामुक्खा छप्पिय रायाणो मल्लिं अरहं एवं वयासी-जति णं तुम्मे देवाणुप्पिया ! संसार जाव पव्वयह अम्हे णं देवाणुप्पिया ! के अण्णे ग्रालंबणे वा श्राहारे वा पडिबंधे वा जह चेव णं देवाणुप्पिया ! तुब्भे अम्हे इयो तच्चे भवग्गहणे बहुसु कज्जेसु य मेढी पमाणं जाव धम्मधुरा होत्था तहा चेव णं देवाणुप्पिया ! इसिंहपि जाव भविस्सह, अम्हेविय णं देवाणुप्पिया ! संसारभउविग्गा जाव भीया जम्मणमरणाणं, देवाणुप्पियाणं सद्धिं मुंडा भवित्ता जाव पव्वयामो Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 13. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः 17 / तते णं मल्ली अरहा ते जितसत्तुपामोक्खे एवं वयासी-जगणं तुम्भे संसार जाव मए सद्धिं पव्वयह तं गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सएहिं 2 रज्जेहिं जे? पुत्ते रज्जे गवेह 2 ता पुरिससहस्सवाहिणीयो सीयायो दुरूहह दुरूढा समाणा मम अंतियं पाउब्भवह, तते णं ते जितसत्तुपामुक्खा मल्लिस्स अरहतो एतमटुं पडिसुणेति 18 / तते णं मल्ली अरहा ते जितसत्तुपामुक्खाण छप्पिय रायाण गहाय जेणेव कुभए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता कुभगस्स पाएसु पाडेति, तते णं कुंभए. ते जितसत्तुपामुक्खे छप्पिय रायाणो विपुलेणं असण-पाणखाइम-साइमेणं पुष्फवत्थ-गंधमल्लालंकारेणं सकारेति जाव पडिविसज्जेति, तते णं ते जियसत्तुपामोक्खा कुंभएणं रगणा विसजिया समाणा जेणेव साई 2 रजाति जेणेव नगरातिं तेणेव उवागच्छंति 2 सगाई रजाति उवसंपजित्ता विहरंति, तते णं मल्ली अरहा संवच्छरावसाणे निक्खमिस्सामित्ति मणं पहारेति 11 ॥सूत्रं 81 // तेणं कालेणं 2 सकस्सासणं चलति,तते णं सक्के देविदे 3 पासणं चलियं पासति 2 श्रोहिं पउंजति 2 मल्लिं अरहं श्रोहिणा श्राभोएति 2 इमेयारूवे अभत्थिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे मिहिलाए कुंभगस्स रन्नो पुत्ती मल्ली अरहा निवखमिस्सामिति मणं पहारेति 1 / तं जीयमेयं तीयपच्चुप्पन्नमणागयाणं सकाणं 3 अरहंताणं भगवंताणं निक्खममाणाणं इमेयारूवं अत्थसंपयाणं दलित्तए, तंजहा'तिराणेव य कोडिसया अट्टासीतिं च होंति कोडीयो / असितिं च सयसहस्सा इंदा दलयंति परहाणं // 1 // एवं संपेहेति 2 वेसमणं देवं सद्दावेति 2 त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे जाव असीतिं च सयसहस्साई दलइत्तए, तं गच्छह णं देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे मिहिलाए कुभगस्स रन्नो भवणंसि इमेयारूवं अत्थसंपदाणं साहराहि 2 खिप्पामेव मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि, तते णं से वेसमणे Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ] [ 131 देवे सक्केणं देविंदेणं 3 एवं वुत्ते हटे करयल जाव पडिसुणेइ 2 जंभए देवे सदावेइ 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया। जंबुद्दीवं दीवं भारहं वासं मिहिलं रायहाणिं कुंभगस्स रनो भवणंसि तिन्नेव य कोडिसया अट्ठासीयं च कोडीयो असियं च सयसहस्साइं अयमेयारूवं अत्थसंपयाणं साहरह 2 मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह 2 / तते णं ते जंभगा देवा वेसमणेणं जाव सुणेत्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमंति 2 जाव उत्तरउब्बियाई . रूवाइं विइव्वंति 2 ताए उकिटाए जाव वीइवयमाणा जेणेव जंबद्दीवे 2 भारहे वासे जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कुभगस्स रमणो भवणे तेणेव उवागच्छंति 2 कुभगस्स रन्नो भवणंसि तिन्नि कोडिसया जाव साहरंति 2 जेणेव वेसमणे देवे तेणेव उवागग्छंति 2 करयल जाव पञ्चप्पिणंति, तते णं से वेसमणे देवे जेणेव सक्के देविंदे देवराया तेणेव उवागच्छइ 2 करयल जाव पञ्चप्पिणति 3 / तते णं मल्ली परहा कलाकल्लिं जाव मागहो पायरासोत्ति बहूणं सणाहाण य अणाहाण य पंथियाण य पहियाण य करो(कायको)डियाण य कप्पडियाण य एगमेगं हिरण्णकोंडिं (हत्थामासं) अट्ठ य अणूणाति सयसहस्सातिं इमेयारूवं अत्थसंपदाणं दलयति, तए णं से कुभए मिहिलाए रोयहाणीए तत्थ 2 . तहिं 2 देसे 2 बहूयो महाणससालाबो करेति, तत्थ णं बहवे मणुया दिराणभइभत्तवेयणा विपुलं असणं 4 उवक्खडेंति 2 जे जहा आगच्छति तंजहा-पंथिया वा पहिया वा करोडिया वा कप्पडिया वा पासंडस्था वा गिहत्था वा तस्स य तहा अासत्थस्स वीसत्थस्स सुहासणवरगतस्स तं विपुलं असणं 4 परिभाएमाणा परिवेसेमाणा विहरंति 4 / तते णं मिहिलाए सिंघाडग नाव बहुजणो अण्णमराणस्स एवमातिक्खति-एवं खलु देवाणुप्पिया ! कुंभगस्स रगणो भवणंसि सव्वकामगुणियं किमिच्छियं विपुलं असणं 4 बहूणं Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 132 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : चतुर्थो विभागः समणाण य जाव (सुरासुरियं) परिवेसिजति, वरवरिया घोसिजति किमिच्छियं दिजए बहुविहीयं / सुरअसुर-देवदाणव-नरिंदमहियाण निक्खमणे // 1 // तते णं मल्ली अरहा संवच्छरेणं तिन्नि कोडिसया अट्ठासीतिं च होति कोडीयो असितिं च सयसहस्साई इमेयास्वं अत्थसंपदाणं दलइत्ता निक्खमामित्ति मणं पहारेति 5 // सूत्रं // 82 // तेणं कालेणं 2 लोगंतिया देवा बंभलोए कप्पे रिट विमाणपत्थडे सएहिं 2 विमाणेहिं सएहिं 2 पासायवडिसएहिं पत्तेयं. 2 चउहिं सामाणिय-साहस्सीहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणियाहिवईहिं सोलसहिं पायरक्ख-देवसाहस्सीहिं अन्नेहि य बहूहिं लोगतिएहिं देवेहिं सद्धि संपरिखुडा महयाहय-नट्टगीयवाइय जाव रवेणं मुंजमाणा विहरंति, तंजहा-'सारस्सयमाइचा वराही वरुणा य गद्दतोया य / तुसिया अव्वाबाहा अग्गिचा चेव रिट्ठा य॥ 1 // 1 / तते णं तेसिं लोयंतियाणं देवाणं पत्तेयं 2 पासणातिं चलंति तहेव जाव अरहंताणं निक्खममाणाणं संबोहणं करेत्तएत्ति तं गच्छामो णं अम्हेवि मल्लिस्स अरहतो संबोहणं करेमित्तिकटु एवं संपेहेंति 2 उत्तरपुरच्छिमं दिसीभायं श्रवक्कमति 2 वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणंति 2 संखिजाई जोयणाई एवं जहा जंभगा जाव जेणेव महिला रायहाणी जेणेव कुभगस्स रन्नो भवणे जेणेव मल्ली अरहा तेणेव उवागच्छति 2 अंतलिक्खपडिवन्ना सखिखिणियाई जाव वत्थातिं पवर परिहिया करयल जाव ताहिं इटाहिं जाव एवं वयासी-बुज्झाहि भगवं ! लोगनाहा पवत्तेहि धम्मतित्थं जीवाणं हियसुहनिस्सेयसकर भविस्सतित्तिकटु दोच्चपि तच्चपि एवं वयंति 2 मल्लिं अरहं वंदंति नमसंति 2 जामेव दिसि पाउन्भूत्रा तामेव दिसि पडिगया 2 / तते णं मल्ली अरहा तेहिं लोगंतिएहिं देवेहिं संबोहिए समाणे जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव एवं वयासी-इच्छामि णं अम्मयायो ! Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ] [ 133 तुन्भेहिं श्रब्भणुराणाते मुंडे भवित्ता जाव पवतित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेहि 3 / तते णं कुंभए कोडबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वदासी-खिप्पामेव अट्ठसहस्सं सोवरिणयाणं जाव भोमेजाणंति, अरणं च महत्थं जाव तित्थयराभिसेयं उवट्ठवेह जाव उवट्ठवेंति 4 / तेणं कालेणं 2 चमरे असुरिंदे जाव अच्चुय-पजवसाणा श्रागया, तते णं सक्के 3 थाभियोगिए देवे सद्दावेति 2 एवं वदासी-खिप्पामेव अट्ठसहस्सं सोवशिणयाणं जाव अराणं च तं विउलं उवट्ठवेह जाव उवट्ठोंति, तेवि कलसा ते चेव कलसे अणुपविट्ठा, तते णं से सक्के देविंदे देवराया कुभए य राया मल्लिं अरहं सीहासणंसि पुरस्थाभिमुहं निवेसेइ अट्ठसहस्सेणं सोवरिणयाणं जाव अभिसिंचंति 5 / तते णं मल्लिस्स भगवत्रो अभिसेए वट्टमाणे अप्पेगतिया देवा मिहिलं च सभितरं बाहिं श्राव सवतो समंता परिधावंति, तए णं कुभए राया दोच्चंपि उत्तरावकमणं जाव सव्वालंकारविभूसियं करेति 2 कोडुबियपुरिसे सदावेइ 2 त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव मणोरमं सीयं उवट्ठवेह ते उवठ्ठाति 6 / तते णं सक्के 3 श्राभियोगिए देवे सहावेति 2 एवं वयासी-खिप्पामेव अणेगखंभ-सयसन्निविट्ठ जाव मणोरमं सीयं उवट्ठवेह जाव सावि सीया तं चेव सीयं अणुपविट्टा, तते णं मल्ली परहा सीहासणायो अब्भुट्ठति 2 जेणेव मणोरमा सीया तेणेव उवागच्छति 2 मणोरमं सीयं अणुपयाहिणी-करेमाणा मणोरमं सीयं दुरूहति 2 सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे सन्निसन्ने, तते णं कुभए अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो सदावेति 2 एवं वदासी-तुन्भे णं देवाणुप्पिया ! गहाया जाव सव्वालंकारविभूसिया मल्लिस्स सीयं परिवहह जाव परिवहति 7 / तते णं सक्के देविंदे देवराया मणोरमाए दक्खिणिल्लं उवरिल्लं बाहं गेराहति, ईसाणे उत्तरिल्लं उवरिल्लं बाहं गेराहति, चमरे दाहिणिल्लं हेट्टिल्लं बाहं गेराहति, बली उत्तरिल्लं हेटिल्लं बाहं गेराहति, अवसेसा देवा जहा Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 134 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः रिहं मणोरमं सीयं परिवहंति, “पुब्बिं उक्खित्ता माणुस्सेहिं तो हट्ठरोमकूवेहि / पच्छा वहति सीयं असुरिंद-सुरिंद-नागेंदा // 1 // चेल-चवलकुंडल(भूषण)धरा सच्छंद-विउब्वियाभरणधारी / देविंद-दाणविंदा वहति सीयं जिणिंदस्स // 2 // 8 / तते णं मल्लिस्स अरहयो मणोरमं सीयं दुरूढस्स इमे अट्ठमंगलगा पुरतो अहाणु० एवं निग्गमो जहा जमालिस्स, तते णं मल्लिस्स अरहतो निक्खममाणस्स अप्पेगइया देवा मिहिलं रायहाणि थासिय-संमजियं संमट्ठसुइ-रत्यंतरावण-विहियं करेंति अभितर-वासविहिगाहा जाव परिधावंति 1 / तते णं मल्ली अरहा जेणेव सहस्संबवणे उजाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छति सीयायो पचोरुभति 2 श्राभरणालंकारं पभावती पडिच्छति, तते णं मल्ली अरहा सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति, तते णं सक्के देविंदे 3 मल्लिस्स केसे पडिच्छति, खीरोदगसमुद्दे पक्खिवइ (साहरइ) 10 / तते णं मल्ली अरहा णमोऽत्थु णं सिद्धाणंतिकटटु सामाइयचरित्तं पडिवजति, जं समयं च णं मल्ली अरहा चरित्तं पडिवजति तं समयं च णं देवाणं माणुसाण य णिग्योसे तुरियनिणायगीयवातियनिग्घोसे य सकस्स वयणसंदेसेणं णिलुक्के यावि होत्था, जं समयं च णं मल्ली अरहा सामातियं चरित्तं पडिवन्ने तं समयं च णं मल्लिस्स अरहतो माणुसधम्मायो उत्तरिए मणपजवनागो समुप्पन्ने 11 / मल्ली णं अरहा जे से हेमंताणं दोच्चे मासे चउत्थे पक्खे पोसद्धे तस्स णं पोससुद्धस्स एकारसीपक्खेणं पुवराहकालसमयंसि अट्टमेणं भत्तेणं अपाणएणं अस्सिणीहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं तिहिं इत्थीसएहिं अभितरियाए परिसाए तिहिं पुरिससएहिं बाहिरियाए परिसाए सद्धिं मुंडे भवित्ता पव्वइए 13 / मलिं अरहं इमे अट्ठ रा(णा)यकुमारा अणुपवइंसु तंजहा-णंदे य णदिमित्ते सुमित्त बलमित्त भाणुमित्ते य। अमरवति अमरसेणे महसेणे चेव अट्ठमए // 1 // तए णं से भवणवई 4 मल्लिस्स Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग सूत्रम् :: अध्ययनं 8 ] [ 135 अरहतो निक्खमणमहिमं करेंति 2 जेणेव नंदीसरवरे तेणेव उवागच्छंति 2 अट्टाहियं करेंति 2 जाव पडिगया 14 / तते णं मल्ली अरहा जंचेव दिवसं पव्वतिए तस्सेव दिवसस्स पुवा(पच्च)वरराह-कालसमयंसि असोगवरपायवस्स हे पुढवि-सिलापट्टयंसि सुहासणवरगयस्स सुहेणं परिणामेणं पसत्थेहिं अज्भवसाणेहिं पसत्थाहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तयावरणकम्म-रय-विकरणकरं अपुवकरणं अणुपविट्ठस्स अणंते जाव केवलनाणदसणे समुप्पन्ने 15 // सूत्रं 83 // तेणं कालेणं 2 सव्वदेवाणं ग्रासणाति चलंति, समोसदा सुणेति अट्टाहियामहिमं नंदीसरं जामेव दिसं पाउब्भूया कुभएवि निग्गच्छति 1 / तते णं ते जितसत्तुपामुक्खा छप्पिय रायाणो जेट्टपुत्ते रज्जे टावेत्ता पुरिससहस्सवाहिणीयायो दुरूढा सव्विड्डीए जेणेव मल्ली अरहा जाव पज्जुवासंति, तते णं मल्ली अरहा तीसे महालियाए कुंभगस्स तेसिं च जियसत्तुपामुम्खाणं धम्मं कहेति परिसा जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसि पडिगया, कुभए समणोवासए जाते, पडिगए, पभावती य 2 / तते णं जितसत्तू छप्पि राया धम्मं सोचा थालित्तए णं भंते ! जाव पव्वइया, चोदसपुविणो अणंते केवले सिद्धा 3 / तते णं मल्ली अरहा सहसंबवणायो निक्खमति 2 बहिया जणवयविहारं विहरइ 4 / मलिस्स णं भिसगपामोक्खा अट्ठावीसं गणा अट्ठावीसं गणहरा होत्था, मल्लिस्स णं अरहयो चत्तालीसं समणसाहस्सीयो उकोसिया समणसंपया होत्था; बंधुमतिपामोक्खायो पणपण्ण अजियासाहस्सीयो उक्कोसिया अजियासंपया होत्था, सावयाणं एगा सतसाहस्सी चुलसीति सहस्सा उक्कोसिया सावयाणं संपया होत्था, सावियाणं तिन्नि सयसाहसीयो पराणटिं च सहस्सा, छस्सया चोदसपुव्वीणं, वीससया योहिनाणीणं, बत्तीसं सया केवलणाणीणं पणतीसं सया वेउब्वियाणं, अट्ठसया मणपजवनाणीणं, चोइससया वाईणं, वीसं सया अणुत्तरोववातियाणं 4 / मल्लिस्स अरहयो दुविहा अंतगड Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 136 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः भूमी होत्था, तंजहा-जुयंतकरभूमी परियायतकरभूमी य, जाव वीसतिमायो पुरिसजुगायो जुयंतकरभूमी, दुवासपरियाए(दुमास, चउमास परियाए) अंतमकासी 5 / मल्ली णं अरहा पणुवीसं धणूतिमुट्ठ उच्चत्तेणं वरणेणं पियंगुसमे समचउरंस-संठाणे वजरिसभ-णारायसंघयणे मझदेसे सुहंसुहेणं विहरित्ता जेणेव सम्मेय-सेलसिहरे पव्वए तेणेव उवागच्छइ 2 ता संमेयसेलसिहरे पायोवगमणुववराणे मल्ली य अरहा एगं वाससतं श्रागारवासं, पणपरणं वाससहस्साति वाससयऊणातिं केवलिपरियागं पाउणित्ता, पणपरणं वाससहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता जे से गिम्हाणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे चित्तसुद्धे तस्स णं चेत्तसुद्धस्स चउत्थीए भरणीए णक्खत्तेणं श्रद्धरत्तकालसमयंसि पंचेहिं अजियासएहिं अभितरियाए परिसाए पंचहिं अणगारसएहिं बाहिरियाए परिसाए मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं वग्यारियपाणी खीणे वेयणिज्जे पाउए नामे गोए सिद्धे 6 / एवं परिनिव्वाण-महिमा भाणियव्वा जहा जंबुद्दीव-पराणत्तीए, नंदीसरे अट्टाहियात्रो पडिगयायो, एवं खलु जंबू ! समोणं भगवया महावीरेणं अट्ठमस्स नायज्झयणस्स अयम पराणत्तेत्तिबेमि 7 // सूत्रं 84 // // इति अष्टममध्ययनम् // // 6 // अथ श्रीमाकन्दीदारकाख्यं नवममध्ययनम् // __ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स णायज्झयणस्स अयम? पराणत्ते नवमस्स णं भंते ! नायज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पराणत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 चंपा नाम नयरी पुराणभद्दे तत्थ णं माकंदी नामं सत्थवाहे परिवसति, अड्डे०, तस्स णं भद्दा नाम भारिया, तीसे णं भदाए अत्तया दुवे सत्यवाहदारया होत्था, तंजहा-जिणपालिए य जिणरक्खिए यः 1 / तते णं तेसिं मागंदियदारगाणं Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययन 6 ] [ 137 अराणया कयाई एगयो इमेयारूवे मिहो कहासमुल्लावे सपुप्पजित्था-एवं खलु अम्हे लवणसमुद्द पोयवहणेणं एकारस वारा योगाढा सव्वत्थविय णं लट्ठा कयकजा अणहसमग्गा पुणरवि निययघरं हव्वामागया तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! दुवालसमंपि लवणसमुह पोतवहणेणं अागाहित्तएत्तिकटु अराणमराणस्सेतमट्ठ पडिसुणेति 2 ता जेणेव श्रम्मापियरो तेणेव उवागच्छंति एवं वदासी-एवं खलु अम्हे अम्मयायो ! एकारस वारा तं चेव जाव निययं घरं हव्वमागया, तं इच्छामो णं अम्मयायो ! तुम्हेहिं अभणुराणाया समाणा दुवालसमं लवणसमुह पोयवहणेणं योगाहित्तए 2 / तते णं ते मागंदियदारए अम्मापियरो एवं वदासी-इमे ते जाया ! अजग जाव परिभाएत्तए तं अणुहोह ताव जाया ! विउले माणुस्सए इड्डीसकारसमुदए, किं भे सपञ्चवाएणं निरालंबणेणं लवणसमुद्दोत्तारेणं ?, एवं खलु पुत्ता ! दुवालसमी जत्ता सोवसग्गा यावि भवति, तं मा णं तुब्भे दुवे पुत्ता ! दुवालसमंपि लवणसमुद्दजाव श्रोगाहेह, मा हु तुम्भं सरीरस्स वावत्ती भविस्सति 3 / तते णं मागंदियदारगा अम्मापियरो दोच्चंपि तच्चपि एवं वदासी-एवं खलु अम्हे अम्मयायो ! एकारस वारा लवणं योगाहित्तए 4 / तते णं ते मागंदीदारए अम्मापियरो जाहे नों संचाएंति बहूहिं श्राघवणाहिं पराणवणाहि य ाघवित्तए वा पनवित्तए वा ताहे अकामा चेव एयमट्ठ अणुजाणित्था (अणुमरिणत्था) तते णं ते मागंदियदारगा अम्मापिऊहिं अब्भणुराणाया समाणा गणिमं च धरिमं च मज्जं च पारिच्छेज्जं च जहा अरहणगस्स जाव लवणसमुह बहूइं जोयणसयाई योगाढा 5 // सूत्रं 85 // ___ तते णं तेसिं मागंदियदारगाणं अणेगाइं जोयणसयाई श्रोगाढाणं समाणाणं अणेगाइं उप्पाइयसयाति पाउभ्याति; तंजहा-अकाले गजियं जाव थणियसबे कालियवाते तत्थ समुट्ठिए, तते णं सा णावा तेणं 18 Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 138 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः कालियवातेणं आहुणिजमाणी 2 संचालिजमाणी 2 संखोभिजमाणी 2 सलिल-तिक्खवेगेहिं प्रायट्टिजमाणी 2 कोट्टिमंसि करतलाहते विव तेंदूसए तत्थेव 2 श्रोवयमाणी य उप्पयमाणी य उप्पयमाणीविव धरणीयलायो सिद्धविजाहरकन्नगा योवयमाणीविव गगणतलायो भट्ठविजा विजाहर-कन्नगाविव पलायमाणीविव महागरुल-वेग-वित्तासिया भुयगवरकन्नगा धावमाणीविव महाजण-रसियसद-वित्तत्था ठाणभट्टा श्रासकिसोरी णिगुजमाणीविव गुरुजण-दिटावराहा सुयण-कुलकनगा घुम्ममाणीविव वीचीपहार सततालिया गलिय-लंबणाविव गगणतलायो रोयमाणीविव सलिल-गंट्टि-विप्पइरमाण-घोरंसुवाएहिं णववहू उवरतभत्तुया विलवमाणीविव परचक्क-रायाभिरोहिया परम-महब्भयाभिया महापुरवरी झायमाणीविव कवडच्छोम-प्पयोगजुत्ता जोगपरिव्वाइया णिसासमाणीविव महाकंतारविणिग्गय-परिस्संता परिणयवया अम्मया सोयमाणीविव तवचरण-खीणपरिभोगा चयण-काले देववरवहू संचुरिणय-कट्ठकूवरा भग्ग-मेढि-मोडियसहस्समाला सूलाइय(त)-वंक-परिमासा फलहंतर-तडतडेंत-फुट्टत-संधिवियलंत-लोहकीलिया सव्वंग-वियंभिया परिसडिय-रज्जु-विसरंत-सव्वगत्ता श्रामग-मलग-भूया अकयपुराण-जण मणोरहोविव चिंतिजमाणगुरुई हाहाकयकराणधार-णाविय-वाणियग-जण-कम्मगार-विलविया णाणाविह-रयण-पणियसंपुराणा बहूहिं पुरिससएहिं रोयमाणेहिं कंदमाणेहिं सोयमाणेहिं तिप्पमाणेहिं विलवमाणेहिं एगं महं अंतो जलगयं गिरि-सिहर-मासायइत्ता संभग्ग-कूषतोरणा मोडिय-झयदंडा वलय-सय-खंडिया करकरस्स तत्थेव विदवं अगया 1 / तते णं तीए णावाए भिजमाणीए बहवे पुरिसा विपुलपडियं भंडमायाए अंतो जलंमि णिमजावि यावि होत्था 2 // सूत्रं 86 // तते णं ते मागंदियदारगा छेया दक्खा पत्तट्ठा कुसला मेहावी Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 9 ] [ 134 णिउण-सिप्पोवगया बहुसु पोतवहण-संपराएसु कयकरण-लद्धविजया अमूढा अमूढहत्था एगं महं फलगखंडं श्रासादेंति, जंसिं च णं पदेसंसि से पोयवहणे विवन्ने तसिं च णं पदेसंसि एगे महं रयणदीवे णामं दीवे होत्था अणेगाइं जोत्रणातिं थायाम-विक्खंभेणं अणेगाइं जोषणाई परिक्खेवेणं णाणा-दुमसंड-मंडिउद्दे से सस्सिरीए पासातीए 4, तस्स णं बमुमज्झ-देसभाए तत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए होत्था अब्भुग्गय-मूसियए जाव सस्तिरीभूयरूवे पासातीए 4, तत्थ णं पासाय-वडेंसए रयणद्दीवदेवया नामं देवया परिवसति पावा चंडा रुद्दा साहसिया, तस्स णं पासायवडिंसयस्स चउद्दिसिं चत्तारि वणसंडा किराहा किराहोभासा 1 / तते णं ते मागंदियदारगा तेणं फलयखंडेणं उब्बुडमाणा (उवुज्झमाणा) 2 रयणदीवंतेणं संबूढा (संछूढा) यावि होत्था, तते णं ते मागंदियदारगा थाहं लभंति 2 मुहुत्ततरं बाससंति 2 फलगखंडं विसज्जेंति 2 रयणदीवं उत्तरंति 2 फलाणं मग्गणगवसणं करेंति 2 फलातिं गिराहंति 2 श्राहारेंति 2 णालिएराणं मग्गाणगवेसणं करेंति 2 नालिएराइं फोडेंति 2 नालिएर-तेल्लेणं अराणमराणस्स गत्ताई अभंगेति 2 पोक्खरणीतो भोगाहिति 2 जलमजणं करेंति 2 जाव पच्चुत्तरंति 2 पुढवि सिलापट्टयंसि निसीयंति 2 अासत्था वीसत्था सुहासणवरगया चंपानयरिं अम्मापिउ-श्रापुच्छणं च लवणसमुद्दोत्तारं च कालियवाय-समुत्थणं च पोतवहण-विवत्तिं च फलयखंडस्स ग्रासायणं च रयणद्दीवुत्तारं च अणुचिंतेमाणा 2 श्रोहतमणसंकप्पा जाव झियायेन्ति 2 / तते णं सा रयणदीवदेवया ते मागंदियदारए श्रोहिणा श्राभोएति असिफलग-वग्गहत्था सत्तट्टतलप्पमाणं उड्ढ वेहासं उप्पयति 2 ताते उकिट्ठाए जाव देवगईए वीइवयमाणी 2 जेणेव मागंदियदारए तेणेव श्रागच्छति 2 श्रासुरुत्ता मागंदियदारए खर-फरुस-निठुर-वयणेहिं एवं वदासी-हं भो मागंदियदारया ! अप्पत्थियपत्थिया जति णं तुम्भे मए सद्धिं Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 140 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः विउलातिं भोगभोगाइं भुजमाणा विहरह तो भे अस्थि जीवित्रं, अहरणं तुब्भे मए सद्धिं विउलातिं नो विहरह तो भे इमेणं नीलुप्पल-गवल-गुलिय जाव खुरधारेणं असिणा रत्तगंडमंसुयाई माउयाहिं उवसोहियाइं तालफलाणीव सीसाई एगते एडेमि 3 / तते णं ते मागंदियदारगा रयणदीवदेवयाए अंतिए सोचा भीया करयल जाव एवं वयासी-जराणं देवाणुप्पिया ! वतिस्ससि तस्स प्राणा-उववाय-वयणनिदे से चिट्ठिस्सामो, तते णं सा रयणद्दीवदेवया ते मागंदियदारए गेगहति 2 जेणेव पासायवडिसए तेणेव उवागच्छइ 2 असुभ-पोग्गलावहारं करेति 2 सुभपोग्गल-पक्खेवं करेति 2 ता पच्छा तेहिं सद्धिं विउलातिं भोगभोगाई भुजमाणी विहरति कल्लाकलिं च अमयफलाति उवणेति 4 // सूत्रं 87 // तते णं सा रयणदीवदेवया सकवयण-संदेसेणं सुट्टिएणं लवणाहिवइणा लवणसमुद्दे तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टियव्वेत्ति जं किंचि तत्थ तणं वा पत्तं वा कट्ठ वा कयवरं वा असुई प्रतियं दुरभि-गंध-मचोक्खं तं सव्वं श्राणिय 2 तिसत्तखुत्तों एगते एडेयबंतिकटु णिउत्ता 1 / तते णं सा रयणदीवदेवया ते मागंदियदारए एवं वदासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! सक्कवयणसंदेसेणं सुट्ठियएणं तं चेव जाव णिउत्ता, तं जाव अहं देवाणुप्पिया ! लवणसमुद्दे जाव एडेमि ताव तुब्भे इहेव पासायवडिंसए सुहंसुहेणं अभिरममाणा 2 चिट्टह, जति णं तुब्भे एयंसि अंतरंसि उविग्गा वा उस्सुया (उप्पिच्छा) वा उप्पुया वा भवेजाह तो णं तुब्भे पुरच्छिमिल्लं वणसंडं गच्छेजाह, तत्थ णं दो ऊऊ सया साहीणा तंजहा-पाउसे य वासारत्ते य,-तत्थ उ कंदल-सिलिंध-दंतो णिउर-वरपुष्फ-पीवरकरो / कुडयज्जुण-णीव-सुरभि-दाणों पाउस-उऊ-गयवरो साहीणी // 1 // तत्थ य-सुरगोवमणि-विचित्तो दुदुर-कुलर-सियउज्झररखो। बरहिणविंद परिणद्धसिहरो वासारत्तो उऊपव्वतो साहीमो // 2 // तस्थ णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! बहुसु वावीसु य जाव सरसरपंतियासु बहूसु प्रतियं दुराणिउत्ता 1 ततणपिया ! सकवणवणासमुद्दे जा Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 9 ] [ 141 बालीघरएसु य मालीघरएसु य जाव कुसुमघरएसु य सुहंसुहेणं अभिरममाणा विहरेजाह, जति णं तुब्भे एत्थवि उव्विग्गा वा उस्सुया वा उप्पुया वा भवेज्जाह तो णं तुम्भे उत्तरिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह, तत्थ णं दो ऊऊ सया साहीणा तंजहा-सरदो य हेमंतो य,-तत्थ उ सणसत्त-वराणकउयो नीलुप्पल-पउम-नलिणसिंगो। सारस-चकवाय-रवितघोसो सरय-ऊऊगोवती साहीणां // 1 // तत्थ य सियकुंद-धवल(विमल)-जोराहो कुसुमित-लोद्धवणसंड-मंडलतलो। तुसार-दगधार-पीवरकरो हेमंत-ऊऊससी सया साहीणो // 2 // तत्थ णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! वावीसु य जाव विहरेजाह, जति णं तुब्भे तत्थवि उबिग्गा वा उस्सुया वा जाव भवेजाह तो णं तुब्भे अवरिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह, तत्थ णं दो ऊऊ साहीणा, तंजहा-वसंते य गिम्हे य, तत्थ उ सहकार-चारुहारो किंसुय-करिणयारासोग-मउडो / ऊसित-तिलग बउलायवत्तो वसंत-उऊणरवती साहीणो // 1 // तत्थ य पाडल-सिरीस-सलिलो मलिया-वासंतिय-धवलवेलो। सीयल-सुरभि-अनिलमगरचरियो गिम्ह-ऊऊ-सागरो साहीणो // 2 // तत्थ णं बहुसु जाव विहरेजाह, जति णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! तत्थवि उबिग्गा उस्सुया भवेजाह तयो तुम्भे जेणेव पासायवडिसए तेणेव उवागच्छेजाह, ममं पडियालेमाणा 2 चिट्ठ जाह, मा णं तुम्भे दक्खिणिल्लं वणसंडं गच्छेजाह, तत्थ णं महं एगे उग्गविसे चंबविसे घोर(भोग)विसे महाविसे अइकायमहाकाए जहा तेयनिसग्गे मसि महिसामूमाकालए नयण-विस-रोसपुराणे अंजण-पुज-नियरप्पगासे रत्तच्छे जमल-जुयल-चंचल-चलंतजीहे धरणि-यल-वेणिभूए उक्कडफुड-कुडिल-जडिल-कक्खड वियड-फडाडोव-करणदच्छे लोगाहार-धम्ममाणधमधमेंतघोसे अणागलिय-चंडतिब्बरोसे समुहिं तुरियं चवलं धमधमंत-दिट्ठीविसे सप्पे य परिवसति, मा णं तुम्भं सरीरगस्स वावत्ती भविस्सइ 2 / ते मागंदियदारए दोच्चं तच्चपि एवं वदति 2 वेउन्वि-समुग्धातणं समोहणति Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 142 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः 2 ताए उकिट्ठाए लवणसमुई तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्ट उं पयत्ता यावि होत्था 3 // सूत्रं 8 // __ तए णं ते मागंदियदारया तयो मुहुत्ततरस्स पासायवडिसए सई वा रति वा धिति वा अलभमाणा अरणमराणं एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! रयणद्दीवदेवया अम्हे एवं वदासी-एवं खलु ग्रहं सकवयणसंदेसेणं सुट्टिएणं लवणाहिवइणा जाव वावत्ती भविस्सइ, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! पुरच्छिमिल्ले वणसंडं गमित्तए, अण्णमगणस्स एयम8 पडिसुणेति 2 जेणेव पुरच्छिमिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छंति 2 तत्थ णं वावीसु य जाव अभिरममाणा बालीघरएसु य जाव विहरंति 1 / तते णं ते मागंदियदारया तत्थवि सई वा जाव अलभमाणा जेणेव उत्तरिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छति 2 तत्थ णं वाविसु य जाव जालीघरएसु य विहरंति 2 / तते णं ते मागंदियदारया तत्थवि सति वा जाव अलभमाणा जेणेव पचत्थिमिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छति 2 जाब विहरति 3 / तते णं ते मागंदियदारया तत्थवि सतिं वा जाव श्रलभमाणा अराणमरणं एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे रयणदीवदेवया एवं वदासी-एवं खलु ग्रहं देवाणुप्पिया ! सकस्स क्यणसंदेसेणं सुट्ठिएण लवणाहिवइणा जाव मा णं तुम्भं सरीरगस्त वावती भविस्सति तं भवियव्वं एत्थ कारणणं, तं सेयं खलु अम्हं दक्खिणिल्लं वणसंडं गमित्तएत्तिकट्टु अरणमराणस्स एतमट्ठ पडिसुणेति 2 जेणेव दक्खिणिल्ले वणसंडे तेणेव पहारेत्थ गमणाए 4 / तते णं गंधे निद्धाति से जहा नामए अहिमडेति वा जाव अणि?तराए चेव, तते णं ते मागंदियदारया तेणं असुभेणं गधेणं अभिभूया माणा सएहिं 2 उत्तरिज्जेहिं श्रासातिं पिहेंति 2 जेणेव दक्खिणिल्ले वणसंडे तेणेव उवागया तत्थ णं महं एगं श्राघा(य)तणं पासंति 2 अट्ठिय-रासि-सतसंकुलं भीम-दरिसणिज्जं एगं च तत्थ सूलाइतयं पुरिसं Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 6 ] [ 143 कलुणाति विस्सराति कट्टातिं कुवमाणं पासंति 2 भीता जाव संजातभया जेणेव से सूलातियपुरिसे तेणेव उवागच्छंति 2 तं सूलाइयं एवं वदासीएस णं देवाणुप्पिया ! कस्साघयणे तुमं च णं के कत्रो वा इहं हव्वमागए केण वा इमेयारूवं श्रावति पाविए ? 5 / तते णं से सूलातियए पुरिसे मागंदियदारए एवं वदासी-एस णं देवाणुप्पिया ! रयणदीवदेवयाए बाघयणे ग्रहगणं देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवायो दीवायो भारहायो वासायो कागंदीए पासवाणियए विपुलं पणिय-भंडमायाए पोतवहणेगां लवणसमुद्दोयाए,तते णं अहं पोयवहण-विवत्तीए निब्बुड्ड-भंडसारे एगं फलगखंडं आसाएमि, तते णं अहं उवुज्झमाणे 2 रयणदीवंतेणं संबूढे, तते णं सा रयणदीवदेवया ममं योहिणा पासइ 2 ममं गेराहइ 2 मए सद्धिं विपुलातिं भोगभोगाति भुजमाणी विहरति, तते णं सा रयणदीवदेवया अराणदा कयाई ग्रहालहुसगंसि यवराहसि परिकुविया समाणी ममं एतारूवं श्रावति पावेइ, तं ण णजति णं देवाणुप्पिया ! तुम्हंपि इमेसिं सरीरगाणं का मराणे यावती भविस्तइ ? 6 / तते णं ते मागंदियदारया तस्स सूलाइयगस्स अंतिए एयमत्थं सोचा णिसम्म बलियतरं भीया जाव संजायभया सूलाइतयं पुरिसं एवं वयासी-कहराणं देवाणुप्पिया ! अम्हे रतणदीवदेवयाए हत्थाओं साहत्थिं णित्थरिजामो ? 7 / तते णं से सूलाइयए पुरिसे ते मागंदियदार। एवं वदासी-एस णं देवाणुप्पिया ! पुरच्छिमिल्ले वणसंडे सेलगस्स जक्खस्स जक्खाययणे सेलए नाम बासरूवधारी जवखे परिवसति, तए णं सेलाए जक्खे चोदसट्ठ-मुद्दिट्ठ-पुराणमासिणीसु आगयसमए पत्तसमये महया 2 सद्देणं एवं वदति-कं तारयामि कं पालयामि ?, तं गच्छह णं तुब्भे देवा - प्पिया ! पुरच्छिमिल्लं वणसंडं सेलगस्स जक्खस्स महरिहं पुप्फचणिय करेह 2 जगणुपायवडिया पंजलिउडा विणएणं पज्जुवासमाणा चिट्ठह, जाहे णं से सेलए जक्खे श्रागतसमए पत्तसमए एवं वदेजा-कं तारयामि के सजमाणी विहरत 2 मम गेराहावतणं संबढे, तले लगखंडं आसान Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 144 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभाग पालयामि ?, ताहे तुभे वदह-अम्हे तारयाहि अम्हे पालयाहि, सेलए भे जक्खे परं रयणदीवदेवयाए हत्थायो साहत्थिं णित्थारेजा, भे न याणामि इमेसि सरीरगाणं का मरणे आवई भविस्सइ ? 8 // सूत्रं 86 // तते णं ते मागंदियदारया तस्स सूलाइयस्स अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म सिग्धं चंडं चवलं तुरियं चेइयं जेणेव पुरच्छिमिल्ले वणसंडे जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति 2 पोक्खरिणिं गाहंति 2 जलमजणं करेन्ति 2 जाई तत्थ उप्पलाइं जाव गेराहंति 2 जेणेव सेलगस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छंति 2 बालोए पणामं करेंति 2 महरिहं पुप्फचणियं करेंति 2 जराणुपायवडिया सुस्सूममाणा णमंसमाणा पज्जुवासंति 1 / तते णं से सेलए जक्खे भागतसमए पत्तसमए एवं वदासी-कं तारयामि कं पालयामि ?, तते णं ते मागंदियदारया उट्टाए उट्ठति करयल जाव एवं वयाती-अम्हे तारयाहि अम्हे पालयाहि 2 / तए णं से सेलए जक्खे ते मागंदियदारया एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! तुम्भं मए सद्धिं लवणसमुद्दे णं मझ 2 वीइवयमाणेणं सा रयणदीवदेवया पावा चंडा रुद्दा खुद्दा साहसिया बहूहिं खरएहि य मउएहि य अणुलोमेहि य पडिलोमेहि य सिंगारेहि य कलुणेहि य उवसग्गेहि य उवसंग्गं करेहिति, तं जति णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! रयणदीवदेवयाए एतम8 अाढाह वा परियाणह वा अवयेक्खह वा तो भे अहं पिट्ठातो विधुणामि, यह णं तुब्भे रयणदीवदेवयाए एतमट्ठ णो अाढाह णो परियाणह णो अवे(अवय)क्खह तो भे रयणदीव-देवया हत्थातो साहत्थिं णित्यारेमि 3 / तए णं ते मागंदियदारया सेलगं जक्खं एवं वदासी-जगणं देवाणुप्पिया ! वइस्संति तस्स णं उववाय-वयणणिद्दे से चिट्ठिस्सामो 4 / तते णं से सेलए जक्खे उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमति 2 वेउब्विय-समुग्धाएणं समोहणति 2 संखेन्जाति जोयणाई दंडं निस्सरइ दोच्चंपि तच्चपि वेउब्वियसमुघाएणं Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं ] [145 समोहणति 2 एगं महं श्रासरूवं विउव्वइ 2 ते मागंदियदारए एवं वदासी-हं भो मागंदिया ! श्रारुह णं देवाणुप्पिया ! मम पिटुसि 5 / तते गां ते मागंदियदारया हट्ठतु? सेलगस्स जक्खस्स पणामं करेंति 2 सेलगम्स पिढेि दुरूढा, तते गां से सेलए ते मागंदियदारया दुरूढे जाणित्ता सत्तट्ठ-तालप्पमाणमेत्तातिं उड्डे वेहासं उप्पयति, उप्पइत्ता य ताए उकिट्ठाए तुरियाए देवयाए लवणसमुद्द मज्झमज्झेगां जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे जेणेव चंपा नयरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए 6 // सूत्रं 10 // तते गां सा रयणदीवदेवया लवणसमुह तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टति जं तत्थ तणां वा जाव एडेति, जेणेव पासायवडेंसए तेणेव उवागच्छति 2 ते मागंदिया पासायवडिसए अपासमाणी जेणेव पुरच्छिमिल्ले वणसंडे जाव सव्वतो समंता मग्गणगवेसगां करेति 2 तेसिं मायंदियदारगाणां कत्थइ सुतिं वा 3 अलभमाणी जेणेव उत्तरिल्ले एवं चेव पञ्चस्थिमिल्लेवि जाव अपासमाणी श्रोहिं पउंजति, ते मागंदियदारए सेलएणं सद्धिं लवणसमुह मझमज्झेगां वीइवयमाणे 2 पासति 2 श्रासुरुत्ता असिखेडगं गेराहति 2 सत्तट्ट जाव उप्पयति 2 ताए उक्किट्ठाए जेणेव मागंदियदारया तेणेव उवागच्छति 2 एवं वदासी-हं भो मागंदियदारया ! अप्पत्थियपस्थिया ! किराणां तुब्भे जाणह ममं विप्पजहाय सेलएणां जक्खेगां सद्धिं लवणसमुद्द मझ मज्झेगां वीतीवयमाणा ?, तं एवमवि गए जइ गां तुब्भे ममं अवयक्खह तो भे अत्थि जीवियं, अहराणां णावयक्खह तो भे इमेणां नीलुप्पल-गवल जाव एडेमि 1 / तते गां ते मागंदियदारया रयणदीवदेवयाए अंतिए एयम8 सोचा णिसम्म अभीया अतत्था अणुविग्गा अक्खुभिया असंभंता रयणदीवदेवयाए एयमट्ठनो श्रादंति नो परियाणंति णो अवयक्खंति, अणाढायमाणा अपरिजाणमाणा अणवयक्खमाणा सेलएण जक्खेण सद्धिं लवणसमुद्द मझमज्झेणं वीतिवयंति 2 / तते णं सा रयणदीवदेवया 16 Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 146 ] : [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः ते मागंदिया जाहे नो संचाएति बहूहिं पडिलोमेहिय उवसग्गेहिं य चालित्तए वा खोभित्तए वा विप्परिणामित्तए वा लोभित्तए वा ताहे महुरेहि सिंगारेहि य कलुणेहि य उवसग्गेहि य उवसग्गेउं पयत्ता यावि होत्था, हं भो मागंदियदारगा ! जति णं तुम्भेहिं देवाणुप्पिया ! मए सद्धिं हसियाणि य रमियाणि य ललियाणि य कीलियाणि य हिंडियाणि य मोहियाणि य ताहे णं तुम्भे सव्वाति अगणेमाणा ममं विप्पजहाय सेलएणं सद्धिं लवणसमुदं मझमज्झेणं वीइवयह 3 / तते णं सा रयणदीवदेवया जिणरक्खियस्स मणं श्रोहिणा आभाएति अाभोएत्ता एवं वदासी-णिच्चंपिय णं श्रहं जिणपालियस्स अणिट्ठा 5 निव्वं मम जिणपालिए अणि? 5 निच्चंपिय णं अहं जिणरक्खियस्स इट्टा 5 निच्चंपिय णं ममं जिणरक्खिए इ8 5, जति णं ममं जिणपालिए रोयमाणी कंदमाणी सोयमाणी तिप्पमाणीं विलवमाणी गावयक्खति किराणं तुमं जिणरक्खिया ! ममं रोयमाणिं जाव णावयक्खसि ?, तते णं-'सा पवररयणदीवस्स देवया श्रोहिणा उ जिणरक्खियस्त मणं / नाऊण वधनिमित्तं उवरि मागंदियदारगाणं दोराहंपि // 1 // दोसकलिया सललियं णागाविहचुराणवासमीसं(सियं) दिव्वं / घाणमण-निव्वुइकरं सव्वोउय-सुरभि-कुसुमवुट्टि पमुचमाणी // 2 // णाणा-मणि-कणग-रयण-घंटिय-खिखिणि-णेऊर-मेहल भूसणरवेणं / दिसायो विदिसायो पूरयंती वयणमिणं बेति सा सकलुसा // 3 // होल वसुल गोल णाह दइत पिप रमण कंत सामिय णिग्घिण णित्थक / छि(थि)राण णिकिव यकयराणुय सिढिलभाव निल्लज्ज लुक्ख अकलुण जिणरक्खिय मझ हिययरक्खगा ! // 4 ॥णहु जुज्जसि एक्कियं अणाहं प्रबंधवं तुझ चलण-प्रोवाय-कारियं उझिडं महराणं / गुणसंकर ! अहं तुमे विहूणा ण समस्थावि जीविउं खणंपि // 5 // इमस्स उ अणेग-झस-मगर-विविध-सावयसयाउलघरस्स / रयणागरस्स मज्मे अप्पाणं वहेमि तुझ पुरश्रो एहि Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / / अध्ययन 6 ] [ 147 णियत्ताहि जइसि कुवियो खमाहि एकावराहं मे // 6 // तुज्झ य विगयघण-विमल-ससिमंडलगार(लोवम)सस्सिरीयं सारय-नवकमल-कुमुद-कुवलय (कुमुद-विमउल-विगसिय)विमलदलनिकर-सरिसनिभं / नयणं वयणं पिवासागयाए सद्धा मे पेच्छिउं जे अवलोएहि ता इश्रो ममं णाह जा ते पेच्छामि वयणकमलं // 7 // एवं सप्पणय-सरल-महुरातिं पुणो 2 कलुणाई वयणाति जंपमाणी सा पावा मग्गयो समराणेइ पावहियया // 8 // 3 / तते णं से जिणुरक्खिए चलमणे तेणेव भूसणरवेणं कराणसुह-मणोहरेणं तेहि य सप्पणय-सरल-महुरभणिएहिं संजाय-विउणराए रयणदीवस्स देवयाए तीसे सुदरथण-जहण-वयण-कर-चरण-नयण-लावन्न-रूव-जोव्वणसिरि च दिव्वं सरभसउवगहियाइं जाति विब्बोय-विलसियाणि य विहसिय-सकड. क्ख-दिठ्ठिनिस्ससिय-मलि(णि)य-उवललिय-ठियगमण-पणय-खिज्जिय-पासादीयाणि य सरमाणे रागमोहियमई अवसे कम्मवसगए (कमवेगनडिए) अवयक्खति मग्गतो सविलियं 4 / तते णं जिणरक्खियं समुप्पन्न-कलुणभावं मच्चुगलथल्लणोल्लियमई अवयक्खंतं तहेव जक्खे य सेलए जाणिऊण सणियं 2 उब्विहति (तहेव सणियं) नियगपिट्ठाहिं विगयसत्थं (सड, सह) 5 / तते णं सा रयणदीवदेवया निस्संसा कलुणं जिणरक्खियं सकलुसा सेलगपिट्ठाहिं उवयंतं दास ! मयोसित्ति जंपमाणी अप्पत्तं सागरसलिलं गेरािहय बाहाहिं पारसंतं उढ उब्बिहति, अंबरतले श्रोवयमाणं च मंडलग्गेण पडिच्छित्ता नीलुप्पल-गवल-अयसिप्पगासेण असिवरेणं खंडाखंडिं करेति 2 तत्थ विलवमाणं तस्स य सरसवहियस्स घेत्तृण अंगमंगाति सरुहिराई उक्खित्तवलिं चउदिसिं करेति सा पंजली पहिट्ठा 6 // सूत्रं 11 // एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथाण वा 2 अंतिए पव्वतिए समाणे पुणरवि माणुस्सए कामभोगे श्रासायति पत्थयति पीहेति अभिलसति से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं 4 जाव संसारं अणुपरियट्टिस्सति, जहा Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 148 ] [ श्रीमदांगमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागः वा से जिणरक्खिए-'छलो अवयक्खंतो निरावयक्खो गयो अविग्घेणं / तम्हा पवयणसारे निरावयक्खेण भवियव्यं // 1 // भोगे अवयक्खंता पडंति संसारसायरे घोरे। भोगेहिं निरवयक्खा तरंति संसारकंतारं // 2 // सूत्रं 12 // तते णं सा रयणद्दीवदेवया जेणेव जिणपालिए तेणेव उवागच्छति बहूहि अणुलोमेहि य पडिलोमेहि य खरमहुर-सिंगारेहिं कलुणेहि य उवसग्गेहि य जाहे नो संचाएइ चालित्तए वा खोभित्तए वा विप्परिणामित्तए वा ताहे संता तंता परितंता निविण्णा समाणा जामेव दिसि पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया 1 / तते णं से सेलए जक्खे जिणापालिएणं सद्धिं लवणसमुद्द मझमज्झेणं वीतीवयति 2 जेणेव चंपानयरी तेणेव उवागच्छति 2 चंपाए नयरीए अगुजाणंसि जिणपालियं पट्टातो श्रोयारेति 2 एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! चंपानयरी दीसतित्तिकटु जिणपालियं यापुच्छति 2 जामेव दिसिं पाउभूए तामेव दिसिं पडिगए 2 // सूत्रं 13 // तते णं जिलपालिए चंपं अणुपविसति 2 जेणेव सए गिहे जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागन्छइ 2 अम्मापिऊणं रोयमाणे जाव विलवमाणे जिणरक्खियवावत्तिं निवेदेति, तते णं जिणपालिए अम्मापियरो मित्तणाति जाव परियणेणं सद्धिं रोयमाणाति बहूई लोइयाइं मयकिचाई करेति 2 कालेणं विगतसोया जाया, तते णं जिणपालियं अन्नया कयाइ सुहासणवरगतं अम्मापियरो एवं वदासीकहराणं पुत्ता ! जिणरक्खिए कालगए ? 3 / तते णं से जिणपालिए अम्मापिऊणं लवखसमुद्दोत्तारं च कालियवाय-समुत्थणं पोतवहणविवत्तिं च फलह-खंड-श्रासातणं च रयणदीवुत्तारं च रयणदीवदेवयागिहं च भोगविभू च रयणदीवदेवया अप्पाहणं च सूलाइय-पुरिस-दरिसणं च सेलग-जक्ख-बारुहणं च रयणदीवदेवयाउवसग्गं च जिणरक्खियविवत्तिं च लवणसमुद्द-उत्तरणं च चंपागमणं च सेलग-जक्ख-यापुच्छणं च जहाभ्य Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-पूत्रम् / अध्ययनं 10 ] [ 146 मवितह-मसंदिद्धं परिकहेति, तते णं जिणपालिए जाव अप्पसोगे जाव विपुलाति भोगभोगाई भुजमाणे विहरति 4 // सूत्रं 14 // तते कालेणं 2 समणे भगवं महावीरे समोसढे, धम्मं सोचा पव्वतिए एकारसंगवी मासिएणं सोहम्मे कप्पे दो सागरोवमे, महाविदेहे सिज्झिहिति / एवामेव समणाउसो ! जाव माणुस्सए कामभोए णो पुणरवि श्रासाति से णं जाव वीतिवतिस्सति जहा वा से जिणपालिए / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं नवमस्स नायज्मयणस्स अयम? पराणत्तेत्तिबेमि // सूत्रं 15 // नवमं अज्झयणं समत्तं // // इति नवममध्ययनम् // 9 // // 10 // अथ श्रीचन्द्राख्यं दशममध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं णवमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पराणत्ते, दसमस्स णं भंते ! नायज्मयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पत्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नगरे सामी समोसढे गोयमसामी एवं वदासी-कहराणं भंते ! जीवा वडांति वा हायन्ति वा ?, गोयमा ! से जहा नामए बहुलपक्खस्स पाडिवयाचंदे पुरिणमाचंदं पणिहाय हीणो वराणेणं हीणे सोम्मयाए होणे निद्धयाए हीणे कंतीए एवं दित्तीए जुत्तीए छायाए पभाए ओयाए लेस्साए मंडलेणं तयाणंतरं च णं बीयाचंदे पाडिवयं चंदं पणिहाय हीणतराए वराणेणं जाव मंडलेणं तयाणंतरं च णं ततिप्राचंदे बितियाचंदं पणिहाय हीणतराए वराणेणं जाव मंडलेणं, एवं खलु एएणं कमेणं परिहायमाणे 2 जाव अमावस्साचंदे चाउद्दसिचंदं पणिहाय न? वराणेणं जाव न? मंडलेणं 1 / एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा जाव पव्वइए समाणे हीणे खंतीए एवं मुत्तीए गुत्तीए अजवेणं मद्दवेणं लाघवेणं सच्चेणं तवेणं Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 150 ] / श्रीमदांगमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः चियाए अकिंचणयाए बंभचेरवासेणं, तयाणंतरं च णं हीणे हीणतराए खंतीए जाव होणतराए बंभवेवासेणं, एवं खलु एएणं कमेणं परिहायमाणे 2 णढे खंतीए जाव ण8 बंभचेरखासेणं 2 / से जहा वा सुक्कपक्खस्स पाडिवयाचंदे अमावासाए चंदं पणिहाय अहिए वराणेणं जाव अहिए मंडलेणं तयाणंतरं च णं विझ्याचंदे पडिवयाचंदं पणिहाय अहिययराए वराणेणं जाव अहियतराए मंडलेणं एवं खलु एएणं कमेणं परिवुड्वे माणे 2 जाव पुरिणमाचंदे चाउद्दसिं चंदं पणिहाय पडिपुराणं वराणेणं जाव पडिपुराणो मंडलेणं 3 / एवामेव समणाउसो! जाव पव्वतिए समायो अहिए खंतीए जाव बंभचेरवासेणं, तयाणंतरं च णं अहिययराए खंतीए जाव बंभचेवासेणं 4 / एवं खलु एएणं कमेणं परिषड्ढमाणे 2 जाव पडिपुन्ने बंभचेरवासेणं, एवं खलु जीवा वट्ठति वा हायंति वा, एवं खलु जंबू ! समणेणं भागवता महावीरेणं दसमस्स णायज्झयणस्स अयम? पराणत्तेत्तिवेमि 5 // सूत्रं 16 // दसमं णायज्झयणं समत्तं // // इति दशममध्ययनम् // 10 // // 11 // अथ श्रीदाबद्रवाख्य-मेकादशममध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दसमस्स नायझयणस्स अयम? पराणत्ते एकारसमस णं भंते ! नायज्झयणस्स समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे गोयमे एवं वदासी- कह णं भंते ! जीवा श्राराहगा वा विराहगा वा भवंति ?, गोयमा ! से नहा णामए एगसि समुद्दकूलंसि दावदवा नाम रुक्खा पराणत्ता किराहा जाव निउरुबभूया पत्तिया पुफिया फलिया हरियगरेरिजमाणा सिरीए अतीव उवसोभेमाणा 2 चिट्ठति 1 / जया णं दीविचगा ईसिं पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महा Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / / अध्ययनं 11 ] [ 151 वाया वायंति तदा णं बहवे दाववा रुक्खा पत्तिया जाव चिट्ठति अप्पेगतिया दावदवा रुक्खा जुन्ना झोडा परिसडियपंडुपत्तपुप्फफला सुकरक्खनो विव मिलायमाणा 2 चिट्ठांति, एवामेव समणाउसो ! जे अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा जाव पव्वतिते समाणे बहणं समणाणं 4 सम्मं सहति जाव अहियासेति बहूणं अराणउत्थियाणं बहूणं गिहत्थाणं नो सम्मं सहति जाव नो अहियासेति एस णं मए पुरिसे देसविराहए पराणत्ते समणाउसो! 2 / जया णं सामुद्दगा ईसिं पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाता वायंति तदा णं बहवे दावद्दवा रुक्खा जुराणा झोडा जाव मिलायमाणा 2 चिट्ठति, अप्पेगइया दावद्दवा रुक्खा पत्तिया पुफिया जाव उवसोभेमाणा 2 चिट्ठांति, एवामेवसमणाउसो ! जो अहं निग्गंथो वा निग्गंथी वा पब्बतिए समाणे बहूणं अण्णउत्थियाणं बहूणं गिहत्थाणं सम्म सहति बहूणं समणाणं 4 नो सम्म सहति एस णं मए पुरिसे देसाराहए पन्नत्ते समणाउसो ! 3 / जया णं नो दीविचगा णो सामुद्दगा ईसिं पुरेवाया पच्छावाया जाव महावाया तते णं सव्वे दावद्दवा रुक्खा जुराणा झोडा जाव मिलायमाणा 2 चिट्ठांति, अप्पेगइया दावद्दवा रुपखा पत्तिया पुफिया जाव उपसोभेमाणा 2 चिट्ठांति, एवामेव समणाउसो! जाव पव्वतिए समाणे बहूणं समणाणं 2 बहूणं अन्नउत्थियगिहत्थाणं नो सम्मं सहति एस णं मए पुरिसे सव्वविराहए पराणत्ते. समणाउसो !, जया णं दीविचगावि सामुद्दगावि ईसिं पुरेवाया पच्छावाया जाव वायाँत तदा णं सव्वे दावद्दवा रुक्खा पत्तिया जाव चिट्ठांति, एवामेव समणाउसो ! जे श्रम्हं पव्वतिए समाणे बहूणं समणाणं बहूणं अन्नउत्थियगिहत्थाणं सम्म सहति एस णं मए पुरिसे सबाराहए पनत्ते ! एवं खलु गोयमा ! जीवा बाराहगा वा विराहगा वा भवंति, एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया एकारसमस्स अयम? पराणत्तेत्तिबेमि 4 // सूत्रं 17 // एकारसमं नायज्झयणं समत्तं॥ // इति एकादशममध्ययनम् // 11 // Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 152 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः // 12 // अथ श्री उदकाख्यं द्वादशममध्ययनम् // . जति णं भंते ! समणेणं नाव संपत्तेणं एकारसमस नायज्झयणस्स श्रयमढे पन्नत्ते, बारसमस्स णं भंते ! नायज्झयणस्स समणेणं जाव सपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 चंपा नाम नयरी पुराणभद्दे, जितसत्तू राया धारिणी देवी, अदीणसत्तू नामं कुमारे जुवराया यावि होत्था, सुबुद्धी अमच्चे जाव रजधुराचिंतए समणोवासए 1 / तीसे णं चंपाए णयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमेणं एगे परिहोदए यावि होत्ण, मेयवसा-मंस-रुहिर-पूय-पडल-पोचडे मयग-कलेवर-संचरणे अमणुराणे वराणेगां जाव फासेगां 2 / से जहा नामए अहिमडेति वा गोमडेति वा जाव मय-कुहिय-विणट्ठ-किमिणवावरण-दुरभिगंधे किमिजालाउले संसत्ते असुइविगय-बीभत्थ-दरिसणिज्जे, भवेयारूवे सिया ?, णो इण? सम8, एत्तो अणिट्ठतराए चेव जाव गंधेगां पण्णत्ते 3 // सूत्रं 18 // तते गां से जितसतू राया अराणदा कदाइ राहाए कयबलिकम्मे जाव अप्प-महग्घाभरणालंकिय-सरीरे बहूहिं राईसर जाव सत्थवाहपभितिहिं सद्धिं भोयणवेलाए सुहासणवरगए विपुलं असणां 4 जाव विहरति, जिमित-भुत्तुत्तरायए जाव सुइभूते तंसि विपुलंसि असण-पाण-खाइम-साइमंसि जाव जायविम्हए ते बहवे ईसर जाव पभितीए एवं वयासी-ग्रहो णं देवाणुप्पिया ! इमे मणुराणे असणे 4 वराणेणं उबवेए जाव फासेणं उववेते अस्सायणिज्जे विस्सायणिज्जे पीणणिज्जे दीवणिज्जे दप्पणिज्जे मयणिज्जे बिहणिज्जे सविदिय-गायपल्हायणिज्जे 1 / तते णं ते बहवे ईसर जाव पभियत्रो जितसत्तुं एवं वयासी-तहेव णं सामी ! जगणं तुब्भे वदह ग्रहो णं इमे मणुराणे असणं 4 वराणेणं उववेए जाव पल्हायणिज्जे, तते गां जितसत्तू सुबुद्धिं श्रमच्चं एवं वयासी-अहो गां सुबुद्धी ! इमे मणुराणे असणे 4 जाव पल्हायणिज्जे तए णं सुबुद्धी जितसत्तुस्सेयम8 नो पाढाइ जाव तुसिणीए संचिट्ठति Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 12 ] [ 153 2 / तते णं जितसत्तुणा सुबुद्धी दोच्चपि तच्चपि एवं वुत्ते समाणे जितसत्तुं रायं एवं वदासी-नो खलु सामी ! अहं एयंसि मणुराणंसि असण-पाण-खाइमसाइमंसि केइ विम्हए, एवं खलु सामी ! सुभिसद्दावि पुग्गला दुन्भिसद्दत्ताए परिणमंति, दुब्भिसदावि पोग्गला सुब्भिसदत्ताए परिणमंति, सुरूवावि पोग्गला दुरूवत्ताए परिणमंति दुरूवावि पोग्गला सुरूवत्ताए परिणमंति, सुभिगंधावि पोग्गला दुन्भिगंधत्ताए परिणमंति दुभिगंधावि पोग्गला सुन्भिगंधत्ताए परिणमंति, सुरसावि पोग्गला दुरसत्ताए परिणमंति दुरसावि पोग्गला सुरसत्ताए परिणमंति, सुहफासावि पोग्गला दुहफासत्ताए परिणमंति दुहफासावि पोग्गला सुहफासत्ताए परिणमंति पयोग-वीससा-परिणयावि य णं सामी ! पोग्गला पण्णत्ता 3 / तते णं से जितसत्तू सुबुद्धिस्स अमच्चस्स एवमातिक्खमाणस्स 4 / एयम8 नो अाढाति नो परियाणई तुसिणीए संचिट्ठइ 4 / तए णं से जितसत्तू अण्णदा कदाई राहाए बासखंध-वरगते महया भड-चडग-रहास-वाहणियाए निजायमाणे तस्स फरिहोदगस्स अदरसामंतेणं वीतीवयइ 5 / तते णं जितसत्तू तस्स फरिहोदगस्स असुभेगां गंधेगां अभिभूते समाणे सएगां उत्तरिजगेगा पासगं पिहेइ, एगंतं अवक्कमति, ते बहवे ईसर जाव पभितियो एवं वदासी-ग्रहो णं देवाणुप्पिया ! इमे फरिहोदए ! अमणुराणे वराणेणं 4 से जहा नामए अहिमडेति वा जाव अमणामतराए चेव 5 / तए णं ते बहवे राईसरपभिइ जाव एवं वयासी-तहेव णं तं सामी ! जंणं तुब्भे एवं वयह, अहो णं इमे फरिहोदए श्रमणुराणे वरणेणं 4 से जहा णामए अहिमडे इ वा जाव अमणामतराए चेव 6 / तए णं से जियसत्तू सुबुद्धिं अमच्चं एवं वदासी-ग्रहो णं सुबुद्धी ! इमे फरिहोदए श्रमणुराणे वराणेगां से जहा नामए अहिमडेइ वा जाव श्रमणामतराए चेव, तए णं सुबुद्धी अमच्चे जाव तुसिणीए संचिट्ठइ 7 / तए णं से जियसत्तू राया सुबुद्धिं अमच्चंदोच्चपि तच्चपि एवं वयासी-ग्रहो Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 154 ] [ श्रीमदांगमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभागः णं तं चेव, तए णं से सुबुद्धी अमच्चे जियसत्तुणा रन्ना दोच्चंपि तच्चंपि एवं वुत्ते समाणे एवं वयासी-नों खलु सामी ! अम्हं एयंसि फरिहोदगंसि केइ विम्हए, एवं खलु सामी ! सुब्भिसदावि पोग्गला दुन्भिसदत्ताए परिणमंति, तं चेव जाव पयोग वीससा-परिणयावि य णं सामी ! पोग्गला पराणत्ता 8 / तते णं जितसत्तू सुबुद्धिं एवं चेव, मा णं तुम देवाणुप्पिया ! अप्पाणां च परं च तदुभयं वा बहूहि य असम्भावुभावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेण य बुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहराहि 1 / तते णं ! सुबुद्धिस्स इमेयारूवे अभत्थिए 5 समुप्पजित्था-ग्रहो णं जितसत्तू संते तच्चे तहिए अवितहे सब्भूते जिणपराणत्ते भावे णो उवलभति, तं सेयं खलु मम जितसत्तुस्स रगणो संताणं तच्चाणं तहियाणं अवितहाणं सब्भू. ताणं जिणपण्णत्ताणं भावाणं अभिगमणट्ठयाए एयमट्ठ उवाइणावेत्तए 10 / एवं संपेहेति 2 पचतिएहिं पुरिसेहिं सद्धिं अंतरावणाश्रो नवए घडयपडए पगेराहति 2 संझाकाल-समयंसि पविरलमणुस्संसि णिसंत-पडिनिसंतंसि जेणेव फरिहोदए तेणेव उवागए 2 तं फरिहोदगं गेराहावेति 2 नवएसु घडएसु गालावेति 2 नवएसु घडएसु पक्खिवावेति 2 सज्जक्खारं पक्खिवावेइ 2 लंछियमुदिते करावेति 2 सत्तरत्तं परिवसावेति 2 दोच्चंपि नवएसु घडएसु गालावेति नवएसु घडएसु पक्खिवावेति 2 सजक्खारं पक्खिवावेइ लांछयमुदिते कारवेति 2 सत्तरत्तं परिवसावेति 2 तच्चपि णवएसु घडएसु जाव संवसावेति, एवं खलु एएणं उवाएणं अंतरा गलावेमाणे अंतरा पक्खिवावेमाणे अंतरा य विपरिखसावेमाणे 2 सत्त 2 रातिदिया विपरिवसावेति 11 / तते णं से फरिहोदए सत्तमसत्तयंसि परिणममाणंसि उदगरयणे जाए यावि होत्था अच्छे पत्थे जब्चे तणुए फलिहवराणामे वराणेणं उववेते 4 श्रासायणिज्जे जाव सविदिय-गाय-पल्हायणिज्जे 12 / तते णं सुबुद्धी अमच्चे जेणेव से उदगरयणे तेणेव उवागच्छति 2 करय Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 12 ] [ 155 लंसि श्रासादेति 2 तं उदगरयणं वराणेणं उववेयं 4 यासायणिज्ज जाव सबिदिय-गाय पल्हायणिइज्ज जाणित्ता हट्टतुढे बहूहि उदगसंभारणिज्जेहिं संभारेति 2 जितसत्तुस्स रराणो पाणियपरियं सदावेति 2 एवं वयासीतुमं च णं देवाणुप्पिया ! इमं उदगरयणं गेराहाहि 2 जितसत्तस्स रन्नो भोयणवेलाए उवणेजासि 13 / तते णं से पाणियघरिए सुबुद्धियस्स एतमट्ठ पडिसुणेति 2 तं उदगरयणं गिराहाति 2 जितसत्तुस्स रराणो भोयणवेलाए उबट्ठवेति, तते णं से जितसत्तू राया तं विपुलं असणं 4 यासाएमाणे वीसाएमाणे जाव विहरइ 14 / जिमियभुत्तुत्तरायएवि य णं जाव परमसुइभूए तंसि उदगरयणे जायविम्हए ते बहवे राईमर जाव एवं वयासीयहो णं देवाणुप्पिया ! इमे उदगरयणे अच्छे जाव सबिदियगाय-पल्हायणिज्जे, तते णं बहवे राईसर जाय एवं वयासी-लहव णं सामी ! जराणं तुमे वदह जाव एवं चेव पल्हायणिज्जे 15 / तते णं जितसत्तू राया पाणियपरियं सदावेति 2 एवं वयासी-एस णं तुम्मे देवाणुप्पिया ! उदगरयणे कयो ग्रासादिते ?, तते णं से पाणियपरिए जितसत्तु एवं वदासी-एस णं सामी ! मए उदगरयणे सुबुद्धिस्स अंतियायो ग्रासादित्ते 16 ) तते णं जितसत्तू सुवुद्धि अमच्चं सदावति 2 एवं वयासी-ग्रहो णं सुबुद्धी केणं कारगोणं यह तव अणि?' 5 जणं तुम मम कल्लाकाल भोयणवेलाए इमं उदगरयणं न उबट्टवेसि ?, तए णं (तं एस णं) तुमे देवागुप्पिया ! उद्गरयगो कयो उवलद्धे ?, तते णं सुबुद्धी जितसनु एवं क्यासी-एस णं सामी ! से फरिहोदए 17 / तते णं से जितसत्तू सुबुद्धिं एवं वयासी-केणं कारणेणं सुबुद्धी! एस से फरिहोदए ?, तते णं सुबुद्धी जितसनु एवं वासी-एवं खलु * सामी ! तुम्हे तपा मम एवमातिक्खमाणस्स 4 एतमट्ट नो मदहह तते गां मम इमेयारूवे अभत्थिते 6 ग्रहो गां जित्तसत्तू संते जाव भावे Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः नो मदहति नो पत्तियति नो रोएती तं सेयं खलु ममं जियसत्तुस्स रनो संतागां जाव सब्भूताणां जिणपन्नत्ताणां भावाणां अभिगमणट्टयाए एतमट्ठ उवाइणावेत्तए, एवं संपेहेमि 2 तं चेव जाव पाणियपरियं सहावेमि 2 एवं वदामि-तुमं णं देवाणुप्पिया ! उदगरतणां जितसत्तुस्स रनो भोयणवेलाए उवणेहि, तं एएगां कारणेगां सामी ! एस से फरिहोदए 18 / तते गां जितसत्तू राया सुबुद्धिस्स अमञ्चस्स एवमातिक्खमाणस्स 4 एतम४ नो सदहति 3 असदहमाणे 3 अभितरट्ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेति 2 एवं वदासी-गच्छह ग तुम्भे देवाणुप्पिया ! अंतरावणाश्रो नवघडए पडए य गेराहह जाव उदग-संहारणिज्जेहिं दव्वेहिं संभारेह तेऽवि तहेव संभारेति 2 जितसत्तुस्स उवगोंति 11 / तते णं जितसत्तू राया तं उदगरयणां करयलंसि यासाएति अासातणिज्ज जार सबिदिय-गाय-पल्हायणिज्जं जाणित्ता सुबुद्धिं श्रमच्चं सदावेति 2 एवं वयासी-सुबुद्धी ! एए ग तुमे संता तचा जाव सब्भूया भावा कतो उवलद्धा ?, तते गां सुबुद्धी जितसत्तु एवं वदासी-एए णं सामी ! मए संता जाव भावा जिणवयणातो उवलद्धा 20 / तते णं जितसत्तू सुबुद्धिं एवं वदासी-तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तव अंतिए जिणवयणं निसामेत्तए, तते णं सुबुद्धी जितसंत्तुस्स विचित्तं केवलिपनत्तं चाउजामं धम्म परिकहेइ, तमाइक्खति जहा जीवा बझंति जाव पंच अणुव्वयाति 21 / तते णं जितसत्तू सुबुद्धिस्स अंतिए धम्म सोचा णिसम्म हट्टतु? सुबुद्धिं अमच्च एवं वयासी-सदहामि णं देवाणुप्पिया ! निग्गंथं पावयणं 3 जाव से जहेयं तुम्भे वयह, तं इच्छामि णं तव अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं जाव उवसंपजित्तायां विहरित्तए, श्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 22 / तए णं से जियसत्तू सुबुद्धिस्स अमच्चस्स अंतिए पंचाणुव्वइयं जाव दुवालसविहं सावयधम्मं पडिबजइ, तते णं जितसत्तू समणोवासए अभिगय-जीवाजीवे जाव पडिला Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 12 ] [ 157 भेमाणे विहरति 23 / तेणं कालेणं 2 थेरागमणां जियसत्तू राया सुबुद्धी य निग्गच्छति, सुबुद्धी धम्मं सोचा जं णवरं जियसत्तु श्रापच्छामि जाव पव्वयामि, अहासुहं देवाणुप्पिया 24 / तते णं सुबुद्धी जेणेव जितसत्तू तेणेव उवागच्छति 2 एवं वयासी-एवं खलु सामी ! मए थेराणं अंतिए धम्मे निसन्ते सेऽविय धम्मे इच्छिए पडिच्छिए इच्छियपडिच्छिए, तए णं अहं सामी ! संसारभउबिग्गे भीए. जाव इच्छामि णं तुब्भेहिं अब्भगुन्नाए समाणे थेराणं अंतिए जाव पव्वइत्तए 25 / तते णं जितसत्तू सुबुद्धिं एवं वयासी-अच्छासु ताव देवाणुप्पिया ! कतिवयातिं वासाइं उरालाति जाव भुजमाणा ततो पच्छा एगयो थेराणं अंतिए मुडे भवित्ता जाव पवइस्लामो 26 / तते णं सुबुद्धी जितसत्तुस्स एयमट्ठ पडिसुणेति, तते णं तस्स जितसत्तुस्स सुबुद्धीणा सद्धिं विपुलाइं माणुस्सगाई कामभोगाई पञ्चणुब्भवमाणस्स दुवालस वासाई वीतिक्कंताई 27 / तेणं कालेणं 2 थेरागमणां तते णं जितसत्तू धम्मं सोचा एवं जं नवरं देवाणुप्पिया ! सुबुद्धिं शमच्चं आमंतेमि जेट्टपुत्तं रज्जे ठवेमि, तए णं तुभं जाव पव्वयामि, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! 28 ।तते णं जितसत्तू जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति 2 सुबुद्धिं सदावेति 2 एवं वयासी-एवं खलु मए थेराणं जाव परग्जामि, तुमणं किं करेसि ?, तते णं सुबुद्धी जितसतुं एवं क्यासीजाव के० अन्ने थाहारे वा जाव पव्वयामि, तं जति णं देवाणुप्पिया ! जाव पव्वयह गच्छह णं देवाणुप्पिया ! जेट्टपुत्तं च कुडुबे पवेहि 2 सीयं दुरुहित्तायां ममं अंतिए सीया जाव पाउब्भवेति, तते गां सुबुद्धीए सीया जाव पाउम्भवइ 21 / तते णं जितसत्तू कोडंबियपुरिसे सहावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! अदीणसत्तुस्स कुमारस्स रायाभिसेयं उवट्ठवेह जाव अभिसिंचंति जाव पव्वतिए 30 / तते णं जितसत्तू एकारस अंगाई अहिजति बहूणि Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 158 ] [ श्रीमदागमसुथासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः वासाणि परियायो मासियार सि, तेलगी सुबुद्धी एकारस अंगाई अहिजति, बहूणि वासाणि जाव सिद्धे 31 / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं बारसमस्स नायज्झयणस्स अयम? पराणत्तेत्तिबेमि 32 // सूत्रं 16 // बारसमं नाअज्झयणं समत्तं // // इति द्वादशममध्ययनन् // 12 // // 13 // अथ श्रीददुराख्यं त्रयोदशमध्ययनम् / / जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं बारसमस्स नायज्झयणस्स अयम? पराणत्ते तेरसमस्स णं भंते ! नायज्मयणस्स समणेणं जाव संपतेणां के अट्ठ पत्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे गुणसिलए चेतिए, समोसरणं, परिसा निग्गया 1 / तेणं कालेणं 2 सोहम्मे कप्पे दददुरवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए दददुरंसि सीहासणंप्ति ददुरे देवे चउहि सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं अग्गमहिसीहिं सपरिसाहिं एवं जहा सुरियाभो जाव दिव्वाति भोगभोगाइं भुजमाणो विहरइ, इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं 2 विपुलेणं श्रोहिणा श्राभोएमाणे 2 जाव नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगते जहा सुरियाभे 2 / भंतेति भगवं गोयमें समणां भगवं महावीरं वंदइ नमसति 2 एवं वयासी-ग्रहो गां भंते / दद्दुरे देवे महिड्डिए 2 दददुरस्स गां भंते ! देवस्स सा दिव्वा देविड्डी 3 कहिं गया ? कहिं अणुपविट्टा ?, गोयमा ! सरीरं गया सरीरं अणुपविट्ठा कूडागारदिट्ठतो 3 / दद्दुरेणां भंते ! देवेणां सा दिव्या देविड्डी 3 किराणा लद्धा जाव अभिसमन्नागया ?, एवं खलु गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे रायगिहे गुणसिलए चेतिए सेणिए राया, तत्थ गां रायगिहे गांदे णाम मणियारसेट्ठी अड्डे दित्ते. 4 / तेगां कालेगां 2 अहं गोयमा ! समोसड्ढे परिसा णिग्गया, सेणिए राया निग्गए, तते गां से नंदे मणियारसेट्ठी Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 13 ] [ 156 इमीसे कहाए लट्ठ समाणे गहाए पायचारेणं जाव पज्जुवासति, णंदे धम्मं सोचा समणोवासाए जाते, तते णं अहं रायगिहायो पडिनिक्खन्ते बहिया जणवयविहारं विहरामि 5 / तते णं से णंदे मणियारसेट्ठी अन्नया कदाइ असाहुदंसणेण य अपज्जुवासणाए य अणणुसासणाए य असुस्सू. सणाए य सम्मत्तपनवेहि परिहायमाणेहिं 2 मिच्छत्तपजवेहिं परिवड्डमाणेहिं 2 मिच्छत्तं विप्पडिवन्ने जाए यावि होत्था 6 / तते णं नंदे मणियारसेट्ठी अन्नता गिम्हकालसमयंसि जेट्टामूलंसि मासंसि अट्ठमभत्तं परिगेगहति 2 पोसहसालाए जाव विहरति, तते णं णंदस्स अट्ठमभत्तंसि परिणममाणांसि तगहाए छुहाए य अभिभूतस्स समाणस्स इमेयारूवे अभत्थिते ५-धन्ना गां ते जाव ईसरपभितयो जेसिं गां रायगिहस्स बहिया बहूयो वावीतो पोक्खरणीयो जाव सरसरपंतियायो जत्थ णं बहुजणो गहाति य पियति य पाणियं च संवहति, तं सेयं खलु ममं कल्लं पाउप्पभायाए सेणियं आपुच्छित्ता रायगिहस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए वेभारपव्ययस्त अदूरसामंते वत्थुपाढगरोइतंसि भूमिभागंसि जाव णंदं पोक्खरणिं खणावेत्तएत्तिकटु एवं संपेहेति 2 कल्लं पाउप्पभायाए जाव पोसहं पारेति 2 राहाते कयबलिकम्मे मित्तणाइ जाव संपरिखुडे महत्थं जाव पाहुडं रायारिहं गेराहति 2 जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति 2 जाव पाहुडं उवट्ठवेति 2 एवं वयासी-इच्छामी णं सामी ! तुम्भेहिं अब्भणुन्नाए समाणे रायगिहस्स बहिया जाव खणावेत्तए, यहासुहं देवाणुप्पिया 7 / तते णं णंदे सेणिएणं रना अब्भणुराणाते समाणे हट्ट. तु? रायगिहं मझमज्झेणं निग्गच्छति 2 वत्थुपाढयरोइयंसि भूमिभागंसि णंदं पोक्खरणिं खणाविउं पयत्ते यावि होत्था, तते णं सा णंदा पोक्खरणी अणुपुव्वेणं खणमाणा 2 पोक्खरणी जाया यावि होत्या चाउकोणा समतीरा अणुपुव्व-सुजाय-वप्प-सीयलजला संछराण-पत्त-बिस-मुणाला बहुप्पल Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16.] वणसंडा जार चिति 10 / भमय-संनिविट्ठ पथ पोत्यकम्माणि माणि य [श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभाग पउम-कुमुद-नलिण-सुभग-सोगंधिय-पुंडरीय-महापुंडरीय-सयपत्त-सहस्सपत्तपफुल्ल-केसरोववेया परिहत्थ भमंत-मच्छ-छप्पय अणेग-सउण-गण-मिहुण-वियरिय-सद्दुन्नइय-महर-सरनाइया पासाईया 4, 8 / तते णं से गंदे मणियारसेट्ठी णंदाए पोक्खरणीए चउदिसिं चत्तारि वणसंडे रोवावेति 1 / तए णं ते वणसंडा अणुपुव्वेणं सारक्खिजमाणा य संगोविजमाणा य संवडियमाणा य से वणसंडा जाया किराहा जाव निकु बभूया पत्तिया पुफिया जाव उवसोभेमाणा 2 चिट्ठति 10 / तते गां नंदे पुरच्छिमिल्ले वणसंडे एगं महं चित्तसभं करावेति अणेग-खंभसय-संनिविट्ठ पा०, तत्थ गां बहूणि किराहाणि य जाव सुकिलाणि य कट्टकम्माणि य पोत्थकम्माणि य चित्तकम्माणि य लिप्पकम्माणि य गंथिम-वेढिम-पूरिम-संघातिमकम्माणि य उवदंसिज्जमाणाई 2 चिट्ठति, तत्थ णं बहूणि यासणाणि य सयणाणि य अत्थुयपचत्थुयाई चिट्ठति, तत्थ णं बहवे णडा य णट्टा य जाव दिन्नभइभत्त-वेयणा तालायरकम्मं करेमाणा विहरंति 11 / रायगिहविणिग्गयो य जत्थ बहू जणो तेसु पुबन्नत्थेसु अासणसयणेसु संनिसन्नो य संतुयट्टो य सुणमाणो य पेच्छमाणो य सोहेमाणो य सुहंसुहेगां विहरइ 12 / तते गां गंदे दाहिणिल्ले वणसंडे एगं महं महाणससालं करावेति श्रणेगखंभसयसंनिविट्ठ जाव रूवं, तत्थ गां बहवे पुरिसा दिन्नभइभत्तवेयणा विपुलं असणां 4 उवक्खडेंति बहूगां समण-माहण-अतिही-किवण-वणीमगाणां परिभाएमाणा 2 विहरंति 13 / तते गां गांदे मणियारसेट्ठी पचत्थिमिल्ले वणसंडे एगं महं तेगिच्छियसालं करेति, अणेगखंभसयसंनिविट्ठ जाव रूवं, तत्थ णं बहवे वेज्जा य वेजपुत्ता य जाणुया य जाणुयपुत्ता य कुसला य कुसलपुता य दिन्न-भइभत्तवेयणा बहूणं वाहियाणं गिलाणाण य रोगियाण य दुबलाण य तेइच्छकम्मं करेमाणा विहरंति 14 / अराणे य एत्थ बहवे पुरिसा दिन्नभइ भत्तवेयणा तेसिंबहूणं वाहियाण य रोगियाण य गिलाणाण य Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / / अध्ययनं 13 ] [ 161 दुब्बलाण य श्रोसह-भेसज्ज-भत्तपाणेणं पडियारकम्मं करेमाणा विहरंति, तते णं णंदे उत्तरिल्ले वणसंडे एगं महं अलंकारियसभं करेति, अणेगखभसतसंनिविट्ठ जाव पडिरूवं, तत्थ णं बहवे अलंकारियपुरिसा दिनभइभत्तवेयणा बहूणं समणाण य अणाहाण य गिलाणाण य रोगियाण य दुबलाण य अलंकारियकम्मं करेमाणा 2 विहरंति 15 / तते णं तीए णंदाए पोक्खरणीए वहवे सणाहा य अणाहा य पंथिया य पहिया य करोडिया कारि(र)या तणहारया पत्तहारया कट्टहारया अप्पेगतिया राहायंति अप्पेगतिया पाणियं पियंति अप्पेगतिया पाणियं संवहंति अप्पेगतिया विसजितसेय-जल्लमल-परिस्सम-निदखुप्पिवासा सुहंसुहेगां विहरंति 16 / रायगिह-विणिग्गयोवि जत्थ बहुजणो किं ते जलरमण-विविहमजणकयलिलयाघरय-कुसुमसत्थरय-अणेगसउण-गणरुपरिभितसंकुलेसु सुहंसुहेणं अभिरममाणो 2 विहरति 17 / तते णं गाँदाए पोक्खरिणीए बहुजणो राहायमाणो पाणियं च संवहमाणो य अन्नमन्नं एवं वदासी-धराणे णं देवाणुप्पिया ! णंदे मणियारसेट्टी कयत्थे जाव जम्मजीवियफले जस्स णं इमेयाख्वा गंदा पोक्खरणी चाउकोणा जाव पडिरूवा, जस्स णं पुरथिमिल्ले तं चेव सव्वं चउसुवि वणसंडेसु जाव रायगिहविणिग्गयो जत्थ बहुजणो श्रासणेसु य सयणेसु य सन्निसन्नो य संतुयट्टो य पेच्छमाणो य साहेमाणो य सुहंसुहेणं विहरति, तं धन्ने कयत्थे कयपुन्ने कयाणं० लोया ! सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले नंदस्स मणियारस्स 18 / तते णं रायगिहे संघाडग जाव बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमातिक्खति 4 धन्ने णं देवाणुप्पिया! णंदे मणियारे सो चेव गमयो जाव सुहंसुहेणं विहरति / तते णं से गंदे मणियारे बहुजणस्स अंतिए एतम8 सोच्चानिसम्म हट्ट 2 धाराहयकलंबुगंपिव समूससियरोमकूवे परं सायासोक्ख-मणुभवमाणे विहरति 11 // सूत्रं 100 // Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 162 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धु :: चतुर्थो विभागः तते णं तस्स नंदस्स मणियारसेट्टिस्स अन्नया कयाई सरीरगंसि सोलस रोयायंका पाउन्भूया तंजहा-“सासे कासे जरे दाहे, कुच्छिसूले भगंदरे 6 / अरिसा अजीरए दिट्ठिमुद्धसूले अगारए 10 // 1 // अच्छिवेयणा कन्नवेयणा कंडू दउदरे कोढे ? 16 / " 1 / तते णं से णंदे मणियारसेट्ठी सोलसहिं रोयायंकेहिं अभिभूते समाणे कोडुबियपुरिसे सद्दावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! रायगिहे सिंघाडग जाव पहेसु महंया सद्देमा उग्धोसेमामा 2 एवं वयह एवं खलु देवाणुप्पिया ! णंदस्स मणियारसेट्ठिस्स सरीरगंसि सोलस रोयायंका पाउब्भूता, तंजहा'सासे जाव कोढे' तं जो णं इच्छति देवाणुप्पिया ! वेजो वा वेजपुत्तो वा जाणुयो वा 2 कुसलो वा 2 नंदस्स मणियारस्स तेसिं च णं सोलसराहं रोयायंकागां एगमवि रोयायंकं उवसामेत्तए तस्स णं देवाणुप्पिया ! मणियारे विउलं अत्थसंपदाणां दलयतित्तिक दोच्चंपि तच्चंपि घोसणां घोसेह 2 पचप्पिणह, तेवि तहेव पचप्पिणांति 2 / तते गां रायगिहे इमेयारूवं घोसणां सोचा णिसम्म बहवे वेजा व वेजपुत्ता य जाव कुसलपुत्ता य सत्थ-कोस-हत्थगया य कोसग-पाय-हत्थगया य सिलियाहत्थगया य गुलियाहत्थगया य श्रोसह-भेसज-हत्थगया य सएहिं 2 गिहेहितो निक्खमंति 2 रायगिहं मझमज्झेगां जेणेव णंदस्त मणियारसेट्ठिस्स गिहे तेणे उवागच्छंति 2 गांदस्स सरीरं पासंति, तेसिं रोयायंकागां णियाणां पुच्छति गांदस्स मणियारस्स बहूहिं उव्वलणेहि य उव्वट्टणेहि य सिणेहपाणेहि य वमणेहि य विरेयणेहि य सेयणेहि य अवदहणेहि य अवराहाणेहि य अणुवासणेहि य वत्यिकम्मेहि य निरूहेहि य सिरावेहेहि य तच्छणाहि य पच्छणाहि य सिरावेटेहि य तत्पणाहि य पुढवाएहि य छल्लीहि य वल्लीहि य मूलेहि य कंदेहि य पत्तेहि य पुप्फेहि य फलेहि य बीएहि य सिलि(ला)याहि य गुलियाहि य श्रोसहेहि य भेसज्जेहि य इच्छंति तेसिं सोलसराहं Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-मूत्रम् / अध्ययनं 13 [ 163 रोयायंकाणां एगमवि रोयायंक उवसामित्तए, नो चेव णं संचाएंति उवसामेत्तए, तते णं ते बहवे वेजा य 6 जाहे नो संचाएंति तेसि सोलसराहं रोगाणां एगमवि रोगायकं उवसामित्तए ताहे संता तंता जाव पडिगया 3 / तते णं नंदे तेहिं सोलसेहिं रोयायंकेहिं अभिभूते समाणे णंदापोक्खरणीए मुच्छिए 4 तिरिक्खजोणिएहिं निबद्धाउते बद्धपएसिए अट्टदुहट्टवसट्टे कालमासे कालं किचा नंदाए पोक्खरणीए दद्दुरीए कुच्छिंसि ददुरत्ताए उववन्ने 4 / तए णं गंदे दद्दुरे गभायो विणिम्मुक्के समाणे उम्मुक बालभावे विनाय-परिणयमित्ते जोव्वणग-मणुपत्ते नंदाए पोक्खरणीए अभिरममाणे 2 विहरति 5 / तते णं णंदाए पोक्खरणीए बहू जणों राहायमाणो य पियइ य पाणियं च संवहमाणो अन्नमन्नस्स एवमातिक्खति 4 धन्ने णं देवाणुप्पिया ! णंदे मणियारे जस्स णं इमेयारूवा णंदा पुक्खरणी चाउकोणा जाव पडिरूवा जस्स णं पुरथिमिल्ले वणसंडे चित्तसभा अणेगखंभ-सयसंनिविट्ठा तहेव चत्तारि सहायो जाव जम्मजीवियफले 6 / तते णं तस्स दद्दुरस्स तं अभिक्खणं 2 बहुजणस्स अंतिए एयम8 सोचा णिसम्म इमेयारूवे अब्भत्थिए 6 से कहिं मन्ने मए इमेयारूचे सद्दे णिसंत-पुव्वेत्तिकटु सुभेणं परिणामेणं जाव जाइसरणे समुप्पन्ने, पुव्वजाति सम्मं समागच्छति 7 / तते णं तस्स दद्दुरस्स इमेयारूवे अभथिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था एवं खलु अहं इहेव रायगिहे नगरे णंदे णामं मणियारे अड्डे / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे, तए णं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतिए पंचाणुब्वइए सत्तसिक्खावइए जाव पडिवन्ने, तए णं अहं अन्नया कयाई असाहुदंसणेण य जाव मिच्छत्तं विप्पडिवन्ने, तए णं अहं अन्नया कयाई गिम्हे कालसमयंसि जाव उपसंपजित्ता णं बिहरामि, एवं जहेव चिंता श्रापुच्छणा नंदापुक्खरणी वणसंडा सहायो तं चेव सव्वं जाव नंदाए Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागर पुक्खरणोए ददुरीए कुच्छिसि ददुरत्ताए उववन्ने, तं अहो णं अहं अहन्ने अपुन्ने अकयपुन्ने निग्गंथायो पावयणाश्रो न? भट्ठ परिभट्ठ तं सेयं खलु ममं सयमेव पुवपडिवन्नाति पंचाणुव्वयातिं सत्तसिक्खावयाति उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, एवं संपेहति 2 पुवपडिवन्नाति पंचाणुव्वयाई सत्तसिक्खावयाई श्रारुहेति 2 इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिराहति-कप्पइ मे जावजीवं छटुंछ?णं अणिक्खित्तेणं अप्पाणं भावेमाणस्स विहरित्तए, छट्ठस्सविय णं पारणगंसि कप्पइ मे गंदाए पोक्खरणीए परिपेरंतेसु फासुएणं राहाणोदएगां उम्महणोलोलियाहि य वित्तिं कप्पेमाणस्स विहरित्तए, इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगेराहति, जावजीवाए छटुंछ?णं जाव विहरति 8 / तेणं कालेणं 2 अहं गोयमा !गुणसिलए समोसढे परिसा निग्गया, तए णं नंदाए पुक्खरिणीए बहुजणो राहायमाणो पियइ य पाणियं च संवहमाणो य अन्नमन्नं एवं वयासी-जाव समणे 3 इहेव गुणसिलए चेइए, समोसढे, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो जाव पज्जुवासामो एयं मे इह भवे परभवे य हियाए जाव अणुगामियत्ताए भविस्सइ 1 / तए णं तस्स ददुरस्स बहुजणस्स अंतिए एयम? सोच्चा निसम्म हट्ट 2 धाराहयकलंबुगंपिव समूमसियरोमकूवे अपमेयारूवे अभत्थिए 5 समुप्पजित्था-एवं खलु समणे भगवं महावीरे इहेव गुणसिलए चेइए समोसढे, तं गच्छामि गां वंदामि गां जाव पज्जुवासामि, एवं संपेहेति 2 गांदाश्रो पुक्खरणीयो सणियं 2 उत्तरइ जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छति 2 ताए उकिट्ठाए 5 दद्दुरगईए वीतिवयमाणे जेणेव ममं अंतिए तेणेव पहारेत्थ गमणाए 10 / इमं च गां सेणिए राया भंभसारे राहाए कयकोउय-मंगलपायच्छित्ते जाव सव्वालंकारविभूसिए हथिखंध. वरगए सकोरंट-मल्लदामेणां छत्तेगां धरिजमाणेणां सेयवरचामराहिं उद्-धुव्वमाणीहिं हयगयरह-जोहकलियाए महया. भडचडगर-श्रासवाहणियाए चाउ Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 14 ] [165 रंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे मम पायवंदते हव्वमागच्छति 10 / तते गां से ददुरे सेणियस्स रनो एगेणां श्रासकिसोरएणां वामपाएगां अक्कते समाणे अंतनिग्घातिए कते यावि होत्था, तते णां से दद्दुरे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसकार-परक्कमे अधारणिज-मितिकटु एगंत-मवक्कमति 2 करयल-परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासी-नमोऽत्थु णं जाव संपत्तागां, नमोऽत्थु णं मम धम्मायरियस्स जाव संपाविउकामस्स पुब्बिंपिय णं मए समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए थूलए पाणातिवाए पञ्चक्खाए जाव थूलए परिग्गहे पञ्चक्खाए, तं इयाणिपि तस्सेव अंतिए सव्वं पाणातिवायं पञ्चक्खामि जाव सव्वं परिग्गहं पञ्चक्खामि, जावजीवं सव्वं असणां 4 पच्चक्खामि, जावजीवं जंपिय इमं सरीरं इ8 कंतं जाव मा फुसंतु एयपि णं चरिमेहिं ऊसासनीसासेहिं वोसिरामित्तिकटु 11 / तए णं से दद्दुरे कालमासे कालं किच्चा जाव सोहम्मे कप्पे ददुरवडिंसए विमाणे उबवायसभाए ददुरदेवत्ताए उववन्ने, एवं खलु गोयमा ! ददुरेगां सा दिव्वा देविड्डी लद्धा 3, 12 / ददुरस्स णं भंते ! देवस्स केवतिकालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि पलियोवमाइं ठिती पन्नत्ता, से णं ददुरे देवे० महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुझिहिति जाव अंतं करेहिइ 13 / एवं खलु समणेणां भगवया महावीरेगां तेरसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पराणत्तेत्तिबेमि 14 // सूत्रं 101 // तेरसमं णायज्झयणां समत्तं // ॥इति त्रयोदशममध्ययनम् // 13 // // 14 // अथ श्रीतेतलिपुत्राख्यं चतुर्दशममध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणां भगवया महावीरेगां जाव संपत्तेगां तेरसमस्स नायज्झयणस्स अयम? पराणत्ते, चोदसमस्स णं भंते ! नायज्झयणस्स समणेगां जाव संपत्तेगां के अटे पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेगां 2 Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः तेयलिपुरं नाम नगरं पमयवणे उजाणे कणगरहे राया, तस्स णं, कणगरहस्स पउमावती देवी, तस्स णं कणगरहस्स तेयलिपुत्ते णामं अमच्चे सामदंड. 1 / तत्थ गां तेयलिपुरे कलादे नामं मूसियारदारए होत्था अड्ढे जाव अपरिभृते, तस्स गां भद्दा नाम भारिया, तस्स गां कलायस्स मूसियार-दारयस्स धूया भदाए अत्तया पोट्टिला नामं दारिया होत्था स्वेण जोवणेण य लावन्नेण उकिट्ठा 2, 2 / तते गां पोट्टिला दारिया अन्नदा कदाइ राहाता सव्वालंकार-विभूसिया चेडिया-चकवाल-संपरितुडा उप्पिं पासाय-वरगया श्रागासतलगंसि कणगमएगां तिदूसएगां कीलमाणी 2 विहरति 3 / इमं च गां तेयलिपुत्ते अमच्चे राहाए बासखंधवरगए महया भड-चडगर-पासवाहणियाए णिजायमाणे कलायस्स मूसियारदारगस्स गिहस्स अदूरसामंतेगा वीतिवयति 4 / तते गां से तेलिपुत्ते मूसियारदारगगिहस्स अदूरमामंतेगां वीतीवयमाणे 2 पोट्टिलं दारियं उप्पि पासायवरगयं अागासतलगंसि कणागतिंदूसएगां कीलमाणी पाप्सति 2 पोट्टिलाए दारियाए रूवे य 3 जाव अमोववन्ने कोडुबियपुरिसे सद्दावेति 2 एवं वयासी-एस गां देवाणुप्पिया ! कस्स दारिया किनामधेजा ?, तते गों कोडुबियपुरिसे तेयलिपुत्तं एवं वदासी-एस गां सामी ! कलायस्स मूसियारदारयस्सं धूता भदाए अत्तया पोट्टिला नामं दारिया रूवेण य जाव सरीरा 5 / तते गां से तेयलिपुत्ते अासवाहणियायो पडिनियत्ते समाणे अभितरट्ठाणिज्जे पुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-गच्छह गां तुम्मे देवाणुप्पिया ! कलादस्स मूसियार-दारयस्स धूयं भदाए अत्तयं पोट्टिलं दारियं मम भारियत्ताए वरेह 6 / तते गां ते अभंतरट्टाणिज्जा पुरिसा तेतलिणा एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठ जाव हियया करयल जाव कट्टु तहत्ति पडिसुगांति 2 जेणेव कलायस्स मूसियारदारयस्स गिहे तेणेव आगया, तते गां से. कलाए मूसियारदारते पुरिसे एजमाणे पासति 2 हट्टतु? श्रासणायो अभु Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 14 ] [ 167 तुति 2 सत्तट्ठपदाति अणुगच्छति 2 श्रासणेणां उवणिमंतेति 2 अासत्थे वीसत्थे सुहासणवरगए एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमणपयोयगां ?, तते णं ते अभितरट्ठाणिजा पुरिसा कलायमूसियारदारयं एवं वयासी-अम्हे गां देवाणुप्पिया ! तव धूयं भदाए अत्तयं पोट्टिलं दारियं तेयलिपुत्तस्स भारियत्ताए वरेमो, तं जति णं जाणसि देवाणुप्पिया ! जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिज्जं वा सरिसो वा संजोगो ता दिजउ णं पोट्टिला दारिया तेयलिपुत्तस्स, ता भण देवाणुपिया ! किं दलामो सुक्कं ?,7 / तते णं कलाए मूसियारदारए ते अभितरटाणिज्जे पुरिसे एवं वदासीएस चेव णं देवाणुप्पिया ! मम सुके जन्नं तेतलिपुत्ते मम दारियानिमित्तेगां अणुग्गहं करेति, ते ठाणिज्जे पुरिसे विपुलेगां असण-पाण-खाइम-साइमेगां पुष्फवस्थ-गंध-मल्लालंकारेणं सकारेइ सम्माणेइ 2 पडिविसज्जेइ, तए णं कलायस्सवि मूसियारदारयस्त गिहायो पडिनिक्खमइ 2 जेणेव तेयलिपुत्ते अमच्चे तेणेव उवागच्छंति 2 तेयलिपुत्तं श्रमच्चं एयम निवेयंति 8 / तते णं कलादे मूसियदारए अन्नया कयाई सोहणंसि तिहि-नक्खत्त-मुहुत्तसि पोट्टिलं दारियं राहायं सवालंकारभूसियं सीयं दुरूहेइ 2 ता मित्तणाइनियय-सजण-संबंधि-परिजणस्स सद्धिं संपरिबुडे सातों गिहातो पडिनिवखमति 2 सबिड्डीए तेयलीपुरं मझमज्झेगां जेणेव तेतलिस्स गिहे तेणेव उवागच्छति 2 पोट्टिलं दारियं तेतलिपुत्तस्स सयमेव भारियत्ताए दलयति 8 / तते णं तेतलिपुत्ते पोट्टिलं दारियं भारियत्ताए उवणीयं पासति 2 पोट्टिलाए सद्धिं पट्टयं दुरूहति 2 सेतापीतएहिं कलसेहिं अप्पाणं मज्जावेति 2 अग्गिहोमं करेति 2 पाणिग्गहणं करेति 2 पोट्टिलाए भारियाए मित्तणाति जाव परिजणं विपुलेणं असण-पाण-खातिम-सातिमेणं पुप्फ-वत्थगंधमल्लालंकारेणं जाव पडिविसज्जेति 1 / तते णं से तेतलिपुत्ते पोट्टिलाए भारियाए अणुरते अविरत्ते उरालाइं जाव विहरति 10 // सूत्रं 102 // Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 168 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः तते णं से कणगरहे राया रज्जे य र? य बले य वाहणे य कोसे य कोट्ठागारेय अंतेउरे य मुच्छिते 4 जाते 2 पुत्ते वियंगेति, अप्पेगइयाणं हत्थंगुलियायो छिदति अप्पेगइयाणं हत्थंगुट्ठए विंदति एवं पायंगुलियायो पायंगुट्टएवि कन्नसक्कुलीएवि नासापुडाई फालेति अंगमंगाति वियंगेति १।तते णं तीसे पउमावतीए देवीए अन्नया पुवरत्तावरत्तकाल-समयंसि अयमेयारूवे अभत्थिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था एवं खलु कणगरहे राया रज्जे य जाव पुत्ते वियंगेति जाव अंगमंगाई वियंगेति, तं जति अहं दारयं पयायामि सेयं खलु ममं तं दारगं कणगरहस्स रहस्सियं चेव सारक्खमाणीए संगोवेमाणीए विहरित्तएत्तिकटु एवं संपेहेति 2 तेपलिपुत्तं अमच्चं सदावेति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! कणगरहे राया रज्जे य जाव वियंगेति तं जति णं ग्रहं देवाणुपिया ! दारगं पयायामि तते णं तुमं कणगरहस्स रहस्तियं चेव अणुपुब्वेणं सारक्खमाणे संगोवेमाणे संवड्डेहि, तते णं से दारए उम्मुक्कबालभावे जोवणगमणुप्पत्ते तब य मम य भिक्खाभायणे भविस्सति, तते णं से तेयलिपुत्ते पउमावतीए एयमट्ठ पडिसुणेति 2 पडिगए 2 / तते णं पउमावती य दवी पोट्टिला य अमची सयमेव गभं गेराहति सयमेव परिवहति, तते णं सा पउमावती नवग्रहं मासागां जाव पियदंसणं सुरूवं दारगं पयाया, जं रयणिं च णं पउमावती दारयं पयाया तं रयणिं च णं पोट्टिलावि अमची नवगहं मासाणं विणिहायमावन्नं दारियं पयाया 3 / तते णं सा पउमावती देवी अम्मधाई सदावेति 2 एवं वयासी-गच्छाहि णं तुमे अम्मो ! तेयलिगिहे तेयलिपुत्तं रहस्सिययं चेव सदावेहि, तते णं सा अम्मधाई तहत्ति पडिसुणेति 2 अंतेउरस्स: अवदारेणं निग्गच्छति 2 जेणेव तेयलिस्स गिहे जेणेव तेयलिपुत्ते तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पउमावती देवी सदावेति 4 / तते णं तेयलिपुत्ते अम्मधातीए अंतिए Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-स्त्रम् :: अध्ययनं 14 ] [ 16: एयम? सोचा हट्ट 2 अम्मधातीए सद्धिं सातो गिहायो णिग्गच्छति 2 अंतेउरस्स अवदारेणं रहस्तियं चेव अणुपविसति 2 जेणेव पउमावती तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! जं मए कायबं ?, तते णं पउमावती तेयलीपुत्तं एवं वयासी-एवं खलु कणगरहे राया जाव वियंगेति अहं च णं देवाणुप्पिया ! दारगं पयाया तं तुमं णं देवाणुप्पिया ! तं दारगं गेराहाहि जाव तव मम य भिक्खाभायणे भविस्सतित्तिकट्टु तेयलिपुत्तं दलयति 5 / तते णं तेयलिपुत्ते पउमावतीए हत्यातो दारगं गेण्हति उत्तरिज्जेणं पिहेति 2 अंतेउरस्स रहस्सियं चेव अवदारेणं निग्गच्छति 2 जेणेव सए गिहे जेणेव पोट्टिला भारिया तेणेव उवागच्छति 2 पोट्टिलं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! कणगरहे राया रज्जे य जाव वियंगेति अयं च णं दारए कणगर हस्स पुत्ते पउमावईए अत्तए तेणां तुमं देवाणुप्पिया ! इमं दारगं कणगरहस्स रहस्सियं चेव अणुपुव्वेणं सारक्खाहि य संगोवेहि य संवड्ढ हि य, तते सां एस दारए उम्मुक्कबालभावे तव य मम य पउमावतीए य श्राहारे भविस्सतित्तिकट्टु पोट्टिलाए पासे णिक्खिवति पोट्टिलायो पासायो तं विणिहायमावन्नियं दारियं गेराहति 2 उत्तरिज्जेणां पिहेति 2 अंतेउरस्स अवदारेणां अणुपविमति 2 जेणेव पउमावती देवी तेणेव उवागच्छति 2 पउमावतीए देवीए पासे गवेति 2 जाव पडिनिग्गते 6 / तते गां तीसे पउमावतीए अंगपडियारियायो पउमावई देवि विणिहायमावन्नियं च दारियं पयायं पासंति 2 ता जेणेव कणगरहे राया तेणेव उवागच्छति 2 त्ता करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु सामी ! पउमावती देवी मइल्लियं दारियं पयाया, तते णं कणगरहे राया तीसे मइल्लियाए दारियाए नीहरणं करेति, बहूणि लोइयाइं मयकिच्चाई करेति, कालेणं विगयसोए जाते 7 / तते णं से तेतलिपुत्ते कल्ले कोडांबियपुरिसे सद्दावेति 2 एवं वयासी-खिप्पामेव Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 170 j / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः चारगसोहणं जाव ठितिपडियं जम्हा णं अहं एस दारए कणगरहस्स रज्जे जाए तं होउ णं दारए नामेणं कणगझए जाव भोगसमत्थे जाते 8 / // सूत्रं 103 / / तते णं सा पोट्टिला अन्नया कयाई तेतलिपुत्तस्स अणिट्ठा 5 जाया यावि होत्था शेच्छइ य तेयलिपुत्ते पोट्टिलाए नामगोत्तमवि सवणयाए, किं पुण दरिसणं वा परिभोगं वा ?, तते णं तीसे पोट्टिलाए अन्नया कयाई पुञ्चरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे 5 जाव समुप्पजित्था-एवं खलु अहं तेतलिस्स पुब्बिं इट्ठा 5 अासि इयाणिं अणिट्ठा 5 जाया, नेच्छइ य तेयलिपुत्ते मम नामं जाव परिभोगं वा श्रोहयमणसंकप्पा जाव झियायति 1 / तए णं तेतलिपुत्ते पोट्टिलं श्रोहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासति 2 एवं वयासी-माणं तुमं देवाणुप्पिया ! श्रोहयमणसंकप्पा जाव झियाहह, तुमं णं मम महाणसंसि विपुलं असणं 4 उवक्खडावेहि 2 बहूणं समणमाहण जाव वणीमगाणं देयमाणी य दवावेमाणी य विहराहि 2 / तते णं सा पोट्टिला तेयलिपुत्तेणं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्टा जाव तेयलिपुत्तस्स एयमट्ठ पडिसुणेति 2 कल्लाकल्लिं महाणसंसि विपुलं असणं 4 जाव दवावेमाणी विहरति 3 // सूत्रं 104 // तेणं कालेणं 2 सुव्वयायो नाम अजायो ईरियासमितायो जावं गुत्तवंभयारिणीयो बहुस्सुयायो बहुपरिवारायो पुवाणुपुब्बिं जेणामेव तेयलिपुरे नयरे तेणेव उवागच्छति 2 ग्रहापडिरूवं उग्गहं उग्गिराहंति 2 संजमेण तवसा अप्पाणं भावमाणीयो विहरंति, तते णं तासि सुव्वयाणं अजाणं एगे संघाडए पढमाए पोरसीए सज्झायं करेति जाव अडमाणीयो तेतलिस्स गिहं अणुपविट्ठायो 1 / तते णं सा पोट्टिला तायो अजायो एजमाणीयो, पासति 2 हट्टतुट्टा जाव भासणायो अब्भुट्ठति 2 वंदति / नमंसति 2 विपुलं असणं 4 पडिलाभेति 2 एवं क्यासी-एवं ख़लु अहं अजायो ! तेयलिपुत्तस्स. पवि इट्ठा 5 अासी इयाणिं अणिट्ठा 5 जाव Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् // अध्ययनं 14 ] [ 11 दंसणं वा परिभोगं वा, तं तुब्भे णं अजातो सिक्खियायो बहुनायायो बहुपढियायो बहूणि गामागर जाव अाहिंडह बहूणं राईसर जाव गिहाति गिहाति श्रणुपविसह तं अस्थि याई भे अजायो ! केइ कहंचि चुन्नजोए वा मंतजोगे वा कम्मणजोए वा हियउड्डावणे वा काउड्डावणे वा भाभियोगिए वा वसीकरणे वा कोउयकम्मे वा भूइकम्मे वा मूले कंदे छल्ली वल्ली मिलिया वा गुलिया वा श्रोसहे वा भेसज्जे वा उवलद्धपुव्वे जेणाहं तेयलिपुत्तस्स पुणरवि इट्टा 5 भवेजामि ?, 2 / तते णं तायो अजायो पोट्टिलाए एवं वुत्तायो समाणीयो दोवि कन्ने ठाइंति 2 पोट्टिलं एवं वदासी-अम्हे णं देवाणुप्पिया ! समणीयो निग्गंथीयो जाव गुत्तबंभचारिणीयो नो खलु कप्पइ अम्हे एयप्पयारं कन्नेहिवि णिसामेत्तए, किमंग पुण उवदिसित्तए वा श्रायरित्तए वा ?, अम्हे णं तव देवाणुप्पिया ! विचित्तं केवलिपन्नत्तं धम्म पडिकहिजामो 3 / तते णं सा पोट्टिला तायो अजायो एवं वयासी-इच्छामि णं अजायो ! तुम्हं अंतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं निसामित्तए, तते णं तायो अजायो पोट्टिलाए विचित्तं धम्म परिकहेंति, तते णं सा पोट्टिला धम्मं सोचा निसम्म हट्ट जाव एवं वयासी-सदहामि णं अजायो ! निग्गंथं पावयणां जाव से जहेयं तुब्भे वयह, इच्छामि णं अहं तुभं अंतिए पंचाणुव्वयाइं जाव धम्म पडिवजित्तए, ग्रहासुहं 4 / तए णं सा पोट्टिला तासिं अजाणं अंतिए पंचागुव्वइयं जाव धम्म पडिवजइ, तायो अजायो वंदति नमंसति 2 पडिविसज्जेति, तए णं सा पोट्टिला समणोवासिया जाया जाव पडिलामेमाणी विहरइ 5 // सूत्रं 105 // तते णं तीसे पोट्टिलाए अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि कुडुब-जागरियं जागरभाणाए अयमेयारूवे अब्भत्थिते पत्थिते मणोगते संकप्पे समुप्पजित्था एवं खलु अहं तेतलिपुत्तस्स पुड्विं इट्ठा 5 श्रासि इयाणिं अणिट्ठा 5 जाव परिभोगं वा, तं सेयं खलु मम सुव्वयाणं अजाणं Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 172 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विभागा यंतिए पश्यतित्तए, एवं संपेहेति 2 कल्ले पाउप्पभायाए जेोष सेतलिपुत्ते तेणेव उवागच्छति 2 करयलपरिगहियं जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुपिया ! मए सुब्धयाण अजाण अंतिए धम्मे गिसते जाव अभणुमाया पव्वइत्तए 1 / तते ण तेपलिपुत्ते पोटिल एवं पयासी-एवं खलु तुम देवाणुप्पिए ! मुंडा(मुडे) पत्यश्या समाणी कालमासे कालं किया भगतरेसु देवलोएसु देवताए उववजिहिसि, तं जति णं तुम देवाणुप्पिया ! मर्म तायो देवलोयायो थागम्म केवलिपनते धम्मे घोहिहि तोऽई विसज्जेमि, ग्रहण तुम ममं गा संबोहेसि तो ते ण विसज्जेमि, तते कसा पोट्टिला सेयलि· पुत्तस्स एयमट्ठ पडिसुगोति 2 / तते णं तेयलिपुत्ते विपुले यस 4 उपक्खडावेति 2 मिसणाति जाव यामतेइ 2 जाय सम्माणेइ 2 पोट्टिन राहायं जाव पुरिससहस्स-वाहणीय सिनं दुहिता मिलणाति जाय परिबुडे सविडिए जाव रवेणं तेतलीपुरस्स मज्झमज्झेणं जेगोय सुब्धयाण उपस्सए तेणेव उवागच्छति 2 सीयायो पचोरुहति 2 पोहिल पुरतो कट्टु जेणेब सुब्बया थजा तेणेव उबागच्छति 2 वदति नमति 2 एवं बयासी-पर्व खलु देवाणुप्पिया ! मम पोहिला भारिया इट्टा 5 एस संसारभउधिग्गा जाव पव्वतित्तए पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सिस्सिणिभिक्खं दलयामि, यहासुहं मा पडिबंध करेह 3 / तते ग सा पोट्टिला सुब्बयाहिं यजाहि एवं वुत्ता समाणा हट्ट जाव उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे अवकमा 2 सयमेव याभरण-मल्लालंकारं थोमुयति 2 सयमेव पंचमुहिय लोय करेइ 2 जेगोष सुव्वयायो अजायो तेणेव उवागमछा 2 बंदति नमसति 2 एवं वयासीथालित्ते ग भंते ! लोए एवं जहा देवाणंदा जाप एकारस अंगाई बहूणि वासाणि सामनपरियागं पाउणइ 2 मासियाए सलेहणार प्रसाणं मोसेता सद्धि भत्ताई थणसणाए पालोइयपडिक्कते समाहिं पत्ता कालमासे काल किच्चा यत्रतरेलु देवलोएसु देवदनाए उसयमा 4 // सूत्र 106 // तते Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रहस्स रमो सम्बन्ने श्रीज्ञाताधर्मकाङ्ग-सूत्रम् / / अध्ययन 15 ] [1 // से कणगरहे राया अन्नया कयाई कालधम्मुणा संजुत्ते यायि होत्या, तते ण राईसर जाव गीहरगण फरैति 2 अनमन्न एवं बयासी एवं खस्तु देवाणुपिया ! कणगरहे राया रज्जे व जाव पुत्ते बियंगिस्था, अम्हे णे देवाणुप्पिया ! रायादीणा रायाहिटिया रायाहीणकजा अयं ष ण तेतली अमच्चे कणगरहस्स रनो सम्बट्टागोसु सयभूमियालु लद्धपचए दिनषियारे सम्बकजयट्टापए याषि होस्था, त सेयं खलु अन्ह तेतलिपुत्तं अमर्च कुमार जालिमपत्तिकट्टु अमममस्स पयम पडिसुयोंति 5 जेणेव तेयलिपुले अमचे लेगोर बागछति 2 तेयलिपुतं एवं क्यासी-एवं खलु देवाणपिया ! कणगरहे राया रज्जे प र? य जाब पियंगेह, अम्हे प णं देवाणुपिया ! रायाहीणा जाब रायाहीणकाजा, तुम पण देवाणुप्पिया ! कणगरहस्स रमो सम्बहाणेसु जाव रजधुराबितए, ते जाणं देवाणुपिया ! अस्थि का पुमारे रायलकखणसंपन्ने अभिसेयारिहे तगणं तुम अम्ह दलाहि, जाणं अम्हे महया 2 रायाभिसेपण अभिसिंघामो / तए ण तेतलिपुत्ते तेसि ईसर० पतग पडिसुणेति 2 कणगझय कुमार गहाये जाप सस्सिरीयं करेह 2 ता सेसि ईसर जाब उपयोति 2 एवं पयासी-एस णं देवाणुपिया ! कणगरहस्त रन्नो पुसे पउमावतीए देषीए अत्तए कणगभए नाम कुमारे अभिसेयारिहे रायलक्षणसंपन्ने मए कणगरहस्स रनो रहसिययं संघडिए, एये गा सुभे महया 2 सयाभिसेपणं अभिसिंबह, सब तेसि उटागा परियावणिय परिकहेड्स 2 / तते णं तेईसर० कणगज्भय कुमार महया 2 अभिसिंचति / / तते ण से कणगज्झए कुमारे राया जाए महया हिमयतमलयः पराणयो जाय रज्ज पसासेमाणे विहरद / तते ण सा पउमावती देवी कणगज्झाय राय सदाति 2 पर्ष पयासी-एस ण पुत्ता ! तब रज्जे जाव घेतेउरे य जाय तुमच तेतलिपुत्तस्स अमवस्त पहायेणे, ते तुम णं तेतलिपुतं श्रमच्छ भाताहि परिजाणाहि सकारेहि अभिसेयारिहानप यां तेतलिपुत्ते Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 104 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः सम्माणेहि इंतं अब्भुट्टोहि ठियं पज्जुवासाहि वच्चंतं पडिसंसाहेहि श्रद्धासणेणं उवणिमंतेहि भोगं च से अणुवड्डेहि 5 / तते णं से कणगझए पउमावतीए तहत्ति पडिसुणेति जाव भोगं च से वड्ढति 6 // सूत्रं 107 // तते णं से पोट्टिले देवे तेतलिपुत्तं अभिक्खयां 2 केवलिपन्नत्ते धम्मे संबोहेति, नो चेव णं से तेतलिपुत्ते संबुज्झति, तते णं तस्स पोट्टिलदेवस्स इमेयारूवे श्रभत्थिते ५-एवं खलु कणगज्झए राया तेयलिपुत्तं श्रादाति जाव भोगं च संवड्ोति तते णं से तेतली अभिक्खणां 2 संबोहिजमाणेवि धम्मे नो संबुज्झति, तं सेयं खलु कणगझयं तेतलिपुत्तातो विप्परिणामेत्तएत्तिकटु एवं संपेहेति 2 ता कणगझयं तेतलिपुत्तातो विप्परिणामेइ 1 / तते णं तेतलिपुत्ते कल्लं राहाते जाव पायच्छित्ते ग्रासखंधवरगए बहूहिं पुरिसेहिं सद्धिं संपरिवुडे सातो गिहातो निग्गच्छति 2 जेणेव कणगझए राया तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तते णं तेतलिपुत्तं अमच्चं जे जहा बहवे राईसरतलवर जाव पभियत्रो पांसंति ते तहव थाढायंति परिजाणंति अब्भुटुंति 2 अंजलिपरिग्गहं करेंति इटाहिं कंताहिं जाव वग्गूहिं पालवेमाणा य संलवेमाणा य पुरतो यं पिट्टतो य पासतो य मग्गतो य समणुगच्छंति, तते णं से तेतलिपुत्ते जेणेव कणगझए तेणेव उवागच्छति, तते णं कणगझए तेतलिपुत्तं एजमाणं पासति 2 नो श्राढाति नो परियाणाति नो अब्भुट्ठति अणाढायमाणे 3 परम्मुहे संचिट्ठति, तते णं तेतलिपुत्ते कणगझयस्स रन्नो अंजलिं करेइ 2 / तते णं से कणगज्झए राया अणाढायमाणे तुसिणीए परम्मुहे संचिट्ठति, तते णं तेतलिपुत्ते कणगझयं विप्परिणयं जाणित्ता भीते जाव संजातभए एवं वयासी-रु? णं ममं कणगज्मए राया, हीणे णं मम कणगज्झए राया, अवज्झाए (दुज्झाए) णं कणगज्झए, तं ण नजइ णं मम केणइ कुमारेण मारेहितित्तिकटु भीते तत्थे य जाव सणियं 2 पचोसक्केति 2 Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 14 ] [ 175 तमेव पासखंधं दुरूहेति 2 तेतलिपुर मझमझेणं जेणेव सए गिहे तेणेव पहारेत्थ गमणोए 3 / तते णं तेयलिपुत्तं जे जहा ईसर जाव पासंति ते तहा नो अाढायंति नो परियाणांति नो अब्भुट्ठति नो अंजलि-परिग्गहं करेंति इट्टाहि जाव णो संलवंति नो पुरयो य पिट्ठों य पासपो य ( मग्गतो य ) समणुगच्छति / तते गां तेतलिपुत्ते जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति, जावि य से तत्थ बाहिरिया परिसा भवति, तंजहादासेति वा पेसेति वा भाइलएति वा सावि य गां नो पाढाई 2, जाविय से अभितरियां परिसा भवति, तंजहा-पियाइ वा माताति वा जाव सुराहाति वा साविय गां वा नो अाढाइ 3, 5 / तते गां से तेतलिपुत्ते जेणेव वासघरे जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छति 2 सयणिज्जसि णिसीयति 2 एवं वयासी-एवं खलु अहं सयातो गिहातो निग्गच्छामि तं चेव जाव अभितरिया परिसा नो पाढाति नो परियाणाति नो अब्भुट्टोति, तं सेयं खलु मम अप्पाणां जीवियातो ववरोवित्तएत्तिकटु एवं संपेहेति 2 तालउडं विसं श्रासगंसि पक्खिवति से य विसे णो संकमति, तते गां से तेतलिपुत्ते नीलुप्पल जाव असिं खंधे शोहरति, तत्थवि य से धारा श्रोप(इ)ल्ला 6 / तते गां से तेतलिपुत्ते जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छति 2 पासगं गीवाए बंधति 2 रुक्खं दुरूहति 2 पासं रुक्खे बंधति 2 अप्पाणं मुयति तत्थवि य से रज्जू छिन्ना, तते गां से तेतलिपुत्ते महतिमहालयं सिलं गीवाए बंधति 2 अस्थाहमतारमपोरिसियंसि उदगंसि अप्पाणां मुर्यात, तत्थवि से थाहे जाते, तते गां से तेतलिपुत्ते सुक्कंसि तणकूडंसि अगणिकायं पक्खिवति 2 अप्पाणां मुयति तत्थवि य से अगणिकाए विज्झाए, तते गां से तेतली एवं वयासीसद्धेयं खलु भो समणा वयंति सद्धेयं खलु भो माहणा वयंति सद्धेयं खलु भो समणा माहणा वयति, अहं एगो असद्धेयं वयामि एवं Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 176 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभागः खलु अहं सह पुत्तेहिं अपुत्ते को मेऽदं सदहिस्सति ? सह मित्तेहिं अमित्ते को मेऽदं सदहिस्सति ? एवं अत्थेणां दारेगां दासेहिं परिजणेगां / एवं खलु तेयलिपुत्ते गां अ. कणगज्जएगां रना अवज्झाएगां समाणेगां तेयलिपुत्ते तालपुडगे विसे यासगंसि पक्खित्ते सेविय णो कमति को मेयं सदहिस्सति ?, तेतलिपुत्ते नीलुप्पल जाव खंधंसि श्रोहरिए तत्थविय से धारा श्रोपल्ला को मेदं सदहिस्सति ?, तेतलिपुत्तस्स पासगं गीवाए वंधेत्ता जाव रज्जू छिन्ना को मेदं सदहिस्सति ?, तेतलिपुत्ते महासिलयं जाव बंधित्ता प्रस्थाह जाव उदगंसि अप्पा मुक्के तत्थविय णं थाहे जाए को मेयं सदहिस्सति ?, तेतलिपुत्ते सुक्कंसि तणकूडे अग्गी विज्झाए को मेदं सदहिस्सति ?, श्रोहतमणसंकप्पे जाव झियाइ 8 / तते णं से पोट्टिले देवे पोट्टिलारूवं विउव्वति 2 तेतलिपुत्तस्स अदूरसामंते ठिचा एवं वयासी-हं भो ! तेतलिपुत्ता ! पुरतो पवाए पिट्टनो हत्थिभयं दुहयो अचक्खुफासे मज्झे सराणि वरिसयंतिगामे,पलिते रन्ने झियाति रन्ने पलिते गामे झियाति, पाउसो ! तेतलिपुत्ता ! कयो वयामो ?, तते गां से तेतलिपुत्ते पोट्टिलं एवं वयासी-भीयस्स खलु भो ! पवजा सरगां उक्कंट्टियस्स सद्दे सगमणां छुहियस्स श्रन्नं तिसियस्स पाणां अाउरस्स भेसज्जं माइयस्स रहस्सं अभिजुतस्स पच्चयकरणां श्रद्धाणपरिसंतस्स वाहणगमगां तरिउकामस्स पवहां किच्चं परं अभियोजितुकामस्स सहायकिच्चं खंतस्स दंतस्स जितिंदियस्स एत्तो एगमवि ण भवति 1 / तते गां से पोट्टिले देवे तेयलिपुत्तं अमच्चं एवं वयासी-सुट्ठ 2 गां तुमं तेतलिपुत्ता ! एयमट्ठ पायाणिहित्तिकटु दोच्चंपि तच्चपि एवं वयइ 2 जामेव दिसिं पाउठभूए तामेव दिसिं पडिगए 10 // सूत्रं 108 // तते गां तस्स तेयलिपुत्तस्स सुभेणां परिणामेणां जाइसरणे समुप्पन्ने, तते गां तस्स तेयलिपुत्तस्स अयमेयारूवे अब्भत्थिते 5 समुष्पजिज्जा-एवं खलु अहं इहेव जंबुद्दीवे 2 महाविदेहे वासे पोवखलावतीविजये Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 14 ] [177 पोंडरीगिणीते रायहाणीए महापउमे नाम राया होत्था, तते | अहं थेराणां अंतिए मुडे भवित्ता जाव चोइस पुव्वाति अहिजित्ता बहूणि वासाणि सामन्नपरियाए पालयित्ता मासियाए संलेहणाए महासुक्के कप्पे देवे, तते गां अहं तायो देवलोयायो बाउक्खएगां इहेव तेयलिपुरे तेयलिस्स अमञ्चस्स भदाए भारियाए दारगत्ताए पञ्चायाते, तं सेयं खलु मम पुदिट्ठाई महव्वयाई सयमेव उवसंपजित्ताणां विहरित्तए 1 / एवं संपेहेति 2 सयमेव महव्वयाई थारुहेति 2 जेणेव पमयवणे उजाणे तेणेव उवागच्छति 2 असोग-वरपायवस्स अहे पुढवि-सिला-पट्टयंसि सुहनिसन्नस्स अणुचिंतेमाणस्स पुव्वाहीयाति सामाइय-मातियाइं चोदसपुव्वाइं सयमेव अभिसमन्नागयाइं 2 / तते गां तस्स तेयलिपुत्तस्स अणगारस्स सुभेगां परिणामेणां जाव तयावरणिजाणां कम्मागां खयोवसमेगां कम्मरय-विकरणकरं अपुव्वकरणां पविट्ठस्स केवलवरणाणदसणे समुप्पन्ने 3 // सूत्रं 101 // तए गां तेतलिपुरे नगरे ग्रहासनिहिएहि वाणमंतरेहिं देवेहिं देवीहि य देवदुदुभीयो समाहयायो दसद्धवन्ने कुसुमे निवाइए, दिव्वे गोयगंधव्वनिवाए कए यावि होत्था 1 / तते गां से कणगझए राया इमीसे कहाए लट्ठ एवं वयासी-एवं खलु तेतलिं मए अवज्झाते मुंडे भवित्ता पव्वतिते तं गच्छामि गां तेयलिपुत्तं अणगारं वंदामि नमसामि 2 एयमट्ट विणएणां भुजो 2 खामेमि, एवं संपेहेति 2 राहाए चाउरंगिणीए सेणाए जेणेव पमयवणे उजाणे जेणेव तेतलिपुत्ते श्रणगारे तेणेव उवागच्छति 2 तेतलिपुत्तं अणगारं वंदति नमसति 2 एयमच विणएगां भुजो 2 खामेइ नचासन्ने जाव पज्जुवासइ 2 / तते गां से तेयलिपुत्ते अणगारे कणगज्मयस्स रन्नो तीसे य महइ० धम्म परिकहेइ, तते गां से कणंगज्झए राया तेतलिपुत्तस्स केवलिस्स अंतिए धम्म सोचा णिसम्म पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं सावगधम्म पडिवजइ 2 समणोवासए जाते जाव अहिगय-जीवाजीवे 3 / तते णं तेतलिपुत्ते केवली 23 Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 178 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभाग बहूणि वासाणि केवलिपरियागं पाउणित्ता जाव सिद्धे / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं चोदसमस्स नायज्मयणस्स अयमढे पन्नत्तेत्तिबेमि 4 // सूत्रं 110 // उदसमं यज्झयणं समत्तं // // इनि चतुर्दशमध्ययनम् // 14 // // 15 // अथ श्रीनन्दिफलाख्यं पञ्चदशमध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं चोदसमस्स नायज्झयणस्स अयम? पराणत्ते, पनरसमस णं भंते ! नायज्झयणस्स समणेणं जावं संपत्तेगां के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबु ! तेगां कालेगां 2 चंपा नाम नयरी होत्था, पुन्नभद्दे चेइए जियसत्तू राया, तत्थ गां चंपाए नयरीए धरणे णामं सत्थवाहे होत्था अड्डे जाव अपरिभूए, तीसे गां चंपाए नयरीए उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए अहिच्छत्ता नाम नयरी होत्था, रिद्धस्थिमियसमिद्धा वन्नयो 1 / तत्थ गो अहिच्छत्ताए नयरीए कणगकेउ नाम राया होत्था, महया वनयो 2 / तस्स धराणस्स सत्थवाहस्स अन्नदा कदाइ पुन्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि इमेयारूवे अभत्थिते चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था-सेयं खलु मम विपुलं पणियभंडमायाएं अहिच्छत्तं नगरं वाणिजाए गमित्तए, एवं संपेहेति 2 गणिमं च 4 चउन्विहं भंड गेराहइ 2 सगडीसागडं सज्जेइ 2 सगडीसागडं भरेति 2 कोडबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-गच्छह गां तुम्भे देवाणुप्पिया ! चंपाए नगरीए सिंघाडग जाव पहेसु एवं खलु देवाणुप्पिया ! धराणे सत्थवाहे विपुले पणियभंडयाए इच्छति अहिच्छत्तं नगरं वाणिजाए गमित्तते, तं जो गां देवाणुप्पिया ! चरए वा चीरिए वा चम्मखंडिए वा भिच्छुडे वा पंडुरगे वा गोतमे वा गोवतीते वा गिहिधम्मे वा गिहिधम्मचिंतए वा अविरुद्धविरुद्ध-बुद्ध-सावग-रतपडनिगंथप्पभिति-पासंबस्थे वा गिहत्थे वा तस्स यां Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 15 ] [ 179 धराणेगां सद्धिं अहिच्छत्तं नगरिं गच्छइ तस्स णं धराणे अच्छत्तगस्स छत्तगं दलाइ अणुवाहणस्स उवाहणाउ दलयइ अॉडियस्स कुंडियं दलयइ अपत्थयणस्स पत्थयणं दलयइ अपक्खेवगस्स पक्खेवं दलयइ अंतराऽविय से पडियस्स वा भग्गरु(लु)ग्गरस साहेज्जं दलयति सुहंसुहेण य णं अहि. च्छत्तं संपावेतित्तिकटटु दोच्चंपि तच्चपि घोसेह 2 मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह 3 / तते णं ते कोडुबियपुरिसा जाव एवं वयासी-हंदि सुणंतु भगवंतो चंपानगरीवत्थव्वा बहवे चरगा य जाव पञ्चप्पिणंति 4 / तते णं से कोडविय-घोसणं सुच्चा चंपाए णयरीए बहवे चरगा य जाव गिहत्था य जेणेव धरणे सस्थवाहे तेणेव उवागच्छंति तते णं धरणे तेसिं चरगाण य जाव गिहत्याण य अच्छत्तगस्स छत्तं दलयइ जाव पत्थयणं दलाति, गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! चंपाए नयरीए बहिया अग्गुजाणंसि मर्म पडिवालेमाणा चिट्ठह 5 / तते णं चरगा य जाव गिहत्थाय धराणेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा जाव चिट्ठति, तते णं धराणे सत्थवाहे सोहणंसि तिहिकरणनक्खत्तंसि विपुलं असणं 4 उवक्खडावेइ 2 ता मित्तनाई अामंतेति 2 भोयणं भोयावेति 2 श्रापुच्छति 2 सगडीसागडं जोयावेति 2 चंपानगरीयो निग्गच्छति णाइविप्पगिद्धेहिं श्रद्धाणेहिं वसमाणे 2 सुहेहिं वसहिपायरासेहिं अंगं जणवयं. मझमज्झेणं जेणेव देसग्गं तेणेव उवागच्छति 2 सगडीसागडं मोयावेति 2 सत्थणिवेसं करेति 2 कोडुबियपुरिसे सदावेति 3 एवं क्यासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! मम सत्थनिवेसंसि महया 2 सद्दणं उग्घोसेमाणा 2 एवं वदह-एवं खलु सत्यानास की देवाणुप्पिया ! इमीसे अागामियाए छिनावायाए दीहमद्धाए अडवीए ,बहुमज्झदेसभाए बहवे णंदिफला नामं रुक्खा पन्नत्ता किराहा जाव पत्तिया . पुफिया फलिया हरियरेरिजमाणा सिरीए अईव अतीव उवसोभेमाणा चिट्ठति मणुराणा वन्नेणं 4 जाव मणुना फासेणं मणुना छायाए, तं जो Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 180 [ 'श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः णं देवाणुप्पिया ! तेसिं नंदिफलाणं रुक्खाणं मूलाणि वा कंदाणि वा तयाणि वा पत्ताणि वा पुप्फाणि वा फलाणि वा बीयाणि वा हरियाणि वा थाहारेति छायाए वा वीसमति तस्स णं आवाए भदए भवति ततो पच्छा परिणममाणा 2 अकाले चेव जीवियातो ववरोति, तं मा णं देवाणुप्पिया ! केइ तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि वा जाव छायाए वा वीसमउ, मा णं सेवि अकाले चेव जीवियातो ववरोविजिस्सति, तुब्भे णं देवाणुप्पिया! . अन्नेसि रुक्खाणं मूलाणि य जाव हरियाणि य श्राहारेथ छायासु वीसमहत्ति घोसणं घोसेह जाव पचप्पिणंति 6 / तते णं धरणे सत्थवाहे सगंडीसागडं जोएति 2 जेणेव नंदिफला रुक्खा तेणेव उवागच्छति 2 तेसिं नंदिफलाणं अदूरसामंते सत्थणिवेसं करेति 2 दोच्चपि तच्चपि कोडबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-तुम्भे णं देवाणुप्पिया ! मम सत्थनिवेसंसि महता सद्देणं उग्घोसेमाणा 2 एवं वयह-एए णं देयाणुप्पिया ! ते णंदिफला किराहा जाव मणुना छायाए तं जो णं देवाणुप्पिया! एएसिं णंदिफलाणं रुक्खाणां मूलाणि वा कंदाणि वा पुप्फाणि वा तयाणि वा पत्ताणि वा फलाणि वा जाव अकाले चेव जीवियायो ववरोति, तं मा णं तुम्भे जाव दूरंदूरेणां परिहरमाणा वीसमह, मा णां अकाले जीवितातों ववरोविस्संति, अन्नेसिं रुक्खाणां मूलाणि य जाव वीसमहत्तिकटु घोसणां पचप्पिणांति 7 / तत्थ सां अत्थेगइया पुरिसा धरणस्स सत्थवाहस्स एयम8 सदहति जाव रोयंति एयमटुं सद्दहमाणा तेसि नंदिफलाणां दूरंदूरेण परिहरमाणा 2 अन्नेसिं रुक्खाणां मूलाणि य जाव वीसमंति, तेसि गां श्रावाए नो भद्दए भवति, ततो पच्छा परिणममाणा 2 सुहरूवत्ताए 5 भुजो 2 परिणमंति, एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा 2 जाव पंचसु कामगुणेसु नो सज्जेति नो रज्जेति० से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं 4 अञ्चणिज्जे० परलोए नो श्रागच्छति जाव वीतीवतिस्सति, तत्थ णं जे से अप्पेगतिया Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 15 ] [181 पुरिसा धरणस्स एयमट्ठनो सद्दहति 3 धराणस्स एतमट्ठ असदहमाणा 3 जेणेव ते नंदिफला तेणेव उवागच्छंति 2 तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि य जाव वीसमंति तेसि णं यावाए भद्दए भवति ततो पच्छा परिणममाणा जाव ववरोति 8 / एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा पव्वतिए पंचसु कामगुणेसु सज्जेति 3 जाव अणुपरियट्टिस्सति जहा व ते पुरिसा 1 / तते णं से धरणे सगडीसागडं जोयावेति 2 जेणेव अहिच्छत्ता नगरी तेणेव उवागच्छति 2 अहिच्छत्ताए णयरीए बहिया अग्गुजाणे सस्थनिवेसं करेति 2 सगडीसागडं मोयावेइ, तए णं से धराणे सस्थवाहे महत्थं 3 रायरिहं पाहुडं गेराहइ 2 बहुपुरिसेहिं सद्धिं संपरितुडे अहिच्छत्तं नयरं मझमझेणं अणुप्पविसइ जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छति, करयल जाव वद्धावेइ, तं महत्थं 3 पाहुडं उवणेइ 10 / तए णं से कणगऊ राया हट्टतुटे धरणस्स सस्थवाहस्स तं महत्थं 3 जाव पडिच्छइ 2 धरणं सत्थवाहं सकारेइ सम्माणेइ 2 उस्सुक्कं वियरति 2 पडिविसज्जेइ भंडविणिमयं करेइ 2 पडिभंडं गेहति 2 सुहंसुहेगां जेणेव चंपानयरी तेणेव उवागच्छति 2 मित्तनाति-नियगसजण-संबंधिपरिजणे अभिसमन्नागते विपुलाई माणुस्सगाई जाव विहरति 11 / तेणं कालेणं .2 थेरागमणं धरणे धम्मं सोचा जेट्टपुत्तं कुडुबे प्रवेत्ता पव्वइए एकारस सामाइयाति अंगातिं बहूणि वासाणि जाव मासियाए संलेहणाए अन्नतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववन्ने, महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं करेति 12 / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं पन्नरसमस्स नायज्झयणस्स श्रयम? पराणत्तेत्तिबेमि 13 // सूत्रं 111 // पन्नरसमं नायज्झयणं समत्तं॥ ॥इति पञ्चदशमध्ययनम् // 15 // Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 182] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः // 16 // अथ श्रीअपरकाख्यं षोडशमध्ययनम् / / - जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पनरसमस्स नायज्झयणस्स अयम? पन्नत्ते सोलसमस्स णं भंते ! मायझयणस्स णं समणेणं भगवया महावीरेण जाव संपत्तेणं के अट्ठ पराणत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 चंपा नाम नयरी होत्था, तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए सुभृमिभागे उजाणे होत्था, तत्थ णं चंपाए नयरीए तो माहणा भातरो परिवति, तंजहा-सोमे सोमदत्ते सोमभूती, अड्डा जाव रिउव्वेद 4 जाव सुपरिनिट्ठिया, तेसि णं माहणाणं तो भारियातो होत्था, तंनहा-नागसिरी भूयसिरी जक्खसिरी, सुकुमाल जाव तेसि णं माहणाणं इट्टायो विपुले माणुस्सए नाव विहरंति 1 / तते णं तेसिं माहणाणं अन्नया कयाई एगयनो समुवागयाणं जाव इमे. यारूवे मिहो कहासमुल्लावे समुप्पजित्था, एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमे विपुले धणे जाव सावतेज्जे अलाहि जाव अासत्तमायो कुलवंसायो पकामं दाउं पकामं भोत्नु पकामं परिभाएउं, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! अन्नमन्नस्स गिहेसु कल्लाकल्लिं विपुलं असणं 4 उवक्खडेउं 2 परिभुजमाणाणं विहरित्तए, अन्नमन्नस्स एयमट्ट पडिसुणेति, कल्लाकल्लिं अन्नमन्नस्स गिहेसु विपुणं असणं 4 उवक्खडावेंति 2 परिभुजमाणा विहरंति 2 / तते णं तीसे नागसिरीए माहणीए अन्नदा भोयणवारए जाते यावि होत्था, तते णं सा नागसिरी विपुलं असणं 4 उवक्खडेति 2 एगं महं सालतियं तित्तालाउग्रं बहुसंभारसंजुत्तं जेहावगाढं उवक्खडावेति, एगं बिंदुयं करयलंसि आसाएइ तं खारं कडुयं अक्खज्जं अभोज्जं विसब्भूयं जाणित्ता एवं वयासी-धिरत्थु णं मम नागसिरीए अहन्नाए अपुन्नाए दूभगाए दूभगसत्ताए दूभगणिंबोलियाए जीए णं मए सालइए बहुसंभारसंभिए नेहावगाढे उवक्खडिए सुबहुदव्वक्खएणं, नेहक्खए य Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 16 ] [ 183 कए, त जति णं ममं जाउयायो जाणिस्संति तो णं मम खिसिस्संति तं जाव ताव ममं जाउयायो ण जाणंति ताव मम सेयं एवं सालतियं तित्तालाउ बहुसंभारोहकयं एगते गोवेत्तए अन्नं सालइयं महुरालाउयं जाव नेहावगाढं उवक्खडेत्तए, एवं संपेहेति 2 तं सालतियं जाव गोवेइ, अन्नं सालतियं महुरालाउयं उवक्खडेड, तेसिं माहणाणं राहायाणं जाव सुहासणवरगयाणं तं विपुलं असणं 4 परिवेसेति 3 / तते णं ते माहणा जिमितभुत्तुत्तरागया समाणा श्रायंता चोक्खा परमसुइभ्या सकम्मसंपउत्ता जाया यावि होत्था, तते णं तायो माहणीयो राहायायो जाव विभूसियायो तं विपुलं असणं 4 श्राहारेंति 2 जेणेव सयाइं 2 गेहाई तेणेव उवागच्छंति 2 सककम्म-संपउत्तातो जायातो 4 // सूत्रं 112 // तेणं कालेणं 2 धम्मघोसा नाम थेरा जाव वहुपरिवारा जेणेव चंपा नाम नगरी जेणेव सुभूमिभागे उजाणे तेणेव उवागच्छति 2 श्रहापडिरुवं जाव विहरंति, परिमा निग्गया, धम्मो कहियो, परिसा पडिगया 1 / तए णं तेसिं धम्मघोसाणं थेरागां अंतेवासी धम्मरुई नाम श्रणगारे ओराले जाव तेउलेस्से मासं मासेगां खममाणे विहरति / तते णं से धम्मरई अणगारे मासखमा-पारणगंमि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ 2 बीयाए पोरिसीए एवं जहा गोयमसामी तहेव उग्गाहेति 2 तहेव धम्मघोसं थेरं श्रापुच्छइ जाव चंपाए नयरीए उच्चनीयमभिमकुलाई जाव अडमाणे जेणेव नागमिरीए माहणीए गिहे तेणेव अणुपविढे 3 / तते णं सा नागसिरी माहणी धम्मरई एजमाणां पासति 2 ता तस्स सालइयस्स तितकडुयस्स वहुसंभारसंजुत्तस्स हावगाढस्स निसिरणट्ठयाए हटुतुट्टा उट्ठति 2 जेणेव भनघरे तेणेव उवागछति 2 तं सालतियं तित्तकडुयं च बहुसंभारसंजुत्तं नेहावगादं धम्मरुइस्स अणगारस्स पडिग्गहसि सव्वमेव निसिरइ 4 / तते णं से धम्मरुई अणगारे अहापजत्तमितिकट्टु णागसिरीए माहणीए गिहातो Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 184 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः पडिनिक्खमति 2 चंपाए नगरीए मझमझेगां पडिनिक्खमति 2 जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे तेणेव उवागच्छति 2 जेणेव धम्मघोसा थेरा तेणेव आगज्छइ 2 धम्मघो मस्स अदूरसामंते अन्नपाणं पडिदंसेइ 2 अन्नपाणं पडिलेहेइ 2 अन्नपाणं करयलंसि पडिदंसेति 5 / तते णं ते धम्मघोसा थेरा तस्स सालाइतस्स नेहावगाढस्स गंधेणं अभिभूया समाणा ततो सालाइयातो नेहावगादायो एगं बिंदुगं गहाय करयलंसि प्रासादेति, तित्तगं खारं कडयं अखज्जं अभोज्ज विसभूयं जाणित्ता धम्मरुइं अणगारं एवं वदासीजति णं तुमं देवाणुप्पिया ! एयं सालइयं जाव नेहावगाढं श्राहारेसि तो णं तुमं अकाले चेव जीवितातो ववरोविजसि, तं मा णं तुमं देवाणुप्पिया! इमं सालतियं जाव अाहारेसि, मा णं तुमं अकाले चेव जीवितायो ववरोविजसि, तं गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! इमं सालतियं एगंतमणावाए अचित्ते थंडिले परिवेहि 2 अन्नं फासुयं एसणिज्जं असणं 4 पडि. गाहेत्ता थाहारं श्राहारेहि 6 / तते णं से धम्मरुई अणगारे धम्मघोसेणं थेरेणं एवं वुत्ते समाणे धम्मघोसस्स थेरस्स अंतियायो पडिनिवखमति 2 सुभूमिभाग-उजाणायो अदूरसामंते थंडिल्लं पडिलेहेति 2 ततो सालइयातो एगं बिंदुगं गहेइ. 2 थंडिलंसि निसिरति, तते णं तस्स सालतियस्स तितकडुयस्स बहुसंभारत्तंजुत्तस्स नेहारगाढस्स गंधेणं बहूणि पिपीलिगा. सहस्साणि पाउन्भूयाणि, जा जहा य णं पिपीलिका श्राहारेति सा तहां अकाले चेव जीवितातो ववरोविजति 7 / तते णं तस्स धम्मरुइस्स अणगारस्स इमेयारूवे अब्भत्थिए 5 समुप्पजित्था-जइ ताव इमस्स सालतियस्स जाव एगमि बिंदुगंमि पक्खित्तमि अणेगाति पिपीलिका-सहस्साइं ववरोविज्जंति तं जति णं ग्रहं एयं सालइयं थंडिल्लंसि सव्वं निसिरामि तते णं बहूणं पाणाणां 4 वहकरणं भविस्सति, तं सेयं खलु ममेयं सालइयं जाव गाढं मयमेव श्राहारेत्तए, मम चेव एएगां सरीरेण णिजाउत्तिकट्टु एवं Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 16 ] [185 संपेहेति 2 मुहपोत्तियं 2 पडिलेहेति 2 ससीसोवरियं कायं पमज्जेति 2 तं सालइयं तितकडयं बहुनेहावगाढं बिलमिव पन्नगभूते अप्पाणेणां सव्वं सरीरकोट्ठसि पक्खिवति 8 / तते णं तस्स धम्मरुइस्स तं सालइयं जाव नेहावगाढे पाहारियस्स समाणस्स मुहुत्तंतरेणं परिणममाणंसि सरीरगंसि वेयणा पाउ-भूता उजला जाव दुरहियासा, तते णं से धम्मरुची अणगारे अथामे अवले अवीरिए अपुरिसकारपरकमे अधारणिनमितिकटु आयार. भंडगं एगते ठवेइ 2 थंडिल्लं पडिलेहेति 2 दम्भसंथारगं संथारेइ 2 दम्भसंथारगं दुरूहति 2 पुरस्थाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयलपरिग्गहियं एवं वयासी-नमोऽत्थु णं घरहताणं जाव संपत्ताणं, णमोऽत्थु णं धम्मघोसाणं थेराणं मम धम्मायरियाणं धम्मोवएसगाणं, पुविपि णं मए धम्मघोसाणं थेराणं अंतिए सव्वे पाणातिवाए पञ्चक्खाए जावजीवाए जाव परिग्गहे, इयाणिपि णं अहं तेसिं चेव भगवंतागां अंतियं सव्वं पाणातिपातं पञ्चक्खामि जावं परिग्गरं पञ्चक्खामि जावजीवाए, जहा खंदश्रो जाव चरिमेहिं उस्सासनीसासेहि वोसिरामित्तिकट्टु बालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालगए 1 / तते गां ते धम्मघोसा थेरा धम्ममइं अणगारं चिरं गयं जाणित्ता समणे निग्गंथे सदावेंति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! धम्मरुइस्त अणगारस्स मासखमण-पारणगंसि सालइयस्स नाव गाढस्स णिसिरणट्ठायाए बहिया निग्गते चिराति तं गच्छह गां तुभे देवाणुप्पिया ! धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वतो समंता मग्गण-गवेसा करेह 10 / तते गां ते समणा निग्गंथा जाव पडिसुणोंति 2 धम्मघोसाणां थेराणां अंतियायो पडिनिक्खमंति 2 धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वो समंता मग्गणगवेसणां करेमाणा जेणेव थंडिल्लं तेणेव उवागच्छंति 2 धम्मरुइस्स बणगारस्स सरीरगं निप्पाणं निच्चेट्टजीवविप्पजढं पासंति 2 हा हा अहो अकजमितिकटु धम्मरुइस्स अणगारस्त परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति, धम्मइस्स Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 186 ] [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः थायारभंडगंगेगहतिर जेगोव धम्मघोसा थेरा तेणेव उवागच्छंतिर गमणागमणं पडिक्कमति 2 एवं वयासा-एवं खलु अम्हे तुम्भं अंतियायो पडिनिक्खमामोर सुभूमिभागस्स उजाणाश्रो परिपेरंतेणं धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वं जाव करेमाणे जेणेव थंडिल्ले तेणेव उवागया 2 जाव इह हव्वमागया, तं कालगए णं भंते ! धम्मरई अणगारे इमे से आयारभंडए 11 / तते णं ते धम्मघोसा थेरा -पुव्वगए उवयोगं गच्छति 2 समणे निग्गंथे निग्गंथीयो य सदावेंति 2 एवं वयासी-एवं खलु अजो ! मम अंतेवासी धम्मरुची नाम अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए मासमासेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं जाव नागप्तिरीए माहणीए गिहे अणुपविट्ठ, तए णं सा नागसिरी माहणी जाव निसिरइ, तए णं से धम्मरुई अणगारे ग्रहापजत्तमितिकटु जाव कालं अणवकंखेमाणे विहरति, से णं धम्मरुई यणगारे बहूणि वासाणि सामन्नपरियागं पाउगित्ता बालोइयपंडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा उड्ड सोहम्मजाव सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे. देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अजहराणमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं. ठिती पन्नत्ता, तत्थ धम्मरुइस्सवि देवस्स तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पराणत्ता, से ण धम्मरुई देवे तायो देवलोगायो जाव महाविदेहे वासे सिन्झिहिति 12 // सूत्रं 113 // तं घिरत्यु णं अजो ! णागसिरीए माहणीए अधनाए अपुन्नाए जाव णिंबोलियाए जाए णं तहारूवे साहू धम्मरुई अणगारे मासखमण-पारणगंसि सालाइएणं जाव गाढेणं अकाले चेव जीवितातो ववरोविए 1 / तते णं ते समणा निग्गंथा धम्मघोसाणं थेराणं अंतिए एतमट्ठ सोचा णिसम्म चंपाए सिंघाडग-तिग जाव बहुजणस्स एवमातिक्खंति-धिरत्थु णं देवाणुप्पिया ! नागसिरीए माहणीए जाव णियोलियाए जाए णं तहारूवे साहू साहूरूवे सालतिएणं जीवियायो ववरोविए २।तए •णं तेसि समणाणं यंतिए एयमढे सोचा णिसम्म बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाति क्खति एवं भासति-धिरत्थु गो. नागसिरीए.माहणीए जाव जीवियायो ववरो Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययन 16 ] [ 187 विते 3 / तते गां ते माहणा चंपाए नयरीए बहुजणस्स अंतिए एतमटुं सोचा निसम्म प्रासुरुत्ता जाव मिसिमिसेमाणा जेणेव नागसिरी माहणी तेणेव आगच्छंति 2 णागसिरी माहणीं एवं वदासी-हं भो ! नागसिरी ! अपत्थियपत्थिए दुरंतपंतलक्खणे हीणपुराणचाउद्दसे धिरत्थु णं तव अधन्नाए अपुनाए जाव णिंबोलियाते जाए गां तुमे तहारूवे साहू साहुरूवे मासखमणपारणगंसि सालतिएगां जाव. ववरोविते, उच्चावएहि अकोसणाहिं अकोसंति, उचावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसेंति, उचावयाहिं णिब्भस्थणाहिं णिभत्थंति, उच्चावयाहिं णिच्छोडणाहिं निच्छोडेंति तज्जेति तालेंति तज्जेत्ता तालेत्ता सयातो गिहातो निच्छुभंति 4 / तते गां सा नागसिरी सयातो गिहातो निच्छूढा समाणी चंपाए नगरीए सिंघाडग-तिय-चउक-चच्चर-चउम्मुहमहापहपहेसु बहुजणेणं हीलिजमाणी खिसिन्जमाणी निंदिजमाणी गरहिजमाणी तजिजमाणी पव्वहिज्जमाणी धिकारिजमाणी थुक्कारिजमाणी कत्थइ अणां वा निलयं वा अलभमाणी 2 दंडीखंडनिवसणा खंड-मल्लय-खंडघडगहत्थगया फुट्टह-डाहड-सीसा मच्छिया-चडगरेगां अनिजमाणमग्गा गेहंगेहेगां देहंबलियाए वित्तिं कप्पेमाणी विहरति 5 / तते गां तीसे नागसिरीए माहणीए तब्भवंसि चेव सोलस रोयायंका पाउन्भूया, तंजहा-सासे कासे जोणिसूले जाव काढे, तए गां सा नागसिरी माहणी सोलसहिं रोयायंकेहिं अभिभूता समाणी अट्टदुहट्टवसट्टा कालमासे कालं किच्चा छट्टीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीस सागरोवम-द्वितीएसु नरएसु नेरइयत्ताते उववन्ना 6 / सा णं तोऽणंतरंसि उव्वट्टित्ता मच्छेसु उववन्ना, तत्थ णं सत्थवज्झा दाहववतिए कालमासे कालं किच्चा अहेसत्तमीए पुढवीए उक्कोसाए तित्तीसं सागरोवम-द्वितीएसु नेरइएसु उववन्ना, सा णं ततोऽणंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चपि मच्छेसु उववज्जति, तत्थविय णं सत्थवज्झा दाहवक्कंतीए दोच्चपि अहे सत्तमीए पुढवीए उक्कोसं तेत्तीस-सागरोवम-ट्टितीएसु नेरइएसु उववजति, सा णं Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 188 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विभागः तयोहिंतो जाव उव्वट्टित्ता तच्चपि मच्छेसु उववन्ना, तत्थविय ग सत्थवज्झा जाव कालं किच्चा दोच्चंपि छट्ठीए पुढवीए उकोसेगां बावीस सागरोवमट्टितीएसु नेरइएसु उववजति, तोऽगांतर उव्वट्टित्ता नरएसु एवं जहा गोसाले तहा नेयव्वं जाव रयणप्पभाए सत्तसु उववन्ना, ततो उव्वट्टित्ता जाव इमाई खहयर-विहाणाई जाव अदुत्तरं च गां खर-बायर-पुढविकाइयत्ताते तेसु अणेगसतसहस्स खुत्तो 7 // सूत्रं 114 // सा गां तोऽगांतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपाए नयरीए सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स भदाए भारियाए कुच्छिसि दारियत्ताए पचायाया 1 / तते णं सा भद्दा सत्थवाही णवराहं मासागां दारियं पयाया सुकुमालकोमलियं गयतालुयसमाणं, तीसे दारियाए निव्वत्ते बारसाहियाए अम्मापियरो इमं एतारूवं गोन्नं गुणनिष्फन्नं नामधेज्जं करेंत-जम्हा णं अम्हं एसा दारिया सुकुमाला गयतालुयसमाणा तं होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए नामधेज्जे सुकुमालिया, तते णं तीसे दारियाए अम्मापितरो नामधेज्ज करेंति सूमालियत्ति 2 / तए णं सा सूमालिया दारिया पंचधाईपरिग्गहिया तंजहा-खीरधाईए जाव गिरिकंदरमल्लीणा इव चंपकलया निव्वाए निवाघायंसि जाव परिवड्डइ, तते णं सा सूमालिया दारिया उम्मुक्कबालभावा जाव रूवेण य जोवणेण य लावराणेण य उकिट्ठा उकिट्ठसरीरा जाता यावि होत्था 3 // सूत्रं 115 // . तत्थ गां चंपाए नयरीए जिणदत्ते नाम सत्थवाहे अड्डे 0, तस्स गां जिणदत्तस्स भद्दा भारिया सूमाला इट्ठा जाव माणुस्सए कामभोए पचणुभवमाणा विहरती 1 / तस्स गां जिणदत्तस्स पुत्ते भदाए भारियाए अत्तए सागरए नामं दारए सुकुमाले जाव सुरूवे 2 / तते णं से जिणदत्ते सत्थवाहे अन्नदा कदाई सातो गिहातो पडिनिक्खमति 2 सागरदत्तस्स गिहस्त अदूरसामंतेणं वीतीवयइ इमं च णं सूमालिया दारिया . राहाया चेडियासंघपरिवुडा उप्पि श्रागासतलगंसि कणगतेंदूसएणं कीलमाणी 2 Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 16 ] [ 186 विहरति 3 / तते णं से जिणदते सत्थवाहे सूमालियं दारियं पासति 2 सूमालियाए दारियाए रूवे य 3 जायविम्हए कोडुबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! कस्स दारिया किं वा णामधेज्जं से ?, तते णं ते कोडबियपुरिसा जिंणदत्तेण सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ट करयल जाव एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स धूया भदाए अत्तया सूमालिया नाम दारिया सुकुमालपाणिपाया जाव उकिहा उकिट्ठसरीरा जाता यावि होत्था 4 / तते णं से जिणदत्ते सत्थवाहे तेसि कोडुबियाणं अंतिए एयम8 सोचा जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति 2 राहाए जाव मित्तनाइपरिवुडे चंपाए नयरीए जेणेव सागरदत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, तए णं सागरदत्ते सत्थवाहे जिणदत्तं सत्थवाहं एजमाणं पासइ एजमाणं पासइत्ता भासणायो अभुट्ठइ 2 त्ता यासणेणं उवणिमंतेति 2 अासत्थं वीसत्थं सुहासणवरगयं एवं वयासी-भण देवाणुप्पिया ! किमागमण-पोयणं ? 5 / तते णं से जिणदत्ते सत्थवाहे सागरदत्तं सत्थवाहं एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! तव धूयं भदाए यत्तियं सूमालियं सागरस्स भारियत्ताए वरेमि, जति णं जाणाह देवाणुप्पिया! जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिज्ज वा सरिसो वा संजोगो ता दिजउ णं सूमालिया सागरस्स, तते णं देवाणुप्पिया ! किं दलयामो सुकं सूमालियाए ?, तए णं से सागरदत्ते तं जिणदत्तं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सूमालिया दारिया मम एगा एगजाया इट्ठा जाव किमंग पुण पासणयाए तं नो खलु यह इच्छामि सूमालियाए दारियाए खणमवि विप्पयोगं, तं जति णं देवाणुप्पिया ! सागरदारए मम घरजामाउए भाति तो णं अहं सागरस्स दारगस्स सूमालियं दलयामि 6 / तते णं से जिणदत्ते सत्थवाहे सागरदत्तेणं सत्थवाहेगां एवं वुत्ते समाणे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ२ सागरदारगं सदावेति 2 एवं वयासी-एवं खलु पुत्ता ! सागरदत्ते Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -160] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः सत्थवाहे मम एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सूमालिया दारिया इट्टा तं चेव तं जति णं सागरदारए मम घरजामाउए भवइ ता दलयामि, तते णं से सागरए दारए जिणदत्तेणं सत्थवाहेणां एवं वुत्ते समाणे तुसिणीए 7 / तते णं जिणदत्ते सत्थवाहे अन्नदा कदाइ सोहणंसि तिहिकरणे विउलं असणं 4 उवक्खडावेति 2 मित्तणाई-निययसजण-संबंधि-परिजणं आमतेइ जाव सम्माणित्ता सागरं दारगं राहायं जाव सव्वालंकारविभूसियं करेइ 2 पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरूहावेति 2 मित्तणाइ जाव संपरिखुडे सव्विड्डीए सातो गिहायो निग्गच्छति 2 चंपानयरिं मझमज्झेणं जेणेव सागरदत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छति 2 सीयायो पचोरुहति 2 सागरगं दारगं सागरदत्तस्स सस्थवाहम्स उवणेति 8 / तते णं सागरदत्ते सत्थवाहे विपुलं असणं 4 उवक्खडावेइ 2 जाव सम्माणेत्ता सागरगं दारगं सूमालियाए दारियाए सद्धिं पट्टयं दुरूहावेइ 2 सेयापीतएहिं कलसेहिं मज्जावेति 2 होमं करावेति 2 सागरं दारयं सूमालियाए दारियाए पाणिं गेराहाविंति 1 // सूत्रं 116 // तते णं सागरदारए सूमालियाए दारियाए इमं एयारूवं पाणिफासं पडिसंवेदेति से जहा नाम ए असिपत्ते इ वा जाव मुम्मुरे इ वा इतो अणि?तराए चेव पाणिफासं पडिसंवेदेति, तते णं से सागरए अकामए अवसव्वसे तं मुहुत्तमित्तं संचिट्ठति, तते णं से सागरदत्ते सत्थवाहे सागरस्स दारगस्स अम्मापियरो मित्तणाइ विउलं असणं 4 पुप्फवत्थ जाव सम्माणेत्ता पडिविसंजति 1 / तते णं सागरऐ दारए सूमालियाए सद्धिं जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छति 2 सूमालियाए दारियाए सद्धिं तलिगंसि निवज्जइ, तते णं ते सागरए दारए सूमालियाए दारियाए इमं एयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेति, से जहा नामए असिपत्तेइ वा जाव ग्रमणामयरागं चेव अंगफासं पञ्चणुभवमाणे विहरति, तते णं से सागरए अंगफासं असहमाणे अवसव्वसे मुहुत्तमित्तं संचिट्ठति, तते णं से सागरदारए सूमालियं दारियं सुहपसुत्तं Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 16 ] / 191 जाणित्ता सूमालियाए दारियाए पासाउ उट्ठोति 2 जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छति 2 सयणोयंसि निवजइ 2 / तते णं सूमालिया दारिया तयो मुहुत्तंतरस्स पडिबुद्धा समाणी पतिवया पइमणुरत्ता पति पासे अपस्समाणी तलिमाउ उट्ठोति 2 जेणेव से सयणिज्जे तेणेव उवागच्छति 2 सागरस्स पासे णुवजइ, तते णं से सागरदारए सूमालियाए दारियाए दुच्चपि इमं एयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेति जाव अकामए अवसव्वसे मुहत्तमित्तं संचिट्ठति, तते णं से सागरदारए सूमालियं दारियं सुहपसुत्तं जाणित्ता सयणिजायो उहइ 2 वासघरस्स दारं विहाडेति 2 मारामुक्के विव काए जामेव दिसिं पाउ भए तामेव दिसि पडिगए 3 // सूत्रं 117 // तते णं सूमालिया दारिया ततो मुहुत्तंतरस्स पडिबुद्धा पतिवया जाव अपासमाणी सयणिजायो उट्ठति सागरस्स दारगस्त सब्बतो समंता मग्गणगवेसणं करेमाणी 2 वासघरस्स दारं विहाडियं पासइ 2 एवं वयासी-गए से सागरेत्तिकटु योहयमणसंकप्पा जाव झियायइ 1 / तते णं सा भद्दा सस्थवाही कल्लं पाउप्पभायाए दासचेडियं सदावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिए ! वहुवरस्स मुहसोहणियं उवणेहि, तते णं सा दासचेडी भदाए एवं वुत्ता समाणी एयम तहत्ति पडिसुणंति, मुहधोवणियं गेराहति 2 जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छति 2 सूमालियं दारियं जाव झियायमाणिं पासति 2 एवं वयासी-किन्नं तुमं देवाणुप्पिया ! श्रोहयमणसंकप्पा जाव झियाहिसि 2 / तते णं सा सूमालिया दारिया तं दासचेडीयं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सागरए दारए मम सुहपसुत्तं जाणित्ता मम पासायो उट्ठति 2 वासघरदुवारं अवगुण्डति जाव पडिगए, तते णं ततो अहं मुहुत्तरस्स जाव विहाडियं पासामि, गए णं से सागरएत्तिकटु अोहयमण जाव झियायामि 3 / तते णं सा दासचेडी सूमालियाए दारियाए एयमट्ट सोचा जेणेव सागरदत्ते तेणेव उवा Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 162 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः गच्छइ 2 ता सागरदत्तस्स एयमट्ठ निवेएइ, तते णं से सागरदत्ते दासचेडीए अंतिए एयमढे सोचा निसम्म श्रासुरुत्ते जेमेव जिणदत्तसत्थवाहगिहे तेणेव उवागच्छति 2 जिणदत्तसत्थवाहं एवं वयासी-किराणं देवाणु. प्पिया ! एवं जुत्तं वा पत्तं वा कुलाणुरूवं वा कुलसरिसं वा जन्नं सागरदारए सूमालियं दारियं अदिट्ठदोसं पइवयं विष्पजहाय इहमागयो बहूहिं खिजणियाहि य रुटणियाहि य उबालभति 4 / तए णं जिणदत्ते सागरदत्तस्स एयमट्ट सोचा जेणेव सागरए दारए तेणेव उवागच्छति 2 सागरयं दारयं एवं क्यासी-दुट्ठ णं पुत्ता ! तुमे कयं सागरदत्तस्स गिहाथों इहं हव्वमागते, तेणं तं गच्छह णं तुमं पुत्ता ! एवमवि गते सागरदत्तस्स गिहे, तते णं से सागरए जिणदत्तं एवं वयासी-अवि याति अहं तायो ! गिरिपडणं वा तरुपडणं वा मरुप्पवायं वा जलप्पवेसं वा विसभक्खणं वा वेहाणसं वा सत्थोवाडणं वा गिद्धापिट्ठ वा पव्वज्जं वा विदेसगमणं वा श्रभुवगच्छिज्जामि नो खलु अहं सागरदत्तस्स गिहं गच्छिज्जा 5 / तते णं से सागरदत्ते सत्थवाहे कुड्डतरिए सागरस्स एयम8 निसामेति 2 लजिए विलीए विड्डे जिणदत्तस्स गिहातो पडिनिक्खमइ जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति 2 सुकुमालियं दारियं सदावेइ 2 अंक निवेसेइ 2 एवं वयासी-किराणं तव पुत्ता ! सागरएगां दारएगां मुका ?, ग्रहं गां तुमं तस्स दाहामि जस्स णं तुमं इट्ठा जाव मणामा भविस्ससित्ति सूमालियं दारियं ताहिं इट्टाहिं वग्गूहि समासासेइ 2 पडिविसज्जेइ 6 / तए णं से सागरदत्ते सत्थवाहे अन्नया उप्पिं श्रागासतलगंसि सुहनिसराणे रायमग्गं श्रोलोएमाणे 2 चिट्ठति, तते णं से सागरदत्ते एगं महं दमगपुरिसं पासइ दंडिखंड-निवसणं खंडग-मल्लग-घडग-हत्थगयं मच्छिया-सहस्सेहिं जाव अनिजमाणमग्गं 7 / तते णं से सागरदत्ते कोड बियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! एयं दमगपुरिसं विउलेणं असण Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययन 16 ] [ 193 पाणखाइम-साइमेणं पलोभेहि 2 गिहं अणुप्पवेसेह 2 खंडगमलगं खंडघडगं ते एगते एडेह 2 अलंकारियकम्मं कारेह 2 गहायं कयबलिकम्मं जाव सव्वालंकार-विभूसियं करेह 2 मणुराणं असणं 4 भोयावह 2 मम अंतियं उवणेह, तए णं कोडबियपुरिसा जाव पडिसुणेति 2 जेणेव से दमगपुरिसे तेणेव उवागच्छति 2 त्ता तं दमगं असणं उपप्पलोभेति 2 त्ता सयं गिहं अणुपवेसिति 2 तं खंडगमल्लगं खंडगघडगं च तस्स दमगपुरिसस्स एगते एडंति 8 / तते णं से दमगेतं खंडमल्लगंसि खंडघडगंसि य एगते एडिजमाणंसि महया 2 सद्देणं पारसति, तए णं से सागरदत्ते तस्स दमगपुरिसस्स तं महया 2 श्रारसिसयसह सोचा निसम्म कोडुबियपुरिसे. एवं वयासी-किराणं देवाणुप्पिया ! एस दमगपुरिसे महया 2 सद्देणं धारसति ?, तते णं कोडुबियपुरिसा एवं वयासीएस णं सामी ! तसि खंडमल्लगंसि खंडघडगंसि एगते एडिजामाणंसि महया 2 सद्देणं पारसइ 1 / तते णं से सागरदत्ते सत्थवाहे ते कोडुबियपुरिसे एवं वयासी-मा णं तुम्मे देवाणुप्पिया ! एयस्म दमगस्स तं खंड जाव एडेह पासे ठवेह जहा णं पत्तियं भवति, तेवि तहेव ठवेंति, तए णं ते कोडुबियपुरिसा तस्स दमगस्स अलंकारियकम्मं करेंति 2 सयपागसहस्सपागेहिं तिल्लेहिं अभंगेंति अब्भंगिए समाणे सुरभिगंधुव्वट्टणेणं गायं उव्वट्टिति 2 उसिणोदग-गंधोदएणं सीतोदगेणं राहाणेति पम्हलसुकुमाल-गंध-कासाईए गायाई लूहंति 2 हंसलवखणं पट्ट(पडग)साडगं परिहंति 2 सव्वालंकार-विभूसियं करेंति 2 विउलं असणं 4 भोयाति 2 सागरदत्तस्स उवणेन्ति, तए णं सागरदत्ते सूमालियं दारियं राहायं जाब सव्वालंकारभृसियं करित्ता तं दमगपुरिसं एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! मम धूया इट्टा एयं णणं अहं तव भारियत्ताए दलामि भद्दियाए भद्दतो भविजासि 10 / तते णं से दमगपुरिसे सागरदत्तस्स एयमट्ट पडिसुति Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः 2 सूमालियाए दारियाए सद्धिं वासघरं अणुपविसति सूमालियाए दारियाए सद्धिं तलिगंसि निवजइ, तते णं से दमगपुरिसे सूमालियाए इमं एयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेति, सेसं जहा सागरस्स जाव सयणिजायो अब्भु(पच्चु)तुति 2 वासघरायो निग्गच्छति 2 खंडमल्लगं खंडघडं च गहाय मारामुक्के विव काए जामेव दिसि पाउभूए तामेव दिसि पडिगए, तते णं सा सूमालिया जार गए णं से दमगपुरिसेत्तिकटु योहयमण जाव झियायति 11 // सूत्रं 118 // तते णं सा भद्दा कल्लं पाउप्पभायाए दासचेडिं सदावेति 2 एवं बयासी-जाव सागरदत्तस्स एयम४ निवेदेति, तते णं से सागरदत्ते तहेव संभंते समाणे जेणेव वासहरे तेणेव उवागच्छति 2 सूमालियं दारियं अंके निवेसेति 2 एवं वयासी-ग्रहो णं तुम पुत्ता ! पुरापोराणेणं जाब पचणुब्भवमाणी विहरसि तं मा णं तुम पुत्ता ! योहयमण जाव झियाहि तुमं णं पुत्ता ! मम महाणसंसि विपुलं असणं 4 जहा पुट्टिला जाव परिभाएमाणी विहराहि, तते णं सा सूमालिया दारिया एयमट्ठ पडिसुणेति 2 महाणसंसि विपुलं असणं जाव दलमाणी दवावमाणी विहरइ 1 / तेणं कालेणं 2 गोवालियायो अजायो बहुस्सुयायो एवं जहेब तेयलिणाए सुब्बयाश्रो तहेव समोसड्ढायो तहेव संघाडयो जाव अणुपविट्ठ तहेव जाव सूमालिया पडिलाभित्ता एवं वदासी-एवं खलु अजायो ! अहं सागरस्स अणिट्ठा जाव अमणामा नेच्छइ णं सागरए मम नामं वा जाव परिभोगं वा, जस्स 2 विय णं दिजामि तस्स 2 विय णं अणिट्ठा जाव अमणामा भवामि, तुम्भे य णं अज्जायो ! बहुनायायो एवं जहा पुट्टिला जाव उवलद्धे जे णं अहं सागरस्स दारगस्त इट्टा कंता जाव भवेजामि, अजायो ! तहेव भणंति तहेव साविया जाया तहेव चिंता तहव सागरदत्तं सत्थवाहं श्रापुच्छति जाव गोवालियाणं अंतिए पव्वइया 2 / तते णं सा सूमालिया अजा जाया ईरियासमिया जाव बंभयारिणी Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 16 ] [ 166 तए णं से दूर राहाते जाव अलंकार-विभूसिए सरीरे चाउग्घंटे बासरहं दुरुहइ 2 बहुहिं पुरिसेहिं सन्नद्ध जाव गहियाऽऽउहपहरणेहिं सद्धिं संपरिखुडे कंपिल्लपुरं नगरं मझमज्झेणं निग्गच्छति, पंचालजणवयस्स मज्झमज्झेणं जेणेव देसप्पते तेणेव उवागच्छइ, सुरद्वाजणवयस्स मझमझेणं जेणेव बारवती नगरी तेणेव उवागच्छइ 2 बारवई नगरिं मज्झमझेणं अणुपविसइ 2 जेणेव कराहस्स वासुदेवस्स बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ 2 ता चाउग्घंटे श्रासरहं ठवेइ 2 रहायो पचोरुहति 2 मणुस्त-बग्गुरा-परिक्खित्ते पायचार-विहारचारेणं जेणेव कराहे वासुदेव तेणेव उवागच्छति 2 कराहं वासुदेवं समुद्दविजय-पामुक्खे य दस दसारे जाव बलवग-साहस्सीयो करयल तं चेव जाव समोसरह 2 / तते णं से कराहे वासुदेवे तस्स दूयस्स अंतिए एयम8 सोचा निसम्म हट्ठ जाव हियए तं दूयं सकारेइ सम्माणेइ 2 पडिविसज्जेइ 3 / तए णं से कराहे वासुदेवे कोडवियपुरिसं सदावेइ 2 एवं वयासी-गच्छाहि णं तुमं देवाणुप्पिया ! सभाए सुहम्माए सामुदाइयं भेरि तालेहि, तए णं से कोडबियपुरिसे करयल जाव कराहस्स वासुदेवस्स एयमट्ठ पडिसुणेति 2 जेणेव सभाए सुहम्माए सामुदाझ्या भेरी तेणेव उवागच्छइ 2 सामुदाइयं भेरि महया 2 सद्दे णं तालेइ, तए णं ताए सामुदाइयाए भेरीए तालियाए समाणीए समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव महसेणपामुक्खायो छप्पराणं बलवगसाहस्सीयो राहाया जाव विभूसिया जहा विभव-इड्डिसकार-समुदएणं अप्पेगइया हयगया जाव पायविहारचारेणं जेणेव कराहे वासुदेवे तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव कराहं वासुदेवं जएणं विजएणं वद्धाति, तए णं से कराहे वासुदेवे कोडुबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! अभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगय जाव पचप्पिणंति 4 / तते णं से कराहे वासुदेवे जेणेव Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदगिमसुधासिन्धुः :: चतुर्यो विभागः मजणघरे तेणेव उयोगच्छति 2 समुत्तजालाकुलाभिरामे जाव अंजणगिरिकूडसन्निभं गयवरं नरवई दुरूढे, तते णं से कराहे वासुदेवे समुद्दविजयपामुक्खेहिं दसहिं दसारहिं जाव अणंगसेणा-पामुक्खेहिं अणेगाहिं गणियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिबुडे सब्बिड्डीए जाव रवेणं बारवइनयरिं मझमज्झेणं निग्गच्छइ 2 सुरट्टाजणवयस्स मज्झमज्झेणं जेणेव देसप्पते तेणेव उबागच्छइ 2 पंचाल जणवयस्स मझमज्झेणं जेणेव कंपिल्लपुरे नयरे तेणेव पहारेत्थगमणाए 5 / तए णं से दुवए राया दोच्चं दूयं सहावेइ 2 एवं वयासी-गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! हथिणारं नगर तत्थ णं तुमं पंडुरायं सपुत्तयं जुहिडिल्लं भीमसेणं अज्जुणं नउलं सहदेवं दुजोहणं भाइसय-समग्गं गंगेयं विदुरं दोणं जयदहं सउणीं कीवं प्राप्तस्थामं करयल जाव कटु तहेव समोसरह, तए णं से दूए एवं वयासीजहा वासुदेवे नवरं भेरा नत्थि जाव जेणेव कंपिल्लपुरे नयरे तेणेव पहारस्थ गमणाए 2, 6 / एएणेव कमेणं तच्चं दूयं चंपानयरिं, तत्थ णं तुमं कराहं अंगरायं सेल्लं नंदिरायं करयल तहेव जाव समोसरह, चउत्थं दूयं सुत्तिमई नयरिं, तत्थं णं तुमं सिसुपालं दमघोससुयं पंचभाइसयसंपरिखुडं करयल तहेव जाव समोसरह, पंचमगं दूयं हत्थसीसनयरं, तत्थ णं तुमं दमदंतं रायं करयल तहेव जाव समोसरह, छ8 दूयं महुरं नयरिं, तत्थ णं तुमं धरं रायं करयल जाव समोसरह, सत्तमं दूयं रायगिहं नगरं, तत्थ णं तुमं सहदेवं जरासिंधुसुयं करयल जाव समोसरह, अट्ठमं दूयं कोडिराणं नयरं, तत्थ णं तुमं रूप्पिं भेसगसुयं करयल तहेव जाव समो. सरह, नवमं दूयं विराडनयरं तत्थ णं तुमं कियगं भाउसयसमग्गं करयल जाव समोसरह, दसमं दूयं श्रवसेसेसु य गामागर-नगरेसु अणेगाइं रायसहस्साइं जाव समोसरह 7 / तए णं से दूए तहेव निग्गच्छइ जेणेव गामागर जाव समोसरह / तए णं ताई अणेगाई रायसहस्साई तस्स Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 16 ] [ 201 दूयस्स अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठाइं तं दूयं सकारेंति 2 सम्माणेंति 2 पडिविसर्जिति 7 / तए णं ते वासुदेवपामुक्खा बहवे रायसहस्सा पत्तेयं 2 राहाया सन्नद्ध-हत्थिखंध-वरगया हयगयरह-पवर-जोह-कलियाए महया भड-चडगर-रह-पहकर० सरहिं 2 नगरेहितो अभिनिग्गच्छंति 2 जेणेव पंचाले जणवए तेणेव पहारेत्थ गमणाए 8 // सूत्रं 123 // तए णं से दुवए राया कोडु वियपुरिसे सहावेइ 2 . एवं वयासी-गच्छह णं तुम देवाणुप्पिया ! कंपिल्लपुरे नयरे बहिया गंगाए महानदीए अदूरसामंते एगं महं सयंवरमंडवं करेह श्रणेगखंभसयसन्निविट्ठ लीलट्ठियसालभंजियागं जाव पञ्चप्पिणंति 1 / तए णं से दुवए राया कोडुबियपुरिसे सदावेइ 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! वासुदेव-पामुक्खाणं बहूणं रायसहस्ताणं श्रावासे करेह तेवि करेत्ता पञ्चप्पिणंति 2 / तए णं दुवए वासुदेवपामुक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं भागमं जाणेत्ता पत्तेयं 2 हत्थिखंध जाव परिबुडे अग्धं च पज्जं च गहाय सविड्डिए कंपिल्लपुरायो निग्गच्छइ 2 जेणेव ते वासुदेवपामुक्खा बहवे रायसहस्सा तेणेव उवागच्छइ 2 ताई वासुदेवपामुक्खाई अग्घेण य पज्जेण य सक्कारेति सम्माणेइ 2 तेसिं वासुदेवपामुक्खाणं पत्तेयं 2 श्रावासे वियरति 3 / तए णं ते वासुदेवपामोक्खा जेणेव सया 2 श्रावासा तेणेव उवागच्छंति 2 हत्थिखंधाहिंतो पचोरुहंति 2 पत्तेयं खंधावारनिवेसं करेंति 2 सए 2 श्रावासे अणुपविसंति 2 सएसु 2 श्रावासेसु घासणेसु य सयणेसु य सन्निसन्ना य संतुयट्टा य बहूहिं गंधव्वेहि य नाडएहि य उवगिजमाणा य उवणचिजमाणा य विहरंति 4 / तते णं से दुवए राया कंपिलपुरं नगरं अणुपविसति 2 विउलं असणं 4 उवक्खडावेइ 2 कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ 2 एवं वयासीगच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! विउलं असणं 4 सुरं च मज्जं च मंसं च सीधुच पसरणं च सुबहु-पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारं च वासुदेवपामो. Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 202 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः क्खाणं रायसहस्साणं आवासेसु साहरह, तेवि साहरंति, तते णं ते वासुदेवपामुक्खा तं विपुलं असणं 4 जाव पसन्नं च श्रासाएमाणा 4 विहरंति, जिमिय-भुत्तुत्तरागयाविय णं समाणा श्रायंता जाव सुहासणवरगया बहूहिं गंधव्वेहिं जाव विहरंति 5 / तते णं से दुवए राया पुव्वावरगह-कालसमयसि कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ 2 त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुमे देवाणुप्पिया ! कपिल्लपुरे संघाडग जाव पहे वासुदेवपामुक्खाण य रायसहस्साणं श्रावासेसु हथिखंधवरगया महया 2 सद्दे णं जाव उग्घोसेमाणा 2 एवं वदह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! कल्लं पाउप्पभायाए दुवयस्स रराणो धूयाए चुलणीए देवीए अत्तयाए धट्टजुराणस्स भगिणीए दोवईए रायवरकराणाए सयंवरे भविस्सइ, तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! दुवयं रायाणं अणुगिरहेमाणा राहाया जाव विभूसिया हस्थिखंधवरगया सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवरचामराहिं उद्धृवमाणीहिं हयगयरह पवरजोह-कलियाए चाउरंगिणीए सेनाए सद्धिं संपरिबुडा महया भडचरगरेणं जाव परिविखत्ता जेणेव सयंवरामंडवे तेणेव उवागच्छति 2 पत्तेयं नामंकेसु घासणेसु निसीयह 2 दोवई रायकगणं पडिवालेमाणा 2 चिट्ठह, घोसणं घोसेह 2 मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए णं तं कोडुबिया तहेव जाव पञ्चप्पिणंति 6 / तए णं से दुवए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ 2 एवं वयासी-गच्छइ णं तुम्मे देवाणुप्पिया ! सयंवरमंडपं ग्रासिय-संमजि-योवलितं सुगंधवरगंधियं पंचवरांण-पुप्फ-पुंजोवयार-कलियं कालागरु-पवरकुदुरुक-तुरुक जाव गंधवट्टिभूयं मंचाइमंचकलियं करेह 2 वासुदेवपामुक्खाणं बहू रायसहस्साणं पत्तेयं 2 नामकाई पासणाई अत्थुयपञ्चत्युयाई रएह 2 एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तेवि जाव पञ्चप्पिणंति 7 / तते णं ते वासुदेवपामुक्खा बहवे रायसहस्सा कल्लं पाउप्पभायाए राहाया जाव विभूसिया हत्थिखंधवरगया सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवरचामराहिं हयगय जाव परिवुडा Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् // अध्ययनं 16 ] | [203 सब्विड्डीए जाव रवेणं जेणेव सयंवरे तेणेव उवागच्छति 2 अणुपविसंति 2 पत्तेयं 2 नामंकेसु निसीयंति दोवई रायवरकराणं पडिवालेमाणा चिट्ठति 8 / तए णं से पंडुए राया कल्लं गहाए जाव विभूसिए हत्थिखंधवरगए सकोरंट-मल्लदामेगां छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवरचामरहिं उडुब्वमाणीहिं हयगय रहपवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे कंपिल्लपुरं मज्झमझेणं निग्गच्छंति जेणेव सयंवरामंडवे जेणेव वासुदेवपामुक्खा बहवे रायसहस्सा तेणेव उवागच्छति 2 तेसिं वासुदेवपामुक्खाणं करयल जाव वद्धावेत्ता कराहस्स वासुदेवस्स सेयवरचामरं गहाय उववीयमाणे चिट्ठति 1 // सूत्रं 124 // तए णं सा दोवई रायवरकन्ना जेणेव जिणघरे वेणेव उवागच्छइ 2 ता जिणपडिमाणं अच्चणं करेई (जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ 2 राहाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवर परिहिया मजणघरायो पडिनिक्खमइ 2 जेणेव जिणघरे तेणेव उवागच्छइ 2 जिणघरं अणुपविसइ 2 जिणपडिमाणं बालोए पणामं करेइ 2 लोमहत्थयं परामुसइ एवं जहा सूरियाभो जिणपडिमायो अच्चेइ 2 तहेव भाणियत्वं जाव धूवं डहइ) 2 वामं जाणु अञ्चेति दाहिणं जाणु धरणियलंसि णिवेसेति 2 तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसि नमेइ 2 ईसिं पच्चुराणमति करयल जाव कटु एवं वयासीनमोऽत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं जाव संपत्ताणं वंदइ नमसइ 2 जिणघरायो पडिनिक्खमति 2 जेणेव अंतेउरे तेणेव उवागच्छइ ॥सूत्रं 125 // ___तते णं तं दोवई रायवरकन्नं अंतेउरियायो सव्वालंकार-विभूसियं करेंति किं ते ? वरपायपत्तणेउरा जाव चेडिया-चकवाल-मयहरगविंद-परिक्खित्ता अंतेउरायो पडिणिक्खमति 2 जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्घंटे बासरहे तेणेव उवागच्छति 2 किड्डावियाए लेहियाए सद्धिं चाउग्घंटं श्रासरहं दुरूहति, तते णं से धट्ठज्जुणे कुमारे दोवतीए Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 204 ] [ श्रीमदांगमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः कराणाए सारत्थं करेति, तते णं सा दोवती रायवरकराणा कंपिल्लपुरं नयरं मझमज्झणं जेणेव सयंवरमंडवे तेणेव उवागच्छति 2 रहं ठवेति रहायो पचोरुहति 2 किड्डावियाए लेहियाए य सद्धिं सयंवरं मंडपं अणुपविसति करयल जाव तेसिं वासुदेवपामुक्खाणं बहूणं रायवरसहस्साणं पणामं करेति 1 / तते णं सा दोवती रायवरकन्ना एगं महं सिरिदामगंडं, किं ते ? पाडलमल्लियचंपय. जाव सत्तच्छयाईहिं गंधद्धणिं मुयंतं परमसुहफासं दरिसणिज्जं गिराहति, तते णं सा किड्डाविया जाव सुरूवा जाव वामहत्थेणं चिल्ललगदप्पणं गहेऊण सललियं दप्पणसंकंतबिंबं संदसिए य से दाहिणेणं हत्थेणं दरिसिए पवररायसीहे फुड-विसय-विसुद्ध-रिभिय-गंभीर-महुरभणिया सा तेसिं सव्वेसिं पत्थिवाणं अम्मापिऊणं वंस-सत्त-सामत्थ-गोत्त-विक्कंतिकंति-बहुविह-आगम-माहप्प--रूव-जोव्वण-गुण--लावराण--कुल-सील-जाणिया कित्तणं करेइ 2 / पढमं ताव वरािहपुंगवाणं दसदसार-वीरपुरिसाणं तेलोकबलवगाणं सत्तुसय-सहस्समाणावमदगाणं भवसिद्धि-पवरपुंडरीयाणं चिल्ललगाणं बल-बीरेय-रूव-जोव्वण-गुणं लावन्न-कित्तिया कित्तणं करेति, ततो पुणो उग्गसेणमाईणं जायवाणां, भणति य–सोहग्गरूवकलिए वरेहि वरपुरिसगंधहत्थीणं 3 / जो हु ते होइ हिययदइयो, तते णं सा दोवई रायवरकन्नगा बहूणं रायवर-सहस्साणं मझमज्झेणं समतिच्छमाणी 2 पुव्वकय-णियाणेणं चोइजमाणी 2 जेणेव पंच पंडवा तेणेव उवागच्छति 2 ते पंचपंडवे तेणं दसद्धवराणेणं कुसुमदाणेणं आवेढिय-परिवेढियं करेति 2 त्ता एवं वयासी-एए णं मए पंच पंडवा वरिया, तते णं तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहूणि रायसहस्साणि महया 2 सद्दे णं उग्घोसेमाणा 2 एवं वयंति-सुवरियं खलु भो ! दोवइए रायवरकन्नाए 2 तिकटु सयंवरमंडवायो पडिनिक्खमंति 2 जेणेव सया 2 श्रावासा तेणेव उवागच्छंति, तते णं धट्टज्जुगणे कुमारे पंच पंडवे दोवतिं रायवरकगणं च चाउग्घंटे Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रायसहस्सा पंचगहं पंडवाण में अणुगिणा पत्तये श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 16 ] [ 205 बासरहं दुरूहति 2 ता कंपिल्लपुरं मझमझेणं जाव सयं भवणं अणुपविसति 4 / तते णं दुवए राया पंच पंडवे दोवई रायवरकराणं पट्टयं दुरूहेति 2 सेयापीएहिं कलसेहिं मज्जावेति 2 अग्गिहामं कारवेति पंचराहं पंडवाणं दोवतीए य पाणिग्गहणं करावेइ, तते णं से दुवए राया दोवतीए रायवरकराणयाए इमं एयारूवं पीतिदाणं दलयती, तंजहा-अट्ठ हिरराणकोडीयो जाव अट्ठ पेसणकारीयो दासचेडीयो, अराणं च विपुलं धणकणग जाव दलयति, तते णं दुवए. राया ताई वासुदेवपामोक्खाई विपुलेणं असण 4 वत्थगंध जाव पडिविसज्जेति 5 // सूत्रं 126 // तते णं से पंडू रायो तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुपिया ! हत्थिणाउरे नयरे पंचराहं पंडवाणं दोवतीए य देवीए कलाणकरे भविस्सति तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! ममं अणुगिरहमाणा अकाल-परिहीणं (अकालए) समोसरह, तते णं वासुदेवपामोक्खा पत्तेयं 2 जाव पहारेत्थ गमणाए 1 / तते णं से पंडुराया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! हत्थिणाउरे पंचराहं पंडवाणं पंच पासायवडिसए कारेह अब्भुग्गयमूसिय वराणो जाव पडिरूवे 2 / तते णं ते कोडुबियपुरिसा पडिसुगोंति जाव करावेंति, तते से पंडुए पंचहिं पंडवेहिं दोवईए देवीए सद्धिं हयगय-संपरिबुडे कंपिल्लपुरायो पडिनिक्खमइ 2 जेणेव हत्थिणारे तेणेव उवागए 3 / तते णं से पंडुराया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं श्रागमणं जाणित्ता कोडुबियपुरिसे सदावेइ 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! हथिणाउरस्स नयरस्स बहिया वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं श्रावासे कारेह अणेगखंभसय तहेव जाव पचप्पिणंति 4 / तते णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागच्छन्ति, तते णं से पंडुराया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं श्रागमणं जाणित्ता हट्टतु? राहाए कयबलिकम्मे Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 206 ] [ श्रीमदांगमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः जहा दुपए जाव जहारिहं श्रावासे दलयति, तते णं ते वासुदेवपामुक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव सयाई 2 श्रावासाइं तेणेव उवागच्छंति तहेव जाव विहरंति 5 / तते णं से पडुराया हत्थिणाउरं णयरं अणुपविसति 2 कोड बियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! विउलं असणं 4 तहेव जाव उवणेति, तते णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे राया गहाया कयबलिकम्मा तं विपुलं असणं 4 तहेव जाव विहरंति, तते णं से पंडुराया पंच पंडवे दोवतिं च देविं पट्टयं दुरूहेति 2 सीयापीएहिं कलसेहिं राहावेंति 2 कल्लाणकारं करेति 2 ते वासुदेवपामोक्खे बहवे रायसहस्से विपुलेणं असण 4 पुष्फवत्थेणं सकारेति समाणेति जाव पडिविसज्जेति, तते णं ताई वासुदेवपामोक्खाइं बहुहिं जाव पडिगयाति // सूत्रं 127 // तते णं ते पंच पंडया दोवतीए देवीए सद्धिं घेतो अंतेउर-परियाल सद्धिं कल्लाकलिं वारंवारेणं योरालाति भोगभोगाइं जाव विहरति 1 / तते णं से पंडू राया अन्नया कयाई पंचहिं पंडवेहिं कोंतीए देवीए दोवतीए देवीए य सद्धिं अंतो अंतेउरपरियाल सद्धिं संपरिबुडे सीहासण-वरगते यावि विहरति 2 / इमं च णं कच्छुल्लणारए दंसणेणं अइभदए विणीए अंतो 2 य कलुसहियए मज्झत्थोवस्थिए य अल्लीण-सोम-पियदंसणे सुरूवे अमइलसगल-परिहिए कालमिय-चम्म-उत्तरासंग-रइयवत्थे(च्छे) दराड-कमण्डलु-हत्थे जडामउड-दित्तसिरए जनोवइय-गणेत्तिय मुंजमेहल-वागलधरे हत्थकय-कच्छभीए पियगंधब्वे धरणि-गोयर-पहाणे संवरणावरण-अोवयण-उप्पयणिलेसणीसु य संकामणि-अभियोग-पराणत्ति-गमणी-थंभणीसु य बहुसु विजाहरीसु विज्जासु विस्सुयजसे इट्टे रामस्स य केसवस्स य पज्जुन्न-पईव-संब-अनिरुद्ध-णिसढउम्मुय-सारणगय-सुमुह-दुम्मुहातीण जायवाणं अद्भुट्ठाण कुमारकोडीणं हिययदइए संथवए कलह-जुद्ध-कोलाहलप्पिए भंडणाभिलासी . बहुसु य समर-सय-संपराएसु दंसणरए समंतयो कलहं सदक्खिणं अणुगवेसमाणे Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञातांधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 16 ] [ 207 असमाहिकरे दसार-वरवीर-पुरिस-तिलोक-बलवगाणं आमतेऊण तं भगवती एक(संका)मणिं गगण-गमणदच्छं उप्पइयो गगण-मभिलंघयंतो गामागर. नगर-खेड-कबड-मडंब-दोणमुह-पट्टण-संवा(बा)हसहस्समंडियं थिमियमेइणीतलं वसुहं पोलोइंतो रम्मं हत्थिणारं उवागए पंडुरायभवणंसि अइवेगेण समो. वइए 3 / तते णं से पंडुराया कच्छुल्ल-नारयं एजमाणं पासति 2 पंचहिं पंडवेहिं कुतीए य देवीए सद्धिं ग्रासणातो अभुट्ठति 2 कच्छुल्लनारयं सत्तट्ठपयाई पच्चुग्गच्छइ 2 तिक्खुत्तो पायाहिण-पयाहिणं करेति 2 वंदति णमंसति महरिहेणं यासणेणं उवणिमंतेति, तते णं से कच्छुल्लनारए उदग-परिफोसियाए दब्भोवरिपञ्चत्थुयाए भिसियाए णिसीयति 2 पंडुरायं रज्जे जावं अंतेउरे य कुसलोदंतं पुच्छइ, तते णं से पंडुराया कोंतीदेवी पंच य पंडवा कच्छुल्लणारयं श्रादंति जाव पज्जुवासंति, तए णं सा दोबई कच्छुल्लनारयं अस्संजयं अविरयं अपडिहय-पचक्खाय-पावकम्मंतिकट्टु नो थाढाति नो परियाणइ नो अब्भुट्ठति नो पज्जुवासति 4 // सूत्रं 128 // तते णं तस्स कच्छुल्ल-णारयस्स इमेयारूवे अभत्थिर चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था-ग्रहो णं दोवती देवी रूवेणं जाव लावराणेण य पंचहिं पंडवेहिं अणुबद्धा समाणी ममं णों आढाति जाव नो पज्जुवासइ, तं सेयं खलु मम दोवतीए देवीए विप्पियं करित्तएत्तिकटु एवं संपेहेति 2 पंड्यरायं श्रापुच्छइ 2 उप्पयणिं विज्जं आवाहेति 2 ताए उकिट्ठाए जाव विजाहरगईए लवणसमुद्द मझमज्झेणं पुरस्थाभिमुहे वीइवतिउं पयत्ते यावि होत्था 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं धायइसंडे दीवे पुरथिमद्ध-दाहिणड्ढभरहवासे अपरकंका णामं रायहाणी होत्था, तते णं अमरकंकाए रायहाणीए पउमणाभे णामं राया होत्था महया हिमवंत. वगणयो, तस्स णं पउमनाभस्स रनो सत्त देवीसयाति श्रोरोहे होत्था, तस्स णं पउमनाभस्स रगणो सुनाभे नाम पुत्ते जुबराया यावि होत्था, तते णं से Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 208 ] [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः पउमणाभे राया तो अंतेउरंसि ओरोहसंपरिबुडे सिंहासणवरगए विहरति, 2 / तए णं से कच्छुल्लणारए जेणेव अमरकंका रायहाणी जेणेव पउमनाहस्स भवणे तेणेव उवागच्छति 2 पउमनाभस्स रनो भवणंसि झत्तिं वेगेणं समोवइए, तते णं से पउमनाभे राया कच्छुल्लं नारयं एजमाणं पासति 2 श्रासणातो अभुट्ठति 2 अग्घेणं जार ग्रासणेणं उवणिमंतेति 3 / तए णं से कच्छुलनारए उदय-परिफोसियाए दभोवरि-पञ्चत्थुयाते भिसियाए निसीयइ जाव कुसलोदंतं श्रापुच्छइ, तते णं से पउमनाभे राया णियग़श्रोरोहे जायविम्हए कच्छुल्लणारयं एवं वयासी-तुभं देवाणुप्पिया ! बहूणि गामाणि जाव गेहातिं अणुपविससि, तं अस्थि याइं ते कहिचि देवाणुप्पिया! एरिसए योरोहे दिट्ठपुब्वे जारिसए णं मम योरोहे ? 4 / तते णं से कच्छुल्लनारए पउमनाभेणं रना एवं वुत्ते समाणे ईसिं विहसियं करेइ 2 एवं वयासी-सरिसे णं तुमं पउमणाभा ! तस्स अगडददुरस्स, के णं देवाणुप्पिया ! से अगडददुरे ?, एवं जहा मल्लिणाए एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबद्दीवे 2 भारहे वासे हथिणाउरे दुपयस्स रराणो धूया चूलणीए देवीए अत्तया पंडुस्स सुराहा पंचराहं पंडवाणं भारिया दोवती देवी. स्वेण य जाव उकिट्ठसरीरा दोवईए णं देवीए छिन्नस्सवि पायंगुट्टयस्स अयं तव अोरोहे सतिमपि कलं ण अग्धतित्तिकटु, पउमणाभं यापुच्छति 2 जाव पडिगए 2, 5 / तते णं से पउमनाभे राया कच्छुल्लनारयस्स अंतिए एयम8 सोचा णिसम्म दोवतीए देवीए रूवे य 3. मुच्छिए 4 दोवईए अज्झोववन्ने जेणेव पोसहसाला तेणेव उवगच्छति 2 पोसहसालं जाव पुव्वसंगतियं देवं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे हत्थिणाउरे जोव सरीरा तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! दोवती देवीं इहमाणियं, तते णं पुव्वसंगतिए देवे पउमनाभं एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया ! एयं भूयं वा भव वा भविस्सं वा जगणं दोवती देवी पंच पंडवे मोत्तूण अन्नेणं पुरिसेणं Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 16 ] [209 सद्धिं ओरालाति जाव विहरिस्सति, तहाविय णं अहं तव पियट्टतयाए दोवती देविं इहं हव्वमाणेमित्तिकटु पउमणाभं श्रापुच्छइ 2 ताए उक्किट्ठाए जाव लवणसमुद्द मज्झमज्झेणं जेणेव हत्थिणाउरे णयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए 6 / तेणं कालेणं 2 हत्थिणाउरे जुहिडिल्ले राया दोवतीए सद्धिं उप्पिं श्रागासतलंसि सुहपसुत्ते यावि होत्था, तए णं से पुवसंगतिए देवे जेणेव जुहिडिल्ले राया जेणेव दोवती देवी तेणेव उवागच्छति 2 दोवतीए देवीए योसोवणियं दलयइ 2 दोवतिं देविं गिराहइ 2 ताए उकिट्ठाए जाव जेणेव अमरकंका जेणेव पउमणाभस्स भवणे तेणेव उवागच्छति 2 पउमणाभस्स भवणंसि असोगवणियाए दोवति देवी ठावेइ 2 श्रोसोवणिं अवहरति 2 जेणेव पउमणाभे तेणेव उवागच्छति 2 एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया! मए हथिणाउरायो दोवती इह हव्वमाणीया तव असोगवणियाए चिट्ठति, अतो परं तुमं जाणसित्तिक? जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए 7 / तते णं सा दोवई देवी ततों मुहुत्तरस्स पडिबुद्धा समाणी तं भवणं असोगवणियं च अपञ्चभिजाणमाणी एवं क्यासी-नो खलु अम्हं एसे सए भवणे, णो खलु एसा अम्हं समा असोगवणिया, तं ण णजति णं अहं केणई देवेण वा दाणवेण वा किंपुरिसेण वा किन्नरेण वा महोरगेण वा गंधब्वेण वा अन्नस्स रराणो असोगवणियं साहरियत्तिकटु योहयमण. संकप्पा जाव झियायति = ! तते रणं से पउमणाभे राया गहाए जाव सव्वालंकारभूसिए अंतेउर-परियाल-संपरिखुडे जेणेव असोगवणिया जेणेव दोवती देवी तेणेव उवागच्छति 2 दोवती देवी श्रोहय-मणसंकप्पां जाव झियायमाणी पासति 2 ता एवं वयासी-किराणं तुमं देवाणुप्पिया ! योहय जाव झियाहि ?, एवं खलु तुमं देवाणुप्पिया ! मम पुव्वसंगतिएणं देवेणं जंबुद्दीवायो 2 भारहायो वासायो हत्थिणापुरायो नयरायो जुहिट्ठिलस्स रगणो भवणायो साहरिया तं मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! योहयमणसंकप्पा Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 210 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : चतुर्थो विभागः जाव झियाहि, तुमं मए सद्धिं विपुलाई भोगभोगाई भुजमाणी विहराहि 1 / तते णं सा दोवती देवी पउमणाभं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे बारवतिए णयरीए कराहे णामं वासुदेवे ममप्पियभाउए परिवसति, तं जति णं से छराहं मासाणं ममं कूवं नो हव्वमागच्छइ तते णं अहं देवाणुप्पिया ! जं तुमं पदसि तस्स प्राणा-अोवायवयण-णिद से चिट्ठिस्सामि, तते णं से पउमे दोवतीए एयमट्ठ पडिसुणेत्ता 2 दोवतिं देविं कराणंतेउरे ठवेति, तते णं सा दोवती देवी छटुंछट्टेणं अनिक्खित्तेणं यायंबिल-परिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावमाणी विहरति 10 // सूत्रं 126 // तते णं से जुहुटिल्ले राया तयो मुहुत्तेतरस्त पडिबुद्धे समाणे दोवतिं देवि पासे यपासमाणो सयणिज्जायो उ?इ 2 ता दोक्तीए देवीए सवयो समंता मग्गणगवेसणं करेइ 2 त्ता दोवतीए देवीए कत्थइ सुई वा खुइं वा पत्तिं वा अलभमाणे जेणेव पंडुराया तेणेव उवागच्छति 2 ता पंडुरायं एवं वयासी-एवं खलु तायो ! ममं अागासतलगंसि पसु. त्तस्स पासातो दोवती देवी णं गजति केणइ देवेण वा दाणवेण वा किनरेण वा महोरगेण वा गंवव्वेण वा हिया वा णीया वा अवक्खित्ता वा ?, इच्छामि णं तायो ! दोक्तीए देवीए सब्बतो समंता मंग्गणगवेसणं कयं 1 / तते णं से पंडुराया कोडुबिरपुरिसे. सद्दावेइ 2 एवं वयासीगच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! हत्यिणाउरे नयरे सिंघाडग-तिय-चउक्कचचर-महापहपहेसु महया 2 सद्दणं उग्गोसेमाणा 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! जुहिट्ठिलस्स रगणो श्रागासतलगंसि सुहपसुत्तस्स पासातो दोवती देवी ण णजति केणइ देवेण वा दाणवेण वा किंपुरिसेण वा किन्नरेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा हिया वा नीया वा अवक्खित्ता वा, तं जो णं देवाणुप्पिया ! दोवतीए देवीए सुति वा जाव पवित्तिं वा परिकहेति तस्स णं पंडुराया विउलं अत्थसंपयाणं दाणं दलयतित्तिकटु Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीज्ञाताधर्मकथाज-सूत्रम् / अध्ययनं 16 ] [211 घोसणं घोसावेह 2 एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह 2 / तते णं ते कोडुबियपुरिसा जाव पञ्चप्पिणंति, तवे णं से पंडू राया दोवतीए देवीए कत्थति सुई वा जाव अलभमाणे कोंती देवीं सदावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम देवाणुप्पिया ! बारवति णयरिं कराहस्स वासुदेवस्स एयम8 णिवेदेहि, कराहे णं परं वासुदेवे दोवतीए मग्गणगवेसणं करेजा, अन्नहा न नजइ दोवतीए देवीए सुती वा खुर्ती वा पवत्तीं वा उपलभेजा 3 / तते णं सा कोंती देवी पंडुरराणा एवं वुत्ता समाणी जाव पङिसुणेइ 2 राहाया कयबलिकम्मा हथिखंधवरगया हत्थिणाउरं मझमज्झेणं णिग्गच्छइ 2 कुरुजणवयं मझमझेणं जेणेव सुरटुजणवए जेणेव बारवती णयरी जेणेव अग्गुजाणे तेणेव उवागच्छति 2 हत्थिखंधागो पचोरुहति 2 कोंडुबियपुरिसे सदावेइ 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! जेणेव बारवई णयरिं बारवतिणयरिं अणुपविसह 2 कराहं वासुदेवं करयल जाव एवं वयह-एवं खलु सामी ! तुम्भं पिउच्छा कोंती देवी हत्थिणाउरायो नयरायो इह हव्वमागया तुब्भं दंसणं कंखति, तते णं ते कोडुबियपुरिसा जाव कहेंति 4 / तते णं कराहे वासुदेवे कोडुबियपुरिसाणं अंतिए सोचा णिसम्म हथिखंधवरगए हयगय बारवतीए य मझमज्झेणं जेणेव कोंती देवी तेणेव उवागच्छति 2 हत्थिखंधातो पचोरुहति 2 कोंतीए देवीए पायग्गहणं करेति 2 कोंतीए देवीए सद्धिं हत्थिखधं दुरूहति 2 बारवतीए णयरीए मझमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति 2 सयं गिहं अणुपविसति 5 / तते णं से करहे वासुदेवे कोंती देविं राहायं कयबलिकम्म जिमिय-भुत्तुत्तरागयं जाव सुहासणवरगयं एवं वयासी-संदिसउ पिउच्छा ! किमागमहापोयणं ?, तते णं सा कोंती देवी कराहं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु पुत्ता ! हस्थिमाउरे गायरे जुहिट्ठिलस्स श्रागासतले मुहपसुत्तस्स पासायो दोवती देवी ण णजति केणइ अवहिया जाव अवक्खित्ता वा, तं इच्छामि णं पुत्ता ! Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाडा वासुदेवे कोड जिहा पंडू तहा पाया अंतो अंते 212 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभाग: दोवतीए देवीए मग्गणगवेसणं कयं 6 / तते णं से कराहे वासुदेवे कोंती पिउच्छि एवं वयासी-जं णवर पिउच्छा : दोवती देवीए. कथइ सुई वा जाव लभामि तो णं अहं पायालायो वा भवणायो वा श्रद्धभरहायो वा समंतयो दोवतिं साहत्थिं उवणेमित्तिक? कोंती पिउत्थि(च्छिं) सकारेति सम्माणेति जाव पडिविसज्जेति, तते णं सा कोंती देवी कराहेणं वासुदेवेणं पडिविसज्जिया समाणी जामेव दिसिंपाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया 7 / तते णं से कराहे वासुदेवे कोड बियपुरिसे सहावेइ 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! बारवति एवं जहा पंडू तहा घोसणं घोसावेति जाव पञ्चप्पिणंति, पंडुस्स जहा, तते णं से कराहे वासुदेवे अन्नया अंतो अंतेउरगए बोरोहे जाव विहरति, इमं च णं कच्छुल्लए जाव समोवइए जाव णिसीइत्ता कराहं वासुदेवं कुसलोदंतं पुच्छइ = / तते णं से कराहे वासुदेवे कच्छुल्लं एवं वयासी-तुम णं देवाणुप्पिया ! बहृणि गामा जाव अणुपविससि, तं अत्थि याई ते कहिंवि दोवतीए देवीए सुती वा जाव उवलद्धा ?, तते णं से कच्छुल्ले कराहं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अन्नया धायतीसंडे दीवे पुरस्थिमद्धं दाहिणड्ड-भरहवासं अवरकंका-रायहाणिं गए, तत्थ णं मए पउमनाभस्स रन्नो भवणंसि दोवती देवी जारिसिया दिट्ठपुव्वा यावि होत्था, तते णं कराहे वासुदेवे कच्छुल्लं एवं वयासी-तुभं चेव णं देवाणुप्पिया ! एवं पुब्बकम्म, तते णं से कच्छुलनारए कराहेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे उप्पयणिं विज्ज आवाहेति 2 जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसि पडिगए 1 / तते णं से कराहे बाबुदेवे द्वयं सहावेइ 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! हथिणारं पंडुस्स रन्नो एयमट्ठ निवेदेहि-एवं खलु देवाणुप्पिया ! धायइसंडे. दीवे पुरिच्छमद्धे अवरकंकाए रायहाणीए पउमणाभ-भवणंसि दोक्सीए देवीए पउत्ती उवलद्धा, तं गच्छंतु पंच पंडवा चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिखुडा पुरथिमवेयालीए Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीधर्मकज्ञाताथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 16 ] [ 213 मम पडिवालेमाणा चिट्टतु, तते णं से दूर जाव भणति, पडिवालेमाणा चिट्टह, तेवि जाव चिट्ठांति, तते णं से कराहे वासुदेवे कोडबियपुरिसे सदावेइ 2 ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! सन्नाहियं भेरि ताडेह, तेवि तालेंति, तते णं तीसे सराणाहियाए भेरीए सह सोचा समुदविजय-पामोक्खा दसदसारा जाव छप्पराणं बलवयसाहस्सीयो सन्नद्धबद्ध जाव गहियाउहपहरणा अप्पेगतिया हयगपा गयगया जाव वग्गुरापरिक्खित्ता जेणेव सभा सुधम्मा जेणेव कराहे वासुदेवे तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव बद्धाति 10 / तते णं कराहे वासुदेवे हत्थिखंधवरगए सकोरेंट-मल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवर-चामराहिं उद्धृब्वमाणीहिं हयगयरह-पवरजोह-कलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे महया भड-चडगर-पहकरेणं बारवती णयरी मझमझेणं णिग्गच्छति, जेणेव पुरस्थिमवेयाली तेणेव उवागच्छति 2 पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं एगयो मिलइ 2 खंधावारणिवेसं करेति 2 पोसहसालं अणुपविसति 2 सुट्ठियं देवं मणसि करेमाणे 2 चिट्ठति, नते णं कराहस्स वासुदेवस्स अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि सुट्टियो अागतो, भण देवाणुप्पिया ! जं मए कायव्वं 11 / तते णं से कराहे वासुदेवे सुट्टियं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! दोवती देवी जाव पउमनाभस्स भवणंसि साहरिया तराणं तुमं देवाणुप्पिया / मम पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्ठस्स छराहं रहाणं लवणसमुद्दे मग्गं वियरेहि, जगणं अहं अमरकंकारायहाणी दोवतीए कूवं गच्छामि 12 / तते णं से सुटिए देवे कराहं वासुदेवं एवं वयासी-किराहं देवाणुप्पिया ! जहा चेव पउमणाभस्स रनो पुव्वसंगतिएणं देवेणं दोवती जाव संहरिया तहा चेव दोवतिं देवि धायती-संडायो दीवायो भारहायो जाव हत्थिणापुरं साहरामि, उदाहु पउमणाभं रायं सपुरबलवाहणं लवणसमुद्दे पक्खिवामि ?, तते णं कराहे वासुदेवे सुट्टियं देवं एवं वयासी-मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 214] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभागः जाव साहराहि तुमं णं देवाणुप्पिया ! लवणसमुद्दे अप्पछट्ठस्स छराह रहाणं मग्गं वियराहि, सयमेव णं अहं दोवतीए कूवं गच्छामि 13 / तए णं से सुटिए देवे कराहं वासुदेवं एवं वयासी-एवं होउ, पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्ठस्स छराहं रहाणं लवणसमुद्दे मग्गं वितरति, तते णं से कराहे वासुदेवे चाउरंगिणीसेनां पडिविसज्जेति 2 पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछ? छहिं रहेहिं लवणसमुद्द मझमज्झेणं वीतीवयति 2 जेणेव अमरकंका रायहाणी जेणेव अमरकंकाए अग्गुजाणे तेणेव उवागच्छइ 2 रहं ठवेइ 2 दास्यं सारहिं सदावेति एवं वयासी-गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! अमरकंकारायहाणी अणुपविसाहि 2 पउमणाभस्स रराणो वामेणं पाएणं पायपीढं अकमित्ता कुतग्गेणं लेहं पणामेहि तिवलियं भिउडि णिडाले साहटु आसुरुत्ते रु? कुद्धे कुविए चंडिकिए एवं वयामी-हं भो पउमणाहा ! अपत्थियात्थिया दुरंतपंतलक्खणा हीणपुन्नचाउद्दसा सिरीहिरिधीपरिवजिया अज ण भवसि किन्नं तुमं ण याणासि कराहस्स वासुदेवस्स भगिणिं दोवतिं देवि इहं हव्वं प्राणमाणे ?, तं एयमवि गए पञ्चप्पिणाहि णं तुमं दोवतिं देविं कराहस्म वासुदेवस्स अहव णं जुद्धसज्जे णिग्गच्छाहि, एस णं कराहे वासुदेव पंचहिं पंडवेहिं अप्पछ? दोवतीदेवीए कूवं हव्वमागए 14 / तते णं से दारुए सारही कराहेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्टे जाव पडिसुणेइ 2 अमरकंकारायहाणं अणुपविसति 2 जेणेव पउमनाहे तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी-एस णं सामी ! मम विणयपडिवित्ती, इमा अन्ना मम सामिस्स समुहाणत्तित्तिकट्टु प्रासुरुत्ते वामपाएणं पायपीढं अणुक्कमति 2 कोतग्गेणं लेहं पणामति 2 ता जाव कूवं हव्वमागए 15 / तते णं से पउमणामे दारुणेणं सारहिणा एवं वुत्ते समाणे त्रासुरुत्ते तिवलिं भिउडिं निडाले साहमु एवं वयासी–णो अप्पि Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथा-सूत्रम् / / अध्ययनं 16 ] [ 215 णामि णं अहं देवाणुप्पिया ! कराहस्स वासुदेवस्स दोवति, एस णं अहं सयमेव जुज्झसजो णिग्गच्छामित्तिकटु दास्यं सारहिं एवं वयासी-केवलं भो / रायसत्थेसु दूये अवज्झत्तिकटु असकारिय असम्माणिय अवदारेणं णिच्छुभावेति 16 / तते णं से दारुए सारही पउमणाभेणं असकारिय जाव णिच्छूढे समाणे जेणेव कराहे वासुदेवे तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव कराहं जाव एवं वयासी-एवं खलु अहं सामी ! तुभं वयणेणं जाव णिच्छुभावेति, तते णं से पउमणाभे बलवाउयं सदावेति 2 एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! ग्राभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह, तयाणंतरं च णं छेयायरिय-उवदेसमइ-विकप्पणाविगप्पेहिं जाव उवणेति, तते णं से पउमनाहे सन्नद्ध-हत्थिखंधवरगये अभिसेयं० दूरूहति 2 हयगय जेणेव कराहे वासुदेवे तेणेव पहोरस्थ गमणाए 17 / तते णं से कराहे वासुदेवे पउमणाभं रायाणं एजमाणं पासति 2 ते पंच पंडवे एवं वयासी-हं भो दारगा ! किन्नं तुम्भे पउमनाभेणं सद्धिं जुझिहिह उयाहु पेच्छिहिह ?, तते णं ते पंच पंडवा कराहं वासुदेवं एवं वयासी-अम्हे णं सामी ! जुझामो तुम्भे पेच्छह, तते णं पंच पंडवे सराणद्ध जाव पहरणा रहे दुरूहंति 2 जेणेव पउमनाभे राया तेणेव उगच्छंति 2 एवं वयासी-अम्हे पउमणाभे वा रायत्तिकटटु पउमनाभेणं सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था, तते णं से पउमनाभे राया ते पंच पंडवे खिप्पामेव हयमहिय-पवर-विवडियचिन्ध-द्धय-पडागा जाव दिलोदिसि पडिसेहेतित्ति 18 / तते णं ते पंच पंडवा पउमनाभेणं रना हयमहियपवरविवडिय जाव पडिसेहिया समाणा अत्थामा जाव अधारणिजत्तिकटु जेणेव कराहे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति तते णं से कराहे वासुदेवे ते पंच पंडवे एवं वयासी-कहराणं तुमे देवाणुप्पिया ! पउमणाभण रन्ना सद्धिं संपलग्गा ?, तते णं ते पंच पंडवा कण्हं वासुदेव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे तुब्भेहिं अब्भणुनाया Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 216 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः समाणा सन्नद्ध जाव गहियाउहपहरणा रहे दुरूहामो 2 जेणेव पउमनाभे जाव पडिसेहेति 11 / तते णं से कराहे वासुदेवे ते पंच पंडवे एवं वयासी-जति णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! एवं वयंता अम्हे णो पउमनामे रायत्तिकट्टु पउमेनाभेणं सद्धिं संपलग्गंता तो णं तुम्भे णो पउमणाहे हयमहियपवर जाव पडिसेहिया, तं पेच्छह गां तुब्भे देवाणुप्पिया! अहं नो पउमणाभे रायत्तिकट्टु पउमनाभेणं स्ना सद्धिं जुज्झामि, रहं दुरूहति 2 जेणेव एउमनाभे राया तेणेव उवागच्छति 2 सेयं गोखीरहारधवलं तण-सोल्लिय-सिंदुवार-कुदेंदु-सन्निगासं निययबलस्स हरिसजणणं रिउसेगणविणासकरं पंचवराणं संखं परामुसति 2 मुहवायपरियं करेति, तते णं तस्स पउमणाहम्म तेणं संखसदेणं बलतिभाए हते जाव पडिसेहिए, तते णं से कराहे वासुदेवे धणु परामुसति वेढो, धणु पूरेति 2 घणुस करेति, तते णं तस्स पउमनाभस्स दोच्चे बलतिभाए तेणं धणुसहेणं हयमहिय जाव पडिसेहिए 20 / तते णं से पउमणाभे राया तिभाग-बलावसेसे अत्थामे अबले अवीरिए अपरिसकार-परकम्मे अधारणिज्जत्तिकट्टु सिग्धं तुरियं जेणेव अमरकंका तेणेव उवागच्छति 2 अमरकंकं रायहाणिं अग्मुपविसति 2 दारातिं पिहेति 2 रोहसज्जे चिट्ठति 21 / तते रणं से कराहे वासुदेवे जेणव अमरकंका तेणेव उवागच्छति 2 रहं ठवेति 2 रहातो पञ्चोरूहति 2 वेउब्विय-समुग्घाएणं समोहणति, एगं महं णरसीहरूवं विउव्वति 2 महया 2 सद्दणं पादददरियं करेति, तते णं से कराहेणं वासुदेवेणं महया 2 सद्देणं पाददद्दरएणं कएणं समारेणं अमरकंका रायहाणी संभग्ग-पागार-गोपुराट्टालय-चरिय-तोरण-पल्हत्थिय-पवर-भवण-सिरिघरा सरस्सरस्स धरणियले सन्निवइया, तते णं से पउमणाभे राया अमरकंकं रायहाणिं संभग्ग जाव पासित्ता भीए दोवतिं देवि सरणं उवेति, तते णं सा दोवई देवी पउमनाभं रायं एवं वयासी-किरणं तुमं देवाणुप्पिया ! Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / / अध्ययनं 16 ] [ 217 न जाणसि कराहस्स वासुदेवस्स उत्तमपुरिसस्स विप्पियं करेमाणे ममं इह हव्वमाणेसि, तं एवमवि गए गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! राहाय उल्लपडसाडए अवचूलगवत्थणियत्थे अंतेउर-परियाल-संपरिवुडे अग्गाइं वराई रयणाई गहाय ममं पुरतो काउं कराहं वासुदेवं करयलपायपडिए सरणं उवेहि, पणिवइय-वच्छला णं देवाणुप्पिया ! उत्तमपुरिसा, तते णं से पउमनाभे दोवतीए देवीए एयम४ पडिसुणेति 2 राहाए जार सरणं उवेति 2 करयल जाव एवं वयासी-दिट्ठा णं देवाणुप्पियाणं इड्डी जाव परकमे तं खामेमि णं देवाणुप्पिया! जाव खमंतु णं जाव णाहं भुजो 2 एवंकरणयाएत्तिकटु पंजलिवुडे पायवडिए कराहस्स वासुदेवस्स दोवतिं देवि साहत्थिं उवणेति 22 / तते णं से कराहे वासुदेवे पउमणाभं एवं वयासीहं भो पउमणाभा! अप्पत्थियपत्थिया 4 किराणं तुमं ण जाणसि मम भगिणि दोवती देवीं इह हव्वमाणमाणे ? तं एवमवि गए णस्थि ते ममाहितो इयाणिं भयमस्थित्तिकटु पउमणाभं पडिविसज्जेति, दोवति देविं गिराहति 2 रहं दुरूहेति 2 जेणेव पंच पंडवे तेणेव उवागच्छति 2 पंचराहं पंडवाणं दोवतिं देविं साहत्थि उवणेति, तते णं से कराहे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछ? छहिं रहेहिं लवणसमुद्द मझमज्झणं जेणेव जंबुद्दीचे 2 जेणेव भारहे वासे तेणेव पहारेत्य गमणाए 23 // सूत्रं 130 // . ... ते णं काले णं 2 धायतिसंडे दीवे पुरच्छिमद्धे भारहे वासे चंपा णामं णयरी होत्था, पुराणभद्दे चेतिए, तत्थ णं चंपाए नयरीए कविले णामं वासुदेवे राया होत्था, महया हिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे जाव पसंतडिंब-डमरं रज्जं पसासेमाणे विहरति, वराणयो 1 / तेणं कालेणं 2 मुणिसुव्वए यरहा चंपाए पुराणभद्दे समोसढे, कपिले वासुदेवे धम्भं सुणेति, तते णं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयस्स अरहतो. धम्म सुणेमाणे कराहस्स वासुदेवस्स संखसह सुणेति 2 / तते णं तस्स कविलस्स Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 218 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः वासुदेवस्स इमेयारूवे अभत्थिए समुप्पजित्था-किं मराणे धायइसंडे दीवे भारहे वासे दोच्चे वासुदेवे समुप्पराणे ? जस्स णं अयं संखसद्दे ममंपिव मुहवायपूरिते वियंभति, कविले वासुदेवे सदाति सुणेइ, मुणिसुब्वए अरहा कविलं वासुदेवं एवं वयासी-से गुणं ते कविला वासुदेवा ! मम अंतिए धम्मं णिसामेमाणस्स संखसह प्राकरिणत्ता इमेयारूवे अभत्थिए-किं मन्ने जाव वियंभइ, से गूणं कविला वासुदेवा ! अयम? सम? ?, हंता ! अत्थि, नो खलु कविला ! एवं भूयं वा 3 जन्न एगे खेत्ते एगे जुगे एगे समए दुवे अरहंता वा चकवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा उप्पजिंसु उप्पजिति उप्पजिस्संति वा, एवं खलु वासुदेवा ! जंबुद्दीवायो भारहायो वासायो हथिणाउरणयरायो पंडुस्स रराणो सुराहा पंचराहं पंडवाणं भारिया दोवती देवी तव पउमनाभस्स रराणो पुव्वसंगतिएणं देवेणं अमरकंकाणयरिं साहरिया, तते णं से कराहे वासुदेवे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछ? छहिं रहेहिं अमरकंकं रायहाणि दोवतीए देवीए कूवं हव्वमागए, तते णं. तस्स कराहस्स वासुदेवस्स पउमणाभेणं रगणा सद्धिं संगाम संगामेमाणस्स अयं संखसद्दे तव मुहवायपूरिते इव इट्टे कंते इहेव वियंभति 2 / तए णं से कविले वासुदेवे मुणिसुब्बयं वंदति 2 एवं वयासी-गच्छामि णं अहं भंते ! कराहं वासुदेवं उत्तमपुरिसं सरिसपुरिसं पासामि, तए णं मुणिसुव्वए अरहा कविलं वासुदेवं एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया ! एवं भूयं वा 3 जराणां अरहता वा अरहतं पासंति चकवट्टी वा चकवष्टुिं पासंति बलदेवा वा बलदेवं पासंति वासुदेवा वा वासुदेवं पासंति, तहविय णं तुमं कराहस्स वासुदेवस्स लवणसमुद्दमझमज्झेणां वीतिवयमाणस्स सेयापीयाई धयग्गाति पासिहिसि 3 / तते णं से कविले वासुदेवे मुणिसुब्वयं वदति 2 हत्थिखंधं दुरूहति 2 सिग्घ 2 जेणेव वेलाउले तेणेव उवागच्छति 2 कराहस्स वासुदेवस्स लवणसमुद्द मझमझेणं वीतिवयमाणस्स सेयापीयाहिं Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 16 ] [ 216 धयग्गातिं पासति 2 एवं वयइ-एस णं मम सरिसपुरिसे उत्तमपुरिसे कराहे वासुदेवे लवणसमुह मज्झमज्झेणं वीतीवयतित्तिकट्टु पंचयन्नं संखं परामुसति मुहवायपूरियं करेति, तते णं से कराहे वासुदेवे कविलस्स वासुदेवस्स संखसह प्रायन्नेति 2 पंचयन्नं जाव परियं करेति, तते णं दोवि वासुदेवा संखसद्दमामायारिं करेति, तते णं से कविले वासुदेवे जेणेव अमरकंका तेणेव उवागच्छति 2 अमरकंक रायहाणिं संभग्गतोरणां जाव पासति 2 पउमणाभं एवं वयासी-किन्नं देवाणुप्पिया ! एसा अमरकंका संभग्ग जाव सन्निवइया ?, तते णं से पउमणाहे कविलं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु सामी ! जंबुद्दीवायो दीवायो भारहायो वासायो इह हव्वमागम्म कराहेणं वासुदेवेणं तुम्भे परिभृय अमरकंको जाव सन्निवाडिया 4 / तते णं से कविले वासुदेवे पउमणाहस्स अंतिए एयमटुं सोचा पउमणाहं एवं वयासी-हं भो ! पउमणाभा ! अपत्थियपत्थिया किन्नं तुम न जाणसि मम सरिसपुरिसस्स कराहस्स वासुदेवस्स विप्पियं करेमाणे ?, श्रासुरुत्ते जाव पउमणाहं णिव्विसयं श्राणवेति, पउमणाहस्स पुत्तं अमरकंकारायहाणीए महया 2 रायाभिसेएणं अभिसिंचति जाव पडिगते 5 // सूत्रं 131 // तते णं से कराहे वासुदेवे लवणसमुद्द मझमझणं वीतिवयति, ते पंच पंडवे एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! गंगामहानदि उत्तरह जाव ताव अहं सुट्ठियं लवणाहिवई पासामि 1 / तते णं ते पंच पंड्या कराहेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा जेणेव गंगामहानदी तेणेव उवागच्छंति 2 एगट्ठियाए णावाए मग्गणगवेसणं करेंति 2 एगट्टियाए नावाए गंगामहानदि उत्तरंति 2 अण्णमरणं एवं वयन्ति-पहू णं देवाणुप्पिया ! कराहे वासुदेवे गंगामहाणदिं बाहाहिं उत्तरित्तए उदाहु णो पभू उत्तरित्तएत्तिकटु एगट्ठियायो नावायो मेति 2 कराहं वासुदेवं पडिवालेमाणा 2 चिट्ठति 2 / तते णं से कराहे वासुदेवे सुट्टियं लवणाहि Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 220 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः वई पासति 2 जेणेव गंगा महाणदी तेणेव उवागच्छति 2 एगट्टियाए सव्वयो समंता मग्गणगवेसणं करेति 2 एगट्ठियं अपासमाणे एगाए बाहाए रहं सतुरगं ससारहिं गेराहइ एगार बाहाए गंगं महाणदि बासहिँ जोयणाति अद्धजोयणं विच्छिन्नं उत्तरिउं पयत्ते यावि होत्था, तते णं से कराहे वासुदेवे गंगामहाणदीए बहुमज्झदेसभागं संपत्ते समाणे संते तंते परितंते बद्धसेए जाए यावि होत्था 3 / तते णं कराहस्स वासुदेवस्स इमे एयासवे अभत्थिए जाव समुप्पजित्था-ग्रहो णं पंच पंडवा महाबलवगा जेहिं गंगामहाणदी बासढि जोयणाई श्रद्धजोयणं च विच्छिराणा बाहाहिं उत्तिराणा, इच्छंतएहिं णं पंचहिं पंडवेहिं पउमणाभे राया जाव णो पडिसेहिए 4 / तते णं गंगादेवी कराहस्स वासुदेवस्स इमं एयारूवं श्रब्भथियं जाव जाणित्ता थाहं वितरति 4 / तते णं से कराहे वासुदेवे मुहुत्तरं समासासति 2 गंगामहाणदि वावढेि जाव उत्तरति जेणेव पंच पंडवा तेणेव उवागच्छति पंच पंडवे एवं वयासी-ग्रहो णं तुम्भे देवाणुप्पिाया ! महाबलवगा जेणं तुब्भेहिं गंगामहाणदी बासट्टि जाव उत्तिराणा, 'इच्छंतपहिं तुम्भेहिं पउम जाव णो पडिसेहिए, तते णं ते पंच पंडवा कराहेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा कराहं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुपिया ! अम्हे तुम्भेहिं विसजिया समाणा जेणेव गंगा महाणदी तेणेव उवागच्छामो 2 एगट्टियाए मग्गणगवेसणं तं चेव जाव गुमेमो तुन्भे पडिवालेमाणा चिट्ठामो 5 / तते णं से कराहे वासुदेवे तेसिं पंचराहं पांडवाणं एयम8 सोचा णिसम्म बासुरुत्ते जाव तिवलियं एवं वयासी-ग्रहो णं जया मए लवणसमुद्द दुवे जोयणसयसहस्सा विच्छिण्णं वीतीवइत्ता पउमणाभं हयमहिय जाव पडिसेहित्ता अमरकंका संभग्गतोरणा दोवती साहत्थिं उवणीया तया णं तुम्भेहिं मम माहप्पं ण विराणायं इयाणिं जाणिस्सहत्तिकट्टु लोहदंडं परामुसति, पंचराहं पंडवाणं रहे चूरेति 2 Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 16 ] [ 221 णिधिसए आणवेति 2 तत्थ णं रहमदणे णामं कोड्डे णिविढे 6 / तते णं से कराहे वासुदेवे जेणेव सए खंधावारे तेणेव उवागच्छइ 2 सएणं खंधावारेणं सद्धिं अभिसमन्नागए यावि होत्था, तते णं से कराहे वासुदेवे जेणेव बारवई णयरी तेणेव उवागच्छति 2 अणुपविसति 7 ॥सूत्रं 132 // तते णं ते पंच पंडवा जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागच्छन्ति 2 जेणेव पंडू तेणेव उवागच्छंति 2 करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु तायो ! अम्हे कराहेणं णिविसया प्राणत्ता, तते णं पंडुराया ते पंच पंडवे एवं वयासीकहराणं पुत्ता ! तुम्भे कराहेणं वासुदेवेणं णिविसया प्राणत्ता ?, तते णं ते पंच पंडवा पंडुरायं एवं क्यासी-एवं खलु तायो ! अम्हे अमरकंकातो पडिणियत्ता लवणसमुह दोन्नि जोयण सयसहस्साई वीतिवतित्ता(त्था), तए णं से कराहे अम्हे एवं वयासि-गच्छह णं तुम्मे देवाणुप्पिया ! गंगामहाणदि उत्तरह जाव चिट्ठह ताव अहं एवं तहेव ताव चिट्ठामो 1 / तते णं से कराहे वासुदेवे सुट्टियं लवणाहिवई दट्टण तं चेव सव्वं नवरं कराहस्स चिंता | जुज(वुच्च)ति जाव अम्हे णिव्विसए श्राणवेति 2 / तए णं से पंडुराया ते पंच पंडवे एवं वयासी-दूट्ठ णं पुत्ता ! कयं कराहस्स वासुदेवस्स विप्पियं करेमाणेहिं, तते णं से पंडू राया कोंतिं देविं सदावेति 2 एवं वयासी-गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! बारवति कराहस्स वासुदेवस्स णिवेदेहि-एवं खलु देवाणुप्पिया ! तुम्हे पंच पंडवा णिविसया प्राणत्ता तुमं च णं देवाणुप्पिया ! दाहिणड्डभरहस्स सामी तं संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! ते पंच पंडवा कयरं दिसि वा विदिसं वा गच्छंतु ?, तते णं सा कोंती पंडुणा एवं वुत्ता समाणी हत्थिखधं दुरूहति 2 जहा हेट्ठा जाव संदिसंतु णं पिउत्था ! किमागमण-पयोयणं ?, तते णं सा कोंती कराहं वासुदेवं एवं वयासी--एवं खलु पुत्ता ! तुमे पंच पंडवा णिव्विसया प्राणत्ता तुमं च णं दाहिणद्वभरह जाब विदिसं वा गच्छंतु ?, तते णं से कराहे. वासुदेवे कोंति Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 222 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थों विभाग देवि एवं वयासी---अपूईवयणा णं पिउत्था | उत्तमपुरिसा वासुदेवा बलदेवा चकवट्टी, तं गच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! पंच पंडवा दाहिणिल्लं वेयालिं तत्थ पंडुमहुरं णिवेसंतु ममं अदिट्ठसेवगा भवंतुत्तिकटु कोंति देविं सकारेति सम्माणेति जाव पडिविसज्जेति 3 / तते णं सा कोंती देवी जाव पंडुरस एयमटुंणिवेदेति, तते णं पंडू पंच पंडवे सदावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुझे पुत्ता ! दाहिणिल्लं वेयालिं तत्थ णं तुम्भे पंडुमहुरं णिवेसेह, तते णं पंच पंडवा पंडस्स रराणो जाव तहत्ति पडिसुणेति सबलवाहणा हयगयरह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिखुडा हत्थिणाउरायो पडिणिक्खमंति 2 जेणेव दक्खिणिल्ले वेयाली तेणेव उवागच्छंति 2 पंडुमहुरं नगरिं निवेसेति 2 तत्थ णं ते विपुलभोगसमितिसमराणागया यावि होत्था 4 // सूत्रं 133 // तते णं सा दोवई देवी अन्नया कयाई श्रावराणसत्ता जाया यावि होत्था, तते णं सा दोवती देवी णवराहं मासाणं जाव सुरुवं दारगं पयाया सूमालं णिवत्तबारसाहस्स इमं एयाख्वं जम्हा गणं अम्हं एस दारए पंचराहं पंडवाणां पुत्ते दोवतीए अत्तए तं होउ अम्हं इमस्स दारगस्स णामधेज्ज पंडुसेणे, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णामधेज्जं करेन्ति पंडुसेणत्ति, बावत्तरि कलायो जाव भोगसमत्थे जाए जुवराया जाव विहरति 1 / थेरा समोसढा परिसा निग्गया पंडवा निग्गया धम्मं सोचा एवं वयासी-- जं गवरं देवाणुप्पिया ! दोवतिं देवि श्रापुच्छामो पंडुसेणं च कुमारं रज्जे अवेमो ततो पच्छा देवाणुप्पियाण अंतिए मुंडे भवित्ता जाव पव्वयामो, अहासुहं देवाणुप्पिया , तते णं ते पंच पंडवा जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छंति 2 दोवति देविं सद्दावेंति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हेहिं थेराणं अंतिए धम्मे णिते जाव पव्वयामो, तुमं देवाणुप्पिए। किं करेसि ?, तते णं सा दोवती देवी ते पंच पंडवे एवं वयासी-जति गां तुम्भे देवाणुप्पिया ! संसारभउन्विग्गा पव्वयह Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग सूत्रम् :: अध्ययनं 16 ] [ 223 ममं के अराणे यालंबे वा जाव भविस्सति ?, अहंपि य णं संसारभउब्बिग्गा देवाणुप्पिएहिं सद्धिं पव्वतिस्सामि, तते णं ते पंच पंडवा पंडुसेणस्स अभिसेश्रो जाव राया जाए जाव रज्जं पसाहेमाणे विहरति 2 / तते गां ते पंच पंडवा दोवती य देवी अन्नया कयाई पंडुसेणं रायाणं यापुच्छंति, तते णं से पंडुसेणे राया कोडबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी--खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! निक्खमणाभिसेयं नाव उवट्ठवेह पुरिस-सहस्स-वाहणीयो सिबियात्रो उबट्ठवेह जाव पचोरुहंति जेणेव थेरा तेणेव उवागच्छति 2 जाव प्रालित्ते णं जाव समणा जाया चोहस्स पुब्वाइं अहिज्जति 2 बहूणि वासाणि छट्ठम-दसम-दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं भावमाणा विहरंति 3 / // सूत्रं 134 // तते णं सा दोवती देवी सीयातो पचोरूहति जाव पवतिया सुव्वयाए अजाए सिस्तिणीयत्ताए दलयति, इकारस अंगाई अहिजइ बहूणि वासाणि छट्टट्ठम-दसम-दुवालसेहिं जाव विहरति // सूत्रं 135 // तते णं थेरा भगवंतो अन्नया कयाई पंडुमहुरातो णयरीतो सहसंबवणायो उजाणाश्रो पडिणिक्खमंति 2 बहिया जणवयविहारं विहरंति 1 / तेणं कालेणं 2 अरिहा रिटुनेमी जेणेव सुरद्वाजणवए तेणेव उवागच्छति 2 सुरद्वाजणवयंसि संजमेणं तवसा अप्पाणां भावमाणे विहरति, तते गां बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमातिक्खइ एवं खलु देवाणुप्पिया ! अरिहा अरिहुनेमी सुरद्वाजणवए जाव विहरति 2 / तते गां से जुहिडिल्लपामोक्खा पंच अणगारा बहुजणस्स अंतिए एयम?' सोचा अन्नमन्नं सद्दावेंति 2 एवं वयासी--एवं खलु देवाणुप्पिया ! परहा अरिहनेमी पुव्वाणुपुवीए जाव विहरइ 3 / तं सेयं खलु अम्हं थेरा आपुच्छित्ता अरहं अरिहनेमि वंदणाए गमित्तए, अन्नमन्नस्स एयमट्ठ पडिसुणेति 2 जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छंति 2 थेरे भगवंते वंदति णमंसंति 2 Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागः त्ता एवं वयासी-इच्छामो णं तुम्भेहिं अब्भणुन्नाया समाणा अरहं अरिट्ठनेमि जाव गमित्तए, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! 4 / तते णं ते जुहिट्ठिलपाभोक्खा पंच अणगारा थेरेहिं अब्भणुन्नाया समाणा थेरे भगवंते वंदंति णम् संति 2 थेराणं अंतियायो पडिणिक्खमंति मासंमासेणं अणिक्खित्तेगां तवोकम्मेणं गामाणुगामं दूईजमाणा. जाव जेणेव हत्थकप्पे नयरे तेणेव उवागच्छंति हत्थकप्पस्स बहिया सहसंबवणे उजाणे जाव विहरंति 5 / तते णं ते जुहिट्ठिलवजा चत्तारि अणगारा मासखमण-पारणए पढमाए पोरसीए सज्झायं करेंति बीयाए एवं जहा गोयमसामी णवरं जुहिट्ठिल्लं श्रापुच्छति जाव अडमाणा बहुजणसहणिसामेति-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अरहा अरिट्ठनेमी उजितसेलसिहरे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं पंचहिं छत्तीसेहिं अणगारसएहिं सद्धिं कालगए जाव पहीणे 6 / तते णं ते जुहिट्ठिलवजा चत्तारि अणगारा बहुजास्स यंतिए एयम8 सोचा हत्थकप्पायो पडिणिक्खमंति 2 जेणेव सहसंबवणे उजाणे जेणेव जुहिटिल्ले अणगारे तेणेव उवागच्छंति 2 भत्तवाणं पच्चुवेक्खंति 2 गमणागमणस्स पडिकाति 2 एसणमणेसणं अालोएंति 2 भत्तपाणं पडिदसेंति 2 एवं वयासी---एवं खलु देवाणुप्पिया ! जाव कालगए तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! इमं पुब्बगहियं भत्तपाणं परिद्ववेत्ता सेत्तुज पव्वयं सणियं सणियं दुरूहित्तए संलहणाए भूसणाझसियाणं कालं अणवकंखमाणाणं विहरित्तएत्तिकटटु अण्णमराणस्स एयमट्ठ पडिसुणेति 2 तं पुव्वगहियं भत्तपा एगंते परिहवेंति 2 जेणेव सेतुञ्ज पन्चए तेणेव उवागच्छंति 2 त्ता सेत्तुञ्ज पव्वयं दुरूहंति 2 जाव कालं अणवकंखमाणा विहरंति 7 / सते गां ते जुहिट्ठिलपामोक्खा पंच अणगारा सामाइय-मातियाति चोइस पुव्वाइं बहूणि वासाणि दोमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसित्ता जस्सट्टाए कीरति णग्गभावे जाव तमट्ठमाराहेति 2 अणंते जाव केवलवरणाणदंसणे Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-जूत्रम् / अध्ययनं 17 ] [ 225 समुप्पन्ने जाव सिद्धा 8 // सूत्रं 136 // तते णं सा दोवती अजा सुव्बयाणं अज्जियाणं अंतिए सामाइयमाझ्याइं एकारस अंगातिं अहिजति 2 बहूणि वासाणि सामराणपरियागं पालयित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसेत्ता सटैि भत्ताइं अणमणाए छेदेत्ता आलोइयपडिक्कता कालमासे कालं किचा बंभलोए उववन्ना, तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिती पत्नत्ता, तत्थ णं दुवतिस्स देवस्स दस सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता, से णं भंते ! दुवए देवे ततो जाव महाविदेहे वासे जाव अंतं काहिति / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं श्राइगरेणं तित्थगरेण जाव संपत्तेणं सोलमरस नायज्झयणस्स अयम? पराणत्तेत्तिबेमि // सूत्र 137 // सोलसमं नायज्झयणं समत्तं // // इति षोडशमध्ययनम् // 16 // // 17 // अथ श्री अश्वाख्यं सप्तदशमध्ययनम् // जति | भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सोलसमस्त णायज्झयणस्स अयम? पराणत्ते सत्तरसमस्स णं भंते णायज्मयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 हत्थिसीसे नयरे होत्था, वराणो, तत्थ णं कणगकेऊ णाम राया होत्था, वरणश्रो 1 / तत्थ णं हस्थिसीसे णयरे बहवे संजुत्ताणावावाणियगा परिवसंति अड्डा जाव बहुजणस्स अपरिभूया यावि होत्था, तते णं तेसिं संजुत्ताणावावाणियगाणं अन्नया एगयश्रो जहा अरहराणो जाव लवणसमुह अणेगाइं जोयणसयाइं योगाढा यावि होत्था, तते णं तेसि जाव बहूणि उप्पातियसयाति जहा मागंदियदारगाणं जाव कालियवाए य तस्थ समुत्थिए, तते णं सा णावा तेणं कालियवाएणं श्राघोलिजमाणी 2 संचालिजमाणी 2 संखोहिजमाणी 2 तत्थेव परिभमति 2 / तते णं से तेसि संजुनाणामाई जोयणसयाई भागदियदारगाणं जाबायोलिजमा Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 226 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः णिजामए णट्ठमतीते णटुसुतीते णट्ठसराणे मूढदिसाभाए जाए यावि होत्था, ण जाणइ कयरं देसं वा दिसं वा विदिसं वा पोयवहणे अवहितत्तिकटु श्रोहयमणसंकप्पे जाव झियायति, तते णं ते बहवे कुच्छिधारा य कराणधारा य गभिल्लगा य संजुत्ताणावावाणियगा य जेणेव से णिज्जामए तेणेव उवागच्छति 2 एवं वयासी-किन्नं तुमं देवाणुप्पिया ! ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह ?, तते णं से णिजामए ते बहवे कुच्छिधारा य 4 एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! णट्ठमतीते जाव अवहिएत्तिकटु ततो श्रोहयमणसंकप्पे जाव झियामि, तते णं ते कराणधारा तस्स णिज्जामयस्स अंतिए एयम8 सोचा णिसम्म भीया 5 राहाया कयबलिकम्मा करयल जाव बहूणं इंदाण य खंधाण य जहा मल्लिनाए जाव उवायमाणा 2 चिट्ठति 3 / तते णं से णिजामए ततो मुहुतंतरस्स लद्धमतीते 3 अमूढदिसाभाए जाए यावि होत्था, तते णं से गिजामए. ते बहवे कुच्छिधारा य 4 एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! लद्धमतीए जाव अमूढदिसाभाए जाए, अम्हे णं देवाणुप्पिया ! कालियदीवंतेगां संवूढा, एस णं कालियदीवे थालोकति, तते णं ते कुच्छिधारा य 4 तस्स णिजागमस्स अंतिए सोचा हट्टतुट्टा पयक्खिणाणुकूलेगां वाएगां जेणेव कालीयदीवे तेणेव उवागच्छंति 2 पोयवहां लति 2 एगट्ठियाहिं कालियदीवं उत्तरंति 4 / तत्थ णं बहवे हिरगणागरे य सुवराणागरे य रयणागरे य वइरागरे य बहवे तस्थ अासे पासंति, किं ते ?, हरिरेणुसोणिसुत्तंगा आईणवेढों, तते णं ते अासा ते वाणियए पासंति तेर्सि गंधं अग्घायंति 2 भीया तत्था उब्धिग्गा उब्बिग्गमणा ततो श्रणेगाइं जोइणाति उब्भमंति, ते णं तत्थ पउरगोयरा पउरतण-पाणिया निन्भया निरुव्विग्गा सुहंसुहेण विहरति 5 / तए णं संजुत्तानावा-वाणियगा अराणमराणां एवं वयासी-किराहं अम्हें देवाणुप्पिया ! प्रासेहिं ?, इमे णं बहवे हिरराणागरा य सुवरणागरा य रयणांगरा य वइरागरा य तं सेयं Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-मूत्रम् :: अध्ययनं 17 ] . [ 220 खलु अम्हं हिरराणस्स य सुवरणस्स य रयणस्स य वइरस्स य पोयवहां भरित्तएत्तिकटु अन्नमन्नस्स एयमट्ठ पडिसुति 2 हिरराणस्स य सुवगणस्स य रयणस्स य वइरस्स य तणस्स य अराणस्स य कट्ठस्स य पाणियस्स य पोयवहां भरेंति 2 पयक्खिणाणुकूलेगां वाएगां जेणेव गंभीर-पोयवहणपट्टणे तेणेव उवागच्छंति 2 पोयवहां लंबेंति 2 सगडीसागडं सज्जेंति 2 तं हिरण्णां जाव वरं च एगट्ठियाहिं पोयवहणाश्रो संचारेंति 2 सगडीसागडं संजोइंति 2 जेणेव हत्थिसीसए नयरे तेणेव उवागच्छंति 2 हत्थिसीसयस्स नयरस्स बहिया अग्गुजाणे सत्थणिवेसं करेंति 2 सगडीसागडं मोएंति 2 महत्थं जाव पाहुडं गेहंति 2 हत्थिसीसं च नगरं अणुपविसंति 2 जेणेव कणगकेऊ तेणेव उवागच्छंति 2 जाव उवणोंति, तते णां से कणगकेऊ तेसिं संजुत्ताणावा-वाणियगाणां तं महत्थं जाव पडिच्छति 6 // सूत्रं 138 // ते संजुत्ताणावा-वाणियगा एवं वयासी-तुब्भे गं देवाणुप्पिया !गामागर जाव पाहिंडह लवणसमुद्दच अभिक्खयां 2 पोयवहणेगां योगाहह तं अत्थि याइं केइ भे कहिंचि अच्छेरए दिटुपुब्वे ?, तते णं ते संजुत्ताणावा-वाणियगा कणगकेउं एवं वयासी-एवं खलु अम्हे देवाणुप्पिया! इहेव हत्थिसीसे नयरे परिवसामो तं चेव जाव कालियदीवंतेगां संवूढा 1 / तत्थ णं बहवे हिरराणागरा य जाव बहवे तत्थ श्रासे, किं ते हरिरेणु जाव अणेगाई जोयणाई उम्भमंति, तते गां सामी ! अम्हेहिं कालियदीवे ते प्रासा अच्छेरए दिट्ठपुब्वे 2 / तते गां से कणगकेऊ तेसिं संजत्तगाणां अंतिए एयम8 सोनाते संजुत्तए एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! मम कोडु. बियपुरिसेहिं सद्धिं कालियदीवायो ते प्रासे आणेह, तते णं से संजुत्ता नावा-वाणियगा कणगकेउं एवं वयासी-एवं सामित्तिकटु आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति 3 / तते णं कणगकेऊ कोडुबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! संजुत्तएहिं सद्धिं कालियदी Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 228 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः वायो मम अासे आणेह, तेवि पडिसुणेति, तते णं ते कोडुबियपुरिसा सगडीसागडं सज्जेंति 2 तत्थ णं बहूणं वीणाण य वल्लकीण य भामरीण य कच्छभीण य भंभाण य छन्भामरीण य विचित्तवीणाण य अन्नेसिं च बहूणं सोतिदिय-पाउग्गाणं दवाणं सगडीसागडं भरेंति 2 बहूणं किराहाण य जाव सुकिलाण य कट्टकम्माण य 4 गंथिमाण य 4 जाव संघाइमाण य अन्नेसिं च बहूणं चक्खिदिय-पाउग्गाणं दवाणं सगडीसागडं भरेंति 2 बहूणं कोट्टपुडाण य केयइपुडाण य जाव अन्नेसिं च बहूणं घाणिदियपाउग्गाणं दव्याणं सगडीसागडं भरेंति 2 बहुस्स खंडस्स य गुलस्स य सकराए य मच्छंडियाए य पुप्फुत्तरपउमुत्तर. अन्नेसिं च जिभिदियपाउगगाणं दवाणं भरेंति 2 बहूणं कोयवयाण य कंबलाण य पावरणाण य नवतयाण य मलया(सगा)गा य मसूराण य सिलावट्टाण जाव हंसगम्भाण य अन्नेसि च फासिंदिय-पाउग्गाणं दव्वाणं जाव भरेंति 2 सगडीसागडं जोएंति 2 जेणेव गंभीरए पोयट्ठाणे तेणेव य उवागच्छंति 2. सगडीसागडं मोऐति 2 पोयवहणं सज्जति 2 तेसिं उकिटाणं सदफरिस-रसरूवगंधाणं कट्ठस्स य तणस्स य पाणियस्स य तंदुलाण य समियस्स य गोरसस्स य जाव अन्नेसिं च बहूणं पोयबहण पाउग्गाणं पोयवहणं भरैति 2 दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव कालियदीवे तेणेव उवागच्छंति 2 पोयवहणं लंबेंति 2 ताई उकिट्टाइं सहकरिस-रसरूवगंधाई एगट्ठियाहिं कालियदीवं उत्तारेंति 2 जहिं 2 च णं ते पासा पासयंति वा सयंति वा चिट्ठति वा तुयट्टांति वा तहिं 2 च...णं ते कोडुबियपुरिसा तायो वीणायो य जाव विचित्तवीणातो य अन्नाणि बहूणि सोइंदिय-पाउग्गाणि य दवाणि समुद्दीरेमाणा चिट्ठति, तेसि परिपेरंतेणं पासए ठति 2 णिचला णिप्फंदा तुसिणीया चिट्ठति 4 / जत्थ 2 ते पासा पासयंति वा जाव तुयट्टांति वा तत्थ तत्थ णं ते कोडुबियपुरिसा बहूणि किराहाणि य 5 कट्टकम्माणि Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 17 ] [ 226 य जाव संवाइमाणि य अन्नाणि य बहूणि चक्खिदिय-पाउग्गाणि य दव्वाणि ठवेंति तेसिं परिपेरंतेणं पासए ठवेंति 2 णिचला णिफंदा० चिट्ठति, जत्थ 2 ते श्रासा यासयंति 4 तत्य 2 णं तेसिं बहूणं कोट्टपुडाण य अन्नेसिं च घाणिदिय-पाउग्गागां दवाणां पुजे य णियरे य करेंति 2 तेसिं परिपेरंते जाव चिट्ठति, जत्थ 2 णं ते अासा श्रासयंति 4 तत्थ 2 गुलस्स जाव अन्नेसिं च बहूणां जिभिदिय-पाउग्गाणं दव्वाणां पुंजे य निकरे य करेंति 2 वियरए खणंति 2 गुलपाणगस्स खंडपाणगस्त पा(पो)रपाणगस्स अन्नेसिं च बहूणिं पाणगाणां वियरे भरेंति 2 तेसिं परिपेरंतेषां पासए ठवेंति जाव चिट्ठति 5 / जहिं 2 च गां ते श्रासा प्रासयंति 4 तहिं 2 च ते बहवे कोयवया य जाव सिलावट्टया अराणाणि य फासिंदिया-पाउगाई अत्थुयपञ्चत्थुयाइं ठवेंति 2 तेसिं परिपेरंतेगां जाव चिट्ठति, तते गां ते यासा जेणेव एते उकिट्ठा सदफरिस-रसरूवगंधा तेणेव उवागच्छति 2 तत्थ गां अत्थेगतिया घासा अपुव्वा गां इमे सदफरिस-रसरुवगंधा इतिकटु तेसु उकि? सु सदफरिस-रसरुवगंधेसु अमुच्छिया 4 तेसिं उकिटाणं सद्द जाव गंधाणं दूरंदूरेणं अवकमंति, ते णं तत्थ पउरगोयरा पउरतण-पाणिया णिब्भया णिरुबिग्गा सुहंसुहेणं विहरंति, एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा 2 सदफरिस-रसरूवगंधा णो सजति से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणं 4 अञ्चणिज्जे जाव वीतिवयति 6 // सूत्रं 131 // तत्थ णं अत्थेगतिया अासा जेणेव उकिट्ठ-सद्दफरिस-रसरूवगंधा तेणेव उवागच्छंति 2 तेसु उकि?सु सदफरिस 5 मुच्छिया जाव अझोववराणा श्रासेविउं पयत्ते यावि होत्था, तते णं ते श्रासा एए उकि? सद 5 श्रासेवमाणा तेहिं बहूहिं कूडेहि य पासेहि य गलएसु य पाएसु य बझति 1 / तते णं ते कोडुबिया एए. श्रासे गिराहंति 2 एगट्ठियाहिं पोयवहणे संचारेंति 2 तणस्स कट्ठस्स जाव भरेंति, तते णं ते संजुत्ता Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 23. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः दक्खिणाणुकूलेणं वागणं जेणेव गंभीर-पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छंति 2 पोयवहणं लंबेंति 2 ते श्रासे उत्तारेंति 2 जेणेव हत्थिसीसे णयरे जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छंति 2 त्ता करयल जाव वद्धाति 2 ते आसे उवणेति 2 / तते णं से कणगकेऊ तेसिं संजुत्तानावावाणियगाणं उस्सुक्कं वितरति 2 सकारेति संमाणेति 2 ता पडिविसज्जेति, तते णं से कणगऊ कोड बियपुरिसे सहावेइ 2 सकारेति संमाणेति 2 ता पडिविसज्जेति 3 / तते णं से कणगकेऊ श्रासमद्दए सहावेति 2 एवं वयासीतुन्भे णं देवाणुप्पिया ! मम थासे विणएह, तते णं ते श्रासमद्दगा तहत्ति पडिसुणति 2 ते अासे बहहिं मुहबंधेहि य कराणबंधेहि य णासाबंधेहि य वालबंधेहि य खुरबंधेहि य कडगबंधेहि य खलिणबंधेहि य उ(क)वीलणेहि (अहिलाणेहि) य पडियाणेहि य अंकणाहि य वेलप्पहारेहि य चि(वित्तप्पहारेहि य लयप्पहारेहि य कसप्पहारेहि य छिवप्पहारेहि य विणयंति 2 कणगकेउस्स रनो उवणेति 2 तते णं से कणगकेऊ ते श्रासमदए सकारेति .2 पडिविसज्जेति 4 / तते गां ते बासा बहूहिं मुहबंधेहि य जाव छिव-पहारेहि य बहूणि सारीर-माणसाणि दुक्खाति पावेंति, एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा 2 पव्वइए समाणे इट्ठसु सद्दफरिस जाव गंधेसु य सज्जति रज्जति गिज्झति मुज्झति अझोववज्जति से गां इहलोए चेव बहूगां समणाण य जाव सावियाण य हीलणिज्जे जाव अणुपरियट्टिस्सति 5 // सूत्रं 140 // - कल-रिभिय-महुर-तंती-तल-ताल-बंस-कउहाभिरामेसु / सद्देसु रजमाणा रमंती सोइदियवसट्टा // 1 / / सोइंदिय-दुद्दन्तत्तणस्स ग्रह एत्तियो हवति दोसो। दीविगरुय-मसहंतो वहबंधं तित्तिरो पत्तो॥ 2 // थण-जहणवयण-कर-चरण-णयण-गबिय-विलासिय-गतीसु / रूवेसु रजमाणा. रमंति चक्खिदियवसट्टा // 3 // चक्खिदिय-दुईतत्तणस्स ग्रह पत्तियो. भवति Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 231 श्रीज्ञातामधकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययन 17 ] दोसो / जं जलणंमि जलंते पडति पयंगो अबुद्धीयो॥ 4 // अगुरु-वरपवर-धूवण-उउय-मल्लाणुलेवण-विहीसु / गंधेसु रजमाणा रमंति घाणिदियवसट्टा // 5 // घाणिदिय-दुईतत्तणस्त ग्रह एतियो हवइ दोसो। जं योसहिगंधेणं बिलायो निद्धावती उरगो॥ 6 // तित्तकडुयं कसायंब-महुरं बहुखज-पेजलेज्मेसु / थासायमि उ गिद्धा रमंति जिभिदियवसट्टा // 7 // जिभिदिय-दुईतत्तणस ग्रह एत्तियो हवइ दोसो / जंगललग्गुक्खित्ता फुरइ थलविरल्लिो मच्छो // 8 // उउ भयमाण-सुहेहि य सविभवहियय-गमण-निव्वुइकरेसु / फासेसु रजमाणा रमंति फासिंदिय-वसट्टा // 6 // फासिंदिय-दुईतत्तणस्स ग्रह एत्तियो हवइ दोसो / जं खणइ मत्थयं कुंजरस्स लोहंकुसो तिक्खो // 10 // कल-रिभिय-महुर-तंती-तल-ताल-वंस-कउहाभिरामेसु / सद्देसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए // 11 // थण-जहणवयण-कर-चरण-नयण-गविय-विलासिय-गतीसु / रूवेसु जे न रत्ता वसट्ट. मरणं न ते मरए // 12 // अगरु-वर-पवर-धूवण-उउय-मल्लाणुलेवण-विहीसु / गंधेसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए // 13 // तित्तकडुयं कसायंबमहुरं बहुखज-पेजलेझेसु / श्रासाये जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए // 14 // उउ-भयमाण-सुहेसु य सविभव-हियय-मणणिव्वुइकरेसु। फासेसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए // 15 // सद्देसु य भद्दयपावएसु सोयविसयं उवगएसु / तु?ण व रु?ण व समणेण सया ण होयव्वं // 16 // रूवेसु य भद्दग-पावएसु चक्खुविसयं उवगएसु / तुटेण व रु?ण व समणेण सया ण होयव्वं // 17 // गंधेसु य भद्दयपावएसु घाणविसयं उवगएसु / तु?ण व स्टेण व समणेण सया ण होयव्वं // 18 // रसेसु य भयपावएसु जिन्भविसयं उवगएसु / तु?ण व रु?ण व समोण सया ण होयव्वं // 11 // फासेसु य भद्दयपावएसु कायविसयं उवगएसु / तुटण व रुटेण व समणेण सया ण होयव्वं // 20 // एवं Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 232 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तरसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्तेत्तिबेमि // सूत्रं 141 // सत्तरसमं नायज्झयणं समत्तं // // इति सप्तदशमध्ययनम् // 17 // // 18 // अथ श्रीसुसुमाख्यं अष्टादशमध्ययनम् // जति गां भंते ! समणेगां जाव संपत्तेगां सत्तरसमस्स नायज्झयणस्स श्रयम? पण्णत्ते अट्ठारसमस णं भंते ! नायज्झयणस्स समणेगां जाव संपत्तेगां के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेगां कालेणं 2 रायगिहे णामं नयरे होत्था वराणो 1 / तत्थ णं धराणे सत्थवाहे भद्दा भारिया, तस्स णं धाणस्म सत्यवाहस्स पुत्ता भदाए अत्तया पंच सत्थवाहदारगा होत्था, तंजहा-धणे धणपाले धणदेवे धणगोवे धणरक्खिए, तस्स णं धणस्स सत्थवाहस्स धूया भदाए अत्तया पंचराहं पुत्ताणं अणुमग्गजातीया सुसुमाणाम दारिया होत्था सूमालपाणिपाया 2 / तस्स णं धराणस्स सत्थवाहस्स चिलाए नाम दासचेडे होत्था यहीण-पंचिंदियसरीरे मंसोवचिए बाल-कीलावण-कुसले यावि होत्था, तते णं से दासचेडे सुसुमाए दारियाए बालग्गाहे जाए यावि होत्था, सुसुमं दारियं कडीए गिराहति 2 बहूहिं दारएहि य दारियाहि य डिभएहि य डिभियाहिं य कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धिं अभिरममाणे 2 विहरति 3 / तते णं से चिलाए दासचेडे तेसिं बह णं दारियाण य 6 अप्पेगंतियाणं खल्लए अवहरति, एवं वट्टए श्राडो. लियातो तेंदुसए पोत्तुल्लए साडोल्लए अप्पेगतियाणं श्राभरणमल्लालंकार अवहरति अप्पेगतिया पाउस्सति एवं अवहसइ निच्छोडेति निब्भच्छेति तज्जेति अप्पेगतिया तालेति, तते णं ते बहवे दारगा य 6 रोयमाणा य 5 साणं 2 अम्मापिऊणं णिवेदेति तते णं तेसिं बह णं दारगाण य 6 अम्मापियरो जेणेव धरणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छंति धरणं सत्थवाहं Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] [236 बहूहिं खेजणाहि य रुटणाहि य उवलंभणाहि य खेजमाणा य रुटमाणा य उवलंभमाणा य धराणस्स एयम४ णिवेदेति 4 / तते णं धरणे सत्थवाहे चिलायं दासचेडं एयमट्ट भुजो 2 णिवारेंति, णो चेव णं चिलाए दासचेडे उवरमति, तते णं से चिलाए दासचेडे तेसिं बहूणं दारगाण य 6 अप्पेगतियाणं खुल्लए अवहरति जाव तालेति, तते णं ते बहवे दारगा य 6 रोयमाणा य जाव अम्मापिऊणं णिवेदेति, तते णं ते श्रासुरुत्ता 5 जेणेव धराणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छंति 2 ता बहूहिं खिज जाव एयमटुं णिवेदेति, 5 / तते णं से धराणे सत्थवाहे बहूणं दारगाणं 6 अम्मापिऊणं अंतिए एयमटुं सोचा श्रासुरुत्ते चिलायं दासचेडं उच्चावयाहिं पाउसणाहिं थाउसति उद्धंसति णिभच्छेति निच्छोडेति तज्जेति उच्चावयाहिं तालणाहिं तालेति सातो गिहातो णिच्छुभति 6 // सूत्रं 142 // तते गां से चिलाए दासचेडे सातो गिहातो निच्छूढे समाणे रायगिहे नयरे सिंघाडए जाव पहेसु देवकुलेसु य सभासु य पवासु य जयखलएसु य वेसाघरेसु य पाणघरएसु य सुहंसुहेणं परिवहति 1 / तते णं से चिलाए दासचेडे अणोंहट्टिए अणिवारिए सच्छंदमई सइरप्पयारी मनपसंगी चोजपसंगी मंसपसंगी जूयप्पसंगी वेसापसंगी परदारप्पसंगी जाए यावि होत्था 2 / तते णं रायगिहस्स नगरस्स अदूरसामंते दाहिणपुरस्थिमे दिसिभाए सीहगुहा नामं चोरपल्ली होत्था विसम-गिरि-कडग-कोडंब संनिविट्ठा वंसी-कलंक(कड) पागार-परिक्खित्ता छिराण-सेल-विसम-प्पवाय-फरिहोवगूढा एगदुवारा अणेगखंडी विदित-जणणिग्गमपवेसा अभितर-पाणिया सुदुल्लम-जलपेरंता (जत्य चउरंगबलनिउत्तावि कूवियबला-हयमहियपवर-वीर-घाइय-निवडिय-चिन्धधयवडया कीरंति) सुबहुस्सवि कूवियबलस्स आगयस्स दुष्पहंसा यावि होत्था 3 / तत्थ णं सीहगुहाए चोरपल्लीए विजए णामं चोरसेणावती परिवसति अहम्मिए जाव अधम्मे केऊ समुट्ठिए बहुणगर-णिग्गयजसे सूरे दढप्पहारी Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 234) [ श्रीमदांगमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः साहसीए सहवेही, से णं तत्थ सीहगुहाए चोरपल्लीए पंचगहं चोरसयाणं अाहेवच्चं जाव विहरति 4 / तते णं से विजए तकरे चोरसेणावती बहूणं चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयगाण य संधिच्छेयगाण य खत्तखणगाण य रायावगारीण य अणधारगाण य बाल घायगाण य वीसंभ-घायगाण य जयकाराण य खंडरक्खाण य अन्नेसिं च बहूणं छिन्नभिन्न-बहिराहयाणं कुडंगे यावि होत्था 5 / तते णं से विजए तकरे चोरसेणावती रायगिहस्स दाहिणपुरच्छिमं जणवयं बहूहिं गामघाएहि य नगरघाएहि य गोग्गहणेहि य बंदिग्गहणेहि य पंथकुट्टणेहि य खत्तखणणेहि य उवीलेमाणे 2 विडंसेभाणे 2 णित्थाणं णिद्धणं करेमाणे विहरति 6 / तते णं से चिलाए दासचेडे रायगिहे बहूहिं अत्थाभिसंकीहि य चोजाभिसंकीहि य दारभिसंकीहि य ाणएहि य जूइकरेहि य परुभवमाणे 2 रायगिहायो नगरीयो णिग्गच्छति 2 जेणेव सीहगुफा चोरपल्ली तेणेव उवागच्छति 2 विजयं चोरसेणावति उपसंपजित्ताणां विहरति 7 / तते णं से चिलाए दासचेडे विजयस्स चोरसेणावइस्स अग्गे असिलट्ठग्गाहे जाए यावि होत्था, जाहेविय णं से विजए चोरसेणावती गामघायं वा ज.व पंथकोटि वा काउं वचति ताहेविय णं से चिलाए दासचेडे सुबहुँपि हु कूवियबलं हयविमहिय जाव पडिसेहति पुणरवि लट्ठ कयकज्जे अणहसमग्गे सीहगुहं चोरपलिं हव्वमागच्छति, तते गां से विजए चोरसेणावती विलायं तकरं बहुईयो चोरविजायो य चोरमंते य चोरमायायो य चोरनिगडीयो य सिक्खावेइ 8 / तते णं से विजए चोरसेणावई अन्नया कयाई कालधम्मुणा संजुत्ते यावि होत्था, तते णं ताई पंचत्रोरसयातिं विजयस्स चोरसेणावइस्स महया 2 इड्डीसकारसमुदएणं णीहरणं करेंति 2 बहूई लोइयातिं मयकिच्चाई करेइ 2 जाव विगयसोया जाया यावि होत्था 1 / तते णं ताई पंच चोरसयाति अन्नमन्नं सदावेंति 2 एवं वयासी-एवं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! विजए Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं .18 ] [ 235 चोरसेणावई कालधम्मुणा संजुत्ते अयं च णं चिलाए तकरे विजएणं चोरसेणावइणा बहूईयो चोरविजायो य जाव सिक्खाविएत सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! चिलायं तकरं सीहगुहाए चोरपल्लीए चोरसेणावइत्ताए अभिसिंचित्तएतिकटु अन्नमन्नस्स एयमट्ठ पडिसुति 2 चिलायं तीए सीहगुहाए चोरसेणावइत्ताए अभिसिंचंति, तते णं से चिलाए चोरसेणावती जाए अहम्मिए जाव विहरति 10 / तए णं से चिलाए चोरसेणावती चोरणायगे जाव कुडंगे यावि होत्था, से णं तत्थ सीहगुहाए चोरपल्लीए पंचराहं चोरसयाण य एवं जहा विजयो तहेव सव्वं जाव रायगिहस्स दाहिणपुरच्छिमिल्लं जणवयं जाव णिस्थाणं निद्धणं करेमाणे विहरति 11 // सूत्रं 143 // तते णं से चिलाए चोरसेणावती अन्नया कयाई विपुलं असणं 4 उवक्खडावेत्ता पंच चोरसए श्रामंतेइ तो पच्छा राहाए कयबलिकम्मे भोयणमंडवंसि तेहिं पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं विपुलं असणं 4 सुरं च जाव पसरणं च आसाएमाणे 4 विहरति 1 / जिमिय-भुत्तुत्तरागए ते पंच चोरसए विपुलेणं धूवपुष्फ-गंधमलालंकारेणं सकारेति सम्माणेति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! रायगिहे णयरे धरणे णामं सस्थवाहे अंड्ढे जाव अयरिभूए, तस्स णं धूया भदाए अत्तया पंचराहं पुत्ताणं अणुमग्गजातिया सुसुमाणामं दारिया यावि होत्था अहीणा जाव सुरूवा, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! धराणस्स सत्थवाहस्स गिहं विलु पामो तुम्भं विपुले धणकणग जाव सिलप्पवाले ममं सुसुमा दारिया 2 / तते णं ते पंच चोरसया चिलायस्स वयणं पडिसुणेति, तते णं से चिलाए चोरसेणावती तेहिं पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं अल्लचम्मं दुरूहति 2 पुव्वा(पञ्चा)वरराहकाल-समयंसि पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं सरणद्ध जाव गहियाउह-पहरणा माझ्यगोमुहिएहिं फलएहिं णिकट्ठाहिं असिलट्ठीहिं अंसगएहिं तोणेहिं सजीवेहिं धणूहिं समुक्खित्तेहिं सरेहि समुल्लालियाहिं दी(दा)हाहिं Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 236 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभाग श्रोसारियाहिं उरुघंटियाहि छिपतूरेहिं वजमाणेहिं महया 2 उक्किट्ठसीहणाय-चोर-कलकलरवं जाव समुहरवभूयं करेमाणा सीहगुहातो चोरपल्लीश्रो पडिनिक्खमति 2 जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छति 2 रायगिहस्स अदूरसामंते एगं महं गहणं अणुपविसंति 2 दिवसं खवेमाणा चिट्ठति 3 / तते णं से चिलाए चोरसेणावई श्रद्धरत्तकाल-समयंसि निसंतपडिनिसंतसि पंचहिं चोरमएहिं सद्धिं माइयगोमुहितेहिं फलएहिं जाव मूइयाहिं उरुघंटियाहिं जेणेव रायगिहे पुरथिमिल्ले दुवारे तेणेव उवागच्छति 2 उदगवत्थिं परामुसति यायते 3 तानुग्घाडणिविज्जं आवाहेइ 2 रायगिहस्स दुवारकवाडे उदएणं अच्छोडेति कवाडं विहाडेति 2 रायगिहं अणुपविसति 2 महया 2 सद्दे णं उग्घोसेमाणे 2 एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! चिलाए णामं चोरसेणावई पंजहिं चोरसएहिं सद्धिं सीहगुहातो चोरपल्लीयों इह हवमागए धगणस्स सत्थवाहस्स गिहं घाउकामे तं जो णं णवियाए माउयाए दुद्धं पाउकामे से णं निग्गच्छउत्तिकटटु जेणेव धराणस्स सस्थवाहस्स-गिहे तेणेव उवागच्छति 2 धरणस्स गिहं विहाडेति 4 / तते णं से धरणे चिलाएणं चोरसेणावतिणा पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं गिहं घाइजमाणं पासति 2 भीते तत्थे 4 पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं एगंतं अवकमति, तते णं से चिलाए चोरसेणावती धरणस्स सत्थवाहस्स गिहं घाएति 2 सुबहुँ धणकणग जाव सावएज्जं सुसुमं च दारियं गेहति 2 त्ता रायगिहायो पडिणिक्खमति 2 जेणेव सीहगुहा तेणेव पहारेत्य गमणाए 5 // सूत्रं 144 // तते णं से धरणे सस्थवाहे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति 2 सुबहुं धणकणग जाव सावएज्जं सुसुमं च दारियं अवहरियं जाणित्ता महत्थं 3 पाहुडं गहाय जेणेव णगरगुत्तिया तेणेव उवागच्छति 2 तं महत्थं पाहुडं जाव उवणेति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! चिलाए चोरसेणावती सीहगुहातो चोरपल्लीयो इहं हव्वमागम्म पंचहि Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 18 ] [ 237 चोरसएहिं सद्धिं मम गिहं घाएत्ता सुबहुँ धणकणग जाव सावएज्जं सुसुमं च दारियं गहाय जाव पडिगए, तं इच्छामो गां देवाणुप्पिया ! सुसुमादारियाए कूवं गमित्तए, तुम्भे गां देवाणुप्पिया ! से विपुले धणकणगे ममं सुंसुमा दारिया०, तते गां ते णयरगुत्तिया धरणस्स एयमढे पडिसुणेति 2 सन्नद्ध जाव गहियाउहपहरणा महया 2 उकिट्ठसीहणाय-चोर-कलकलखं जाव समुद्दरवभूयंपिव करेमाणा रायगिहायो णिग्गच्छंति 2 जेणेव चिलाए चोरे तेणेव उवागछंति 2 चिलाएगा चोरसेणावतिणा सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था 1 / तते गां णगरगुत्तिया चिलायं चोरसेणावतिं हयमहिया जाव पडिसेहेंति, तते गां ते पंच चोरसया णगरगोत्तिएहिं हयमहिय जाव पडिसेहिया समाणा तं विपुलं धणकणगं विच्छड्डमाणा य विप्पकिरेमाणा य सवतो समंता विप्पलाइत्था 2 / तते गांते णयरगुत्तिया तं विपुलं धणराकणगं गेगहंति 2 जेणेव रायगिहे तेणेव उवागच्छंति, ततेणं से चिलाए तं चोरसेण्णां तेहिं गयरगुत्तिएहिं हयमहिय जाव भीते तत्थे सुसुमं दारियं गहाय एगं महं अगामियं दीहमद्धं अवि अणुपवि? 3 / तते णं धरणे सत्थवाहे सुसुमं दारियं चिलाएगां अडवीमुहि अवहीरमाणिं पासित्ताणां पंचहि पुत्तेहिं सद्धिं अप्पछट्टे सन्नद्धबद्ध जाव गहियाउह-पहरणा चिलायस्स पदमग्गविहिं अभिगच्छति, अणुगज्जेमाणे हकारेमाणे पुकारेमाणे अभितज्जेमाणे अभितासेमाणे पिट्ठयो अणुगच्छति 4 / तते णं से चिलाए तं धराणां सत्थवाहं पंचहिं पुत्तेहिं अप्पछ8 सन्नद्धबद्धं समणुगच्छमाणं पासति 2 अत्थामे 4 जाहे णो संचाएति सुसुमं दारयं णिवाहित्तए ताहे संते तंते परिसंते नीलुप्पलं असि परामुसति 2 सुसुमाए दारियाए उत्तमंगं छिंदति 2 तं गहाय तं अगामियं अडविं अणुपविट्ठ, तते णं चिलाए तीसे श्रगामियाए अडवीए तराहाते अभिभूते समाणे पम्हुट्टदिसाभाए सीहगुहं चोरपल्लिं असंपत्ते अंतरा चेव कालगए 5 / एवामेव समणाउसो ! जाव पव्वतिए Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 238 1 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागः समाणे इमरस ओरालिय-सरीरस्स वंतासवस्स जाव विद्धंसण-धम्मस्स वरामहेउं जाव थाहारं बाहरेति से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणं 4 हीलणिज्जे जाव अणुपरियट्टिस्सति जहा व से चिलाए तकरे 6 / तते णं से धराणे सत्थवाहे पंचहिं पुत्तेहिं अप्पछ? चिलायं परिधाडेमाणे 2 तराहाए छुहाए य संते तंते परितंते नो संवाइए चिलातं चोरसेणावति साहत्थिं गिरिहत्तए, से णं तो पडिनियत्तइ 2 जेणेव सा सुसुमा दारिया चिलाएणं जीवियायो ववरोविल्लिया तेणंतेणेव उवागच्छति 2 सुसुमं दारियं चिलाएणं जीवियायो ववरोवियं पासइ 2 परसुनियंतेव चंपगपायवे, तते णं से धराणे सत्थवाहे अप्पछ8 अासत्थे कूवमाणे कंदमाणे विलवमाणे महया 2 सणं कुह 2 सुपरुन्ने सुचिरं कालं वाहमोक्खं करेति 7 / तते णं से धराणे पंचहिं पुत्तेहिं अप्पछ? चिलायं तीसे अगामियाए अडवीए सव्वतो समंता परिधाडेमाणा तगहाए छुहाए य परिभं(रद्धं)ते समाणे तीसे अागामियाए अडवीए मव्वत्तो समंता उदगस्स.मग्गणगवेसणं करेंति 2 संते तंते परितंते णिविन्ने तीसे अागामियाए अडवीए उदगरस मग्गणगवेसणं करेमाणे नो चेव णं उदगं श्रासादेति / तते णं उदगं अणासाएमाणे जेणेव सुसमा जीवियातो ववरोएल्लिया तेणेव उवागच्छति 2 जेट्ठ पुत्तं धराणे सद्दावेइ 2 एवं वयासी-एवं खलु पुत्ता ! सुसुमाए दारियाए अट्ठाए चिलायं तकरं सब्बतो समंता परिधाडेमाणा तराहाए छुहाए य अभिभूया समाणा इमीसे अागामियाए अडवीए उदगस्स मग्गणगवेसणं करेमाणा णो चेव णं उदगं श्रासादेमो 1 / तते णं उदगं श्रणासाएमाणा णो संचाएमो रायगिहं संपावित्तए, तराणं तुम्भे ममं देवाणुप्पिया ! जीवियायो ववरोवेह मंसं च सोणियं च श्राहारेह 2 तेणं याहारेणं अवहिट्ठा समाणा ततो पच्छा इमं अागामियं अडविं णित्थरिहिह रायगिहं च संपाविहिह मित्तणाइय० अभिसमागच्छिहिह अत्थस्स य धम्मस्स य पुराणस्स य अाभागी भविस्सह Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / / अध्ययनं 18 ) [ 236 10 / तते णं से जेटुपुत्ते धरणेणं एवं वुत्ते समाणे धरणं सत्थवाहं एवं वयासी-तुब्भे णं तायो ! अम्हं पिया गुरूजणया देवयभ्या ठावका पतिट्ठावका संरक्खगा संगोवगा तं कहगणं अम्हे तातो! तुब्भे जीवियायो ववरोवेमो तुभं णं मंसं च सोणियं च याहारेमो? तं तुब्भे णं तातो! ममं जीवियायो ववरोवेह मंसं च सोणियं च याहारेह अागामियं अडवि णित्थरह तं चेव सव्वं भणइ जाव अत्थस्स जाव पुगणस्स आभागी भविस्सह, तते गां धरागां सत्थवाहं दोच्चे पुत्ते एवं वयासी-मा गां तायो ! अम्हे जेटुं भायरं गुरु देवयं जीवियायो ववरोवेमो तुब्भे गां ताथो! मम जीवियायो ववरोवेह जाव अाभागी भविस्सह, एवं जाव पंचमे पुत्ते 11 / तते गां से धरणे सत्थवाहे पंच पुत्ताणां हियइच्छियं जाणित्ता ते पंच पुत्ते एवं वयासी-मा गां अम्हे पुत्ता ! एगमवि जीवियायो ववरोवेमो एस गां सुसुमाए दारियाए सरीरए णिप्पाणे जाव जीवविप्पजढे तं सेयं खलु पुत्ता ! अम्हं सुसुमाए दारियाए मंसं च सोणियं च अाहारेत्तए, तते गां अम्हे तेगां श्राहारेगां अवस्थद्धा समाणा रायगिहं संपाउणिस्सामो, तते गां ते पंच पुत्ता धरणेगां सत्थवाहेणां एवं वुत्ता समाणा एयमट्ठ पडिसुणेति 12 / तते गां धराणे सत्थवारे पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं अरणिं करेति 2 सरगं च करेति 2 सरएगा अरणिं महेति 2 अग्गि पाडेति 2 अग्गि संधुक्खेति 2 दाख्याति परिक्खेवेति 2 अग्गि पज्जालेति 2 सुसुमाए दारियाए मंसं च सोणियं च श्राहारेंति, तेगां श्राहारेगां श्रवत्थद्धा समाणा रायगिहं नरिं संपत्ता मित्तणाईअभिसमगणागया तस्स य विउलस्स धणकणगरयण जाव श्राभागी जायावि होत्था, तते गां से धराणे सत्थवाहे सुसुमाए दारियाए बहूई लोइयातिं जाव विगयसोए जाए यावि होत्था 13 // सूत्रं 145 // तेगां कालेगां 2 समणे भगवं महावीरे गुणसिलए चेइए समोसढे 1 / से गां धरणे सत्थवाहे संपत्ते धम्म सोचा पव्वतिए एकारसंगवी मासियाए Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 240 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः संलेहणाए सोहंमे उववरणो महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 2 / जहाविय णं जंबू ! धराणेणां सत्थवाहेणां णो वरणहेउं वा नो रूवहेउं वा णो बलहेडं वा नो विसयहेउं वा सुसुमाए दारियाए मंससोणिए श्राहारिए नन्नत्थ एगाए रायगिह संपावणट्टयाए, एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा 2 इमस्स घोरालियसरीरस्स वंतासवस्स पित्तासवस्स सुक्कासवस्स सोणियासबस्स जाव अवस्सं विप्पजहियव्वस्स वा नो वराणहेउं वा नो स्वहेउं वा नो बलहेउं वा नो विसयहेडं वा श्राहारं श्राहारेति नन्नत्थ एगाए सिद्धिगमण-संपावणट्ठयाए 3 / से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं 2 बहूणं सावयाणं बहूणं साविगाणं अचणिज्जे जाव वीतीवतीस्सति, एवं खलु जंबू ! समणेगां भगवया महावीरेणां जाव संपत्तेणं अट्ठारसमस्स नायज्झयणस्स अयम? पराणत्तेत्तिबेमि 4 // सूत्रं 146 // अट्ठारसमं णायज्झयणं समत्तं // // इति अष्टादशममध्ययनम् // 18 // // 16 // अथ श्रीपुण्डरीकाख्यं एकोनविंशतितममध्ययनम् // ____ जति गां भंते ! समणेणां भगवया महावीरेगां जाव संपत्तेगां अट्ठारसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते एगूणवीसइमस्स नायज्झयणस्स के अट्ठ पत्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेगां 2 इहेब जंबुद्दीवे दीवे पुश्वविदेहे सीयाए महाणदीए उत्तरिल्ले कूले नीलवंतस्स दाहिणेणं उत्तरिल्लस्स सीतामुहवणसंडस्स पच्छिमेणं एगसेलगस्स वक्खारपव्वयस्स पुरथिमेणं एत्थ णं पुक्खलावई णामं विजए पन्नत्ते, तत्थ णं पुडरीगिणी णामं रायहाणी पन्नत्ता णवजोयण-विच्छिण्णा दुवालस-जोयणायामा जाव पञ्चक्खं देवलोयभूया पासातीया 4, 1 / तीसे णां पुंडरीगिणीए णयरीए उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए णलिणिवणे Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनै 14.] [ 241 णामं उजाणे, तत्थ गां पुंडरीगिणीए रायहाणीए महापउमे णामं राया होत्था, तस्स गां पउमावती णामं देवी होत्था, तस्स गा महापउमस्स रनो पुत्ता पउमावतीए देवीए अत्तया दुवे कुमारा होत्था, तंजहा-पुंडरीए य कंडरीए य सुकुमाल-पाणिपाया०, पुंडरीयए जुवराया 2 / तेणं कालेणं. 2 थेरागमणं महापउमे राया णिग्गए धम्मं सोचा पोंडरीयं रज्जे ठवेत्ता पव्वतिए, पोंडरीए राया जाए, कंडरीए जुवराया, महापउमे अणगारे चोदसपुबाई अहिजइ, तते णं थेरा बहिया जणवयविहारं विहरंति, तते णं से महापउमे बहूणि वासाणि जाव सिद्धे 3 // सूत्रं 147 // तते णं थेरा अन्नया कयाई पुणरवि पुंडरीगिणीए रायहाणीए णलिणवणे उजाणे समोसढा, पोंडरीए राया णिग्गए, कंडरीए महाजणसह सोचा जहा महब्बलो जाव पज्जुवासति, थेरा धम्म परिकहेंति, पुंडरीए समणोवासए जाए जाव पडिगते 1 / तते णं कंडरीए उट्ठाए उट्टेति उट्ठाए उ?त्ता जाव से जहेयं तुब्भे वदह जं गवरं पुंडरीयं- रायं अापुच्छामि तए णं जाव. पव्वयामि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह, 2 / तए णं से कंडरीए जाव थेरे वंदइ नमसइ 2 थेरोणं अंतियात्रो पडिनिक्खमइ तमेव / चाउघंटे बासरहं दुरूहति जाव पचोरुहइ जेणेव पुण्डरीए राया तेणेव . उवागच्छति करयल जाव पुंडरीयं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए थेराणं अंतिए जाव धम्मे निसंते से धम्मे अभिरुइए, तए णं देवाणुप्पिया ! जाव पव्वइत्तए, तए णं से पुंडरीए कंडरीयं एवं वयासी-मा णं तुमं : देवाणुप्पिया ! इदाणिं मुडे जाव पबयाहि, अहंणं तुमं महया 2 रायाभिसेएणं अभिसिंचयामि, तए णं से कंडरीए पुंडरीयस्स रगणो एयमटुंणो श्रादाति जाव तुसिणीए संचिट्ठति 3 / तते णं पुंडरीए राया कंडरीयं दोच्चंपि तच्चपि एवं वयासी-जाव तुसिणीए संचिट्ठति, तते णं पुंडरीए कंडरीयं कुमारं जाहे नो संचाएति बहूहिं श्राघवणाहिं पराणवणाहि य 4 ताहे 39 Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 242 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः अकामए चेव एयमट्ठ अणुमन्नित्था जाव णिक्खमणाभिसेएणं अभिसिंचति जाव थेराणं सीसभिक्खं दलयति, पव्वतिए अणगारे जाए एकारसंगविऊ, तते णं थेरा भगवंतो अन्नया कयाई पुंडरीगिणीयो नयरीश्रो णलिणीवणाश्रो उजाणाश्रो पडिणिक्खमंति बहिया जणवयविहारं विहरंति 4 // सूत्रं 148 // तते णं तस्स कंडरीयस्स अणगारस्स तेहिं अंतेहि य पंतेहि य जहा सेलगस्स जाव दाहवक्कंतीए यावि विहरति, तते णं थेरा अन्नया कयाई जेणेव पोंडरीगिणी तेणेव उवागच्छति 2 णलिणिवणे समोसढा 1 / पोंडरीए णिग्गए धम्मं सुणेति; तए णं पोंडरीए राया धम्म सोचा जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवागच्छति कंडरीयं वंदति णमंसति 2 कंडरीयस्स अणगारस्त सरीरगं सव्वाबाहं सरोयं पासति 2 जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति 2 थेरे भगवंते वंदति णमंसइ 2 ता एवं वयासी-अहराणं भंते ! कंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगं सव्वाबाहं सरोगं ग्रहापवत्तेहिं श्रोसहभेसज्जेहिं जाव तेइच्छं अाउट्टामि तं तुब्भे णं भंते ! मम जाणसालासु समोसरह, तते णं थेरा भगवंतो पुंडरीयस्स वयणं पडिसुणेति 2 जाव उवसंपजित्ताणं विहरंति 2 / तते णं पुंडरीए राया जहा मंडए सेलगस्त जाव बलियसरीरे जाए, तते णं थेरा भगवंतो पोंडरीयं रायं पुच्छंति 2 बहिया. जणवयविहारं विहरंति 3 / तते णं से कंडरीए ताो रोयायंकायो विष्पमुक्के समाणे तंसि मणुराणंसि असण-पाण-खाइम-साइमंसि मुच्छिए गिद्धे गढिए श्रमोववराणे णो संचाएइ पोंडरीयं श्रापुच्छित्ता बहिया अब्भुज्जएणं जणवयविहारं विहरित्तए, तत्थेव भोसगणे जाए 4 / तते णं से पोंडरीए इमीसे कहाए लट्ठ समाणे गहाए अंतेउर-परियाल-संपरीवुडे जेणेव कंडरीए श्रणगारे तेणेव उवागच्छति 2 कंडरीयं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ 2 . 2 एवं वयासी-धन्नेसि णं तुमं देवाणुप्पिया ! कयत्थे Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अव्यवन 16 ] - [247 कयपुन्ने कयलक्खणे सुलद्धे णं देवाणुप्पिया ! तव माणुस्सए जम्मजीवियफले जे णं तुमं रज्जं च जावं अंतेउरं च छड्डइत्ता. विगोवइत्ता जाव पबतिए, अहं णं अहराणे अकयपुन्ने रज्जे जाव अंतेउरे य माणुस्सएसु य कामभोगेसु मुच्छिए जाव अज्मोववन्ने नो संचाएमि जाव पव्वतित्तए, तं धन्नेसि णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव जीवियफले, तते णं से कंडरीए श्रणगारे पुंडरीयस्स एयमटुंणो श्राढाति जाव संचिट्ठति, तते णं कंडरीए पोंडरीएणं दोच्चपि तच्चपि एवं वुत्ते समाणे कामए अवस्सवसे लजाए गारवेण य पोंडरीयं रायं श्रापुच्छति 2 थेरेहिं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरति 5 / तते णं से कंडरीए थेरेहिं सद्धिं किंचि कालं उग्गंउग्गेणं विहरति, ततो पच्छा समणतण-परितंते समणत्तण-णिविराणे समणत्तणणिभत्थिए समणगुण-मुक्कजोगी थेराणं अंतियायो सणियं 2 पञ्चोसकत्ति 2 जेणेव पुंडरीगिणी णयरी जेणेव पुंडरीयस्स भवणे तेणेव उवागच्छति असोगवणियाए असोगवरपायवस्स हे पुढवीसिलापट्टगंसि णिसीयति 2 श्रोहयमणसंकप्पे जाव झियायमाणे संचिट्टति 6 / तते णं तस्स पोंडरीयस्स अम्मधाती जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छति 2 कंडरीयं श्रणगारं असोगवरपायवस्स अहे पढवीसिलावट्टयंसि श्रोहय-मण-संकप्पं जाव झियायमाणं पासति 2 जेणेव पोंडरीए राया तेणेव उवागच्छति 2 पोंडरीयं रायं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! तव पिउभाउए कंडरीए अणगारे असोगवणियाए असोगवरपायवस्स हे पुढवीसिलाव? श्रोहयमणसंकप्पे जाव झियायति, तते णं पोंडरीए अम्मधाईए एयम8 सोचा णिसम्म तहेव संभंते समाणे उठाए उट्ठति-२ अंतेउर-परियाल-संपरिवुडे जेणेव असोगवणिया जाव कंडरीयं तिक्खुत्तो श्रायाहिणं पयाहिणं करेइ 2 एवं वयासी-धराणेसि णं तुमं देवाणुप्पिया! जाव पव्वतिए, शहराणं श्रधराणे 3 जाव पव्वइत्तए, तं धन्नेसि णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव जीवि Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 244 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः यफले, तते णं कंडरीए पुंडरीएणं एवं बुत्ते समाणे तुसिणीए संचिट्ठति दोच्चंपि तच्चंति जाव चिट्ठति 7 / तते णं पुंडरीए कंडरीयं एवं वयासीअट्ठो भंते ! भोगेहिं ?, हंता ! अट्ठो, तते गां से पोंडरीए राया कोडंबिय पुरिसे सदावेइ 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! कंडरीयस्स महत्थं जाव रायाभिसेयं उवट्ठवेह जाव रायाभिसेएणं अभिसिंचति 8 // सूत्रं 141 // तते गां पुंडरीए सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति 2 सयमेव चाउजामं धम्म पडिवजति 2 कंडरीयस्स संतियं श्रायारभंडयं गेराहति 2 इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिराहइ-कप्पति मे थेरे वंदित्ता णमंसित्ता थेराणं अंतिए चाउजामं धम्म उवसंपजित्ता गां ततो पच्छा थाहारं पाहारित्तएत्तिकटु, इमं च एयारूवं अभिग्गहं अभिगिरहेत्ता गां पोडरीगिणीए पडिनिक्खमति 2 पुवाणुपुब्बिं चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव पहारेत्थ गमणाए // सूत्रं 150 // _____तते णं तस्स कंडरीयस्स रगणो तं पणीयं पाणभोयणं श्राहारियस्स समाणस्स अतिजागरिएण. य अइभोयणप्पसंगेण य से थाहारे णो सम्म परिणमइ, तते णं तस्स कंडरीयस्स रगणो तंसि पाहारंसि अपरिणममाणंसि पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि सरीरंसि वेयणा पाउन्भूया उजला विउला पगाढा जाव दुरहियासा पित्तज्जर-परिगय-सरीरे दाहवक्कतीए यावि विहरति 1 / तते णं कंडरीए राया रज्जे य र? य अंतेउरे य जाव अझोववन्ने अट्टदुहट्टक्सट्टे अकामते यवस्सवसे कालमासे कालं किच्चा अहे सत्तमाए पुढवीए * उक्कोस-काल-ट्ठिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववराणे / एवामेवः समणाउसो ! जाव पव्वतिए समाणे पुणरकि माणुस्सए कामभोगे यासाएइ जाव अणुपरियट्टिस्सति जहा व से कंडरीए राया 2 // सूत्रं 151 // तते णं पोंडरीए श्रणगारे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति 2 थेरे भगवते वंदति नमंसति 2. थेराणं अंतिए दोच्चपि चाउज्जामं धम्म पडि. Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ :बीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययन 19 ] [245 वजति, छट्ठखमण-पारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेति 2 जाव अडमाणे सीयलुक्खं पाणभोयणं पडिगाहेति 2 श्रहापजत्तमितिकट्ट पडिणियत्तति, जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति 2 भत्तपाणं पडिदंसेति 2 थेरेहिं भगवतेहिं अभणुनाए समाणे अमुच्छिते 4 बिलमिव पराणगभूएणं अप्पाणेणं- तं फासुएसणिज्ज असणां 4 सरीरकोट्टगंसि पक्खिवति 1 / तते णं तस्स पुडरीयस्स श्रणगारस्स तं कालाइवतं अरसं विरसं सीयलुक्खं पाणभोयणं श्राहारियस्स समाणस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स से थाहारे णो सम्मं परिणमति, तते णं तस्स पुंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगंसि वेयणा पाउन्भूया उजला जाव दुरहियासा पित्तज्जर-परिगय-सरीरे दाहवक्कंतीए विहरति 2 / तते णं से पुंडरीए अणगारे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसकार-परक्कमे करयल जाव एवं वयासी-णमोऽत्यु णं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं णमोऽत्थु णं थेराणां भगवंतागां मम धम्मायरियाणं धम्मोवएसयाणं पुविपि य णं मए थेराणं अंतिए सव्वे पाणातिवाए पञ्चक्खाए जाव मिच्छादसणसल्ले णं पच्चक्खाए जाव आलोइयपडिक्कते कालमासे कालं किच्चा सव्वट्ठसिद्धे उववन्ने 3 / ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जावं सव्वदुक्खाणमंतं काहिति 4 / एवामेव समणाउसो ! जाव पव्वतिए समाणे माणुस्सएहिं कामभोगेहिं णो सजति नो रजति जाव नो विप्पडीघायमावजति से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं साविगाणं अचणिज्जे वंदणिज्जे पूयणिज्जे सकारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्जेत्तिकटु परलोएविय णं णो श्रागच्छति बहूणि दंडणाणि य मुंडणाणि य तज्जणाणि य ताडणाणि य जाव चाउरतं संसारकंतारं जाव वीतीवइस्सति जहा व से पोंडरीए अणगारे. 5 / एवं खलु जंबू ! समोणं भगवया महावीरेणं Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 246 ] [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः श्रादिगरेणं तित्थगरेणं जाव सिद्धिगइ-णामधेन्ज गणं संपत्तेणं एगूणवीसइमस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठ पत्नत्ते 6 // इति पोंडरीयज्झयणं // ____ एवं खलु जंब ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सिद्धिगइणामधेज्ज अणं संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स पढमस्स सुयक्खंधस्स अयमढे पराणत्तेत्तिबेमि७ // सूत्रं 152 // तस्स णं सुयक्खंधस्स एगूणवीसं अभयणाणि एकसरगाणि एगणवीसाए दिवसेसु समप्पंति // सूत्रं 153 // पढमो सुयक्खंधो समत्तो॥ // इति एकोनविंशतितममध्ययनम् 12 // // इति प्रथमः श्रुतस्कंधः समाप्त // // अथ द्वितीय श्रुतस्कंधः // // 1 // अथ प्रथमो वर्गः // तेणं कालेणं 2 रायगिहे नामं नयरे होत्था, वगणयो, तस्स णं : रायगिहस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए तत्थ णं गुणसीलए णामं चेइए होत्था वगणो 1 / तेणं कालेणं 2 समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतेवासी अजसुहम्मा णाम थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना कुलसंपन्ना जाव चउद्दसपुब्बी चउणाणोवगया पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडा पुवाणुपुब्बि चरमाणा गामाणुगामं दूइजमाणा सुहंसुहेणं विहरमाणा जेणेव रायगिहे णयरे जेगोव गुणसीलए चेइए जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति, परिसा निग्गया, धम्मो कहियो, परिसा जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया 2 / तेणं कालेणं 2 अजसुहम्मस्स - अणगारस्स अंतेवासी अजजंबू णामं अणगारे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स पढमसुयक्खंधस्स णायसुयाणं श्रयम? पन्नत्ते दोचस्स णं भंते ! सुयक्वंधस्स धम्मकहाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् " श्रुत• 27 वर्गः ] (297 जंब ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मवाहाणं दस वग्गा पनत्ता, तंजहा-चमरस्स अग्गमहिसीणं पढमे वग्गे 1, बलिस्स वइरोयणिंदस्स वइरोयणरत्रो अग्गमहिसीणं बीए वग्गे 2, सुरिंदवजाणं दाहिणिलाणं इंदाणं अग्गमहिसीणं तइए वग्गे 3, उत्तरिलाणं असुरिंदवजियाणं भवणवासिइंदाणं श्रग्गमहिसीणं चउत्थे वग्गे 4, दाहिणिलाणं वाणमंतराणं इंदाणं अग्गमहिसीणं पंचमे वग्गे 5, उत्तरिल्लाणं वाणमंतराणं इंदाणं अग्गमहिसीणं छ? वग्गे 6, चंदस्स अग्गमहिसीणं, सत्तमे वग्गे 7, सूरस्स श्रग्गमहिसीणं अट्ठमे वग्गे 8, सकस्स अग्गमहिसीणं, णवमे वग्गे 1, ईसाणस्स अग्गमहिसीणं दसमे वग्गे 10, 3 / जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं दस वग्गा पन्नत्ता, पढमस्स णं भंते ! वग्गस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पत्रत्ते ?, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पन्नत्ता-तंजहा-काली राई रयणी विज्जू मेहा, जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पन्नत्ता पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे णयरे गुणसीलए चेइए सेणिए राया चेलणा देवी सामी समोसरिए परिसा णिग्गया जाव परिसा पज्जुवासति 4 / तेणं कालेणं 2 काली नामं देवी चमरचंचाए रायहाणीए कालवडिंसगभवणे कालंसि सीहासणंसि चउहि सामाणिय-साहस्सीहिं चउहिं मयहरियाहिं सपरिवाराहिं तीहिं परिसाहिं सत्तहि अणीएहिं सत्तहि अणियाहिवतीहिं सोलसहिं थायरक्ख-देवसाहस्सीहिं अराणेहिं बहुएहि य कालवडिंसयभवणवासीहिं असुरकुमारेहिं देवीहिं देवेहि य सद्धिं संपरिवुडा महयाहय जाव विहरइ, इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दी 2 विउलेणं श्रोहिणा श्राभोएमाणी 2 पासइ 5 / तत्थ समणं भगवं महावीरं जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः अप्पाणं भावेमाणं पासति 2 ता हट्टतुट्टचित्तमाणंदिया पीतिमणा जाव हयहियया सीहासणायो अब्भुट्ठति 2 पायपीढायो पञ्चोरुहति 2 पाउयायो श्रोमुयति 2 तित्थगराभिमुही सत्तट्ट पयाई अणुगच्छति 2 वामं जाणु अंचेति 2 दाहिणं जाणु धरणियलंसि निहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसि निवेसेति 2 ईसि पच्चुराणमइ 2 कडयतुडियथंभियातो भुयातो साहरति 2. करयल जाव कटु एवं वयासी-णमोऽत्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, णमोऽत्थु गां समंणस्स भगवयो महावीरस्म जाव संपाविउकामस्स, वंदामि गां भगवंतं तत्थगयं इह गए पासउ मे समणे भगवं महावीरे तत्थ गए इह गयंतिकटु वंदति 2 नमंसति 2 सीहासणवरंसि पुरस्थाभिमुहा निसराणा 5 / तते णं तीसे कालीए देवीए इमेयारूवे जाव समुप्पजित्था-सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्ता जाव पज्जुबासित्तएत्तिकटु एवं संपेहति 2 श्राभियोगिए देवे सद्दावेति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवं जहा सूरियाभो तहेव श्राणत्तियं देइ. जाव दिव्वं सुरवराभिगमणजोग्गं करेह 2 जाव पचप्पिणह, तेवि तहेव करेत्ता जाव पञ्चप्पिणंति, णवरं जोयण-सहस्स-विच्छिराणां जाणं सेसं तहेव तहेव णामगोयं साहेइ तहेव नट्टविहिं उवदंसेइ जाव पडिगया 6 / भंतेत्ति भगवं गोयमे समां भगवं महाबीरं वंदति मंसति 2 एवं वयासी-कालीए णं भंते ! देवीए सा दिव्या देविट्ठी 3 कहिं गया कहिं अणुपविट्ठा ? कूडागार-सालादिट्टतो, अहो गां भंते ! काली देवी महिड्डिया, कालीए गां भंते ! देवीए सा दिव्या देविड्डी 3 किराणा लद्धा किराणा पत्ता किराणा अभिसमराणागया ?, एवं जहा सूरियाभस्स जाव एवं खलु गोयमा ! तेगां कालेणं 2 इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे श्रामलकप्पा णाम णयरी होत्था वराणो अंबसालवणे चेइए जियसत्तू-राया, तत्य गां ग्रामलकप्पाए नयरीए काले नाम गाहावती होत्था अड्ढ जाव Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सत्रम् / / द्वितीय श्रुतस्कंधः 2 : वर्गः 1] [249 अपरिभूए, तस्स णं कालस्स गाहावइस्स कालसिरी णामं भारिया होत्या, सुकुमाल जाव सुरूवा, तस्स गां कालगस्स गाहावतिस्स धूया कालसिरीए भारीयाए अत्तया काली णामं दारिया होत्था, वड्डा वडकुमारी जुराणा जुगणकुमारी पडियपुयत्थणी णिबन्नवरा वरपरिवजिया यावि होत्था 7 / तेणं कालेगां 2 पासे अरहा पुरिसादाणीए प्राइगरे जहा बद्धमाणसामी णवरं णवहत्थुस्सेहे सोलसहि समणसाहस्सीहिं अट्टत्तीसाए अज्जियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे जाव अंबसालवणे समोसढे परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासति, तते गां सा काली दारिया इमीसे कहाए लट्ठा समाणी हट्ट जाव हियया जेणेव अम्मापियरो तेणेव उबागच्छति 2 करयल जाय एवं वयासी-एवं खलु अम्मयायो ! पासे अरहा पुरिसादाणीए थाइगरे जाव विहरति, तं इच्छामि गां अम्मयात्रो! तुब्भेहिं अब्भणुनाया समाणी पासस्स अरो पुरिसादाणीयस्स पायवंदिया गमित्तए ?, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेहि, तते णं सा कालिया दारिया अम्मापिईहिं श्रमणुनाया समाणी हट्ट जाव हियया राहाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइं मंगलातिं वत्थातिं पवर परिहिया अप्पमहग्घाभरणालंकिय-सरीरा चेडिया-चकवाल-परिकिराणा सातो गिहातो पडिणिक्खमति 2 जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छति 2 धम्मियं जाणपवरं दुरूढा, तते णं सा काली दारिया धम्मियं जाणपवरं एवं जहा दोवती जाव पज्जुवासति 8 | तते णं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालीए दारियाए तीसे य महति-महालयाए परिसाए धम्मं कहेइ, तते णं सा काली दारिया पासस्स अरहयो पुरिसादाणीयस्स अंतिए धम्मं सोचा णिसम्म हट्ट जाव हियया पासं अरहं पुरिसादाणीयं तिक्खुत्तो वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-सदहामि णं भंते ! णिग्गंथं पावयणं जाव से जहेयं तुम्भे वयह, जंणवरं देवाणुप्पिया ! अम्मापियरो . 32 Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 25.] 5 श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः आपुच्छामि, तते णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए जाव पव्वयामि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबद्धं करेहि 1 / तते णं सा काली दारिया पासेणं अरहया पुरिसादाणीएगां एवं वुत्ता समाणी हट्ट जाव हियया पासं अरहं वंदति नमंसति 2 तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहति 2 पासस्स अरहो पुरिसादाणीयस्स अंतियातो अंबसालावणाश्रो चेइयायो पडिणिक्खमति 2 जेणेव श्रामलकप्पा नयरी तेणेव उवागच्छति 2 श्रामलकप्पं णयरिं मझमज्झेगां जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छति 2 धम्मियं जाणपवरं ठवेति 2 धम्मियायो जाणप्पवरायो पचोरुहति 2 जेणेव अम्मापियरा तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु अम्मयायो ! मए पासस्स अरहतो अंतिए धम्मे णिसंते सेविय धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुतिए, तए णं अहं अम्मयायो ! संसारभउन्विग्गा भीया जम्म णमरणाणां इच्छामिणं तुब्भेहिं अब्भगुन्नाया समाणी पासस्स अरहतो अंतिए मुंडा भवित्ता प्रागारातो अणगारियं पब्बतित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेहिं 10 / तते णं से काले गाहावई विपुलं असणं 4 उवक्खडावेति 2 मित्तणाइ-णियग-सयण-संबंधिपरियणं श्रामंतेति 2 ततो पच्छा राहाए जाव विपुलेणं पुप्फवत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं सकारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्तणाति-णियग-सयण-संबंधि-परियणस्स पुरतो कालियं दारियं सेयापीएहिं कलसेहिं राहावेति 2 सव्वालंकारविभूसियं करेति 2 पुरिससहस्स-वाहिणीयं सीयं दुरुहेति 2 मित्तणाइ-णियग-सयण-संबंधि-परियणेणं सद्धिं संपरिखुडे सविड्डीए जाव रवेणं श्रामलकप्पं नयरिं मझमज्झेणं णिग्गच्छति 2 जेणेव अंबसालवणे चेइए तेणेव उवागच्छति 2 छत्ताइए तित्थगराइसए पासति 2 सीयं ठवेइ 2 कालियं दारियं सीयातो पचोरुहति 2 कालियं दारियं अम्मापियरो पुरश्रो काउं जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागच्छति 2 वंदइ नमसइ 2 त्ता एवं वयासी-एवं Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् // श्रुत० 2 वर्गः ] [ 251 खलु देवाणुप्पिया ! काली दारिया अम्हं धूया इट्ठा कंता जाव किमंग पुण पासणयाए ?, एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभउव्विगा इच्छइ देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ताणं जाव पब्वइत्तए, तं एयं णं देवाणुप्पियाणं सिस्सिणिभिक्खं दलयामो पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सिस्सिणिभिक्खं, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेहि 11 / तते णं काली कुमारी पासं अरहं वंदति 2 उत्तरपुरच्छिमं दिसिभागं अवक्कमति 2 सयमेव श्राभरण-मल्लालंकारं श्रोमुयति 2 सयमेव लोयं करेति 2 जेणेव पासे परहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागच्छति 2 पासं अरहं तिक्खुत्तो वंदति 2 एवं वयासी-श्रालित्ते णं भंते ! लोए एवं जहा देवाणंदा जाव सयमेव पवाविउं 12 / तते णं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालिं सयमेव पुप्फचूलाए अजाए सिस्सिणियत्ताए दलयति, तते णं सा पुष्फचूला अजा कालिं कुमारि सयमेव पव्वावेति जाव उवसंपजित्ताणं विहरति, तते णं सा काली अजा जाया ईरियासमिया जाव गुत्तवंभयारिणी, तते णं सा काली अजा पुप्फचूलाअजाए अंतिए सामाइय-माइयाति एकारस अंगाई अहिजइ बहूहिं चउत्थ जाव विहरति 13 / तते णं सा काली अजा अन्नया कयातिं सरीरबाउसिया जाया यावि होत्था, अभिक्खणं 2 हत्थे धोवइ पाए धोवइ सीसं धोवइ मुहं धोवइ थणंतराइं धोवइ कक्खंतराणि धोवति गुमंतराइं धोवइ जत्थ 2 विय णं ठाणं वा सेज्जं बा णिसीहियं वा चेतेइ तं पुत्वामेव अभुक्खेत्ता ततो पच्छा प्रासयति वा सयइ वा, तते णं सा पुष्पचूला श्रजा कालिं अज्जं एवं वयासी-नो खलु कप्पति देवाणुप्पिया ! समणीणं णिग्गंथीणं सरीर-बाउसियाणं होत्तए, तुमं च णं देवाणुप्पिया ! सरीरबाउसिया जाया अभिक्खणं 2 हत्थे धोवसि जाव प्रासयाहि(यसि) वा सयाहि(यसि) वा, तं तुमं देवाणुप्पिए ! एयस्स गणस्स श्रालोएहि जाव पायच्छित्तं पडिवजाहि, तते णं सा काली अजा पुप्फचलाए अजाए Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 252 ) [ श्रीमदोगमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विमागा एयमट्ठनो अाढाति जाव तुसिणीया संचिति 14 / तते णं तायो पुष्पचूलाइयो अजायो कालिं अज्जं अभिक्खणं 2 हीलेंति णिदंति खिसंति गरिहंति अवमराणांति अभिक्खणं 2 एयमट्ट निवारेंति, तते णं तीसे कालीए अजाए समणीहिं णिग्गंथीहिं अभिक्खणं 2 हीलिजमाणीए जाव वारिजमाणीए इमेयारूवे अभत्थिए जाव समुप्पजित्था-जया णं अहं श्रागारवासं मज्जे वसित्था तया णं अहं सयंवसा जप्पिभिई च णं अहं मुंडे भवित्ता आगारात्रो अणगारियं पव्वतिया तप्पभिई च णं अहं परवसा जाया, तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए. रयणीए जाव जलते पाडिकियं उवस्सयं उवसंपजित्ता गां विहरित्तएत्तिकटटु एवं संपेहेति 2 कल्लं जाव जलते पाडिएक्कं उवस्मयं गिराहति 15 / तत्थ गां अणिवारिया अणोहट्टिया सच्छंदमती अभिक्खणं 2 हत्थे धोवेति जाव प्रासयइ वा सयइ वा, तए णं सा काली अजा पासत्था पासस्थविहारी श्रोसराणा श्रोसरणविहारी कुसीला 2 ग्रहाछंदा 2 संसत्ता 2 बहूणि वासाणि सामनपरियागं पाउणइ 2 श्रद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेति 2 तीसं भत्ताइं अणसणाए छेएइ 2. तस्स ठाणस्स प्रणालोइयअपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा चमरचचाए रायहाणीए कालवडिसए भवणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूसंतरिया अंगुलस्स असंखेजाइ-भागमेत्ताए श्रोगाहणाए कालीदेवीत्ताए उववरणा 16 / तते णं सा काली देवी अहुणोववराणा समाणी पंचविहाए पजत्तीए जहा सूरियाभो जाव भासामणपजत्तीए, तते णं सा काली देवी चउराहं सामाणिय-साहस्सीणं जाव अराणेसिं च बहूणं काल(ली)वडेंसग-भवणवासीणं असुरकुमाराणं देवाण.य देवीण य ाहेवच्चं जाव विहरति. 17 / एवं खलु गोयमा ! कालीए देवीए सा दिव्वा. देविड्डी 3. लद्धा पत्ता अभिसमराणागया, कालीए णं भंते ! देवीए केवतियं कालं ठिती पत्नत्ता ?, गोयमा ! अड्डाइजाई. पलि Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग सूत्रम् / श्रुत० 2. वर्गः 1 ] [ 253 ग्रोवमाई ठिई पन्नत्ता, काली णं भंते ! देवी ताणो देवलोगायो अणंतरं उववट्टित्ता कहिं गच्छिहिति कहं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमवग्गस्स पढमज्झयणस्स अयम? पराणत्तेत्तिबेमि 18 // सूत्रं 154 // धमकहाणं पढमज्झयणं समत्तं ॥१-१॥जतिणं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्स पढमझयणस्स अयम? पन्नत्ते बितियस्स गां भंते ! अझयणस्स समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पराणत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नगरे गुणसीलए चेइए सामी समोसढे परिसा णिगया जाव पज्जुवासति 1 / तेणं कालेणं 2 राई देवी चमर. चंचाए रायहाणीए एवं जहा काली तहेव श्रागया. णट्टविहिं उवदंसेत्ता पडिगया, भंतेत्ति भगवं गोयमा ! पुब्वभवपुच्छा, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं 2 यामलकप्पा णयरी अंबसालवणे चेइए जियसत्तू राया राई गाहावती राईसिरी भारिया राई दारिया पासस्स समोसरणं, राई दारिया जहेव काली तहेव निक्खंता तहेव सरीरबाउसिया तं चेव सव् जाव अंतं काहिति / एवं खलु जंबू ! बिइयज्झयणस्स निक्खेवो // 1-2 // जति णं भंते ! तइयज्झयणस्स उवखेवतों, एवं खलु जंबू / रायगिहे णयरे गुणसिलए चेइए एवं जहेब राती तहेव रयणीवि, णवरं थामलकप्पा नयरी रयणी गाहावती रयणसिरी भारिया रयणी 'दारिया सेसं तहेव जाव अंतं काहिति // 1-3 // एवं विज्जूवि श्रामलकप्पा नयरी विज्जुगाहावती विज्जुसिरिभारिया विज्जुदारिया सेसं तहेव // 1-4 // एवं मेहावि श्रामलकप्पाए नयरीए मेहे गाहावती मेहसिरि भारिया मेहा दारिया सेसं तहेव // 1-5 // एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्म अयम? परांणत्ते // सूत्रं 155 // ......... // इति प्रथमो वर्गः // 2-1 // .. Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 254 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा // 2 // अथ द्वितीयो वर्गः // ___ जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं दोच्चस्स वग्गस्स उखेवश्रो, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं दोच्चस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पनत्ता, तंजहा-सुभा निसुभा रंभा निरुभा मदणा 1 / जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं दोचस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पन्नत्ता, दोच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स पढमझयणस्स के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे णयरे गुणसीलए चेइए सामी समोसढो परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासति 2 / तेणं कालेणं 2 सुभा देवी बलिचंचाए रायहाणीए सुभव.सए भवणे सुभंसि सीहासणंसि कालीगमएणं जाव णट्टविहिं उवदंसेत्ता जाव पडिगया 3 / पुब्वभवपुच्छा, सावत्थी णयरी कोट्ठए चेइए जियसत्तू राया सुभे गाहावती सुभसिरी भारिया सुभा दारिया सेसं जहा कालिया णवरं अछुट्टातिं पलिश्रोवमाई ठिती 4 / एवं खलु जंबू ! निक्खेवो अज्झयणस्स एवं सेसावि चत्तारि अज्झयणा, सावत्थीए नवरं माया पिया सरिसनामया 5 / एवं खलु जंबू ! निक्खेवो बितीयवग्गस्स 2, 6 // सूत्रं 156 // // इति द्वितीयो वर्गः // 2-2 // // 3 // अथ तृतीयो वर्गः // उक्खेवश्रो तइयवग्गस्स एवं खलु जंबू ! समसेणं भगवया महावीरेगां जाव संपत्तेणं तइयस्स वग्गस्स चउपराणं अझयणा पन्नत्ता, तंजहा-पढमे अन्झयणे जाव चउपराणतिमे अज्झयणे 1 / जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं तइयस्स वग्गस्स चउप्पनज्मयणा पन्नत्ता पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के पट्टे पराणत्ते ?, एवं खलु.जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे णयरे गुणसीलए चेइए सामी समोसढे परिसा Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् / श्रुत०२ : वर्गः 4 ] [ 255 णिग्गया जाव पज्जुवासति, तेणं कालेणं 2 इला देवी धरणीए रायहाणीए इलावडंसए भवणे इलंसि सीहासणंसि एवं कालीगमएणं जाव णट्टविहिं उवदंसेत्ता पडिगया, पुत्वभवपुच्छा, वाणारसीए णयरीए काममहावणे चेइए इले गाहावती इलासिरी भारिया इला दारिया सेसं जहा कालीए णंवरं धरणस्स अग्गमहिसित्ताए उबवायो, सातिरेग-श्रद्धपलियोवम-ठिती. सेसं तहेव, एवं खलु णिवखेवो पढमज्झयणस्स 1 / एवं कमा(मका) संतेरा सोयामणी इंदा घणा विज्जुयावि, सव्वाश्रो एयायो धरणस्स अग्गमहिसीयो एव, एते छ अज्झयणा वेणुदेवस्सवि अविसेसिया भाणि: यव्वा 2 / एवं जाव घोसस्सवि एए चेव छ अझयणा 3 / एवमेते दाहिणिलाणं इंदाणां चउप्पराणां अज्झयणा भवंति 4 / सव्वाश्रोवि वाणारसीए काममहावणे चेइए, तइयवग्गस्स णिक्खेवश्रो 5 // सूत्रं 157 // // इति तृतीयो वर्गः // 2-3 // // 4 // अथ चतुर्थो वग्गेः // चउत्थस्स उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं चउत्थवग्गस्स चउप्पराणं अज्झयणा पन्नत्ता तंजहा-पढमे अज्झयणे जाव चउप्पराणइमे अज्झयणे 1 / पढमस्स अज्झयणस्स उवखेवयो एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे समोसरणां जाव परिसा पज्जुवासति, तेगां कालेणं 2 ख्या देवी रूयाणंदा रायहाणी रूयगवडिसए भवणे रूयगंसि सीहासणंसि जहा कालीए तहा नवरं पुत्वभवे चंपाए पुराणभद्दे चेतिए ख्यग-गाहावई रूयगसिरी भारिया ख्या दारिया सेसं तहेव, णवरं भूयागांद-अग्गमहिसित्ताए उववानो, देसूणां पलिग्रोवमं ठिई, णिक्खेवो 2 / एवं खलु सुख्यावि रूयंसावि ख्यगावतीवि ख्यकतावि ख्यप्पभावि 3 / एयायो चेव उत्तरिल्लागां इंदाणं भाणियब्वायो जाव महाघोसस्स 4 / णिक्खेवश्रो चउत्थवग्गस्स // सूत्रं 158 // // इति चतुर्थो वर्गः // 2-4 // Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 256 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः ___ // 5 // अथ पञ्चमो वर्गः // पंचमवग्गस्स उक्खेवयो, एवं खलु जंबू ! जाव बत्तीसं अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-कमला कमलप्पभा चेव, उप्पला य सुदंसणा। स्ववती बहुरूवा, सुरुवा सुभगाविय // 1 // पुराणा बहुपुत्तिया चेव, उत्तमा भारियाविय / पउमा वसुमती चेत्र, कणगा कणगप्पभा // 2 // वडेंसा केउमती चेव, बइरसेणा रयिप्पिया / रोहिणी नमिया चेव, हिरी पुष्फवतीतिय // 3 // भुयगा भुयगवती चेव, महाकच्छाऽपराइया / सुघोसा विमला चेव, सुस्सरा य सरस्सती॥ 4 // 1 / उक्खेवश्रो पढममयणस्स, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासति, तेणं कालेणं 2 कमला देवी कमलाए रायहाणीए कमलवडेंसए भवणे कमलसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए तहेव णवरं पुब्वभवे नागपुरे नयरे सहसंबवणे उजाणे कमलस्स गाहावतिस्स कमलसिरीए भारियाए कमला दारिया पासस्स पुरिसादाणीयस्स अंतिएं निक्खंता कालस्स पिसाय-कुमारिंदस्स अग्गमहिसी श्रद्धपलियोवमं ठिती 2 / एवं सेसावि अज्झयणा दाहिणिलाणं वाणमंतरिंदाणं 3 / भाणियबायो सवायो णागपुरे सहसंबवणे उजाणे माया पिया धूया सरिसनामया, ठिती श्रद्धपलिश्रोवमं 4 // सूत्रं 151 // पंचमो वग्गो समत्तो॥ // इति पञ्चमो वर्गः // 1-5 // // 6 // अथ षष्ठो वर्गः // छट्ठोवि वग्गो पंचमवग्गसरिसो, पवरं महाकालिंदाणं उत्तरिलाणं इंदाणं अग्गमहिसीश्रो पुव्वभवे सागेयनयरे उत्तरकुरुउजाणे माया पिया धूया सरिसणामया सेसं तं चेव // सूत्र 160 // छट्टो वग्गो समत्तो। // इति षष्ठो वर्गः // 2-6 // Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : श्रु० 2 :: वर्ग 7-8 ] [ 257 // 7 // अथ सप्तमो वर्गः // सत्तमस्स वग्गस्स उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! जाव चत्तारि अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-सूरप्पभा पायवा अचिमाली पभंकरा 1 / पढमज्झयणस्स उक्खेवयो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे समोसरणां जाव परिसा पज्जुवासइ, तेगां कालेगां 2 सूरप्पभा देवी सूरंसि विमाणांसि सूरप्पभंसि सीहासगांसि सेसं जहा कालीए तहा णवरं पुन्वभवो अरक्खुरीए नयरीए सूरप्पभस्स गाहावइस्स सूरसिरीए भारियाए सूरप्पभाए दारिया सूरस्स अग्गमहिसी ठिती अद्धपलिग्रोवमं पंचहिं वाससएहिं अब्भहियं सेसं जहा कालीए 2 / एवं सेसाप्रोवि सव्वायो अरक्खुरीए णयरीए 3 // सूत्रं 161 // सत्तमो वग्गो समत्तो / // इति सप्तमो वर्गः // 2-7 // // 8 // अथ अष्टमो वर्गः // अट्ठमस्स उक्खेवयो, एवं खलु जंबू ! जाव चत्तारि अज्झयणा पन्नत्ता तंजहा-चंदप्पभा दोसिणाभा अचिमाली पभंकरा-१ / पढमस्स अज्झयणस्स उक्खेबयो, एवं खलु जंबू ! तेगां कालेगां 2 रायगिहे समोसरगां जाव परिसा पज्जुवासती, तेगां कालेगां 2 चंदप्पभा देवी चंदप्पभंसि विमाणंसि चंदप्पभंसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए, णवरं पुवभवे महुराए णयरीए भंडिवडेंसए उजाणे चंदप्यमे गाहावती चंदसिरी भारिया चंदप्पभा दारिया चंदस्स अग्गमहिसी ठिती अद्धपलिग्रोवमं पराणासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं सेसं जहा कालीए 2 / एवं सेसागोवि महुराए णयरीए मायापियरोवि धूयासरिसणामा 3 // सूत्रं 162 // अट्ठमो वग्गो समेत्तो। // इति अष्टमो वर्गः // 2-8 // Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 258. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः // 6 // अथ नवमो वर्गः // णवमस्स उम्खेवो, एवं खलु जंबू ! जाव अट्ट अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-पउमा सिवा सती अंजू रोहिणी णवमिया(याइया) अचला (म)च्छरा 1 / पढमज्झयणस्स उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ, तेणं कालेणं 2 पउमावई देवी सोहम्मे कप्पे पउमव.सए विमाणे सभाए सुहम्माए पउमंसि सीहासणंसि जहा कालीए एवं अट्ठवि अज्झयणा कालीगमएणं नायव्वा 2 / .. णवरं सावत्थीए दो जणीयो हथियाउरे दो जणीयो, कंपिल्लपुरे दो जणीयो सागेयनयरे दो जणीयो, पउभे पियरो विजया मायरायो, सव्वाश्रोऽवि पासस्स ग्रंतिए पव्वतियायो सकस्स अग्गमहिसीयो ठिई सत्त पलियोवमाइं महाविदेहे वासे अंतं काहिंति 3 // सूत्रं 163 // णवमो वग्गो समत्तो॥ // इति नवमो वर्गः // 2-9 // // 10 // अथ दशमो वर्गः // दसमस्स उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! जाव अट्ट अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-कराहा य कराहराती रामा तह रामरक्खिया वसू या / वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुधरा चेव ईसाणे // 1 // 1 / पढमज्झयणस्स उक्खेवश्रो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासति, तेणं कालेणं 2 कराहा देवी ईसाणे कप्पे कराहवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए कराहंसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए, एवं अट्ठवि अज्झयणा कालीगमएणं णेयव्या 2 / णवरं पुव्वभवे वाणारसीए नयरीए दो जणीयो रायगिहे नयरे दो जणीयो सानत्थीए नयरीए दो जणीश्रो कोसंबीए नयरीए दो जणीश्रो 3 / रामे पिया, विमाणे सभासति, तेणं कालेण तणं समएणं रायामयणस्स उक्लेवो, Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् : श्रु० 2 : वर्गः 10 ] [254 धम्मा माया, सव्वात्रोऽवि पासस्स अरहयो अंतिए पव्वइयायो पुष्फचूलाए अजाए सिस्सिणीयत्ताए ईसाणस्स अग्गमहिसीनो ठिती णव पलिश्रोवमाई महाविदेहे वासे सिज्झिहिंति बुझिहिंति मुचिहिंति सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति 4 / एवं खलु जंबू ! णिक्खेवो दसमवग्गस्स 5 ॥सूत्रं 164 // दसमो वग्गो समत्तो॥ // इति दशमो वर्गः // 2-10 // एवं खलुं जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं श्रादिगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबुद्धणं पुरिसोत्तमेणं जाव संपत्तेणं छठुस्स अगस्स दोचस्स णं सुयक्खंधस्स णायसुयाणं श्रयम? पन्नते / धम्मकहा सुयक्खंधो समत्तो दसहि वग्गेहिं नायाधम्मकहाश्रो समत्तायो॥ सूत्र 165 // // इति द्वितीयः श्रुतस्कन्धः समाप्तः // 2 // // इति श्री ज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रम् // 6 // (ग्रन्थाग्रं 5464) Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DROcc00000 है ॥इति श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्ग-सूत्रं // समाप्तम् // (व्व्व्व्व्व्ट ल Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // // पञ्चमगणभृत्श्रीमत्सुधर्मस्वामिप्रणीतं // ॥श्रीमदुपासकदशाङ्गसूत्रम् // // 1 // अथ श्री आनन्दाख्यं प्रथममध्ययनम् // // 8 // ते णं काले णं ते णं समए णं चम्पा नाम नयरी होत्था, वराणयो, पुणभद्दे चेइए, वराणयो॥ सूत्रं 1 // ते णं काले णं ते णं समए णं यजसुहम्मे समोसरिए जाव जम्बू पज्जुवासमाणे एवं वयासीजइ र भन्ते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सम्पत्तेणं छट्ठस्स अगस्त नायाधम्मकहाणं अयमठे पराणत्ते सत्तमस्त णं भन्ते ! अङ्गस्स उवासगदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पराणते ?, एवं खलु जम्ब ! समणेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अगस्स उवासगदसाणं दस अज्झयणा पराणत्ता, तंजहा-पाणन्दे 1 कामदेवे य 2, गाहावइ चुलणीपिया 3 / सुरादेवे 4 चुल्लसयए 5, गाहावइ कुण्डकोलिए 6 // 1 // सद्दालपुत्ते 7 महासयए 8, नन्दिणीपियो 1 सालिहीपिया 10, 1 / जइ णं भन्ते ! समणेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसगाणं दस अज्झयणा पराणत्ता, पढमस्स णं भन्ते ! समणेणं. जाव संपत्तेणं के अठे पराणत्ते ? 2 // सू० 2 // एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नाम नयरे होत्था, वराणो, तस्स णं वाणियगामस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छि(त्थि)मे दिसीभाए दूइपलासए नामं चेइए, तत्थ णं वाणियगामे नयरे जियसत्तू राया होत्था वराणो, तत्थ गां वाणियगामे प्राणन्दे नाम Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 262 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : चतुर्थो विभागः गाहावई परिवसइ, अड्डे जाव अपरिभूए 1 / तस्स गां पाणंदस्त गाहावइस्स चत्तारि हिरराणकोडीयो निहाणपउत्तायों चत्तारि हिरगणकोडीयो बुड्डिपउत्तायो चत्तारि हिरगणकोडियो पवित्थरपउत्तानो चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था 2 / से णं आणन्दे गाहावई बहूणं राईसर जाव सत्थवाहाणं बहूसु कज्जेसु य कारणेसु य मन्तेसु य कुडुम्बेसु य गुज्मेसु य रहस्सेसु य निच्छएसु य ववहारेसु य श्रापुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे, सयस्सवि य णं कुडुम्बस्स मेढी पमाणं श्राहारे पालम्बणं चक्खू. मेढीभूए जाव सव्वकजवट्टावए यावि होत्था 3 / तस्स णं प्राणन्दस्स गाहावइस्स सिवानन्दा नाम भारिया होत्था, अहीण जाव सुरूवा, अानन्दस्स गाहावइस्स इट्टा प्राणन्देणं गाहावइणा सद्धिं अणुरत्ता अविरत्ता इट्टा सद्द जाव पञ्चविहे माणुस्सए कामभोए पचणुभवमाणी विहरइ 4 / तस्स णं वाणियगामस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीमाए एत्थ णं कोल्लाए नाम सन्निवेसे होत्था, रिद्धस्थिमिय जाव पासादीए, तत्थ णं कोल्लाए सन्निवेसे पाणन्दस्स गाहावइस्स बहुए मित्तनाइ-नियगसयणसम्बन्धिपरिजणे परिवसइ, अड्डे जाव अपरिभूए 5 / तेणं. कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिए, परिसा निग्गया, कोणिए राया जहा तहा जियसत्तू निग्गच्छइ 2 ता जाव पज्जुवासइ 6 / तए णं से प्राणन्दे गाहावई इमीसे कहाए लद्धठे समाणे, एवं खलु समणे जाव विहरइ, तं महाफलं जाव गच्छामि णं जीव पज्जुवासामि, एवं सम्पेहेइ 2 त्ता राहाए सुद्धप्पावेसाइं जाव अप्पमहग्घाभरणालतियसरीरे सयायो गिहायो पडिणिक्खमइ 2 ता सकोरण्ट-मल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं मणुस्सवग्गुरापरिक्खिते पायविहारचारेणं वाणियगामं नयरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ 2 ता जेणामेव दूइपलासे चेइए जेणेव समणे भगवं. महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता तिक्खुत्तो पायाहिणं पयाहिणं करेइ 2 ता वंदइ Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 1 ] [ 263 नमंमइ जात्र पज्जुवासइ 7 // सू० 3 // तए णं समणे भगवं महावीरे श्राणन्दस्त गाहावइस्म तीसे य महइमहालियाए जाव धम्मकहा, परिसा पडिगया, राया य गए // सू० 4 // तए णं से आणन्दे गाहावई समणस्स भगवयो महावीरस्स अन्तिए धम्म सोचा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव एवं वयासी-सदहामि णं भन्ते ! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भन्ते ! निग्गन्थं पावयणं, रोएमि णं भन्ते ! निग्गंथं पावयणं, एवमेयं भन्ते ! तहमेयं भन्ते ! अवितहमेयं भन्ते ! इच्छियमेयं भन्ते ! पडिच्छियमेयं भन्ते ! इच्छियपडिच्छियमेयं भन्ते ! से जहेयं तुम्भे वयहत्तिकटु, जहा णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए बहवे राईसर-तलवर-माडम्बिय-कोडम्बिय-सेट्ठिसेणावइ. सत्यवाहप्पभिइ(या)यो मु(राडा)गडे भवित्ता अगारायो अणगारियं पव्वइया नो खलु अहं तहा संचाएमि मुराडे जाव पव्वइत्तए, अहं णं देवाणुपियाणं अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खादइयं दुवालसविहं गिहि. धम्म पडिवजिस्सामि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबन्धं करेह ॥सू०५॥ . तए णं से आणन्दे गाहावई समणस्स भगवयो महावीरस्स अन्तिए तप्पढमयाए थूलगं पाणाशायं पचक्खाइ जावजीवाए दुविहं तिविहेणं न करेमि न कारवेमि मणसा वयसा कायसा 1 / तयाणन्तरं च णं थूलगं मुसावायं पञ्चक्खाइ जावज्जीवाए दुविहं तिविहेणं न करेमि न कारवेमि मणसा वयसा कायसा 2 / तयाणन्तरं च णं थूलगं अदिराणादाणं पञ्चक्खाइ जावजीवाए दुविहं तिविहेणं न करेमि न कारवेमि मणसा वयसा कायसा 3 / तयाणन्तरं च णं सदारसन्तोसिए परिमाणं करेइ, नन्नत्थ एक्काए सिवा(व)नन्दाए भारियाए अवसेसं सव्वं मेहुणविहिं पञ्चक्खामि मणसा (3), 4 / तयाणन्तरं च णं इच्छाविहिपरिमाणं करेमाणे हिरगणसुवरणविहि-परिमाणं करेइ, ननस्थ चउहिं हिरराणकोडीहिं निहाणपउत्ताहि चउहि बुडिपउत्ताहिं चरहिं पवित्थरपउत्ताहिं, अवसेसं सव्वं हिरगणसुव Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः राणविहिं पञ्चक्खामि (3), 5 / तयाणन्तरं च णं चउप्पयविहि-परिमाणं करेइ, नन्नत्थ चाहिं वएहिं दसगोसाहस्सिएणं वएणं, अवसेसं सव्वं चउप्पयविहिं पञ्चक्खामि (3), 6 / तयाणन्तरं च णं खेत्तवत्थुविहि-परिमाणं करेइ, नन्नत्थ पञ्चहिँ हलसएहिं नियत्तणसइएणं हलेणं, अवसेसं सव्वं खेत्तवत्थुविहिं पञ्चक्खामि (3), 7 / तयाणन्तरं च णं सगडविहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्य पञ्चहिं सगडसएहिं दिसायत्तिएहिं पञ्चहिं सगडसएहिं संवाहणिएहिं, अवसेसं सव्वं सगडविहिं पञ्चक्खामि (3), 8 ।तयाणन्तरं च णं वाहणविहि-परिमाणं करेइ, नन्नत्थ चउहिं वाहणेहिं दिसायत्तिएहिं चउहिं वाहणेहिं संवाहणिएहिं, अवसेसं सव्वं बाहणविहिं पञ्चक्खामि (3), 1 / तयाणन्तरं च णं उवभोग-परिभोगविहिं पञ्चक्खाएमाणे उल्लणिया-विहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ एगाए गन्धकासाईए, अवसेसं सव्वं उल्लणियाविहिं पञ्चक्खामि (3), 10 / तयाणन्तरं च णं दन्तवण-विहिपरिमाणं करेइ, ननत्थ ऐगेणं अल्ललट्ठी-महुएणं, अवसेसं दन्तवणविहिं पञ्चक्खामि (3), 11 / तयाणन्तरं च फलविहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ एगेणं खीरामलएणं, श्रवसेसं फलविहिं पञ्चक्खामि (3), 12 / तयाणन्तरं च णं अभङ्गण'विहिंपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ सयपाग-सहस्सपागेहिं तेल्लेहिं, अवसेसं अभङ्गणविहिं पचक्खामि (3), 13 / तयाणन्तरं च णं उबट्टणा-विहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ एगेणं सुरहिणा गग्धट्टएणं, अवसेसं उव्वट्टणाविहिं पच्चक्खामि (3), 14 / तयाणन्तरं च णं मजण-विहिपरिमाणां करेइ, ननत्य अट्ठहिं उट्टिएहिं उदगस्स घडएहि, अवसेसं मजणविहिं पञ्चक्खामि (3), 15 / तयाणन्तरं च णं वत्थविहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ एगेणं - खोमजुयलेणं, अवसेसं वत्थविहिं पञ्चक्खामि (3), 16 / तयाणन्तरं च णं विलेवणविहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ अगरुकुङ्कुम-चन्दणमादिएहिं, अवसेसं - विलेवणविहिँ पचक्खामि (3), 17 / तयाणन्तरं च णं पुप्फविहिपरिमाणां Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 1 ] [ 265 करेइ, नन्नत्थ एगेणां सुद्धपउमेगां मालइकुसुमदामेणां वा, अवसेसं पुप्फविहिं पच्चक्खामि (3), 18 / तयाणन्तरं च गां श्राभरणविहिपरिमाणां करेइ, नन्नत्थ मट्ठकरणेजएहिं नाममुद्दाए य, अवसेसं श्राभरणविहिं पचक्खामि (3), 11 / तयाणन्तरं च गां धूवणविहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ अगरुतुरुकधूवमादिएहिं, अवसेसं धूवणविहिं पञ्चक्खामि (3), 20 / तयाणन्तरं च णं भोयणविहिपरिमाणं करेमाणे पेजविहिपरिमाणं करेइ, ननत्थ एगाए कट्टपेजाए, अवसेसं पेजविहिं पञ्चक्खामि (3), 21 / तयाणन्तरं च णं भक्खविहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ एगेहिं घयपुराणेहिं खण्डखजएहिं वा, श्रवसेसं भक्खविहिं पञ्चक्खामि (3), 22 / तयाणन्तरं च णं श्रोदणवि. हिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ कलमसालियोदणेणं, अवसेसं श्रोदणविहिं पच्चक्खामि (3), 23 / तयाणन्तरं च णं सूवविहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ कलायसूवेण वा मुग्गमाससूवेण वा, अवसेसं सूवविहिं पञ्चक्खामि (3) 24 / तयाणन्तरं च गां घयविहिपरिमाणां करेइ, नन्नत्थ सारइएगां गोघय. मराडेगां अवसेसं घयविहिं पञ्चखामि (3), 25 / तयाणन्तरं च गां सागविहिपरिमाणां करेइ, नन्नत्थ वत्थुसाएण वा (चुच्चुसाएगां वा तुबसाएण वा) सुत्थियमाएण वा मण्डुकियसाएण वा, अवसेसं सागविहिं पञ्चक्खामि (3), 26 / तयाणन्तरं च गां माहुरय-विहिपरिमाणां करेइ, नन्नाथ एगेणां पालङ्गामाहुरएगां, अवसेसं माहुरयविहिं पञ्चक्खामि (3), 27 / तयाणन्तरं च गां जेमणविहिपरिमाणां करेइ, नन्नस्थ सेहंबदालियबेहिं, अवसेसं जेमण. विहिं पञ्चक्खामि (3), 28 / तयाणन्तरं च गां पाणियविहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ एगेणं अन्तलिक्खोदएणं, अवसेसं पाणियविहिं पञ्चक्खामि (3), 21 / तयाणन्तरं च णं मुहवासविहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ पञ्चसोगन्धिएणं तम्बोलेणं, अवसेसं मुहवासविहिं पञ्चक्खामि (3), 30 / तयाणन्तरं 'च णं चउन्विहं अणट्ठादराडं पचक्खाइ, तंजहा-अवज्माणायरियं पमाया Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 266 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः यरियं हिंसप्पयाणं पावकम्मोवएसे (3), 31 // सू० 6 // __इह खलु आणन्दाइ ! समणे भगवं महावीरे आणन्दं समणोवासगं एवं वयाती-एवं खलु श्राणन्दा ! समणोवासएणं अभिगयजीवाजीवेणं जाव अणइक्कमणिज्जेणं सम्मत्तस्स पञ्च अइयारा पेयाला जाणियव्वा न समायरियधा, तंजहा-सङ्का का विइगिच्छा परपासराडपसंसा परपासण्डसंथवे / तयाणन्तरं च णं थूलगस्त पाणाइवायवेरमणस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा पेयाला जाणियव्वा न समायरियब्वा, तंजहा-बन्धे वहे छविच्छेए अइभारे भत्तपाणवोच्छेए 1 / तयाणन्तरं च णं थूलगस्स मुसावायवेरमणस्स पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरिव्वा, तंजहा-सहसाअभक्खाणे रहसायब्भक्खाणे सदारमन्तभेए मोसोवएसे कूडलेहकरणे * (कन्नालियं गवालियं भूमालियं नासावहारे कूडसक्खिज्ज संधिकरण) 2 / तयाणन्तरं च णं थूलगस्स अदिराणादाण-वेरमणस्त पञ्च अइयारा जाणियबा न समायरियव्वा, तंजहा-तेणाहडे तकरप्पयोगे विरुद्धरजाइक्कमे कूडतुलकूडमाणे तप्पडिरूवगववहारे 3 / तयाणन्तरं च णं सदारसन्तोसिए पञ्च अइयारा जाणियबा न समायरियव्वा, तंजहा-इत्तरिय-परिग्गहियागमणे अपरिग्गहियागमणे अणङ्गकीबा परविवाहकरणे कामभोगतिव्वाभिलासे 4 / तयाणन्तरं च इच्छापरिमाणस्म समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा, तंजहा-खेत्तवत्थु-पमाणइकमे हिरराणसुवराण-पमागाइकमे दुपयचउप्पय-पमाणाइक्कमे धणधन्न-पमाणाइकमे कुविय-पमाणाइक्कमे 5 / तयाणन्तरं च णं दिसिवयस्स पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा, तंजहा-उढदिसि-पमाणाइक्कमे अहोदिसि-पमाणाइकभे तिरियदिसि- पमाणाइक्कमे खेत्तवुड्डी अडअन्तरद्धा 6 / तयाणन्तरं च णं उवभोगपरिभोगे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-भोयणो य कम्मश्रो य, तत्थ णं भोयणश्रो . समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियन्वा न समायरियव्वा, तंजहा-सचि Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 1 ] [ 267 ताहारे सचित्तपडिबद्धाहारे अप्पउलियोसहिभक्खणया दुप्पउलियोसहिभक्खणया तुच्छोसहिभक्खणया, कम्मो णं समणोवासएणं पणरस कम्मादाणाइं जाणियब्वाइं न समायरिपब्वाई, तंजहा-इङ्गालकम्मे वणक्कम्मे साडीकम्मे भाडीकम्मे फोडीकम्मे, दन्तवाणिज्जे लक्खवाणिज्जे रसवाणिज्जे विसवाणिज्जे केसवाणिज्जे, जन्तपीलणकम्मे निल्लन्छणकम्मे दवग्गिदावणया सरदहतलाव(गपरि)-सोसणया असईजणपोसणया 7 / तयाणन्तरं च णं अणट्ठादराडवेरमणस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा, तंजहा-कन्दप्पे कुक्कुइए मोहरिए सरजुत्ताहिगरणे उवभोगपरिभोगाइरित्तेक / तयाणन्तरं च णं सामाइयस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियब्वान समायरियव्वा, तंजहा-मणदुप्पणिहाणे वयदुप्पणिहाणे कायदुप्पणिहाणे सामाइयस्स सइअकरणया सामाइयत्स अणवट्ठियस्स करणया १।तयाणन्तरं च णं देसावगासियस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियया न समायरियबा, तंजहा-याणवणप्पयोगे पेसवणप्पयोगे सदाणुवाए रूवाणुवाए बहिया पोग्गलपक्खेवे 10 / तयाणन्तरं च णं पोसहोववासस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियब्वा, न समायरियव्वा, तंजहा-अप्पडिलेहिय-दुष्पडिलेहिय-सिज्जासंथारे अप्पमजिय-दुप्पमजिय-सिज्जासंथारे अप्पडिलेहिय-दुप्पडिलेहिय-उच्चारपासवणभूमी अप्पमन्जिय-दुप्पमज्जिय-उच्चारपासवणभूमी पोसहोववासस्स सम्म अणणुपालणया 11 / तयाणन्तरं च णं ग्रहा(अतिहि)संविभागस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियब्वा न समायरियव्वा, तजहा-सचित्तनिक्खेवणया सचित्तपिहणया कालाइक्कमे परववदेसे मच्छरिया 12 / तयाणन्तरं च णं अपच्छिममारणन्तिय-संलेहणाझूसणाराहणाए पञ्च अइयारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा तंजहा-इहलोगासंसप्पयोगे परलोगासंसप्पयोगे जीवियासंसप्पयोगे मरणासंसप्पयोगे कामभोगासंसप्पश्रोगे 13 // सू० 7 // Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 268 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा . तए णं से प्राणन्दे गाहावई समणस्स भगवयो महावीरस्स अन्तिए पञ्चाणुब्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं सावयधम्म पडिबजइ 2 समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 एवं वयासी-“नो खलु मे भन्ते ! कप्पइ अजप्पभिई अन्नउत्थिए वा अन्नउत्थियदेवयाणि वा अन्नउत्थियपरिग्गहियाणि अरिहंतचेझ्याणि वा वन्दित्तए वा नमंसित्तए वा, पुब्बिं अणालत्तेणं बालवित्तए वा संलवित्तए वा, तेसिं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा दाउं वा अणुप्पदाउं वा, ननत्थ रायाभियोगेणं गणाभियोगेणं बलाभियोगेणं देवयाभियोगेणं गुरुनिग्गहेणं वित्तिकन्तारेणं कप्पइ मे समणे निग्गन्थे फासुएणं एसणिज्जेणं असणपाण-खाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गह-कम्बलपायपु छणेणं पीढफलग-सिज्जासंथारएणं असहभेसज्जेण य पउिलाभेमाणस्स विहरित्तएत्तिकटु इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिराहइ 2 ता पसिणाई पुच्छइ 2 त्ता अट्ठाई यादियइ 2 ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वन्दइ 2 ता समणस्स भगवयो महावीरस्स अन्तियायो दूइपलासायो चेइयायो पडिणिक्खमइ 2 त्ता जेणेव वाणियगामे नयरे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ 2 ता सिवानन्दं भारियं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए ! मए समणस्स भगवयो महावीरस्स अन्तिए धम्मे निसन्ते, सेऽवि य -धम्भे मे इच्छिए पडिन्छए अभिरुइए, तं गच्छ णं. तुमं देवाणुप्पिए ! समणं भगवं महावीरं वन्दाहि जाव पज्जुवासाहि, समणस्स भगवयो महावीरस्स अन्तिए पश्चाणुबइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवजाहि // सू० 8 // तए णं सा सिवानन्दा भारिया प्राणन्देणं समणोवासएणं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्टा कोडुम्बियपुरिसे सद्दावेइ 2 एवं वयासी-खिप्पामेव लहुकरण जाव पज्जुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे सिवानन्दाए तीसे य महइ जाव धम्मं करेइ, धम्मकहा, तए णं सा शिवानन्दा समणस्स Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] [266 भगवश्री महावीरस्स अनिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ट जाव गिहिधम्म पडियजइ 2 तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरूहइ 2 जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया // सू० 1 // ___भन्ते त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 एवं वयानी-पहू णं भन्ते ! आणन्दे समणोवासए देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुण्डे जाव पव्वइत्तए ?, नो तिणठे समठे, गोयमा ! प्राणन्दे णं समणोवासए बहूई वासाइं समणोवासगरियागं पाउणिहिइ 2 जाव सोहम्मे कप्पे अरुणे विमाणे देवत्ताए उववजिहिइ / तत्थ णं अत्यंगइयाणं देवाणं चत्तारि पलियोवमाई ठिई पराणत्ता / तत्थ णं ग्राणन्दस्सवि समणोवासगस्स चनारि पलिश्रोवमाइं ठिई पराणत्ता। तए णं समणे भगवं ! महावीरे यन्नया कयाइ बहिया जाव विहरइ // सू० 10 // तए णं से प्राणन्दे समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलामेमाणे विहरइ / तए णं सा सिवानन्दा भारिया समणोवासिया जाया जाव पडिलाभेमाणी विहरइ ॥सू० 11 // तए णं तस्स पाणन्दस्स समणोवासगस्स उच्चावहिं सीलव्वयगुणवेरमण-पचक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावमाणस्स चोइस संवच्छराई वइकन्ताई, पराणरसमस्स संवच्छरस्त अन्तरा वट्टमाणस्स अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चिन्तिए पत्थिए मणोगए सङ्कप्पे समुप्पजित्था एवं खलु अहं वाणियगामे नयरे बहूणं राईसर जाव सयस्सवि य णं कुडुम्बस्स जाव अाधारे, तं एएणं विक्खेवेणं अहं नो संचामि समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अन्तियं धम्मपराणत्तिं उबसम्पजित्ता णं विहरित्तए 1 / तं सेयं खलु ममं कल्लं जाव जलन्ते विउलं असणं जहा पूरणो जाव जेट्टपुत्तं कुडुम्बे ठवेत्ता तं मित्तं जाव जेट्टपुत्तं च श्रापुच्छित्ता कोल्लाए सन्निवेसे नायकुलंसि पोसहसालं पडिलेहित्ता समणस्स भगवयो महावीरस्स अन्तियं धम्मपराणत्ति उवसम्पजित्ता णं Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 270 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : चतुर्थो विभागः विहरित्तए / एवं सम्पेहेइ 2 कल्लं जाव जलंते विउलं तहेव जिमियभुत्तुत्तरागए तं मित्त जाव विउलेणं पुष्फ 5 सकारेइ सम्माणेइ 2 तस्सेव मित्त जाव पुरयो जेट्टपुत्तं सद्दावेइ 2 एवं वयासी-एवं खलु पुत्ता ! अहं वाणियगामे बहूणं राईसर जहा चिन्तियं जाव विहरित्तए, तं सेयं खलु मम इदाणिं तुमं सयस्स कुडुम्बस्स पालम्बणं 4 ठवेत्ता जाव विहरित्तए 2 / तए णं जेट्टपुत्ते पाणन्दरस समणोवासगस्स तहत्ति एयमट्ट विणएणं पडिसुणेइ, तए णं से प्राणन्दे समणोवासए तस्सेव मित्त जाव पुरयो जेट्टपुत्तं कुडुम्बे ठवेइ 2 एवं वयासी-मा णं देवाणुप्पिया ! तुम्भे अजप्पभिई केई मम बहूसु कज्जेसु जाव आपुच्छउ वा पडिपुच्छउ वा ममं श्रट्टाए असणं वा 4 उवक्खडेउ वा उवकरेउ वा 3 / तए णं से प्राणन्दे समणोवासए जेट्टपुत्तं मित्तनाइ यापुच्छई 2 सयानो गिहायो पडिणिक्खमइ 2 वाणियगामं नयरं मझमज्झणं निग्गच्छइ 2 जेणेव कोल्लाए सन्निवेसे जेणेव नायकुले जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ 2 पोसहसालं पमज्जइ 2 उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ 2 दब्भसंथारयं संथरइ, दम्भसंथारयं दुरूहइ 2 पोसहसालाए पोसहिए दम्भसंथारोवगए समणस्स भगवश्री महावीरस्स अन्तियं धम्मपराणत्तिं उवसम्पजित्ता णं विहरइ 4 // सू० 12 // तए णं से श्राणन्दे समणोवासए उवासगपडिमानो उवसम्पजिता णं विहरइ, पढमं उवासगपडिमं अहासुत्तं ग्रहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्म कारणं फासेइ, पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्ते(टे)इ अाराहेइ 1 / तए णं से आणन्दे समणोवासए दोच्चं उवासगपडिमं एवं तच्चं चउत्थं पञ्चमं छटुं सत्तमं अट्ठमं नवमं दसमं एकारसमं जाव बाराहेइ 2 // सू० 13 // तए णं से आणन्दे समणोवासए इमेणं एयारूवेणं उरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहियेणं तवोकम्मेणं सुक्के जाव किसे धमणिसन्तए जाए 1 / तए णं तस्स प्राणन्दस्स समणोवासगस्स अन्नया कयाई पुबरत्ता जाव Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] [271 धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयं अज्झथिए ५-एवं खलु अहं इमेणं जाव धमणिसन्तए जाए, तं अत्थि ता मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे सदाधिइसंवेगे, तं जाव ता मे अस्थि उटाणे सद्धाधिइसंवेगे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ ताव ता मे सेयं कल्लं जाव जलन्ते अपच्छिममारणन्तिय-संलेहणा-भूसणाभूसियस्त भत्तपाणपडियाइक्खियस्स कालं अणवकङ्खमाणस्स विहरित्तए, एवं सम्पेहेइ 2 त्ता कल्लं पाउ जाव अपच्छिममारणन्तिय जाव कालं प्रणवकङ्खमाणे विहरइ 2 / तए णं तस्स प्राणन्दस्स समणोवासगस्स अन्नया कयाई सुभेणं अज्झवसाणेणं सुभेणं (सोहणेण) परिणामेणं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तदावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमेणं श्रोहिनाणे समुप्पन्ने, पुरथिमेणं लवणसमुद्दे पञ्चजोयणसइयं खेत्तं जाणइ पासइ, एवं दक्खिणेणं पञ्चत्थिमेण य, उत्तरेणं जाव चुल्लहिमवन्तं वासधरपव्वयं जाणइ पासइ, उड्ढं जाव सोहम्मं कप्पं जाणइ पासह, अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुयं नरयं चउरासीइ-वाससहस्सट्टिइयं जाणइ पासइ 3 // सू० 14 // ते गां काले गां ते णां समए गां समणे भगवं महावीरे समोसरिए, परिसा निग्गया, जाव पडिगया, ते गां काले णां ते गां समए गां समणस्स भगवश्री महावीरस्स जेटे अन्तेवासी इन्दभूई नामं अणगारे गोयमगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंस-संठाणसंठिए वजरिसह-नारायसङ्घयणे कणग-पुलगनिघस-पम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे घोरतवे महातवे उराले घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबम्भचेरवासी उच्छूटसरीरे सवित्त-विउल-तेउलेसे छ8छठेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ 1 / तए णं से भगवं गोयमे छट्टक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ बिइयाए पोरिसीए झाणं झायइ, तइयाए पोरिसीए अतुरियं अचवलं Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. 202] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा असम्भन्ते मुहपत्तिं पडिलेहेइ 2 ता भायणवत्थाई पडिलेहेइ. 2 ता भायणवत्थाई पमन्जइ 2 ता भायणाई उग्गाहेइ 2 ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 त्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भन्ते ! तुम्भेहिं अभणुराणाए छट्टक्खमणपारणगंसि वाणियगामे नयरे उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स "भिक्खायरियाए अडित्तए, 'हासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबन्धं करेह' 2 / तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेण श्रब्भणुराणाए समाणे समणस्स भगवो महावोरस्स अन्तियायो दूइपलासायो चेइयायो पडिणिक्खमइ 2 अतुरियमचलवमसम्भन्ते जुगन्तरपरिलोयणाए दिट्ठीए पुरो ईरियं सोहेमाणे जेणेव वाणियगामे नयरे तेणेव उवागच्छइ 2 वाणियगामेनयरे उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडइ 3 / तए णं से भगवं गोयमे वाणियगामे नयरे जहा पराणत्तीए तहा जाव भिक्खायरियाए अडमाणे अहापजत्तं भत्तपाणं सम्म पडिग्गाहेइ 2 वाणियगामाश्रो पडिणिग्गच्छइ 2 त्ता कोल्लायस्स सिन्नवेसस्स अदूरसामन्तेणं वीईवयमाणे बहुजणसद निसामेइ, बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ ४–एवं खलु देवाणुप्पिया! समणस्त भगवो महावीरस्स अन्तेवासी आणन्दे नामं समणोवासए पोसहसालाए अपच्छिम जाव अणवकङ्खमाणे विहरइ 4 / तए णं तस्स गोयमस्स बहुजणस्स अन्तिए एयमटुं सोचा निसम्म अयमेयारूवे अज्झथिए .४-तं गच्छामि णं आणन्दं समणोवासयं पासामि, एवं सम्पेहेइ 2 जेणेव कोल्लाए सन्निवेसे जेणेव पाणन्दे समणोवासए जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, तए णं से प्राणन्दे समणोवासए भगवं गोयमं एजमाणं पासइ 2 त्ता हट्ट जाव हियए, भगवं गोयमं वन्दइ नमसइ 2 ता एवं वयासी-एवं खलु भन्ते ! अहं इमेणं उरालेगां जाव धमणिसन्तए जाए, न संचाएमि देवाणुप्पियस्स अन्तियं पाउभवित्ता णं तिक्खुत्तो मुद्धाणेगां पाए Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 1 ] [ 273 अभिवन्दित्तए, तुब्भे गां भव्ते ! इच्छाकारेणं अणभियोगेणं इत्रो चेव एह, जा णं देवाणुप्पियाणं तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाएसु वन्दामि नमसामि 5 / तए णं से भगवं गोयमे जेणेव प्राणन्दे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ 6 // सू० 15 // तए गां से प्राणन्दे समणोवासए भगवश्री गोयमस्स तिक्खुत्तो मुद्धाणेगां पाएसु वन्दइ नमसइ 2 ता एवं वयासी-अस्थि गां भन्ते ! गिहिणो गिहिमज्भावसन्तस्स ओहिनाणे समुपज्जइ ?, हन्ता अत्थि, जइ गां भन्ते ! गिहिणो जाव समुप्पजह, एवं खलु भन्ते ! ममवि गिहिणो गिहिमज्भावसन्तस्स ओहिनाणे समुप्पन्ने-पुरथिमेगां लवणसमुद्दे पञ्च जोयणसयाई जाव लोलुयच्चुयं नरयं जाणामि पासामि 1 / तए गां से भगवं गोयमे आणंदं समणोवासयं एवं वयासी-अस्थि गां श्राणन्दा ! गिहिणो जाव समुप्पजइ, नो चेव णं ए(अ)महालए, तं णं तुमं श्राणन्दा ! एयस्स ठाणस्त पालोएहि जाव तवोकम्म पडिबजाहि 2 / तए णं से आणन्दे समणोवाणए भगवं गोयमं एयं वयासी-अस्थि णं भन्ते ! जिणवयणे सन्ताणं तचाणं तहियाणं सब्भूयाणं भावाणं बालोइज्जइ जाव पडिवजिजइ ?, नो इणठे समठे, जइणं भन्ते ! जिणवयणे सन्ताणं जाव भावाणं नो पालोइजइ जाव तवोकम्मं नो पडिवजिजइ, तं णं भन्ते ! तुमे चेर एयस्स ठाणस्स पालोएह जाव पडिवजह 3 / तए णं से भगवं गोयमे श्राणन्देण समणोवासएगां एवं वुत्ते समाणे सङ्किए कङ्खिए विइगिच्छासमावन्ने आणन्दस्स अन्तियायो पडिणिक्खमइ 2 जेणेव दुइपलासे चेइए जेणेव ससणे भगवं महावीरे तेणेव उबागच्छइ 2 समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अदूरसामन्ते गमणागमणाए पडिक्कमइ 2 एसणमणेसणां बालोएइ 2 भत्तपाणां पडिदंसेइ 2 ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमंमइ 2 ता एवं वयासी-एवं खलु भन्ते ! अहं तुब्भेहिं अभणुराणाए Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 254 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः तं चेव सव्वं कहेइ जाव तए गां अहं सङ्किए 3 आणन्दस्स समणोवासगस्स अन्तियायो पडिणिक्खमामि 2 जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए, तं णं भन्ते ! किं आणन्देणं समणोवासएणं तस्स ठाणस्स बालोएयव्वं जाव पडिवज्जेयव्वं उदाहु मए ?, गोयमा इ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-गोयमा ! तुमं चेव णं तस्स ठाणस्स बालोएहि जाव पडिवजाहि, श्राणन्दं च समणोवासयं एयम8 खामेहि 4 / तए णं से भगवं गोयमे समणस्स भगवयो महावीरस्त तहत्ति एयमट्ठविणएणं पडिसुणेइ 2 ता. तस्स गणस्स बालोएइ जाव पडिवजइ, प्राणन्दं च समणोवासयं एयमटुं खामेइ 5 / तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाई बहिया जणवयविहारं विहरइ 6 // सू० 16 // तए णं से प्राणन्दे समणोवासए बहूहिं सीलब्बएहिं जाव अप्पाणं भावेत्ता वीसं वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता एकारस य उवासगपडिमायो सम्मं कारणं फासित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता सर्टि भत्ताई श्रणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिकन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसगस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरच्छिमेणं अरुणे विमाणे देवत्ताए उववन्ने 1 / तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिग्रोवमाई ठिई पराणत्ता, तत्थ णं आणन्दस्सवि देवस्स चत्तारि पलिश्रोवमाई ठिई पण्णत्ता 2 / आणन्दे भन्ते ! देवे तायो देवलोगायो श्राउक्खएणं 3 अणन्तरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ 3 / निक्खेवो // सू० 17 // सत्तमस्स अगस्स उवासगदसाणं पढमं अज्झयणं समत्तं // // इति प्रथमध्ययनम् // 1 // Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 2 ] [ 275 // 2 // अथ श्रीकामदेवाख्यं द्वितीयमध्ययनम् // जइ णं भन्ते / समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सम्पत्तेणं सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमठे पराणत्ते, दोच्चस्स णं भन्ते ! अझयणस्स के अट्ठे पराणत्ते ?, एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चम्पा नामं नयरी होत्था, पुराणभद्दे चेइए, जियसत्तू राया, कामदेवे गाहावई, भद्दा भारिया, छ हिरराणकोडीयो निहाणपउत्तानो, छ बुडिपउत्तानो, छ पवित्थरपउत्तायो, छ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं 1 / समोसरणं, जहा पाणन्दो तहा निग्गयो, तहेव सावयधम्म पडिवज्जइ, सा चेव वत्तव्वया जाव जेट्टपुत्तं मित्तनाई श्रापुच्छित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ 2 जहा श्राणन्दो जाव समणस्स भगवयो महावीरस्स अन्तियं धम्मपराणत्तिं उवसम्पजित्ता णं विहरइ 2 // सू० 18 // . तए णं तस्स कामदेवस्स समणोवासगस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे मायी मिच्छट्ठिी अन्तियं पाउभूए, तए णं से देवे एगं महं पिसायरूवं विउव्वइ, तस्स णं देवस्स पिसायरूवस्स इमे एयारूवे वराणावासे पराणत्तेसीसं से गोकिलज्ज-संठाणसंठियं (विगय-कप्पयनिभं वियड-कोप्परनिर्भ) सालिभ-सेल्लसरिसा से केसा कविलतेएणं दिप्पमाणा महल्ल-उट्टियाकभल्लसंठाणसंठियं (महल्ल-उट्टियाकभल्ल-सरिसोवम) निडालं मुगुसपुछ व तस्स भुमगायो फुग्गफुग्गायो (जडिलकुजडिलायो) विगयबीभच्छ-दंसणाश्रो सीसघडि-विणिग्गयाइं अच्छीणि विगय-बीभच्छदंसणाई कराणा जह सुप्पकत्तरं चेव विगय-बीभच्छदंसणिज्जा, उरुभपुड-सन्निभा (हुरब्भपुड-संगणसंठिया) से नासा, झुसिरा जमल-चुल्ली-संठाणसंठिया दोवि तस्स नासा पुडया (महल्ल-कुबसंठिया दोवि से कपोला) घोडयपुछ व तस्स मंसूई कविलकविलाई विगय-बीभच्छदंसणाई, (घोडयपुछ व तस्स कविलफरसायो उद्धलोमायो दाढियायो) उठा उट्टस्स चेव लम्बा (उट्ठा से घोडगस्स जहा Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 276 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः दोऽवि लंबमाणा) फालसरिसा से दन्ता (हिङ्गुलुय-धाउकन्दरबिलं व तस्स वयणं), जिभा जहा सुप्पकत्तरं चे विगय-बीभच्छ-दंसणिज्जा, हलकुद्दालसंठिया से हणुया, गल्लकडिल्लं व तस्स खड्डं फुट्ट कविलं फरुसं महल्लं, मुइङ्गाकारोवमे से खन्धे, पुरवरकवाडोवमे से वच्छे, कोट्ठियासंगणसंठिया दोऽवि तस्स बाहा, निसापाहाण-संठाणसंठिया दोऽवि तस्स अग्गहत्था, निसा-लोढसंठाणसंठियायो हत्येसु अङ्गुलीयो सिप्पिपुडगसंठिया से नक्खा (अडयालग-संठियो उरो तस्स रोमगुविलो) राहावियपसेवो व्व उरंसि लम्बन्ति दोवि तस्स थणया, पोट्ट अयकोट्ठयो ब्व वट्ट, पाणकलन्दसरिसा से नाही, (भग्गकडी विगयवंकपट्ठी असरिसा देवि तस्स फिसगा), सिकग-संठाणसंठिया से नेते, किराणपुड-संगमसंठिया दोऽवि तस्स वसणा, जमलकोट्ठिया संठाण-संठिया दोवि तस्स उरू, अज्जुणगुटुं व तस्स जाणूई कुडिलकुडिलाई विगयबीभच्छ-दंसणाई, जङ्घायो ककवडीयो लोभेहिं उबचियायो, अहरीलोढ-संठाणसंठिया दोऽवि तस्स पाया, प्रहरीलोढ-संगणसंठियायो पाएसु अङ्गुलीयो, सिप्पिपुडसंठिया से नक्खा लडहमडहजाणुए विगयभग्ग-भुग्गभुमए (मसिमुसग-महिसकालए भरिय मेहराणे लम्बोट्टे निग्गयदन्ते) अवदालियवयणविवर-निल्लालियग्गजीहे सरडकय-मालियाए उन्दुरमाला-परिणद्धसुकयचिंधे नउल-कयकराणपूरे सप्पकय-वेगच्छे (मूसगकय-भुभलए विच्छुयकय-वेगच्छे सप्पकय-जगणोवइए, अभिन्न-मुहनयण-नक्ख-वरवग्य-चित्तकत्तिनियंसणे सरस-रुहिर-मंसावलित्तगत्ते) अप्फोडन्ते अभिगजन्ते भीम-मुक्ट्टहासे नाणाविह-पञ्चवणेहिं लोमेहिं उवचिए एगं महं नीलुप्पल-गवलगुलिय-अयसि-कुसुमप्पगासं असिं खुरधारं गहाय जेणेव पोसहसाला जेणेव कामदेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ 2 अासुरत्ते रुठे कुविए चण्डि. किए मिसिमिसीयमाणे कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो कामदेवा Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 2 ] [ 277 समणोवासया अप्पत्थियपत्थिया दुरन्तपन्त-लक्खणा हीणपुराण-चाउद्दसिया सिरिहिरि-सिरिधिइ-कित्तिपरिवजिया ! धम्मकामया पुराणकामया सग्गकामया मोक्खकामया धम्मकडिया पुराणकटिया सग्गकटिया मोक्खकलिया धन्मपिवासिया पुराणपिवासिया सग्गपिवासिया मोक्खपिवासिया ! नो खलु कप्पइ तव देवाणुप्पिया ! जं सीलाई वयाइं वेरमणाई पचक्खाणाइं पोसहोववासाइं चालित्तए वा खोभित्तए वा खण्डित्तए वा भजित्तए वा उज्झितए वा परिचइत्तए, वा, तं जइ णं तुमं अज सीलाई जाव पोसहोववासाइं न छड्डेसि न भंजेसि तो ते अहं अज इमेणं नीलुप्पल जाव असिणा खराडाखण्डि करेमि, जहा णं तुमं देवाणुप्पिया ! अट्टदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाश्रो ववरोविजसि, तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं पिसायरूवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए अतत्थे अणुविग्गे अक्खुभिए अचलिए असम्भन्ते तुसिणीए धम्मज्माणोवगए विहरइ // सूत्रं 11 // - तए णं से देवे पिसायरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव धम्मझाणोवगयं विहरमाणं पासइ 2 दोच्चंपि तच्चपि कामदेवं एवं वयासीहं भो कामदेवा ! समणोवासया अपत्थियपत्थिया, जइ णं तुमं अज जाव ववरोविजसि, तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव धम्मज्माणोवगए विहरइ, तए णं से देवे पिसायरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ 2 श्रासुरुत्ते रू? कुविए चण्डिकिए मिसिमिसियमाणे तिवलियं भिउहि निडाले साहट्ट कामदेवं समणोवासयं नीलप्पल जाव असिणा खराडाखण्डि करेइ, तए णं से कामदेवे समणोवासए तं उजलं जाव दुरहियासं वेयणं सम्मं सहई जाव अहियासेइ // सूत्रं 20 // .. तए णं से देवे पिसायरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ 2 जाहे नो संचाएइ कामदेवं समणोवासयं निग्गन्थाश्रो पाव Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 278 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभागः यणायो चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा ताहे सन्ते तन्ते परितन्ते सणियं सणियं पञ्चोसकइ 2 ता पोसहसालापा पडिणिक्खमइ 2 दिव्वं पिसायरूवं विप्पजहइ 2 एगं महं दिव्वं हत्थिरूवं विउव्वइ 1 / सत्तङ्गपइट्ठियं सम्म संठियं सुजायं पुरो उदग्गं पिट्ठयो वराहं अयाकुच्छिं अलम्बकुच्छिं पलम्ब-लम्बोदराधर-करं अब्भुग्गय-मउल-मल्लियाविमल-धवलदन्तं कश्चणकोसी-पविट्ठदन्तं प्राणामिय-चावललिय-संविल्लियग्गसोराडं कुम्मपडिपुराणचलणं वीसइनक्खं अल्लीणपमाणजुत्तपुच्छं मत्तं मेहमिव गुलगुलेन्तं मणपवणजइणवेगं दिव्वं हत्थिरूवं विउव्वइ 2 जेणेव पोसहसाला जेणेव कामदेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ 2 कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो कामदेवा ! समणोवासया तहेव भणइ जाव न भंजेसि तो ते अज अहं सोण्डाए गिगहामि 2 पोसहसालाश्रो नीणेमि 2 उड्ढे वेहासं उविहामि 2 तिक्खेहिं दन्तमुसलेहिं पडिच्छामि 2 अहे धरणितलंसि तिक्खुत्तो पाएसु लोलेमि जहा णं तुमं अट्टदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियायो ववरोविजसि, तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं हत्थिरूवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ 2 / तए णं से देवे हत्थिरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ 2 दोच्चंपि तच्चपि कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो कामदेवा ! तहेव जाव सोऽवि विहरइ, तए णं से देवे हत्थिरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ 2 श्रासुरुत्ते 4 कामदेवं समणोवासयं सोण्डाए गिराहेइ 2 उट्ठ वेहासं उबिहइ 2 तिक्खेहिं दन्तमुसलेहिं पडिच्छइ 2 अहे धरणितलंसि तिक्खुत्तो पाएसु लोलेइ, तए णं से कामदेवे समणोवासए तं उज्जलं जाव अहियासेइ 3 // सूत्रं 21 // तए णं से देवे हत्थिरुवे कामदेवं समणोवासयं जाहे नो संचाएइ जाव - सणियं सणियं पच्चोसकइ 2 पोसहसालायो पडिणिक्खमइ 2 दिव्वं हथिरुवं Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदंशाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 2 ] [ 26 विप्पजहइ 2 एगं महं दिव्वं सप्परूवं विउव्वइ उग्गविसं चण्डविसं घोरविसं महाकायं मसी-मूसाकालगं नयणविस-रोसपुराणं अंजणपुज-निगरप्पगासं रत्तच्छं लोहियलोयणं जमल-जुयल-चञ्चलजीहं धरणीयल-वेणिभूयं उक्कड-फुडकुडिल--जडिल-कक्कसवियड--फडाडोव-करणदच्छं लोहागर-- धम्ममाण-धमधमेन्तघोसं अणागलिय-तिब्वचण्डरोसं सप्परूवं विउव्वइ 2 जेणेव पोसहसाला जेणेव कामदेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ 2 कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो कामदेवा ! समणोवासया जाव न भंजेसि तो ते अज्जेव अहं सरसरस्स कायं दुरूहामि 2 पच्छिमेणं भाएणं तिक्खुत्तो गीवं वेढेमि 2 तिक्खाहिं विसपरिगयाहिं दाढाहिं उरंसि चेव निकुद्रेमि जहा णं तुमं अट्टदुहट्ट-वसट्टे अकाले चेव जीवियायो ववरोविजसि 1 / तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं सप्परूवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ, सोऽवि दोच्चंपि तच्चपि भगाइ, कामदेवोऽवि जाव विहरइ 2 / तए णं से देवे सप्परूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ 2 श्रासुरुत्ते 4 कामदेवस्स समणोवासयस्स सरसरस्स कायं दुरूहइ 2 पच्छिमभायेणं तिक्खुत्तो गीवं वेढेइ 2 तिक्खाहिं विसपरिगयाहिं दाढाहिं उरंसि चेव निकुट्टेइ, तए णं से कामदेवे समणोवासए तं उज्जलं जाव अहियासेइ 3 // सूत्रं 22 // तए णं से देवे सप्परूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ 2 जाहे नो संचाएइ कामदेवं समणोवासयं निग्गन्थाश्रो पावयणायो चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा ताहे सन्ते 3 सणियं सणियं पच्चोसकाइ पोसहसालायो पडिणिक्खमइ 2 तादिव्वं सप्परूवं विप्पजहइ 2 एगं महं दित्वं देवरुवं विउव्वइ 1 / हारविराइयवच्छं जाव दस दिसायो उज्जोवेमाणं पभासेमाणं पासाईयं दरिसणिज्जं अभिरुवं पडिरूवं दिव्वं देवरुवं विउव्वइ 2 कामदेवस्स समणोवासयस्स पोसहसालं अणुप्पविसइ 2 अन्तलिक्खपडिवन्ने सखिङ्खि Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 280 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / चतुर्थो विभागः णियाई पञ्चवरणाई वत्थाई पवरपरिहिए कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी"हं भो कामदेवा समणोवासया ! धन्ने सि णं तुमं देवाणुप्पिया ! सपुराणे कयत्थे कयलक्खणे सुलद्धे णं तव देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्मजीवियफले, जस्स णं तव निग्गन्थे पावयणे इमेयारूवा पडिवत्ती लद्धा पत्ता अभिसमनागया 2 / एवं खलु देवाणुप्पिया ! सक्के देविन्दे देवराया जाव सक्कसि सीहासणंसि चउरासीईए सामाणियसाहस्सीणं जाव अन्नेसिं च बहूणं देवाण य देवीण य मझगए एवमाइक्खइ ४-एवं खलु देवाणुप्पिया ! जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे चम्पाए नयरीए कामदेवे समणोवासये पोसहसालाए पोसहिय(ए)बम्भचारी जाव दम्भसंथारोवगए समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अन्तियं धम्मपराणति उवसम्पजित्ता णं विहरइ 3 / नो खलु से सको केणई देवेण वा दाणवेण वा जाव गन्धव्वेण वा निग्गन्थाश्रो पावयणायो चालित्तए वो खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा, तए णं अहं सकस्स देविन्दस्स देवरराणो एयम? असदहमाणे 3 इहं हव्वमागए, तं अहो णं देवाणुप्पिया ! इड्डी 6 लद्धा 3, तं दिट्ठा णं देवाणुप्पिया ! इड्डी जाव अभिसमन्नागया, तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! खमन्तु मज्झ देवाणुप्पिया ! खमन्तुमरहन्ति णं देवाणुप्पिया नाई भुजो करणयाएत्ति कटु पायवडिए पञ्जलिउडे एयमट्ठ भुजो भुजो खामेइ 2 जामेव दिसं पाउभूए तामेव दिसं पडिगए, तए णं से कामदेवे समणोवासए निस्वसग्गं तिकट्ठ पडिमं पारेइ 4 // सू० 23 // तेणं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ 1 / तए णं से कामदेवे समणोवासए इमीसे कहाए जाव लठे समाणे एवं खलु समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ, तं सेयं खलु मम समणं भगवं महावीरं वन्दित्ता नमंसित्ता तो पडिणियत्तस्स पोसहं पारित्तएत्तिकट्टु एवं सम्पेहेइ 2 सुद्धप्पावेसाइं वत्थाइं जाव अप्पमहग्घ जाव मणुस्सवग्गुरा Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 2 ) [ 281 परिक्खित्ते सयायो गिहायो पडिणिक्खमइ 2 चम्पं नगरिं मझमझेणं निग्गच्छइ 2 जेणेव पुराणभद्दे चेइए जहा सङ्खो जाव पज्जुवासइ 2 / तए णं समणे भगवं महावीरे कामदेवस्त समणोवासयस्त तीसे य जाव धम्मकहा समत्ता 3 // सू० 24 // कामदेवाइ ! समणे भगवं महावीरे कामदेवं समणोवासयं एवं वयासी-से नूणं कामदेवा तुभं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तिए पाउब्भूए, तए णं से देवे एगं महं दिव्वं पिसायरूवं विउब्वइ 2 श्रासुरुत्ते 4 एगं महं नीलुप्पल जाव असिं गहाय तुमं एवं वयासी-हं भो कामदेवा ! जाव जीवियायो ववरोविजसि, तं तुमं तेणं देवेणं एवं दुत्ते समाणे अभीए जाव विहरसि, एवं वराणगरहिया तिरिणवि उवसग्गा तहेव पडिउच्चारेयव्या जाव देवो पडिगयो; से नूणं कामदेवा ! अठे समठे ?, हन्ता, अस्थि, अजो इ, 1 / समणे भगवं महावीरे बहवे समणे निग्गन्थे य निग्गन्थीयो य ग्रामन्तेत्ता एवं वयासी-जइ ताव अजो ! समणोवासगा गिहिणो गिहमज्भावसन्ता दिव्वमाणुसतिरिक्खजोणिए उवसग्गे सम्मं सहन्ति जाव अहियासेन्ति, सका पुराणाई अजो ! समणेहिं निग्गन्थेहिं दुवालसङ्गं गणिपिडगं अहिजमाणेहिं दिव्वमाणुस्सतिरिक्खजोणिए सम्म सहित्तए जाव अहियासित्तए, तो ते बवे समणा निग्गन्था य निग्गथीयो य समणस्स भगवयो महावीरस्स तहत्ति एयमट्ठं विणएणं पडिसुणन्ति 2 / तए णं से कामदेवे समणोवासए हट्ठ जावं समणं भगवं महावीरं पसिणाई पुच्छइ अट्ठमादियइ, समणं महावीर तिक्खुत्तो वन्दइ नमसइ 2 जामेव दिसि पाउब्भूए तामेव दिसि पडिगए 3 / तए णं समणे भगवं महावीरे अनया कयाइ चम्पायो पडिणिक्खमइ 2 बहिया जणवयविहारं विहरइ 4 // सू० 25 // तए णं से कामदेवे समणोवासए पढम उवासगपडिमं उवसम्पजित्ताणं महावीरे बहवे समगै समणोवासगाभाय थामन्तेत्ता Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 282] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः विहरइ 1 / तए णं से कामदेवे समणोवासए बहूहिं जाव भावेत्ता वीसं वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता एकारस उवासगपडिमायो सम्म कारणं फासेत्ता मासियाए संलेहणाऐ अप्पाणं झूसित्ता सहि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता पालोइय-पडिकन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरच्छि(त्थि)मेणं अरुणाभे विमाणे देवत्ताए अवन्ने 2 / तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलियोवमाई ठिई पराणत्ता कामदेवस्स वि देवस्स चत्तारि पलिश्रोवमाई ठिई पराणत्ता, से णं भन्ते ! कामदेवे तायो देवलोगायो पाउक्खएणं भवक्खएणं ठिक्खएणं अणन्तरं चयं चइत्ता कहिं गमिहिइ कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! महाहिदेहे वासे सिज्झिहिइ ३।निक्खेवो॥ सू० 26 // // सत्तमस्स अगस्स उवासगदसाणं बीयं अज्झयणं समत्तं // // इति द्वितीयमध्ययनम् // 2 // // 3 // अथ श्री चुलनीपितृनामकं तृतीयमध्ययनम् // उक्लेवो तइयस्स अज्झयणस्स–एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी, कोट्टए (महा-कामवणे) चेइए जियसत्तू राया 1 / तत्थ णं वाणारसीए नगरीए चुलणीपिया ना गाहावई परिवसइ, अड्ढे जाव अपरिभूए, सामा भारिया 2 / अट्ठ हिरराणकोडीयो निहाणपउत्तायो अट्ठ वुडिपउत्तायो पट्ट पवित्थरपउत्तायो अट्ट वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं जहा प्राणन्दो राईसर जाव सव्वकज्जवट्टावए यावि होत्था, 3 / सामी समोसढे, परिसा निग्गया, चुलणीपियावि जहा श्राणन्दो तहा निग्गयो, तहेव गिहिधम्म पडिवजइ, गोयमपुच्छा तहेव सेसं जहा कामदेवस्स जाव पोसहसालाए पोसहिए बम्भचारी समणस्स भगवो महावीरस्स अन्तियं धम्मपराणत्तिं उवसम्पजित्ता णं विहरइ 4 // सू० 27 // Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 3 / [ 283 तए णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासयस्स पुब्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तियं पाउब्भूए 1 / तए णं से देवे एगं नीलुप्पल जाव असि गहाय चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया ! समणोवासया जहा कामदेवो जाव न भंजेसि तो ते अहं अज जेट्ठ पुत्तं सायो गिहायो नीणेमि 2 तव अग्गयो घाएमि 2 तो मंससोल्ले(लए) करेमि 2 यादाणभरियसि कडाहयंसि अहहेमि 2 तव गायं मंसेण य सोणिएण य यायचामि, जहाणं तुमं अट्टदुहट्टवसटे अकाले चेव जीवियायो ववरोविजसि 2 / तए णं से चुलणीपिया समणोवसाए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ 3 / तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ 2 दोच्चंपि तच्चपि चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया समणोवासया ! तं चेव भाइ, सो जाव विहरइ 4 / तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता प्रासुरुत्ते 4 चुलणीपियस्स समणोवासयस्स जेट्ठं पुत्तं गिहायो नीणेइ 2 ता अग्गयो घाएइ 2 तो मंससोल्लए करेइ 2 श्रादाणभरियंसि कडाहयंसि अहहेइ 2 चुलणी. पियस्स समणोवासयस्स गायं मंसेण य सोणियेण य प्रायश्चइ 5 / तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तं उज्जलं जाव अहियासेइ, तए णं से देवे चुलणपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ 2 . दोच्चंपि तच्चंपि चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया समणोवासया ! अपत्थियपत्थया जाव न भंजेसि तो ते अहं अज मज्झिमं पुत्तं सायो गिहायो नीणेमि 2 तव अग्गयो घाएमि जहा जेट्ठं पुत्तं तहेव भाइ तहेव करेइ, एवं तच्चपि कसीयसं जाव अहियासेइ. 6 / तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ 2 चउत्थंपि चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-"हं भो चुलणीपिया ! समणोवासया ! अपत्थियपत्थया ! 4 जइ णं तुमं जाव न भजेसि तयो अहं अज जा इमा तव Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 284 ] [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः माया भद्दा सस्थवाही देवयगुरुजणणी दुक्करदुक्करकारिया तं ते सायो गिहायो नीणेमि 2 तब अग्गयो घाएमि 2 तो मंससोल्लए करेमि 2 श्रादा(अद्दह)णभरियसि कडाहयंसि अदहेमि 2 तव गायं मंसेण य सोणिएण य प्रायञ्चामि जहा णं तुमं अट्टदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियायो ववरोविजसि, तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीऐ जाब विहरइ 7 / तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ 2 चुलणीपियं समणोवासयं दोच्चंपि तच्चपि वयासी है भो चुलणीपिया समणोवासया ! तहेव जाव ववरोविजसि 8 / तए णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासयस तेणं देवेणं दोच्चंपि तच्चपि एवं दुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अझथिए ५-ग्रहो णं इमे पुरिसे अणारिए प्रणारियबुद्धी अणारियाई पावाई कम्माइं समायरइ, जेणं ममं जेट्ठ पुत्तं सायो गिहायो नीणेइ 2 मम अग्गयो घाएइ 2 जहा कयं तहा चिन्तेइ जाव गायं यायञ्चइ, जेणं ममं मज्झिमं पुत्तं सायो गिहायो जाव सोणिएण य प्रायञ्चइ, जेणं ममं कणीयसं पुत्तं साथों गिहायो तहेव जाव श्रायञ्चइ, जाऽवि य णं इमा मम माया भद्दा सत्थवाही देवयगुरुजणणी दुक्करदुक्करकारिया तंपि य णं इच्छइ सायो गिहायो नीणेत्ता मम अग्गयो घाएत्तए, तं सेयं खलु ममं एवं पुरिसं गिरिहत्तएत्ति कटटु उद्धाइए 1 / सेवि य यागासे उप्पइए, तेणं च खम्भे आसाइए, महया महया सद्देणं कोलाहले कए, तए णं सा भद्दा सत्थवाही तं कोलाहलसह सोचा निसम्म जेणेव चुलणीपिया समणोवासए तेणेव उवागच्छइ 2 चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-किराणं पुत्ता ! तुमं महया महया सद्देणं कोलाहले कए ?, 10 / तए णं से चुलणीपिया समणोवासए अम्मयं भद्द सत्थवाहिं एवं वयासी-एवं खलु अम्मो ! न जाणामि केवि पुरिसे अासुरुत्ते 5 एगे महं नीलुप्पल जाव असिं गहाय ममं एवं वयासी-हं भो चुलणी Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशोङ्ग-सूत्रम् में अध्ययन 3 ] पिया समणोवासया ! अपत्थियपत्थया 4 जइ णं तुमं जाव ववरोविजसि, तए णं अहं तेणं पुरिसेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरामि, तए ण से पुरिसे ममं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ 2 ममं दोच्चपि तच्चपि एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया समणोवासया ! तहेव जाव गायं प्रायश्चइ, तए णं अहं तं उज्जलं जाव अहियासेमि, एवं तहेव उच्चारेयव्वं सव्वं जाव कणीयसं जाव आयञ्चइ, अहं तं उज्जलं जाव अहियासेमि, तए णं से पुरिसे ममं अभीयं जाव पासइ 2 मम चउत्थंपि एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया समणोंवासया ! अपत्थियपत्थया जाव न भञ्जसि तो ते अज जा इमा माया गुरु जाव ववरोविजसि, तए णं अहं तेणं पुरिसेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरामि, तए णं से पुरिसे दोच्चपि तच्चपि ममं एवं वयासी-हं भो चुलणीपिया समणोवासया ! अज जाव ववरोविजसि, तए णं तेणं पुरिसेणं दोच्चंपि तच्चपि ममं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए 5 अहो णं इमे पुरिसे अणारिए जाव समायरइ, जेणं ममं जेट्ट पुत्तं सायो गिहायो तहेव जाव कणीयसं जाय श्रायश्चइ, तुम्मेऽवि य णं इच्छइ सायो गिहायो नीणेता मम अग्गयो घाएत्तए, तं सेयं खलु मम एयं पुरिसं गिरिहत्तएत्तिकटु उद्धाइए, सेऽवि य यागासे उप्पइए, मएऽवि य खम्भे श्रासाइए महया महया सद्देणं कोलाहले कए 11 / तए णं सा भद्दा सत्थवाही चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-नो खलु केई पुरिसे तव जाव कणीयसं पुत्तं सायो गिहायो निणेइ 2 तव अग्गयो घाएइ एस णं केइ पुरिसे तव उवसग्गं करेइ, एस णं तुमे विदरिसणे, दिट्टे, तंणं तुम इयाणिं भग्गव्वए भग्गनियमे भग्गपोसहे विहरसि, तं णं तुमं पुत्ता ! एयस्स गणस्स बालोएहि जाव पडिवजाहि, तए णं से चुलणीपिया समणोवासए अम्मगाए भदाए सत्थवाहीए तहत्ति एयमटुं विणएणं पडिसुणेइ 2 त्ता तस्स गणस्स बालोएइ जाव पडिवजइ 12 // सू० 28. // . Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागः तए णं से चुलणीपिया समणोवासए पदमं उवासगपडिमं उवसम्पजित्ता णं विहरइ, पढमं उवासगपडिमं अहासुत्तं जहा पाणन्दो जाव एकारसवि, तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तेणं उरालेणं जहा कामदेवो जाव सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसगस्स महाविमांगास्स उत्तरपुरच्छिमेणं अरुणप्पभे विमाणे देवत्ताए उववन्ने / चत्तारि पलिग्रोवमाइं ठिई परणत्ता / महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ 5 // निक्लेवो // सू० 26 // // सत्तमस्स अगस्स उवासगदसाणं तइयं अज्झयणं समत्तं // ... // इति तृतीयमध्ययनम् // 3 // // 4 // अथ श्री सुरादेवाख्यं चतुर्थमध्ययनम् // उक्खेवयो चउत्थस्स अज्झयणस्स, एवं खलु जम्बू ! ते गां काले णं ते णं समए णं वाणारसी नामं नयरी, कोट्ठए (महाकामववाणे) चेइए, जियसत्तू राया, सुरादेवे गाहावई अडढे छ हिरराणकोडीयो जाव छ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं धन्ना भारिया, सामी समोसढे, जहा प्राणन्दो तहेव पडिवजइ गिहिधम्मं, जहा कामदेवो जाव समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतियं धम्मपराणत्तिं उवसम्पजित्ताणं विहरइ // सू० 30 // ___तए णं तस्स सुरादेवस्स समणोवासयस्य पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि एगे देवे अन्तियं पाउभवित्था, से देव एगं महं नीलुप्पल जाव असि गहाय सुरादेवं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो सुरादेवा समणोवासया ! श्रपत्थियपत्थिया 4 जइ णं तुमं सीलाई जाव न भञ्जसि तो ते जेट्टपुत्तं साश्रो गिहायो नीणेमि 2 तव अग्गयो घाएमि 2 पञ्च पञ्च सोल्लए करेमि 2 श्रादाणभरियसि कडाहयंसि अहहेमि 2 तव गायं मंसेण य सोणिएण य श्रायश्चामि जहा गां तुमं काले चेव जीवियाश्रो ववरोविजसि, एवं मज्झिमयं, कणीयसं, पक्केक्के पञ्च सोल्लया, तहेव करेइ, Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 4 ] ( 187 जहा चुलणीपियस्स, नवरं एक्कक्के पञ्च सोल्लया 1 / तए गां से देवे सुरादेवं समणोवासयं चउत्थंपि एवं वयासी-हं भो सुरादेवा ! समणोवासया अपत्थियपत्थिया 4 जाव न परिचयसि तो ते अज सरीरंसि जमगसमगमेव सोलस रोगायके पविखवामि, तंजहा-सासे कासे जाव कोढे, जहा णं तुमं अट्टदुहट्ट जाव ववरोविजसि, तए णं से सुरादेवे समणोवासए जाव विहरइ, एवं देवो दोच्चंपि तचंपि भणइ जाव ववरोविजसि 2 / तए णं तस्स सुरादेवस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चपि तच्चपि एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए 4 अहो णं इमे पुरिसे श्रणारिए जाव समायरइ, जेणं ममं जेट्ठ पुत्तं जाव कणीयसं जाव आयञ्चइ, जेवि य इमे सोलस रोगायङ्का तेवि य इच्छइ मम सरीरगंसि पविखवित्तए, तं सेयं खलु ममं एवं पुरिसं गिरिहत्तएत्ति कटु उद्धाइए, सेऽवि य श्रागासे उप्पइए तेण य खम्भे ग्रासाइए महया महया सद्दे णं कोलाहले कए 3 / तए गां सा धन्ना भारिया कोलाहलं सोचा निसम्म जेणेव सुरादेवे समोवासए तेणेव उवागच्छइ 2 एवं वयासी-किराणं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं महया महया सद्दे गां कोलाहले कए ?, तए गां से सुरादेवे समणोवासए धन्नं भारियं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए! केवि पुरिसे तहेव कहेंइ जहा चुलणीपिया, धन्नाऽवि पडिभणइ जाव कणीयसं, नो खलु देवाणुप्पिया ! तुभं के वि पुरिसे सरीरंसि जमगसमगं सोलस रोगायके पक्खिवइ, एस णं केवि पुरिसे तुभं उवसग्गं करेइ, सेसं जहा चुलणीपियस्स तहा भणइ, एवं निरवसेसं जाव सोहम्मे कप्पे अरुणकन्ते विमाणे उववन्ने 4 / चत्तारि पलिश्रोवमाई ठिई, महाविदेहे वासे सिन्झिहिइ 5, निक्खेवो 5 // सू० 31 // सत्तमस्स अगस्स उवासगदसाणं चउत्थं अझयणं समचं // .. . -: // इति चतुर्थमध्ययनम् // 4 // Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2j [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थी विभाग // 5 // अथ चुल्लशतकाख्यं पञ्चममध्ययनम् // उखेवो पञ्चमस्स, एवं खलु जम्बू ! ते गां काले गां ते णं समए गां बालभिया नाम नयरी, सङ्खवणे उजाणे जियसत्तू राया चुल्लसयए गाहावई अड्ढे जाव छ हिरराणकोडीयो जाव छ वया दसगोसाहस्सिएणं वएगां बहुला भारिया, सामी समोसढे, जहा श्राणन्दो तहा गिहिधम्म पडिवजइ, सेसं जहा कामदेवो जाव धम्मपराणत्तिं उवसम्पजित्ताणां विहरइ // सू० 32 // तए गां तत्स चुल्लसयगस्स समणोवासयस पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तियं जाव असिं गहाय एवं वयासी-हं भो चुल्लसयगा समणोवासया ! जाव न भञ्जसि तो ते अज जेट्ठ पुत्तं सायो गिहायो नीणेमि एवं जहा चुलणीपियं नवरं एवकेक्के सत्त मंससोल्लया जाव कणीयसं जाव अायश्चामि, तए गां से चुल्सयए समणोवासए जाव विहरइ 1 / तए णं से देवे चुलसयगं समणोवासयं चउत्थंपि एवं वयासी-हं भो चुल्लसयगा ! समणोवासया जाव न भञ्जसि तो ते अज जायो इमायो छ हिरगणकोडियो निहाणपउत्तायो छ वुडिपउत्ताश्रो छ पवित्थरपउत्तानो तारो सायो गिहायो नीणेमि 2 श्रालभियाए नयरीए सिङ्घाडग जाव पहेसु सब्बयो समन्ता विप्पइरामि, जहा णं तुमं अट्टदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियायो ववरोविजसि, तए णं से चुल्लसयए समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ 2 / तए णं से देवे चुल्सयगं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता दोच्चंपि तच्चपि तहेव भणइ जाव ववरोविजसि, तए णं तस्स चुल्लसयगस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्तस्स समाणस्स श्रयमेयारूवे अन्झत्थिए ४-अहो णं इमे पुरिसे अणारिए जहा चुलणीपिया तहा चिन्तेइ जाव कणीयसं जावं श्रायञ्चइ, जागोऽवि य णं इमायो ममं छ Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [289 श्रीमदुपासकदशाङ्ग-त्रम् // अध्ययनं 6 ] हिरराणकोडीयो छ निहाणपउत्तानो छ बुड्डिपउत्तानो छ पवित्थरपउत्तायो तायोऽवि य णं इच्छइ ममं सायो गिहायो नीणेता बालभीयाए नयरीए सिङ्घाडग जाब विपरित्तए तं सेयं खलु ममं एवं पुरिसं गिरिहत्तएत्तिकटु उद्धाइए जहा सुरादेवो तहेव भारिया पुच्छइ तहेव कहेइ 5, 3 // सू० 33 // __ सेसं जहा चुलणीपियस्स जाव सोहम्मे कप्पे अरुणसि? विमाणे उववन्ने, चत्तारि पलिग्रोवमाइं ठिई / सेसं तहेव जाव महाविदेहे वासे सिमिहिइ 5 // निक्लेवो // सू० 34 // इइ सत्तमस्स अङ्गस्स उवासग दसाणं पञ्चमं अज्झयणं समत्तं // * ॥इति पञ्चममध्ययनम् // 5 // // 6 // अथ कुण्डकोलिकाख्यं षष्ठमध्ययनम् // छट्ठस्स उक्खेवश्रो-एवं खलु जम्बू ! ते णं काले णं ते णं समए णं कम्पिल्लपुरे नयरे सहसम्बवणे उजाणे पुढवीसिलापट्टए चेइए जियसत्तू राया कुण्डकोलिए गाहावई पूसा भारिया छ हिरराणकोडीयो निहाणपउत्तायो छ बुड्डिपउत्ताश्रो छ पवित्थरपउत्तानो छ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं / सामी समोसढे, जहा कामदेवो तहा सावयधर्म पडिवजइ / सव्वेव वत्तव्वया जाव पडिलाभेमाणे विहरइ // सू० 35 // . ___तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए अन्नया कयाइ पुब्वावरराहकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया जेणेव पुढविसिलापट्टए तेणेव उवागच्छइ 2 नाममुद्दगं च उत्तरजिगं च पुढविसिलापट्टए ठवेइ 2 समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अन्तियं धम्मपरणत्ति उवसम्पजित्ता णं विहरइ 1 / तए णं तस्स कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्स एगे देवे अन्तियं पाउभवित्था, तए णं से देवे नाममुद्द व उत्तरिज्जं च पुढविसिलापट्टयायो गेराहइ 2 Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः सखिजिणिं अन्तलिक्खपडिवन्ने कुराडकोलियं समणोवासयं एवं वयासीहं भो कुराडकोलिया ! समणोवासया सुन्दरी णं देवाणुप्पिया गोसालस्स मङ्खलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती-नथि उठाणे इ वा कम्मे इवाबले इ वा वारिए इ वा पुरिसकारपरकमे इ वा नियया सव्वभावा, मङ्गुली णं समणस्स भगवयो महावीरस्स धम्मपराणत्ती अस्थि उट्ठाणे इ वा जाव परक्कमे इ वा अणियया सव्वाभावा 2 / तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए तं देवं एवं वयासीजइ णं देवा ! सुन्दरी गोसालस्स मङ्खलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती नत्थि उठाणे इ वा जाव नियया सव्वभावा, मगुली णं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स धम्मपराणत्ती अत्थि उट्ठाणे इ वा जाव अणियया सव्वभावा, तुमे णं देवाणुप्पिया ! इमा एयाख्वा दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवज्जुई दिवे देवाणुभावे किणा लः किणा पत्ते किणा अभिसमन्नागए कि उट्ठाणेणं जाव पुरिसकारपरकमेणं उदाहु अणुट्टाणेणं अकम्मेणं जाव अपुरिसकारपरक्कमेणं ? तए णं से देवे कुण्डकोलियं समणोवासयं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए इमेयाख्या दिव्या देविड्डी 3 अणुटाणेणं जाव अपुरिसकारपरकमेणं लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया 3 / तए णं से कुराडकोलिए समणोवासए तं देवं एवं वयासी-जइ णं देवा ! तुमे इमा एयारुवा दिव्या देविड्डी 3 अणुट्ठाणेणं जाव अपुरिसकापरक्कमेणं लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया, जेसि णं जीवाणं नत्थि उट्ठाणेइ वा जाव परकमेइ वा पते किं न देवा ?, अह णं देवा ! तुमे इमा एयाख्वा दिव्वा देविड्डी 3 उट्ठाणेणं जाव परकमेणं लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया तो जं वदसि-सुन्दरी णं गोसालस्स मङ्खलिपुत्तस्स धम्मपराणत्ती-नस्थि उट्ठाणे इ वा जाव नियया सव्वाभावा, मङ्गुली णं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स धम्मपराणत्ती-अस्थि उट्ठाणे इ वो जाव अणियया सव्वभावा, तं ते मिच्छा 4 / तए णं से देवे कुराडकोलिएणं समणोवासएणं एवं वुत्ते समाणे सङ्किए जाव कलुससमावन्ने नो Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदुपासकदशाङ्ग-त्रम् / अध्ययनं 6 ] [91 संचाएइ कुण्डकोलियस समणोवासयस्स किंचि पामोक्खमाइक्खित्तए नाममुद्दयं च उत्तरिजयं च पुढविसिलापट्टए ठवेइ 2 जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए 5 / तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए इमीसे कहाए लट्ठे हट्ट जहा कामदेवो तहा निगच्छइ जाव पज्जुवासइ, धम्मकहा 6 // सू० 36 // ___ कुण्डकोलिया इ समणे भगवं महावीरे कुराडकोलियं समणोवासयं एवं वयासी-से नूणं कुण्डकोलिया ! कल्लं तुम्भे पुव्वा(पञ्चा)वरराहकालसमयंसि असोगवणियाए एगे देवे अन्तियं पाउभविस्था, तए णं से देवे नाममुदं च तहेव जाव पडिगए। से नूणं कुराडकोलिया (अामन्तेति 2) अठे समठे ?, हन्ता अस्थि, धन्ने सि णं तुमं कुराडकोलिया ! जहा कामदेवो अजो इ समणे भगवं महावीरे समणे निग्गन्थे य निग्गन्थीयो य आमन्तित्ता एवं वयासी-जइ ताव अजो गिहिणो गिहिमज्झा(ज्मि) वसन्ता णं अन्नउत्थिए अट्ठोहि य हेऊहि य पसिणेहि य कारणेहि य वागरणेहि य निप्पपसिणवागरणे करेन्ति, सका पुणाई अजो समणेहिं निग्गन्थेहिं दुवालसगं गणिपिडगं अहिजमाणेहिं अन्नउत्थिया अटठेहि य जाव निप्पट्ठपसिणवागरणा करित्तए 1 / तए णं समणा निग्गन्था य निग्गन्थीयो य समणस्स भगवयो महावीरस्स तहत्ति एयमटुं विणएणं पडिसुणेन्ति 2 / तए णं से कुराडकोलिए समणोवासए समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 पसिणाई पुच्छइ 2 अट्ठमादियइ 2 जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए, सामी बहिया जणवयविहारं विहरइ 3 // सू० 37 // तए णं तस्स कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्स बहुहिं सील जाव भावमाणस्स चोदस्स संवच्छराइं वइकन्ताई पराणरसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा वट्टमाणस्स अन्नया कयाइ जहा कामदेवो तहा जेटुपुत्तं ठवेत्ता तहा Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26) [.श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थी विभाग पोसहसालाए जावं धम्मपरणत्ति उवसम्पजित्ता णं विहरइ, एवं एकारस उवासमपडिमायो तहेव जाव सोहम्मे कप्पे अरुणज्झए विमाणे जाव अन्तं काहिइ / / निक्लेवो // सू० 38 // सत्तमस्स श्रङ्गस्स उवासगदसाणं छ8 अज्झयणं समत्तं // ....... ... ... // इति षष्ठमध्ययनम् // 6 // // 7 // अथ श्री सबालपुत्राख्यं सप्तममध्ययनम् // सत्तमस्स उक्लेवो // पोलासपुरे नामं नयरे सहस्सम्बवणे उजाणे, जियसत्तू राया, तत्थ णं पोलासपुरे नयरे सद्दालपुत्ते नामं कुम्भकारे श्राजीवियोवासए परिवसइ, आजीवियसमयंसि लद्ध? गहियढे पुच्छियट्ठ विणिच्छिय? अभिगय? अट्ठिमिंज-पेमाणुरागरत्ते य अयमाउसो ! श्राजीवियसमए श्र? अयं परम8 सेसे अणठेत्ति श्राजीवियसमएणं श्रप्पाणं भावेमाणे विहरइ 1 / तस्स णं सद्दालंपुत्तस्स श्राजीवीयोवासगस्स एका हिरगणकोडी निहाणपउत्ता एका बुड्डिपउत्ता एका पवित्थरपउत्ता एके वए दसगोसाहस्सिएणं वएणं, तस्स णं सद्दालपुत्तस्म श्राजीवियोवासगस्स अग्गिमित्ता नाम भारिया होत्या, तस्स णं सद्दालपुत्तस्स ‘श्राजीवियोवासंगस्स पोल्लासपुरस्स नगरस्स बहिया पञ्च कुम्भकारावणसया होत्था 2 / तत्थ णं बहवे पुरिसा दिरणभइभत्तवेयणा कल्लाकलिं बहवे करए य वारए य पिहडए य घडए य उद्धघडए य कलसएं य अलिञ्जरए य जम्बूलए य उट्टियायो य करेन्ति, अन्ने य से बहवे पुरिसा दिनभइभत्तवेयणा कल्लाकलिं तेहिं बहूहिं करएहि य जाव उट्टियाहि य रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरन्ति 3 // सू० 36 // ... तए णं से सद्दालपुत्ते यानीवियोवांसए अन्नया कयाइ पुत्वावरगहकालसमयंसि जेणेव.. असोगवणिया तेणेव उवामच्छइ 2 गोसालस्स Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनदुपासकशाङ्ग-सूत्रम् / / अध्ययनं 7 ] [ 266 मङ्खलिपुत्तस्स अन्तियं धम्मपराणत्तिं उवसम्पजित्ता णं विहरइ 1 / तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स बाजीवियोवासगस्स एगे देवे अन्तियं पाउवित्था, तए णं से देवे अन्तलिक्खपडिवन्ने सखिङ्खिणियाइं जाव परिहिए सदालपुत्तं आजीवियोवासयं एवं वयासी-एहिइ णं देवाणुप्पिया ! कल्लं इहं महामाहणे उप्पन्नणाणदंसणधरे तीयप/पन्नमणागयजाणए अरहा जिणे केवली सवराणू सव्वदरिसी तेलोक-वहिय-महियपूइए सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स अचणिज्जे वन्दणिज्जे पूयणिज्जे सकारणिज्जे संमाणणिज्जे कलाणं मङ्गलं देवयं चेइयं जाव पज्जुवासणिज्जे तच्चकम्मसम्पउत्ते, तं णं तुमं वन्देजाहि जाव पज्जुवासेजाहि, पाडिहारिएणं पीढफलग-सिज्जासंथारएणं उवनिमन्तेजाहि, दोच्चंपि तच्चपि एवं वयइ 2 जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए 2 / तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स श्राजीवियोवासगस्स तेणं देवेणं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए 4 समुप्पन्ने-एवं खलु ममं धम्मायरिए धम्मोवएसए गोसाले मङ्खलिपुत्ते से णं महामाहणे उप्पन्न-णाणदंसण-धरे जाव तच्चकम्म-सम्पयासम्पउत्ते से णं कल्लं इहं हव्वमागच्छिस्सइ, तए णं तं अहं वन्दिस्सामि जाव पज्जुवासिस्सामि पाडिहारिएणं जाव उवनिमन्तिस्सामि 3 // सू० 40 // तए णं कल्लं जाव जलन्ते समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिए, परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ 1 / तए णं से सदालपुत्ते श्राजीवियोवासए इमोसे कहाए लट्ठ समाणे-एवं खलु समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ, तं गच्छानि णं समणं भगवं महावीरं वन्दामि जाव पज्जुवासामि, एवं सम्मेहेइ 2 राहाए जाव पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं जाव अप्पमहग्याभरणालकियसरीरे मणुस्सवग्गुरापरिगए सायो गिहायो पडिणिक्खमइ 2 पोलासपुरं नयरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ 2 जेणेव सहस्सम्बवणे उजाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागन्छइ 2 तिक्खुत्तो आयाहिणं Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः पयाहिणं करेइ 2 वन्दइ नमसइ 2 जाव पज्जुवासइ 2 / तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तस्स श्राजीवियोवासगस्स तीसे य. महइ जाव धम्मकहा समत्ता, सद्दालपुत्ता इ ! समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं बाजीवियोवासयं एवं वयासी-से नृणं सदालपुत्ता ! कल्लं तुमं पुवावरगहकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया जाव विहरसि, तए णं तुभं एगे देवे अन्तियं पाउभवित्था, तए णं से देवे अन्तलिक्खपडिवन्ने एवं वयासीहं भो सद्दालपुत्ता ! तं चेव सव्वं जाव पज्जुवासिस्सामि, से नूणं सद्दालपुत्ता ! ? सम? ? हंता अस्थि, नो खलु सदालपुत्ता ! तेणं देवेणं गोसालं मङ्खलिपुत्तं पणिहाय एवं वुत्ते 3 / तए णं तस्स सदालपुत्तस्स श्राजीवियोवासयस्स समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अझत्थिए ४-एस णं समणे भगवं महावीरे महामाहणे उप्पनणाणदंसणधरे जाव तचकम्म-सम्पयासम्पउत्ते, तं सेयं खलु ममं समणं भगवं महावीरं वन्दित्ता नमंसित्ता पाडिहारिएणं पीढफलग जाव उवनिमन्तित्तए, एवं सम्पेहेइ 2 उट्ठाए उट्ठइ 2 समां भगवं महावीरं वन्दइ नमंसइ 2 एवं वयासी-एवं खलु भन्ते ! ममं पोलासपुरस्स नयरस्स बहिया पञ्च कुम्भकारावणसया, तत्थ णं तुम्भे पाडिहारियं पीढ जाव संथारयं योगिरिहत्ता णं विहरह 4 / तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तस्स श्राजीवियोवासगस्स एयमट्ठ पडिसुणेइ. 2 सदालपुत्तस्स श्राजीवियोवासगस्स पञ्चकुम्भकारावणसएसु फासुएसणिज्जं पाडिहारियं पीढफलग जाव संथारयं श्रोगिरिहत्ता णं विहरइ 5 // सू० 41 // ___तए णं से सद्दालपुत्ते याजीवियोवासए अन्नया कयाई वायाहययं कोलालभराडं अन्तो सालाहिंतो बहिया नीणेइ 2 श्रायवंसि दलयइ 1 / तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं श्राजीवियोवासयं एवं वयासीसदालपुत्ता ! एस णं. कोलालभराडे को ? 2 / तए णं से सदालपुत्ते Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 7 ] आजीवियोवासए समणं भगवं. महावीर एवं वयासी-एस णं भन्ते ! पुचि मट्टिया प्रासी, तो पच्छा उदएणं निगिजइ 2 छारेण य करिसेण य एगयत्रो मीसिज्जइ 2 चक्के अारोहिजइ, तो बहवे करगा य जाव उद्वि(ट्टि)यायो य कजति 3 / तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं श्राजीवियोवासयं एवं वयासी-सदालपुत्ता एस णं कोलालभण्डे किं उट्ठाणेणं जाव पुरिसकारपरकमेणं कजति उदाहु अणुट्ठाणेणं जाव अपुरिसकारपरकमेणं कजति ?, तए णं से सद्दालपुत्ते श्राजीवियोवासए समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-भन्ते ! अणुटाणेणं जाव अपुरिसकारपरकमेणं, नत्थि उट्ठाणे इ वा जाव परकमे इ वा, नियया सव्वभावा 4 / तए णं समणे भगवं महावीरे सदालपुत्तं श्राजीवियोवासयं एवं वयासी-सद्दालपुत्ता ! जइ णं तुम्भं केई पुरिसे वायाहयं वा पक्केलयं वा कोलालभराडं अवहरेजा वा विक्विरेजा वा भिन्देजा वा अविच्छिन्देजा वा परिढुवेजा वा अग्गिमित्ताए वा भास्यिाए वा सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुञ्जमाणे विहरेजा, तस्स णं तुमं पुरिसस्स किं दराडं वत्तेन्जासि ?, भन्ते ! अहं णं तं पुरिसं पात्रोसेजा वा हणेजा वा बन्धेजा वा महेजा वा तज्जेजा वा तालेजा वा निच्छोडेजा वा निभच्छेजा दा अकाले चेव जीवियायो ववरोवेजा 5 / सहालपुत्ता ! नो खलु तुम्भ केई पुरिसे वायाहयं वा पक्केल्लयं वा कोलालभराडं अवहरइ वा जाव परिटवेइ वा अग्गिमित्ताए वा भारियाए सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुञ्जमाणे विहरइ, नो वा तुमं तं पुरिसं श्राश्रोसेजसि वा हणिजसि वा जाव अकाले चेव जीवियायो ववरोवेजसि, जइ नस्थि उट्ठाणे इ वा जाव परक्कमे इ वा नियया सव्वभावा, ग्रहणं तुम्भ केई पुरिसे वायाहयं जाव परिढुवेइ वा अग्गिमित्ताए वा जाव विहरइ, तुमं ता(वा) तं पुरिसं श्राश्रोसेसि वा जाव ववरोवेसि तो जं वदसि नस्थि उटाणे इ. वा जाब नियया सव्वभावा, तं ते.मिच्छा 6 / एत्थ Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः णं से सदालपुते श्राजीवियोवासए सम्बुद्धे, तए णं से सद्दालपुत्ते आजीवियोवासए समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 एवं वयासी-इच्छामि णं भन्ते ! तुम्भं अन्तिए धम्मं निसामेत्तए, तए णं समणे भगवं महावीरे सदालपुत्तस्स श्राजीवियोवासगस्स तीसे य जाव धम्म परिकहेइ 7 // सू० 42 // ____तए णं से सद्दालपुत्ते श्राजीवियोवासए समणस्स भगवयो महावीरस्स अन्तिए धम्मं सोचा निमम्म हट्टतुट्ट जाव हियए जहा प्राणन्दो तहा गिहिधम्म पडिवज्जइ, नवरं एगा हिरगणकोडी निहाणपउत्ता एगा हिरराणकोडी वुडिपउत्ता, एगा हिरगणकोडी पवित्थरपउत्ता एगे वए दसगोसाहस्सिएणं वएणं जाव समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 जेणेव पोलासपुरे नयरे तेणेव उवागच्छइ 2 पोलासपुरं नयरं मझमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव अग्गिमित्ता भारिया तेणेव उवागच्छइ 2 अग्गिमित्तं भारियं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए ! समणे भगवं महावीरे जाव समोसढे, तं गच्छाहि णं तुमं समणं भगवं महावीरं वन्दाहि जाव पज्जुवासाहि, समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अन्तिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवजाहि, तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया सद्दालपुत्तस्स समणोवासगस्स तहत्ति एयमट्ट विणएण पडिसुगोइ 1 / तए णं से सदालपुत्ते समणोवासए कोडुम्बियपुरिसे सद्दावेइ 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! लहुकरणजुत्तजोइयं समखुर-वालिहाणसमलिहिय-सिङ्गएहिं जम्बूणयामय-कलाव-जोत्तपइविसिट्टएहिं रययामयघराटसुत्तरज्जुग वरकंचणखइय-नत्थापग्गहोग्गहियएहिं नीलुप्पल-कयामेलएहिं पवर गोणजुवाणएहिं नाणामणिकणग-घण्टियाजालपरिगयं सुजायजुगजुत्तउज्जुगपसत्थ-सुविरइयनिम्मियं पवरलक्खणोववेयं जुत्तामेव धम्मियं जाणपवरं उवट्ठवेह 2 मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोडम्बियपुरिसा जाव Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदंशाङ्ग स्त्रम् / अध्ययनं ] पञ्चप्पिणन्ति 2 / तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया गहाया जाव पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइं जाव अप्पमहग्घाभरणालकियसरीरा चेडिया-चकवाल-परिकिराणा धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ 2 पोलासपुरं नगरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ 2 जेणेव सहस्सम्बवणे उजाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 धम्मियात्रो जाणाश्रो पचोरुहइ 2 चेडियाचकवालपरिवुडा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 तिक्खुत्तो जाव वन्दइ नमंप्सइ 1 नचासन्ने नाइदूरे जाव पञ्जलिउडा दिइया चेव पज्जुवासइ 3 / तए णं समणे भगवं महावीरे अग्गिमित्ताए तीसे य जाव धम्मं कहेइ, तर णं सा अग्गिमिता भारिया समणस्स भगवश्री महावीरस्स अन्तिए धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 त्ता एवं वयासी-सदहामि णं भन्ते ! निग्गन्थं पावयणं जाव से जहेयं तुम्भे वयह, जहा णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए बहवे उग्गा भोगा जाव पव्वइया नो खलु अहं तहा संचाएमि देवाणुपियाणं अन्तिए मुराडा भवित्ता जाव अहं णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए पंचाणुबइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडियजिस्सामि, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबन्ध करेह 4 / तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणस्स भगवत्रो महावीरस्म अन्तिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं सावगधम्म पडिवजइ 2 समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ 2 जामेव दिसं पाउभ्या तामेव दिसं पडिगया 5 / तए णं समणे भगवं महावीरे अनया कयाइ पोलासपुरायो नयरायो सहस्सम्बवणाश्रो पडिनिग्गच्छ(निक्ख)ई 2 बहिया जणययविहारं विहरइ 6 // सू० 43 // तए णं से सदालपुत्ते समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ 1 / तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते इमीसे कहाए लद्ध? समाणेएवं खलु सदालपुत्ते आजीवियसमयं वमित्ता समणाणं निग्गन्थाणं दिद्धिं Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदाममसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभामः पडिबन्ने, तं गच्छामि णं सद्दालपुत्तं श्राजीवियोवासयं समणाणं निग्गन्थाणं दिढि वामेत्ता पुणरवि श्राजीवियदिढेि गेमहावित्तए त्ति कटटु एवं सम्पेहेइ 2 श्राजीविय-सङ्घसम्परिवुडे जेणेव पोलासपुरे नयरे जेणेव आजीवियसभा तेणेव उवागच्छइ 2 आजीवियसभाए भण्डगनिक्खेवं करेइ 2 कइवएहिं श्राजीविएहि सद्धिं जेणेव सदालपुत्ते समणोवासए तेणेव उवागच्छइ 2 ।तए णं से सदालपुत्ते समणोवासए गोसालं मङ्खलिपुत्तं एजमाणं पासइ 2 नो पाढाइ नो परिजाणाइ अणाढायमाणे अपरिजाणमाणे तुसिणीए संचिठ्ठइ 3 / तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्तं सद्दालपुत्तेणं समणोवासएणं गुणाढाइजमाणे अपरिजाणिजमाणे पीढफलग-सिज्जासंथारट्टयाए समणस्स भगवयो महावीरस्स गुणकित्तणं करेमाणे सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी-पागए णं देवाणुप्पिया ! इहं महामाहणे ?, तए णं से सदालपुत्ते समणोवासए गोसालं मङ्खलिपुत्तं एवं क्यासी-के णं देवाणुप्पिया ! महामाहणे ?, तए णं से.गोसाले मङ्खलिपुत्ते सदालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी-समणे भगवं महावीरे महामाहणे, से केणठेणं देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइ-समणे भगवं महावीरे महामाहणे ?, एवं खलु सद्दालपुत्ता ! समणे भगवं महावीरे महामाहणे उप्पन्नणाणदंसणधरे जाव महियपूइए जाव तच्चकम्मसम्पया-सम्पउत्ते, से तेण?णं देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइ-समणे भगवं महावीरे महामाहणे 4 / आगए णं देवाणुप्पिया ! इहं महागोवे ?, के णं देवाणुप्पिया ! महागोवे ? सदालपुत्ता ! समणे भगवं महावीरे महागोवे, से केण?णं देवाणुप्पिया ! जाव महागोवे ?, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसाराडवीए बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे खजमाणे छिजमाणे भिजमाणे लुप्पमाणे विलुप्पमाणे धम्ममएणं दराडेणं सारक्खमाणे संगोवेमाणे निव्वाणमहावाडं साहत्थिं सम्पावेद, से तेण्डेणं सद्दालपुत्ता ! एवं वुच्चइ-समणे भगवं महा Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-स्त्रम् / अध्ययनं 7 ] [ 266 वीरे महागोवे 5 / आगए णं देवाणुप्पिया ! इहं महासत्थवाहे ?. के णं देवाणुप्पिया ! महासत्थवाहे ? सदालपुत्ता ! समणे भगवं महावीरे महासत्यवाहे, से केण?णं देवाणुप्पिया महासत्थवाहे ? एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसाराडवीए बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे जाव विलुप्पमाणे उम्मग्गपडिबन्ने धम्ममएणं पन्थेणं सारक्खमाणे संगोवेमाणे निव्वाणमहापट्टणाभिमुहे साहत्थिं सम्पावेइ, से तेणठेणं सदालपुत्ता एवं वुच्चइ-समणे.भगवं महावीरे महासत्थवाहे 6 / श्रागए णं देवाणुप्पिया ! इहं महाधम्मकही ?, केणं देवाणुप्पिया महाधम्मकही ? समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही, से केणठेगां समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही ?, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे महइमहालयंसि संसारंसि बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे खजमाणे छिजमाणे भिजमाणे लुप्पमाणे विलुप्पमाणे उम्मग्गपडिवन्ने सप्पहविप्पणळे मिच्छत्तवलाभिभूए अट्ठविहकम्म-तमपडलपडोच्छन्ने बहूहिं अट्ठेहि य जाव वागरणेहि य चाउरन्तायो संसारकन्ताराश्रो साहत्थिं नित्थारेइ, से तेणठेगां देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइ-समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही 7 / बागए णं देवाणुप्पिया ! इहं महानिजामए ?, के गां देवाणुप्पिया ! महानिजामए ?, समणे भगवं महावीरे महानिजामए, से केणठेणं समणे भगवं महावीरे महानिजामए ?, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसारमहासमुद्दे बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे जाव विलुप्पमाणे बुड्डमाणे निबुड्डमाणे उप्पियमाणे धम्ममईए नावाए निव्वाणतीराभिमुहे साहत्थिं सम्पावेइ, से तेणठेणं देवाणुप्पिया ! एवं बुच्चइसमणे भगवं महावीरे महानिजामए 8 / तए ण से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मङ्खलिपुत्तं एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! इयच्छेया जाव इयनिउणा इयनयवादी इयउवएसलद्धा इयविरणाणपत्ता (इयमेहाविणो), पभू णं तुभे मम धम्मायरिएणं धम्मोवएसएणं भगवया महावीरेणं सद्धिं Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 300 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः विवादं करेत्तए ?, नो तिणठे समठे, से केणठेणं देवाणुप्पिया ! एवं बुच्चइ-नो खलु पभू तुम्भे मम धम्मायरिएणं जाव महावीरेगां सद्धि विवाद करेत्तए ?, सद्दालपुत्ता ! से जहानामए केई पुरिसे तरुणे जुगवं जाव निउणसिप्पोवगए एगं महं अयं वा एलयं वा सूयरं वा कुक्कुडुवा तित्तिरं वा वट्टयं वा लावयं वा कवोयं वा कविञ्जलं वा वायसं वा सेणयं या हत्थंसि वा पायंसि वा खुरंसि वा पुच्छसि वा पिच्छंसि वा सिङ्गसि वा विसाणंसि वा रोमंसि वा जहिं जहिं गिराहइ तहिं तहिं निचलं निष्फन्दं धरेइ एवामेव समणे भगवं महावीरे ममं बहूहिं अट्ठेहि य हेऊहि य जाव वागरणेहि य जहिं जहिं गिराहइ तहिं तहिं निप्पट्ठपसिणवागरणं करेइ, से तेणठेणं सद्दालपुत्ता ! एवं वुच्चइ-नो खलु पभू यहं तव धम्मायरिएणं जाव महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए 1 / तए णं से सदालपुत्ते समणोवासए गोसालं मङ्खलिपुत्तं एवं वयासी-जम्हा णं देवाणुप्पिया ! तुभं मम धम्मायरियस्स जाव महावीरस्स संतेहिं तच्चेहि तहिहिं सम्भूएहिं भावेहिं गुणकित्तणं करेह तम्हा णं अहं तुब्भे पाडिहारिएणं पीढ जाव संथाएणं उवनिमन्तेमि, नो चेव णं धम्मोत्ति वा तवोत्ति वा, तं गच्छह णं तुम्भे मम कुम्भारावणेसु पाडिहारियं पीढफलग जाव योगिरिहत्ताणं विहरइ 10 / तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते सदालपुत्तस्स समणोवासयस्स एयमट्ठ पडिसुणेइ 2 कुम्भारावणेसु पाडिहारियं पीढ जाव भोगिरिहत्ता णं विहरइ, तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते सद्दालपुत्तं समणोवासयं जाहे नो संचाएइ बहूहिं श्राघवणाहि य पराणवणाहि य सराणवणाहि य विराणवणाहि य निग्गन्थायो पावयणायो चालित्तए वा खोभिनए वा विपरिणामित्तए वा ताहे सन्ते तन्ते परितन्ते पोलासपुरायो नगरायो पडिणिक्खमइ 2 बहिया जणवयविहारं विहरइ 11 // सू०४४॥...... तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स बहूहिं सील जाव भावे Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 7 ] (3.1 माणस्स चोदस संवच्छरा वइक्कन्ता, पराणरसमस्म संवच्छरस्स अन्तरा वट्टमाणस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले जाव पोसहमालाए समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अन्तियं धन्मपराणत्तिं उवसम्पजित्ता णं विहरइ 1 / तए गां तस्स सदालपुत्तल ममणोवासयस्स पुवरत्तावरत्तकाले एगे देवे अन्तियं पाउभवित्था, तए णं से देवे एगं महं नीलुप्पल जाव असिं गहाय सदालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी, जहा चुलणीपियस्स तहेव देवो उवसग्गं करेइ, नवरं एक्कक्के पुत्ते नव मंससोल्लए करेइ जाव कणीयसं घाएइ 2 ता जाव श्रायंचई, तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए अभीए जाव विहरइ 2 / तए णं से देवे सदालपुत्तं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता चउत्थंपि सदालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो सदालपुत्ता ! समणोवासया अपत्थियपत्थिया जाव न भञ्जसि तो ते जा इमा अग्गिमित्ता भारिया धम्मसहाइया धम्मविइजिया धम्माणुरागरत्ता समसुहदुक्खसहाइया तं ते सायो गिहायो नीणेमि 2 तव अग्गयो घाएमि 2 नव मंससोल्लए करेमि 2 भादाणभरियसि कडाहयंसि अहहेमि 2 तव गायं मंसेण य सोणिएण य प्रायंचामि, जहा णं तुमं अदुइट्ट जाव ववरोविजसि, तए णं से सदालपुत्ते समणोवासए तेणं देवेणं एवं वो समाणे अभीए जाव विहरइ 3 / तए णं से देवे सहालपुत्तं समणोवासयं दोच्चंपि तच्चपि एवं वयासीहं भो सद्दालपुत्ता समणोवासया ! तं चेव भणइ, तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चपि तच्चपि एवं वुत्तस्स समाणस्स श्रयं अज्झथिए 4 समुप्पन्ने, एवं जहा चुलणीपिया तहेव चिन्तेइ जेणं ममं जेट्ठ पुत्तं जेणां ममं मज्झिमयं पुत्तं जेणां ममं कणीयसं पुत्तं जाव श्रायंचइ जावि य ग ममं इमा अग्गिमित्ता भारिया समसुहदुक्खसहाइया तंपिय इच्छइ सायो गिहायो नीणेत्ता ममं अग्गयो घाएत्तए, तं सेयं खलु ममं एवं पुरिसं गिरिहत्तएत्ति कटु उद्धाइए जहा चुलणीपिया तहेव सव्वं Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 302 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः भाणियव्वं, नवरं अग्गिमित्ता भारिया कोलाहलं सुणित्ता भणइ सेसं जहा चुलणीपियावत्तव्वया नवरं अरुणभू(च्चु)ए विमाणे उववन्ने जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ, निक्खेवयो 4 // सू० 45 // सत्तमस्स श्रङ्गस्त उवासगदसाणं सत्तमं अज्झयणं समत्तं // // इति सप्तममध्ययनम् // 7 // // 8 // अथ श्री महाशतकाख्य-मष्टममध्ययनम् // अट्ठमस्स उक्खेवो, एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिले चेइए सेणिए राया, तत्थ णं रायगिहे महासयए नाम गाहावई परिवसइ, अड्ढे जहा आणन्दो, नवरं अट्ठ हिरण्णकोडियो सकंसायो निहाणपउत्तायो अट्ठ हिरगणकोडियो सकंसायो बुड्डिपउत्तायो यट्ट हिरगणकोडियो सकंसायो पवित्थरपउत्तायो अट्ठ वया दसगोसा. हस्सिएणं वएणं, तस्स णं महासयगस्स रेखईपामोक्खायो तेरस भारियायो होत्था, बहीण जाव सुरूवायो, तस्स णं महासयगस्स रेवईए भारियाए कोलघरियायो अट्ट हिरगणकोडियो अट्ठ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था, अवसेसाणं दुवाल सराहं भारियाणं कोलघरिया एगमेगा हिरराणकोडी एगमेगे य वए दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था ॥सू० 46 // ते णं काले णं ते णं समए णं सामी समोसढे, परिसा निग्गया, जहा प्राणन्दो तहा निग्गच्छइ तहेव सावयधम्म पडिवज्जइ, नवरं अट्ठ हिरगणकोडियो सकंसायो निहाणपउत्तायो उचारेइ, अट्ट वया, रेवईपामोक्खाहिं तेरसहिं भारियाहिं अवसेसं मेहुणविहिं पञ्चक्खाइ, सेसं सव्वं तहेव, इमं च णं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिराहइ कल्लाकल्लिं च णं कप्पइ मे बेदोणियाए कंसपाईए हिरण्णभरियाए संववहरित्तए, तए णं से महासयए समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ, तए णं समणे भगवं महावीरे बहिया जणवयविहारं विहरइ 3 // सू० 47 // Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययन = ] ___तए णं तीसे रेवईए गाहावइणोए अन्नया कयाई पुज्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुम्ब जाव इमेयारूवे अज्झथिए 4, एवं खलु अहं इमासि दुवाल सराहं सवत्तीणं विघाएणं नो संचाएमि महासयएणं समणोवासएणं सद्धिं उरालाई माणुस्सयाई भोगभोगाई भुञ्जमाणी विहरित्तए, तं सेयं खलु ममं एयायो दुवालसवि सवत्तियायो अग्गिप्पयोगेणं वा सत्थप्पयोगेणं वा विसप्पयोगेणं वा जीवियायो ववरोवित्ता एयासिं एगमेगं हिरराणकोडिं एगमेगं वयं च सयमेव उवसम्पजित्ता णं महासयएणं समणोवासएणं सद्धिं उरालाइं जाव विहरित्तए, एवं सम्पेहेइ 2 तासिं दुवालसराहं सवत्तीणं अन्तराणि य छिहाणि य विवराणि (विरहाणि) य पडिजागरमाणी विहरइ 1 / तए णं सा रेवई गाहावइणी अन्नया कयाई तासिं दुवालसराहं सवत्तीयां अन्तरं जाणित्ता छ सवत्तीयो सत्थप्पयोगेणं उद्दवेइ 2 छ सवत्तीयो विसप्पयोगेणं उद्दवेइ 2 तासिं दुवालसराहं सवत्तीणं कोलघरियं एगमेगं हिरराणकोडि एगमेगं वयं सयमेव पडिबजइ 2 महासयएणं समणोवामएणं सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं भुञ्जमाणी विहरइ 2 / तए णं सा रेवई गाहावइणी मंसलोलुया मंसेसु मुच्छिया जाव अझोववन्ना बहुविहेहिं मंसेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भजिएहि य सुरं च महुं च मेरगं च मज्जं च सीधु च पसन्नं च यासाएमाणी 4 विहरइ 2 // सू० 48 // तए णं रायगिहे नयरे अन्नया कयाई अमाघाए घुटठे यावि होत्था, तए णं सा रेवई गाहावइणी मंसलोलुया मंसेसु मुच्छिया 4 कोलघरिए पुरिसे सद्दावेइ 2 एवं वयासी-तुब्भे देवाणुप्पिया ! मम कोलघरिएहित वएहितो कल्लाकलिं दुवे दुवे गोणपोयए उद्दवेह 2 ममं उवणेह 1 / तए णं ते कोलघरिया पुरिसा रेवईए गाहावइणीए तहत्ति एयमदं विणएणं पडिसुणन्ति 2 रेवईए गाहावइणीए कोलघरिएहितो वएहितो कल्लाकलि दुवे दुवे गोणपोयए वहेन्ति 2 रेवईए गाहावइणीए उवणेन्ति तए णं सा Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 304 ] [ श्रीमदानमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा रेवई गाहवइणी तेहिं गोणमंसेहिं सोल्लेहि य 4 सुरं च 6 श्रासाएमाणी 4 विहरइ 2 // सू० 41 // .. तए णं तस्स महासयगस्स समणोवासगस्स बहूहिँ सील जाव भावमाणस्स चोइस संवच्छरा वइकन्ता, एवं तहेव जेठं पुत्तं ठवेइ जाव पोसहसालाए धम्मपराणत्ति उवसम्पजित्ता णं विहरइ 1 / तए णं सा रेवई गाहावइणी मत्ता लुलिया विइराणकेसी उत्तरिजयं विकड्ढे माणी 2 जेणेव पोसहसाला जेणेव महासयए समणोवासए तेणेव उवागच्छइ 2 मोहुम्मायजणणाई सिङ्गारियाई इस्थिभावाई उवदंसेमाणी 2 महासययं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो महासयया! समणोवासया धम्मकामया पुराणकामया सग्गकामया मोक्खकामया धम्मकडिया 4 धम्मपिवासिया 4 किराणं तुम्भं देवाणुप्पिया ! धम्मेण वा पुराणेण वा सग्गेण वा मोक्खेण वा ? जगणं तुमं मए सद्धिं उरालाई जाव भुञ्जमाणे नो विहरसि ? तए णं से महासयए समणोवासए रेवईए गाहावइणीए एयम8 नो श्राढाइ नो परियाणाइ अणाढाइजमाणे अपरियाणमाणे तुसिणीए धम्मज्माणोवगए विहरइ 2 / तए णं सा रेवई गाहावइणी महाप्तययं समणोवासयं दोच्चंपि तच्चपि एवं वयासी-हं भो तं चेव भणइ, सो वि तहेव जाव अणाढाइजमाणे अपरियाणमाणे विहरइ 3 / तए णं सा रेवई गाहावइणी महासयएणं समणोवासएणं अणाढाइजमाणी अपरियाणिजमाणी जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया 4 // सू०५०॥ तए णं से सहासयए समणोवासए पढमं उवासगपडिमं उवसम्पजित्ता णं विहरइ, पढमं अहासुत्तं जाव एकारसवि, तए णं से महासयए समणोवासए तेणं उरालेणं जाव किसे धमणिसन्तए जाए 1 / तए णं तस्स महासययस्स समणोवासयस्स अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकाले धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयं अज्झथिए ४–एवं खलु अहं इमेणं उरालेणं जहा Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् : अध्यपन 8 ] श्राणन्दो तहेव अपच्छिम-मारणन्तिय-संलेहणाभूसियसरीरे भत्तपाणपडियाइक्खिए कालं प्रणवकङ्खमाणे विहरइ 2 / तए णं तस्स महासयगस्स समणोवासगस्स सुभेणं अज्झवसाणेणं जाव खत्रोवसमेणं श्रोहिणाणे समुप्पम्ने पुरथिमेणं लवणसमुद्दे जोयणमाहस्सियं खेत्तं जाणइ पासइ, एवं दक्खिणेणं पचत्थिमेणं उत्तरेणं जाव चुल्लहिमवन्तं वासहरपव्ययं जाणइ पासइ, अहे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुयं नरयं उरासीइवाससहस्सट्टिइयं जाणइ पासइ 3 // सू० 51 // तए णं सा रेवई गाहावइणी अन्नया कयाई मत्ता जाव उत्तरिजयं विकड्ढे माणी 2 जेणेव महासयए समणोवासए जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ 2 महासययं तहेव भणइ जाव दोच्चंपि तच्चपि एवं वयासीहं भो तहेव तए णं से महासयए समणोवासए रेवईए गाहावइणीए दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्ते समाणे श्रासुरुते 4 श्रोहिं पउञ्जइ 2 श्रोहिणा श्राभोएइ 2 रेवई गाहावइणिं एवं वयासी-हं भो रेखई ! अपत्थियपत्थिए 4 एवं खलु तुमं अन्तों सत्तरत्तस्त अलसएणं वाहिणा अभिभूया समाणी अट्टदु. हट्टवसट्टा असमाहिपत्ता कालमासे कालं किचा अहे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुए नरए चउरासीइवाससहम्सटिइएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववजिहिसि 1 / तए णं सा रेवई गाहावइणी महासयएणं समणोवासएणं एवं वुत्ता समाणी एवं वयाप्ती-रुटे णं ममं महासयए समणोवासए, होणे णं ममं महासयए समणोवासए, अवज्माया णं अहं महासयएणं समणोवासएणं, न नजइ णं अहं केणवि कुमारेणं मारिजिस्सामित्तिकट्टु भीया तत्था तसिया उग्गिा सायभया सणियं 2 पच्चोसकइ 2 जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ 2 श्रोहय जाव झियायइ 2 / तए णं सा रेवई गाहावइणी अन्तो सत्तरत्तस्स अलसएणं वाहिणा अभिभूया अट्टदुहट्टवसट्टा कालमासे कालं किवा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुए नरए Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागः 'चउरासीइवाससहस्सटिइएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ना 3 // सू० 52 // ..... ते गां काले गां ते गां समए गां समणे भगवं महावीरे समोसरणां जाव परिसा पडिगया, गोयमाइ समणे भगवं महावीरे एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! इहेव रायगिहे नयरे ममं अन्तेवासी महासयए नाम समणोवासए पोसहसालाए अपच्छिम-मारणन्तिय-संलेहणाए झूसियसरीरे (संलेहणा-भूसणा-झूसियसरीरे) भत्तपाण-पडियाइक्खिए कालं अणवकङ्खमाणे विहरइ 1 / तए गां तस्स महासयगस्स रेवई गाहावइणी मत्ता जाव विकड्ड माणी 2 जेणेव पोसहसाला जेणेव महासयए तेणेव उवागच्छइ 2 मोहुम्माय जाव एवं वयासी-तहेव जाव दोच्चंपि तच्चंपि एवं वयासी . 2 / तए णं से महासयए समणोवासए रेवइए गाहावइणीए दोच्चपि तच्चंपि एवं वुत्ते समाणे श्रासुरुते 4 श्रोहिं पउंजइ 2 श्रोहिंणा श्राभोएइ 2 रेवई गाहावइणिं एवं वयासी-जाव उववन्जिहिसि, नो णलु कप्पइ गोयमा ! समणोवासगस्स अपच्छिम जाव मुसियसरीरस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स परो सन्तेहिं तच्चेहि तहिएहिं सब्भूएहिं अणिंटेहिं अकन्तेहिं अप्पिएहिं अमणुराणेहिं श्रमणामेहिं वागरणेहिं वागररित्नए, तं गच्छ णं देवाणु. प्पिया ! तुमं महासययं समणोवासयं एवं वयाहि-नो खलु देवाणुप्पिया ! कप्पइ समणोवासगस्स अपच्छिम जाव भत्तपाणपडियाइक्खियस्स परो सन्तेहिं जाव वागरित्तए, तुमे य णं देवाणुप्पिया ! रेखई गाहावइणी सन्तेहिं. 4 अणि?हिं 6 वागरणेहिं वागरिया, तं णं तुमं एयस्स ठाणस्स श्रालोएहि जाव जहारिहं च पायच्छित्तं पडिवजाहि 3 / तए णं से भगवं गोयमे समणस्त भगवयो महावीरस्स तहत्ति एयमट्ट विणएणं पडिसुणेइ 2 तो पडिणिक्खमइ 2 रायगिहं नयरं मझमज्झेणं अणुप्पविसइ 2. जेणेव महासयगस्स समणोवासयस्स गिहे जेणेव महासयए समणोवासए. तेणेव उवागच्छइ, तए णं से महासयए समयोवासए भगवं गोयम एजमाणं पासइ Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् में अध्ययनं 8 ] [ 307 2 हट्ट जाव हियए भगवं गोयमं वन्दइ नमसइ, तए णं से भगवं गोयमे महासययं समणोवासयं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया / समणे भगवं महावीरे एवामाइक्खइ भासइ पराणवेइ परूवेइ-नो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया ! समणोवासगस्त अपच्छिम जाव वागरित्तए, तुमे णं देवाणुप्पिया ! रेखई गाहावइणी सन्तेहिं जाव वागरिया, तं णं तुमं देवाणुप्पिया ! एयस्स ठाणस्स बालोएहि जाव पडिवजाहि 4 / तए णं से महासयए समणोवासए भगवत्रो गोयमस्स तहत्ति एयम४ विणएणं पडिसुणेइ 2 तस्स ठाणस्स बालोएइ जाव अहारिहं च पायच्छित्तं पडिवजइ, तए णं से भगवं गोयमे महासयगस्त समणोवासयस्स अन्तियागो पडिणिक्खमइ 2 रायगिहं नगरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ 5 / तए णं समणे भगवं महावीरे अनया कयाई रायगिहायो नयरायो पडिनिक्खमइ 2 बहिया जणवयविहारं विहरइ 6 // सू० 53 // तए णं से महासयए समणोवासए बहूहिं सील जाव भावेत्ता वीसं वासाई समणोवासग-परियायं पाउणित्ता एक्कारस उवासगपडिमायो सम्म कारणं फासित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सर्टि भत्ताई श्रणसणाए छेदेत्ता बालोइयपडिकन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणवडिसए विमाणे देवत्ताए उववन्ने / चत्तारि पलियोवमाई ठिई / महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ // निक्खेवो // सू० 54 // सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं अट्ठमं अज्झयणं समत्तं // ... // इति अष्टममध्ययनम् // 8 // Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 308] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभाग: // // अथ श्री नन्दिनीपितृनामकं नवममध्ययनम् // . नवमस्स उक्लेवो, एवं खलु जम्बू ! ते णं कालेणं ते णं समए णं सावत्थी नयरी कोट्ठए चेइए जियसत्तू राया, तत्थ णं सावत्थीए नयरीए नन्दिणीपिया नाम गाहबई परिवसइ अडढे जहा पाणंदो नवरं चत्तारि हिरगणकोडीयो निहाणपउत्तायो चत्तारि हिरगणकोडियो बुडिपउत्ताश्रो चत्तारि हिरगणकोडीयो पवित्थरपउत्तायो चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं अस्सिणी भारिया 1 / सामी समोसढे जहा श्रानन्दो तहेव गिहिधम्म पडिवज्जइ, सामी बहिया विहरइ, तए णं से नन्दिणीपिया समणोवासए जाए जाव विहरइ 2 / तए णं तस्स नन्दिणीपियस्स समणोवासयस्स बहुहिं सीलव्वयगुण जाव भावेमाणस्स चोइस संबच्छराई वइकन्ताइं तहेव जेटुं पुत्तं ठवेइ धम्मपराणत्ति उपसंपजिता णं विहरइ, वीसं वासाई परियागं नाणत्त (पाउणित्ता जाव) अरुणगवे विमाणे उबवायो। महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ 3 // निक्खेवो // सूत्रं 55 // उवासगदसाणं नवमं अज्झयणं समत्तं // // इति नबममध्ययनम् // 9 // . // 10 // अथ श्री सालिहीपितृनामकं दशममध्ययनम् // दसमस्स उक्खेवो, एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नयरी कोट्ठए चेइए जियसत्तू राया, तत्थ णं सावस्थीए नयरीए सालिहीपिया नाम गाहावई परिवसइ अड्डे दित्ते जहा आणंदो, नवरं चत्तारि हिरराणकोडीयो निहाणपउत्तानो चत्तारि हिरराणकोडियो बुड्डिपउत्तानो चत्तारि हिरगणकोडीयो पवित्थरपउत्तायो चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं फग्गुणी भारिया 1 / सामी समोसढे जहा श्राणन्दो तहेव गिहिधम्म पडिवजइ, जहा कामदेवो तहा जेट्ठ पुत्तं ठवेत्ता पोसहसालाए समणस्स भगवत्रो महावीरस्स धम्मपराणत्तिं उपसम्पजिला Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1. ] [301 णं विहरइ 2 / नवरं निस्वसग्गायो एकारसवि उवासगपडिमायो तहेव भाणियब्वायो, एवं कामदेवगमेणं नेयव्वं जाव सोहम्मे कप्पे अरुणकीले विमाणे देवत्ताए उववन्ने चत्तारि पलिश्रोवमाइं ठिई महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ 3 // सू०५६॥ . दसराहवि पणरसमे संवच्छरे वट्टमाणाणं चिन्ता। दसराहवि वीसं वासाई समणोवासयपरियायो॥ एवं खलु जम्बू ! समणेणं जाव सम्पत्तेणं सत्तमस्स अगस्स उवासगदसाणं दसमस्स अज्झयणस्स . अयम? पराणत्ते // सू० 57 // ____ वाणियगामे चम्पा दुवे य. वाणारसीए नयरीए। पालभिया य पुरवरी कम्पिल्लपुरं च बोद्धव्वं / / 1 / / पोलासं रायगिहं सावत्थीए पुरीए दोन्नि भवे / एए उवासगाणं नयरा खलु होन्ति बोद्धव्वा // 2 // सिवनन्द भद्द सामा धन बहुल पूम अग्गिमित्ता य। रेवइ अस्सिणि तह फग्गुणी य भजाण नामाइं // 3 // प्रोहिराणाण पिसाए माया वाहिधणउत्तरिज्जे य / भजा य सुव्वया दुव्वया निरुवसग्गया दोन्नि // 4 // अरुणो अरुणाभे खलु अरुणप्पहयरुणकन्तसि? य। अरुणज्झए य छ8 भू(चू )यवडिंसे गवे कीले // 5 // चाली सट्टि असीई सट्ठी सट्ठी य सट्ठि दस सहस्सा / असिई चत्ता चत्ता एए वझ्याण य सहस्साणं // 6 // वारस अट्ठारस चउवीसं तिविहं अट्ठरसाइ नेयं / धन्नेण तिचोविसं बारम बारस य कोडीयो // 7 // उल्लणदन्तवणफले अभिङ्गणुव्वट्टणे सिणाणे य / वत्थ विलेवण पुप्फे याभरणं धूवपेजाइ // 8 // भक्खोयण सूय घए सागे माहुरंजेमणऽनपाणे य / तम्बोले इगवीसं पाणन्दाईण अभिग्गहा // 1 // उड्ड सोहम्मपुरे लोलूए अहे उत्तरे हिमवन्ते / पंचसए तह तिदिसिं श्रोहिगणाणं तु दसगणस्स // 10 // दंसण-वय-सामाइय पोसह-पडिमा. अबम्भ-सच्चित्ते। प्रारम्भ-पेस-उद्दिष्ट-वजए समणभए य // 11 // इकारस Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 310' [ भीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः पडिमायो वीसं परियायो अणसणं मासे। सोहम्मे चउपलिया महाविदेहम्मि सिन्झिहिइ // सू० 58 // उवासगदसाणं दसमं अज्झयणं समत्तं // // इति दशममध्ययनम् // 10 // उवासगदसायो समत्तायो॥ उवासगदसाणं सत्तमस्स अगस्स एगो सुयखन्धो दस अज्झयणा, एकसरगा दससु चेव दिवसेसु उद्दिस्सिज्जंति (उदिस्संति) तश्रो सुयखन्धो समुद्दिस्सिन्जइ (समुहिस्सइ) अणुराणविजइ दोसु दिवसेस, अङ्ग तहेव // सू०५१ // // इति श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रं समाप्तम् // (ग्रन्या 812) Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमगणभृत्श्रीमत्सुधर्मस्वामि-प्रणीत // श्रीमदन्तकृदशाङ्गसूत्रम् // - // 1 // अथ प्रथमो वर्गः // ते णं काले णं ते णं समए णं चंपानामं नगरी होत्या पुन्नभद्दे चेतिए वणसंडे उजाणे वनश्रो, ते णं काले णं ते णं समए णं अजसुहम्मे समोसरिए परिसा निग्गया जाव पडिगया, तेणं कालेणं 2 अजसुहम्मस्स अंतेवासी अजजंबू जाव पज्जुवासति, एवं वदासि-जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं आदिकरणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्म उवासगदसाणं अयम? पन्नत्ते, अट्ठमस्स णं भंते ! अंगस्स अंतगड. दसाणं समोणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पराणते ? एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अट्ठ वग्गा पनत्ता 1 / जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अट्ठ वग्गा पन्नत्ता, पढमस्स णं भंते / वग्गस्स अंतगडदसाणं समोणं जाव संपत्तेणं कइ अझयणा पनत्ता ?, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नता, तंजहा-गोयम समुद्द सागर गंभीरे चेव होइ थिमिते य / अयले कंपिल्ले खलु अक्खोभ पसेणती विराहू // 1 // 2 / जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेगणं अट्ठमस अंगस्स अंतगडदसाणं पढमस्स वग्गस्स दम अझयणा पत्नना, Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 312 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभागः पढमस्स णं भंते ! अझयणस्स अंतगडदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अ? पन्नते ?, एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं 2 बारवतीणाम नगरी होत्या, दुवालसंजोयणायामा नवजोयणविस्थिराणा धणवइमतिनिम्माया चामीकरपागारा नाणामणिपंचवन्नकविसीसगमंडिया सुरम्मा अलकापुरिसंकासा पमुदितपक्कीलिया पञ्चक्खं देवलोगभूया पासादीया 4, तीसे णं वारवतीनयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे एस्थ णं रेवतते नामं पव्वते होत्था, वगणतो, तत्थ णं रेवतते पवते नंदणवणे नामं उजाणे होत्था वन्नयो, सुरप्पिए नामं जक्खायतणे होत्था पोराणे०, से णं एगेणं वणसंडेणं०, असोगवरपायवे 3 / तत्थ णं बारवतीनयरीए कराहे णामं वासुदेवे राया परिवसति महता हिमवंतमहंत-मलय-मंदरमहिंदसारे, रायवन्नतो, से णं तस्थ समुइविजयपामोक्खाणं दसराहं दसाराणं बलदेवपामोक्खाणं पंचराहं महावीराणं पज्जुनपामोक्खागां अद्भुट्ठाणं कुमारकोडीगां संबपामोवखाणं सट्ठीए दुइतसाहस्सीणां महसेणपामोक्खाणां छप्पराणाए बलवगसाहस्सीणं वीरसेगापामोक्खाणं एगवी साते वीरसाहस्सीणं उग्गसेणपामोक्खागां सोलसराहं रायसाहस्सीणां रुप्पिणियापामोक्खाणं सोलसराहं देविसाहस्सीण अणंगसेणापामोक्खाणां अणेगाणां गणियासाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं ईसर जाव सत्थवाहाणं बारवतीर नयरीए अद्धभरहस्स य समस्थस्स आहेबच्चं जाव विहरति 4 / तत्थ णं बारवतीए नयरीए अंधगवराही णामं राया परिवसति, महता हिमवंत महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे जाव पसंतडिंबडमरं रज्जं पसासेमाणे विहरति, तस्स णं अंधकवरिहस्स रनो धारिणी नामं देवी होत्था वन्नयो, तते णं सा धारिणी देवी अन्नदा कदाई तंसि तारिसगंसि सयणिज्जसि एवं जहा महब्बले, सुमिणद्दसणकहणा जम्मं बालत्तयां कलातो य। जोव्वणपाणिग्गहणां कतारणा) पासायभोगा य॥ 1 // नवरं गोयमो नामेगां अट्ठराहं रायवरकन्नागां एगदिवसेणां पाणिं गेराहावेंति अट्टयो Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृदशाङ्ग सूत्रम् : प्रथमो वर्गः 1 ] [ 313 दायो 5 / ते णं काले णं 2 अरहा अरिट्ठनेमी यादिकरे जाव विहरति चउबिहा देवा श्रागया कराहेवि णिग्गए, तते णं तस्स गोयमस्स कुमारस्स जहा मेहे तहा णिग्गते धम्मं सोचा जं नवरं देवाणुप्पिया ! अम्मापियरो थापुच्छामि देवाणुप्पियाणां तयो पच्छा मुडे भवित्ताणां पव्वइस्सामि, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! एवं जहा मेहे जाव अणगारे जाते जाव इणमेव णिग्गंथं पावयणं पुरयो काउं विहरति 6 / तते णं से गोयमे अन्नदा कयाइ अरहतो अरिट्टनेमिस्स तहाख्वाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याई एक्कारस अंगाई अहिजति 2 बहूहिं चउत्थ जाव भावेमाणे विहरति, ते अरिहा रिटनेमी अन्नदा कदाइ बारवतीतो नंदणवणातो पडिनिक्खमति बहिया जणवयविहारं विहरति 7 / तते णं से गोयमे श्रणगारे अन्नदा कदाई जेणेव अरहा अरिट्ठनेमी तेणेव उवागच्छति 2 अरहं अरिट्टनेमि तिक्खुतो श्रादाहिण पदाहिणं तिक्खुत्तोकटु एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुराणाते समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उपसंपजित्ताणं विहरेत्तए, एवं जहा खंदतो तहा बारस भिक्खुपडिमातो फासेति 2 गुणरयणंपि तवोकम्मं तहेब फासेति निरवसेसं जहा खंदतो तहा चिंतेति तहा यापुच्छति तहा थेरेहिं सद्धिं सेत्तुञ्ज दुरूहति मासियाए संलेहणाए बारस वरिसाइं परिताते जाव सिद्धे 5, 8 // सूत्रं 1 // एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स यंतगडदसाणं पढमवग्गपढमअज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते तिबेमि // पढमं अज्झयणं सम्मत्तं // एवं जहा गोयमो तहा सेसा अंधयवरिह पिया धारिणी माता समुद्दे सागरे गंभीरे थिमिए. अयले कंपिल्ले अक्खोभे पसेणती विराहुए एए एगगमा, पढमो वग्गो दस अज्झयणा पनत्ता // सू० 2 // पढमो वग्गो समत्तो॥१॥ Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 315 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः : चतुर्थों विभागर // 2 // अथ द्वितीयो वर्गः // जति दोचस्स वग्गस्स उक्खेवतो, तेणं कालेणं 2 बारवतीते णगरीए वरिह पिया धारिणी माता-अक्खोभसागरे खलु समुद्दहिमवंत अचलनामे य / धरणे य पूरणेवि य अभिचंदे चेव अट्ठमते // 1 // जहा पढमो वग्गो तहा सव्वे पट्ट अज्झयणा गुणरयणतवोकम्मं, सोलस वासाई परियायो सेत्तुले मासियाए संलेहणए सिद्धी // सू० 3 // बीथो वग्गो सम्मत्तो॥२॥ // 3 // अथ तृतीयो वर्गः // जति तच्चस्स उक्खेवतो, एवं खलु जंबू ! तच्चस्स वग्गस्स अंतगडदसाणं तेरस यज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-ग्रणीयसे 1 अणंतसेणे 2 अणिहय 3 वि(रि)ऊ 4 देवजसे(सेणे) 5 सत्तुसेणे 6 सारणे 7 गए 8 सुमुहे 1 दुम्मुहे 10 कूवए 11 दारुए 12 अणादिट्ठी 13, 1 / जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं तच्चस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा पनत्ता, तच्चस्स गां भंते ! वग्गस्स पढमयज्भयणरस अंतगडदसाणां के पट्टे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेगां कालेगां 2 भदिलपुरे नामं नगरे होत्था, वन्नयो 2 / तस्स गां भदिलपुरस्म उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए सिविणे नामं उजाणे होत्था वन्नयो, जितसत्तु राया, तत्थ गां भदिलपुरे नयरे नागे नाम गाहावती होत्था अडढे जाव अपरिभृए परिवसइ, तस्स गां नागस्स गाहावतिस्स सुलसा नाम भारिया होत्था सूमाला (सोमाला) जाव सुरूवा, तस्स गां नागस्म नाहावतिस्स पुत्ते सुलसाए भारियाए अत्तए अणीय(ज)से नाम कुमारे होत्था सूमाले (सुकुमाले) जाव सुरूवे पंचधातिपरिक्खित्ते, तंजहा-खीरवाली मजणधाई. मंडणधाई-कीलावणधाती ग्रंकधाई जहा दढपइन्ने जाव गिरि-कंदरमल्लीणेव्व Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् . वर्गः 3 ] [ 315 चंपगवरपायवे सुहंसुहेणं परिवड्डति 3 / तते णं तं अणियसं कुमारं सातिरेगग्रवासजायं अम्मापियरो कलायरिय जाव भोगसमत्थे जाते यावि होत्था, तते णं तं अणियसं कुमारं उम्मुक्बालभावं जाणेत्ता अम्मापियरो सरिसियाणं जाव बत्तीसाए इब्भवरकन्नगाणं एगदिवसे पाणिं गेराहावेंति, तते णं से नागे गाहावती श्रणीयसस्स कुमारस्स इमं एयाख्वं पीतिदाणं दलयति, तंजहाबत्तीसं हिरनकोडीयो जहा महब्बलस्स जाव उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगयत्थएहिं भोगभोगाई भुजमाणे विहरति 4 / ते णं काले णं 2 अरहा अरिट्ठ जाव समोसढे सिविणे उजाणे जहा जाव विहरति परिसा णिग्गया, तते णं तस्स अणीयसस्स तं महा जहा गोयमे तहा नवरं सामाइयमातियाइं चोइस पुव्वाइं अहिजति वीसं वासातिं परिताबो सेसं तहेव जाव सेत्तुञ्ज पवते मासियाए संलेहणाए जाव सिद्धे 5 / एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेगां अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं तच्चस्स वग्गस्स पढमश्रज्झयणस्स अयम? पन्नत्ते, एवं जहा अणीयसे एवं सेसावि अणंतसेणे जाव सत्तुसेणे छअभयणा एकगमा बत्तीसदो दायो वीसं वासा परियातो चोइस सेत्तुञ्ज सिद्धा 5 // सू० 4 // छ?मज्झयणं समत्तं // ते णं काले णं 2 बारवतीए नयरीए जहा पढमे नवरं वसुदेवे राया धारिणी देवी सीहो सुमिणे सारणे कुमारे पन्नासतो दातो चोदस पुव्वा वीसं वासा परिताबो सेसं जहा गोयमस्स जाव सेत्तुळे सिद्धे // सू० 5 // जति उक्खेश्रो अट्ठमस्स एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं 2 बारवतीए नगरीए जहा पढमे जाव अरहा अरिट्ठनेमी सामी समोसढे 1 / ते गां काले गां 2 थरहतो अरिट्ठनेमिस्स अंतेवासी छ अणगारा भायरो सहोदरा होत्था सरिसया सरित्तया सरिव्वया नीलुप्पल-गवलगुलिय-अयसिकुसुमप्पगासा सिरिवच्छंकियवच्छा. कुसुमकुंडलभद्दलया नलकुम्बरसमाणा, तते णं ते छ श्रणगारा जं चेव दिवस मुडा भवेत्ता अगारात्रो अणगारियं पव्वतिया Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदाममसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः तं चेव दिवसं अरहं अरिहनेमीं वंदति णमसंति 2 एवं वयासी-इच्छामो गां भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुनाया समाणा जावजीवाए छ8छ?ढे गां अणिक्खित्तेगां तषकम्म(तबोकम्मेण)संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरित्तते, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध करेह, तते गां छ अणगारा अरहया अरिट्टनेमिणा अब्भणुगणाया समाणा जावजीवाए छटुंछट्टे गां जाव विहरति, तते णं छ अंणगारा अन्नया कयाई छट्टक्खमणपारणयंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेंति जह गोयमो जाव इच्छामो गां छ?क्खमणस्स पारणए तुब्भेहिं अब्भानाया समाणा तिहिं संघाडएहिं बारवतीए नगरीए जाव अडित्तते, अहासुहं, देवाणुप्पिया ! तते गां ते छ अणगारा यरहया अरिट्टनेमिणा अब्भणुराणाता समाणा अरहं अरिट्टनेमि वंदति गमंसंति 2 अरहतो अरिट्टनेमिस्स अंतियातो सहसंबवणातो पडिनिक्खमंति 2 तिहिं. संघाडएहिं अतुरियं जाव अडंति, तस्थ गां एगे संघाडए बाखतीए नगरीए उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाते अडमाणे. 2. वसुदेवस्स रन्नो देवतीए देवीते गेहे अणुपविट्ठ, तते गां सा देवती देवी ते अणगारे एजमाणे पासति पासेत्ता हट्ट जाव हियया पासणातो अमुट्ठति 2 सत्त? पयाई तिवखुत्तो अायाहिणपयाहिणं करेति 2 वंदति गमसति 2 जेणेव भत्तघरते तेणेव उवागच्छति 2 (उवागया) सीहकेसराणं मोयगाणं थालं भरेति ते अणगारे पडिलाभेति वंदति णमंसति 2 पडिविसज्जेति, तदाणंतरं च णं दोच्चे संघाडते बारवतीते उच्च जाव विसज्जेति 3 / तदाणंतरं च णं तच्चे संघाडते वारवतीए नगरीए उच्चनीए जाव पडिलाभेति 2 एवं वदासिकिराणं देवाणुप्पिया ! कराहस्स' वासुदेवस्स इमीसे बारवतीए नगरीते नवजोयण पच्चक्खदेवलोगभूताए समणां निग्गंथा उच्चणीय जाव अडमाणा भत्तपाणं णो लभंति जन्नं ताई चेव कुलाई भत्तपाणाए भुजो 2 अणुप्पविसंति ?, तते णं ते अणमारा देवलिं देवीं एवं क्यासिनो खलु देवाणु Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृदशाङ्ग-सूत्रम् :: वर्ग: 3 ] [ 317 प्पिया ! काहस्स वासुदेवस्स इमीसे बारवतीते नगरीते जाव देवलोगभूयाते समणा निग्गंथा उच्चनीय जाव अडमाणा भत्तपाणं णो लभंति नो (ज) चेव णं ताई ताई कुलाई दोच्चापे तचंपि भत्ताणाए अणुपविसंति, एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे भदिलपुरे नगरे नागस्स गाहावतिस्स पुत्ता सुलसाते भारियाए अत्तया छ भायरो सहोदरा सरिसया जाव नलकुबरसमाणा अरहयो अरिट्टनेमिस्स अंतिए धम्मं सोचा संसारभउबिग्गा भीया जम्मणमरणाणं मुडा जाव पवइया, तते णं अम्हे जं चेव दिवसं पव्वतिता तं चेव दिवसं अरहं अरिहनेमि वंदामो नमसामो 2 इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगेगहामो-इच्छामो णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुराणाया समाणा जाव यहासुहं देवाणुपिया ! मा पडिबंधं करेह, तते णं अम्हे अरहतो अभगुराणाया समाणा जावजीवाए छ8छट्टेणं जाव विहरामो, तं अम्हे अन्ज छटाखमणपारणयंसि पढमाए पोरिसिए जाव अडमाणा तव गेहं अणुप्पविट्ठा, तं नो खलु देवाणुप्पिए ! ते चेव णं अम्हे, अम्हे गां अन्ने, देवति देवि एवं वदंति 2 जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगता 4 / तीसे देवतीते देवीए अयमेयारुवे अझथिए 4 समुप्पन्ने, एवं खलु अहं पोला. सपुरे नगरे अतिमुतेणं कुमारसमणेगां बालत्तणे वागरिता तुमराणां देवाणुप्पिया ! अट्ठ पुत्ते पयातिस्ससि सरिसए जाव नलकुब्बरसमाणे नो चेव गां भरहे वासे अनातो अम्मयातो तारिसए पुत्ते पयातिस्संति तं गा मिच्छा, इमं गां पञ्चक्खमेव दिस्सति भरहे वासे अन्नातोवि अम्मतायो खलु एरिसए जाव पुत्ते पयायायो, तं गच्छामि गां अरहं अरिट्टनेमि वंदामि 2 इमं च गां एयारूवं वागरणां पुच्छिस्सामीतिकटु एवं संपेहेति 2 कोडु. बियपुरिसा सद्दावेति 2 एवं वयासी-लहुकरणप्पवरं (तुम्भे य लहुकरणजाणप्पवर) जाव उवट्ठवेंति, जहा देवाशांदा जाव पज्जुवासति, तए गां ते अरहा अरिहनेमी देवतिं देवं एवं वयासी-से नूगां तव देवती ! इमे छ - 8 Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 318 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः अणगारे पासेत्ता अयमेयारूचे अभत्थिए ४-एवं खलु अहं पोलासपुरे नगरे अइमुत्तेगां तं चेव जाव णिग्गच्छसि 2 जेणेव ममं अंतियं हव्वमागया से नूगां देवती अत्थे सम??, हंता अत्थि, एवं खलु देवाणुप्पिया ! 5 / ते णं काले णं 2 - भदिलपुरे नगरे नागे नाम गाहावती परिवसति गड्ढे तस्स णं नागस्स गाहावइस्स सुलसानामं भारिया होत्था, सा सुलसा गाहावइणी बालत्तणे चे निमित्तएणं वागरिता-एस णं दारिया णिंदू भविस्सति, तते णं सा सुलसा बालप्पभितिं चेव हरिणेगमेसीभत्तया यावि होत्था, तते णं सा हरिणेगमेसिस्स पडिमं करेति 2 कल्लाकल्लिं राहाता जाव पायच्छित्ता उल्लपडसाडया महरिहं पुप्फचणं करेति 2 जंनुपायपडिया पणामं करेति ततो पच्छा थाहारेति वा नीहारेति वा वरति वा, तते णं तीसे सुलसाए गाहावइणीए भत्तिबहुमाणसुस्सूसाए हरिणेगमेसीदेवे याराहिते यावि होत्था 6 / तते णं से हरिणेगमेसी देवे सुलसाए गाहाबइणीए अणुकंपणट्टयाए सुलसं गाहावतिणिं तुमं च दोवि समउउयायो करेति, तते णं तुब्भे दोवि सममेव गम्भे गिराहह सममेव गम्भे परिवहह सममेव दारए पयायह, तए णं सा सुलसा गाहावतिणी विणिहायमावन्ने दारए पयाइति, तते णं से हरिणेगमेसी देवे सुलसाए अणुकंपणट्ठाते विणिहायमावरणए दारए करयलसंपुडेणं गेहति 2 तय अंतियं साहरति 2 तं समयं च णं तुमंपि णवराहं मासाणं. सुकुमालदारए पसवसि, जेवि श्र णं देवाणुप्पिए ! तव पुत्ता तेवि य तव अंतितायो करयलसंपुडेणं गेराहति 2 सुलसाए गाहावइणीए अंतिए साहरति, तं तव चेव णं देवइ ! एए पुत्ता णो चेव सुलसाते गाहाववइणीए तते गां सा देवती देवी अरहयो अरिट्ठनेमिस्स अंतिए एयम8 सोचा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियया अरहं अरिट्टनेमि वंदति नमसति 2 जेणेव ते छ अणगारा तेणेव उवागच्छति ते छप्पि अणगारा वंदति णमंसति 2 अागतपराहुत्ता Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 3 ] . [ 316 पप्फुतलोयणा कंचुयपडिक्खित्तया दरियवलयबाहा धाराहयकलंबपुष्फगंपिव समूससियरोमकूया ते छप्पि अणगारे अणिमिसाते दिट्ठीए पेहमाणी 2 सुचिरं निक्खिति 2 वंदति णमंसति 2 जेणेव अरिहा अरिहनेमी तेणेव उवागच्छति अरहं अरिटुनेमी तिक्खुत्तो थायाहिणपयाहिणं करेति 2 वंदति णमंसति 2 तेणेव धम्मियं जाणं दुरूहति 2 जेयोव बारवतीणगरी तेणेव उवागच्छति 2 बारवति नगरि अणुप्पविसति 2 जेणेव सते गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छति. 2 ता धम्मियातो जाणप्पवरातो पचोरहति 2 जेणेव सते वासघरे जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छति 2 ता सयंसि सयणिज्जसि निसीयति 7 / तते णं तीसे देवतीते दवीए अयं अभत्थिते 4 समुप्पराणे-एवं खलु अहं सरिसते जाव नलकुब्बरसमाणे सत पुत्ते पयाता, नो चेव णं मए एगस्सवि बालत्तणते समुन्भूते, एसविय णं कराहे वासुदेवे छराहं छराहं मासाणं ममं अंतियं पायवंदते हव्वमागच्छति, तं धन्नातो णं तायो अम्मायो जासिं मराणे णियगकुच्छिसंभूतयाई थणदुद्धलुद्धयाइं महुरसमुल्लावयाई ममणपजपियाई थणमूलकक्खदेसभागं अभिसरमाणाति मुद्धयाई पुणो य कोमलकमलोवमेहिं हत्थेहिं गिरिहऊण उच्छंगि णिवेसियाई देंति समुल्लावते सुमहुरे पुणो 2 मंजुलप्पभणिते, अहं णं अपना अपना अकयपुन्ना एत्तो एकतरमपि न पत्ता, श्रोहयमणसंकप्पा जाव झियायति 8 / इमं च णं कराहे वासुदेवे राहाते जाव विभूसिते देवतीए देवीए पायवंदते हब्वमागच्छति, तते णं से कराहे वासुदेवे देवई देवि जाव पासति 2 ता देवतीए देवीए पायग्गहणं करेति 2 देवती देवीं एवं वदासि-अन्नदा णं अम्मो! तुम्भे ममं एजमाणं पासेत्ता हट्ट जाव भवह, किराणं अम्मो ! अज तुब्भे श्रोहय जाव झियायह ?, तए णं सा देवती देवी कसहं वासुदेवं एवं वयासि-एवं खलु अहं पुत्ता ! सरिसए जाव समाणे सत्त पुत्ते पयाया Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 320 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा नो चेव णं मए एगस्सवि बालत्तणे अणुभूते तुमंपिय णं पुत्ता ! ममं छराहं 2 मासाणं ममं अंतियं पादवंदते हव्वमागच्छसि तं धनायो णं तायो अम्मयातो जाव झियायामि, तए णं से कराहे वासुदेवे देवतिं देविं एवं वयासि-मा णं तुम्भे अम्मो ! श्रोहय जाय झियायह ग्रहणणं तहा घत्तिस्सामि जहा णं ममं सहोदरे कणीयसे भाउए भविस्सतीतिकट्टु देवति देविं ताहिं इटाहिं वग्गूहि समासासेति 2 ततो पडिनिक्खमति 2 जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ 2 जहा अभयो नवरं हरिणेगमेसिस्स अट्ठमभत्तं पगेराहति जाव अंजलि कटु एवं वदासि-इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! सहोदरं कणीयसं भाउयं विदिगणं, तते णं से हरिणेगमेसी कराहं वासुदेवं एवं वदामी-होहिति णं देवाणुप्पिया ! तव देवलोयचुते सहोदरे कणीयसे भाउए से णं उम्मुक्क जाव अणुप्पत्ते अरहतो थरिट्ठनेमिस्स यंतियं मुडे जाव पव्वतिस्सति, कराहं वासुदेवं दोच्चंपि तच्चपि एवं वदति 2 जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगते 1 / तते णं से कराहे वासुदेवे पोसहसालायो पडिनिक्खमति 2 जेणेव देवती देवी तेणेव उवागच्छति 2 देवताए देवीए पायग्गहणं करेति 2 एवं वयासि-होहिति णं अम्मो ! मम सहोदरे कणीयसे भाउएत्तिकटु देवतिं देवि ताहिं इटाहिं जाव पासासेति 2 जामेव दिसं पाउन्भूते तामेव दिसं पडिगते 10 / तए णं सा देवती देवी अन्नदा कदाई तंसि तारिसगंसि जाव सीहं सुमिणे पासेत्ता पडिबुद्धा जाव पाढया हट्टहियया परिवहति, तते णं सा देवती देवी नवराहं मासाणं जासुमिणारत्त-बंधुजीवत-लक्खारससरसपारिजातक-तरुणदिवाकर-समप्पभं सव्वनयणकंतं सुकुमालं जाव सुरूवं गजतालुयसमाणं दारयं पयाया जम्मणं जहा मेहकुमारे जाव जम्हा णं अम्हं इमे दारते गजतालुसमाणे तं होउ णं अम्ह एतस्स दारगस्स नामधेज्जे. गयसुकुमाले 2, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरे नामं करेंति गयसुकुमालोत्ति Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृदशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 3 ] [ 321 सेसं जहा मेहे जाव अलं भोगसमत्थे जाते यावि होत्था 11 / तत्थ णं बारवतीए नगरीए सोमिले नामं माहणे परिवसति, अड्ढ रिउव्वेद जाव सुपरिनिट्ठिते यावि होत्था, तस्त णं सोमिलस्स माहणस्स सोमसिरी नामं माहणी होत्था सूमाला जाव सुरूवा, तस्स णं सोमिलस्स धूता सोमसिरोए माहणीए अत्तया सोमानामं दारिया होत्था, सोमाला जाव सुरूवा, रूवेणं जाव लावराणेणं उकिट्ठा उक्कीट्ठसरीरा यावि होत्था, तते णं सा सोमा दारिया. अन्नया कदाइ राहाता जाव विभूसिया बहूहिं खुजाहिं जाव परिक्खित्ता सतातो गिहातो पडिनिक्खमति 2 जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छति 2 रायमग्गंसि कणगतिंदूसएणं कीलमाणी चिट्ठति 12 / ते णं काले णं 2 अरहा अरिट्ठनेमी समोसढे परिसा निग्गया, तते णं से कराहे वासुदेवे इमीसे कहाए लट्ठ समाणे राहाते जाव विभूसिए गयसुकुमालेणं कुमारेणं सद्धिं हत्थिखंधवरंगते सकोरंट-मल्लदामेणं छत्तेणं धरेजमाणेणं सेअवरचामराहिं उद्धृब्बमाणीहिं बारखईए नयरीए मझमज्झेणं अरहतो अरिहनेमिस्स पायवंदते णिग्गच्छमाणे सोमं दारियं पासति 2 सोमाए दारियाए रूवेण य जोवणेण य लावराणेण य जाव विम्हिए, तए णं कराहे वासुदेवे कोडुबियपुरिसे सहावेइ 2 एवं वदासि-गच्छह णं तुभे देवाणुप्पिया सोमिलं माहणं जायित्ता सोमं दारियं गेराहह 2 कन्नतेउरंसि पक्खिवह, तते णं एसा गयसुकुमालस्प्त कुमारस्स भारिया भविस्सति, तते णं कोडबिय जाव पक्खिवंति 13 / तते णं से कराहे वासुदेवे बारवतीए नगरीए मझमज्झणं निग्गच्छति णिग्गच्छित्ता जेणेव सहसंबवणे उजाणे जाव पज्जुवासति, तते णं अरह। अरिटुनेमी कराहस्स वासुदेवस्स गयसुकुमालस्स कुमारस्स तीसे य धम्मकहाए कराहे पडिगते 14 / तते णं से गयसुकुमाले अरहतो अरिट्टनेमिस्स अंतियं धम्मं सोचा जं नवरं अम्मापियरं. आपुच्छामि, जहा मेहो महेलियावज्जं जाव Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 322 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः वड्डियकुले, तते णं से कराहे वासुदेवे इमीसे कहाए लट्ठ समाणे जेणेव गयसुकुमाले तेणेव उवागज्छति 2 गयसुकुमालं श्रालिंगति 2 उच्छंगे निवेसेति 2 एवं वदासि-तुम णं ममं सहोदरे कणीयसे भाया तं मा णं तुमं देवाणुप्पिया इयाणिं अरहतो मुडे जाव पव्वयाहि, बहराणं बारवतीए नयरीए महयो 2 रायाभिसेएणं अभिसिनिस्सामि, तते णं से गयसुकुमाले कराहेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे तुसिणीए संचिट्ठति 15 / तए णं से गयसुकुमाले कराहं वासुदेवं अम्मापियरो य दोच्चपि तच्चपि एवं वदासि-एवं खलु देवाणुप्पिया ! माणुस्सया कामा खेलासवा जाव विप्पजहियव्वा भविस्संति, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुम्भेहिं अभणुनाये अरहतो अरिट्टनेमिस्स अंतिए जाव पव्वइत्तए, तते णं तं गयसुकुमालं कराहे वासुदेवे अम्मापियरो य जाहे नो संचाएति बहुयाहिं अणुलोमाहिं जाव अाघवित्तते वा ताहे अकामाई चेव एवं वदासी-तं इच्छामो णं ते जाया ! एगदिवसमवि रजसिरिं पासित्तए, निक्खमणं जहा महाबलस्स जाव तमाणाते तहा तहा जाव संजमित्तते, से गयसुकुमाले अणगारे जाते ईरियासमिए जाव गुत्तवंभयारी 16 / तते णं से गयसुकुमाले जं चेव दिवसं पव्वतिते तस्सेव दिवसस्स पुवावरराहकालसमयंसि जेणेव अरहा रिट्ठनेमी तेणेव उवागच्छति 2 अरहं अरिटनेमी तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं जाव वंदति णमंसति 2 एवं वदासि-इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुराणाते समाणे महाकालंसि सुसाणंसि एगराइयं महापडिमं उवसंपजित्ता णं विहरेत्तते, श्रहासुहं देवाणुप्पिया !, तते णं से गयसुकुमाले अणगारे अरहता अरिट्टनेमिणा अब्भणुनाए समाणे अरहं अरिट्ठनेमीं वंदति णमंसति 2 श्ररहतो अरिट्टनेमिस्स अंतियायो सहसंबवणाश्रो उजाणायो पडिणिक्खमति 2 जेणेव महाकाले सुसाणे तेणेव उवागते 2 थंडिल्लं पडिलेहेति 2 उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेति 2 ईसिंपन्भारगएणं कारणं जाव दोवि Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यणगार दिसापडिलेहणं करतास कुमारस वाला मुंडे जाव पवावलयं श्रीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः३] [ 323 पाए साहटु एगराई महापडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति 17 / इमं च णं सोमिले माहणे सामिधेयस्स अट्ठाते बारवतीयो नगरीयो बहिया पुव्वणिग्गते समिहातो य दब्भे य कुसे य पत्तामोडं च गेराहति 2 ततो पडिनियत्तति 2 महाकालस्स सुसाणस्स अदूरसामंतेणं वीईवयमाणे 2 संझाकालसमयंसि पविरलमणुस्संसि गयसुकुमालं अणगारं पासति 2 तं वेरं सरति 2 श्रासुरुत्ते 5 एवं वदासि-एस णं भो ! से गयसूमाले कुमारे अप्पत्थिय जाव परिवजिते, जे णं मम धूयं सोमसिरीए भारियाए अत्तयं सोमं दारियं अदिट्ठदोसपइयं कालवत्तिणिं विष्पजहेत्ता मुंडे जाव पव्वतिते, तं सेयं खलु ममं गयसुकुमालस्स कुमारस्स वेरनिजायणं करेत्तते, एवं संपेहेति 2 दिसापडिलेहणं करेति 2 सरसं मट्टियं गेराहति 2 जेणेव गयसूमाले यणगारे तेणेव उवागच्छति 2 गयसूमालस्स कुमारस्स (गयसुकुमालस्स अणगारस्स) मत्थऐ मट्टियाए पालिं बंधइ 2 जलंतीयो चिययायो फुल्लियकिसुयसमाणे खयरंगारे कहल्लेणं गेराहइ 2 गयसूमालस्स अणगारस्स मत्थए पक्खिवति 2 भीए 5 तयो खिप्पामेव अवकमइ 2 जामेव दिसं पाउब्भूते तामेव दिसं पडिगते 18 / तते णं तस्स गयसूमालस्स अणगारस्स सरीरयंसि वेयणा पाउन्भूता, उजला जाव दुरहियासा, तते णं से गयसुकुमाले अणगारे सोमिलस्स माहणस्स मणसावि अप्पदुस्समाणे तं उज्जलं जाव अहियासेति, तए णं तस्स गयसुकुमालस्स अणगारस्स तं उज्जलं जाव अहियासेमाणस्स सुभेणं परिणामेणं पसत्थज्झवसाणेणं तदावरणिजाणं कम्माणं खएणं कम्मरयविकिरणकरं अपुव्वकरणं अणुपविट्ठस्स अणंते अणुत्तरे जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्परणे, ततो पच्छा सिद्धे जावप्पहीणे, तत्थ णं अहासंनिहितेहिं देवेहिं सम्मं श्राराहितंतिकटु दिव्वे सुरभिगंधोदए वुढे दसद्धवन्ने कुसुमे निवाडिते चेलुक्खेवे कए दिब्बे य गौयगंधव्वनिनाये कए यावि होत्था 11 / तते णं से कराहे वासुदेवे कल्लं Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 324 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा पाउप्पभायाते जाव जलते राहाते जाव विभूसिए हथिखंधवरगते सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरेजमाणेहिं सेयवरचामराहिं उद्धृव्वमाणीहिं महया भड-चडगर-पहकर वंदपरिक्खित्ते बारवति णगरिं मझमज्झेणं जेणेव अरहा अरिटुनेमी तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तते णं से कराहे वासुदेवे बारवतीए नयरीए मझमज्झेणं निग्ग छमाणे एवकं पुरिसं पासति जुन्नं जराजजरियदेहं जाव किलंतं महतिमहालयायो इट्टगरासीयो एगमेगं इट्टगं गहाय बहियारत्थापहातो अंतोगिहं अणुप्पविसमाणं पासति 2 तए णं से कराहे वासुदेवे तस्स पुरिसस्स अणुकंपणट्टाए हथिखंधवरगते चेव एगं इट्टगं गेराहति 2 बहिया रत्थापहायो अंतोगिहं अणुप्पवेसेति, तते णं कराहेणं वासुदेवेणं एगाते इट्टगाते गहिताते समाणीते अणेगेहिं पुरिससतेहिं से महालए इट्टगस्स रासी बहिया रस्थापहातो अंतोघरंसि अणुप्पवेसिए 20 / तते णं से कराहे वासुदेवे बारवतीए नगरीए मज्झमझेणं णिग्गच्छति 2 जेणेव अरहा अरिट्ठनेमी तेणेव उवागते 2 जाव वंदति णमंसति 2 गयसुकुमालं अणगारं अपासमाणे अरहं अरिट्टनेमि वंदति णमंसति 2 एवं वयासि--कहि(हं) णं भंते ! से ममं सहोदरे कणीयसे भाया गयसुकुमाले अणगारे जाणं अहं बंदामि नमसामि, तते णं अरहा अरिहनेमी कराहं वासुदेवं एवं वदासि-साहिए णं कराहा ! गयसुकुमालेणं अणगारेणं अप्पणो अठे, नते णं से कराहे वासुदेवे अरहं अरिट्टनेमि एवं वदासि-कहराणं भंते ! गयसूमालेणं अणगारेणं साहिते अप्पणो अछे ?, तते णं अरहा अरिहनेमी काहं वासुदेवं एवं वयासि-एवं खलु कराहा ! गयसुकुमालेणं अणगारे णं ममं कल्लं पुवावरराहकालसमयंसि वंदइ णमंसति 2 एवं वयासि-इच्छामि णं जाव उवसंपजित्ताणं विहरति, तए णं तं गयसुकुमालं अणगारं एगे पुरिसे पासति 2 श्रासुरुत्ते 5 जाव सिद्धे, तं एवं खलु कराहा ! गयसुकुमालेणं अणगारेणं साहिते अप्पणो अढे 2, 21 / तते णं से कराहे वासुदेवे अरहं Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 3 ] | [ 325 अरिट्टनेमि एवं वयासि-केस णं भंते ! से पुरिसे अप्पत्थियपत्थिए जाव परिवजिते, जे णं ममं सहोदरं कणीयसं भायरं गयसुकुमालं अणगारं अकाले चेव जीवियातो ववरोविते, तए णं थरहा अरिढ़नेमी कराहं वासुदेवं एवं वयासि-मा णं कराहा ! तुमं तस्स पुरिसस्स पदोसमावजाहि, एवं खलु कराहा ! तेणं पुरिसेणं गयसुकुमालस्स अणगारस्स साहिज्जे दिन्ने, कहराणं भंते ! तेणं पुरिसेणं गयसुकुमालस्स णं साहेज्जे दिन्ने ?, तए णं अरहा अरिहनेमी कराहं वासुदेवं एवं वयासि-से नूणं कराहा ! ममं तुम पायवंदए हंब्वमागच्छमाणे वारवतीए नयरीए पुरिसं पाससि जाव श्रणुपविसिते, जहा गां कराहा ! तुमं तस्स पुरिसस्स साहिज्जे दिन्ने एवमेव कराहा ! तेगां पुरिसेगां गयसुकुमालस्स अणगारस्स अणेगभवसय-सहस्ससंचितं कम्मं उदीरेमाणेगां बहुं कम्मं उदीरमाणेणं बहुकम्म-णिजरत्य-साहिज्जे दिन्ने, तते गां से कराहे वासुदेवे अरहं अरिट्टनेमि एवं वयासि-से गां भंते ! पुरिसे मते कहं जाणियव्वे ?, तए गां परहा अरिट्ठनेमी कराहं वासुदेवं एवं वयासि-जे गां कराहा ! तुमं बारवतीए नयरीए अणुपविसमागां पासेत्ता ठितए चेव ठितिभेएगां कालं करिस्सति तराणं तुमं जाणेज्जासि एस णं से पुरिसे 22 / तते णं से कराहे वासुदेवे परहं अरिट्टनेमि वंदति नमंसति 2 जेणेव भाभिसेयं हत्थिरयणं तेणेव उवागच्छति 2 हत्थिं दुरूहति 2 जेणेव बारवती णगरी जेणेव सते गिहे तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तस्स सोमिलमाहणस्स कल्लं जाव जलंते अयमेयारूवे अब्भत्थिए 4 समुप्पन्ने-एवं खलु कराहे वासुदेवे अरहं अरिट्टनेमि पायवंदए निग्गते तं नायमेयं अरहता विनायमेयं अरहता सुतमेयं अरहता सिट्ठमेयं अरहया भविस्सइ कराहस्स वासुदेवस्स, तं न नजति णं कराहे वासुदेवे ममं केणवि कुमारेणं मारिस्सतित्तिकटु भीते 4 सयातो गिहातो पडिनिक्खमति, कराहस्स वासुदेवस्स Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 326 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विभा : बारवति नगरि अणुपविसमाणस्स पुरतो सपक्खि सपडिदिसिं हव्वमागते, तते णं से सोमिले माहणे कराहं वासुदेवं सहसा पासेत्ता भीते 4 ठिते य चेव ठितिभेयं कालं करेति धरणितलंसि सव्वंगेहिं धसत्ति संनिवडिते 23 / तते णं से कराहे वासुदेवे सोमिलं माहणं पासति 2 एवं वयासि-एस णं देवाणुप्पिया ! से सोमिले माहणे अप्पत्थियपत्थिए जाव परिवजिते जेण ममं सहोयरे कनीयसे भायरे गयसुकुमाले अणगारे अकाले चेव जीवियायो ववरोविएत्तिकटु सोमिलं माहणं पाणेहिं कड्डावेति 2 तं भूमि पाणिएणं अब्भोक्खावेति 2 जेणेव सते गिहे तेणेव उवागते सयं गिहं अणुपविट्ठ; एवं खलु जंबू ! समणेण जाव संपत्तेण अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं तच्चस्स वग्गस्स अट्ठमझयणस्स अयमढे पन्नत्ते 23 // सू० 6 // नवमस्स उ उक्खेवयो, एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं 2 बारवतीए नयरीए जहा पढमए जाव विहरति, तत्थ णं बारवतीए बलदेवे नामं राया होत्था वनयो, तस्स णं बलदेवस्स रनो धारिणीनामं देवी होत्था वनयो, तते णं सा धारिणी सीहं सुमिणे जहा गोयमे नवरं सुमुहे नाम कुमारे पन्नासं कनायो पन्नासदायो चोदसपुबाई अहिजति वोसं वासाई परियातो, सेसं तं चेव, सेत्तुङ्गे सिद्धे, निक्खेवयो / एवं दुम्मुहेवि कूबदारएवि, तिनि वि बलदेवधारिणीसुया, दारुएवि एवं चेव, नवरं वसुदेवधारिणिसुते / एवं अणादिट्ठीवि वसुदेवधारिणीसुते, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं तच्चस्स वग्गरस तेरसमस्स अज्झयणस्स अयम? पन्नत्ते 3, // सू० 7 // ततियो वग्गो समत्तो तेरसहिं अज्मयणेहिं 3 // // 4 // अथ चतुर्थों वर्गः // जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं तच्चस्स वग्गस्स अयम? पन्नत्ते चउत्थस्स वग्गस्स के पट्टे पन्नत्ते?, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं चउत्थस्स वग्गस्स दस अज्झयणा Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृदशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 5 ] [ 327 पन्नत्ता, तं जहा-जालि 1 मयालि 2 उवयाली 3 पुरिससेणे य 4 वारिसेणे य 5 / पज्जुन्न 6 संब 7 अनिरुद्ध 8 सचनेमी य 1 दढनेमी 10 // 1 // जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं चउत्थस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पत्नत्ता, पढमस्स णं अज्झयणस्स के अढे पनत्ते ?, एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं बारवती णगरी तीसे जहा पढमे कराहे वासुदेवे आहेबच्चं जाव विहरति, तत्थ णं बारवतीए णगरीए वसुदेवे राया धारिणी वन्नतो, जहा गोयमो, नवरं जालिकुमारे पन्नासतो दातो बारसंगी, सोलस वासा परितायो सेसं जहां गोयमस्स जाव सेत्तुञ्ज सिद्धे 1 / एवं मयाली उवयाली पुरिससेणे य वारिसेणे य 2 / एवं पज्जुन्नेवित्ति, नवरं कराहे वासुदेवे पिया रुप्पिणी से माता। एवं संबेवि, नवरं जंबवती माता / एवं अनिरुद्धवि नवरं पज्जुन्ने पिया वेद-भी माया एवं सच्चनेमो, नवरं समुद्दविजये पिता सिवा माता, दढनेमीवि, सव्वे एगमगा, चउत्थस्स वग्गस्स निक्खेवो 3 // सू० 8 // चउत्थो वग्गो समत्तो 4 // .. // // अथ पंचमो वर्गः // जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं चउत्थस्स वग्गस्स अयम? पन्नत्ते पंचमस्स वग्गस्स अंतगडदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-पउमावती 1 य गोरी 2 गंधारी 3 लक्खणा 4 सुमीमा 5 य / जंबवइ 6 सच्चभामा 7 रूप्पिणि 8 मूलसिरि 1 मूलदत्तावि 10 // 1 // 1 / जति णं भंते ! पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झरणा पत्नत्ता, पढमस्त णं भंते ! अज्झयणस्स के अट्टे पन्नत्ते ? एवं जंबू ! तेणं कालेणं 2 बारवती नगरी जहा पढमे जाव कराहे वासुदेवे आहे जाव विहरति, तस्स णं कराहस्स वासुदेवस्स पउमावती नाम Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 328 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः देवी होत्था वनयो, तेणं कालेणं 2 अरहा अरिटुनेमी समोसढे जाव विहरती, कराहे वासुदेवे णिग्गते जाव पज्जुवासति, तते णं सा पउमावती देवी इमीसे कहाए लट्ठा हट्टतुट्ठा जहा देवती जाव पज्जुवासति, तए णं अरिहा अरिट्ठनेमी कराहस्स वासुदेवस्स पउमावतीए य धम्मकहा परिसा पडिगता 2 / तते णं कराहे वासुदेवे अरहं अरिटुनेमि वंदति णमंसति 2 एवं वदासि-इमीसे णं भंते ! बारवतीए नगरीए नवजोयण जाव देवलोगभूताए किंमूलाते विणासे भविस्सति ?, कराहाति ! अरहं अरिट्ठनेमी कराहं वासुदेवं एवं वदासि-एवं खलु कराहा ! इमीसे वारवतीएं नयरीए नवजोयण जाव भूयाए सुरग्गिदीवायणमूलाए विणासे भविस्सति, ता णं कराहस्स वासुदेवस्स अरहतो अरिहनेमिस्स अंतिए एयं सोचा निसम्म एवं अभत्थिए 4 सम्मुप्पजित्था-धन्ना णं ते जालिमयालि--पुरिससेण-वारिसेण-पज्जुन्नसंब-अनिरुद्ध--दढनेमिसच्चनेमिप्पभियतो कुमारा जे मां चइत्ता हिरन्नं जाव परिभाएत्ता अरहतो अरिटुनेमिस्स अंतियं मुडा जाव पव्वतिया, श्रहराणं अधन्ने अकयपुन्ने रज्जे य जाव अंतेउरे य माणुस्सएसु य कामभोगेसु मुच्छिते 4 नो संचाएमि अरहतो अरिट जाब पव्वतित्तए, कराहाइ ! अरहा अरिट्ठनेमी कराहं वासुदेवं एवं वयासि-से नूणं कराहा ! तव अयमब्भत्थिए ४–धन्ना णं ते जाव पव्वतित्तते, से नूणं कराहा ! श्रढे सम? ?, हंता अस्थि, तं नो खलु कराहा ! तं एवं भूतं वा भव्वं वा भविस्सति वा जन्नं वासुदेवा चइत्ता हिरन्नं जाव पव्वइस्संति, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-न एवं भुयं वा जाव पव्व. तिस्संति ?, कराहाति ! परहा अरिट्टनेमी कराहं वासुदेवं एवं वयासि-एवं खलु कराहा ! सब्वेवि य णं वासुदेवा पुव्वभवे निदाणकडा, से एतेणटेणं कराहा ! एवं वुच्चति-न एवं भूयं जाव पव्वइस्संति 3 / तते णं से कराहे वासुदेवे अरहं अरिट्टनेमि एवं वयासि-यहं णं भंते ! इतो कालमासे Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् :: वर्गः 5 ] [ 326 कालं किवा कहिं गमिस्सामि ? कहिं उबवजिस्सामि ?, तते णं अरिहा अरिट्ठनेमी कराहं वासुदेवं एवं वयासि–एवं खलु कराहा ! बारवतीए नयरीए सुरदीवायणकोवनिद्दड्वाए अम्मापिइनियगविप्पहूणे रामेण बलदेवेण सद्धिं दाहिणवेयालिं अभिमुहे जोहिट्ठिलपामोक्खाणं पंचराहं पंडवाणं पंडुरायपुत्ताणं पासं पंडुमहुर संपस्थिते कोसंबवणकाणणे (कासंबकाणणे) नग्गोहवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टए पीतवत्थपच्छाइयसरीरे जर(रा)कुमारेणं तिक्खेणं कोदंडविप्पमुक्केणं इसुणा वामे पादे विद्धे समाणे कालमासे कालं किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए उनलिए नरए नेरइयत्ताए उववजिहिसि / तते णं कराहे वासुदेवे अरहतो अरिट्टनेमिस्स अंतिए एयम8 सोचा निसम्म श्रोहय जाव झियाति, कराहाति ! अरहा अरिटनेमी कराहं वासुदेवं एवं वदासि–मा णं तुम देवाणुप्पिया ! श्रोहय जाव झियाहि, एवं खलु तुमं देवाणुप्पिया ! तच्चातो पुढवीयो उजलियायो अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे भारहे वासे यागमेसाए उस्सप्पिणीए पुडेसु जणवतेसु सयदुवारे नगरे बारसमे अममे नामं अरहा भविस्ससि, तत्थ तुमं बहूई वासाइं केवलपरियागं पाउणेत्ता सिज्झिहिसि 5, 5 / तते णं से कराहे वासुदेवे अरहतो अरिट्ठनेमिस्त अंतिए एयम8 सोचा निमम्म हट्टतुट्ट जाव अप्फोडेति 2 वग्गति 2 तिवतिं छिदति 2 सीहनायं करेति 2 अरहं अरिट्टनेमि वंदति णमंसति 2 तमेव अभिसेक्कं हत्थिं दुरूहति 2 जेणेव बारवती णगरी जेणेव सते गिहे तेणेव उवागच्छति 2 (उवागते) अभिसेयहत्थिरयणातो पच्चोरुहति जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सते सीहासणे तेणेव उवागच्छति 2 सीहासमवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसीयति 2 कोडबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासि-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! बाखतीए नयरीए सिंघाडग जाव उवघोसेमाणा एवं वयह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 330 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विभागः बारवतीए नयरीए नवजोयण जाव भूयाए सुरग्गिदीवायणमूलाते विणासे भविस्तति, तं जो णं देवाणुप्पिया ! इच्छति बारवतीए नयरीए राया वा जुवराया वा ईसरे तलवरे माडंक्यिकोडबिय इब्भसेट्टी वा देवी वा कुमारो वा कुमारी वा अरहतो अरिट्ठनेमिस्स अंतिए मुंडे जाव पव्वइत्तए तं णं कराहे वासुदेवे विसज्जेति, पच्छातुरस्सवि य से ग्रहापवित्तं वित्तिं अणुजाणति महता इड्डीसकारसमुदएण य से निक्खमणं करेति दोच्चपि तच्चंपि घोसणयं घोसेह 2 मम एवं पञ्चप्पिणह 6 / तए णं ते कोडुबिय जाव पञ्चप्पिणंति, तते णं सा पउमवती देवी अरहतो अरिट्टनेमिस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियया अरहं अरिहनेमीं वंदति णमंसति 2 एवं वयासी-सदहामि णं भंते ! णिग्गंथं पायवणं से जहेतं तुम्भे वदह जं नवरं देवाणुप्पिया ! कराहं वासुदेवं श्रापुच्छामि, तते णं अहं देवाणुप्पियस्स अंतिए मुंडा जाव पव्वयामि, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह, तते णं सा पउमावती देवी धम्मियं जाणप्पवरं दुरूहति 2 जेणेव बारवती नगरी जेणेव सते गिहे तेणेव उवागच्छति 2 धम्मियातो जाणातो पचोरुभति 2 जेणेव कराहे वासुदेवे तेणेव उवागच्छति करयल जाव कटु एवं वयासि-इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं अब्भणुराणाता समाणी अरहतो अरिट्टनेमिस्स अंतिए मुंडा जाव पव्वयामि ग्रहासुहं 7 / तए णं से कराहे वासुदेवे कोड बिते सद्दावेति 2 एवं वयासि-खिप्पामेव पउमावतीते महत्थं निक्खमणाभिसेयं उवट्ठवेह 2 एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तते णं ते जाव पञ्चप्षिणंति, तए णं से कराहे बासुदेवे पउमावती देवीं पट्टयं डुहेति (पट्टयंसिं दुरुहेति 2) अट्ठसतेणं सोवन्नकलस जाव महानिक्खमणाभिसेएणं अभिसिंचति 2 सव्वालंकारविभूसियं करेति 2 पुरिससहस्सवाहिणिं सिबियं रदावेति (दुरुहावेति) बारवतीणगरीमझमझेणं निग्गच्छति 2 जेणेव रेवतते पव्वए जेणेव सहसंबवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ 2 Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् / / वर्गः 5 / / [ 331 सीयं ठवेति पउमावती देवी सीतातो पचोरुभति 2 जेणेव अरहा अरिट्ठनेमी तेणेव उवागच्छति 2 अरहं अरिठ्ठनेमी तिक्खुत्तो पायाहीणं पयाहीणं करेइ 2 वंदइ नमसइ 2 एवं वयासि-एस णं भंते ! मम अग्गमहिसी पउमावतीनाम देवी इट्ठा कंता पिया मणुन्ना मणामा अभिरामा जाव किमंग पुण पासणयाए ?, तन्नं ग्रहं देवाणुप्पिया ! सिस्सिणिभिक्खं दलयामि, पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सिस्सिणिभिक्खं, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह, तते णं सा पउमावती उत्तरपउच्छिमं दिसीभागं अवकमति 2 सयमेव श्राभरणालंकारं श्रोमुयति 2 सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति 2 जेणेव अरहा यरिद्वनेमी तेणेव उवागच्छति 2 अरहं अरिट्टनेमि वंदति णमंसति 2 एवं वयासी-प्रालित्ते जाव धम्भमाइक्खितं, तते णं अरहा अरिहनेमी पउमावती देवीं सयमेव पवावेति 2 सयमेव मुडावेइ 2 सयमेव जक्खिणीते अजाते सिस्सिणिं दलयति, तते णं सा जक्खिणी अजा पउमावई देवीं सयं पव्वावियव्वं जाव संजमियव्वं, तते णं सा पउमावती जाव संजमइ, तते णं सा पउमावती अजा जाता ईरियासमिया जाव गुत्तबंभयारिणी 8 / तते गण सा पउमावती अजा जक्खिणीते अजाते अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिजति, बहूहिं चउत्थछट्टमदसमदुवालसेहिं मासद्धमास-खमोहिं विविहेहिं तबोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमणा विहरति, तते णं सा पउमावती अजा बहुपडिपुन्नाई वीसं वासाइं सामनपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसेति 2 सढि भत्ताई अणसणाए छेदेति 2 जस्सट्ठाते कीरइ नग्गभावे जाव तमट्ठं पाराहेति चरिमुस्सासेहिं सिद्धा 5, 1 // सू० 1 // इति पंचमस्स वग्गस्स पढमं अज्झयणं समत्तं / ते णं काले णं 2 बारवईनयरीए रेवतए पब्बए नंदणवणे उजाणे, तत्थ णं बारवईनयरीए कराहे वासुदेवे तस्स णं कराहवासुदेवस्स गोरी देवी वन्नतो, अरहा समोसढे कराहे णिग्गते, गोरी जहा पउमावती तहा णिग्गया, Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 332 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः धम्मकहा परिसा पडिगता, कराहेवि, तए णं सा गोरी जहा पउमावती तहा णिक्खंता जाव सिद्धा 5 / एवं गंधारी। लक्खणा। सुसीमा / जंबबई / सच्चभामा / रूप्पिणी / अट्ठवि पउमावतीसरिसायो अट्ठ अज्झयणा // सू० 10 // ते णं काले णं 2 बारवतीनगरीए रेवतते नंदणवणे कराहे वासुदेवे, तत्थ णं बारवतीए नयरीए कराहस्स वासुदेवस्स पुत्ते जंबवतीए देवीए अत्तते संबे नामं कुमारे होत्था, बहीण जाव सुरूवे, तस्स णं संबस्म कुमारस्स मूलसिरीनामं भारिया होत्था वनयो, अरहा समोसढे कराहे णिग्गते मूलसिरीवि णिग्गया जहा पउमावती देवी नवरं देवाणुप्पिया ! कराहं. वासुदेवं श्रापुच्छामि जाव सिद्धा / एवं मूलदत्तावि // सू० 11 // पंचमो वग्गो समत्तो 5 // // 6 // अथ षष्ठो वर्गः // जति छट्ठस्स उक्खेवो, नवरं सोलस अज्झयणा पत्नत्ता, तंजहा'मंकाती (मकायी) किंकमे चेव, मोग्गरपाणी य कासवे / खेमते धितिधरे चेव, केलासे हरिचंदणे // 1 // वारत्तसुदंसणपुन्नभद्द सुमणभद्द सुपइट्टे मेहे / अइमुत्ते श्र अलक्खे अज्झयणाणं तु सोलसयं // 2 // 1 / जइ सोलस अझयणा पन्नत्ता, पढमस्स अज्झयणस्स के पट्टे पनत्ते ?, एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं 2 रायगिहे नगरे गुणसिलए चेतिते सेणिए राया, मंकातीनाम गाहावती परिवसति अड्डे जाव परिभूते, ते णं काले णं 2 समणे भगवं महावीरे श्रादिकरे गुणसिलए जाव विहरति, परिसा निग्गया, तते णं से मंकाती गाहावती इमीसे कहाए लढे (ट्ठयाए) समाणे जहा पन्नत्तीए गंगदत्ते तहेव इमोऽवि जेटुपुत्तं कुडुबे ठवेत्ता पुरिससहस्सवाहिणीए सीताते णिक्खते जाव अणगारे जाते, ईरियासमिते जाव गुत्तवंभयारी 2 / तते णं से मंकाती श्रणगारे समणस्स भगवतो महावीरस्त तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याई एकारस अंगाई अहिजति सेसं जहा Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 6.] [ 333 खंदगस्स, गुणरयणं तवोकम्मं सोलसवासाइं परियायो तहेव विपुले सिद्धे / किंकमेवि एवं चेव जाव विपुले सिद्धे 3 // सू० 12 // दोचस्स निक्लेवो तबस्स उक्खेवो, ते णं काले णं 2 रायगिहे गुणसिलते चेतिते सेणिए राया चेलणादेवी, तत्थ णं रायगिहे अज्जुणए नाम मालागारे परिवसति, अड्ढे जाव परिभूते, तस्स णं अज्जुणयस्स मालायारस्स बंधुमतीणामं भारिया होत्था सूमाला, तस्स णं अज्जुणयस्स मालायारस्स रायगिहस्स नगरस्स बहिया एत्थ णं महं एगे पुप्फारामे होत्था कराहे जाव निउरंबभूते दसद्धवन्नकुसुमकुसुमिते पासातीए 4, तस्स णं पुप्फारामस्स अदूरसामंते तत्थ णं अज्जुणयस्स मालायारस्स अजतपजत-पितिपज्जयागए अणेगकुलपुरिसपरंपरागते मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे होत्था, पोराणे दिव्वे सच्चे जहा पुराणभद्दे, तत्थ णं मोग्गरपाणिस्स पडिमा एगं महं पलसहस्सणिप्फरणं अयोमयं मोग्गरं गहाय चिट्ठति, तते णं से अज्जुणते मालागारे बालप्पभितिं चेव मोग्गरपाणिजक्खभत्ते यावि होत्था, कल्लाकलिं पच्छियपिडगाइं गेगहति 2 रायगिहातो नगरातो पडिनिक्खमति 2 जेणेव पुप्फारामे तेणेव उवागच्छति 2 महरिहं पुप्फुच्चयं करेति 2 अग्गाई वराई पुप्फाइं गहाइ 2 जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छति मुग्गरपाणिस्स जक्खस्स महरिहं पुप्फचणयं करेति 2 जनुपायवडिए पणामं करेति, ततो पच्छा रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणे विहरति 1 / तत्थ णं रायगिहे नगरे ललिया नामं गोट्ठी परिवसति अड्ढा जाव परिभूता, जंकयसुकया यावि होत्था, तते णं रायगिहे णगरे अन्नदा कदाइ पमोदे घुठे यावि होत्था, तते णं से अज्जुणते मालागारे कल्लं पभूयतराएहिं पुप्फेहिं कन्जमितिकटु पच्चूसकालसमयंसि बंधुमतीते भारियाते सद्धिं पच्छियपिडयाति गेगहति 2 सयातो गिहातो पडिनिक्खमति 2 रायगिहं नगरं मज्झमज्झेणं णिग्गच्छति 2 जेणेव पुप्फारामे तेणेव उवागच्छति 2 Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 334 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: चतुर्थो विभागः बंधुमतीते भारियाए सद्धिं पुप्फुच्चयं करेति, तते णं तीसे ललियाते गोट्टीते छ गोहिला पुरिसा जेणेव मोग्गरपाणिस्स जवखरस जक्खाययणे तेणेव उवागता अभिरममाणा चिठंति, तते णं से अज्जुणते मालागारे बंधुमतीए भारियाए सद्धिं पुप्फुच्चयं करेति पच्छियं भरेति / अग्गाति वरातिं, पुष्फातिं गहाय जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छति, तते णं छ गोहिला पुरिसा अज्जुणयं मालागारं बंधुमतीए भारियाए सद्धिं एजमाणं पासंति 2 अन्नमन्नं एवं वयासि-एस णं देवाणुप्पिया ! अज्जुणते मालागारे बंधुमतीते भारियाते सद्धिं इहं हव्वमागच्छति, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं अज्जुणयं मालागारं अवश्रोडयवंधणयं करेत्ता बंधुमतीते भारियाए सद्धिं विपुलाई भोगभोगाइं भुजमाणाणं विहरित्तएत्तिकटु एयमटुं अनमन्नस्स पडिसुणेति 2 कवाडंतरेसु निलुक्कंति निचला निफंदा तुसिणीया पच्छराणा चिट्ठति 2 / तते णं से अज्जुणते मालागारे बंधुमतिभारियाते सद्धिं जेणेव मोग्गरजक्खाययणे तेणेव उवागछति 2 पालोए पणामं करेति महरिहं पुष्फचणं करेति जंनुपायपडिए पणामं करेति, तते णं छ गोटेल्ला पुरिसा दवदवस्स कवाडंतरेहिंतो णिग्गच्छति 2 अज्जुणयं मालागारं गेराहंति 2 अवथोडगबंधणं करेंति, बंधुमतिए मालागारीए सद्धिं विपुलाई भोगभोगाई भुजमाणा विहरंति 3 / तते णं तस्स अज्जुणयस्स मालागारस्स अयमज्झथिए 4, एवं खलु अहं बालप्पभितिं चेव मोग्गरपाणिस्स भगवयो कलाकल्लिं जाव कप्पेमाणे विहरामि, तं जति णं मोग्गरपाणिजक्खे इह संनिहिते होंते से णं किं ममं एयारूवं श्रावई पावेजमाणं पासते ? तं नत्थि णं मोग्गरपाणी जक्खे इह संनिहिते, सुव्वत्तं णं (सुव्वत्तणं) एस कट्ठ, तते णं से मोग्गरपाणी जवखे अज्जुणयस्स मालागारस्स अयमेयारुवं अब्भत्थियं जाव वियाणेत्ता अज्जुणयस्स मालागारस्सं सरीरयं Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृदशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 6 ] [ 335 अणुपविसति 2 तडतडतडस्स बंधाई छिदति, तं पलसहस्सणिफणणं अयोमयं मोग्गरं गेराहति 2 ते इत्थिसत्तमे पुरिसे घातेति, तते णं से अज्जु गते मालागारे मोग्गरपाणिणा जक्खेणं अराणाइ? समाणे रायगिहस्त नगरस्स परिपेरंतेणं कलाकल्लिं छ इत्थिसत्तमे पुरिसे घातेमाणे विहरति 4 / रायगिहे णगरे सिंघाडग जाव महापहपहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खति ४-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अज्जुणते मालागारे मोग्गरपाणिमा अराणाइ8 समाणे रायगिहे णगरे बहिया छ इत्थिसत्तमे पुरिसे घायेमाणे विहरति, तते णं से सेणिए राया इमीसे कहाए लट्ठ समाणे कोडुबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवा ! अजुणते मालागारे जाव घातेमाणे जाव विहरति, तं मा णं तुब्भे केती कट्ठस्स वा तणस्स वा पाणियस्स वा पुष्फफलाणं वा अहाते सइरं निग्गच्छतु, मा णं तस्स सरीरस्स वावत्ती भविस्सतित्तिकटु दोच्चंपि तच्चपि घोसणयं घोसेह 2 खिप्पामेव ममेयं पञ्चप्पिणह, तते : णं ते कोडदिय जाव पचपिणेइ, तत्थ णं रायगिहे नगरे सुदंसणे नामं सेट्टी परिवसति, अड्ढ०, तते णं से सुदंसणे समणोवासते यावि होत्था अभिगयजीवाजोवे जाव विहरति 5 / तेणं कालेणं 2 समणे भगवं जाव समोसढे जाव विहरति, तते णं रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिय-चउक-चच्चर-महापह-पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खति जाव किमंग पुण विपुलस्स अट्ठस्स गहणयाए एवं तस्स सुदंसणस्स बहुजणस्स अंतिए एयं सोचा निसम्म अयं अभत्थिते ४–एवं खलु समणे जाव विहरति, तं गच्छामि णं वंदामि नमसामि, एवं संपेहेति 2 जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु अम्मतायो ! समणे जाव विहरति, तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि नमसामि जाव प्रज्जुवासामि, तते णं सुदंसणं सेटिं अमापियरो एवं पदासि-एवं खलु पुत्ता ! अज्जुणे Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 336 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभागः मालागारे जाव घातेमाणे विहरति, तं मा | तुमं पुत्ता ! समणं भगवं महावीरं वंदए णिग्गच्छाहि, मा णं तव सरीरयस्स वावती भविस्सति, तुमराणं इहगते चेव समणं भगवं महावीरं वंदाहि णमंसाहि, तते णं सुदंसणे सेट्टी अम्मापियरं एवं वयासी-किराणं ग्रहं अम्मयातो ! समणं भगवं महावीरं इहमागयं इहपत्तं इह समोसढं इहगते चेव वंदिस्सामि ? (कहं वंदिजामि ?) तं गच्छामि णं अहं अम्मतायो ! तुम्भेहिं अब्भणुनाते समाणे भगवं महावीरे वंदते, तते णं सुदंसणं सेटिं अम्मापियरो जाहे नो संचायंति बहूहिं बाघवणाहिं 4 जाव परुवेत्तते ताहे एवं वदासिश्रहासुह, तते णं से सुदंसणे अम्मापितीहिं अब्भणुराणाते समाणे राहाते सुद्धप्पावेसाई जाव सरीरे सयातो गिहातो पडिनिक्खमति 2 पायविहारचारेणं रायगिहं णगरं मझमज्झेणं णिग्गच्छति 2 मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणस्स अदूरसामतेणं जेणेव गुणसिलते चेतिते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए 6 / तते णं से मोग्गरपाणी जक्खे सुदंसणं समणोवासतं अदूरसामंतेणं वीतीवयमाणं 2 पासइ 2 श्रासुरुत्ते 5, तं पलसहस्सनिष्फन्नं अयोमयं मोग्गरं उल्लालेमाणे 2 जेणेव सुदंसणे समणोवासते तेणेव पहारेत्थ गमणाते, तते णं से सुदंसंणे समणोवासते मोग्गरपाणिं जक्खं एजमाणं पासति 2 अभीते अतत्थे अणुविग्गे अक्खुभिते अचलिए असंभंते वत्थंतेणं भूमी पमजति 2 करतल जाव एवं वदाप्ती-नमोऽत्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं समणस्स जाव संपाविउकामस्स, पुब्बिं च णं मते समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए थूलते पाणातिवाते पच्चक्खाते जावजीवाते थूलते मुसावाते थूलते अदिन्नादाणे सदारसंतोसे कते जावजीवाते इच्छापरिमाणे कते जावजीवाते तं इदाणिपिणं तस्सेव अंतियं सव्वं पाणातिवातं पञ्चक्खामि जावजीवाए मुसावायं अदत्तादाणं मेहुणं परिग्गहं पञ्चक्खामि जावजीवाए सव्वं कोहं जाव Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 6 ] [ 337 मिच्छादसणसल्लं पञ्चक्खामि जावजीवाए सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउन्विहंपि अाहारं पञ्चक्खामि जावजीवाए, जति णं एत्तो उवसग्गातो मुचिस्सामि तो मे कप्पेति पारेत्तते ग्रह णो एत्तो उवसग्गातो मुचिस्सामि ततो मे तहा पञ्चक्खाते चेव तिकट्ठ सागारं पडिमं पडिवजति 7 / तते णं से मोग्गरपाणिजरखे तं पलसहस्सनिष्फन्नं अयोमयं मोग्गरं उल्लालेमाणे 2 जेणेव सुदंसणे समणोवासते तेणेव उवागच्छति 2 नो चेव णं संचाएति सुदंसणं समणोवासयं तेयसा समभिपडित्तते, तते णं से मोग्गरपाणीजक्खे सुदंसणं समणोवासतं सव्वश्रो समंतायो परिघोलेमाणे 2 जाहे नो चेव गां संचाएति सुदंसगां समणोवासयं तेयसा समभिपडित्तते ताहे सुदंसणस्स समणोवासयस्स पुरतो सपक्खि सपडिदिसिं ठिचा सुदंसगां समणोवासयं अणिमिसाते दिट्ठीए सुचिरं निरिक्खति 2 अज्जुणयस्स मालागारस्स सरीरं विप्पजहति 2 तं पलसहस्सनिष्फन्नं अयोमयं मोग्गरं गहाय जामेव दिसं पाउब्भूते तामेव दिसं पडिगते, तते णं से अज्जुणते मालागारे मोग्गरपाणिणा जक्खेणं विप्पमुक्के समाणे धसत्ति धरणियलंसि सव्वंगेहिं निवडिते 8 / तते णं से सुदंसणे समणोवासते निरुवसग्गमितिकटु पडिमं पारेति, तते णं से अज्जुणते मालागारे तत्तो मुहुत्तंतरेणं थासत्थे समाणे उठेति 2 सुदंसणं समणोवासयं एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! के कहिं वा संपत्थिया ? तते णं से सुदंसणे समणोवासते अज्जुणयं मालागारं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अहं सुदंसणे नाम समणोवासते अभिगयजीवाजीवे गुणसिलते चेतिते समणं भगवं महावीरं वंदते संपत्थिते, तते णं से अज्जुणते मालागारे सुदंसणं समणोवासयं एवं वयासी-तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! अहमवि तुमए सद्धिं समणं भगवं महावीरं वदेत्तए जाव पज्जुवासेत्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! 1 / तळेणं से सुदंसणे समणोवासते अज्जुणएणं मालागारेणं सद्धि जेणेव Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 338 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः गुणसिलए चेतिते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 अंजुणएणं मालागारेणं सद्धिं समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव पज्जुवासति, तते णं समणे भगवं महावीरे सुदंसणस्स समणोपासगस्स अज्जुणयस्स मालागारस्स तीसे य धम्मकहा, सुदंसणे पडिगते 10 / तए णं से अज्जुणते समणस्त भगवत्रो महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा हट्टतुट जाव हियया करयल-परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासि-सदहामि णं भंते ! णिग्गंधं पावयणं जाव अब्भुठेमि, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह, तते णं से अज्जुणते मालागारे उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवकमति 2 सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति जाव अणगारे जाते जाव विहरति 11 / तते णं से अज्जुणते अणगारे जं चेव दिवसं मुंडे जाव पव्वइते तं चेव दिवसं समणं भगवं महावीरं वंदति 2 इमं एयारूवं अभिग्गहं उग्गिएहति-कप्पइ मे जावजीवाते छठंछठेणं अनिक्खत्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावमाणस्स विहरित्तएत्तिकंटु, अयमेयारूवं अभिग्गहं योगेगहति 2 जावजीवाए जाव विहरति, तले णं से अज्जुणते अणगारे छट्ठक्खमणपारणयंसि पढमपोरिसीए सज्झायं करेति जहा गोंयमसामी जाव अडति, तते णं तं अज्जुणयं अणगारं रायगिहे नगरे उच्च जाव अडमाणं बहवे इत्थीयो य पुरिसा य डहरा य महला य जुवाणा य एवं वदासी-इमेणं मे पितामारते इमे श मे मातामारिते भायामारते भगिणीमारते भजामारते पुत्तमारते धूयामारते सुराहामारते, इमेण मे अन्नतरे सयणसंबंधिपरियणे मारिएतिकट्टु अप्पेगतिया अकोसंति अप्पेगतिया हीलंति निदंति खिसंति गरिहंति तज्जेंति तालेति 12 / तते णं से अज्जुणते अणगारे तेहिं बहूहिं इत्थीहि य पुरिसेहि य डहरेहि य महल्लेहि य जुवाणएहि य ातो(को)सेन्जमाणे जाव तालेजमाणे तेसिं मणसावि अपउस्समाणे सम्मं सहति सम्मं खमति तितिक्खति अहियासेति सम्म सहमाणे खममाणे Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृदशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 6 ] [ 331 तितिक्खमाणे अहियासेमाणे रायगिहे णगरे उच्चणीयमज्झिमकुलाई अडमाणे जति भतं लहति तो पाणं ण लभति, जइ पाणं लभति तो भत्तं न लभति, तते णं से अजुणते अदीणे अविमणे अकलुसे अणाइले अविसादी अपरितंतजोगी अडति 2 रायगिहातो नगरातो पडिनिक्खमति 2 जेणेव गुणसिलए चेतिते जेणेव समणे भगवं महावीरे जहा गोयमसामी जाव पडिदंसेति 2 समणेणं भगवया महावीरेणं अभणुराणाते अमुच्छिते 4 बिलमिव पराणगभूतेणं अप्पाणेणं तमाहारं श्राहारेति, तते णं समणे भगवं महावीरे .. अन्नदा रायगिहातो नगरातो पडिनिक्खमति 2 वहिं जणवयविहार विहरति, तते णं से अज्जुणते अणगारे तेणं अोरालेणं पयत्तेणं पग्गहिएगां महाणुभागेणं तबोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे बहुपुराणे छम्मासे सामराणपरियागं पाउणति, श्रद्धमासियाए संलेहणाए अप्पाणं झसेति तीसं भत्ताहं असणाते छेदेति 2 जस्सट्टाते कीरति जाव सिद्धे 3, 13 // सू० 13 // ते णं काले णं 2 रायगिहे नगरे गुणसिलए चेतिते तत्थ णं सेणिए राया कासवे णामं गाहावती परिवसति जहा मंकाती, सोलस वासा परियायो विपुले सिद्धे 4 / एवं खेमतेऽवि गाहावती, नवरं काकंदी नगरी सोलस परितायो विपुले पव्वए सिद्धे 5 / एवं धितिहरेवि गाहावती नवरं काकंदीए नगरीए सोलस वासा परियायो जाव विपुले सिद्धे 6 / एवं केलासेवि गाहावती नवरं सागेए नगरे बारस वासाइं परियायो विपुले सिद्धे 7 / एवं हरिचंदणेवि गाहावती साएए बारस वासा परियायो विपुले सिद्धे / एवं बारत्ततेवि गाहावती नवरं रायगिहे नगरे बारस वासा परियायो विपुले सिद्धे 1 / एवं सुदंसणेवि गाहावती नवरं वाणियगामे नयरे दूतिपलासते चेइते पंच वासा परियायो विपुले सिद्धे 10 / एवं पुन्नभद्दे वि गाहावती वाणियगामे नगरे पंच वासा विपुले सिद्धे 11 / एवं सुमणभद्दे वि सावत्थीए नगरीए बहुवासपरियाए विपुले सिद्धे 12 / एवं Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 340 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभागः सुपइ?वि गाहावती सावत्थीए नगरीए सत्तावीसं वासा परियायो विपुले सिद्धे 13 / मेहे रायगिहे नगरे बहूई वासातिं परितायो विपुले सिद्धे 14 // सू० 14 // ते णं काले णं 2 पोलासपुरे नगरे सिरिवणे उजाणे, तत्थ णं पोलासपुरे नगरे विजये नामं राया होत्था, तस्स णं विजयस्स रन्नो सिरी नामं देवी होत्था वन्नतो, तस्स णं विजयस्स रनो पुत्ते सिरीए देवीते अत्तते अतिमुत्ते नामं कुमारे होत्था सूमाले (सुकुमाले जाव सुरूवे), ते णं काले णं 2 समणे भगवं महावीरे जाव सिविणे विहरति 2 / ते णं काले णं 2 समणस्स भगवयो महावीरस्स जे? अंतेवासी इंदभूती जहा पनत्तीए जाव पोलासपुरे नगरे उच्च जाव अडइ, इमं च णं अइमुत्ते कुमारे राहाते जाव विभूसिते बहूहिं दारएहि य दारियाहि य डिभएहि य डिभियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धिं संपरितुडे सतो गिहातो पडिनिक्खमति 2 जेणेव इंदट्ठाणे तेणेव उवागते तेहिं बहूहिं दारएहि य 6 संपरिखुडे अभिरममाणे 2 विहरति, तते णं भगवं गोयमे पोलासपुरे नगरे उच्चनीय जाव अडमाणे इंदट्ठाणस्स अदूरसामंतेणं वीतीवयति 3 / तते णं से अइमुते कुमारे भगवं गोयमं अदूरसामतेणं वीतीवयमाणं पासति 2 जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागते 2 भगवं गोयमं एवं वदासी-के णं भंते ! तुब्भे ? किं वा अडह ?, तते णं भगवं गोयमे प्राइमुत्तं कुमारं एवं वयासी-अम्हे णं देवाणुप्पिया ! समणा णिग्गंथा ईरियासमिया जाव बंभयारी, उचनीय जाव अडामो, तते णं अतिमुत्ते कुमारे भगवं गोयम एवं वयासी-एह णं भंते ! तुब्भे जा णं अहं तुभं भिक्खं दवावेमीतिकट्टु भगवं गोयम अंगुलीए गेराहति 2 जेणेव सते गिहे तेणेव उवागते तते णं सा सिरीदेवी भगवं गोयमं एजमाणां पासति पासेत्ता हट्टतुट्टा भासणातो अब्भुट्ठति 2 जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागया भगवं गोयमं तिक्खुत्तो श्रायाहिणपयाहियां वंदति 2 विउलेगां असण-पाणखाइमसाइमेणां पडिलाभेइ Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 341 श्रीमदन्तकृदशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 6 ] 2, पडिविसज्जेति 4 / तते गां से अतिमुत्ते कुमारे भगवं गोयमं एवं वयासी-कहि गा भंते ! तुब्भे परिवसह ?, तते गां भगवं गोयमं अइमुत्तं कुमारं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम धम्मायरिए धम्मोवतेसते धम्मनेतारे भगवं महावीरे आदिकरे जाव संपाविउकामे इहेव पोलासपुरस्स नगरस्स बहिया सिविणे उजाणे ग्रहापडिरूवं उग्गहं उग्गिराहइ 2 संजमेणां जाव भावेमाणे विहरति, तत्थ णं अम्हे परिखसामो, तते णं से अइमुत्ते कुमारे भगवं गोयमं एवं वयासी-ग(इ)च्छामि णं भंते ! अहं तुम्भेहिं सद्धिं समगां भगवं महावीरं पायवंदते, अहासुह, तते णं से अतिमुत्ते कुमारे भगवं गोतमेगां सद्धिं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समगां भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहियां करेति 2 वंदति जाव पज्जुवासति, तते णं भगवं गोयमे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागते जाव पडिदंसेति 2 संजमेण तवसा य अप्पाणां भावमाणे विहरति, तते णं समणे 3 अतिमुत्तस्स कुमारस्स तीसे य धम्मकहा, तते णं से अतिमुत्ते समणस्स भगवयो महावीररस्स अंतीए धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुट्टे, जं नवरं देवाणुप्पिया ! अम्मापियरो श्रापुच्छामि, तते णं अहं देवाणुप्पिया ! अंतिए जाव पव्वयामि, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंधं करेह, 5 / तते णं से अतिमुत्ते जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागते जाव पव्वतित्तए, अतिमुत्तं कुमारं अम्मापितरो एवं वयासी--बालेसि ताव तुम पुत्ता / असंबुद्धेसि०, किनं तुमं जाणसि धम्मं ?, तते गां से अतिमुत्ते कुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-एवं खलु अम्मयातो ! जं चेव जाणामि तं चेव न याणामि, जं चेव न याणामि तं चेव जाणामि, तते गां तं अइमुत्तं कुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-कहं णं तुम पुत्ता ! जं चेव जाणसि जाव तं चेव जाणसि ?, तते णं से अतिमुत्ते कुमारे अम्मापितरो एवं वयासीजाणामि अहं अम्मतातो ! जहा जाएणं अवस्स मरियव्वं, न जाणामि अहं .11 Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 342 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः अम्मतातो ! काहे वा कहिं वा कहं वा केचिरेण वा ?, न जाणामि अम्मयातो! केहिं कम्माय(व)यणेहिं जीवा नेरइयतिरिवखजोणिमणुस्सदेवेसु उववज्जंति, जाणामि णं अम्मयातो ! जहा सतेहि कम्मायाणेहिं जीवा नेरइय जाव उववज्जंति, एवं खलु अहं अम्मतातो ! जं चेव जाणामि तं चेव न याणामि, जं चेव न याणामितं चेव जाणामि, तते णं इच्छामि णं अम्मतातो ! तुम्भेहिं अब्भणुराणाते जाव पव्वइत्तते, तते णं तं अइमुत्तं कुमारं अम्मापियरो जाहे नो संचाएंति बहूहिं श्राघवणाहिं 4 जाव क्यासी-तं इच्छामो ते जाता ! एगदिवसमवि रायसिरिं पासेत्तते 6 / तते णं से अतिमुत्ते कुमारे अम्मापिउवयण-मणुयत्तमाणे तुसिणीए संचिट्ठति, अभिसेयो जहा महाबलस्स, निक्खमणं जाव सामाइयमाइयाई अहिजति, बहूइं वासाइं सामराणपरियागं गुणरयणं जाव विपुले सिद्धे 15, 7 / ते णं काले णं 2 वाणारसीए नयरीए काममहावणे चेतिते, तत्थ णं वाणारसीइ अलक्खे णामं राया होत्था, ते णं काले णं 2 समणे जाव विहरति, परिसा निग्गया, तते णं अलक्खे राया इमीसे कहाते लठे हट्ट जहा कूणिए जाव पज्जुवासति, धम्मकहा, तते गां से अलक्खे राया समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जहा उदायणे तहा णिक्खंते णवरं जेट्टपुत्तं रज्जे अहिसिंचति, एकारस अंगा, बहू वासा परियायो जाब विपुले सिद्धे 16 / एवं जंबू ! समणेगां जाव छट्टस्स वग्गस्स अयमढे पन्नते // सू० 15 // छट्ठो वग्गो समत्तों 6 // // 7 // अथ सप्तमो वर्गः // जति गां भंते ! सत्तमस्स वग्गस्स उक्खेवश्रो जाव तेरस अज्झयणा पराणत्ता-नंदा 1 तह नंदमती 2 नंदोत्तर 3 नंदसेणिया 4 चेव / महया 5 सुमरुत 6 महमरुय 7 मरुद्द वा 8 य अट्रमा // 1 // भद्दा 1 य सुभद्दा 10 य, सुजाता 11 सुमणातिया 12 / भूयदित्ता 13 य बोद्धव्वा, सेणियभजाण नामई // 2 // जइ णं भंते ! तेरस अज्झयणा पनत्ता, पढमस्स Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकद्दशाङ्ग-सूत्रम् वर्गः 8 ] [ 343 गां भंते ! अज्झयणस्स समणेणां जाव संपत्तेगां के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! ते गां काले गां 2 रायगिहे नगरे गुणसिलते चेतिते सेणिते राया वन्नतो, तस्स गां सेणियस्स रराणो नंदा नाम देवी होत्था वनयो, सामी समोसढे परिसा निग्गता, तते गां सा नंदादेवी इमीसे कहाते लट्ठा कोडुबियपुरिसे सद्दावेति 2 जागां जहा पउमावती जाव एकारस अंगाई अहिजित्ता वीसं वासाई परियातो जाव सिद्धा। एवं तेरसवि देवीयो णंदागमेण णेयव्वातो // सू० 16 // सप्तमो वग्गो समत्तो-७ // // 8 // अथ अष्टमो वर्गः // जति णं भंते ! अट्ठमस्स वग्गस्स उक्खेवश्रो जाव दस अज्झयणा पराणत्ता, तं जहा-काली 1 सुकाली 2 महाकाली 3 कराहा 4 सुकराहा 5 महाकराहा 6 / वीरकराहा 7 य बोद्धव्वा रामकराहा 8 तहेव य // 1 // पिउसेणकराहा 1 नवमी दसमी महासेणकराहा 10 य // 1 / जति णं भंते ! अट्ठमस्त वग्गस्स दस अज्झयणा, पढमस्स अज्झयणस्स के पट्टे पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं 2 चंपा नाम नगरी होत्था, पुनभद्दे चेतिते, तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिए राया वराणतो, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्त रनो भजा कोणियस्स रराणो चुल्लमाउया काली 'नामदेवी होत्था, वराणतो, जहा नंदा जाव सामातियमातियातिं एकारस अंगाई अहिज्जति, बहूहिं चउत्थ-छट्टट्ठम-दसमदुवालसेहिं जाव अप्पाणं भावमाणी विहरति, तते णं सा काली अराणया कदाइ जेणेव अजचंदणा अजा तेणेव उवागच्छति 2 एवं वयासी-इच्छामि णं अजायो ! तुब्भेहिं अब्भणुराणाता समाणा रयणावलिं तवं उपसंपज्जेत्ताणं विहरेत्तते, अहासुह, देवाणुप्पिया, 2 / तते णं सा काली अजा अजचंदणाए अब्भणुराणाया समाणा रयणावलि उवसंपजित्ताणं विहरति, तंजहा-चउत्थं करेति चउत्थं करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेति, सर्वकामगुणियं पारेत्ता छ8 करेति 2 Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 344 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः सबकामगुणियं पारेति 2 अट्ठमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 'ट्ठ छटाई करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 चउत्थं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 छ8 करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 अट्ठमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 दसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 दुवालसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 चोदसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 सोलसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारति 2 अट्ठारसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 वीसइम करैति / सवकामगुणियं पारेति 2 बावीसइमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 चवीसइमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 छब्बीसइमं करेति 2 सबकामगुणियं पारेति 2 अट्ठावीसइमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 तीसइमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 बत्तीसइमं करेति। 2 सव्यकामगुणियं पारेति 2 चोत्तीसइमं करेति 2. सव्वकामगुंणिय पारेति 2 चोत्तीसं छट्ठाई करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 चोत्तीसं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 बत्तीसं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 तीसं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 अट्ठावीसं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 छब्बीसं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 * चउवीसं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 बावीसं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 वीसं करेति 2 सञ्बकामगुणियं पारेति 2 अंटारसं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 सोलसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 चोदसमं करेति 2 सबकागुणियं पारैति 2 बारसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 दसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 अट्ठमं करेति 2 सबकामगुणियं पारेति 2 छ8 करेति 2 सव्वकामगुणियं पारैति 2 चउत्थं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 अट्ठ छट्ठाई करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 अट्ठमं करेति 2 सव्वकामगुणिय पारेति 2 Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् :: वर्गः 8 ] [345 छ8 करेति 2 सब्बकामगुणियं पारेति 2 चउत्थं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति, एवं खलु एसा रयणावलीए तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी एगेणं संवच्छरेणं तिहिं मासेहिं बावीसाए / य अहोरत्तेहिं श्रहासुत्ता जाव धाराहिया भवति, तदाणंतरं च णं दोचाए परिवाडीए चउत्थं करेति विगतिवज्जं पारेति 2 'छट्ट करेति 2 विगतिवज्जं पारेति एवं जहा पढमाएवि नवरं सव्वपारणते विगतिवज्जं पारेति जाव पाराहिया भवति, तयाणंतरं च णं तचाए 'परिवाडीए चउत्थं करेति चउत्थं करेत्ता अलेवाडं पारेति सेसं तहेव, एवं उत्था परिवाडी नवरं सव्वपारणते थायंबिलं पारेति सेसं तं चेव,-पढमंमि सव्वकामं पारणयं बितियते विगतिवज्ज। ततियंमि अलेवाडं श्रायंबिलमो चउत्थंमि // 1 // तते णं सा काली अजा रयणावलीतवोकम्मं पंचहिं संवच्छरेहिं दोहि य मासेहिं श्रट्ठावीसीए य दिवसेहिं ग्रहासुत्तं जाव बाराहेत्ता जेणेव अजचंदणा अजा तेणेव उवागच्छति 2 श्रजचंदणं अज्ज वंदति णमंसति 2 बहूहिं चउत्थ जाव अप्पाणं भावमाणी विहरति 3 / तते णं सा काली अजा तेणं योरालेणं जाव धमणिसंतया जाया यावि होत्था, से जहा इंगाल सगडिगाइ जाव सुहुयहुयासणे इव भासरासिपलिब्छण्णा तवेणं तेएणं तवतेयसिरीए अतीव .2 उवसोभेमाणी 2 चिट्ठति, तते णं तीसे कालीए अजाए अन्नदा कदाइ पुञ्चरत्तावरत्तकाले अयं अभत्थिते ४-जहा खंदयस्स चिंता जहा जाव अस्थि उट्ठाणे, कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे, ताव ताव मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीप जाव तेयसा जलते सूरे अजचंदणं अज्ज आपु. च्छित्ता अजचंदणाए अजाए अब्भणुनायाए समाणीए संलेहणाभूसणा भूसिया भत्तपाणपडियाइक्खिया पश्रोवगया कालं अणवकंखमाणे विहरेत्तएत्तिकटटु एवं संपेहेति 2 कल्लं जेणेव अजचंदणा अजा तेणेव उवागच्छति 2 अजचंदणं वंदति णमंसति 2 एवं वयासी-इच्छामि णं Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 346 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः अजो ! तुम्भेहिं अन्भणुगणाता समाणी संलेहणाभूसणा-झूसिया जाव विहरेत्तते, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! 4 / तए णं काली अजा अजचंदणाते अब्भणुराणाता समाणी संलेहणाभूसिया जाव विहरति, तए णं सा काली अजा अजचंदणाए अंतिते सामाइयभाइयाई एक्कारस अंगाई अहिजित्ता (जति 2) बहुपडिपुन्नाइं अट्ठ संवच्छराइं सामरणपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता सहिँ भत्तातिं अणसणाते छेदेत्ता जस्सट्ठाए कीरति जाव चरिमुस्सासनीसासेहिं सिद्धा 5, 5 // सू० 17 // णिक्खेवो पढम अन्झयणं // ते णं काले णं 2 चंपा नाम नगरी पुन्नभद्दे चेतिते कोणिए राया, तत्थ णं सेणियस्स रनो भजा कोणियस्स रगणो चुल्लमाउया सुकालीनाम देवी होत्था, जहा काली तहा सुकालीवि णिक्खंता जाव बहूहिं चउत्थ जाव भावेमाणी विहरति, तते णं सा सुकाली अजा अन्नया कयाइ जेणेव अजचंदणा अजा जाव इच्छामि णं अजो ! तुमेहिं अब्भणुनाता समाणी कणगावलीतवोकम्मं उपसंपजित्ताणं विहरेत्तते, एवं जहा रयणावली तहा कणगावलीवि, नवरं तिसु ठाणेसु अट्ठमाई करेति जहा रयणावलीए छट्ठाई एकाए परिवाडीए संवच्छरो पंच मासा बारस य ग्रहोरत्ता चउराहं पंच वरिसा नव मासा अट्ठारस दिवसा सेसं तहेव, नव वासा परियातो जाव सिद्धा // सू० 18 // एवं महाकालीवि, नवरं खुड्डागं सीहनिकीलियं तवोकम्म उवसंपजित्ताणं विहरति, तं जहाचउत्थं करेति 2 सबकामगुणियं पारेति पारेत्ता छ8 करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 चउत्थं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 अट्टम करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 छ8 करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 दसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 अट्ठमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 दुवालसं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 दसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 चोदसं करेति 2 सव्वकामगुणियं Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 8 ] [ 347 पारेति 2 बारसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 सोलसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 चोदसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 अट्ठारसं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 सोलसमं करेति 2 सबकामगुणियं पारेति 2 वीसइमं करेति 2 सधकामगुणियं पारेति 2 अट्ठारसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 वीसइमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 सोलसमं करेतिर सव्वकामगुणियं पारेतिर अट्ठारसमं करेतिर सव्वकमागुणियं पारेति 2 चोदसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 सोलसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 बारसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 चोदसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 दसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 बारसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 अट्ठमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 दसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 छ8 करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 अट्ठमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 चउत्थं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 छ8 करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 चउत्थं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2, तहेव चत्तारि परिवाडीयो, एकाए परिवाडीए छम्मासा सत्त य दिवसा, चउराहं दो वरिसा अट्ठावीसा य दिवसा जाव सिद्धा // सू० 11 // एवं कराहावि नवरं महालयं सीहणिकीलियं तवोकम्मं जहेव खुड्डागं नवरं चोत्तीसइमं जाव णेयव्वं तहेव ऊसारेयव्वं, एकाए वरिसं छम्मासा अट्ठारस य दिवसा, चउराहं छव्वरिसा दो मासा बारस य अहोरत्ता, सेसं जहा कालीए जाव सिद्धा॥ सू० 20 // एवं सुकराहावि णवरं सत्तसत्तमियं भिक्खुपडिमें उवसंपजित्ताणं विहरति, पढमे सत्तए एक्केक्कं भोयणस्त दत्तिं पडिगाहेति एक्केक्कं पाणयस्स, दोच्चे सत्तए दो दो भोयणस्स दो दो पाणयस्स पडिगाहेति, तच्चे सत्तते तिन्नि भोयणस्स तिन्नि पाणयस्स, चउत्थे पंचमे छ? सत्तमे सत्तते सत्त दत्तीतो Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 348 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :चतुर्थो विभागः भोयणस्स पडिग्गाहेत्ति सत्त पाणयस्प्ल, एवं खलु एवं सत्तसत्तमियं भिक्खुपडिमं एगणपन्नाते रातिदिएहिं एगेण य छन्नउएणं भिक्खासतेणं ग्रहासुत्तं जाव याराहेत्ता जेणेव अज चंदणा अजा तेणेव उवागया अजचंदणं अज्ज वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-इच्छामि णं अजातो! तुम्भेहिं अब्भणुराणाता समाणी अट्ठमियं भिक्खुपडिमं उपसंपजित्ताणं विहरेत्तते, अहासुहं देवाणुपिया ! 1 / तते णं सा सुकराहा अजा अजचंदणाए अभणुराणाया समाणी पट्टमियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति, पढमे अट्ठए एक्के भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेति एक्केक्कं पाणगस्स जाव अट्ठमे अट्ठए अट्टल भोयणस्स पडिगाहेति अट्ठ पाणगस्स, एवं खलु एयं अट्टमियं भिक्खुपडिमं चउसट्टीए रातिदिएहिं दोहि य अट्टासीतेहिं भिक्खासतेहिं ग्रहा जाव नवनवमियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरति, पढमे नवए एक्केवक भोयणस्म दत्तिं पडिगाहेति एक्कक्कं पाणयस्स जाव नवमे नवए नव नव दत्तियो भोयणस्स पडिगाहेति नव 2 पाणयस्स, एवं खलु नवनवमियं भिक्खुपडिमं एकासीतीराईदिएहिं चरहिं पंचोत्तरेहि भिक्खासतेहिं ग्रहासुत्तं जाव अराहेत्ता, दसदसमियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति, पढमे दसते एक्केक्कं भोयणस्स पडिगाहेति एक्केकं पाणयस्स जाव दसमे दसए दस 2 भोयणस्स दत्ती पडिग्गाहेति दस 2 पाणस्स, एवं खलु एयं दसदसमियं भिक्खुपडिमं एक्केणं राइदियसतेणं यद्धछ?हिं भिक्खासतेहिं अहासुत्तं जाव बाराहेति 2 बहूहिं चउत्थ जाव मासद्धमास-विविहतवोकम्मेहिं अप्पाणं भावमाणी विहरति, तए णं सा सुकराहा अजा तेणं योरालेणं जाव सिद्धा, निक्खेवो अज्झयणा 2 // सू० 21 // एवं महाकराहावि णवरं खुड्डागं सव्वयोभद्द पडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति, चउत्थं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति सव्वकामगुणियं पारेत्ता छ8 करेति छ8 करेत्ता सव्व० 2 अट्ठमं करेति 2 सव्व० 2 दसमं Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 8 ] [ 346 करेति 2 सव्व० 2 दुवालसमं करेति 2 सव्व० 2 अट्ठमं करेति 2 सव्व० 2 दसमं करेति 2 सब्ब० 2 दुवालसमं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सम्ब० 2 छ8 करेति 2 सम्ब० 2 दुवालसं करेति 2 सब्ब० 2 चउत्थं करेति 2. सब्ब० 2 छटुं करेति 2 सव० 2 अट्ठमं करेति 2 सव्व० 2 दसमं करेति 2 सब० 2 छ8 करेति 2 सम्ब०२अट्ठमं करेति 2 सव्व० 2 दसमं करेति 2 सव्व० 2 दुवालसमं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 दसमं करेति 2 सव. 2 दुवालममं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 छटुं करेति 2 सव्व० 2 अट्ठमं करेति 2 सव्व० 2, एवं खलु एवं खुड्डागसव्वतोभहस्स तवोकम्मस्स पढमं परिवाडि तिहिं मासेहिं दसहिं दिवसेहिं श्रहासुत्तं जाव बाराहेता दोचाए परिवाडीए चउत्थं करेति 2 विगतिवज्जं पारेति 2 जहा रयणावलीए तहा एत्थवि चत्तारि परिवाडीतो पारणा तहेव, चउराहं कालो संवच्छरो मासो दस य दिवसा सेसं तहेव जाव सिद्धा, निक्लेवो अज्झयणं / सू० 22 // एवं वीरकराहावि नवरं महालयं सव्वतोभद्द तबोकम्मं उपसंपजित्ताणं विहरति, तं जहा-चउत्थं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 छ8 करेति 2 सयकामगुणियं पारेति 2 अट्ठमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 दसमं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 दुवालसमं करेति 2 सव्व० 2 चोदसमं करेति 2 सव्व० 2 सोलसमं करेति 2 (एका लया-१), सव्व० 2 दसमं करेति 2 सव्व० 2 दुवालसमं करेति 2 सव्व० 2 चउदसमं करेति 2 सव्व० 2 सोलसमं करेति 2 सब. 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 छ8 करेति 2 सव. 2 अट्टमं करेति 2 (बीया लया 2), सव्व० 2 सोलसमं करेति 2 सव. 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 छटुं करेति 2 सव्व 2 अट्ठमं करेति 2 सव्व० 2 दसमं करेति 2 सव्व० 2 दुवालसमं करेति 2 सब० 2 चोदसमं करेति 2 (तईया लया-३), सब२ अट्ठमं करेति 2 सव्व० 2 दसमं . 52 Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 350 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा करेइ 2 सव्व० 2 दुवालसमं करेति 2 सव. 2 चोदसमं करेति 2 सव्व० 2 सोलसमं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 छटुं करेति 2 (चउत्थी लया) सव्व० 2 चोदसमं (दसमं) करेति 2 सब० 2 सोलसमं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सब्ब० 2 छ8 करेति 2 सब. 2 अटुमं करेति 2 सव्व० 2 दसमं करेति 2 सम्ब० 2 दुवालसमं करेति 2 (पंचमी लया-५), सव्व० 2 छटुं करेति 2 सब्ब० 2 अट्टमं करेति 2 सव्व० 2 दसमं करेति 2 सव्व० 2 दुवालसमं करेति 2 सब्ब० 2 चोदसमं करेति 2 सव्व० 2 सोलसमं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 (छट्ठी लया-६), सव्व० 2 दुवालसमं करेति 2 सव्व० 2 चोदसमं करेति 2 सव्व० 2 सोलसमं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सव. 2 छ8 करेति 2 सव्व. 2 अट्ठमं करेति 2 सव्व० 2 दसमं करेति 2 (सत्तमी लया-७), एक्केकाए लयाए अट्ठ मासा पंच य दिवसा चउराहं दो वासा अट्ठ मासा वीसं दिवसा सेसं तहेव जाव सिद्धा॥ सू० 23 // एवं रामकराहावि नवरं भदोत्तरपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति, तंजहा-दुवालसमं करेति 2 सबकामगुणियं पारेति 2 चोदसमं करेति 2 सब्ब० 2 अट्ठारसमं करेति 2 सव्व. 2 वीसइमं करेति 2 सव. 2 सोलसमं करेति 2 सब्ब० 2 अट्ठारसमं करेति 2 सम्ब०२ वीसइमं करेति 2 सव्व० 2 दुवालसमं करेति 2 सव्व० 2 चोदसमं करेति 2 सव्व० 2 वीसतिमं करेति 2 सव्व० 2 दुवालसमं करेति 2 सव्व० 2 चोइसमं करेति 2 सव्व० 2 सोलसमं करेति 2 सव्व० 2 अट्ठारसं करेति 2 सव्व० 2 चोदसमं करेति 2 सव्व० 2 सोलसमं करेति 2 सव्व० 2 अट्ठारसमं करेति 2 सव्व० 2 वीसइमं करेति 2 सब्ब० 2 दुवालसमं करेति 2 सव्व. 2 अट्ठारसमं करेति 2 सब० 2 वीसतिमं करेति 2 सव्व० 2 दुवालसमं करेति 2 सव्व० 2. चोहसमं करेति 2 सब्ब० 2 सोलसमं करेति, एकाये Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रम् / वर्ग] [ 351 कालो छम्मासा वीस य दिवसा, चउराहं कालो दो वरिसा दो मासा वीस य दिवसा, सेसं तहेव जहा काली जाव सिद्धा // सू० 24 // एवं पितुसेणकराहावि नवरं मुत्तावलीतवोकम्मं उवसंपजित्ताणं विहरति, तंजहाचउत्थं करेति 2 सव्वकामगुणियं पारेति 2 छटुं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सब्ब० 2 अट्ठमं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सब्ब० 2 दसमं करेति 2 सब० 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 दुवालसमं करेति 2 सव्व. 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 चोदसमं करेति 2 सव. 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 सोलसमं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सव्व. 2 अट्ठारसं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 वीसतिमं करेति 2 सव्व. 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 बावीसइमं करेति 2 सव्व० 2 चवीसतिमं करेति 2 सव. 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 छब्बीसइमं करेति 2 सब. 2 चउत्थं करेति 2 सब्ब० 2 अट्ठावीसं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 तीसइमं करेति 2 सव्व० 2 चउत्थं करेति 2 सव्व० 2 बत्तीसइमं करेति 2 सब. 2 चउत्थं करेति 2 सव्व. 2 चोत्तीसइमं करेति, एवं तहेव श्रोसारेति जाव चउत्थं करेति चउत्थं करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेति, एकाए कालो एकारस मासा पनरस य दिवसा चउराहं तिरिण परिसा दस य मासा सेसं जाव सिद्धा // सू० 25 // एवं महासेणकराहावि, नवरं आयंबिलवड्डमाणं तवोकम्मं उवसंपजित्ताणं विहरति, तंजहा-बायंबिलं करेति 2 चउत्थं करेति 2 बे आयंबिलाइं करेति 2 चउत्थं करेति 2 तिनि श्रायंबिलाई करेति 2 चउत्थं करेति 2 चत्तारि आयंबिलाई करेति 2 चउत्थं करेति 2 पंच श्रायंबिलाई करेति 2 चउत्थं करेति 2 छ आयंबिलाई करेति 2 चउत्थं करेति 2 एवं एकोत्तरियाए वड्डीए आयंबिलाई वड्ढति चउत्थंतरियाई जाव श्रायंबिलसयं करेति 2 चउत्थं करेति, तते णं सा महासेणकराहा Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 352 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभाग अजा आयंबिलवड्डमाणं तवोकम्मं चोदसहिं वासेहिं तिहि य मासेहिं वीसहि य ग्रहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव सम्मं कारणं फासेति जाव बाराहेत्ता जेणेव अजचंदणा अजा तेणेव उवागच्छति वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता बहूहिं चउत्थेहिं जाव भावेमाणी विहरति, तते णं सा महासेणकराहा अजा तेणं अोरालेणं जाव उवसोभेमाणी चिट्ठइ, तए णं तीसे महसेणकराहाए अजाए अनया कयाति पुवरत्तावरत्तकाले चिंता जहा खंदयस्स जाव अजचंदणं पुच्छइ जाव संलेहणा, कालं अणवकंखमाणी विहरति, तते णं सा महसेणकराहा अजा अजचंदणाए अजाए अंतिए सामाझ्याति एकारस अंगाई अहिजित्ता बहुपडिपुन्नातिं सत्तरस वासातिं परियायं पालइत्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसेत्ता सढि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता जस्सट्टाए कीरइ जाव तमटुं श्राराहेति चरिमउस्सासणीसासेहिं सिद्धा बुद्धा / अट्ट य वासा बादी एकोत्तरियाए जाव सत्तरस। एसो खलु परितारो सेणियभजाण णायव्वो // 1 // एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवता महावीरेणं श्रादिगरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अयमट्ठ पत्नत्ते ति बेमि। अट्टमो वग्गो समत्तो 8 // अट्ठमं अंगं समत्तं // सू० 26 // अंतगडदसाणं अंगस्स एगो सुयखंधो अट्ठ वग्गा गट्ठसु चेव दिवसेसु उद्दिसिज्जंति, तत्थ पढमवितियवग्गे दस 2 उद्दे सगा, तईयवग्गे तेरस उद्दसगा, चउत्थपंचमवग्गे दस 2 उद्देसया, छट्टवग्गे सोलस उद्दे सगा, सत्तमवग्गे तेरस उद्देसगा, अट्ठमवग्गे दस उद्देसगा, सेसं जहा नायाधम्मकहाणं // सू० 27 // ___ // इति श्रीअन्तकृद्दशाङ्ग-सूत्रं समाप्तम् / (ग्रन्था 790) -:: Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // . पञ्चमगणभृत्श्रीमत्सुधर्मस्वामि-प्रणीतं // श्रीमदनुत्तरोपपातिकदशांग-सूत्रम् // - // 1 // अथ प्रथमो वर्गः // ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे नगरे अजसुहम्मस्स समोसरणं परिसा णिग्गया जाव जंबू पज्जुवासति, 2 एवं वयासी-जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं श्रयम? पराणत्ते, नवमस्स णं भंते ! अंगस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पराणत्ते ? ते णं काले णं ते णं समए णं से सुधम्मे अणगारे जंबु श्रणगारं एवं वयासी-एवं खलु जम्बू ! समणेगां जाव संपत्तेणं नवमस्स अंगस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं तिरिण वग्गा पन्नत्ता 1 / जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं नवमस्स अंगस्स अणुत्तरोक्वाइयदसाणं ततो वग्गा पन्नता, पढमस्स णं भंते ! वग्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अझयणा पत्नत्ता ?, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पराणत्ता, तंजहा-जाली 1 मयालि 2 उवयाली 3 पुरिससेणे 4 य वारिसेणे 5 य दीहदंते 6 य लट्ठदंते 7 य वेहल्ले 8 वेहासे (विहायसे) 1 अभये 10 ति य कुमारे // 2 / जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पराणत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्त अणुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 354 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः जाय संपत्तेणं के पट्टे पराणते ?, एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे णगरे रिद्धस्थिमियसमिद्धे गुणसिलए चेतिते, सेणिए राया धारिणीदेवी सीहो सुमिणे, जालीकुमारो जहा मेहो अट्टयो दायो जाव उप्पिं पासातवरगते फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं भोगभोगाई मुंजमाणे विहरति, सामी समोसढे, सेणियो णिग्गयो, जहा मेहो तहा जालीवि णिग्गतो, तहेव णिक्खंतो जहा मेहो, एकारस अंगाई अहिजति, गुणरयणं तवोकम्मं, एवं जा चेव खंदगवत्तव्वया सा चेव चिंतणा श्रापुच्छणा, थेरेहि सद्धिं विपुलं तहेव दुरूहति, नवरं सोलस वासाइं सामनपरियागं पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उ8 चंदिम० सोहम्मीसाण जाव धारणञ्चुए कप्पे नव य गेवेज्जे विमाणपत्थडे उद दूरं वीतीवतित्ता विजयविमाणे देवत्ताए उबवराणे 3 / तते णं ते थेरां भगवं जालिं अणगारं कालगयं जाणेत्ता परिनियाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति 2 पत्तचीवराई गेगहंति तहेव श्रोयरंति जाव इमे से अायारभंडए, भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी जालीनामं अणगारे पगतिभदए से णं जाली अणगारे कालगते कहि गते ? कहिं उववन्ने ? एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी तहेव जघा खंदयस्स जाव कालगयस्स उड्ड' चंदिम जाव विजए विमाणे देवत्ताए उववरणे 4 / जालिस्त णं भंते ! देवस्स केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! बत्तीसं सागरोवमाई ठिती पराणत्ता 5 / से णं भंते ! तायो देवलोयायो घाउक्खएणं 3 कहिं गच्छिहिति 2 ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति, ता एवं जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमवग्गस्स पढमज्झयणस्स अयम? पण्णत्ते 6 / एवं सेसाणवि अट्ठाहं भाणियव्वं, नवरं सत्त धारिणिसुया वेहल्लवेहासा चेल्लणाए, अभए णंदाते. पाइलाणं पंचराहं सोलस वासाति सामन्नपरियातो, तिराहं बारस वासाति, दोरहं पंच वासाति, श्राइलाणं Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुत्तरोपपातिकदशाङ्ग-सूत्रम् / / द्वितीय वर्गः ] [ 355 पंचराहं प्राणुपुब्बीए उववायो विजये वेजयंते जयंते अपराजिते सव्वसिद्धे, दीहदंते सव्वट्ठसिद्धे, उक्कमेणं सेसा, अभयो विजए, सेसं जहा पढमे 7 / अभयस्स णाणत्तं, रायगिहे नगरे सेणिए राया नंदा देवी माया सेसं तहेव, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स अयम? पन्नत्ते 8 // सूत्रं 1 // // 2 // अथ द्वितीयो वर्गः // जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स अयमठे पन्नत्ते, दोच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! समग जार संपत्ते दोबस्स वगरस अगुत्तरोक्वाइपदसणं तेरस अज्झयणा पन्नत्तो, तंजहा-दीहसेणे 1 महासेणे 2 लट्ठदंते य 3 गूढदंते य 4 सुद्धदंते 5 हल्ले 6 दुमे 7 दुमसेणे 8 महादुमसेणे य 1 वाहिते सीहे य 10 सीहसेणे य 11 महासीहसेणे य ाहिते 12 पुन्नसेणे य 13 बोद्धव्वे तेरसमे होति अज्झयणे 1 / जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं दोचस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा पत्नत्ता, दोचस्स भंते ! वग्गस्स पढमज्झयणस्स समणेणं 3 जाव संपत्तेणं के अठे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे णगरे गुणसिलते चेतिते सेणिए राया धारिणी देवी, सीहो सुमिणे जहा जाली तहा जम्म, बालत्तणं कलातो नवरं दीहसेणे कुमारे सच्चेव वत्तव्वया जहा जालिस्स जाव अंतं काहिति, एवं तेरसवि रायगिहे सेणियो पिता धारिणी माता, तेरसराहवि सोलसवासा परियातो, पाणुपुवीए विजए दोन्नि वेजयंते दोन्नि जयंते दोन्नि अपराजिते दोन्नि, सेसा महादुमसेणमाती पंच सव्वट्ठसिद्धे 2 / एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववा-. Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 356 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः इयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स अयमठे पन्नत्ते, मासियाए संलेहणाए दोसुवि वग्गेसु 3 // सूत्रं 2 // // 3 // अथ ततीयो वर्गः // जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं दोचस्स वग्गस्स अयमठे पन्नत्ते तच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स अणत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अठे पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! समणेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं तच्चस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-धराणे य सुणक्खत्ते, इसिदासे अ श्राहिते / पेल्लए रामपुत्ते य, चदिमा पिट्ठिमाइया // 1 // पेढालपुत्ते अणगारे, नवमे पुट्ठिले इ य / वेहल्ले दसमे वुत्ते, इमेते दस अाहिते // 2 // 1 / जति णं भंते ! समणेगां जाव संपत्तेणां अणुत्तरोववाइयदासगां तच्चस्त वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नत्ता, पढमस्स गां भंते ! अज्झयणस्स समणेणं जाव संपतेणं के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं 2 कागंदी णाम णगरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धा सहसंबवणे उजाणे सव्वोदुए जिसत्तू राया. तत्थ गां कागढीए नगरीप भदा णामं सत्थवाही परिवसइ अड्डा जाव अपरिभूया 2 / तीसे णं भदाए सत्थवाहीए पुत्ते धन्ने नामं दारए होत्था, यहीण जाव सुरूवे, पंचधातीपरिग्गहिते तं जहा-खीरघाती जहा महब्बले जाव बावत्तरि कलातो ग्रहीए जाव अलंभोगसमत्थे जाते यावि होत्था, तते णं सा भद्दा सत्थवाही धन्न दारयं उम्मुक्कबालभावं जाव भोगसमत्थं वावि जाणेत्ता (व वियाणित्ता) बत्तीसं पासायवडिंसते कारेति अभुग्गतमूसिते जाव तेसि मज्झे भवणं अणेगखंभसयसन्निविट्ठ जाव बत्तीसाए इब्भवरकन्नगाणं एगदिवसेणं पाणिं गेराहावेति 2 बत्तीसयो दायों जाव उप्पिं पासायवरगते फुटटेंतेहिं जाव विहरति 2 / ते णं काले णं 2 समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा निग्गया, राया जहा कोणितो तहा जियसत्तू णिग्गतो, तते णं तस्स Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुत्तरोपपातिकदाङ्ग-सूत्रम् // तृतीयो वर्गः] [ 357 धनस्स तं महता जहा जमाली तहा णिग्गतो नवरं पायचारेणं जाव जं नवरं अम्मयं भई सत्थवाहिं श्रापुच्छामि, तते णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिते जाव पव्वयामि जाव जहा जमाली तहा. श्रापुच्छइ, मुच्छिया वृत्तपडिवुत्तया जहा महब्बले जाव जाहे णो संचाएति जहा थावच्चापुत्तो जियसत्तुंबापुच्छति छत्तचामरातो सयमेव जियसत्तू णिक्खमणं करेति जहा थावचापुत्तस्स कराहो जाव पव्वतिते, तते णं से धन्ने अणगारे जाते, ईरियासमिते जाव गुत्तवंभयारी 3 / तते णं से धन्ने अणगारे जं चेव दिवसं मुंडे भवित्ता जाव पव्वतिते तं चेव दिवसं समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसति 2 एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भेणं अब्भणुराणाते समाणे जावजीवाए छटुंछ?णं अणिक्खित्तेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावमाणे विहरेत्तत्ते छट्ठस्सविय णं पारणयंसि कप्पति से आयंबिलं पडिग्गहित्तत्ते नों चेव. णं अणायंबिलं तंपि य संसटुंणो चेव णं असंसट्ठ तंपिय णं उन्मियधम्मियं नो चेव णं अणुझियधम्मियं तंपि य जं अन्ने बहवे समणमाहण-अतिहिकिवण-वणीमगा णावकखंति, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह, तते णं से धन्ने अणगारे समणेणं भगवता महावीरेण अब्भणुनाते समाणे हट्ट. जावजीवाए छटुंछ?णं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे. विहरति 4 / तते णं से धरणे अणगारे पढमछट्टक्खमण-पारणगंसि पढमाए पोरसीए सज्झायं करेति जहा गोतमसामी तहेव यापुच्छति जाव जेणेव कायंदी णगरी तेणेव उवागच्छति 2 कायंदीणगरीए उच्च जाव अडमाणे श्रायंबिलं जाव णावकखंति, तते णं से धन्ने अणगारे ताए अब्भुजताए पयययाए पयत्ताए पग्गहियाए एसणाए एसमाणे जति णं भत्तं लभति तो पाणं ण लभति श्रह पाणं लभति तो भत्तं न लभति, तते णं से धन्ने अणगारे श्रदीणे अविमणे अकलुसे अविसादी अपरितंतजोगी Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 358 ] श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः जयणघडणजोगचरिते अहापजतं समुदाणं पडिगाहेति 2 काकंदीयो णगरीतो पडिणिक्खमति जहा गोतमे तहा जाव पडिदंसेति, तते णं से धन्ने श्रणगारेसमणेगां भगवया महावीरेणं अभणुनाते समाणे अमुच्छिते जाव अणज्झोववन्ने बिलमिव पराणगभूतेणं अप्पाणेणं पाहारं श्राहारेति 2 संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति, समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ काकंदीए णगरीतो सहसंबवणातो उजाणातो पडिणिक्खमति 2 बहिया जणवयविहारं विहरति 5 / तते णं से धन्ने अणगारे समणस्स भगवयो महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिते सामाइयमाझ्याई एकारस अंगाई अहिजति, संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति, तते णं से धन्ने अणगारे तेणं अोरालेणं जहा खंदतो जाव सुहुय-हुयासणे इव भासरासिपलिच्छराणा तवेण तेएणं तवतेयसिरीए अतीव 2 उपसोभेमाणे 2 चिट्ठति 6 / धन्नस्स णं अणगारस्स पादाणं अयमेयाख्वे तवरूवलावन्ने होत्था, से जहाणामते सुकछलीति वा कट्टपाउयाति वा जरग्गोवाहणाति वा, एवामेव धनस्स अणगारस्स पाया सुक्का णिम्मंसा अट्टिचम्मछिरत्ताए पराणायंति णो चेव णं मंससोणियत्ताए, धन्नस्स णं अणगारस्स पायंगुलियाणं अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहाणामते कलसंगलियाति वा मुग्गसंगलियाति वा माससंगलियाति वा तरुणिया छिन्ना उरहे दिना सुक्का समाणी मिलायमाणी 2 चिट्ठति, एवामेव धनस्स पायंगुलियातो सुक्कातो जाव सोणियत्नाते, धन्नस्स जंघाणं अयमेयारूवे तवरूवलावसणे होत्था से जहानामते काकजंघाति वा कंकजंघाति वा ढेणियालियाजंघाति वा जाव णो सोणियत्ताए, धन्नस्स जाणूणं अयमेयासवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते कालिपोरेति वा मयूरपोरेति वा ढेणियालियपोरेति वा, एवं जाव सोणियत्ताए, धराणस उरुस्स जहानामते सामकरेल्लेति वा बोरीकरील्लेति वा सल्लतिकरील्लेति वा सामलि(सामा) करील्लेति वा तरुणिते तस्स णं Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुत्तरोपपातिकदशाङ्ग-स्त्रम् - तृतीयो वर्गः ] [ 354 तेच्छिणे उगहे जाव चिट्ठति एवामेव धनस्स उरू जाव सोणियत्ताए, धन्नस्स कडिपत्त(ट)स्स इमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते उट्टपादेति वा जरग्गपादेति वा महिसपादेति वा जाव सोणियत्ताए, धन्नस्स उदरभायणस्स इमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते सुकदिएति वा भजणयकभल्लेति वा कट्ठकोलंबएति वा, एवामेव उदरं सुक्कं, धनस्स पांसुलियकडयाणं इमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते थासयावलीति वा पाणावलीति वा मुंडावलीति वा, पन्नस्स पिट्ठकरंडयाणं अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते कन्नावलीति वा गोलावलीति वा वट्टयावलीति वा, एवामेव०, धनस्स उरकडयस्स अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते चित्तकट्टरेति वा वियणपत्तेत्ति वा तालियंटपत्तेत्ति वा एवामेव०, धनस्स बाहाणं अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहनामते समिसंगलियाति वा वाहायासंगलियाति वा श्रगत्थियसंगलियाति वा एवामेव०, धन्नस्स हत्थाणं अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहाणामते सुकछगणियाति वा वडपत्तेति वा पलासपत्तेति वा, एवामेव०, धन्नस्स हत्यंगुलियाणं अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते कलायसंगलियाति (कलसंगुलिया) वा मुग्गसंगलियाति वा माससंगलियाति वा तरूणिया छिन्ना श्रायवे दिन्ना सुक्का समाणी एवामेव०, धन्नस्स गीवाए अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते करगगीवाति वा कुडियागीवाति वा उच्चट्टवणतेति वा एवामेव०, धन्नस्स णं हणुाए अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते लाउयफलेति वा हकुवफलेति वा अंबगट्टियाति वा एवामेव०, धन्नस्स उट्ठाणं अयमेयारुवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते सुकजलोयाति वा सिलेसगुलियाति वा अलत्तगगुलियाति वा एवामेव०, धराणस्स जिब्भाए अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते वडपत्तेइ वा पलासपत्तेइ वा सागपत्तेति वा Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 360 ] - [ श्रीमदगिमसुधासिन्धुः : चतुर्थो विभागः एवामेव०, धन्नस्स नासाए अयभेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते अंबगपेसियाति वा अंबाडगपेसियाति वा मातुलुगपेसियाति वा तरुणिया एवामेव०, धन्नस्स अच्छीणं अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते वीणाछिड्डेति वा बद्धीसगठिंड्डेति वा पासाइयतारिगा(पाभातियतारिगा)इ वा एवामेव०, धन्नस्स कराणाणं अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहा नामते मूलाछल्लियाति वा वालुकच्छल्लियाति वा कारेलयच्छल्लियाति वा एवामेव०, धनस्त सीसस्स अयमेयारूवे तवरूवलावराणे होत्था से जहानामते तरुणगलाउएति वा तरुणगएलालुयत्ति वा सिराहालएति का तरुणए जाव चिट्ठति एवामेव०, धन्नस्स अणगारस्स सीसं सुवकं लुक्खं णिम्मंसं अट्ठिचम्मच्छिरत्ताए पन्नायति नो चेव णं मंससोणियत्ताए, एवं सव्वत्थ, णवरं उदरभायणकन्नजीहा उट्टा एएसि अट्ठी ण भन्नति चम्मच्छिरत्ताए पराणायइत्ति भन्नति 7 / धन्ने णं अणगारे णं सुक्केणं भुक्खेणं पातजंघोरुणा विगततडिकरालेणं कडिकडाहेणं पिट्ठमवस्सिएणं उदरभायणेणं जोइजमाणेहिं (जातिद्धमाणेणं, जातिजमाणेहिं) पांसुलिकडएहिं अक्खसुत्तमालाति वा गणिजमालाति वा गणेजमाणेहिं पिट्टिकरंडगसंधीहिं गंगातरंगभूएणं उरकडगदेसभाएणं सुक्कसप्पसमाणाहिं बाहाहिं सिढिलकडालीविव चलंतेहि य अग्गहत्थेहिं कंपणवातियोविव वेवमाणीए सीसघडीए पव्वादवदणकमले उभडघडामुहें उब्बुड्डणयणकोसे जीवं जीवेणं गच्छति जीवं जीवेणं चिट्ठति भासं भासिस्तामीति गिलाति 3 से जहा णामते इंगालसगडियाति वा जहा खंदश्रो तहा जाव हुयासणे इव भासरासिपलिच्छन्ने तवेणं तवतेयसिरीए उवसोभेमाणे 2 चिट्ठति = // सूत्रं 3 // ते णं काले णं 2 रायगिहे णगरे गुणसिलए चेतिते सेणिए राया, ते णं काले णं 2 समणे भगवं महावीरे समोसढे, परिसा णिग्गया सेणिते निग्गते धम्मकहा परिसा पडिगया 1 / तते णं से सेणिए राया समणस्स 3 अंतिए धम्म Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुत्तरोपपातिकदशाङ्ग-सूत्रम् : द्वितीय वर्गः ] [ 361 सोचा निसम्म समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसति 2 एवं वयासीइमासि णं भंते ! इंदभूतिपामोक्खाणं चोदसराहं समणसाहस्सीणं कतिरे अणगारे महादुक्करकारए चेव महाणिजरतराए चेव !, एवं खलु सेणिया ! इमासिं इंदभूतिपामोक्खाणं चोदसराहं समणसाहस्सीणं धन्ने अणगारे महादुकरकारए चेव महाणिजरतराए चेव, से केण?णं भंते ! एवं वुञ्चति इमासिं जाव साहस्सीणं धन्ने अणगारे महादुक्करकारए चेव महाणिजरतराए ?, एवं खलु सेणिया ! ते णं काले णं ते णं समए णं काकंदी नाम नगरी होत्था उप्पिं पासायवडिंसए विहरति, तते णं अहं अन्नया कदाति पुब्वाणुपुब्बीए चरमाणे गामाणुगामं दूतिजमाणे जेणेव काकंदी णगरी जेणेव सहसंबवणे उजाणे तेणेव उवागते अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिराहामि 2 संजमे जाव विहरामि, परिसा निग्गता, तहेव जाव पव्वइते जाव बिलमिव जाव अाहारेति, धरणस्स णं अणगारस्स पादाणं सरीखन्नो सव्वो जाव उवसोभेमाणे 2 चिट्ठति, से तेण?णं सेणिंया ! एवं वुचति-इमासिं चरदसराहं साहस्सीणं धरणे अणगारे महादुक्करकारए महानिजरतराए चेव 2 / तते णं से सेणिए राया समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए एयम8 सोचा णिसम्म हट्टतुट्ट जाव समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिणपयाहिणं करेति 2 वंदति नमंसति 2 जेणेव धन्ने अणगारे तेणेव उवागच्छति 2 धन्नं अणगारं तिक्खुत्तो पायाहिणपयाहिणं करेति 2 वंदति मंसति 2 एवं वयासी-धरणेऽसि णं तुमं देवाणुप्पिया ! सुपुराणे सुकयत्थे कयलक्खणे सुलद्धे णं देवाणुप्पिया ! तव माणुस्सए जम्मजीवीयफलेत्तिकट्टु वंदति णमंसति 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वंदति णमंसति 2 जामेव दिसं पाउन्भूते तामेव दिसि पडिगए 3 // सूत्रं 4 // तए णं तस्स धराणस्स अणगारस्त अन्नया कयाति पुब्वरत्तावरत्तकाले-(लसमयंसि) धम्मजागरियं Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 362] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः जागरमाणस्स इमेयारूवे अब्भत्थिते ५-एवं खलु अहं इमेणं अोरालेणं जहा खंदश्रो तहेव चिंता यापुच्छणं थेरेहिं सद्धिं विउलं दुरूहंति मासिया(ए) संलेहणा(ए) नवमास परियातो जाव कालमासे कालं किच्चा उड्ढ चंदिम जाव णव य गेविजविमाणपत्थडे उड्ड दूरं वीतीवतित्ता सवट्ठसिद्धे विमाणे देवत्ताए उववन्ने 1 / थेरा तहेव उयरंति जाव इमे से अायारभंडए, भंतेत्ति भगवं गोतमे तहत पुच्छति जहा खंदयस्स भगवं वागरेति जाव सबट्टसिद्धे विमाणे उववराणे 2 / धराणस्स णं भंते ! देवस्स केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोतमा ! तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता / से णं भंते ! ततो देवलोगायो कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 5, 3 / तं एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमठे पन्नत्ते 4 // सूत्रं 5 // परमं अन्झयणं समत्तं // जति णं भते ! उक्खेवश्रो, एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं कागंदीए णगरीए (काकंदी नगरी) जियसत्तू राया तत्थ णं भदाणमं सत्थवाही परिखसति अड्डा जाव अपरिभूत्रा 1 / तीसे णं भदाए सस्थवाहीए पुत्ते सुणखत्ते णामं दारए होत्था, अहीण जाव सुरूवे, पंचधातिपरिक्खित्ते जहा धरांणो तहा बत्तीस दायो जाव उप्पिं पासायवडेंसए विहरति 2 / ते णं काले णं 2 सामी समोसढे समोसरणं जहा धन्नो तहा सुणक्खत्तेऽवि णिग्गते जहा थावच्चापुत्तस्स तहा णिक्खमणं जाव अणगारे जाते ईरियासमिते जाव बंभयारी 3 / तते णं से सुणक्खत्ते अणगारे जं चेव दिवसं समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिते मुडे जाव पब्बतिते तं चेवं दिवसं अभिग्गहं तहेव जाव विलमिव श्राहारेति, संजमेणं (संजमिणां) जाब विहरति, बहिया जणवयविहारं विहरति एकारस अंगाई अहिजति संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति 4 / तते णं से सुणक्खत्ते श्रोरालेणं जहा खंदतो, तेणं कालेणं 2 रायगिहे Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुत्तरोपपातिकदशाङ्ग-सूत्रम् - द्वितीय वर्ग: ] णगरे गुणसिलए चेतिए सेणिए राया सामी समोसढे परिसा णिग्गता राया णिग्गतो धम्मकहा राया पडिगयो परिसा पडिगता, तते णं तस्स सुणक्खतस्स अन्नया कयाति पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स जहा खंदयस्स, बहू वासा परियातो गोतमपुच्छा तहेव कहेति जाव सव्वट्ठसिद्धे विमाणे देवे उववराणे, तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पराणत्ता, से णं भंते ! ततो देवलोगायो कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे सिज्झिहिति 5 / बीयज्झयणं समत्तं / एवं सुणक्खत्तगमेणं सेसावि अट्ट भाणियव्वा, णवरं पाणुपुबीए दोन्नि रायगिहे दोनि साएए दोन्नि वाणियग्गामे नवमो हथिणपुरे दसमो रायगिहे 1 / नवराहं भदायो जणणीश्रो, नवराहवि बत्तीसश्रो दाश्रो, नवग्रहं निक्खमणं थावचापुत्तस्स सरिसं वेहल्लस्स पिया करेति, छम्मासा वेहल्लते, नव धरणे, सेसाणं बहू वासा, मासं संलेहणा सव्वट्ठसिद्धे, महाविदेहे सिझणा 2 / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवता महावीरेणं बाइगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबुद्धेणं लोगनाहेणं लोगप्पदीवेणं लोगपज्जोयगरेणं अभयदएणं सरणदएणं चक्खु. दएण मग्गदएणं धम्मदएणं धम्मदेसएणं धम्मवरचाउरंतचकवट्टिणा अप्पडिहयवरनाणदसणधरेणं जिणेणं जाणएणं बुद्धणं बोहएणं मोक्केणं मोयएणं तिन्नेणं तारयेणं सिव-मयल-मरुय-मणंत-मक्खय-मव्वाबाह-मपुणरावत्तयं सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपत्तेणं अणुतरोववाइयदसाणं तबस्स वग्गस्स अयमठे पन्नत्ते 3 // सूत्रं 6 // अणुत्तरोववाइयदसातो समत्तातो // अणुत्तरोववाइयदमाणामं सुत्तं नवममंगं समत्तं // अणुत्तरोववाइयदसाणं एगो सुयखंधो, तिरिण वग्गा, तिसु चेव दिवसेसु उदिसिज्जंति, तत्थ पढमे वग्गे दस उद्देसगा, बीए वग्गे तेरस उद्देसगा, सेसं जहा धम्मकहा णेयव्या // // इति श्री अनुत्तरोपपातिकदशाङ्ग-सूत्रं समाप्तम् // (ग्रन्थानं-१९२) Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // इति .. श्री अनुत्तरोपपातिकदशाङ्ग6. सूत्रं समाप्तम् / / 00000000000 Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // पञ्चमगणभृत्श्रीमत्सुधर्मस्वामि-प्ररूपितं . . // श्रीमत्प्रश्नव्याकरण-दशांग-सूत्रम् // // 1 // अथ हिंसाकर्माश्रवाख्यं प्रथममध्ययनम् // नमो अरिहंताणं ॥(तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपानाम नगरी होत्था, पुराणभद्दे चेइए वणसंडे असोगवरपायवे पुढविसिलापट्टए, तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिए नाम राया होत्था, धारिणी देवी। तेणं कालेणं 2 समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतेवासी अजसुहम्मे नाम थेरे जाइसंपन्ने कुलसंपन्ने बलसंपन्ने रूवसंपन्ने विणयसंपन्ने नाणसंपन्ने देसणसंपन्ने चरित्तसंपन्ने लजासंपन्ने लाघवसंपन्ने श्रोयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहे जियमाणे.. जियमाए जियलोभे जियनिद्दे जियइंदिए जियपरीसहे जीवियास-मरणभय विप्पमुक्के तवप्पहाणे गुणप्पहाणे मुत्तिप्पहाणे विजाप्पहाणे मंतप्पहाणे बंभप्पहाणे वयप्पहाणे नयप्पहाणे नियमप्पहाणे सच्चप्पहाणे सोयप्पहाणे नाणप्पहाणे दंसणप्पहाणे चरित्तप्पहाणे चोदसपुव्वी चउनाणोवगए पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिबुडे पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे जेणेव चंपा नयरी तेणेव उवागच्छइ जाव अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति / तेणं कालेणं तेणं समएणं अजसुहम्मस्स अंतेवासी अजजंबू नामं श्रणगारे कासवगोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव संखित्त-विपुल-तेयलेस्से अजसुहम्मस्स थेरस्स अदूरसामन्ते उट्ठजाणू जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ / तए णं . Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 366 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः से अजजंबू जायसड्ढे जायसंसए जायकोउहल्ले उप्पन्नसद्धे 3 संजायसद्धे 3 समुप्पन्नसद्धे 3 उट्ठाए उट्टेइ 2 जेणेव यजसुहम्मे थेरे तेणेव उवागच्छइ 2 अजसुहम्मे थेरे तिक्खुत्तो पायाहिणपयाहिणं करेइ 2 वंदइ नमसइ नचासन्ने नाइदूरे विणएणं पंजलिपुडे पज्जुवासमाणे एवं वयासी-जइ णं भंते ! समोणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं णवमस्स अंगस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं अयमढे पन्नत्ते, दसमस्स णं अंगस्त पराहावागरणाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ? जंबू ! दसमस्स अंगस्स समणेणं जाव संपत्तेणं दो. सुयखंधा पराणत्ता-यासवदारा य संवरदारा य, पढमस्स णं भंते ! सुयक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अझयणा पराणत्ता ?, जम्बू ! पढमस्स णं सुयक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तेणं पंच अज्झयणा पराणत्ता, दोचस्स णं भंते ! ? एवं चेव, एएसि णं भंते ! अराहयसंवराणां समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पराणते ?, तते णं अजसुहम्मे थेरे. जंबूनामेणं श्रणगारेणं एवं वुत्ते समाणे जंबू अणगारं एवं वयासी-) जंबू !इणमो। अहय-संवर-विणिच्छियं पवयणस्स निस्संदं। वोच्छामि णिच्छयत्थं सुहासियत्थं महेसीहिं // 1 // पंचविहो पराणत्तो जिणेहिं इह अराहयो अणादीयो।हिंसा मोसमदत्तं प्रबंभ-परिग्गहं चेव // 2 // जारिसको जं नामा जह य कयो जारिसं फलं देति / जेवि य करेंति पावा पाणवहं तं निसामेह॥३॥ पाणवहो नाम एस णिच्चं जिणेहिं भणियो-पावो 1 चराडो 2 रुद्दो 3 खुद्दो 4 साहसियो 5 प्रणारियो 6 णिग्घिणो 7 णिसंसो 8 महब्भयो 1 पइभयो 10 अतिभयो 11 बीहणयो 12 तासणो 13 श्रणजो 14 उव्वेयणयो य 15 णिरवयक्खो 16 गिद्धम्मो 17 णिप्पिवासो 18 णिकलुणो 11 निरयवासगमणनिधणो 20 मोहमहब्भयपयट्ट(ड)यो 21 मरणवेमणस्सो 22, पढमं अहम्मदारं। सूत्रं 1 // तस्स य नामाणि इमाणि गोण्णाणि होति तीसं, तंजहा-पाणवहं 1 उम्मूलणा Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-त्रम् : अध्ययनं 1 ] [ 360 सरीरायो 2 अवीसंभो 3 हिंसविहिंसा 4 तहा अकिच्चं च 5 घायणा 6 मारणा य 7 वहणा 8 उद्दवणा 1 निवायणा य 10 थारंभसमारंभो 11 बाउय-कम्मस्सुवद्दवो भेयणिट्ठवण-गालणा य संवट्टगसंखेवो 12 मच्चू 13 असंजमो 14 कडगमद्दणं 15 वोरमणं 16 परभवसंकामकारयो 17 दुग्गतिप्पवायो 18 पावकोवो य 11 पावलोभो 20 छविच्छेत्रो(य-करो) 21 जीवियंतकरणो 22 भयंकरो 23 अणकरो य 24 वजो(सावज्जो) 25 परित्तावणराहयो 26 विणासो 27 निजवणा 28 लुपणा 21 गुणाणं विराहणत्ति 30 विय तस्स एवमादीणि णामधेजाणि होति तीसं पाणवहस्स कडुयफलदेसगाई // सू० 2 // तं च पुण करेंति केई पावा असंजया अविरया अणिहुय-परिणाम-दुप्पयोगी पाणवहं भयंकरं बहुविहं बहुप्पगारं परदुक्खुप्पायणप्पसत्ता इमेहिं तसथावरेहिं जीवहिं पडिणिविट्ठा, किं ते ? पाठीन-तिमितिमिगिल-अणेगझस-विविहजातिमंडुक्क-दुविहकच्छभ क(चक)- मगरदुविह(मुसंढ-विविह)गाह-दिलिवेढय-मंडुयसीमागार-पुलकसुसुमार-बहुप्पगारा जलयरविहाणा कए य एवमादी 1 / कुरंग-रुरु सरहचमर-संबर-उब्भ-ससय-पसय गोण-रोहिय-हय-गय-खर-करभ-खग्गी-वानरगवय-विग-सियाल-कोल-मजार-कोलसुणक-सिरियंदलगा-वत्त-कोकंतियगोकन्न-मिय-महिस-वियग्घ-छगल-दीविय--साण-तरच्छ-अच्छभल्ल--सद्दूलसीह-चिलल-चउप्पयविहाणाकए य एवमादी 2 / अयगर-गोणस-वराहि-मउलिकाकोदर-दब्भपुष्फ-श्रासालिय-महोरगोरगविहाणकए य एवमादी 3 / छीरलसरंब-सेह सेल्लग-गोधा-उंदर-णउल-सरड-जाहग-मुगुस-खाडहिला--चाउप्पाइयाघिरोलिया-सिरीसिव-गणे य एवमादी 4 / कादंबक-बक-बलाका-सारसश्राडा-सेतीय-कुलल-वंजुल-पारिप्पव-कीरव-सउण-दीविय-पीपीलिय--हंस-धत्तरिट्ठग-भास-कुलीकोस-कोंच-दगड-डेणियालग-सुचीमुह-कविल-पिंगल-क्खगकारंडग-चकवाग-उकोस-गरुल-पिंगुल-सुय-बरहिण-मयणसाल-नंदीमुह-नंदमा Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 368 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः णग-कोरंग-भिंगारग-कोणालग-जीवजीवक-तित्तिर-पट्टग-लावग-कपिंजलककवोतक-पारेवग-चटग(चिडिग)--टिंक-कुक्कुड-रमसर--मयूरग-चउरगहयपोंडरीय(सालग)करल(करक)-वीरल-सेण-वायस-विहंग--भेणासिय-चासवग्गुलि-चम्मट्ठिल-विततपक्खी (समुग्गपक्खी)-खहयर-विहाणाकए य एवमादी 5 / जलथलखगचारिणो उ पंचिंदिए पसुगणे वियतिपत्रउरिदिए विविहे जीवे पियजीविए मरणदुक्खपडिकूले वराए हणंति बदुसंकिलिट्टकम्मा 6 / इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं, किं ते ?, चम्म-घसा-मंस-मेय-सोणिय-जग-फिल्फिसमत्थुलुग-हिययंतपित्त-फोफस-दंतहा अद्विमिंज-नह-नयण-कराणराहारुणि-नकधमणि-सिंग दाढि-पिच्छ विस-विसाणवालहेउं हिंसंति य भमरमधुकरिगणे रसेसु गिद्धा तहेव, तेइंदिए सरीरोवकरणट्ठयाए किवणे बेइंदिए बहवे वत्थोहरपरिमंडणट्ठा, अराणेहि य एवमाइएहिं बहूहिं कारणसएहिं अबुहा इह हिंसंति 7 / तसे पाणे इमे य एगिदिए बहवे वराए तसे य अराणे तदस्सिए चेव तणुसरीरे समारंभंति / अत्ताणे, असरणे अणाहे, प्रबंधवे, * कम्मनिगडबद्धे, अकुसलपरिणाम-मंदबुद्धिजणदुन्वि-जाणए पुढविमये पुढवि- संसिए, जलमए, जलगए, अणलाणिल-तणवणस्सइ-गणनिस्सिए य तम्मयतजिए चेव तदाहारे तप्परिणय-वराणगंध-रसफास(फरिस)बोंदिरूवे अचक्खुसे य चक्खुसे य तसकाइए असंखे थावरकाइए य सुहुम-बायर-पत्तेयसरीरनामसाधारणे अणंते हणंति अविजाणयो य परिजाणो य जीवे इमेहिं विविहेहि कारणेहिं, किं ते ?, 8 / करिसण पोक्खरणी-वावि-वप्पिणिकूब-सर-तलाग-चिति-चेतिय-खाइय-धाराम-विहार-धूम-पागार-दार-गोउर-अट्टालग-चरिया-सेउ-संकम-पासाय-विकप्प-भवण-घर-सरण-लयण-श्रावण--चेइयदेवकुल-चित्तसभा-पवा-श्रायतणा-वसह-भूमिघर-मंडवाण य कए भायण-मंडोवगरणस्स य विविहस्स य अट्ठाए पुढवि हिंसंति मंदबुद्धिया 1 / जलं च मजणय-पाण-भोयण-वत्थधोवण-सोयमादिएहिं 10 / पयण-पयावण-जलावण Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्ररनव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययन 1 ] [ 354 विदंसणेहिं अगणिं 11 / सुप्प-वियण तालयंट-(परिथुनक)-हुणमुह-करयलसागपत्त-वत्थएवमादिएहिं अणिलं 12 / अगार-परिया[डिया]र-भक्ख-भोयणसयणासण-फलक-मुसल-उखल-तत-विततातोज-वहणवाहणमंडध-विविहभवणतोरण-विटंग-देवकुल-जालय-द्धचंद-निज्जुहग-चंदसालिय-वेतिय-णिस्सेणिदोणि-चंगेरी-खील-मेढक--सभा-पवा-वसह-गंध-मल्लाणुलेवणंबर-जुय-नंगलमेइय-कुलिय-संदण-सीया--रह-सगड-जाणजोग्ग-अट्टालग-चरिश्र-दार-गोपुरफलिहा-जंत-सूलिया-लउड-मुसुदि-सयग्धि-बहुपहरणा-वरणुवक्खराण-कए, अराणेहि य एवमाइएहिं बहुहिं कारणसएहिं हिंसन्ति ते तस्गणा भणिता भणिए य एवमादी 13 / सत्ते सत्तपरिवज्जिया उदहणन्ति दढमूढा दारुणमती कोहा माणा माया लोभा हासा रती अरती सोय वेदत्य-जीयधम्मत्थकामहेउ सवसा श्रवसा अट्ठा अणट्ठा एय तसपाणे थावरे य हिंसंति 14 / मंदबुद्धीया सवसा हणंति, अवसा हांति, सवसा - अवसा दुहयो हगांति, अट्ठा हणंति अणट्ठा हणणंति, अट्ठा अणट्ठा दुहश्रो हणंति, हस्सा हणंति, वेरा हणंति, * रती य हणंति, हस्सावेरारती य हणंति, कुद्धा हणंति, लुद्धा हणंति, मुद्धा हणंति, कुद्धा लुद्धा मुद्धा हगांति, अत्था हगांति, धम्मा हांति, कामा हणंति अत्था धम्मा कामा हगांति 15 // सू० 3 // कयरे ते ?, जे ते सोयरिया मच्छबंधा साउणिया वाहा कूरकम्मा(वाउरिया) दीवित-बंधणप्पश्रोगतप्पगलजाल-वीरलगायसीदभ-वग्गुरा-कूडछलियाहत्था(दीविया) हरिएसा कुणिया (साउणिया) य वीदंसगपासहत्था वणचरगा लुद्धगा महुघाया पोतघाया एणीयारा पएणियारा सर-दह-दीहिय-तलाग-पल्लल-परिगालण-मलण-सोत्तबधण-सलिलासयसोसगा बिसगरस्स य दायगा उत्तणवल्लर-दवग्गिणिद्दय-पलीवका कूरकम्मकारी इमे य बहवे मिलक्खुया, के ते?, 1 / सक-जवण-सबर-बब्बरकाय-मुरुडोदभडग-तित्तिय-पकणिय-कुलक्ख-गोड-सींहल-पारस-कोचंध-दविलबिल्लल-पुलिंद-अरोस-डोंब-पोकण-गंधहारग-बहलीय-जल-रोम-मास-बउस Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 37. ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विनागर मलया चुचुया य चूलिया य कोंकणगा-(कणग-सेय)-मेत-पराहव-मालव-महुरश्राभासिय-अणक्ख-चीण-लासिय-खस-खासिया नेट्ठर-मरहट्ठ(मुढ)-मुट्ठियश्रारख-डोबिलग-कुहण-केकय-हूण-रोमग-रुरु-मस्या चिलायविसयवासी य पावमतिणो, जलयर-थलयर-सणप्फतोरग-खहचर-संडासतोंड-जीवोवग्यायजीवी सराणी य श्रसणिणणो पजत्ता असुभलेस्सपरिणामे एते अण्णे य एवमादी करेंति पाणाइवायकरणां, पावा पावाभिगमा पावरुई (पावमइ) पाणवहकयरती पाणवहरूवाणुढाणा पाणवहकहासु अभिरमंता तुट्ठा. पावं करेत्तु होति य बहुप्पगारं 2 / तस्स य पावस्स फलविवागं अयाणमाणा वड्टंति महन्भयं अविस्सामवेयणं दीहकाल-बहुदुक्खसंकडं नरयतिरिक्खजोणिं, इयो श्राउक्खए चुया असुभकम्मबहुला उववज्जंति नरएसु हुलियं महालएसु 3 / वयरामय-कुड्ड-रुद्द-निस्संधि-दारविरहियनिम्मदव-भूमितल-खरामरिस-विसम-गिरयघरचारएसुमहोसिण-सयोपतत्तदुग्गंध-विस्स-उव्वेयजणगेसु बीभच्छदरिसणिज्जेसु य निच्च हिमपडलसीयलेसु कालोभासेसु य भीमगंभीरलोमहरिसणेसु णिरभिरामेसु निप्पडियार-बाहिरोगजरापीलिएसु अतीव निच्चंधयार-तिमिस्सेसु पतिभएसु ववगयगह-चंद-सूरणक्खत्त-जोइसेसु मेय-वसा-मंसपडल-पोच्चड-पूय-रुहिरुकिराण-विलीण-चिकणरसियावावराण-कुहिय-चिक्खल्लकद्दमेसु कुकूलानल-पलित्तजालमुम्मुर-असिक्खुरकरवत्तधारासु निसियविच्छुय-डंकनिवातोवम-फरिसथतिदुस्सहेसु य अत्ताणा असरणा कडयदुक्ख-परितावणेसु अणुबद्ध-निरंतरवेयणेसु जमपुरिससंकुलेसु 4 / तत्थ य अन्तोमुहुत्तलद्धि-भवपच्चएणं निव्वतेंति उ ते सरीरं हुंडं बीभच्छदरिसणिज्जं बीहणगं अद्विराहारुणह-रोमवजियं असुभगन्ध दुक्खविसहं (असुभगं दुक्खविसह), तत्तो य पन्जत्तिमुवगया इंदिएहिं पंचहिं वेदेति वेदणं असुहाए वेयणाए उजल-बलवि(ति)उल-उकड(कक्खड)-खरफरुसपयंड-घोरबीहणगदारुणाए, किं ते? 5 / कंदुमहाकुभिए-पयण-पउलया-तवग-तलण-भट्ठभ Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] जणाणि य लोहकडाहुकडढणाणि य कोट्ट(ट्टा)बलिकरण-कोट्टणाणि य सामलि-तिक्खग्ग-लोहकंटक-अभिसरण-पसारणाणि फालण-विदारणाणि य अवकोडक-बंधणाणि लट्ठिसयतालणाणि य गलगबलुल्लंबणाणि मूलग्गभेयणाणि य अाएसपवंचणाणि खिसणविमाणणाणि विघुटुपणिजणाणि वज्झसयमातिकाति य 6 / एवं ते पुव्वकम्मकय-संचोवतत्ता निरयग्गिमहग्गिसंपलित्ता गाढदुक्खं महब्भयं ककसं असायं सारीरं मानसं च तिव्वं दुविहं वेदेति वेयणां पावकम्मकारी / बहूणि पलिश्रोवमसागरोवमाणि कलुगां पालेन्ति ते अहाउयं जमकातियतासिया य सदं करेंति भीया, किं ते ?, 7 / अविभाय सामि भाय बप्प ताय जितवं मुय मे मरामि दुब्बलो वाहिपीलिश्रोऽहं किं दाणिसि ? एवं दारुणो णिद्दश्रो य मा देहि मे पहारे उस्सासेतं (एयं) मुहुत्तगं मे देहि, पसायं करेह, मा रुस, वीसमामि गेविज्जं मुयह मे, मरामि, गाढं तगहाइयो अहं, देहि पाणीयं 8 हंता तं पि य इमं जलं विमलं सीयलंति घेत्तूण य नरयपाला तवियं तउयं से दिति कलसेण अंजलीसु दठ्ठण य तं पवेवियंगोवंगा अंसुपगलंतपप्पुतच्छा छिराणा तराहाइयम्ह कलुणाणि जंपमाणा विपेक्खन्ता दिसोदिसि अत्ताणा असरणा अणाहा अबंधवा बंधुविप्पहीणा विपलायंति य मियविव वेगेण भोब्बिग्गा, धेत्तूण बला पलायमाणाणां निरणुकंपा मुहं विहाडेत्तुं लोहदंडेहिं कलकलं राहं वयांसि छुभंति केइ जमकाइया हसंता 1 / तेण दड्डा संतो रसंति य भीमाइं विस्सराई रुवंति य कलुणगाइं पारेवयगा इव एवं पलवित-बिलाव-कलुणाकंदिय-बहुरुन्नरुदियसदो परिदेवि(वेपि)य-रुद्धबद्धय-नारकारवसंकुलोणीसिट्ठो 10 / रसिय-भणिय-कुविय-उक्कूइय-निरयपालतजियं गेराह कम पहर छिंद भिंद उप्पाडेहुक्खणाहि कत्ताहि विकत्ताहि य भुजो हण विहण विच्छुभोच्छुब्भ पाकड्ड विकड्ड किं ण जंपसि ? सराहि पावकम्माई दुक्कयाई, एवं वयणमहप्पगब्भो पडिसुयासहसंकुलो तासश्रो (बीहणयो तासणश्रो पइभत्रो Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीपदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभाग अइभयो) सया निरयगोयराण महाणगर-डज्झमाणसरिसो निग्घोसो सुच्चए, अणिटो तहियं नेरइयाणां जाइज्जंताणां जायणाहिं 11 / किं ते ? असिवण-दब्भवण-जंतपत्थर-सूइतल-क्खारवावि-कलकलंतवेयरणि-कलंबवालुया-जलिय-गुहनिरभणं उसिणोसिण-कंटइल-दुग्गमरहजोयण-तत्तलोह पह(मग्ग)गमण-वाहणाणि इमेहि विविहेहिं आयुहेहिं 12 / किं ते ? मुग्गरमुसुढि-करकय-सत्ति-हल-गय-मुसल-चक्क-कुंत-तोमर-सूल-लउल-भिंडिमालससद्धल-पट्टिस-चम्मेठ्ठ-दुहण-मुट्ठिय-असिखेडग-खग्ग--चाव-नाराय--कणककप्पणि-वासि-परसु-टंकतिक्ख-निम्मल-अराणेहि य एवमादिएहिं असुभेहिं वेउधिएहिं पहरणसतेहिं अणुबद्धतिब्ववेरा परोप्परं वेयणं उदीरंति अभिहणंता 13 / तत्थ य मोग्गर-पहारचुरिणय-मुसुढिसंभग्गमहितदेहा जंतोवपीलण-फुरंतकप्पिया के इत्थ सचम्मका विगत्ता णिम्मूलुल्लूणय-करणोट्ठणासिका छिणहत्यपादा, असि-करकय-तिक्खकोंत-परसुप्पहार-फालियवासीसंतच्छितंगमंगा कलकलमाण-खारपरिसित्त-गाढडझतगत्ता कुंतग्ग-भिगणजज्जरियसब्बदेहा विलोलंति महीतले विसूणियंगमंगा(निग्गयग्गजीहा) 14 / तत्थ य विग-सुणग-सियाल-काक-मजार-सरभ-दीविय-वियग्ध-सद्दूलसीहदप्पिय-खुहाभिभूतेहिं णिचकालमणसिएहिं घोरा रसमाणभीमरूवेहिं अकमित्ता दढदाढा-गाढडक-कडिय-सुतिक्ख-नह-फालियउद्धदेहा विच्छिप्पते समंतयो विमुक्कसंधिबंधणावियंगमंगा कंक-कुरर-गिद्ध-घोरकट्टवायसगणेहि य पुणो खरथिर-दढणक्ख लोहतुडेहिं श्रोववित्ता पक्खा-हय-तिक्ख-णक्खविकिन्नजिभंछिय नयणनिदयालुग्ग-विगतवयणा(गत्ता), उक्कोसंता य उप्पयंता निपतंता भमंता, पुब्बकम्मादयोवगता पच्छाणुसएण डज्झमाणा जिंदंता 15 / पुरेकडाई कम्माइं पावगाइं तहिं तहिं तारिसाणि श्रोसगण-चिकणाई दुक्खातिं अनुभवित्ता तत्तो य आउक्खएणं उघट्टिया समाणा बहवे गच्छंति, तिरियवसहिं दुक्खुत्तारं सुदारुणं जम्मणमरण-जरावाहि-परियट्ट Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरण दशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] णारहट्ट, जल-थल-खहचर-परोप्पर-विहिंसणपवंचं, इमं च जगपागडं वरागा दुखं पावेन्ति दीहकालं, किं ते ?, 16 / सीउराह-तराहा-खुह-वेयण-अप्पईकार-अडविजम्मण-णिच्चभउविग्गवास--जग्गण-वह-बंधण-ताडणंकणनिवायण-अट्टिभंजण-नासाभेय-प्पहारदूमण-विच्छेयण-अभियोगपावणकसंकुसारनिवाय-दमणाणि वाहणाणि य 17 / मायापितिविप्पयोग-सोयपरि. पीलणाणि य, सत्थग्गिविसाभिघाय-गलगवलावलण-मारणाणि य, गलजालुच्छिप्पणाणि य, पउलण-विकप्पणाणि य, जावजीविगबंधणाणि य, पंजरनिरोहणाणि य, समूहनिद्धाडणाणि य, धमणाणि य, दोहणाणि य, कुदंडगलबंधणाणि य, वाडगपरिवारणाणि य, पंकजलनिमजणाणि य, वारिप्पवेसणाणि योवाय-णिभंगविसम-णिवडण-दवग्गिजालदहणाई याइं य, 18 / एवं ते दुक्खसयसंपलिता नरगाश्रो श्रागया इहं सावसेसकम्मा तिरिक्खपंचेंदिएसु पाविति पावकारी कम्माणि, पमाय-राग-दोस-बहुसंचियाई अतीव अस्सायकक्कसाइं 11 / तहेव चारिदिएसु भमर-मसग-मच्छिमाइएसु य जाइकुलकोडिसयसहस्सेहिं नवहिं चरिंदियाण तहिं तहिं चेव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखिज्जं भमंति नेरझ्यसमाण-तिव्वदुक्खा फरिस-रसणघाणचक्खुसहिया 20 / तहेव तेइंदिएसु कू थु-पिप्पीलिया-अवधिकादिकेसु य जातिकुलकोडिसयसहस्सेहिं अहिं अणूणगेहिं तेइंदियाण तहिं तहिं चेव जम्ममरणाणि अणुहवंता कालं संखेजगं भमंति नेरझ्यसमाणतिब्बदुक्खा फरिसरसणघाणसंपउत्ता 21 / तहेव बेइंदिएसु गंडूलय-जलूय-किमिय-चंदणगमादिएसु य जातीकुलकोडिसयसहस्सेहिं सत्तहिं अणूणएहिं बेइंदियाण तहिं तहिं चेव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखिजकं भमंति नेरइयसमाणतिवदुक्खा फरिसरसणसंपउत्ता 22 / पत्ता एगिदियत्तणंपि य पुढवि-जलजलण-मारुय-वणप्फति सुहुमवायरं च पजत्तमपजतं पत्तेयसरीर-णामसाहारणं च पत्तेयसरीरजीविएसु य तत्थवि कालमसंखेज्ज भमंति अणंतकालं च Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 374 ] अणंतकाए, फासिंदियभावसंपउत्ता दुक्खसमुदयं इमं अणिटुं पावंति पुणो पुणो तहि तहिं चेव परभव-तरुगणगहणे 23 / कोदाल-कुलिय-दालणसलिल-मलण-खुभण-रुभण-अणलाणिल-विविहसत्थघट्टण-परोप्पराभिहणणमारण-विराहणाणि य अकामकाइ परप्पयोगोदीरणाहि य कजपयोयणेहि य पेस्सपसुनिमित्त-श्रोसहाहारमाइएहिं उक्खणण-उक्कत्थण-पयण-कोट्टण-पीसणपिट्टण-भजण-गालण-ग्रामोडण सडण-फुडण-भंजण-छेयण-तच्छण-विलुचणपत्तज्झोडण-अग्गिदहणाइ याति, 24 / एवं ते भवपरंपरा-दुक्ख-समणुद्धा अडंति संसारबीहणकरे जीवा पाणाइबायनिरया अणंतकालं जे विय इह माणुसत्तणं यागया कहिं वि नरगा उव्वट्टिया अपना तेवि य दीसंति पायसो विकयविगलरूवा खुजा वडभा य वामणा य बहिरा काणा कुंटा पंगुला विगला य मूका य मंमणा य अंधिल्लगा एगचक्खू विणिहयसचिल्ल्या(सपिसल्लया) वाहिरोगपीलिय-अप्पाउय-सत्थवज्झबाला कुलक्खणुकिन्नदेहा दुब्बल-कुसंघयणकुप्पमाण-कुसंठिया कुरुवा किविणा य हीणा हीणसत्ता निच्चंसोक्खपरिवजिया असुहदुक्खभागी गरगायो इहं सावसेसकम्मा उवट्टा समाणा 25 / एवं णरगं तिरिक्खजोणिं कुमाणुसत्तं च हिंडमाणा पावंति अणंताई दुक्खाई पावकारी एसो सो पाणवहस्स फलविवागो इहलोइयो पारलोइयो अप्पसुहो बहुदुक्खो महन्भयो बहुरयप्पगाढो दारुणो ककसो असायो वाससहस्सेहि मुचती, न य अवेदयित्ता अस्थि हु मोक्खोत्ति 26 / एवमाहंसु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहइ पाणवहणस्स फलविवागं, एसो सो पाणवहो चंडो रहो खुद्दो प्रणारियो निग्घिणो निसंसो महन्भयो बीहणयो तासश्रो श्रणजो उव्वेयणो यणिखयक्खो निद्धम्मो निप्पिवासो निकलुणो निरयवास-गमणनिधणो मोहमहब्भय-पवडयो मरणवेमणसो, परमं ग्रहम्मदारं समत्तं ति बेमि 27 // 1 // सू० 4 // // इति प्रथममध्ययनम् // 1 // Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्ररनच्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 2 ] // 2 // अथ मृषावादकाश्रवाख्यं द्वितीयमध्ययनम् // इह खलु जंबू! बितियं च अलियवयणं लहुसग-लहुचवलभणियं, भयकर, दुहकर, अयसकर, वेरकरगं, अरति-रति-राग-दोस-मणसंकिलेसवियरणं अलियं नियडिसातिजोयबहुलं, नीयजणनिसेवियं निस्संसं, अप्पञ्चयकारकं, परमसाहुगरहणिज्जं, परपीलाकारगं परमकिराहलेस्ससहियं, दुग्गइविणिवायविवडणं, भवपुणभवकरं चिरपरिचियमणुगतं, दुरन्तं, कित्तियं, वितियं अधम्मदारं // सू० 5 // तस्स .य णामाणि गोराणाणि होति तीसं, तंजहा-अलियं 1 सद 2 अणज्जं.३ मायामोसो 4 असंतकं 5 कूडकवडमवत्थुगं च 6 निरत्थयवमत्थसं च 7 विद सगरहणिज्ज 8 अणुज्जुकं 1 ककणा य 10 वंचणा-य 11 मिन्छापच्छाकडं च 12 साती उ 13 उच्छन्नं [उच्छृत्तं] 14 उक्कूलं च 15 अट्ट 16 अब्भक्खाणं च 17 किब्बिसं 18 वलयं 11 गहणं च 20 मम्मणं च 21 नूम 22 निययी 23 अप्पच्चो 24 असमयो 25 असच्चसंधत्तणं 26 विवक्खो 27 अवहीयं (याणाइयं) 28 उवहिअसुद्धं 21 अवलोवोत्ति 30, विइयस्स इमाणि एवमाइयाणि एयाणि नामधेजाणि होति तीसं सावजस्स अलियस्स वयजोगस्स अणेगाई // सू. 6 // तं च पुण वदंति केइ अलियं पावा असंजया, अविरया, कवड. कुडिल कडुयचटुलभावा, कुद्धा, लुद्धा, भयाय हस्सट्ठिया(हासट्टा) य, सक्खी, चोरा, चारभडा, खंडरक्खा, जियजूइकरा य गहियगहणा, कककुरुगकारगा, कुलिंगी, उवहिया वाणियगा य, कूडतुलकूडमाणी, कुडकाहावणोवजीविया, पडगारका कलाया कारइजावंचणपरा, चारियचाटुयार-नगरगोत्तिय-परियारगा दुट्टवायि-सूयक अणबल-भणिया य पुबकालिय-वयणदच्छा, साहसिका, लहुस्सगा, असच्चा, गारविया, असचट्ठावणाहिवित्ता, उच्चच्छंदा, अणिग्गहा, अणियता, छदेण मुकवाया भवंति, अलियाहिं जे अविरया, 1 / अवरे नत्थिकवाइणो वामलोकवादी भणंति [सुणंति] नत्थि जीवो न जाइ इह Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 376 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विमानः परे वा लोए न य किंचिवि फुसति पुनपावं, नत्थि फलं सुकयदुक्याणं, पंचमहाभूतियं सरीरं भासंति हे ! वातजोगजुतं 2 / पंच य खंधे भणंति केई, मणं च मणजीविका वदंति, वाउजीवोत्ति एवमाहंसु, सरीरं सादियं सनिधणं इह भवे एगे भवे तस्स विप्पणासंमि सबनासोत्ति, एवं जपंति मुसावादी, तम्हा दाणवयपोसहाणं तवसंजम-बंभचेर-कलाणमाइयाणं नत्थि फलं, नवि य पाणवहे अलियवयणं न चेव चोरिककरण-परदारसेवणं वा सपरिग्गहपावकरणंपि नत्थि किंचि न नेरइयतिरियमणुयाण जोणी, न देवलोको वा अस्थि, न य अस्थि सिद्धिगमणं, अम्मापियरो नत्थि, नवि अत्थि पुरिसकारो, पचक्खाणमवि नत्थि, नवि अस्थि कालमच्चू य 3 / अरिहंता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा नत्थि, नेवत्थि केइ रिसो, धमाधम्मफलं च नवि अस्थि किंचि बहुयं च थोवगं वा, तम्हा एवं विजाणिऊण जहा सुबहु इंदियाणुकूलेसु सव्वविसएसु वट्टह, णत्थि काइ किरिया वा अकिरिया वा एवं भणंति नथिकवादिणो वामलोगवादी, 4 / इमंपि बितीयं कुदंसणं असम्भाववाइणो पराणवेति मूढा–संभूतो ग्रंडकायो लोगो सयंभुणा सयं च निम्मिश्रो, 5 / एवं एयं श्रलियं पयंपंति पयावइणा इस्सरेण य कयंति केति, एवं विगहुकयं भूयाण सपंचनिमिणो कसिणमेव य जगं केई, एवमेके वदंति मोसं, एगो श्राया प्रकारको अवेदको य सुकयस्स य दुक्यस्स य करणाणि कारणाणि सव्वहा सव्वहिं च निच्चो य निक्कियो निग्गुणो य, अणुव(अन्नो अ)लेवयो ति विय एवमाहंसु असम्भावं, जंपि इहं किंचि जीवलोके दीसइ सुकयं वा दुकयं वा एवं जदिच्छाए वा सहावेण वावि दइवतप्पभावग्रो वावि भवति, नत्थेत्थं(नत्थि) किंचि कयक(कयं) तत्तं लक्खणविहाणनियतीए कारियं, एवं केइ जति 6 / इटिरससायगारवपरा, बहवे धम्मकरणालसा पवेति धम्मवीमंसएण मोसं 7 / भवरे अहम्मश्रो रायटुं अभक्खाणं भति-अलियं चोरोत्ति Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमारनव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 2 ] 377 अचोरयं करेंतं डामरिउत्तिवि य एमेव उदासीणं दुस्सीलोति य परदारं गच्छतित्ति मइलिंति सीलकलियं अयंपि गुरुतप्पयो, अरणे एमेव भणंति उवाहणंता मित्तकलत्ताई सेवंति अयंपि लुत्तधम्मो, इमोवि विस्संभवाइयो पावकम्मकारी अगम्मगामी अयं दुरप्पा बहुएसु य पापगेसु जुत्तोत्ति एवं जंपंति मच्छरी, भदके वा गुणकित्ति-नेहपरलोग-निप्पिवासा 8 / एवं ते अलियवयणदच्छा परदोसुप्पायणप्पसत्ता वेढेन्ति, अक्खातियबीएण अप्पाणं कम्मबंधणेम, मुहरी समिक्खियप्पलावा निक्खेवे श्रवहरंति, परस्स अत्थंमि गढियगिद्धा अभिजुजंति य परं असंतएहिं लुद्धा य करेंति कूडसक्खित्तणं, अप्सचा अत्यालियं च कनालियं च भोमालियं च तह गवालियं च गरुयं भणंति अहरगतिगमणं, 1 / अन्नपि य जातिरुवकुलसीलपच्चयं मायाणिगुणं, चवलपिसुणं, परमट्ठभेदकमसकं, विद्दे समणत्थकारक, पावकम्ममूलं, दुदिट्ठ, दुस्सुयं, अमुणियं, निलज्ज, लोकगरहणिज्जं, वहबंधपरिकिलेसबहुलं, जरामरणदुक्खसोयनिम्मं, असुद्धपरिणामसंकिलिट्ठ भणंति, अलिया हिंसंति संनिविट्ठा असंतगुणुदीरका य संतगुणनासका य हिंसाभूतोवघातितं श्रलियसंपउत्ता वयणं सावजमकुसलं साहुगरहणिज्जं श्रधम्मजणणं भणंति अणभिगयपुन्नपावा, पुणोवि अधिकरणकिरियापवत्तका बहुविहं श्रणत्थं अवमद्द अप्पणो परस्स य करेंति, एमेव जंपमाणा 10 / महिससूकरे य साहिति घायगाणं, ससयपसयरोहिए य साहिति वागुराणं, तित्तिरवट्ट-कलावके व कविंजल-कबोयके य साहिति साउणीणं, झसमगर. कच्छभे य साहिति मच्छियाणं, संखके खुल्लए य साहिति मगराणं(मग्गिणं), अयगर-गोणसमंडलिदबीकरे मउली य साहिति वालवीणं, गोहा सेहग सल्लगसरडके य साहिति लुद्धगाणं, गयकुलवानरकुले य साहिति पासियाणं, सुक-बरहिण-मयण-सालकोइल-हंसकुले सारसे य साहिति पोसगाणं, वधबंधजायणं च साहिति गोम्मियाणं धणधनवेलए य Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 378 ] ' - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः साहिति तकराणं, गामागरनगरपट्टणे य साहिति चारियाणं, पारघाइयपंथवातियायो साहति य गंठिभेयाणं, कयं च चोरियं नगरगोत्तियाणं 11 / लंकण-निलंछण-धमण-दुहण-पोसण-वणण-दवण-वाहणादियाइं साहिति बहूणि गोमियाणं धातुमणिसिल-प्पवाल-रयणागरे य साहिति अागरीणं पुप्फविहिं फलविहिं च साहिति मालियाणं, अग्धमहुकोसए य साहिति वणचराणं 12 / जंताई विसाई मूलकम्मं श्रोहेव(हिव्व)ण(प्राविंधण) अाभियोग-मंतोसहिप्पयोगे चोरियपरदारगमण-बहुपावकम्मकरणं उक्खंधे गामघातियायो वणदहण-तलागभेयणाणि बुद्धिविसविणासणाणि वसीकरणमादियाइं भयमरण-किलेसदोस-जणणाणि भावबहुसंकिलिट्ठमलिणाणि भूतघातोवघातियाइं सच्चाईपि ताइं हिंसकाइं वयगणाई उदाहरंति, पुट्ठा वा अपुटा वा परतत्तियवावडा य असमिक्खियभासिणो 13 / उवदिसंति सहसा उट्टा, गोणा, गवया दमंतु परिणयवया, अस्सा हत्थी गवेलगकुक्कुडा य किज्जंतु, किणावेध य विक्केह पयह य सयणस्स देह पियय(खादत पिबत दत्त य) दासिदासभयकभाइलका, य सिस्सा य, पेसकजणो, कम्मकरा य, किंकरा य, एए सयणपरिजणो य कीस अच्छंति, भारिया मे करित्तु कम्मं गहणाई वणाई खेत्तखिलभूमिवल्लराइं (छिन्दाखिलभूमिवल्लराणि) उत्तणघणसंकडाई डझंतु सुडिज्जंतु य वखा भिज्जंतु जंतभंडाइयस्स उवहिस्स कारणाए बहुविहस्स य अट्टाए उच्छु दुज्जंतु पीलिज्जंतु य तिला, पयावेह य इट्टकाउ, मम घरट्ठयाए खेत्ताई कसह कसावेह य, लहुँ गाम-यागर-नगर-खेडकब्बडे निवेसेह अडवीदेसेसु विपुलसीमे, पुष्पाणि य फलाणि य कंदमूलाई कालपत्ताई गेराहेह, करेह संचयं परिजणट्टयाए, साली कीही जवा य लुच्चंतु मलिज्जंतु उप्पणिज्जंतु य लहूं च पविसंतु य कोट्ठागारं, अप्पमहउक्कोसगा य हंमंतु, पोयसत्था सेणा णिजाउ, जाउ डमरं, घोरा वट्टतु च संगामा, पवहंतु य सगडवाहणाई, Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 2 ] [ 374 उवणयणं चोलगं विवाहो जन्नो श्रमुगम्मि उ होउ दिवसेसु करणेसु मुहत्तेसु नक्खत्तेसु तिहिसु य 14 / अज होउ राहवणं मुदितं बहुखजपिजकलियं कोजुकं विराहावणकं, संतिकम्माणि कुणह, ससिरवि-गहोवराग-विसमेसु सजणपरियणस्स य नियकस्स य जीवियस्स परिरक्खणट्टयाए पडिसीसकाई च देह दह य सीप्तोवहारे विविहोसहि-मन्जमंस-भक्खन्नपाण-मल्लाणुलेवण-पईवजलिउजल-सुगंधिधूवावकार-पुष्फफलसमिद्धे पायच्छिते करेह, पाणाइवायकरणेणं बहुविहेगां विवरीउप्पाय-दुस्सुमिण-पावसउण-असोमग्गहचरियअमंगलनिमित्तपडीघायहेउं वित्तिच्छेयं करेह, मा देह किंचि दाणं, सुठ्ठ हो (सुठ्ठ हो) सुठ्ठ छिनो भिन्नति उवदिसंता एवंविहं करेंति, अलियं मणेण वायाए कम्मुणा य 15 / अकुसला अणज्जा अलियाणा अलीयधम्मणिरया, अलियासु कहासु अभिरमंता, तुट्टा अलियं करेतु होति य बहुप्पयारं 16 // सू० 7 // तस्स य अलियस्स फलविवागं, अयाणमाणा वड्टेंति, महाभयं अविस्सामवेयणं दीहकालं बहुदुक्खसंकडं नरयतिरियजोणिं, तेण य अलिएण समणुबद्धा पाइद्धा पुणब्भवंधकारे भमंति भीमे दुग्गतिवसहिमुवगया, ते य दीसंतिह दुग्गया, दुरंता, परवस्सा अत्थभोगपरिवजिया, असुहिता, फुडियच्छवि-बीभव्छविवन्ना, खर-फरुस-विरत्तज्झामज्भुसिरा, निच्छाया, ललविफलवाया, असकतमसकया, अगंधा, अचेयणा, दुभगा, अकंता, काकस्सरा, हीणभित्रघोसा, विहिंसा, जडबहिरन्धया (जडबहिरमूया) य मम्मणा, अकंत(अकय)विकयकरणा, णीया णीयजणनिसेविणो लोगगरहणिज्जा, भिचा असरिसजणस्स पेस्सा, दुम्मेहा, लोकवेदअज्झप्पसमयसुतिवन्जिया, नरा धम्मबुद्धिवियला 1 / अलिएण य तेणं पडज्झमाणा य असंतएण श्रवमाणण-पिट्ठिमंसाहिक्खेव-पिसुण-भेयणगुरुबंधव-सयण-मित्तवक्खारणादियाई अब्भक्खाणाई बहुविहाई पावेंति, अणुपमाणि (अमणोरमाइं) हियय-मणदूमकाई जावज्जीवं दुरुद्धराइं अणि?खर Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 38.] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागा फरुसवयण-तजणनिभच्छण-दीणवदणविमणा कुभोयणा, कुवाससा, कुवसहीसु किलिस्संता नेव सुहं नेव निव्वुई उवलभंति अच्चंतविपुल-दुक्खसयसंप. लि(उ)त्ता 2 / एसो सो अलियवयणस्स फलविवाश्रो इहलोइयो, परलोइत्रो, अप्पसुहो, बहुदुक्खो, महब्भयो, बहुरयप्पगाढो, दारुणो, ककसो, असायो वाससहस्सेहिं मुच्चइ, न य अवेदयित्ता अस्थि हु मोक्खोति, एवमाहंसु नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसी य अलियवयणस्स फलविवागं, एयं तं वितीयंपि अलियवयणं लहुसग-लहुचवलभणियं, भयंकर, दुहकरं, अयसकर, वेरकरगं, अरतिरति-रागदोस-मणसंकिलेसवियरणं, अलिय-णियडिसादि-जोगबहुलं नीयजणनिसेवियं, निसे(सं)सं, अपञ्चयकारक, परमसाहुगरहणिज्ज परपीलाकारकं परमकराहलेससहियं, दुग्गतिविनिवायवडणं, पुणब्भवकर, चिरपरिचियमणागयं, दुरुत्तं तिबेमि, 3 / बितियं अधम्मदारं समत्तं // 2 // सू० 8 // // इति दितीयमध्ययनम् // 2 // // 3 // अथ अदत्तादानाश्रवकर्माख्यं तृतीयमध्ययनम् // ___जंबू ! तइयं च अदत्तादाणं हर-दह-मरण-भय-कलुसतासण परसंतिगऽभेजलोभमूलं, कालविसमसंसियं, अहोऽच्छिन्न-तराहपत्थाण-पत्थोइमइयं, अकित्तिकरणं, अणज्ज, छिद्दमंतर-विधुर-वसण-मग्गण-उस्सव-मत्तप्पमत्तपसुत्तवंचण-विखवण-घायण-परा-णिहुयपरिणाम-तकरजणबहुमयं 1 / अकलुणरायपुरिस-रक्खियं, सया साहु-गरहणिज्ज, पियजण-मित्तजण-भेदविप्पीतिकारकं, रागदोसबहुलं पुणो य उप्पूर-(थुर)समर-संगाम-डमर-कलि-कलह-वे(व)हकरणं, दुग्गइ-विणिवाय-वडणं, भव-पुणभव-करं, चिर-परिचित मणुगयं दुरंत तइयं अधम्मदारं 2 // सू० 1 // तस्स य णामाणि गोन्नाणि होति तीसं, तंजहा-चोरिक्कं 1 परहडं 2 अदत्तं 3 कूरिकडं (कुसटुयकयं) 4 परलाभो Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नामवनव्याकरणदाज अध्ययन 3 ] 5 संजमो 6 परधर्णमि गेही 7 लोलिक्क 8 तकरतणंति य 1 अवहारो 10 हत्थलहुतणं 11 पावकम्मकरणं. 12 तेणिक्कं 13 हरणविप्पणासो 14 अादियणा 15 लुपणा धणाणं 16 अपचयो 17 अ(यो)वीलो 18 अक्खेवो 11 खेदो 20 विक्खेवो 21 कूडया 22 कुलमसी य 23 कंखा 24 लालप्पणपत्थणा य (प्रासायणा य) 25 श्राससणा य वसणं 26 इच्छामुच्छा य 27 तराहागेहि 28 नियडिकम्म 21 अपरच्छंतिवि य 30 तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेजाणि होति तीसं अदिन्नादाणस्स पाव-कलि-कलुसकम्म-बहुलस्स अणेगाइं // सू० 10 // तं पुण करेंति चोरियं तकरा परदब्बहरा, छेया कयकरण-लद्धलक्खा, साहसिया, लहुस्सगा अतिमहित्या, लोभगच्छा, दहरोवीलका य, गेहिया, अहिमरा, अणभंजका भग्गसंधिया, रायदुट्ठकारी य विसय-निच्छूट-लोकबज्झा, उद्दोहक-गामघायकपुरघायग-पंथघायग-पालीवग-तिस्थभेया, लहुहत्थ-संपउत्ता, जुइकरा, खंडवखस्थीचोर-पुरिसचोर-संधिच्छेया य, गंथिभेदग-परधणहरण-लोमावहारा अवखेवी (परधणलोमावहार-अक्वेव-) हडकारका, निम्मदग-गूढचोरक-गोचोरग-अस्सचोरग-दासिचोराय, एकचोरा, बोकड्डक-संपदायक-उच्छिपक-सत्थधायक-बिलचोरी(कोली)-कारका य, निग्गाह-विप्पलुपगा, बहुविह-तेणिक(तहव)हरणबुद्धी, एते अन्ने य एवमादी परस्स दबाहि जे अविरया 1 / विपुल-बलपरिग्गहा य बहवे रायाणो परधणंमि गिद्धा, सए व दवे असंतुट्ठा परविसए यहिहणंति ते लुद्धा, परधणस्स कज्जे चउरंग-विभत्त(समत्त)वलसमग्गा, निच्छिय-वरजोह-जुद्ध-सद्धिय-अहमहमिति-दप्पिएहिं सेन्नेहिं संपरिपुडा, पउम-सगड-सूइ-चक-सागर-गरुल-बूहातिएहिं श्रणिएहिं उत्थरंता, अभिभूय हरंति परधणाई 2 / श्रवरे रणसीस-लद्धलक्खा संगामंमि अतिवयंति, सन्नद्ध-बद्ध-परियर-उप्पीलिय-चिंध-पट्ट-गहियाउह-पहरणा, मादि(गूड)-वरकम्म गुडिया, श्राविद्ध-जालिका, कवय-कंक-डइया 3 / उर-सिर-मुहबद्ध Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / श्रीमदाममसुधासिन्धुः / चतुर्क विभागा कंठ-तोणमाइत-वरफलह-रचित-पहकर-सरहस-खरचावकर-करंछिय-सुनिसित. सरवरिस-चडकरक-मुयंत(मत्त)-घणचंड-वेगधारा-निवायमग्गे(मंते) 3 / श्रणेग-धनुमंडलग्ग-संधिताउच्छलिय-सत्ति-सूल-कणग-वामकर-गहिय-खेडगनिम्मल-निकिट्ठ-खग्ग-पहरंत-कोंत-तोमर-चक्क-गया-परसु-मुसल-लंगल-सूललउल-भिडिमाला-सब्बल-पट्टिस-चम्मेठ्ठ-दुघण-मोट्ठिय-मोग्गर-वरफलिह-जंतपत्थर-दुहण-तोण-कुवेणी-पीढकलिय-ईलीपहरण-मिलिमिलिमिलत-खिप्पंतविज्जुज्जल-विरचित-समप्पहण-भूतले, फुडपहरणे, महारण-संख-भेरि-दुंदुभिवरतूर-पउर-पडुपहडाहय-णिणाय-गंभीर-णंदित्तं पक्खुभिय-विपुलघोसे,४ / हयगय-रह-जोह-तुरित-पसरित-उद्धत-तमंधकार-बहुले, कातरनर-णयण-हिययवाउलकरे // विलुलिय-उकड-वरमउड-तिरीड-कुंडलोडुदामाडोविया पागड-पडाग-उसिय-ज्झय-वेजयंति-चामर-चलंतछत्तंधकार गम्भीरे, हयहेसियहत्थिगुलुगुलाइय-रहघणघणाइय-पाइकहरहराइय-अफाडियसीहनाया, छेलियविघुटुक्कुट्ठ-कंठगय-सह-भीम-गजिए, सयराह-हसंत-रसंत-कलकलरवे, 5 / अासूणिय-वयणरुद्दे,भीम-दसणाधरो? गाढद?,सप्पहार-गुजयकरे, अमरिसवस-तिब्व-रत्त-निदारितच्छे, वेरदिट्ठि-कुद्ध-चिट्ठिय-तिवली-कुडिल-भिउडि. कनिलाडे, वह-परिणय-नरसहस्स-विकम-वियंभिय-बले 6 / वग्गंततुरग-रह-पहाविय-समरभडा, बावडिय-छेय-लाघव-पहारसाधिता, समूस्सियबाहुजुयलं मुकट्टहास-पुक्कंत-बोलबहुले, फुरफलगावरण-गहिय-गयवरपत्थित-दरिय-भडखल-परोप्पर-पलग्ग-जुद्ध-गब्बित-विउसित-वरासिरोस-तुरिय-अभिमुह-पहरित-छिन्न-करिकर-वियंगियकरे, श्रद इद्ध-निसुद्ध-भिन्नफालिय-पगलिय-रुहिर-कंत-भूमिकद्दम-चिलिचिल्लपहे, कुच्छि-दालिय-गलिंतरुलित-निभेलंतंत-फुरफुरंत-विगल-मम्माहय-विकय गाढ-दिन्नपहार-समुच्छितरुलंत-वेंभल-विलाव-कलुणे, 7 / हय-जोह-भमंत-तुरग-उद्दाम-मत्त-कुंजरपरिसंकित-जण-निब्बुकच्छिन्नधय-भग्ग-रहवर-नट्ट-सिर-करि-कलेवराकिन्न-पति Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भामरनव्याकरणदशा-लम् / अध्ययनं 1 ] त-पहरण-विकिनाभरण-भूमिभागे, नचंतकबंध-पउरभयंकरवायस-परिलितगिद्ध-मंडल-भमंत-च्छायधकार-गंभीरे, वसु-वसुह विकंपितब्व पिच्चरख-पउवणं परम-रुद-बीहणगं दुप्पवेसतरगं अभिवयंति संगाम-संकडं परधणं महता, 8 / अवरे पाइक-चोरसंवा सेणावति-चोरवंद-पागडिढका य. अंडवीदेस-दुग्गवासी काल-हरित-रत्त-पीत-सुकिल्ल-अणेग-सयचिंध-पट्टबद्धा परविसए अभिहणंति 1 / लुद्धा धणस्स कज्जे रयणागर-सागरं उम्मी-सहस्स मालाउलाकुल-वितोयपोत-कलकलेंत-कलियं, पायाल-सहस्स-वायवस-वेग-सलिल-उद्धम्ममाणदगरय-रयंधकार, वरफेण-पउर-धवल पुलंपुल-समुट्ठियट्टहासं, मारुय-विच्छुः भमाण-पाणियं, जलमालुप्पील-हुलियं; अविय समंतयो, 10 / खुभियलुलिय-खोखुम्भमाण पक्खलिय-चलिय-विपुल-जलचकवाल-महानई-वेग-तुरिः य-श्रापूरमाण-गंभीर-विपुल-पावत्त-चाल-भममाण-गुप्पमाणुच्छलंत-पच्चोणियत्त-पाणिय-पधाविय-खर-फरुस पयंड-बाउलिय-सलिल-फुट्टत-वीति-कलोलसंकुलं, महामगर-मच्छ-कच्छभोहार-गाह-तिमि-सुसुमार-सावय-समाहय-समुद्धायमाण कपूर-घोरपउरं, कायर जण-हिययकंपणं, घोरमारसंतं, महब्भयं, भयंकरं, 11 / पतिभयं, उत्तासणगं, अणोरपारं, अागासं चेव निरवलंब, उपाइय-पवण-धणित-नोल्लिय-उवरुवरि-तरंग-दरिय-अतिवेग-वेग-चवखुपहमुन्छरंतं, कच्छइ-गंभीर-विपुल-गजिय-गुजिय-निग्घाय-गरुय-निवतित-सुदीहनीहारि-दूरसुव्वंत-गंभीर-धुगधुगंत-सह, पडिपह-रुभंत-जवख-रवखसकुहंड-पिसाय-पगजिय(रुसिय-तजाय)-उवसग्ग-सहस्स-संकुलं, बहूप्पाइय(उबव)भूयं, विरचित-बलि-होम-धूव-उवचार-दिन-रुधिरचणा करण–पयतजोगव्ययचरियं, परियन्त-जुगंत-काल-कप्पोवमं, दुरंतं महानई-नई-बई-महाभीम-दरिसणिज्ज, दुरणुचरं, विसमप्पेवसं, दुक्खुत्तारं, दुरासयं, लवणसलिल-पुराणं, असिय-सिय-समूसिय-गेहिं दच्छतरकेहिं वाहणेहिं अइवइत्ता समुद्दमज्झे हणंति, गंतूण जणस्स पोते. 12 / परदव्वहरा नरा निरणुकंपा Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुलाणादाणं गवेसमाणालित्वयण-अवसई , वेयालाष्ट्राधाबीन 386 [ श्रीमदाणमसुधासिन्धुर / चतुर्थो पिनागर निरावयक्खा गामागर-नगर-खेड-कबड-मडंब-दोणमुह-पट्टणा-समणिगम-जणवय ते य धणसमिद्धे हणंति, थिरहिया य छिन-लज्जा बंदिग्गाह-गोग्गहे य गेराहंति, 13 / दारुणमती णिकिवा णियं हणंति. छिदंति गेहसंधि, निक्खित्ताणि य हरंति, धण-धन-दव्वजायाणि जणवयकुलाणं णिग्धिणमती परस्स दब्बाहिं जे अविरया 14 / तहेव केई अदिन्नादाणं गवेसमाणा कालाकालेसु संचरंता चियका-पजलिय-सरस-दरदवकड्डिय-कलेवरे रुहिर-लित्त-वयण-अखत(अदर)खातिय-पीत-डाइणि भमंतभयकर-जंबुयक्खिक्खियंते, घुय कय-घोरसद्दे, वेयालुट्ठिय-निसुद्ध-कहकहितपहसित-बीहणक-निरभिरामे, अति-बीभन्छ-दुन्भि-गंध, (दुरभिगंध)बीभच्छ-दरसणिज्जे सुसाण-वण-सुन्नघर-लेण-अंतरावण-गिरिकंदर-विसम-सावय-समाकुलासु वसहीसु किलिस्संता, सीतातव-सोसिय-सरीरा-दड्डच्छवी निरय-तिरिय-भवसंकड दुक्ख-संभार-वेयणिजाणि पावकम्माणि संचिणंता, 15 / दुलहभक्खन्न-पाणभोयणा, पिवासिया, झुझिया, किलंता, मंस कुणिम-कंदमूलजंकिचि कयाहारा, उब्विगा, उप्पुया, असरणा, अडवी वासं उर्वति 16 / वाल-सत-संकणिज्ज अयसकरा तकरा भयंकरा कस्स हरामोत्ति अज दव्वं इति सामत्थं करेंति, गुज्झं बहुयस्स जणस्स कजकरणेसु विग्धकरा मत्तपमत्त-पसत्त-वीसत्थ-छिद्दघाती वसणभुदएसु हरणबुद्धि विगव्व-रुहिर महिया परेंति नरवति-मजाय-मतिकता सजण-जण-दुगंछिया सकम्मेहिं पावकम्मकारी असुभ-परिणया य दुक्खभागी निचाउल-दुहमनिव्वुइमणा इहलोके चेव किलिस्संता परदव्वहरा नरा वसणसय-समावराणा 17 // सू० 11 // तहेव केइ परस्स दव्वं गवेसमाणा गहिता य हया य बद्धरुद्धा य तुरियं अतिधाडिगा पुरवरं समप्पिया चोरग्गह-चार-भड-चाडुकराण तेहि य कप्पडप्पहार-निद्दयारक्खिय-खर-फरुसवयण-तज्जण-गलच्छल्लुच्छलणाहिं विमणा चारगवसहिं पवेसिया निरय-वसहि-सरिसं तत्थवि 1 / गोमिय Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् :: अध्ययनं 3 ] [385 प्पहार-दूमण-निभच्छण-कडुय-बद(य)ण-भेसणग(गाभयाभिभूया, अक्खित्तनियंसणा, मलिण-दंडि-खंड-वसणा, उकोडा-लंच-पासमग्गण-परायणेहिं [ दुक्खसमुदीरणेहिं ] गोम्मियभडेहिं विविहेहिं बंधणेहिं, कि ते ? 2 / हडि निगड-वालरज्जुय-कुदंडग-वरत्त-लोहसंकल-हत्थु दुय-वजपट्ट-दामकणिकोडणेहिं अन्नेहि य एवमादिएहि गोम्मिक-भंडोवकरणेहिं दुवखस्यसमुदीरणेहिं संकोड मोडणाहिं बझति मंदपुन्ना, संपुड कवाड-लोहपंजरभूमिधर निरोह-कूव-चारग-कीलग-जूय-चक्क-विततबंधण-खंभालण-उद्ध चलणबंधण-विहम्माणाहि य विहेडयन्ता, 3 / अवकोडक-गाढ-उर-सिर-बद्ध-उद्धपरित(पुरीय)-अशुभ-परिणया य फुरंत-उर-कडग-मोडणामेडणाहिं बद्धा य नीससंता, सीसावेढ-उरुयाल(यावल)चप्पडग-संधिबंधण-तत्त-सलाग-सूइयाकोडणाणि तच्छण-विमाणणाणि य खार-कडुयतित्त-नावण-जायणा-कारणसयाणि बहुयाणि पावियंता, उरक्खोडीका-दिन-गाढपेलण-अट्टिक-संभग्ग-सुपांसुलिगा गल-कालक-लोहदंड--उर-उदर-बस्थि परिपीलिता, मच्छत-हियय-संचुरिणयंगमंगा, पाणती-किंकरहिं, केति अविराहिय-वेरिएहिं जमपुरिस-सन्निहिं पहया, 4 / ते तत्थ मंदपुराणा चडवेला-वजपट्ट-पाराइं-छिव-कस-लत्ता-वरत्तनेत्तप्पहार-सय-तालियंगमंगा, किवणा, लंबंत चम्मवण-वेयण-विमुहिय-मणा, घण-कोट्टिम-नियल-जुयल-संकोडिय-मोडिया य किरंति, निरुचारा असंचरणा एया अन्ना य एवमादीयो वेयणाश्रो पावा पावेंति 5 / अदंतिदिया वसट्टा बहुमोहमोहिया, परधणंमि लुद्धा, फासिदिय-विसय-तिब्वगिद्धा, इत्थि-गयरूव-सह-रस-गंध-इट्ठरति-महित-भोग-तराहाइया य धणतोसगा, गहिया य जे नरगणा 6 / पुणरवि ते कम्म-दुब्बियद्धा उवणीया रायकिंकराण तेसि वह-सत्थग-पाढयाणं, विलउली-कारकाणं, लंचसय-गेराहगाणं, कूड-कवडमाया-नियडि-शायरण-पणिहि-वंचण-विसारयाणं, बहुविह-श्रलिय-सत-. जपकाणं, परलोक-परम्मुहाणं. निरयगति-गामियाणं तेहि य प्राणत्त Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / श्रीमदार्गमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागी जीयदंडा तुरिय उग्घाडिया पुरवरे सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह पहेसु वेत्तदंड-लउड-कट्ठ-ले?-पत्थर–पणालि-पणोल्लि-मुट्ठिलया-पादपरिहजाणु-कोपर-पहार-संभग्ग महेयगत्ता,७। अट्ठारस-कम्मकारणा, जाइयंगमंगा, कलुणा, सुक्कोट्ठ-कंठ-गलक-तालु-जीहा, जायंता, पाणीयं विगय-जीवियासा, तराहादिया, वरागा तपि य ण लभंति वझपुरिसेहिं निधाडियंता, 8 / तत्थ य खर-फरुस-पडह-घट्टित-कूडग्गह-गाढ-रुट्ठ-निसट्ट-परामुट्ठा, वज्म-करकुडिजुय-नियत्था, सुरत्त कणवीर-गहिय-विमुकुल कठेगुण-वज्मदूत-पाविद्ध मल्लदामा, मरणभयूप्पण्ण-सेद-बायतणेहुनुपिय-किलिन्नगत्ता, चुराणगुडियसरीररयरेणुभरियकेसा, कुसुभ-गोक्किन्न-मुद्धया (कुसुमगोरवन्न-मुद्रेया) छिन्नजीवियासा, घुन्नत्ता, वज्झप्पाणपीया-(याणभीया) तिलं तिलं चेव छिजमाणा, सरीर-विकिन्त-लोहि-श्रोलित्त-कागणिमंसाणि खावियंता, पावा खरफरुसएहिं तालिजमाणदेहा, वातिकर-नरनारि-संपरिवुडा, पेच्छिज्जंता य नागरजणेण वज्झनेवत्थिया पणोज्जति नयरमज्भेण किवणकलुणा, अत्ताणा, असरणा, अणाहा, प्रबंधवा, बंधुविप्पहीणा, विपिक्खिता, दिसोदिसि. मरणभयुब्बिग्गा, आघायण-पडिदुवार-संपाविया, अधन्ना, सूलग्ग-विलग्ग-भिन्नदेहा, ते य तत्थ कीरति परिकप्पियंगमंगा उल्लंबिज्जति रुखसालासु, केइ कलुणाई विलवमाणा, 1 / अवरे चउरंग-धणियबद्धा पव्यय-कडगा पमुच्चंते दूरपात बहुविसम-पत्थर-सहा, अन्ने य गयचलण-मलणय-निम्मदिया कीरंति, पावकारी अट्ठारस-खंडिया य कीरंति मुंड-परसूहि, केइ उक्त्त-कन्नोट्ठ नासा, उप्पाडिय-नयण-दसण-वसणा, जिभिदिय-छिया, छिनकनसिराः पणिज्जते छिजन्ते य, असिणा, निधिसया चिनहत्थपाया पमुच्चंते, जावजीवबंधणा- य कीरंति, केइ परदब-हरण-लुद्धा, कारग्गल-नियल-जुयल-रुद्धा, चारगावहतसारा, 10 / सयण-विप्पमुक्का मित्तजण-निरक्खि(रकि)या, निरासा, बहुजण-धिकार-सह सुलग्ग-विलग मित्रमविग्गा, बाघापा, धुविष्पहीणा, Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्मरनव्याकरणदशाङ्ग-सम् / अध्ययनं 3 1 [ 300 .. लजायिता [अलज्जाविया] अलज्जा, अणुबद्धखुहा, पारद्धा, सी-उराह-तरह वेयण-डुग्घट्ट-घट्टिया, विवन्न-मुह-विच्छविया, विहल-मलिन-दुब्बला, किलंता, कासता, वाहिया य श्रामाभिभूय-गत्ता परूढ-नह-केस-मंसु-रोमा छगमुत्तमि णियगंमि खुत्ता तत्थेव मया अकामका 11 / बंधिऊण पादेसु कडिया खाइयाए छूढा, तत्थ य विग-सुणग-सियाल-कोल-मजार-चंड-संदंसग-तुंडपक्खिगण-विविह-मुह-सय-विलुत्तगत्ता, केइ विहंगा, केइ किमिणा य कुहियदेहा, अणिट्ठवयणेहिं सप्पमाणा, सुट्ठ कयं जं मउत्ति पावो तुडठेणं जणेण हम्ममाणा, लजावणका च होंति सयणस्सवि य दीहकालं 12 / मया संता, पुणो परलोग-समावना नरए गच्छति निरभिरामे अंगारपलित्तक-कप्प-अञ्चत्थ-सीतवेदण-अस्साउदिन्न-सय-तद् दुक्ख-सय-समभिद्दुते 13 / ततीवि उवट्टिया समाणा पुणोवि पवज्जति तिरियजोणिं, तहिंवि निरयोवमं अणुहवंति वेयणं, ते अणंतकालेण जति नाम कहिंवि मणुयभावं लभ ति णेगेहिं णिरयगतिगमण-तिरियभव-सयसहस्स-परिय? हिं 14 / तत्थवि य भमंतऽणारिया नीचकुल-समुप्पण्णा अारियजणेवि लोगवन्झा तिरिक्खभूता य अकुसला कामभोगतिसिया जहिं निबंधति निरयवत्तणिभवप्पवंच-करण-परणोल्लि(या) पुणोवि संसार(रावत्त)गोममूले धम्मसुतिविवजिया अणजा कूरा मिच्छत्तसुति-पवन्ना य होंति एगंत-दंड-रुइणो वेटेंता कोसिकार-कीडोव्व अप्पगं अट्टकम्म-तंतु-घणबंधणेणं 15 / एवं नरग-तिरिय-नर-अमर-गमण-पेरंत-चक्वालं, जम्म-जरा-मरणकरण-गम्भीर-दुक्ख-पक्खुभिय-पउरसलिलं, संजोग-वियोग-वीचीचिंता-पसंग-पसरिय-वह-बंध-महल्ल-विपुल-कलोल-कलुण-विलवितलोभ-कलक-लित-बोलबहुलं, अवमाणण-फेणं, तिब्व-खिसण-पुलंपुलप्पभूय-रोग-वेयण-पराभव-विणिवात-फरुस-धरिसण-समावडिय-कठिणणकम्म-पत्थर-तरंग-रंगंत-निच्च-मच्चुभय-तोयपटुं, कसाय-पायाल-कलस Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दागमसुवासिन था विभाग संकुलं, भव-सयसहस्स-जलसंचयं, अणतं, उव्वेवणयं, अणोरपार, महन्भयं भयंकरं, पइभयं, अपरिमिय-महिच्छ-कलुसमति-वाउ-वेग-उद्धम्ममाणश्रासा-पिवास-पायाल-काम-रति-राग-दोस-बंधण--बहुविह-संकप्पविपुल-दगरय-रयंधकारं, मोह-महावत्त-भोग-भममाण-गुप्पमाणुच्छलंतबहु-गम्भवास-पच्चोणियत्त-पाणियं, पधावित(वाहिय)-वसण-समावनरुन-चंड-मारुत-समाहया-मणुन-वीची-वाकुलित-भंग--फुट्टत-णि?कल्लोल-संकुलजलं, पमाय-बहुचंड-दुट्ठ-सावय-समाहय-उद्धायमाणग-पूरघोरविद्धंसणस्थ-बहुलं, अराणाण-भमंत-मच्छपरिहत्थं अनिहुतिदियमहामगर-तुरिय-चरिय-खोखुब्भमाण-संताव-निच्चय-चलंत-चवल-चंचलअत्ताणऽसरण-पूव्वकय-कम्म-संचयोदिन्न-वज-वेइज्जमाण-दुहसय-विपाकघुन्नंत-जलसमूह, इडि-रस-सोय-गारवोहार-गहिय-कम्मपडिबद्ध-सत्तकडिजमाण-निरयतल-हुत्तसन्न-विसन्न–बहुलं, अरइ-रइ-भय-विसायसोग-मिच्छत्त-सेलसंकडं, अणाति-संताण-कम्मबंधण-किलेस-चिविखल्लसुदुत्तारं, अमर-नर-तिरिय-निरय-गतिगमण-कुडिल-परियत्त-विपुलवेलं, हिंसालिय--अंदत्तादाण-मेहुण-परिग्गहारंभ-करण-कारावणाणुमोदण श्रीविह-अणिट्टकम्म-पिंडित-गुरुभारवकंत-दुग्ग-जलोघ-दूरनिबो(पणो)लिजमाण-उम्मग्गनिमग्ग-दुल्लभ-तलं, सारीर-मणोमयाणि दुक्खाणि उप्पियंता सातस्स य परित्तावणमयं उब्बुड्डनिबुड्डयं करता, चउरंत-महंतमणवयग्गं, रुद्द, संसारसागर, अट्ठियं, श्रणालंबण-मपतिट्ठाण-मप्पमेयं, चुलसीति-जोणि-सयसहस्स-गुविलं नालोक-मंधकारं श्रणंतकालं निच्चं उत्तत्थ-सुराण-भयसराणसंपउत्ता वसंति 16 / उविगा वासवसहि जहिं ग्रांउयं निबंधंति पावकम्मकारी बंधवजण-सयण-मित्त-परिवजिया, अणिट्ठा भवंति, अणादेज-दुविणीया कुठाणासण-कुसेज-कुभोयणा, असुइणो, कुसंघयण-कुप्पमाण-कुसंठिया, कुरूवा, बहु-कोह-माण-माया Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रस्नव्याकरणदशाङ्ग-त्रम् : अध्ययनं / ] लोभा, बहुमोहा, धम्म-जन्न-सम्मत्त-परिभट्ठा, दारिदोवद्दवाभिभूया, निच्चं परकम्मकारिणो जीवणत्थरहिया, किविणा, परपिंडतकका, दुक्खलद्धाहारा, अरस-विरस-तुच्छ-कयकुच्छिपरा, परस्स पेच्छंता, रिद्धिसकार-भोयण-विसेस–समुदयविहिं निदंता, अप्पकं कयंतं च परिखयंता, इह य पुरेकडाई कम्माइं पावगाई विममासो सोएण डज्झमाणा, परिभूता होति। सत्तपरिवजिया य छोभा-सिप्पकला-समयसत्थपरिवजिया, जहाजायपसुभूया, अवियत्ता, णिच-नीयकम्मोवजीविणो, लोयकुच्छणिजा मोघमणोरहा, निरासबहुला, श्रासापास-पडिबद्धपाणा, अत्थोपायाण-कामसोक्खे य लोयसारे होति 17 / अफलवंतकाय सुट्ठविय उज्जमंता,तदिवसेसुज्जुत्त-कम्म-कयदुक्ख संउत्रियसिस्थपिंड-संचया पक्खीण-दव्वसारा, निच्चं अधुव-धण-धराण-कोस-परिभोगविवज्जिया, रहिय-काम-भोग-परिभोग-सव्वसोक्खा, पसिरि-भोगोवभोगनिस्साण-मग्गण-परायणा, वरागा, अकामिकाए विणेति 18 / दुक्खं णेव सुहं णेव निव्वुतिं उबलभंति, अच्चंत-विपुल-दुक्ख-सय-संपलित्ता परस्स दव्वेहि जे अविरया एसो सो अदिराणादाणस्स फलविवागो इहलोइयो, पारलोइत्रो, अप्पसुहो, बहुदुक्खों, महब्भश्रो बहुरयप्पगाढो, दारुणो, ककसों, असायो, वाससहस्सेहिं मुच्चति, न य अवेयइत्ता अस्थि उ मोक्खोत्ति, एवमाहंसु णायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरखरनामधेज्जो कहेसी य श्रदिराणादाणस्स फलविवागं एयं तं ततियंपि अदिन्नादाणं हर-दहमरण-भय-कलुस-तासगा-परसंतिकभेज-लोभमूलं एवं जाव चिरपरिगतमणुगतं दुरतं तिबेमि 16 // 3 // सू० 12 // ततियं अहम्मदारं समत्तं // // इति तृतीयमध्ययनम् // 3 // Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 39. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागः - // 4 // अथ अब्रह्माश्रवाख्यं चतुर्थमध्ययनम् // जंबू ! अबंभं च चउत्थं सदेवमणुयासुरस्स लोयस्स पत्थणिज्ज, पंक-पणय-पास-जालभूयं, थी-पुरिस-नपुंस-वेद-चिंधं, तव-संजम बंभचेर-विग्धं, भेदायतण-बहुपमाद-मूलं, कायर-कापुरिस-सेवियं, सुयणजण-वज्जणिज्जं, उह-नरय-तिरिय-तिलोक-पइट्टाणं, जरा-मरणरोग-सोग-बहुलं, वध-बंधविघात-दुविधायं, दंसण-चरित्त-मोहस्स हेउभूयं, चिरपरिगयमणुगयं दुरंत चउत्थं अधम्मदारं // सूत्र 13 // तस्स य णामाणि गोन्नाणि इमाणि होति तीसं, तंजहा-अबभं 1 मेहुणं 2 चरंतं 3 संसग्गि 4 सेवणाधिकारो 5 संकप्पो 6 वाहणा पदाणं 7 दप्पो 8 मोहो 1 . मणसंखोभो 10 अणिग्गहो 11 बुग्गहो 12 विघात्रो 13 विभंगो 14 विन्भमो 15 अधम्मो 16 असीलया 17 गामधम्मतित्ती 18 रती 11 रागचिंता 20 कामभोगमारो 21 वेरं 22 रहस्सं 23 गुन्झ 24 बहुमाणो 25 बंभचेरविग्धो 26 वावत्ति 27 विराहणा 28 पसंगो 21 कामगुणो. 30 त्ति विय तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेज्जाणि होति तीसं // सूत्रं 14 // तं च पुण निसेवंति सुरगणा सबच्छरा मोहमोहियमती, असुर-भुयगगरुल-विज्जु-जलण-दीव-उदहि-दिसि-पवण-थणिया, अणनि-पणवंनिय-इसिवादिय-भूयवादिय-कंदिय-महाकंदिय-कूहंड-पयंगदेवा, पिसायभूय-जक्ख-रक्खस-किनर-किंपुरिस-महोरग-गंधव्वा, तिरिय-जोइसविमाणवासि-मणुयगणा, जलयर-थलयर-खहयरा य, मोहपडिबद्धचित्ता, अवितराहा, कामभोगतिसिया, तराहाए बलवईए महइए समभिभूया गढिया य अतिमुच्छिया य, अबभे उस्सरणा तामसेण भावेण अणुम्मुका, दंसणचरित्तमोहस्स पंजरं पिव करेंति 1 / अन्नोऽन्नं सेवमाणा, भुज्जो असुरसुर-तिरिय-मणु-भोगरति-विहार-संपउत्ता य चकवट्टी सुरनरवतिसक्या, सुखरुव्व देवलोए भरह-णग-णगर-णियम-जणवय-पुरवर-दोणमुह 27 विराणा 26 जाण होति तीस. असुर भुयग Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् - अध्ययनं 4 ] ( 361 खेड-कबड-मडंब-संवाह-पट्टणसहस्समंडियं थिमियमेयणियं एगच्छत्तं ससागरं भुजिऊण वसुह, नरसीहा, नरबई, नरिंदा, नरवसभा, मरुयवसभकप्पा, अमहियं रायतेयलच्छीए दिप्पमाणा, सोमा, रायवंसतिलगा 2 / रवि-ससि-संख-वरचक-सोत्थिय-पडाग-जब-मच्छ-कुम्म-रहवर-भगभवण-विमाण-तुरय-तोरगा-गोपुर-मणि-रयण-नंदियावत्त मुसल-शंगरसुरइयवरकप्परक्ख-मिगपति-भद्दासण-सुरुचि-थूम-वरमउड-सरिय-कुंडलकुंजर-वरवसभ-दीव-मंदर-गरुल-ज्झय-इंदकेउ-दप्पण-अट्ठावय-चावबाण-नक्खत्त-मेह-मेहल-वीणा-जुग-छत्त-दाम-दामिणि-कमंडलु-कमल घंटा-वरपोत-सूइ-सागर-कुमुदागर-मगर-हार-गागर-नेउर-णग-णगरवइर-किन्नर-मयूर-वररायहंस-सारस-चकोर-चकवाग-मिहुण-चामरखेडग-पब्बीसग-विपंचि-वरतालियंट-सिरियाभिसेय-मेइणि-खग्गं-कुसविमलकलस-भिंगार-वद्धमाणग-पसत्थ-उत्तम-विभत्त-वरपुरिस-लक्ख-णधरा, 3 / बत्तीसं वरराय-सहस्साणुजायमग्गा, चउसट्ठि-सहस्स-पवर-जुवतीण णयणकता, रत्ताभा, पउम-पम्ह-कोरंटग-दामचंपक-सुतयवर-कणक निह-सवन्ना, सुवरणा, सुजाय-सव्वंग-सुदरंगा, महग्य-वर-पट्टणुग्गय-विचित्त-राग-एणिमे(पे)णिणिम्मिय-दुगुल्ल-वर-चीणपट्ट-कोसेज-सोणीसुत्तक(जा-खोमिय)विभूसियंगा, वरसुरभि-गंधवर-चुराणवास-वरकुसुम-भरियसिरया, कप्पियछेयारिय-सुक्य-रइत-मालकडग-कुडलंगय-तुडिय-पवर-भूसण-पिणद्धदेहा एकावलि-कंठ-सुरइय-वच्छा पालंब पलंबमाण-सुकय-पडउत्तरिज्ज-मुद्दियापिंगलंगुलिया, उज्जल-नेवत्थ-रइय-चेल्लग-विरायमाणा, तेएण दिवाकरोव्व दित्ता सारय-नवत्थणिय-महुर-गंभीर-निद्धघोसा, 4 / उप्पन्न-समत्तरयण-चकरयणप्पहाणा, नवनिहिवइणो, समिद्धकोसा, चाउरंता, चाउराहिं सेणाहिं समणु. जातिज्जमाणमग्गा, तुरगाती गयवती रहवती नरवती विपुल-कुलवीसुयजसा, सारय-ससि-सकल-सोमवयणा, सूरा, तेल्लोक-निग्गय-पभाव Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 391] * [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विमान लद्धसद्दा समत्त-भरहाहिवा, नरिंदा, ससेल-वण-काणणं च हिमवंत-सागरंतं धीरा भूत्तुण भरहवासं जियसत्तू, परर-रायसीहा, पुव-कड-तवप्पभावा, निविठ्ठ-संचियसुहा, अणेग-वाससयमायुवंतो भज्जाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अतुल-सह-फरिस-रस-ख्वगंधे य अणुभवेत्ता(न्ता) तेवि उवणमति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं 5 / भुज्जो भुज्जो बलदेववासुदेवा य पवरपुरिसा, महाबल-परकमा, महाधणु-वियट्टका, महासत्त-सागरा, दुद्धरा, धणुद्धरा, नरवसभा, रामकेसवा, सभायरो सपरिसा, वसुदेव-समुद्दविजयमादिय-दसाराणं पज्जुन्न-पतिव-संव-अनिरुद्ध-निसह-उम्मय-सारण-गयसुमुह-दुम्मुहादीण जायवाणं अद्भुट्टाणवि कुमारकोडीणं हिययदयिया, देवीए रोहिणीए देवीए देवकीए य आणंद-हियय-भावनंदणकरा, सोलसरायवर-सहस्साणुजातमग्गा, सोलस-देवीसहस्स-वर-णयण-हिययदइया, णाणामणि-कणग-रयणमोत्तिय-पवाल-धण-धन-संचय-रिद्धि-समिद्धकोसा, हयगय-रह-सहस्ससामी, 6 / गामागर-नगर-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुहपट्टणासम-संबाह-सहस्स-थिमिय-णिज्यपमुदितजण-विविह-सास-निष्फज्जमाण मेइणि-सर-सरिय-तलाग-सेल-काणण-श्रारामुज्जाण-मणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिणड्ड-वेयड-गिरिविभत्तस्स लवण-जलहि-परिगयस्स छविहकाल-गुणकामजुत्तस्स श्रद्धभरहस्म सामिका 7 / धीरकित्तिपुरिसा, श्रोहबला, अइबला, श्रनिहया, अपराजिय-सत्तुमद्दण-रिपु-सहस्समाणमहणा, साणुकोसा, अमच्छरी, अचवला, अचंडा, मित-मंजुल-पलावा, हसिय-गंभीरमहुरभणिया, (महुपरिपुराण-सञ्चवयणा), श्रभुवगय-वच्छला, सरगणा, लक्खण-वंजण-गुणोववेया, माणुम्माण-पमाण-पडिपुन्न-सुजाय-सव्वंगसुंदरंगा 8 / ससिसोमागार-कंतपियदंसणा, अमरिसणा, पयंड-डंडप्पयार-गंभीर-दरिसणिज्जा, तालद्ध-उन्विद्ध-गरुलकेऊ, बलव-गज्जत-दरित-दप्पित-मुट्ठियचाणूरमूरगा, रिट्ठ-वसभ-पातिणो, केसरिमुह-विष्फाडगा, दरितनाग Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रनव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 4 / / 393 दप्पमहणा जमलज्जुणभंजगा, महासउणि-पूतणा-रिवू, कंस-मउड-तोडगा, जरासिंघ-माणमहणा, तेहि य (अभपडल-पिंगल-उजलेहि) अविरलसमसहिय-चंदमंडल-समप्पभेहिं सूर-मिरीय-कवयविणिम्मुयंतेहिं सपतिदंडेहिं श्रायवत्तेहिं धरिज्जतेहिं विरायंता, 1 / ताहि य पवर-गिरिकुहरविहरण-समुट्ठियाहिं, निस्वहय-चमर-पच्छिम-सरीरसंजाताहिं श्रमइलसेय-कमल-विमुकुलुजलित-रयण-गिरिसिहर-विमल-ससिकिरण-सरिसकलहोयनिम्मलाहिं पवणाहय-चवल-चलिय-सललिय-पणचिय-वीइपसरिय-खीरोदग-पवर-सागरुप्पूर-चंचलाहिं माणस-सर-पसर-परिचियावास-विसदवेसाहिं कणगगिरि-सिहर-संसिताहिं उवाय-उप्पात-चवलजयिण-सिग्घवेगाहिं हंसवधूयाहिं चेव कलिया, 10 / नाणामणि-कणगमहरिह-तबणिज्जुजल-विचित्तडंडाहिं सललियाहिं नरवति-सिरिसमुदयप्पगासणकरीहिं वरपट्टणुग्गयाहिं समिद्ध-रायकुल-सेवियाहि कालागुरुपवरकुंदुरुक-तुरुक-धूव-वास-विसद-गंधुद्भूयाभिरामाहिं चिल्लिकाहिं उभयोपासपि चामराहिं उक्खिप्पमाणाहिं सुह-सीतल-वातवीतियंगा, अजिता, अजितरहा, हल-मुसल-कणगपाणी, संख-चक्क-गय–सत्ति-णंदगधरा, पवरुज्जलसुकत-विमल-कोथूम-तिरीडधारी, 11 / कुंडल-उज्जोवियाणणा, पुंडरीय-णयणा, एगावली-कंठ-रतियवच्छा, सिरिवच्छ-सुलंछणा, वरजसा, सव्वोउय-सुरभि-कुसुम-सुरइय-पलंब-सोहंत-वियसंत-चिल्ल(त) वण-माल-रतियवच्छा, अट्ठसय-विभत्त-लक्खण-पसत्य-सुदर-विराइयं. गमंगा, मत्त-गयवरिंद-ललिय-विक्कम-विलसियगती, कडिसुत्तग-नीलपीत-कोसिजवाससा, पवरदित्ततेया, सारय-नवथणिय-महुर-गंभीरनिद्धघोसा, नरसीहा, सीहविक्कमगई, प्रथमिय-पवर-रायसीहा, सोमा, बारवइपुन्नचंदा, पुवकय-तवणभावा, निविट्ठ-संचियसुहा, अणेग-वाससयमाउवंता भज्जाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता, अतुल-सद्द-फरिस-रस Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 394 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः ख्वगंधे अणुभवेन्ता(ता) तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं 12 / भुज्जो मंडलिय-नरवरेंदा, सबला, सतेउरा, सपरिमा, सपुरोहियामचदंडनायक-सेणावति-मंति-नीतिकुसला, नाणामणिरयण-विपुलधण-धनसंचय-निही-समिद्धकोसा, रजसिरिं विपुल-मणुभविन्ता(ता) विकोसंता, बलेण मत्ता तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता. कामाणं 13 / भुजो उत्तरकुरु-देवकुरु-वणविवर-पादचारिणो नरगणा भोगुत्तमा भोग-लक्खणधरा, भोग-सस्सिरीया, पसत्थ-सोम-पडिपुराण-रूव-दरसणिज्जा, सुजात-सव्वंगसुदरंगा, रत्तुप्पल-पत्त-कंत-करचरण-कोमलतला, सुपइट्ठिय-कुम्म-चारुचलणा, . श्रणुपुब्ब-सुसंहय(जायपवरंगुलीया, उन्नय-तणुतंब-निद्धनखा, संठित-सुसिलिट्ठ-गूढगोंफा, एणी-कुरुविंद-वत्त-वट्टाणुपुब्बिजंघा, समुग्ग-निसर्ग-गूढजाणू, गयगयण-सुजाय-संनिभोरु च वरवारण-मत्त-तुल्लविकम-विलासितगती, वरतुरगसुजाय-गुज्झदेसा, श्राइन-हयव्य निरुवलेवा, पमुइय-वरतुरग-सीह अतिरेगवट्टियकडी, गंगावत्त-दाहिणावत्त-तरंगभंगुर-रविकिरण-बोहिय-विकोसायंतपम्ह-गंभीर-विगडनाभी, साहत-सोणंद-मुसल-दप्पण-निगरिय-वरकणग-न्छरुसरिस-वर-वइर-बलियमज्मा, उज्जुग-सम-सहिय-जच्चतणु-कसिण-णिद्ध-श्रादेजलडह-सूमाल-मउय-रोमराई, झस-विहग-सुजात-पीणकुच्छी, झसोदरा, पम्हविगडनामा संनत-पासा संतत-पासा, सुदरपासा, सुजातपासा, मित-माइयपीण-रइयपासा,अकरंडुय-कणग-रुयग-निम्मल-सुजाय-निरुवहयदेहधारी, 14 / कणग-सिलातल-पसत्थ-समतल-उवइय-विच्छिन्न-पिहुलवच्छा, जुय-संनिभपीण-रइयपीवर पउट्ठ-संठिय-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-लट्ठ-सुनिचित-घथिर सुबद्धसंधी, पुरवर-वर-फलिह-वट्टियभुया, भुय-ईसर-विपुल भोग-प्रायाण-फलिउच्छूढ-दीहवाहू, रत्त-तलोवतिय-मउय मंसल-सुजाय-लक्खण-पसत्थ-अच्छिद्दजालपाणी पीवर-सुजाय-कोमल-वरंगुली, तंव-तलिण-सुइ-रुइल-निद्धनक्खा, निद्ध-पाणिलेहा, चंदपाणिलेहा, सूरपाणिलेहा, संखपाणिलेहा, चकपाणिलेहा, Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग सूत्रम् : अध्ययनं 4 j दिसा-सोवत्थिय-पाणिलेहा, रवि-ससि-संख-वरचक-दिसासोवत्थिय-विभत्तसुविरइयपाणिलेहा, वर-महिस-बराह-सीह-सद्दूल-रिसह-नाग-बरपडिपुन्नविउलखंधा, चउरंगुल-सुप्पमाण-कंबु-वर-सरिसग्गीवा, श्रवट्ठिय-सुविभत्त-चित्तमंसू, उवचिय-मंसल-पसत्थ-सद्दूल-विपुलहणुया, श्रोयविय-सिलप्पवाल-बिंबफल-संनिभाधरोहा, पंडुर-ससिकल-विमल-संख-गोखीर-फेण कुददगरय-मुणालिया धवलदंतसेढी, अखंडदंता, अप्फुडियदंता, अविरलदंता, सुणिद्धदंता, सुजायदंता, एतदंतसेढिब्ब अणेगदंता, हुयवह-निद्धत-धोय-तत्ततवणिज-रत्ततला, तालुजीहा, गरुलायत-उज्जु-तुंगनासा, श्रवदालियपोंडरीय-नयणा, कोकासिय-धवलपत्तलच्छा, प्राणामिय-चावरुइल-किराहमराजि-संठिय-संगयायय-सुजाय-भुमगा, अल्लीण-पमाण-जुत्तसवणा, सुसवणा पीण-मंसल-कबोल-देसभागा, अचिरुग्गय-बालचंद-संठिय-महानिलाडा, उडुवतिरिख पडिपुन्नसोमवयणा, छत्तागारुत्तमंगदेसा, घणनिचिय-सुबद्ध-लवखणुनयकूडागार-निभ-पिडियग्गसिरा, हुयवह-निद्धंत-धोयतत्त-तवणिज-रत्तकेसंतकेसभूमी, सामली-पोंड-घण-निचिय-छोडिय-मिउ-विसत-पसत्थ-सुहुम-लवखणसुगंधि-सुदर-भुयमोयग-भिंग-नीलकज्जल-पहट्ठभमरगण-निद्धनिगुरुंब, निचियकुंचिय-पयाहिणावत्त-मुद्धसिरया 15 / सुजात-सुविभत्त-संगयंगा, लक्खणवंजण-गुणोववेया, पसत्थ-बत्तीस-लक्खणधरा, हंसस्सरा, कुंचस्सरा, दुदुभिस्सरा, सीहस्सरा, उज(ोघ)सरा, मेघसरा, सुस्सरा, सुसरनिग्घोसा, बजरिसह. नाराय-संघयणा, समचउरंस-संगण-संठिया, छायाउजोवियंगमंगा पसत्थच्छवी निरातंका, कंकग्गहणी, कवोत पविस-परिणामा, सउणि-पोस-पिटुतरोरुपरिणया, पउमुप्पल-सरिस-गंधुस्सास-सुरभिवयणा, अणुलोम-वाउवेगा, श्रवदाय-निद्धकाला, विग्गहिय-उन्नय-कुच्छी, अमयरस-फलाहारा, तिगाउय. समूसिया, तिपलिश्रोवमट्टितीका, तिनि य पलिग्रोवमाइं परमाउं पालयित्ता तेवि उवणमति मरणधम्म अवितित्ता कामाणं 16 / पमयावि य तेसिं होंति Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रमिंदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः सोम्मा सुजाय-सब्ग-सुंदरीयो पहाण-महिलागुणेहिं जुता, अतिकंत-विसप्पमाण-मउदय-सुकुमाल-कुम्मसंठिय-विसिट्ठ-चलणा, उज्जु-मउय-पीवर सुसाहतंगुनीयो, अब्भुन्नत-रतित-तलिण-तंब-सुइ-निद्धनखा. रोमरहिय-वट्टसंठियअजहन्न-पसत्थ-लक्खण-अकोप्प-जंघजुयला, सुणिम्मित-सुनिगूढजाणुमंसल-पसत्य-सुबद्धसंधी, कयली-खंभातिरेक-संठिय-निव्वण-सुकुमालमउय-कोमल-अविरल-समसहित-सुजाय-बट्टमाण-पीवर-निरन्तरोरू अट्ठावय-वीइ-पट्ट-संठिय-पसत्थ-विच्छिन्न-पिहुलसोणी, वयणायामप्पमाण-दुगुणिय-विसाल-मंसल-सुबद्ध-जहण-वर-धारिणीयो, वजविराइय-पसत्य-लक्खण-निरोदरीयो 17 / तिवलि-वलिय-तणुनमियमझियायो, उज्जुय-समसहिय-जन्म-तणु-कसिण-निद्ध-श्रादेज-लडहसुकुमाल-मउय-सुविभत्त-रोमराजीथा गंगावत्तग-पदाहिणाबत्त-तरंगभंगरविकिरण-तरुण-बोधित-श्राकोसायंत-पउम-गंभीर-विगड-नाभा, अणुब्भडपसत्य-सुजात-पीणकुच्छी, सन्नतपासा, सुजातपासा, संगतपासा, मिय-मायियपीण-रतितपासा, अकरंडुय-कणग-रुयग-निम्मल-सुजाय-निरुवहय-गायलट्ठी, कंचण-कलस-पमाण-समसहिय-लट्ठचुचूय-श्रामेलग-जमल-जुयलवट्टिय-पोहरायो भुयंग-अणुपुव्व-तणुय-गोपुच्छ-बट्ट-समसहियनमियादेज-लडहबाहा, 18 | तंबनहा, मंसलग्गहत्था कोमल-पीवरवरंगुलीया, निद्ध-पाणिलेहा, ससि-सूर-संख-चक-वर-सोत्थिय-विभत्त-सुविरइयपाणिलेहा, पीणुराणय-कक्ख-वस्थिप्पदेस-पडिपुन्न-गल-कवोला, चउरंगुलसुप्पमाण-कंबु-वर-सरिसगीवा, मंसल-संठिय-पसत्थ-हणुया, दालिम-पुष्फप्पगास-पीवर-पलंब-कुचित-वराधरा, सुंदरोत्तरोत्तरोहा, दधि-दगरय-कुंदचंदवासंति-मउल-अच्छिद-विमलदसणा, रत्तुप्पल-पउमपत्त-सुकुमाल-तालुजीहा, कणवीर-मुउलऽकुडिलब्भुन्नय-उज्जु-तुंगनासा, सारद नवकमल-कुमुत-कुवलयदल-निगर-सरिस-लक्खण-पसत्थ-अजिम्ह(निम्मल)कंतनयणा, 11 / पाना Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्वरनव्याकरणदशाङ्ग स्त्रम् . अश्ययनं 4 ] मिय-चाव-रुइल-किराहभराइ-संगय-सुजाय-तणु-कसिण-निद्धभुमगा, अल्लीणपमाण-जुत्तसवणा, सुस्सवणा, पीण-मट्टगंडलेहा, चउरंगुल-विसाल-समनिलाडा, कोमुदि-रयणिकर-विमल-पडिपुन्न-सोमवदणा, छत्तुनय-उत्तमंगा, अकविल-सुसिणिद्ध-दीहसिरया, छत्तज्मय-जूव-थूभ-दामिणि कमंडलु-कलसवावि-सोत्थिय-पडाग-जव-मच्छ-कुम्म-रथ-वर-मकरज्झय-अंक-थाल-अंकुस-ट्ठावय-सुपइट-अमर-मयूर-सिरियाभिसेय-तोरण-मेइणि उदधिवर-पवरभवण-गिरिवर-वरायंस-सललियगय-उसम-सीह-चामर-पसत्थ-बत्तीस-लक्खणधरीथो, हंस-सरित्थ-गतीश्रो, कोइल-महुर-गिरायो, कंता, सव्वस्स. अणुमयानो, ववगयवलि-पलित-वंग-दुव्वन्नवाधि-दोहग्ग-सोयमुक्कायो, उच्चत्तेण य नराण थोवूण-मसियाश्रो, सिंगारागार-चारुवेसाश्रो, सुंदरथण-जहण-वयण-कर-चरणणयणा, लावन्न-रूव-जोव्वण-गुणोववेया, नंदण-वण-विवर-चारिणीयो व्व अच्छरायो उत्तरकुरु-माणुसच्छरायो अच्छेरग-पेच्छणिजियानो तिनि य पलिश्रोवमाइं परमाउं पालयित्ता ताबोऽवि उवणमंति मरणधम्म अवितित्ता कामाणं २०॥सू० 15 // मेहुणसन्ना-संपगिद्धा य मोहभरिया सत्थेहि हणंति एकमेक्कं विसयविस-उदीरएसु, अवरे परदारेहिं (उदारपरदारेहिं) हम्मति विसुणिया धणनासं सयण-विप्पणासं च पाउणंति, परस्स दारायो जे अविरया मेहुणसन्न-संपगिद्धा य मोहभरिया अस्सा हत्थी गवा य महिसा मिगा य मारेंति एकमेक्कं, मणुयगणा वानरा य पक्खी य विरुज्झति, मित्ताणि खिप्पं भवंति सत्तू, समये धम्मे गणे य भिदंति पारदारी, धम्मगुणरया य बंभयारी खणेण उल्लोट्ठए चरित्तायो जसमंतो सुब्बया य पावेंति अयसकित्ति रोगत्ता वाहिया पवडिति रोयवाही, दुवे य लोया दुबाराहगा भवंति-इहलोए चेव परलोए परस्स दाराश्रो जे अविरया, तहेव केइ परस्स दारं गवेसमाणा महिया य हया य वद्धरुद्धा य एवं जाव गच्छंति विपुल-मोहाभिभूय-सन्ना 1 / मेहुणमूलं च सुपए तत्थ तत्थ वत्तपुव्वा संगामा जणक्खयकरा सीयाए Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( श्रीमदाणमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागः दोवईए कए रुप्पिणीए पउमावईए ताराए कंचणाए रत्तसुभदाए अहिनियाए सुवनगुलियाए किन्नरीए सुरूवविज्जुमतीए य 2 / अन्नेसु य एवमादिएसु बहवो महिलाकएसु सुव्वंति इक्कंता संगामा गामधम्ममूला प्रबंभसेविणो इहलोए वि ताव नट्ठा (नट्ठकीत्ति) परलोएवि य णट्ठा महया मोह तिमिसंधकारे घोरे तस-थावर-सुहुम-बादरेसु पन्जत्त-मपजत्त-साहारण-सरीर-पत्तेयसरीरेसु य अंडज-पोतज-जराउय-रसज-संसेइम-समुच्छिम-उब्भिय-उववादिएसु य नरग-तिरिय-देव-माणुसेसु जरा-मरण-रोग-सोगबहुले पलियोवमसागरोवमाइं श्रणादियं श्रणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंत संसारकतारं अणुपरियट्टति जीवा मोहवसं निविट्ठा 3 / एसो सो अबभस्स फलविवागो इहलोइयो परलोइश्रो य अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भश्रो बहुरयप्पगाढो दारुणो ककसो असायो वाससहस्सेहिं न मुबति, न य अवेदइत्ता अस्थि हु मोक्खोत्ति, एवमाहंसु नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसी य अबंभस्स फलविवागो एयं तं श्रबंभंपि चउत्थं सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स पत्थणिज्जं एवं चिर-परिचिय-मणुगयं दुरंतं चउत्थं अधम्मदारं समत्तं तिबेमि 4 // 4 // सू० 16 // . . // इति चतुर्थमध्ययनम् / / // अथ पञ्चम-परिग्रहावाख्यं पञ्चममध्ययनम् // . . जंबू ! इत्तो परिग्गहो पंचमो उ नियमा, णाणामणि-कणग-रयणमहरिह-परिमल-सपुत्तदार-परिजण-दासी-दास-भयग-पेस-हयागय-गो-महिस उट्टखर-श्रय-गवेलग-सीया-सगड-रह-जाण-जुग्ग संदण–सयणासण-वाहण-कृवियधण-धन्न-पाण-भोयणाच्छायण-गंध-मल्ल-भायण-भवणविहिं चेव बहुविहीयं भरहं णग-णगर-णियम-जणवय-पुरखर-दोणमुह-खेड-कबड-मडंब-संबाहपट्टण-सहस्सपरिमंडिय थिमिय मेइणीयं एगच्छत्तं ससागरं भुजिऊण वसुहं Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (399 श्रीमत्प्रश्नध्याकरणदशाङ्ग-त्रम् / अध्ययने 5 ] अपरिमिय-मगांत-तरह-मणुगय-महिन्छ-सार-निरयमूलो 1 / लोभ-कलिकसाय-महक्खंधो, चिंतासय निचिय-विपुल-सालो, गारव-पविरल्लियग्ग-विडवो, नियडि-तया-पत्त-पल्लव-धरो, पुष्फफलं जस्स कामभोगा श्रायास-विसूरणाकलह-पकंपियग्ग-सिहरो, नरवति-संपूजितो, बहुजणस्स हिययदइयो, इमस्स मोक्ख-वर-मोत्ति-मग्गस्स फलिहभूयो चरिमं अहम्मदारं 2 // सू० 17 // तस्स य नामाणि इमाणि गोराणाणि होति तीसं, तंजहा-परिग्गहो ? संचयो 2 चयो 3. उवचत्रो 4 निहाणं 5 संभारो 6 संकरो 7 श्रायरो - पिंडो 1 दव्वसारो 10 तहा महिच्छा 11 पडिबंधो 12 लोहप्पा 13 महिड्डि-हद्दी (महपरिवया)(महइ) 14 उवकरणं 15 संरक्खणा य 16 भारो 17 संपाय-उप्पायको 18 कलि-करंडो 11 पवित्थरो 20 अगत्थो .21 संथवो 22 अगुत्ती (अकीत्ति) 23 श्रायासो 24 अविश्रोगो 25 श्रमुत्ती 26 तराहा 27 अणत्थको 28 पासत्ती 21 असंतोसोत्तिविय 30, तस्स एयाणि एयाणि एवमादीणि नामधेजाणि होति तीसं // सू० 18 // तं च पुण परिग्गहं ममायंति लोभघत्था भवण-वर-विमाण-वासिणो परिग्गहरुती परिग्गहे विविह-करणबुद्धी देवनिकाया य, असुर-भुयग-सुवराणे(गरल). विज्जु-जलण-दीव-उदहि-दिसि-पवण-थणिय-श्रणवंनिय-पणवंनिय-इसिवातियभूतवाइय-कंदिय-महाकंदिय-कुहंड-पतंगदेवा पिसाय-भूय-जक्ख-रक्खस-किनर. किंपुरिस-महोरग गंधवा य 1 / तिरियवासी पंचविहा जोइसिया य देवा बहस्सती-चंद-सूर-सुक्क-सनिच्छरा राहु-धूमकेउ-बुधा य अंगारका य तत्ततवणिज-कणयवराणा जे य गहा जोइसम्मि चारं चरंति केऊ य, गतिरतीया अट्ठावीसति-विहा य नक्खत्त-देवगणा, नाणासंगण-संठियायो य तारगायो, ठियलेस्सा चारिणो य अविस्साम-मंडलगती 2 / उपरिचरा उडलोगवासी दुविहा वेमाणिया य देवा, सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभलोगलंतक-महासुक-सहस्सार-प्राणय-पाणय-श्रारण-अच्चुया, कम्पवरविमाण Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1..] भीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विभागा वासिणो सुरगणा, गेवेजा अणुत्तरा दुविहा कप्पातीया, विमाणवासी महिड्डिका उत्तमा सुरवरा 3 / एवं च ते चउबिहा सपरिसावि देवा ममायति, भवण-वाहण-जाण विमाण-सयणासणाणि य नाणाविह-वत्थभूसणा पवर-पहरणाणि य. नाणामणि-पंचवन्न-दिव्वं च भायणविहि नाणाविह-कामरूवे वेउन्वित-अच्छरगण-संघाते 4 / दीवसमुद्दे दिसायो विदिसायो चेतियाणि वणसंडे पव्वते य, गामनगराणिं य, श्राराभुजागाकाणणाणि य, कूव-सर-तलाग-वावि-दीहिय-देवकुल-सभ-प्पव-वसहिमाझ्याई बहुकाई कित्तणाणि य परिगेरिहत्ता परिग्गहं विपुलदव्वसारं देवावि सईदगा न तित्तिं न तुढेि उवलभंति, 5 / अच्चंत-विपुल-लोभामिभूतसन्ना वासहर-इक्खुगार-वट्टपब्वय-कुंडल-रुचग-वरमाणुसोत्तर-कालोदधिलवण-सलिल-दहपति-रतिकर-अंजणकसेल-दहिमुह-वपातुप्पाय-कंचणकचित्तविचित्त-जमक-वरसिहर-कूडवासी वक्खार-अकम्मभूमिसु सुविभत्त-भागदेसासु कम्मभूमिसु, जेऽवि य नरा चाउरतचकवटी वासुदेवा बलदेवा मंडलीया इस्सरा तलवरा सेणावती इन्भा सेट्टी रट्ठिया पुरोहिया कुमारा दंडणायगा गणनायगा माडंबिया सत्थवाहा कोडबिया अमचा एए भन्ने य एवमाती परिग्गहं संचिणंति, अणंतं, असरणं, दुरंतं, अधुवमणिच्चं, असासयं, पावकम्मनेम्मं, अवकिरियव्यं, विणासमूलं, वहबंध-परिकिलेसबहुलं, अणंत-संकिलेल-कारणं 6 / ते तं घण-कणग-रयण-निचयं पिंडिता चेव लोभक्था संसारं अतिवयंति सव्वदुक्ख(भय)संनिलयणं, परिग्गहस्स य अट्ठाए सिप्पसयं सिक्खए बहुजणो कलायो य बावत्तरि सुनिपुणायो लेहाइयायो, सउणरुयावसाणाश्रो गणियप्पहाणाश्रो चउसटिं च महिलागुणे रतिजणणे, सिप्पसेवं असि-मसि-किसि-वाणिज्जं, ववहारं अत्थ-सत्थइसत्थ-च्छरुप्पवा(ग)यं विविहायो य जोगजुजणायो भन्नेसु एवमादिएसु बहस कारणसएसु जावजीवं नडिजए, संचिणंति मंदबुद्धी परिग्गहरसेव Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-स्त्रम् : अध्ययनं 5 ] (401 य अट्टाए करंति पाणाण वहकरणं 7 / श्रलिय-नियडि-साइसंपश्रोगे परदव्वे अभिजा सपरदार-अभिगमण-सेवणाए श्रायास-विसूरणं कलहभंडण-वेराणि य अवमाणण-विमाणणायो इच्छा-महिन्छ-प्पिवास-सतततिसिया तराहगेहि लोभवत्था अत्ताणा अणिग्गहिया करेंति कोह-माणमाया-लोभे, अकित्तणिज्जे परिग्गहे चेव होंति नियमा सल्ला दंडा य गारवा य कसाया सन्ना य कामगुण-राहगा य इंदियलेसायो सयणसंपयोगा सचित्ताचित्तमीसगाई दबाई अणंतकाई इच्छंति परिघेत्त सदेवमणुयासुरम्मि लोए लोभपरिग्गहो जिणवरेहिं भणियो 8 / नत्थि एरिसो पासो पडिबंधो अस्थि सव्वजीवाणं सव्वलोए 1 // सू० 11 // परलोगम्मि य नट्ठा तमं पविट्ठा महया-मोह-मोहियमती तिमिसंघकारे तस-थावर-सुहुम-बादरेसु पजत्त-मपजत्तग एवं जाव परियति दीहमद्धं जीवा लोभवस-संनिविट्ठा। एसो सो परिग्गहस्स फलविवाश्रो इहलोइयो, परलोइयो, अप्पसुहो, बहुदुक्खो, महब्भो , बहुरयप्पगाढो, दारुणो, ककसो, असायो वाससहस्सेहिं मुन्चइ, न अवेतित्ता अस्थि हु मोक्खोत्ति 1 / एवमाहंसु नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरखर-नामधेजो कहेसी य परिग्गहस्स फलविवागं 2 / एसो सो परिग्गहो पंचमो उ नियमा नाणामणि-कणग-रयणमहरिह एवं जाव इमस्स मोरख-वर-मोत्तिमग्गस्स फलिहभूयो, चरिमं अधम्मदारं समत्तं / / सू० 20 // एएहिं पंचहिं श्रासवेहिं रयमादिणि तु श्रणुसमयं / चउविहगइ दुह (जीव) पेरंत अणुपरियट्टति संसारं // 1 // सव्वगई पक्खंदे काहंति घणंतए अकयपुराणा। जे य न सुणंति धाम सोऊण य जे पमायंति // 2 // अणुसिटुंपि बहुविहं मिच्छदिट्टीयो जे नरा। ग्रहमा बद्ध-निकाइय-कम्मा सुणंति धम्मं न य करंति // 3 // किं सका काउं जे जं नेच्छह श्रोसहं मुहा पायो। जिणवयणं गुणमहुरं विरेयणं सव्वदुक्खाणं // 4 // पंचेव य ऊन्झिऊण पंचेव य रक्खिउण भावेण / कम्मरय-विष्पमुक्का सिद्धि-वर-मणुजरं जंति // 5 // // इति भासवदारा सम्मत्ता // // इति पञ्चममध्ययनम // 5 // Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः // अथ प्रथमसंवरा अहिंसाख्यं षष्ठमध्ययनम् // - जंबू !-एत्तो संवरदाराइं पंच वोच्छामि श्राणुपुवीए / जह भणियाणि भगवया सव्वदुह-विमोक्खणट्ठाए // 1 // पढमं होइ अहिंसा बितियं सचवयणंति पत्नत्तं / दत्तमणुनाय संवरो य बंभवेरमपरिग्गहत्तं च॥ 2 // तत्थ पढमं अहिंसा तसथावर-सव्वभूय-खेमकरी। तीसे सभावणाश्रो किंची वोच्छं गुणु(सं // 3 // ताणि: उ इमाणि सुव्वय ! महव्वयाई लोकहिय-सव्वयाई सुयसागर-देसियाइं तवसंजम-महब्बयाई सीलगुण-वरव्वयाई सच्चजवव्वयाई नरग-तिरिय-मणुय-देवगति-विवजकाई सव्वजिण-सासणगाई कम्मरय-विदारगाइं भवसय-विणासणकाई दुहसय-विमोयणकाई सुहसयपवत्तणकाई कापुरिस-दुरुत्तराई सप्पुरिस-निसेवि(तीरि)याई निब्वाण-गमणमग्गसग्गप्पयाणगाई(णायकाई) संवरदाराइं पंच कहियाणि उ भगवया 1 / तत्थ पढमं अहिंसा जा सा सदेव-मणुयासुरस्स लोगस्स भवति दीवो ताणं सरणं गती पइट्ठा, निधाणं 1 निव्वुई 2 समाही 3 सत्ती 4 कित्ती 5 कंती 6 रती य 7 विरती य 8 सुयंगतित्ती 1-10 दया 11 विमुत्ती 12 खन्ती 13 सम्मत्ताराहणा 14 महंती 15 बोही 16 बुद्धी 17 धिती 18 समिद्धी 11 रिद्धि 20 विद्धी 21 ठिती 22 पुट्ठी 23 नंदा 24 ‘भद्दा 25 विसुद्धी 26 लद्धी 27 विसिदिट्ठी 28 कल्लाणं 21 मंगलं 30 पमोश्रो 31 विभूती 32 रक्खा 33 सिद्धवासो 34 श्रणासवो 35 केवलीण ठाणं 36 सिवं 37 समिई 38 सील 31 संजमो 40 त्तिय सीलपरिघरो 41 संवरो 42 य गुत्ती 43 ववसायो 44 उस्सयो 45 जन्नो 46 श्रायतणं 47 जतण 47 मप्पमातो 41 अस्सासो 50 वीसासो 51 भयो 52 सव्वस्सवि अमाघाश्रो 53 चोक्ख 54 पवित्ता 55 सूती 56 पूया 57 विमल 58 पभासा 51 य निम्मलतर : 60 ति एवमादीणि निययगुणनिम्मियाई पजवनामाणि होति अहिंसाए भगवतीए Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-क्षेत्रम् / अध्ययन 6 ] [403 2 // सूत्रं 21 // एसा सा भगवती अहिंसा जा सा भीयाण विव सरणं, प्रक्खीणं पिव गमणं, तिसिंयाणं पिव सलिलं, खुहियाणं पिव असणं, समुद्दमज्झे व पोतवहणं, चउप्पयाणं व श्रासमपयं, दुहट्ठि(दुहदुहि)हियाणं च श्रोसहिबलं, पडवीमज्मे विसत्थगमणं 1 / एत्तो विसिट्टतरिका अहिंसा जा सा पुढवि-जल-अगणि-मारुय-वणस्सइ-बीज-हरित-जलचर-थलचर-खहचरतस-थावर-सव्वभूय-खेमकरी एसा भगवती अहिंसा जा सा 2 / अपरिमियनाण-दसणधरेहिं सीलगुण-विणय-तव-संयम-नायकहिं तित्थंकरहिं सव्वजगजीव वच्छलेहिं तिलोग-महिएहिं जिणचंदेहिं सुट्ठ दिट्टा (उवलद्धा), श्रोहिजिणेहिं विराणाया, उज्जुमतीहिं विदिट्ठा, विपुलमतीहिं विदिता, पुब्वधरेहिं अधीता, वेउव्वीहिं पतिन्ना 3 / श्राभिणिबोहियनाणीहिं, सुयनाणीहिं, मणपजवनाणीहिं, केवलनाणीहिं, ग्रामोसहिपत्तेहिं, खेलोसहिपत्तेहिं, विप्पोसहिपत्तेहिं, जल्लोसहिपत्तेहिं, सवोसहिपत्तेहिं, बीजबुद्धीहिं, कुटुबुद्धीहिं, पदाणुसारीहिं, संभिन्नसोतेहिं, सुयधरेहिं, मणबलिएहिं, वयबलिएहिं, कायबलिएहिं नाणबलिएहिं, दंसणबलिएहिं, चरित्तबलिएहिं, खीरासवेहि, मधुश्रासवेहिं, सप्पियासवेहि, अक्खीणमहाणसिएहिं चारणेहिं, विजाहरेहिं, (जंघाचारणेहिं विजाचारणेहिं) चउत्थभत्तिएहिं 4 / एवं जाव छम्मासभत्तिपहि, उक्खित्तचरएहिं, निक्खित्तचरएहि, अंतचरएहि, पंतचरएहिं, लूहचरएहिं, अन्नइलाएहिं, समुदाणवरएहिं, मोणचरएहिं, संसट्टकप्पिएहिं, तजायसंसट्ठकप्पिएहिं, उवनिहिएहिं, सुद्धेसणिएहिं, संखादत्तिएहिं, दिट्टलाभिएहिं, अदिट्टलाभिएहि, पुट्ठलाभिएहिं, आयंबिलिएहिं, पुरिमडिएहिं, एकासणिएहिं, निवितिएहिं, भिन्नपिंडवाइएहिं, परिमियपिंडवाइएहिं, अंता. हारेहिं, पंताहारेहिं, अरसाहारेहिं, विरसाहारेहिं, लूहाहारेहि, तुच्छाहारेहि, अंतजीविहिं, पंतजीविहिं, लूहजीविहिं, तुच्छजीविहिं, उवसंतजीविहिं, पसंतजीविहिं, विवित्तजीविहिं, अखीरमहुसप्पिएहिं, श्रमजमंसासिएहिं, Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ M बामदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विमागः गणाइएहिं, पडिमंगईहिं, ठाणुकडिएहिं, वीरासणिएहिं, णेसजिएहिं, डंडाइएहिं, लगंडसाईहिं, एगपास(सप्पिागेहिं, पायावएहिं, अप्पावरहिं, अणिठुभएहिं, अकंडयएहि, धुत-केस-मंसु-लोम-नखेहि, सव्वगाय-पडिकम्मविप्पमुक्केहिं, समणुचिना / / सुयधर-विदितत्थकाय-बुद्धिहिं धीर-मतिबुद्धिणो, य जे ते श्रासीविस-उग्गतेयकप्पा, निच्छय-ववसाय(विणीय) पजत्त-कयमतीया, णिच्चं सज्झाय-ज्माण-अणुबद्ध-धम्मज्माणा, पंचमहव्वयचरित्तजुत्ता, समिता समितिसु, . समितपावा, छविह-जग-वच्छला, निश्चमप्पमत्ता 6 / एएहिं अन्नेहि यजा सा अणुपालिया भगवती इमं च पुढविदग-अगणि-मारुय-तरुगण-तस-थावर-सव्वभूय-संयम-दयट्ठयाते सुद्धं उच्छं गवेसियव् अकत-मकारि-मणाहूय-मणुट्टि, अकीयकडं, नवहि य कोडिहिं सुपरिसुद्धं, दसहि य दोसेहिं विप्पमुक्कं, उग्गम-उप्पायणेसणासुद्धं; ववगय-चुय-चाविय-चत्तदेहं च फासुयं च न निसज-कहा-पोयणक्खासुश्रोवणीयंति न तिगिच्छा मंत-मूल-भेसज्ज-कजहेडं, न लक्खणुप्पाय-सुमिणजोइस-निमित्त-कहकप्पउत्तं 7 / नवि डंभणाए, नवि रक्खणाते, नवि सासणाते, नवि दंभण-रक्खण-सासणाते भिक्खं गवेसियव्वं, नवि वंदणाते, नवि माणणाते, नवि प्रयणाते नवि वंदण-माणण-पूयणाते भिक्खं गवेसियव्वं, नवि हीलणाते नवि निंदणाते नवि गरहणाते नवि हीलणनिंदण-गरहणाते भिक्खं गवेसियव्वं, नवि भेसणाते नवि तजणाते नवि तालणाते नवि भेसण-तजण-तालनाते भिक्खं गवेसियव्वं, नवि गारवेणं नवि कुह(प्पणयाते नवि वणीमयाते नवि गारव-कुहण-वणीमगयाए भिक्खं गवेसियव्वं, नवि मित्तयाए नवि पत्थणाए नवि सेवणाए नवि मित्तपत्थण-सेवणाते भिक्खं गवेसियव्वं / अन्नाए, अगदिए (यगिद्धे), अदुढे, श्रदीणे विमणे, अकलुणे, अविसाती, अपरितंतजोगी, जयणघडण-करण-चरिय-विणय-गुण-जोग-संपउत्ते, भिक्खु भिक्खेसणाते तालगाते नाणात मिक्स गाव निंदणाने नाव Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 6 ) [4.9 निरते हैं / इमं च णं सव्वजग-जीव-रक्खण-दयट्ठाते पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेचाभावियं श्रागमेसिभ सुद्धं नेयाउयं अकुडिलं यणुत्तरं सम्बदुखपावाण विउसमणं 10 // सू० 22 // तस्स इमा पंच भावणातो पढमस्स वयस्स होंति, पाणातिवाय-वेरमण-परिरक्खणट्टयाए पढमं ठाणगमण-गुणजोग-जुजण-जुगंतर-निवातियाए दिट्ठिए ईरियव्वं, कीड-पयंग-तस-थावर-दयावरेण निच्चं पुप्फ-फल-तय-पवाल-कंदमूल-दगमट्टियबीज-हरिय-परिवजिएण संमं, एवं खलु सव्वपाणा न हीलियव्या, न निंदियव्या, न गरहियव्वा, न हिंसियव्वा, न छिदियव्वा, न भिंदियव्वा; न वहेयव्वा, न भयं दुक्खं च किंचि लब्भा पावेउं एवं ईरियासमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा असबल-मसंकिलिनिवण-चरित्त-भावणाए अहिंसयो सुसंजयो सुसाहू बितीयं च मणेण पावएणं पावकं अहम्मियं दारुणं निस्संसं वहबंध-परिकिलेस-बहुलं मरणभय-परिकिलेस-संकिलिटुं न कयावि मणेण पावतेणं पावगं किंचिवि झायव्वं / एवं मणसमितिजोगेण भावितो ण भवति अंतरप्पा असवल-मसंकिलिट्ठ-निव्वण-चरित्त-भावणाए अहिंसयो संजो सुसाहू 2 / ततियं च वतीते पावियाते पावकं अहम्मियं दारुणं निसंसं वह-बंध-परिकिलेस-बहुलं जरमरण-परिकिलेस-संकिलिट्ठ न कयावि (वईए) तीए पावियाते पावकं न किंचिवि भासियव्वं एवं वयसमितिजोगेण भावितों भवति अंतरप्पा असबल-मसंकिलिट्ठ-निव्वणचरित्त-भावणाए अहिंसयो संजयो सुसाहू 3 / चउत्थं श्राहार-एसणाए सुद्धं उच्छं गवेसियध्वं अन्नाए अकहिए, (अगढिते अदु?) अद्दीणे, अकलुणे, अविसादी, अपरितंतजोगी, जयण-घडण-करण-चरिय-विणिय-गुण-जोगसंपयोग-जुत्तो, भिक्खू, भिक्खेसणाते जुत्ते, समुदाणेऊण भिक्खाचरियं उंछ घेत्तूण धागतो गुरुजणस्स पासं गमणागमणातिचारे पडिकमेपडिक्कते, बालोयणदायणं च दाऊण गुरुजणस्स गुरुसंदिट्ठस्स वा जहोवएसं निरझ्यारं Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अगिद्ध, अगदिए, अचवचवं अ वग [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः / चतुर्थो विभागा च अप्पमत्तो, पुणरवि श्रणेसणाते पयतो, पडिक्कमित्ता पसंते श्रासीणसुहनिसन्ने मुहुत्तमेत्तं च माणसुहजोग-नाण-सन्माय-गोवियमाणे, धम्ममणे, अविमणे, सुहमणे, अविग्गहमणे, समाहियमणे, सद्धा-संवेग-निजरमणे, पवतण-वच्छल-भावियमणे उद्धे ऊण य पहट्टतुट्टे जहारायणियं निमंतइत्ता य साहवे भावो य विइराणे य गुरुजणेणं उपविढे संपमजिऊण ससीसं कायं तहा करतलं अमुच्छिते, अगिद्धे, श्रगढिए, अगरहिते, अणभोववरणे श्रणाइले, अलुद्धे, अणुतट्टिते, असुरसरं अचवचवं श्रदुतमविलंबियं अपरिसाडिं पालोयभायणे जयं फ्य(जयमप्पम)त्तेण (जयमप्पमत्तेण) ववगय. संजोग-मणिंगालं च विगयधूमं अक्खोवंजण-वणाणुलेवण-भूयं संजम-जायामाया निमित्तं संजम-भार-वहणट्ठयाए भुजेजा (भोत्तव्वं) पाण-धारणट्टयाए संजएण समियं एवं श्राहार-समिति-जोगेणं भावियो भवति अंतरप्पा असबल-मसंकिलिट्ठ-निव्वण-चरित्त-भावणाए अहिंसए संजए सुसाहू, 4 / पंचमं श्रादान-निक्खेवण-समिई पीढ-फलग-सिज्जा-संथारग-वत्थ-पत्त-कंबलदंडग-रयहरण-चोलपट्टग-मुहपोत्तिग-पायपुञ्छणादी वा एयपि संजमस्स उववूहणट्ठयाए, वातातव-दंस-मसग-सीय-परिरक्खणट्ठयाए, उवगरणं रागदोसरहितं परिहरितव्वं, संजयेण निच्चं पडिलेहण-पष्फोडण-पमजणाए अहो य रायो य अप्पमत्तेण होइ सययं, निक्खियव्वं, च गिरिहयव्वं च भायणभंडोवहि-उवगरणं, एवं श्रायाण-भंडनिक्खेवणा-समितिजोगेण भावियो भवति अंतरप्पा असबल-मसंकिलिट्ठ-निव्वण-चरित्तभावणाए अहिंसए संजते सुसाहू 5 / एवमिणं संवरस्स दारं सम्म संवरियं होति सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहिं वि कारणेहिं मण-वयण-काय-परिरक्खिएहिं, णिच्चं अामरणंतं च एस जोगो णेयब्यो, धितिमया मतिमपा अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो श्रपरिस्सावी असंकिलिट्ठो सुद्धो सधजिणमणुन्नातो, एवं पदमं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तिरियं किट्टियं श्राराहियं श्राणाते अणुपालियं Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्मरनव्याकरणदशाङ्ग सूत्रम् :: अध्ययनं 7 ] भाति, एयं नायमुणिणा भगवया पनवियं परूवियं पसिद्ध सिद्धं, सिद्धवरसासणमिणं, श्राघवितं, सुदेसितं, पसत्थं, पढमं संवरदारं समत्तं ति बेमि 1, 6 // सूत्रं 23 // ॥इति षष्ठं अध्ययनम् // 6 // // अथ द्वितीयसंवर-सत्याख्यं सप्तमध्ययनम् / / जंबू ! वितियं च सच्चवयणं सुद्धं, सुचियं, सिवं, सुजाय, सुभासियं, सुव्वयं, सुकहियं, सुदिटुं, सुपतिट्ठियं, सुपइट्ठियजसं, सुसंजमियवयणबुइयं, सुरवर--नरवसभ-पवरबलवग-सुविहियजणबहुमयं, परम-साहुधम्म-चरणं, तवनियम-परिग्गहियं, सुगतिपहदेसकं, च लोगुत्तमं वयमिणं 1 / विजाहर. गगण-गमण-विजाण-साहकं सग्गमग्ग-सिद्धिपह-देसकं, वितहं तं सच्चं 2 / उज्जुयं, अकुडिलं, भूयत्थं अस्थतो, विसुद्धं, उज्जोयकर, पभासक भवति सव्वभावाण जीवलोगे 3 / अविसंवादि, जहत्थमधुरं पञ्चक्खं दयिवयंव जंतं अच्छेरकारकं अवत्यंतरेसु बहुएसु माणुसाणं 4 / सच्चेण महासमुहमज्झवि मूढाणियावि पोया सच्चेण य उदगसंभमंमिवि न वुझति, न य मरंति थाहं ते लभंति 5 / सच्चेण य अगणिसंभमंमिवि न डझति उज्जुगा मणूसा 6 / सञ्चण य तत्ततेल-तउ-लोह-सीसकाई विवंति धरेंति न य डझति मणूसा 7 / पव्वय-कडकाहिं मुच्च ते न य मरंति सचेण य परिग्गहिया 8 / असिपंजरगया समराथोवि पिईति श्रणहा य सञ्चवादी 1 / वह बंधभियोग-वेरघोरेहिं पमुच्चति य अमित्तमज्झाहिं निइंति अणहा य सञ्चवादी 10 / सादेवाणि (सरिणज्झाणिवि) य देवयाो करेंति सच्चवयणे रताणं 11 / तं सच्च भगवं तित्थकर-सुभासियं दसविहं, चोहसपुव्वीहिं पाहुडस्थविदितं, महरिसीण य समयप्पइन्नं (महरिसिसमय-पइन्नचिन्न), देविंद-नरिंद भासियत्थं, वेमाणिय-साहियं, महत्थं, Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः मंतोसहि-विजा-साहणत्थं, चारण-गण-समण-सिद्धविज्ज, मणुयगणाणं वंदणिज्जं, श्रमरगणाणं अश्वणिज्जं, असुरगणाणं च पूयणिज्ज, अणेगपाखंडि-परिग्गहितं, जं तं लोकमि सारभूयं, गंभीरतरं महासमुद्दाश्रो, थिरतरगं मेरुपन्वयायो, सोमतरगं चंदमंडलायो, दित्ततरं सूरमंडलायो, विमलतरं सरयनयलाओं, सुरभितरं गंधमादणायो, जेविय लोगम्मि अपरिसेसा मंतजोगा जवा य विजा यजंभका य अत्थाणि य सत्याणि य सिक्खायो य भागमा य सचाणिवि. ताई सच्चे पइट्ठियाई, सच्चपिय संजमस्स उवरोह. कारकं किंचि न वत्तव्वं, हिंसासावजसंपउत्तं, भेयविकहकारकं, अणस्थवायकलहकारक, अणज्जं, अव(या)वायविवायसपउत्तं, वेलं, श्रोजधेजबहुलं, निल्लज्जं, लोयगरहणिज्ज, दुट्टि, दुस्सुयं, अमुणियं / अपणो थवणा परेसु निंदा-न तंसि मेहावी, ण तंसि धनो, न तसि पियधम्मो, न तसि कुलीणो, न तंसि दाणपती, न तंसि सूरो, न तंसि पडिरूवो, न तंसि लट्ठो, न पंडियो, न बहुस्सुयो, नवि य तंसि तवस्सी, ण यावि परलोगणिच्छिय-मतीऽसि, सव्वकालं जाति-कुल-स्व-वाहि-रोगेण वावि जं होइ वजणिज्जं दुहिलं (दुहनो) उवयार-मतिक्कतं एवंविहं सच्चपि न वत्तव्वं . 12 / ग्रह केरिसकं पुणाइ सच तु भासियव्वं ?, जं तं दव्वेहिं पजवेहि य गुणेहि कम्मेहि, बहुविहेहिं सिप्पेहि भागमेहि य नाम-क्खाय-निवाउवसग्ग तद्धिय-समास-संधि-पद-हेउ-जोगिय उणादि-किरियाविहाण-धातु-सर(रस)। विभत्ति वन्नजुत्तं तिकल्लं 13 / दसविहंपि सञ्चजह भणियं तह यं कम्मुणा होइ दुवालसविहा.होइ भासा 11 / वयणंपिय - होइ सोलसविहं 15 / एवं अरहंतमणुनायं समिक्खियं. संजएण - कालंमि य वत्तव्वं 17 / / सू०२४ // इमं च अलियं पिसुण-फरुस-कडुय-चाल-वयण-परिरक्खणट्टयाए पावयणं भगवया सुकहियं, अत्तहियं, पेचाभाविकं, पागमेसिभ', सुद्धं, नेयाउयं, अकुडिलं, अणुत्तरं, सव्वदुक्खपावाणं विश्रोसमणं, तस्स इमा पंच Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययन 7 ] पद : [ 109 भावणायो 1 / वितियस्स वयस्स अलियवयणस्स वेरमण-परिरक्खणट्टयाए पढमं सोऊण संवरटुं परमटुं सुद्धं जाणिउण न वेगियं, न तुरियं, न चवलं, न कडुर्य, न फरसं, न साहसं, न य परस्स पीलाकरं सावज्जं, सर्च च हियं च मियं च गाहगं च सुद्धं संगयमकाहलं च समिक्खितं संजतेण कालंमि य वत्तव्यं 2 / एवं अणुवीति-समिति-जोगेण भावियो भवति अंतरप्पा संजय-कर-चरण-नयण-वयणो सूरो सचजव-संपुनो 3 / बितियं कोहो ण सेवियत्वो, कुद्धो चंडिकिणो मणूसो अलियं भणेज, पिसुणं भाणेज, फरुसं भोज, अलियं पिसुणं फरसं भोज, कलहं करेजा, वेरं करेजा, विकह करेजा, कलह वेरं विकह करेजा, सच्च हणेज, सीलं हणेज, विणयं हणेज, सच सीलं विणयं हणेज, वेसो हवेज, वत्थु भवेज, गम्मो भवेज, वेसो वत्थु गम्मो भवेज, एयं अन्नं व एवमादियं भणेज कोहग्गिसंपलित्तो तम्हा कोहो न सेवियवो 4 / एवं खंतीइ भावियो भवति अंतरप्पा संजयकरचरणनयणक्यणो सूरो सच्चजवसंपन्नो 5 / ततियं लोभो न सेवियवो लुद्धो लोलो भोज लियं, खेत्तस्स व वत्थुस्स व कतेण 1 लुद्धो लोलो भणेज अलियं, कित्तीए लोभस्स व 'कएण 2 लुद्धो लोलो भणेज अलियं, रिद्धीय व सोक्खस्स व कएण 3 लुद्धो लोलो भोज अलियं; भत्तस्सव पाणस्स व करण 4 लुद्धो लोलो भगोज अलियं, पीढस्स व फलगरस व कएण 5 लुद्धो लोलो भणेज अलियं, सेजाए व संथारकस्स व कएण 6 लुद्धो लोलो भणेज श्रलियं, वत्थस्स व पत्तस्स व कएण 7 लुद्धो लोलो भणेज श्रलियं, कंबलस्त व पायपुंछणस्स व कएण 8 लुद्धो लोलो भणेज अलियं, सीसस्स व सिस्सीणीए व करण 1 लुद्धो लोलो भणेज अलियं, अन्नेसु य एवमादिसु बहुसु कारणसतेसु लुद्धो लोलो भणेज अलियं 6 / तम्हा लोभो न सेवियव्यो, एवं मुत्तीय भावियो भवति अंतरप्पा संजय-करचरण Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : "11. . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः नयणवयणो सूरो सचजवसंपन्नो 7 / चउत्थं न भाइयव्वं भीतं खु भया श्रति लहुयं भीतो अबितिजयो मणूलो भीतो भूतेहि धिप्पइ भीतो अन्नंपिड भेसेजा, भीतो तवसजमंपिहु मुएजा, भीती य भरं न नित्थरेजा, सप्पुरिसनिसेवियं च मग्गं भीतो न समत्थो अणुचरिउं, तस्हा न भातियव्वं, भयस्स वा वाहिस्त वा रोगस्स वा जराए वा मच्चुस्स वा एगस्म वा (अन्नस्स वा) एवमादियस्स एवं धेज्जेण भावियो भवति अंतरप्पा संजयकर-चरण-नयण-वयणो सूरो सच्चजवसंपन्नो 8 | पंचमकं हासं न सेवियव्वं अलियाई असंतकाई जति हासइत्ता परपरिभवकारणं च हास, परपरिवायप्पियं च हासं, परपीलाकारगं च हासं, भेदविमुत्तिकारकं च हासं, अन्नोन्नजणियं च होज हासं, अन्नोन्नगमणं च होज ममं अन्नोन्नगमणं च होज कम्मं कंदप्पाभियोगगमणं च होज हासं, श्रासुरियं किव्विसत्तणं च जणेज हासं, तम्हा हासं न सेवियब्वं, एवं मोणेण भावित्रो भवइ अंतरप्पा संजय-करचरण-नयणवयणो सूरो सच्चजवसंपन्नो 1 / एवमिणं संवरस्स दार सम्म संचरियं होइ सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहिंवि कारणेहिं मणवयणकाय-परिरक्खिएहि निच अामरणंतं च एस जोगो णेयवो धितिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिदो अपरिस्सावी असंकिलिट्ठो सबजिगमणुनायो 10 / एवं बितियं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं अणुपालियं श्राणाए आराहियं भवति, एवं नायमुणिणा भगवया पन्नवियं परूवियं पसिद्धं सिद्धवरसासणमिणं आपवितं सुदेसियं पसत्थं वितियं संवरदारं समत्तं तिबेमि 2, 11 // सू० 25 // // इति सप्तममध्ययनम् // 7 // Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्ररनव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययन 8 ] [ 111 ॥अथ ततीयसंवरादत्तादानविरमणाख्यं अष्टममध्यनम॥ जंबू ! दत्त-मराणुराणाय-संवरो नाम होति ततियं सुव्वता ! महव्वतं गुणवतं परदव्वहरण-पडिविरइ-करणजुत्तं अपरिमिय-मणंत-तराहाणुगयमहिच्छ-मण-वयण-कलुस-पायाण-सुनिग्गहियं, सुसंजमिय मणहत्थ-पागनिहुयं निग्गंथं, णेट्ठिकं, निरतं, निरासवं, निब्भयं, विमुत्तं, उत्तमनरवसभपवरबलवग-सुविहित-जणसंमतं, परमसाहु-धम्मचरणं 1 / जत्थ य गामागरनगर-निगम-खेड-कबड मडंब-दोणमुह-संवाह-पट्टणासमगयं च किंचि दव्वं मणि-मुत्त-सिलप्पवाल-कंस-दूस-रयय-वरकणग-रयणमादि पडियं पम्हुट्ठ विप्पणटुन कप्पति कस्सति कहेउं वा गेरिहउं वा अहिरन्न-सुवनिकेण समलेटठ्ठ-कंचणेणं अपरिग्गह-संवुडेणं लोगंमि विहरियव्वं 2 | जंपिय होजाहि दव्वजातं खलगतं खेत्तगतं रन्न(जलथलगयं खेत्त)मंतरगतं वा किंचि पुष्फफल-तयप्पवाल कंद-मूल तण-कट्ठसकरादि अप्पं च बहुं च अणुच थूलगं वा न कप्पती उग्गहमि अदिरणंमि गिरािहलं जे, हणि हणि उग्गहं अणुनविय गेरिहयव्वं 3 / वज्जेयव्यो सव्वकालं अचियत्त-घरपवेसो, अचियत्त-भत्तपाणं अचियत्त-पीट-फलग-सेन्जा-संथारग-वत्थ-पत्त-कंबल-दंडग-रयहरण-निसेजचोलपट्टग-मुहपोत्तिय-पायपुछणाइ भायगा-भंडोवहि-उवकरणं, परपरिवायो, परस्स दोसो परववएसेणं जं च गेराहइ, परस्स नासेइ जं च सुकयं, दाणस्स य अंतरातियं दाणविप्पणासो, पेसुन्नं चेव मच्छरित्तं च, जेविय पीढ-फलग-सेजा संथारग-वत्थ-पाय-कंबल-दंडग-रयहरण-निसिज-चोलपट्टयमुहपोत्तिय-पायपुछणादि-भायण भंडोवहि-उवकरणं असंविभागी 4 / असंगहरती, तवतेणे य, वइतेणे य रूवतेणे य, आयारे चैव भावतेणे य, सहकरे, झज्झकरे, कलहकरे, वेरकरे, विकहकरे, असमाहिकरे, सया अप्पमाणभोती सततं अणुबद्धवेरे य, तिव्वरोसी, से तारिसए नाराहए वयमिणं 5 / अह केरिसए पुणाई याराहए वयमिणं ?, जे से उवहि-भत्त Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 412] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थी विभागा पाण-संगहण-दाण-कुसले, अञ्चत-बाल-दुबल-गिलाण-वुड्ढ--खवगपवतियायरिय-उवज्झाए, सेहे, साहम्मिके, तवस्सी-कुल-गण-संघ-चेइय? य निजरट्टी वेयावच्च अणिस्सियं बहुविहं दसविहं करेति, न य अचियत्तस्स गिहं पविसइ, न य अचियत्तस्स गेराहइ भत्तपाणं, न य अचियत्तस्स सेवइ, पीढ-फलग-सेन्जा-संथारग-वस्थ-पाय-कंबल-डंडग-रयहरणनिसेज़-चोलपट्टय–मुहपोत्तिय-पायपुंछणाइ-भायण-भंडोवहिउवगरणं न य परिवायं परस्स जंपति, ण यावि दोसे परस्स गेराहति, परववएसेणवि न किंचि गेराहति, न य विपरिणामेति किंचि जणं न यावि णासेति, दिन्नसुकयं दाऊण य न होइ पच्छाताविए संविभागसीले संग्गहोवग्गह-कुसले से तारिसे श्राराहते वयमिणं 6 / इमं च परदव-हरण-वेरमण-परिरवखणट्ठयाए पावयणं भगवया सुकहितं, अत्तहितं, पेचाभावितं, यागमेसिभद्द, सुद्धं, नेयाउयं, अकुडिलं, अणुत्तरं, सव्वदुक्खपावाण वियोवसमणं 7 / तस्स इमा पंच भावणातो ततियस्स होंति परदव्व-हरण-वेरमण-परिस्क्खणट्टयाए, पढमं देवकुल-सभा-प्पवा-वसह-रुक्खमूल-श्राराम-कंदरागर-गिरिगुहाकम्मउजाण-जाणसाला कुवितसाला मंडव-सुन्नघर-सुसाणलेणयावणे अन्नंमिय एवमादियंमि दग-मट्टिय-बीज-हरित-तसपाण-प्रसंसत्ते अहाकडे फासुए विवित्ते पसत्थे उवस्तए होइ विहरियव्वं, श्राहाकम्मबहुले य जे से श्रासित-संमजिअोवलित्त-सोहिय-छायण-(छगण)दूमणलिंपण-अणुलिंपण-जलण-भंडचालण अंतो बहिं च असंजमो जत्थ वड्डती संजयाण अट्ठा वज्जेयव्यो हु उवस्सयो से तारिसए सुत्तपडिकुटुं / एवं विवित्तवास-वसहि-समिति-जोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निच्च अहिकरण-करण-कारावण-पावकम्मविरतो दत्तमणुनायश्रोग्गहरुती 8 / वितीयं बारामुजाण-काणण-वणप्पदेस-भागे जं किंचि इक्कडं वा कठिणगं च जंतुगं [जवगं] च परा-मेर-कुच-कुस-डब्भ-पलालमूयग-पव्वय-पुष्फ-फल-तय-पवाल-कंद-मूल-तण-कट्ठ-सकरादी गेराहइ Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्ररनव्याकरणदशाश-पत्रम् / अध्ययन ) [115 सेजोवहिस्स अट्ठा न कप्पए उग्गहे अदिन्नंमि गिरहेउं जे हणि हणि उग्गहं अणुनविय गेगिहयव्वं एवं उग्गह-समिति-जोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निच्चं अहिकरण करण-कारावण-पावकम्म-विरते दत्त-मणुनायश्रोग्गहरुती 1 / ततीयं पीढ-फलग-सेजा-संथारगट्टयाए रुखो न छिदियब्वो न छेदणेण भेयणेण सेजा कारेयव्वा जस्सेव उवस्सते वसेज सेज्जं तत्थेव गवेसेजा, न य विसमं समं करेजा, न निवाय-पवाय-उस्सुगत्तं न डंसमप्सगेसु खुभियन्वं अग्गी धूमो न कायवो, एवं संजमबहुले संवरबहुले संवुडबहुले समांहिबहुले धीरे कारण फासयंतो सययं अज्झप्पज्झाणजुत्ते समिए एगे चरेज धम्म, एवं सेजासमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निच्चं अहि. करण-करण-कारावण-पावकम्मविरते दत्त-मणुनाय-उग्गहरुती 10 / चउत्थं साहारण-पिंडपात लाभे सति भोत्तव्वं संजएण समियं न सायसूपाहिक,न खद्धं, ण वेगितं, न तुरियं, न चवलं,न साहस,न यपरस्स पीलाकरसावज्ज तह भोत्तव्वं जह से ततियवयं न सीदति,साहारणपिंडपायलाभे सुहुमं अदिन्नादाण-विरमणवयनियमणं (वय-नियमवेरमणं) एवं साहारण-पिंडवायलाभे समितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निच्चं अहिकरण-करण-कारावण-पावकम्मविरते दत्तमणुन्नायउग्गहरुती 11 / पंचमगं साहम्मिए विणश्रो पउंजियव्वो, उवकरणपारणासु विणो पउंजियव्यो, वायण-परियट्टणासु विणयो पउंजियव्यो, दाणगहणपुच्छणासु विणयो पउंजियव्वो, निक्खमण-पवेसणासु विणश्रो पउंजियव्वो, अन्नेसु य एवमादिसु बहुसु कारणसएसु विणयो पउंजियव्यो, विणश्रोवि तवो तवोवि धम्मो तम्हा विणश्रो पउंजियव्यो, गुरुसु साहूसु तवस्सीसु य, विणश्रो पउंजियव्वो ए विणतेण भावियो भवइ अंतरप्पा णिच अधिकरणकरण-कारावण-पावकम्मविरते दत्तमणुनायउग्गहरुइ 12 / एवमिणं संवरस्स दारं सम्म संचरियं होइ सुपणिहियं एवं जाव बाघवियं सुदेसितं पसत्थं 13 / / सू० 26 // तवियं संवरदारं समत्तं तिबेमि // 3 // // इति अष्टममध्ययनम् // 8 // Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . 414] : [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थी विभागः / // अथ चतुर्थसंवर-ब्रह्मचर्याख्यं नवममध्ययनम् // . जंबू ! एत्तो य बंभचेरं उत्तम-तव-नियम-णाण-दसण चरित्त-सम्मत्तविणयमूलं, संयम-नियम-गुणप्पहाणजुत्तं, हिमवंत-महंत-नेयमंतं, पसत्थ-गंभीरथिमितमझ (मज्झत्थ.) अजव-साहुजणाचरितं (-त.) मोक्खमग्गं विसुद्धसिद्धिगति-निलयं, सासय(-मन्बावाह.) मपुणब्भवं, पसत्यं, सोमं, सुभं, सिव(मयल)मक्खयकर, जतिवर-सारक्खितं सुचरियं, सुसाहियं, नवरि मुणिवरेहिं महापुरिस-धीर-सूर-धम्मिय-धितिमंताण य सया विसुद्धं सबभव-जणाणुचिन, निस्संकियं, निब्भय, नित्तुसं, निरायासं, निरुवलेवे, निव्वुतिघरं, नियमनिप्पकंपं, तव-संजम-मूल-दलियणेम्मं, पंचमहब्बयसुरक्खियं, समितिगुत्तिगुत्तं, झाण वर-कवाड-सुकय-रक्खण-मज्झप्पदिनफलिहं, सन्नद्ध-बद्धोच्छइय-दुग्गइपह, सुगतिपहदेसगं च लोगुत्तम, च वयवयविणं पउमसर-तलाग-पालिभूयं, महासगड-अरग-तुबभूयं, महाविडिमरुक्ख-क्खंधभूयं, महानगर-पागार-कवाड-फलिहभूयं रज्जुपिणिद्धो व इंदकेतू विसुद्ध-णेग गुण-संपिणद्धं 1 / जमि य भग्गमि होइ सहसा सव्वं संभग्गमहिय-मथिय-चुन्निय-कुसल्लिय-पब्धयपडिय--खंडिय-परिसडिय-विणासियं विणय-सील-तव-नियम-गुणसमूह 2 / तं बंभं भगवंतं गहगण-नक्खत्ततारगाणं वा जहा उडुपत्ती 1, मणि-मुत्त-सिलप्पवाल-रत्तरयणागराणं च जहा समुद्दो 2, वेरुलियो चेव जहा मणीणं 3, जहा मउडो चेव भूसणाणं 4, वत्थाणं चेव खोमजुयलं 5, अरविंदं चेव पुप्फजेटुं 6, गोसीसं चेव चंदणाणं 7, हिमवंतो चेव श्रोसहीणं 8, सीतोदा चेव निन्नगाणं 1, उदहीसु जहा सयंभुरमणो 10, स्यगवर चेव मंडलिकपब्बयाणं 11, पवरो एरावण इव कुजराणं 12, सीहोच जहा मिगाणं 13, पवरो पत्रकाणं चेव वेणुदेवे 14, धरणो जह पराणगइंदराया 15, कापाणं चेव बंभलोए 16, सभासु य जहा भवे सुहम्मा 17, ठितिसु लवसत्तमव्व पवरा Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रनव्याकरणदशा-यम् / अध्मयने है ) [ 45 18, दाणाणं चेव अभयदाणं 11, किमिराउ चेव कंबलाणं 21, संघयणे चेव वजरिसभे 21, संठाणे चेव समचउरंसे 22, झाणेसु य परमसुक्कझाणं 23, णाणेसु य परमकेवलं तु सिद्धं 24, लेसासु य परमसुक्कलेस्मा 25, तित्थंकरे जहा व मुणीणं -26, वासेसु जहा महाविदेहे 27, गिरिसु गिरिराया चेव मंदरवरे 28, वणेसु जह नंदणवणं 21, पवरं दुमेसु जहा जंबू 30, सुदंसणा वीसुयजसा जीए नामेण य श्रयं दीवो 31, 3 / तुरगवती, गयवती रहवती, नरवती, जह वीसुए चेव, राया रहिए चेव जहा महारहगते, एवमणेगा गुणा बहीणा भवंति एक्कमि बंभचेरे जंमि य श्राराहियंमि श्राराहियं वयमिणं सव्वं, सीलं तवो य विणयो य, संजमो य, खंती गुती मुत्ती तहेव इहलोइय-पारलोइयजसे य, कित्ती य, पञ्चयो य, तम्हा निहुएण बंभचेरं चरियव्वं, सव्वश्रो विसुद्धं, जावजीवाए जाव सेयट्ठिसंजउत्ति 4 / एवं भणियं वयं भगवया, तं च इमं-पंचमहव्वय-सुव्वयमूलं, समण-मणाइल-साहुसुचिन्न / वेरविरमणपज्जवसाणं, सबसमुद्द-महोदधितित्थं // 1 // तित्थकरेहि सुदेसियमग्गं, निरयतिरिच्छ-विवजियमग्गं / सव्वपवित्त-सुनिम्मियसारं, सिद्धिविमाणअवंगुयदारं // 2 // देवनरिंद-नमंसियपूयं, सव्वजगुत्तम-मंगलमग्गं / दुद्धरिसं गुणनायकमेक्कं, मोक्खपहस्सऽवडिंसगभूयं // 3 // जेण सुद्धचरिएण भवइ सुबंभणो सुसमणो सुसाहू सुइसी सुमुणी ससंजए (स इसी समुणी स संजए) स एव भिक्खू जो सुद्धं चरति बंभचेरं 5 / इमं व रति-राग-दोस-मोहपवट्ठणकरं किंमज्म-पमाय-दोसपासत्थ-सीलकरणं अभंगणाणि य तेल्लमजणाणि य अभिक्खणं कक्ख-सीस-कर-चरण-वद्रण-धोवणसंबाहण-गायकम्म-परिमद्दणाणुलेवण-चुन्नवास-धूवण-सरीरपरिमंडण-बाउसिकं नह-केस-वत्थु-समारचणादिकं हसिय-भणिय-नट्ट-गीय-वाइय-नड-नट्टकजल्ल-मल्ल-पेच्छणबेलंबक जाणि य सिंगारागाराणि (रकारणाणि) य अन्नाणि Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 416] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः य एवमादियाणि तव-संजम-बंभचेर-घातोवघातियाई अणुचरमाणेणं बंभचेरं वज्जेयब्वाइं सव्वकालं 6 / भावेयव्वो भवइ य अंतरप्पा इमेहिं तव-नियम-सीलजोगेहिं निच्चकालं, किं ते ?-अराहाणकअदंतधावणसे पमल-जल्लधारणं मूणवय-केसलोए य खम-दम-अचेलगखुप्पिवास-लाघव सीतोसिण-कट्ठसेजा--भूमिनिसेजा-परघरपवेस-लद्धावलद्धमाणावमाणा निंदण-दंसमसग-फास-नियम-तब-गुण-विणयमादिएहिं जहा से थिरतरक होइ बंभचेरं 7 / इमं च अचंभवेर-विरमण-परिरक्खणट्टयाए पावयणं भगवया सुकहियं, पेचाभाविकं, श्रागमेसिभह, सुद्धं, नेयाउयं, अकुडिलं, अणुत्तरं सम्बदुक्खपावाण विउसवणं 8 / तस्स इमा पंच भावणाश्रो चउत्थयस्स होति प्रबंभचेर-वेरमण-परिरक्खणट्टयाए, पढमं सयणासण-घर-दुवार-अंगण-भागास-गवक्ख-साल-अभिलोयण-पच्छवत्थुकपताहणक-राहाणि काकासा अवकासा जे य वेसियाणं अच्छंति य जत्थ इत्थिकायो अभिक्खणं मोहदोस-रतिराग-वड्डणीयो कहिति य कहायो बहुविहायो तेऽवि हु वजणिज्जा, इत्थिसंसत्त-संकिलिट्ठा अन्नेवि य एवमादी अवकासा ते हु वजणिज्जा / जत्थ मणोविन्भमो वा भंगो वा भंसणा वा अट्ट रुच हुज झाणं तं तं वज्जेजवजभीरू श्रणायतणं अंतपंतवासी एवम-संतत्तवासबसही-समितिजोगेण भावितो भवति, अंतरप्पा भारतमणविरयगामधम्मे, जितेंदिए, बंभचेरगुत्ते 1, 1 / वितियं नारीजणस्स मज्झे न कहेयव्वा कहा विचित्ता विब्बोय-विलाससंपउत्ता, हास-सिंगार-लोइयकहव्व मोहजणणी न आवाह-विवाह-वरकहाविव इत्थीणं वा सुभग-दुभगकहा चउसटिं च महिलागुणा न वन-देस-जाति-कुल-रुव-नाम-नेवत्थ-परिजणकहावि इत्थियाणं कनावि य एवमादियायो कहाश्रो सिंगारकलुणाश्रो तव-संजमबंभचेर-घातोवघातियायो अणुचरमाणेणं बंभचेरं न कहेयव्वा, न सुणेयव्वा, न चिंतेयव्वा, एवं इत्थीकह-विरति-समितिजोगेणं भावितो भवति अंतरप्पा Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्ररनश्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] [117 भारत-मण-विरय-गामधम्मे जितिदिए बंभचेरगुत्ते 2, 10 / ततीयं नारीण हसित-भणितं चेट्ठिय-विप्पेक्खित-गइ-विलासकीलियं विब्बोतिय-नट्ट-गीतवातिय-सरीरसंगण-वन-करचरणा-नयणलावन्न-रूव-जोव्वण-पयोहराधर-वत्थालं. कारभूसणाणि य गुज्झोक्कासियाई अन्नाणि य एवमादियाई तवसंजमबंभचेर-घातोवघातियाई अणुचरमाणेणं बंभचेरं न चक्खुसा न मणसा न वयसा पत्थेयब्वाइं पावकम्माई / एवं इत्थीरूव-विरति-समितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा भारतमण-विरयगामधम्मे जिइंदिए बंभचेरगुत्ते 3, 11 / चउत्थं पुम्वरय-पुब्बकीलिय-पुव्वसंगंथ गंथसंथुया जे ते श्रावाह-विवाहचोलकेसु य तिथिसु जन्नेसु उस्सवेसु व सिंगारागार-चारुवेसाहिं हावभावपललिय-विक्खेव-विलास-(गति)सालिणीहिं अणुकूल-पेम्मिकाहिं सद्धिं अणुभूया सयणसंपयोगा उदुसुह-वरकुसुम-सुरभिचंदण-सुगंधिवरखास-धूवसुहफरिस-वत्थ-भूसणगुणोववेया रमणिज्जाउजगेय-पउरनड-नट्टक-जल-मल्लमुट्ठिक-वेलंग-कहग--पवग-लासग-बाइक्खग-लंख-मंख-तूणइल-तुबवीणिय-तालायर-पकरणाणि य बहूणि महुर-सर-गीत-सुस्सराइं अन्नाणि य एवमादियाणि तवसंजम-भचेर-घातोवघातियाई अणुचरमाणेणं बंभचेरं न तातिं समणेण लब्भा दट्ठन कहेउं नवि सुमरिउं जे, एवं पुव्वरयपुवकीलिय-विरति-समितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा पारयमणविरतगा. मधम्मे जिइंदिए बंभचेरगुत्ते 4, 12 / पंचमगं श्राहार-पणीय-निद्ध-भोयणविवजते संजते सुसाहू, ववगयखीर-दहि-सप्पि-नवनीय-तेल-गुल-खंड-मच्छडिकमहु-मज-मंस-खजक-विगति-परिचत्तकयाहारे णं दप्पणं, न बहुसो, न नितिकं, न सायसूपाहिकं, न खद्धं, तहा भोत्तव्वं जह से जायामाता य भवति, न य भवति विन्भमो, न भंसणा य धम्मस्स, एवं पणीयाहारविरति-समितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा भारतमण-विरतगामधम्मे जिइंदिए बंभचेरगुत्ते 5, 13 / एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 41] [ भीमदाममसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः सुपणिहितं इमेहिं पञ्चहिवि कारणेहिं मणवयण-काय-परिरक्खिएहि णिच श्रामरणंतं च एसो जोगो णेयन्वो धितिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो अपरिस्सावी असंकिलिट्ठो सुद्धो सव्वजिणामणुन्नातो, एवं चउत्थं संवरदारं फासियं पालितं सोहितं तिरितं किट्टितं पाणाए अणुपालियं भवति, एवं नायमुणिणा भगवया परूवियं पसिद्धं सिद्धवरसासणमिणं श्रापवियं सुदेसितं पसत्थं 14 // सू० 27 // चउत्थं संवरद्वारं समत्तं तिबेमि // 4 // // इति नवममध्ययनम् // 6 // // अथ पञ्चमसंवर-परिग्रहविरमणाख्यं दशममध्ययनम् // जंब ! अपरिग्गह-संवुडे य समणे श्रारंभ-परिग्गहातो विरते विरते कोह-माण-माया-लोभा एगे असंजमे 1 दो चेव रागदोसा 2 तिनि य दंडगारवा य गुत्तीयो तिनि तिन्नि य विराहणाश्रो 3 चत्तारि कसाया झाण-सन्ना-विकहा तहा य हुंति चउरो 4 पंच य किरियायो समितिइंदियमहब्बयाई च 5 छज्जीवनिकाया छच्च लेसायो 6 सत्त भया' 7 अट्ट य मया 8 नव चेव य बंभचेरवयगुत्ती 1 दसप्पकारे य समणधम्मे 10 एक्कारस य उवासकाणं 11 बारस य भिक्खुपडिमा 12 किरियाणा य 13 भूयगामा 14 परमाधम्मिया 15 गाहासोलसया 16 असंजम 17 श्रवंभ 18 णाय 11 असमाहिठाणा 20 सबला 21 परिसहा 22 सूयगडझयण 23 देव 24 भावण 25 उद्देस 26 गुण 27 पकप्प 28 पावसुत 21 मोहणिज्जे 30 सिद्धातिगुणा य 31 जोगसंगहे 32 तित्तीसा श्रासातणा सुरिंदा अादि एकातियं करेत्ता एक्कुत्तरियाए वडिए तीसातो जाव उ भवे एकाहिका विरतीपणिहीसु, अविरतीसु य एवमादिसु बहूसु ठाणेसु, जिणपसाहिएसु, अवितहेस, सासयभावेसु, अवट्ठिएसु संकं कंखं निराकरेता सद्दहते सासणं भगवतो अणियाणे, अगारवे, अलुद्धे, Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् / / अध्ययनं 10 ] [ 411 श्रमूढ-मण-वयण-कायगुत्ते // सू० 28 // जो सो वीर-वर-चयण-विरतिपवित्थर-बहुविहप्पकारो, सम्मत्त-विमुद्धमूलो, धितिकदो, विणयवेतितो, निग्गत-तिलोक-विपुल-जस-निविड-(निचिन)-पीण-पवर-सुजातखंधो,पंचमहव्वयविसालसालो,भावणतय(यंत)ज्माण-सुभ-जोग-नाण पल्लव-वरंकुरघरो, बहुगुणकुसुमसमिद्धो, सीलसुगंधो, अणराहवफलो, पुणो य मोक्खवर-बीजसारी, मंदरगिरि-सिहरचूलिका इव इमस्स मोक्खवर-मुत्तिमग्गस्स सिहरभूत्रो, संवरखरपादपो चरिमं संवरदारं 1 / जत्थ न कप्पइ गामागर-नगर-खेडकबड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासमगयं च किंचि अप्पं व बहुं व अणु व थूलं व तस-थावर-कायदव्वजायं मणसावि परिघेत्तुं ण हिरन्न-सुवन्नखेत्तवत्थु, न दासीदास-भयक-पेस-हय-गय-गवेलगं च, न जाण-जुग्ग-सयणाइ, ण छत्तकं, न कुडिया, न उवाणहा, न पेहुण-वीयण-तालियंटका, ण यावि श्रय-तउय-तंब-सीसक-कस-रयत--जातरूव-मणि-मुत्ताधारपुडक-संख-दंतमणिसिंग-सेल(लेस)-काय-वरचेल-चम्मपत्ताइं महरिहाई परस्स अज्झोववायलोभजणणाई परियड्ढे (ट्टि)उं गुणवत्रो न यावि पुष्फफल-कंदमूलांदियाई सण-सत्तरसाइं सब्वधन्नाई तिहिवि जोगेहिं परिघेत्तु श्रोसह-भेसज्जभोयणट्ठयाए संजएणं 2 / किं कारणं ?, अपरिमित-णाण-दसणधरेहिं, सीलगुण-विणय-तव-संजमनायकेहिं, तित्थयरेहि, सब-जगज्जीव-वच्छलेहिं, तिलोयमहिएहि, जिणवरिंदेहिं एस जोणी जंगमाणं दिट्ठा न कप्पइ 3 / जोणिसमुच्छेदोत्ति तेण वज्जति समणसीहा, जंपिय श्रोदण-कुम्मास गंजतप्पण-मंथु-भुजिय-पलल-सूप-सक्कुलि-वेढिम-वरस(सा)रक-चुन्नकोसग-पिंडसिहरिणि-वट्टमोयग-खीर-दहि-सप्पि-नवनीत-तेल्ला-गुल-खंड-मच्छंडिय-मधु-मजमंस-खजक-वंजण-विधिमादिकं पणीयं उवस्सए परघरे व रन्ने न कप्पती तंपि सन्निहिं काउं सुविहियाणं 4 / जंपिय उद्दिट्ट ठविय-रचियग-पजवजातं पकिराण-पाउकरण-पामिच, मीसकजायं, कीय-कडपाहुडं च दाण? Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 420 ] . . [ श्रीमदानमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः पुन्नपगडं समण-वणीमगट्टयाए वा कयं, पच्छाकम्मं, पुरेकम्म, नितिकम्म, मक्खियं, अतिरित्तं, मोहरं चेव सयग्गहमाहडं, मट्टिउवलितं, अच्छेज्ज चेव अणीसटुंजं तं तिहीसु जन्नेसु ऊसवेसु य अंतो वा बहिं व होज़ समणट्ठयाए उवियं हिंसासावज-संपउत्तं न कप्पती तंपिय परिघेत्तु / / अह केरिसयं पुणाइ कप्पति ?, जं तं एकारस-पिंडवायसुद्धं, किणण-हणणपयण-कयकारियाणुमोयण-तक्कोडीहिं सुपरिसुद्धं, दसहि य . दोसेहिं विप्पमुक्कं, उग्गम-उप्पायणेसणाए सुद्धं, ववगय-चुय-चविय-चत्तदेहं च फासुयं ववगय-संजोग-मणिगालं, विगयधूम, छट्टाणनिमित्तं, छकायपरिरक्खणट्ठा हणिं हणिं फासुकेण भिक्खेण वट्टियव्वं 6 / जंपिय समणस्स सुविहियस्स उ रोगायंके बहुप्पकारंमि सम्मुप्पन्न वाताहिक-पित्तसिंभाइरित्त-कुविय तह सन्निवातजाते, व उदयपत्ते, उज्जल-बल-विउलकक्खड-पगाढदुक्खे, असुभ-काय फरुसे, चंड-फलविवागे, महब्भए जीवियंतकरणे, सव्व-सरीर-परितावणकरे 7 / न कप्पती तारिसेवि तह अप्पणो परस्त वा श्रोसहभेसज्जं भत्तपाणं च तंपि संनिहिकयं, जंपिय समणस्स सुविहियस्स तु पडिग्गहधारिस्स भवति भायण-भंडोवहिउवकरणं पडिग्गहो पादपंधणं पादकेसरिया पादठवणां च पडलाई तिन्नेव रयत्ताणां च गोच्छो तिन्नेव य पञ्च वा रयोहरण-चोलपट्टक-मुहगांतकमादीयं, एयपि य संजमस्स उबवूहणट्ठयाए वायायवदंस-मसग-सीय-परिरक्खणट्ठयाए उवगरणां रागदोसरहियं परिहरिय-वं संजएण णिच पडिलेहण-पष्फोडण-पमजणाए अहो य रायो य अप्पमत्तेण होइ सततं निक्खिवियध्वं च गिरिहयव्वं च भायणभंडोवहि उवकरणं 8 / एवं से संजते, विमुत्ते, निस्संगे, निप्परिग्गहरुई, निम्ममे, निन्नेहबंधणे, सव्वपावविरते, वासीचंदणसमाणकप्पे, सम-तिणमणि-मुत्ता-लेट्ठ-कंचणे, समे य माणावमाणणाए समियरते, समितरागदोसे, समिए, समितीसु सम्मदिट्ठी समे य जे सबपाणभूतेसु से हु समणे, सुयधारते, Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्ररनव्याकरणदशाङ्ग-स्त्रम् // अध्ययनं 10 ] [ 421. उजु(ज्जु)ते, संजए, सुसाहू, सरणं सव्वभूयाणं, सव्वजगवच्छले, सच्चभासके, य संसारंत-ट्टिते, य संसार-समुच्छिन्ने, सततं मरणाणुपारते, पारगे य सव्वेसिं संसयाणां, पवयणमायाहिं अट्ठहिं अट्ठकम्म-गंठी-विमोयके, अट्ठमयमहणे, ससमयकुसले य भवति 1 / सुहदुक्ख-निव्विसेसे, अभितर-बाहिरंमि सया तवोवहागांमि य सुट्ठज्जुते, खते, दंते य हिय(धिइ)निरते, ईरियासमिते, भासासमिते एसणासमिते, यायाण-भंड-मत्त-निक्खेवणासमिते, उच्चारपासवण-खेल सिंघाण-जल-पारिट्ठावणियासमिते, मणगुत्ते वयगुत्ते, कायगुत्ते; गुतिंदिए, गुत्तभयारी, चाई, सज्जू, धन्ने, तवस्सी, खंतिखमे, जितिदिए, सोधिए अणियाणे, अबहिल्लेसे, अममे, अकिंचणे, छिन्नग्गंथे (छिन्नसोये, छिन्नसोए) निरुवलेवे, सुविमल-वर कंस-भायणं व मुकतोए, संखेविव निरंजणे, विगय-राग-दोस-मोहे, कुम्मो इव इंदिएसु गुत्ते, जन्चकंचणगंव जायस्वे, पोक्खरपत्तं व निरुवलेवे, चंदो इव सोमयाए(सोमभावयाए) सूरो व दित्ततेए, अचले जह मंदरे गिरिवरे, अक्खोभे सागरो व्व थिमिए, पुढवी व सवफाससहे, तवसा चिय भासरासिछन्निव्व जाततेए, जलियडयासणों विव तेयसा जलंते, गोसीस-चंदणंपिव सीयले, सुगंधे य, हरयो विव समियभावे, उग्घोसिय-सुनिम्मलं व श्रायंसमंडलतलं व पागडभावेण सुद्धभावे, सोंडीरे कुंजरोव्व, वसभेव्व जायथामे, सीहे वा जहा मिगाहिवे होति दुप्पधरिसे, सारयसलिलं व सुद्धहियये, भारंडे चेव अप्पमत्ते, खग्गिविसाणं व एगजाते, खाणु चेव उड्डकाए, सुन्नागारेव्व अप्पडिकम्मे, सुन्नागारावणस्संतो निवाय-सरण-प्पदीय-ज्माणमिव निप्पकंपे, जहा खुरो चेत्र एगधारे, जहा अही चेव एगदिट्टी, श्रागासं चेव निरालंबे, विहगे विव सव्वो विप्पमुक्के, कयपरनिलए जहा चेव उरए, अप्पडिबद्धे अनिलोव, जीवोव अप्पडिहयगती, गामे गामे एकरायं नगरे नगरे य पंचरायं दूइज्जते य जितिदिए, जितपरीसहे, निभयो विऊ(विसुद्धे) Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 422 / ....श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः सचित्ताचित्त-मीसकेहिं दव्वेहिं विराय गते, संचयातो विरए, मुत्ते, लहुके, निरवकंखे, जीविय-मरणास-विप्पमुक्के निस्संधं निव्वणं चरित्तं धीरे कारण फासयंते, अज्झप्पज्माणजुत्ते, निहुए, एगे चरेज धम्म 10 / इमं च अपरिग्गह-वेरमण-परिवखणट्टयाए पावयणं भगवया सुकहियं, अत्तहियं, पेचाभाविकं, आगमेसिभई, सुद्धं, नेयाउयं, अडिलं, अणुत्तरं, सव्वदुक्खपावाण वियोसमणं 11 / तस्स इमा पंच भावणायो चरिमस्स वयस्स होति परिग्गह-वेरमण-रक्खणट्टयाए-पढमं सोइंदिएण सोचा सहाई मणुन्नभदगाई, किं ते ?, वरमुरय-मुइंग-पणव-ददुर-कच्छभि-वीणा-विपंचीवल्लयि-बद्धीसक-सुघोस-नांद-सूसरपरिवादिणि-वंस-तूणक-पवक-तंतीतल-ताल-तुडिय-निग्घोसगीयवाइयाइं / नड-नट्टक-जल्ल-मल्ल-मुट्ठिकवेलंबक-कहक-पवक-लासग-याइक्सक-लंख-मंख-तृणइल-तुबवीणियतालायर-पकरणाणि य बहूणि महुरसरगीतसुस्सराति 12 / कंचीमेहला-कलाव-पत्तरक-पहेरक-पायजालग-घंटिय-खिखिणि-रयणोरुजा-- लिय-छुड्डिय--नेउर-चलणमालिय-कणगनियलजाल-भूसणसदाणि / लीलकम्ममाणाणूदीरियाई तरुणीजण-हसियभणिय-कल-रिभितमंजुलाई गुणवयणाणि व बहूणि महुरजणभासियाई अन्नेसु य एवमादिएसु सद्देसु मणुन्नभदएसु ण तेसु समणेण सजियब्वं, न रजियव्वं, न गिझियव्वं, न हसियव्वं, न मुज्झियव्वं, न विनिग्घायं, श्रावजियव्वं, न लुभियव्वं, न तुसियव्वं, न सई च मई च तत्थ कुज्जा, पुणरवि सोइंदिएण सोचा सदाई श्रमणुन्न-पावकाई, कि ते ?, अकोस-फरस-खिसण-अवमाणण-तजणनिभंछण-दित्तवयण-तासण-उक्कूजिय-रुन-रडिय-कंदिय-निग्घुटरसिय-कलुण-विलवियाई अन्नेसु य एवमादिएसु सद्देसु अमणुराण-पावएसु न तेसु समणेण रूसियव्वं, न हीलियम्वं, न निंदियध्वं, न खिसियव्वं, न छिदियव्वं, न भिंदियव्यं, न वहेयव्वं,न दुगुछावत्तियाए लब्भा उप्पाएउं, एवं Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशा-सूत्रम् / अध्ययनं 10 ] / 423 सोतिदियभावणाभावितो भवति अंतरप्पा मणुनाऽमणुन-सुभिदुन्भि-रागदोसप्पणिहियप्पा साहू मणवयण-कायगुत्ते संवुडे पणिहितिदिए चरेज धम्मं 1, 13 | वितियं चक्खिदिएण पासिय रूवाणि मणुन्नाई भद्दकाई सचित्ताचित्तमीसकाई बढे, पोत्थे य, चित्तकम्मे लेप्पकम्मे, सेले य, दंतकम्मे य, पंचहि वराणेहिं अणग-संठाण-संठियाई,गंठिम-वेढिम-पूरिम-संघातिमाणि, य मलाई बहुविहाणि य अहियं नयण-मण-सुहकराई, वणसंडे पव्वते य गामागरनगराणि य खुद्दिय-पुस्खरिणि-वावी-दीहिय-गुजालिय-सरसरपंतिय-सागर-बिलपंतियखादिय-नदी-सर-तलाग-वप्पिणी-फुल्लुप्पल-पउम-परिमंडियाभिरामे, अणेगसउण-गण-मिहुणविचरिए, वरमंडव-विविहभवण-तोरण-चेतिय-देवकुल-सभप्पवावसह-सुक्यसयणासण-सीय-रह-सयड-जाण-जुग्ग-संदण-नरनारिगणे य, सोम-पडिरूब-दरिसणिज्जे, अलंकित-विभूसिते, पुवकय-तवप्पभाव-सोहग्गसंपउत्ते, नड-नट्टग-जल-मल्ल-मुट्ठिय-वेलंबग-कहग-पवग-लासग-बाइक्खग-लंखमंख-तूणइल-तुबवीणिय-तालायरकरणाणि य बहूणि सुकरणाणि अन्नेसु य एवमादिएसु रूवेसु मणुन्नभदएसु न तेसु समणेण सजियव्वं, न रजियव्वं, जाव न सइं च मइं च तत्था कुजा, पुणरवि चक्खिदिएण पासिय रुवाई श्रमणुनपावकाई, किं ते?, गंडि-कोढि ककुणि-उदरि-कच्छुल्ल-पइल्ल-कुज-पंगुलवामण-अंघिल्लग-एगचक्खु-विणिहय-सप्पिसल्लग-वाहिरोगपीलियं विगयाणि य मयक-कलेवराणि सकिमिण-कुहियं च दव्वरासिं अन्नेसु य एवमादिएसु श्रमणुन-पावकेसु न तेसु समणेण रूसियव् जाव न दुगुंछावत्तियावि लब्भा उप्पातेलं, एवं चम्खिदिय-भावणाभावितो भवति अंतरप्पा जाव चरेज धम्मं 2, 14 / ततियं घाणिदिएण अग्याइय गंधाति मणुन्नभद्दगाई, किं ते ?, जलयर-थलयर-सरस-पुष्फफल-पाण-भोयण-कट्ट-तगर-पत्त-चोददमणक-मरुय-एलारस-पकमंति-गोसीस-सरसचंदण-कप्पूर-लवंग-अगर-कुंकुमककोल-उसीर-सेयवंदण-सुगन्ध-सारंग-जुत्ति-वरधूववासे उउय-पिडिम-णिहारिम Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 424 ) [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः गंधिएसु अन्नेसु य एवमादिसु गंधेसु मणुन्नभद्दएसु न तेसु समणेण सजियव्वं जाव न सतिं च मई च तत्थ कुजा, पुणरवि घाणिदिएण अग्घातिय गंधाणि श्रमणुन्न-पावकाई, किं ते ?, अहिमड-अस्समड-हत्थिमड-गोमडविग-सुणग-सियाल-मणुय-मजार-सीह-दीविय-मयकुहिय विणट्ठकिविण-बहुदुरभिगंधेसु अन्नेसु य एवमादिसु गंधेसु श्रमणुनपावएसु न तेसु समगोण रूसियव्वं न हीलियव्वं जाव पिहिय-घाणिदिय चरेज धम्मं 3, 15 / चउत्थं जिभिदिएण साइय रसाणि उ मणुन्नभद्दकाई, किं ते ?, उग्गाहिमविविहपाण-भोयण-गुलकय खंडकय तेल्ल-घयकयभक्खेसु बहुविहेसु लवणरससंजुत्तेसु महु-मंस बहुप्पगार--मजिय-निट्ठाणग-दालियंब-सेहंबदुद्ध-दहिसरयमज-वरवारुणी-सीहु-काविसायण-सायट्ठारस-बहुप्पगारेसु भोयणेसु य मणुन-वन्न-गंध-रस-फास-बहुदव्वसंभितेसु अन्नेसु य एवमादिएसु रसेसु मणुनभदएसु न तेसु समणेण सजियव्वं जाव न सइं च मतिं च तत्थ कुन्जा, पुणरवि जिभिदिएण सायिय रसातिं श्रमणुन्नपावगांई, किं ते ?, अरस-विरस-सीय-लुक्ख-णिजप्पि-पाणभोयणाई दोसीण-बावन्न-कुहियपूइय-श्रमणुन-विणट्ठपसूय-बहुदुन्भिगंधियाई तित्त-कडुय-कसाय-अंबिलरसलिंड-नीरसाइं अन्नेसु य एमातिएसु रसेसु श्रमणुनपावएसु न तेसु समणेण रूसियव्वं जाव चरेज धम्मं 4, 16 / पंचमगं पुण फासिदिएण फासिय फासाई मणुनभद्दकाई, किं ते ?, दग-मंडव-हीर-सेयचंदण-सीयलविमलजल-विविह-कुसुमसत्थर-घोसीरमुत्तिय-मुणालदोसिणा-पेहुण-उक्खेवगतालियंटवीयणग-जणिय-सुहसीयले य पवणे गिम्हकाले सुहफासाणि य बहूणि सयणाणि भासणाणि य पाउरणगुणे य सिसिरकाले अंगारपतावणा य श्रावय-निद्ध-मउय-सीय-उसिणलहुया य जे उउसुहफासा अंगसुहनिव्वुइकरा ते अन्नेसु य एवमादितेसु फासेसु मणुन्नभदएसु न तेसु- समणेण सजियव्वं न रजियव्वं, न गिझियव्वं, न मुझियव्वं, न विणिग्घायं Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् : अध्ययनं 10 j [ 425 श्रावजियव्वं, न लुभियव्वं, न अज्झोववजियव्वं, न तूसियव्वं, न हसियव्वं, न सतिं च मतिं च तत्थ कुजा, पुणरवि फासिदिएण फासिय फासाति श्रमणुनपावकाई, किं ते ?, अणेगवध-बंध-तालणंकण-अतिभारारोवणए अंगभंजण-सूतीनखप्पवेस-गायपच्छण-लक्खारस-खार-तेल्ल कलकलंत-तउग्रसीसक-काललोह--सिंचण-हडिबंधण रज्जुनिगल--संकलहत्थंडय-- कुभिपाकदहण-सीहपुच्छण-उब्बंधण-सूलभेय--गय-चलणमलण-करचरण-कन्न-नासोट्ट-सीसछेयण-जिभछेयण-वसण-नयण-हियय-दंतभंजण-जोत्तलय-कसप्पहार-पादपरिह-जाणुपत्थर--निवाय-पीलणकविकच्छुअगाणि विच्छुय-डक्क-वायातव-दंस-मसकनिवाते दुट्टणिसजदुनिहिया-दुन्भिकक्खड-गुरुसीयउसिणलुक्खेसु बहुविहेसु अन्नेसु य एवमाइएसु फासेसु श्रमणुनपावकेसु न तेसु समणेण रूसियव्वं, न हीलिंयव्वं, न निंदियन्वं, न गरहियव्वं, न खिसियव्वं, न छिदियध्वं, न भिदियव्यं, न वहेयव्वं, न दुगुछावत्तियव्वं च लभा उप्पाएउं, एवं फासिदिय-भावणाभावितो भवति अंतरप्पा / मणुन्नामणुन-सुभिदुभि. रागदोस-पणिहियप्पा साहू मण-बयण-कायगुत्ते संवुडेगां पणिहितिदिए चरेज धम्म 5, 17 / एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहिंवि कारणेहिं, मणवयकाय-परिरक्खिएहिं निच्चं श्रामरणंतं च एस जोगो नेयव्यो धितिमया मतिमया / अणासवो, अकलुसो, अच्छिद्दो, अपरिस्सावी, असंकटोलि, सुद्धो, सव्वजिणमणुनातो, एवं पंचमं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं अणुपालियं श्राणाए धाराहियं भवति 18 / एवं नायमुणिणा भगवया महावीरेण पन्नवियं, परूवियं, पसिद्धं, सिद्ध, सिद्धवर-सासणमियां श्राघवियं, सुदेसियं, पसत्थं, पंचमं संवरदारं सम्मत्तं ति बेमि // एयातिं वयाई पंचवि सुव्वय ! महब्बयाई हेउसय-विचित्तपुक्खलाई कहियाई अरिहंतसासणे पंच समासेण Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 429 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा संवरा वित्थरेण उ पणवीसति-समिय-सहियसंवुडे सया जयण-घडणसुविसुद्धदंसणे एए अणुचरिय संजते चरमसरीरधरे भविस्सतीति 11 / वायगांतरे पुण एयाणि पंचावि सुव्वय ! महत्वयाणि लोकधिइकराणि, सुयसागर-देसियाणि संयम-सीलब्वय-सच्चजवमयाणि, नरय-तिरिय-देव-मणुयमइविवजयाणि, सव्वजिण-सासणाणि, कम्मरयवियारकाणि, भवसयविमोयगाणि, दुःक्खसय-विणासकाणि, सुक्खमय-पवत्तयाणि कापुरुषसुदुरु त्तराणि सप्पुरिस-जणतीरियाणि, निव्वाण गमणजाणाणि कहियाणि सग्गपवायकाणि पंचावि महब्बयाणि कहियाणि 20 ॥सूत्रं 21 // पाहावागरणे णं एगो सुयक्खंधो दस अज्झयणा एकसरगा दससु चेव दिवसेसु उदिसिज्जति एगंतरेसु आयंबिलेसु निरुद्धेसु थाउत्तभत्त पाएणं अंगं जहा पायारस्स // सूत्रं 30 // ॥इति दशममध्ययनम् // . // इति प्रश्न-व्याकरण-सूत्रं दशमाङ्ग समाप्तम् // [ ग्रन्थाग्रं 1300 ] Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // पञ्चमगणभृत्श्रीमत्सुधर्मस्वामिप्रणीतं // श्रीमद्-विपाकसूत्रम् // - : // अथ दुःखविपाकाख्यः प्रथमः श्रुतस्कन्धः // // 1 // अथ श्री मृगापुत्रीयं प्रथममध्ययनम् // ते णं काले णं ते णं समए णं चंपा णामं णयरी होत्था वगणयो, पुनभद्दे चेइए 1 / तेणं काले णं ते णं समएणं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतेवासी अजसुहम्मे णाम श्रणगारे जाइसंपन्ने वरणश्रो चउद्दसपुब्बी चउनाणोवगए पंचहि अणगारसएहि सद्धिं संपरिबुडे पुव्वाणुपुरि जाव जेणेव पुराणभद्दे चेइए अहापडिरूवं जाव विहरइ, परिसा निग्गया धम्मं सोचा निसम्म जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया 2 / ते णं काले णं ते णं समए णं अजसुहम्मअंतेवासी अजजंबूनामं अणगारे सत्तुस्सेहे जहा गोयमप्तामी तहा जाव झाणकोट्टोवगए जाव विहरति 3 / तए णं अजजंबूनामे अणगारे जायसडढे जाव जेणेव अजसुहुमे श्रणगारे तेणेव उवागए तिक्खुत्तो थायाहिणपयाहिणं करेति 2 त्ता वंदति 2 ता नमसति 2 ता जाव पज्जुवासति, एवं वयासी 4 / // सूत्रं 1 // जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दसमस्स अंगस्स पराहावागरणाणं अयम? पन्नत्ते, एकारसमस्स णं भंते ! अंगस्स विवागसुयस्त समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ?, तते णं अजसुहम्मे अणगारे जंबु अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 428 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विमागः समणेणं जाव संपत्तेणं एकारसमस्स अंगस्स विवागसुयस्स दो सुयक्खंघा पन्नत्ता, तंजहा-दुहविवागाय 1 सुहविवागा य 2, जइ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं एकारसमस्त अंगस्स विवागसुयस्स दो सुयक्खंधा पनत्ता, तंजहा-दुहविवागा य 1 सुहविवागा य 2, 1 / पढमस्स णं भंते ! सुयक्खंधस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अझयणा पन्नत्ता ?, तते णं अजसुहम्मे अणगारे जंबूषणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं श्राइगरेणं तित्थगरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-'मियउत्ते 1 य उज्झिरए 2 अभग्ग 3 सगडे 4 वहस्सई 5 नंदी 6 / उंबर 7 सोरियदत्ते 8 य देवदत्ता य 1 अंजू य 10 // 1 // 2 / जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं श्राइगरेणं तित्थयरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दस अज्झयणा पत्नत्ता, तंजहा-मियउत्ते य 1 जाव अंजू य 10, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते?, तते णं से सुहम्मे श्रणगारे जंबू अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समएणं मियगामे नामे णगरे होत्था वराणो, तस्स णं मियगामस्स णयरस्स बहिया उत्तरपुरिच्छमे दिसीभाए चंदणपायवे नाम उजाणे होत्था, सब्बोउयवराणयो, तत्थ णं सुहम्मस्स जक्खस्स जक्खाययणे होत्था चिरातीए जहा पुन्नभद्दे, तत्थ णं मियग्गामे णगरे विजएनाम खत्तिए राया परिवसइ वन्नो, तस्स णं विजयस्स खत्तियस्स मिया नामं देवी होत्था बहीणवन्नो, तस्स णं विजयस्स खत्तियस्स पुत्ते मियाए देवीए अत्तए मियापुत्ते नामं दारए होत्था, जातिअंधे जाइमूए जातिबहिरे जातिपंगुले य हुंडे य वायव्वे य, नत्थि णं तस्स दारगस्स हत्था वा पाया वा कन्ना वा अच्छी वा नासा वा, केवलं से तेसिं अंगोवंगाणं ग्रागिई ग्रागितिमित्ते 3 / तते णं सा मियादेवी तं मियापुत्तं दारगं रहस्सियंसि भूमिघरंसि रहस्सिएणं Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् :: श्रु०१ : अध्ययनं 1 ) [ 421 भत्तपाणेणं पडिजागरमाणी 2 विहरइ 4 // सू० 2 // तत्थ णं मियग्गामे णगरे एगे जातिअंधे पुरिसे परिवसइ, से णं एगेणं सचक्खुतेणं पुरिसेणं पुरयो दंडएणं पगढिजमाणे 2 फुट्टहडाहडसीसे मच्छिया-चडगर-पहकरेणं अरिणजमाणमग्गे मियग्गामे नयरे गेहे 2 यालुणवडियाए वित्तिं कप्पेमाणे विहरइ 1 / ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिए जार परिसा निग्गया 2 / तए णं से विजए खत्तिए इमीसे कहाए लट्ठ समाणे जहा कोणिए तहा निग्गते जाव पज्जुवासइ 3 / तते णं से जातिअंधे पुरिसे तं महया जणसद्द जाव सुणेत्ता तं पुरिसं एवं वयासी-किन्नं देवाणुप्पिया। अज मियग्गामे णगरे इंदमहेइ वा जाव निग्गच्छइ ?, तते णं से पुरिसे तं जाति(य)अंधपुरिसं एवं वयासीनो खलु देवाणुप्पिया ! अज मियग्गामे नयरे इंदमहे वा जाव जत्ताइ वा जन्नं एए उग्गा जाव एगदिसि एगाभिमुहा णिग्गच्छंति, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे जाव इह समागते इह संपत्ते इहेव मियगामे णगरे मिगवणुजाणे ग्रहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणां तवसा अप्पाणां भावेमाणे विहरति (इंदमहेइ वा जाव णिग्गब्छंति, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे जाव विहरति.) तते णं एते जाव निग्गच्छति 4 / तते णं से अंधपुरिसे तं पुरिसं एवं वयासी-गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! अम्हेवि समगां भगवं जाव पज्जुवासामो, तते णं से जातिअंधे पुरिसे पुरतो दंडएगां पगद्विजमाणे 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागए 2 त्ता तिवखुत्तो अायाहिणपयाहिणं करेइ 2 त्ता वंदति नमंसति 2 ता जाव पज्जुवासति 5 / तते णं समणे भगवं महावीरे विजयस्स रन्नो तीसे य महइमहालियाते परिसाए विवित्तं धम्ममाइक्खति जहा जीवा वझति, परिसा जार पडिगया, विजएवि गते 6 // सू० 3 // ते णं काले णं ते णं समएगां समणस्स भगवयो महावीरस्त जेठे अंतेवासी इंदभूतिनामं अणगारे जाव विहरइ 1 / Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 430 ] "[ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा तते णं से भगवं 2 गोयमे तं जातिअंधपुरिसं पासइ 2 ना जायसढे जाव एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! केई पुरिसे जातिअंधे जाय(ति)यंधारूवे ?, हंता अस्थि, कहराणां भंते ! से पुरिसे जातिधे जातिअंधारूवे ?, एवं खलु गोयमा ! इहेव मियग्गामे नगरे विजयस्स खत्तियस्स पुत्ते मियादेवीए अत्तए मियापुत्ते नामं दारए जातिअंधे जातिग्रंधारूवे, नस्थि णं तरस दारगस्स जाव आगतिमित्ते 2 / ततेणं सामियादेवी जाव पडिजागरमाणी 2 विहरति, तते णं से भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसति 2 त्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! अहं तुम्भेहिं अभणुनाए समाणे मियापुत्तं दारगं पासित्तए, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया !, 3 / तते णं से भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेण अब्भणुनाए समाणे हटे तु? समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतियात्रो पडिनिवखमइ 2 ता अतुरियं जाव सोहेमाणे 2 जेणेव मियग्गामे णगरे तेणेव उवागच्छति 2 ता मियग्गामं नगरं मझमज्झेणं अणुपविसइ 2 जेणेव मियादेवीए गेहे तेणेव उवागए, 4 / तते णं सा मियादेवी भगवं गोयमं एजमाणं पासइ 2 ता हट्टतुट्ठ जाव एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमण-पयोयणं ?, तते णं भगवं गोयमे मियं देविं एवं वयासी-अहराणं देवाणुप्पिए ! तव पुत्तं पासितु हव्वमागए 5 / तते णं सा मियादेवी मियापुत्तस्स दारगस्स अणुमग्गजायते चत्तारि पुत्ते सव्वालंकारविभूसिए करेति 2 ता भगवतो गोयमस्स पादेसु पाडेति 2 ता एवं वयासी-एए णं भंते ! मम पुत्ते पासह, तते णं से भगवं गोयमे मियादेवीं एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया ! अहं एए तव पुत्ते पासिउं हव्वमागते, तत्थ णं जे से तव जे? पुत्ते मियापुत्ते दारए जाइअंधे जातिअंधारूवे जं णं तुम रहस्सियंसि भूमिघरंसि रहरिसएगां भत्तपाणेणां पडिजागरमाणी 2 विहरसि तं णं अहं पासिउं हव्वमागए 6 / तते णं सा मियादेवी भगवं गोयमं एवं वयासी-से के णं गोयमा ! से Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् / श्रु० 1 : अध्ययनं 1 ] [ 431 तहारूचे णाणी वा तबस्सी वा जेणं तव एसम? मम ताव रहस्सिकए तुम्भं हन्बमक्खाए जो णं तुभे जाणह ?, तते णं भगवं गोयमे मियादेवीं एवं वयासि-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम धम्मायरिए जाव समणे भगवं महावीरे जाव ज(त)तो णं अहं जाणामि, जावं च णं मियादेवी भगवया गोयमेण सद्धिं एयम8 संलवति तावं च णं मियापुत्तस्स दारगस्स भत्तवेला जाया यावि होत्या 7 / तते णं सा मियादेवी भगवं गोयमं एवं वयासी-तुम्भे णं भंते ! इहं चेव चिट्ठह जा णं अहं तुम्भं मियापुत्तं दारगं उवदंसेमित्तिकट्टु जेणेव भत्तपाणघरे तेणेव उवागच्छति उबागच्छित्ता वत्थपरियट्ट करेति वत्थपरियट्ट करित्ता कट्ठसगडियं गिराहति कट्ठसगडियं गिरिहत्ता विपुलस्स असणपाणखाइमसाइमस्स भरेति विपुलस्स असणपाणखाइमसाइमस्त भरित्ता तं कट्ठसगडियं अणुकड्ढे माणी 2 जेणामेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता भगवं गोयमं एवं वयासी-एह णं तुम्भे भंते ! मम (मए सद्धिं) अणुगच्छह जा णं अहं तुम्भं मियापुत्तं दारगं उवदंसेमि, तते णं से भगवं गोयमे मियं देविं पिट्ठयो समणुगच्छति 8 / तते णं सा मियादेवी तं कट्टसगडियं अणुकड्डमाणी 2 जेणेव भूमिघरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता चउप्पुडेणं वत्थेणं मुहं बंधेति मुहं बंधमाणि भगवं गोयमं एवं वयासी-तुब्भेऽवि य णं भंते ! मुहपोत्तियाए मुहं बंधह 1 / तते णं से भगवं गोयमे मियादेवीए एवं वुत्ते समाणे मुहपोत्तियाए मुहं 'बंधेति, तते णं सा मियादेवी परम्मुही भूमिघरस्स दुवारं विहाडेति, तते णं गंधे निग्गच्छति से जहानामए अहिमडेति वा सप्पकडेवरे इ वा जाव ततोऽवि णं अणिद्वतराए चेव जाव गंधे पन्नत्ते 10 / तते णं से मियापुत्ते दारए तस्स विपुलस्स असणपाणखाइम-साइमस्स गंधेणं अभिभूते समाणे तंसि विपुलंसि असणपागा-खाइमसाइमंसि मुच्छिते (गढिते गिद्धे अझोववन्ने) 3 तं विपुलं असणं 4 श्रासएणं श्राहारेति श्राहारित्ता Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 432 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः खिप्पामेव विद्धंसेति विद्धंसेत्ता ततो पच्छा प्रयत्ताए य सोणियत्ताए य परिणामेति, तंपि य णं पूयं च सोणियं च याहारेति 11 / तते णं भगवश्रो गोयमस्स तं मियापुत्तं दारयं पासित्ता अयमेयारूवे अज्झथिए (चिंतिए कप्पिए पत्थिए मणोगए संकप्पे) समुपजित्था-ग्रहो णं इमे दारए पुरापोराणाणं दुच्चिराणाणं दुप्पडिक्कंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फलवित्तिविसेसं पचणुब्भवमाणे विहरति, ण मे दिट्ठा णगा वा णेरड्या वा पञ्चक्खं खलु अयं पुरिसे नरयपडिरूवियं वेयणं वेयतित्तिकटु मियं देविं श्रापुच्छति 2 ता मियाए देवीए गिहायो पडिनिक्खमति गिहा 2 ता मियग्गामं णगरं मझमझेणं निग्गच्छति 2 त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उझगच्छति 2 ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहिणपयाहिणं करेइ 2 ता वंदति नमंसति 2 ता एवं वयासी-एवं खलु अहं तुब्भेहिं अभणुराणाए समाणे मियग्गामं नगरं मझमझेण अणुप्पविसामि जेणेव मियाए देवीए गेहे तेणेव उवागते, तते णं सा मियादेवी ममं एजमाणं पासइ 2 ता हट्ठा तं चेव सव्वं जाव पूयं च सोणियं च श्राहारेति, तते णं मम इमे अज्झथिए 5 समुप्पजित्था-ग्रहो णं इमे दारए पुरा जाव विहरइ 12 // सू० 4 // से णं भंते ! पुरिसे पुव्वभवे के यासि किनामए वा किंगोत्तए वा कयरंसि गामंसि वा नगरंसि वा किं वा दचा किंवा भोचा किं वा समायरित्ता केसि वा पुरा पोराणाणं दुच्चिन्नाणं दुप्पडिक्कंताणं असुहाणं पावाणं कम्माणं पावगं फलवित्तिविसेसं पचणुब्भवमाणे विहरति ?, गोयमाइ ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासीएवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणां इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे सयदुवारे नाम नगरे होत्था रिद्धस्थिमिए वन्नयो, तत्थ णं सयदुवारे नगरे धणवई नामं रारा हुत्था, वराणयो, तस्स णं सयदुवारस्स. नगरस्स अदूरसामंते दाहिणपुरच्छिमे दिसीभाए विजयवद्धमाणे णामं खेडे होत्था Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् श्रु० 1 // अध्ययन 1 / रिद्धस्थिमिय-समिद्धे, तस्स णं विजयवद्धमाणस्स खेडस्स पंच गामसयाई श्राभोए यावि हुत्था, तत्य णं विजयवद्धमाणे खेडे इकाई णामं रट्टकूडे होत्था अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, से णं इकाई रट्टकूडे विजयवद्धमाणस्स खेडस्स पंचराहं गामप्सयाणां आहेवच्चं जाव पालेमाणे विहरइ, तए णं से इक्काई विजयवद्धमाणस्स खेडस्स पंच गामसयाई बहूहिं करेहि य भरेहि य विद्धीहि य उक्कोडाहि य पराभवेहि य दिज्जेहि य भेज्जेहि य कुंतेहि य लंछपोसेहि य पालीवणेहि य पंथकोट्टोहि य उवीलेमाणे 2 विहम्मेमाणे 2 तज्जेमाणे 2 तालेमाणे 2 निद्धणे करेमाणे 2 विहरति 1 / तते णं से इकाई रहकूडे विजयवद्धमाणस्स खेडस्स बहूणं राईसर तलवर-माडंबिय-कोडुबिय-सेट्टिसत्थवाहागां अन्नेसिं च बहूणं गामेल्लगपुरिसाणं बहुसु कज्जेसु य कारणेसु य संतेसु य गुज्झसु य निच्छएसु य ववहारेसु य सुणमाणे भणति-न सुणेमि, असुणमाणे भणति-सुणेमि, एवं पस्समाणे भासमाणे गिराहमाणे जाणमाणे, तते णं से इकाई रटकूडे एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमायारे सुबहुं पावकम्मं कलिकलुसं समजिणमाणे विहरति 2 / तते णं तस्स इकाइयस्स रट्टकूडस्स अन्नया कयाइं सरीरगंसि जमगसमगमेव सोलस रोगायंका पाउभूया, तंजहा-सासे 1 कासे 2 जरे 3 दाहे 4, कुच्छिसूले 5 भगंदरे 6 / अरिसे 7 अजीरए 8 दिट्ठी 1, मुद्धसूले 10 अकारए 11 // 1 // अच्छिवेयणा 12 कन्नवेयणा 13 कंडू 14 उदरे 15 कोढे 16, 3 / तते णं से इकाई रटकूडे सोलसहिं रोगायकेहिं अभिभूए समाणे कोड बियपुरिसे सद्दावेइ 2 त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! विजयवद्धमाणे खेडे संघाडग-तिग-चउक-चचर-महापहपहेसु महया 2 सद्देणं उग्घोसेमाणा 2 एवं वदह-इहं खलु देवाणुप्पिया ! इक्काईरट्ठकुडस्स सरीरगंसि सोलस रोगायंका पाउभूया, तंजहा-सासे 1 कासे 2 जरे 3 जाव कोढे 16, मं जो णं इच्छति देवाणुप्पिया ! विजो वा विजपुत्तो वा जाणुरो Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 434 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः वा जाणुयपुत्तो वा तेगिच्छी वा तेगिच्छिपुत्तो वा इक्काई-रटुकूडस्स तेसिं सोलसराहं रोगायंकाणं एगमवि रोगायंकं उबसामित्तए तस्स णं इकाई रट्टकूडे विपुलं अत्थसंपयाणं दलयति, दोच्चंपि तच्चपि उग्घोसेह 2 ता एयमाणत्तियं पचप्पिणह 4 / तते णं ते कोडवियपुरिसा जाव पञ्चप्पिणंति, तते णं से विजयवद्धमाणे खेडे इमं एयारूवं उग्घोसणां सोचा निसम्म बहवे विजा य 6 सत्थकोस-हत्थगया सएहिं 2 गिहेहितो पडिनिक्खमंति 2 ता विजयवद्धमाणस्स खेडस्स मझमझेणं जेणेव इकाइ-रट्ठकूडस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ 2 ता इकाई-रटकूडस्स सरीरगं परामुसंति 2 ता तेसिं रोगाणं निदाणां पुच्छंति 2 ता इकाई-रटकूडस्स बहूहिं अभंगेहि य उव्वट्टणाहि य सिणेहपाणेहि य वमणेहि य विरेयणाहि य (सेयणाहि य) अवदहणाहि य अवराहाणेहि य अणुवासणाहि य वत्थिकम्मेहि य निरुहेहि य सिरोवेहेहि य तच्छणेयि य पच्छणेहि य सिरोवत्थीहि य तत्पणाहि य पुडपागेहि य छलीहि य मूलेहि य कंदेहि य पत्तेहि य पुप्फेहि य फलेहि य बीएहि य सिलियाहि य गुलियाहि य योसहेहि य भेसज्जेहि य इच्छंति तेसिं सोलसराहं रोगायंकागां एगमवि रोगायंकं उवसमावित्तए (उवसामित्तए), नो चेव णं संचाएंति उवसामित्तए 5 / तते णं ते बहवे विजा य विजपुत्ता य जाणुया य जाणुअपुत्ता य तेगिच्छी य तेगिच्छिपुत्ता य जाहे नो संचाएंति तेसिं सोलसराहं रोगायंकाणां एगमवि रोगायकं उवसामित्तए ताहे संता तंता परितंता जामेव दिसि पाउठभूया तामेव दिसि पडिगया 6 / तते णं इकाईरटुकूडे विज्जेहि य 6 पडियाइक्खिए परियारगपरिचत्ते निविराणोसहभेसज्जे सोलसरोगार्यकेहिं अभिभूए समाणे रज्जे य र? य जाव अंतेउरे य मुच्छिए रज्जं च रटुंच यासाएमाणे पत्थेमाणे पीहेमाणे अभिलसमाणे अट्टदुहट्टवस? अड्डाइजाई वाससयाई परमाउयं पालइना कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसेणं सागरोवमट्टितीएसु Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् :: श्रु० 1 :: अध्ययनं 1 ] . [ 435 नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ने 7 / से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव मियग्गामे णगरे विजयस्त खत्तियस्स मियाए देवीए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववन्ने, तते णं तीसे मियाए देवीए सरोरे वेयणा पाउन्भूया उजला जाव जलंता, जप्पभिई च णं मियापुत्ते दारए मियाए देवीए कुच्छिसि गम्भत्ताए उववन्ने तप्पभिई च णं मियादेवी विजयस्स खत्तियस्स अणिट्ठा अकंता अप्पिया अमणुना अमणामा जाया यावि होत्था 1 / तते णं तीसे मियाए देवीए अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि कुडुबजागरियाए जागरमाणीए इमे एपारूवे श्रज्झथिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु अहं विजयस्स खत्तियस्स पुछि इट्ठा 6 धेजा वेसासिया अणुमया श्रासी, जप्पभिई च णं मम इमे गम्भे कुच्छिसि गभत्ताए उववन्ने तप्पभिई च णं ग्रहं विजयस्स खतियस्त अणिट्ठा जाव श्रमणामा जाया यावि होत्था, नेच्छति णं विजए खत्तिए मम नामं वा गोयं वा गिरिहत्तए, किमंग पुण दंसणं वा परिभोगं वा ?, तं सेयं खलु मम एवं गभं बहूहिं गभसाडणाहि य पाडणाहि य गालणाहि य मारणाहि य साडित्तए वा 4, एवं संपेहेइ संपेहिना बहूणिं खाराणि य कडुयाणि य तूबराणि य गभसाडणाणि य खायमाणी य पीयमाणी य इच्छति, तं गम्भं साडित्तए वा 4 नो चेव णं से गम्भे सडइ वा 4, 8 / तते णं सा मियादेवी जाहे नो संवाएति तं गम्भं साडेत्तए वा 4 ताहे संता तंता परितंता अकामिया असयंवसा (असवसा) तं गर्भ दुहंदुहेणं परिवहइ, 1 / तस्स णं दारगस्त गभगयस्स चेव अट्ट नालीयो अभितरप्पवहायो अट्ठ नालीयो बाहिरपवहायो अट्ठ पूयप्पवहायो अट्ठ सोणियप्पवहायो दुवे दुवे कराणंतरेसु दुवे दुवे अच्छितरेसु दुवे दुवे नक्कंतरेसु दुवे दुवे धमणियंतरेसु अभिक्खणं अभिक्खणं पूयं च सोणियं च परिसवमाणीयो 2 चे चिट्ठति, तस्स णं दारगस्स गभगयस्स चेव अग्गिए नामं वाही पाउन्भूए जे णं से दारए अाहारेति से णं Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः खिप्पामेव विद्धंसमागच्छति प्रयत्ताए सोणियत्ताए य परिणमति, तंपि य से पूयं च सोणियं च श्राहारेति, 10 / तते णं सा मियादेवी अन्नया कयाई नवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं दारगं पयाया, जातिअंधे जाव श्रागिइमित्ते, तते णं सा मियादेवी तं दारगं हुँडं अंधारूवं पासति 2 त्ता भीया 4 अम्मधाई सद्दावेति 2 ता एवं वयासी-गच्छह णं देवाणुप्पिया ! तुमं एवं दारगं एगते उक्कुरुडियाए उज्झाहि 11 / तते णं सा अम्मधाई मियादेवीए तहत्ति एयमट्ठ पडिसुणेति 2 ता जेणेव विजए खत्तिए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं जाव एवं वयासी-एवं खलु सामि ! मियादेवी नवराहं मासाणं जाव श्रागितिमित्ते, तते णं सा मियादेवी तं हुंडं अंधारूवं पासति 2 ता भीया तत्था उद्विग्गा संजायभया ममं सदावेइ 2 ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! एयं दारगं एगते उक्कुरुडियाए उज्झाहि, तं संदिसह णं सामी! तं दारगं अहं एगते उज्झामि उदाहु मा ?, तते णं से विजए णत्तिये तीसे अम्मधाईए अंतिए एयम? सोचा तहेब संभंते उडाए उठेति उट्ठाए उद्वित्ता जेणेव मियादेवी तेणेष आगच्छति 2 ता मियादेवी एवं वयासी-देवाणुप्पिया ! तुम्भ पहमं गभे तं जइ णं तुझे एयं एगते उक्कुरुडियाए उज्मासि ततो णं तुम्भे पया नो थिरा भविस्सति, तो णं तुमं एवं दारगं रहस्तियगंसि भूमिघरंसि रहस्सिएणं भत्तपाणेणं पडिजागरमाणी 2 विहराहि तो णं तुम्भं पया थिरा भविस्सति 12 / तते णं सा मियादेवी विजयस्स खत्तियस्स तहत्ति एयमटुं विणएणं पडिसुणेति 2 ता तं दारगं रहस्सियंसि भूमिवरंसि रहघरंसि भत्तपाणेणं पडिजागरमाणी विहरति, एवं खलु गोयमा ! मियापुत्ते दारए पुरापुराणाणं जाव पञ्चणुभवमाणे विहरति 13 / // सू० 5 // मियापुत्ते णं भंते ! दारए इबो कालमासे कालं किचा कहिं गमिहिति ? कहि उववजिहिति ?, गोयमा ! मियापुत्ते दारए छब्बीसं Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् : श्रु० 1: अध्ययन 1 ] [ 437 वासाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वाते वेयड्डगिरिपायमूले सीहकुलंसि सीहत्ताए पचायाहिति, से णं तत्थ सीहे भविस्तति अहम्मिए जाव साहसिए सुबहु पावकम्म जाव समजिणति जाव समजिणित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवमट्टितीएसु जाव उववजिहिति 1 / से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता सरीसवेसु उववजिहिति, तत्थ णं कालं किच्चा दोचाए पुढवीए उकोसेणं तिनि सागरोबमाई, से णं ततो अणंतरं उब्वट्टित्ता पक्खीसु उववजिहिति, तत्थवि कालं किच्चा तच्चाए पुढवीए सत्त सागरोवमाई, से णं ततो सीहेसु य, तयाणंतरं चोत्थीए, उरगो, पंचमीए, इत्थी, छट्ठीए, मणुयो, अहे सत्तमाए, ततोऽणंतरं उबट्टित्ता से जाइं इमाई जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणियाणं मच्छ-कच्छभ-गाह-मगर-सुसुमारादीणं श्रद्धतेरस जातिकुल-कोडिजोणिप्पमुह-सयसहस्साई तत्थ णं एगमेगंसि जोणीविहाणांसि अणेग-सतसहस्स. खुत्तो उदाइत्ता 2 तत्व भुजो 2 पचायाइस्सति 2 / से णं ततो उव्वट्टित्ता एवं चउपएसु उरपरिसप्पेसु भुयपरिसप्पेसु खहयरेसु चउरिदिएसु तेइंदिएसु बेइंदिएसु वणप्फइएसु कडुयरुखेसु कडयदुद्धिएसु वाउकायेसु तेऊकायेसु श्राऊकायेसु पुढवीकायेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता 2 तत्थेव भुजो 2 पञ्चायाइस्सति, से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता सुपइट्टपुरे नगरे गोणत्ताए पञ्चायाहिति 3 / से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे अन्नया कयाइं पढमपाउसंसि गंगाए महानईए खलीण(य)मट्टियं खणमाणे तडीए पेल्लिए समाणे कालगए तत्थेव सुपइटे पुरे नगरे सेट्टिकुलंसि पुमत्ताए पञ्चायाइस्सति 4 / से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे जाव जोवणगमणुपत्ते तहाख्वाणं थेराणं अंतिए धम्मं सोचा निसम्म मुडे भवित्ता अगाराथो श्रणगारियं पब्वइस्सति, से णं तत्थ अणगारे भविस्सति ईरियासमिए जाव बंभयारी, से णं तत्थ बहुई वासाइं सामनपरियागं पाउणित्ता आलोइयपडिवकते समाहिपत्ते कालमासे Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1438 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः स चतुर्थी विमाना कालं किचा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववजिहिति 5 / से णं ततो अणंतर चयं चइता महाविदेहे वासे, जाई इमाइं कुलाई भवंति अड्डाई जहा दढपइन्ने सा चेव वत्तव्वया कलायो नाव सिज्झिहिति 6 / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयम? पत्नत्तेत्तिवमि सेवं भंते ! 2 भगवं गोयमे जाव विहरति 7 // सू० 6 // // 1 // // इति प्रथममध्ययनम् // श्रु० 1 0 1 // // 2 // अथ श्री उज्झिनकाख्यं द्वितीयमध्ययनम् // जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपतेणं दुहविवागाणं पढमस्स श्रज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते, दोच्चस्स णं भंते ! अभयणस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के श्र? पराणत्ते ?, तते णं से सुहम्मे श्रणगारे जंबू श्रणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! ते णं काले. णं ते णं समए णं वाणियगामे नामं नयरे होत्था रिद्धिस्थिमियसमिद्धे, तस्स णं. वाणियगामस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए दुईपलासे नाम उजाणे होत्था, तत्थ णं दूइपलासे उजाणे सुहम्मस्त जवखस्स जक्खाययणे होत्था, तत्थ णं वाणियगामे मित्ते नामं राया होत्था वन्नयो, तस्स णं मित्तस्स रन्नो सिरीनामं देवी होत्था वगणो 1 / तत्थ णं वाणियगामे कामज्भया नाम गणिया होत्था, अहीण पुराणपंचिंदियसरीरा लक्खण-वंजण-गुणोववेया माणुम्माणप्पमाण-पडिपुन्न-सुजाय-सव्वंगसुदरंगी सुरूवा बावत्तरिकलापंडिया चउसट्ठि-गणिया-गुणोववेया एगणतीसविसेसे रममाणी एकवीस-रतिगुणप्पहाणा बत्तीस-पुरिमोवयार-कुसला णवंगसुत्त-पडिबोहिया अट्ठारस-देसीभासा-विसारया सिंगारागार-चारुबेसा गीयरतिय-गंधव-नट्टकुसला संगयगयभणिय-विहिय-विलास-सललिय-संलाव-निउण-जुत्तोवयार-कुसला सुंदरथण Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकमूत्रम् :: श्रु. 1 : अध्ययन 2 ) [434 जहण-वयण-करचरण-नयण-लावराण-विलास-कलिया ऊसियझया सहस्सलंभा विदिराण-छत्तचामर वालवीयणीया कन्नीरहप्पयाया यावि होत्था 2 / बहूणं गणियासहस्माणं याहेबच्चं जाव विहरइ 3 // सूत्रं 7 // तत्थ णं वाणियगामे विजयमिते नामं सत्थवाहे परिवसति अड्डे जाव अपरिभूते, तस्स णं विजयमित्तस्स सुभदा नाम भारिया होत्था बहीण-पुराणपंचिंदियसरीरा लक्खणवंजण-गुणोववेया, माणुम्माणप्पमाण-पडिपुन्न-सुजाय-सव्वंगसुदरंगी, तस्स णं विजयमित्तस्स पुत्ते सुभदाए भारियाए अत्तए उभियए नामं दारए होत्था अहीण जाव सुरूवे 1 / ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा निग्गया राया निग्गयो जहा कोणियो तहा णिग्गयो. धम्मो कहियो परिसा पडिगया, राया य गयो 2 / ते णं काले णं ते णं समए णं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जे? अंतेवासी इंदभूइनामं यणगारे जाव संखित्त-विउलतेयलेसे छटुंछट्टेणं जहा पन्नत्तीए पढमाए जाव जेणेव वाणियगामे तेणेव उवागच्छति, उच्चनीयअडमाणे जेणेव रायमग्गे तेणेव श्रोगाढे 3 / तत्थ णं बहवे हत्थी पासइ सन्नद्धबद्धवम्मिय-गुडिये उपीलिय-कच्छे उहामियघंटे णाणामणि-रयणविविहगेविज-उत्तरकंचुइज्जे पडिकप्पिए झयपडाग-वरपंचामेल-पारूढ-हत्यारोहे गहियाउहप्पहरणे अन्ने य तत्थ बहवे अासे पासति सन्नद्धबद्ध-वम्मियगुडिए थाविद्ध-गुडियोसारिय-पक्खरे उत्तरकंचुइय-योचूलमुह-(चुडामहा)चंडाधरचामर-थासक-परिमंडियकडिए श्रारूढयासारोहे गहियाउहप्पहरणे अन्ने य तत्थ बहवे पुरिसे पासइ सराणद्ध-बद्ध-बग्मियकवए उप्पीलिय-सरासणपट्टीए पिणिद्धगेवेज्जे विमलवर-बद्धचिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे, तेसिं च णं पुरिसाणं मझगयं पुरिसं पासति अवउडगबंधणं उकित्तकन्ननासं नेहतुप्पियगत्तं बज्म-करकडि(कक्खडिय)जुयनियत्थं कंठेगुणरत्त-मल्लदामं चुराणगुडियगत्तं चुराणयं (घुराणंत) वज्झ(बझ)पाणपीयं तिलंतिलं चे छिजमाणं Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः काकणीमंसाइं खावियंत पावं खक्खरगसएहिं हम्ममाणं अणेगनरनारीसंपरिखुडं चचरे चचरे खंडपडहएणं उग्घोसिज्जमाणं, इमं तं णं एयास्वं उग्घोसणं पडिसुणेति-नो खलु देवा ! उभियगस्स दारगस्स केइ राया वा रायपुत्तो वा अवरज्मइ अप्पणो से सयाई कम्माई अवरज्झन्ति 4 // सू० 8 // तते णं से भगवतो गोयमस्स तं पुरिसं पासित्ता इमे अज्झथिए 5 समुप्पजित्था-ग्रहो णं इमे पुरिसे जाव नरयपडिरूवियं वेयणं वेदेतित्तिकटु वाणियगामे नयरे उच्चनीयमभिमकुले जाव अडमाणे अहापजत्तं समुयाणियं गिराहति 2 ता वाणियगामे नयरे मझमज्झणं जाव पडिदंसेति 1 / समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 त्ता एवं वयासीएवं खलु अहं भंते ! तुज्झेहिं अभणुनाए समाणे वाणियगामं जाव तहेव वेदेति, से णं भंते ! पुरिसे पुब्वभवे के अासी ? जाव पञ्चणुब्भवमाणे विहरति ?, एवं खलु गोयमा ! ते णं काले णं ते णं समए णं इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे हथिणाउरे नामं नगरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे०, तत्थ णं हथिणाउरे नगरे सुनंदे नाम राया होत्था महया हिमवंत-मलयमंदर-महिंदसारे०, तत्थ णं हत्थिणाउरे णगरे बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे गोमंडवए होत्था अणेगखंभ-सय-सन्निविट्ठे पासाईए 4, तत्थ णं बहवे णगरगोरुवाणं सणाहा य अणाहा य णगरगावियो य णगरवसभा य णगरबलिवद्दा य णगरपड्डियायो य पउरतणपाणिया निब्भया निरुवसग्गा (निरुविग्गा) सुहंसुहेणं परिवसंति 2 / तत्थ णं हत्थिणाउरे नगरे भीमे नाम कूडग्गाहे होत्था अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे 3 / तस्स णं भीमस्स कूडग्गाहस्स उप्पला नाम भारिया होत्था बहीणपुराणपंचेंदियसरीरा लवखणवंजण-गुणोववेया माणुम्माण-प्पमाणपडिपुन्न-सुजाय-सव्वंग-सुदरंगी, तते णं सा उप्पला कूडग्गाहिणी अन्नया कयाई बावन्नसत्ता जाया यावि होत्था 4 / तते णं तीसे उप्पलाए कूडगाहिणीए तिराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् :: श्रु० 1 :: अध्ययनं 2 ] . [ 441 श्रयमेयारूवे दोहले पाउन्भूते-धनायो णं तायो अम्मयायो 4 जाव सुलद्धे जम्मजीवियफले, जायो णं बहणं णगरगोख्वाणं सणाहाण य जाव वसभाण य ऊहेहि य थणेहि य वसणेहि य छप्पाहि य ककुहेहि य वहेहि य कन्नेहि य अच्छिहि य नासाहि य जिब्भाहि य उठेहि य कंबलेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भजिएहि य परिसुक्केहि य लावणेहि य सुरं च महुं च मेरगं च जातिं च सीधुच पसरणं च श्रासाएमाणीयो विसाएमाणीयो परिभुजेमाणीयो परिभाएमाणीयो दोहलं विणयंति 5 / तं जइ णं अहमवि बहूणं नगर जाव विणिज्जामित्तिकटु, तसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा अोलुग्गा श्रोलग्गसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुलइयमुहा श्रोमंथिय-नयण-वयणकमला जहोइयं पुप्फवत्थगंध-मल्लालंकाराहारं अपरिभुञ्जमाणी करयलमलियब्व कमलमाला श्रोहयमणसंकप्पा जाव झियायति 6 / इमं च णं भीमे कूडग्गाहे जेणेव उप्पला कूडग्गाहिणी तेणेव उवागच्छति 2 ता श्रोहय जाव पासति श्रोहय जाव पासित्ता एवं वयासी-किं णं तुमे देवाणुप्पिए ! श्रोहय-मणसंकप्पा जाव झियासि ?, तते णं सा उप्पला भारिया भीमं कूडग्गाहं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! ममं तिराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं दोहला पाउन्भूया धन्ना णं ताश्रो जायो णं बहूणं गोरूवाणं सणाहाण य जाव वसभाण य ऊहेहि य जाव लावणएहि य सुरं च 4 श्रासाएमाणी 3 दोहलं विणेति 7 / तते णं अहं देवाणुप्पिया! तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि जाव झियामि / तते णं से भीमे कूडग्गाही उप्पलं भारियं एवं वयासी-मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! श्रोहयमणसंकप्पा मियाहि, अहन्नं तं तहा करिस्सामि जहा णं तब दोहलस्स संपत्ती भविस्सति, ताहिं इटाहिं 5 जाव वग्गूहि समासासेति, तते णं से भीमे कूडग्गाही अद्धरत्तकालसमयंसि एगे शबीए सन्नद्ध-बद्ध-वम्मिय-कवए जाव पहरणे सयायो गिहायो निग्गच्छइ Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थों विभागः सयात्रो गिहायो निग्गच्छित्ता हत्थिणाउरे नगरे ममझेणं जेणेव गोमंडवे तेणेव उवागते बहुणं णगरगोख्वाणं जाव वसभाण य अप्पेगइयाणं ऊहे विंदति जाव अप्पेगतियाणं काले विंदति अप्पेगइयाणं गणमराणाणं अंगोवंगाणं वियंगेति 2 जेणेव सए गिहे तेणेव आगच्छति 2 उप्पलाए कूडग्गाहिणीए उवणेति / तते णं सा उपला भारिया तेहिं बहहिं गोमंसेहि य सूलेहि य जाव सुरं च 4 श्रासाएमाणी तं दोहलं विणेति, तते णं सा उप्पला कूडग्गाही संपुन्नदोहला संमाणियदोहला विणीयदोहला वोच्छिन्नदोहला संपन्नदोहला तं गभं सुहंसुहेणं परिवहइ 10 / तते णं सा उप्पला कूडग्गाहिणी अन्नया कयाई नवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं दारयं पयाया 11 // सू० 1 // तते णं तेणं दारएणं जायमेत्तेणं चेव महया महया सद्देणं विघुढे विसरे (चिचिसरे) प्रारसिते, तते णं तस्स दारगस्स पारसियसद्द सोचा निसम्म हथिणाउरे नगरे बहवे णगरगोरूवा जाव वसभा य भीया उविग्गा सव्वश्रो समंता विप्पलाइस्था 1 / तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो अयमेयास्वं नामधेज करेंति, जम्हा णं अम्हे इमेणं दारएणं जायमेत्तेयं चेव महया महया चिचीसदेणं विघुढे विस्सरे (चिच्चिसरे) श्रारसिए तते णं एयस्स दारगस्स पारसियं सह सोचा निसम्म हत्थिणाउरे बहने णगरगोरुवा जाव भीया 4 सवयो समंता विप्पलाइस्था तम्हा णं होउ अम्हं दारए गोत्तासए नामेगां, तते णं से गोत्तासे दारए उम्मुक्कबालभावे जाव जाते यावि होत्था 2 / तते णं से भीमे कूडग्गाहे अनया कयाई कालधम्मुणा संजुत्ते. तते णं से गोत्तासे दारए बहूगां मित्तणाइ-नियग-सयण-संबंधिपरिजणेगां सद्धिं संपरिबुडे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे भीमस्स कूडग्गाहिस्स नीहरगां करेति नीहरगां करित्ता बहूई लोइयमयकजाई करेति 3 / तते णं से सुनंदे राया गोत्तासं दारयं अन्नया कयाइ सयमेव कूडग्गाहित्ताए ठावेति, तते णं से गोत्तासे दारए कूडग्गाहे Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 443 श्रीमद्-विपाकसूत्रम् :: श्रु० 1 : अध्ययनं 2] जाए यावि होत्था अहम्मिए जाव दुष्पडियागांदे 4 / तते णं से गोनासे दारए कूडग्गाहित्ताए कलाकलिं श्रद्धरत्तियकालसमयंसि एगे अबीए सन्नद्धबद्धकवए जाव गहिबाउहपहरणे सयातो गिहायो निग्गच्छति जेणेव गोमंडवे तेणेव उवागच्छति तेणेव उवागच्छित्ता बहगां गगरगोरुवाणां सणाहाण य जाव वियंगेति 2 जेणेव सए गिहे तेणेव उवागते 5 / तते णं से गोत्तासे कूडग्गाहे तेहिं बहूहिं गोमंसेहि य सूलेहि य जाव सुरं च मज्जं च पासाएमाणे विसाएमाणे जाव विहरति, तते णं से गोत्तासे कूडग्गाहे एयकम्मे (एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमायारे) सुबहुं पावकम्म समजिणित्ता पंचवातसयाई परमाउयं पालइत्ता अट्टदुहट्टोवगए कालमासे कालं किच्चा दोचाए पुढवीए उकोसं तिसागरोवमठिइएसु नेरइएसु णेरइयत्ताए उबवन्ने 6 // सू० 10 // तते णं सा विजयमित्तस्स सत्थवाहस्स सुभद्दा नामं भारिया जायनिंदुया यावि होत्था, जाया जाया दारगा विणिहायमावज्जंति 1 / तते णं से गोत्तासे कूडग्गाहे दोचायो पुढवीयो श्रगांतरं उबट्टित्ता इहेववाणियगामे नगरे विजयमित्तस्स सस्थवाहस्स सुभदाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताएं उववन्ने 2 / तते णं सा सुभदा सत्यवाही अण्णया कयाई नवराहं मासागां बहुपडिपुन्नाणं दारगं पयाया, तते णं सा सुभद्दा सत्यवाही तं दारगं जायमेतयं चेव एगते उक्कुरुडियाए उज्मावेइ उज्मावेत्ता दोच्चंपि गिराहावेइ 2 ता श्राणुपुब्वेगां सारक्खमाणी संगोवेमाणी संवइदेति 3 / ततेणं तस्स दारगस्स अम्मापियरो ठिइवडियं चंदसूर-(पासणिय). दसणां च जागरियं च महया इड्डीसकार-समुदएणं करेंति, तते णं तरस दारगस्स अम्मापियरो इकारसमे दिवसे निव्वत्ते संपत्ते बारसमे दिवसे इममेयास्वं गोराणां गुणनिष्फन्नं नामधेन्जं करेंति, जम्हा णं अम्हं इमे दारए जायमित्तए चेव एगते उक्कुडियाए उज्झिते तम्हा णं होउ अम्हं दारए उज्झियए नामेगां 4 / तते णं से उझियए दारए पंचधातीपरिग्गहीए तंजहा-खीरधाईए Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44) ( श्रीमदागभसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः 1 मजणधाईए 2 मंडणधाईए 3 कीलावणधाईए 4 अंकाईए 5 जहा दढपइन्ने जाव निव्वाघाए गिरिकंदरमल्लीणेब चंपयपायवे सुहंसुहेगां विहरति 5 / तते णं से विजयमित्ते सत्थवाहे अन्नया कयाइं गणिमं च 1 धरिमं च 2 मेज्जं च 3 पारिच्छेज्जं च 4 चउन्विहं भंडगं गहाय लवणसमुद्द पोयवहणेणां उवागते 6 / तते णं से विजयमित्ते तत्थ लवणसमुद्दे पोयविवत्तीए निब्बुडुभंडसारे अत्ताणे असरणे कालधम्मुणा संजुत्ते, तते णं तं विजयमित्तं सत्थवाहं जे जहा बहवे ईसर-तलवर-माडंबिय-कोडांबियइभ-सेट्ठि-सत्थवाहा लवणसमुद्द-पोयविवत्तियं (लवणसमुद्दे पोयविवत्तीए छूट) निम्बुडुभंडसारं कालाधम्मुणा संजुत्तं सुणते ते तहा हत्थनिक्खेवं च बाहिरभंडसारं च गहाय एगते अवकमंति 7 / तते णं सा सुभदा सत्यवाही विजयमित्तं सत्यवाहं लवणसमुद्दे पोयविवत्तीए निम्बुड्डभंडसारं कालधम्मुणा संजुत्तं सुणेति 2 ता महथा पइसोएगां अप्कुराणा समाणी परसु णियत्ताविव चंपगलता धसत्ति धरणीतलंसि सवंगेहिं सन्निवडिया 8 / तते णं सा सुभदा सत्यवाही मुहुत्तंतरेगां बासस्था समाणी बहूहि मित्त जाव परिखुडा रोयमाणी कंदमाणी विलवमाणी विजयमित्तसत्थवाहस्स लोइयाइं मयकिचाई करेति, तते णं सा सुभद्दा सत्थवाही अन्नया कयाई लवणसमुद्दोत्तरां च लच्छिविणासं च सत्थविणासं च पोयविणासं च पतिमरणां च अणुचिंतेमाणी 2 कालधम्मुणा संजुत्ता 8 // सू० 11 // तते णं ते णगरगुत्तिया सुभद्द सत्थवाह कालगयं जाणित्ता उभियगं दारगं सयायो गिहायो निच्छुभंति निच्छुभित्ता तं गिहं अन्नस्स दलयंति 1 / तते णं से उझियए दारए सयायो गिहायो निच्छूढे समाणे वाणियगामे णगरे सिंघाडग जाव पहेसु जूयखलएसु वेसिताघरेसु पाणागारेसु य सुहंसुहेगां परिवहति 2 / तते णं से उज्झियए दारए अणोहट्टा अणिवारिए सच्छंदमती सइरप्पयारे मजप्पसंगी चोरप्पसंगी जूय-वेस-दारप्पसंगी जाते यावि होत्था 3 / तते णं से उज्झियते अन्नया कयाई Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपकिसत्रम् / श्रु० 1 : अध्ययन 2 ) [545 कामज्झयाए गणियाए सद्धिं संपलग्गे जाते यावि होत्था, कामझयाए गणियाए सद्धिं विउलाई उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई मुंजमाणे विहरति 4 / तते णं तस्स विजयभित्तस्स रन्नो अन्नया कयाइं सिरीए देवीए जोणिसूले पाउन्भूए यावि होत्था, नो संचाएइ विजयमित्ते राया सिरीए देवीए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए 5 / तते णं से विजयमित्ते राया अन्नया कयाई उज्झियदारयं कामझयाए गणियाए गिहायो निच्छुभावेति 2. त्ता कामज्झयं गणियं अभितरियं ठावेति 2 ता कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरति 6 / तते णं से उझियए दारए कामज्झयाए गणियाए गिहायो निच्छुभिए समाणे कामज्झयाए गणियाए मुच्छिए गिद्धे गढिए अझोववन्ने अन्नत्थ कत्थइ सुई च रइं धियं च अविंदमाणे तचित्ते तम्मणे तल्लेसे तदभवसाणे तदट्ठोवउत्ते तपपिपकरणे त भावणाभाविए कामज्झयाए गणियाए बहणि अंतराणि य छिद्दाणि य विवराणि य पडिजागरमाणे 2 विहरति 7 / तते णं से उभियए दारए अन्नया कयाई कामझयाए गणियाए अंतरं लब्भेति, कामज्झमाए गणियाए गिहं रहसियं (रहस्सियगं) श्रणुप्पविसइ 2 त्ता कामझाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरति 8 / इमं च णं मिते राया राहाते जाव पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए मणुस्स-वागुरा-परिक्खित्ते जेणेव कामज्झयाए गणियाए गिहे तेणेव उवागच्छति 2 त्ता तत्थ णं उझियए दारए कामझयाए गणियाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं जाव विहरमाणं पासति 2 ता पासुरुत्ते रु? कुविए चंडिक्कए मिसिमिसीमाणे तिवलियभिउडि निडाले साहटु उज्झिययं दारयं पुरिसेहिं गिराहावेइ 2 ता ट्ठि-मुट्ठि-जाणुकोप्परपहार-संभग्गमहितगत्तं करेति करेत्ता अवउडगबंधां करेति 2 त्ता एएणं विहाणेणां वझं श्राणावेति, एवं खलु गोयमा ! उझियते दारए पुरापोराणाणां कम्माणां Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 446 [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः जाव पचणुभवमाणे विहरति 1 // सू० 12 // उज्झियए णं भंते ! दारए इयो कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति?, गोतमा ! उझियते दारए पणवीसं वासाइं परमाउयं पालइत्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे सूलीभिन्ने कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववजिहिति 1 / से णं ततो अगांतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयड-गिरि-पायमूले वानरकुलंसि वाणरत्ताए उववजिहिति 2 / से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे तिरियभोगेसु मुच्छिते गिद्धे गढिते अमोववन्ने जाते वानरपेल्लए वहेहिति तं एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमुदायारे कालमासे कालं किचा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इंदपुरे णगरे गणियाकुलंसि पुत्तत्ताए पचायाहिति 3 / तते णं तं दारयं अम्मापियरो जायमित्तकं वद्धेहिंति नपुसंगकम्म सिक्खावेहिंति, तते णं तस्स दारयस्स अम्मापियरो णिवत्तबारसाहस्स इमं एयारूवं णामधेज्ज करहिंति, तंजहा-होऊ णं पियसेणे णामं णपुसए, तते णं से पियसेणे णपुंसए उम्मुक्कबालभावे जोव्वणगमणुप्पत्ते विराणायपरिणयमित्ते स्वेण य जोवणेण य लावराणेण य उकिटे उकिटुसरीरे भविस्सइ 4 / तते णं से पियसेणे णसए इंदपुरे णगरे बहवे राईसर जाव पभिइयो बहूहि य विजापयोगेहि य मंतचुन्नेहि य हियउड्डावणेहि य काउड्डावणेहि य निराहवणेहि य पराहवणेहि य वसीकरणेहि य ग्राभियोगिएहि य अभियोगित्ता उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरिस्सति 5 / तते णं से पियसेणे णपुसए एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमुदाचारे सुबहुं पावकम्मं समजिणित्ता एकवीसं वाससयं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववजिहिति 7 / ततो सिरिसिवेसु सुसुमारे संसारो तहेव जहा पढमो जाव पुढविकायेसु अणेग-सय-सहस्स-खुत्तो उद्दाइत्ता 2 तत्थेव भुजो 2 पञ्चायाइस्सति, से णं Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् :: श्रु० 1 :: अध्ययन 3 ] [ 447 तो अशांतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपाए नयरीए महिसत्ताए पञ्चायाहिति 8 / सेणं तत्थ अन्नया कयाई गोहिल्लएहिं जीविश्रायो कारोविए समाणे तत्थेव चपाए नयरीए सेट्टिकुलसि पुत्त(म)त्ताए पञ्चायाहिति, से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे तहाख्वाणां थेराणां अंतिते केवलं बोहिं अगगारे सोहम्मे कप्पे जहा पढमे जाव अंतं करेहिति 1 / निक्खेवो // सू० 13 // बितियं अज्झयणां सम्मत्तं // . // इति दितीयमध्ययनम् // श्रु० १-अ० 2 // // अथ अभग्नसेनाख्यं तृतीयमध्ययनम् // - तबस्स उवखेवो-एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं पुरिमताले णामं णगरे होत्था, रिद्धस्थिमियसमिद्धे, तस्स णं पुरिमतालस्स णगरस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ णं अमोहदंसणे उजाणे तत्थ णं अमोहदंसिस्स जवखस्स जवखाययणे होत्था, तत्थ णं पुरिमताले महब्बले नामं राया होत्या, तत्थ णं पुरिमतालस्स नगरस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसीमाए देसप्पंते अडवी संठिया 1 / एत्थ णं सालानाम अडवी चोरपल्ली होत्था विसम-गिरिकंदर-कोलंब-सरिण विट्टा वंसी-कलंक-पागार-परिविखत्ता छिराणसेल-विसमप्पवाय-फरिहोवगूढा अभितर-पाणीया सुदुल्लभ-जलपेरंता अणेगखंडी विदित-जण-दिन-निग्गमपवेसा सुबहुयस्सवि कुवियस्स जणस्स दुप्पहंसा यावि होत्था 2 / तत्थ णं सालाडवीए चोरपल्लीए विजए णामं चोरसेणावई परिवसति अहम्मिए जाव विहरति, हण-छिन्न भिन्न-वियत्तए लोहियपाणी बहु-णगर-णिग्गयजसे सूरे दढप्पहारे साहसिए सहवेही असिलट्ठि-पढममल्ले, से णं तत्थ सालाडवीए चोरपल्लीए पंचराहं चोरसतागां श्रावच्चं जाव विहरति 3 // सू० 14 // तते णं से विजए चोरसेणावई बहूणां चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयाण य संधिच्छेयाण य खंडपट्टाण Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 448 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः य अन्नेसिं च बहणां छिन्नभिन्न-बाहिराहियाणां कुडंगे यावि होत्था 1 / तते णं से विजए चोरसेणावई पुरिमतालस्स णगरस्स उत्तरपुरच्छिमिल्लं जणवयं बहूहिं गामघातेहि य नगरघातेहि य गोग्गहणेहि य बंदिग्गहणेहि य पंथकोटेहि य खत्तखणणेहि य उवीलेमाणे 2 विहम्मेमाणे (विद्धंसेमाणे) तज्जेमाणे तालेमाणे निच्छा(स्था)णे निद्धणे निकणे कप्पायं करेमाणे विहरति, महब्बलस्स रनो अभिक्खयां 2 कप्पायं गेराहति, तस्स णं विजयस्स चोरसेणावइस्स खंदसिरिनामं भारिया होत्था अहीण-पुराणपंचेंदिय-सरीरा जाव सव्वंगसुदरंगी 2 / तस्स णं विजयचोरसेणावइस्स पुत्ते खंदसिरीए भारियाए अत्तए अभग्गसेणे णामं दारए होत्था बहीणपुन्न-पंचेंदियसरीरे विराणाय-परिणयमित्ते जोवणग-मणुपत्ते 3 / तेणां कालेगां तेषां समएणां समणे भगवं महावीरे पुरिमताले नयरे समोसढे परिसा निग्गया राया निग्गयो धम्मो कहियो परिसा राया य पडिगयो, तेणां कालेगां तेषां समएगां समणस्स भगवयो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी गोयमे जाव रायमग्गं समोगाढे, तत्थ णं बहवे हत्थी पासति बहवे यासे पासति, बहवे पुरिसे सन्नद्धवद्धकवए पसति, तेसिं णं पुरिसाणां मझगयं एगं पुरिसं पासति अवउडय-बंधणबद्धं जाव उग्घोसेजमागां 4 / तते णं तं पुरिसं रायपुरिसा पढममि चच्चरंसि निसियावेंति निसियावेत्ता अट्ठ चुल्लप्पिउए अग्गयो घाएंति अग्गयो घाएत्ता कसप्पहारेहिं तालेमाणा 2 कलुगां काकणिमसाई खाति खावेत्ता रुहिरपाणीयं च पायति तदाणांतरं च णं दोच्चंसि चच्चरंसि अट्ट चुल्लमाउयायो अग्गयो घाएंति एवं तच्चे चच्चरे अट्ठ महापिउए चउत्थे अट्ठ महामाउयायो पंचमे पुत्ते छठे सुराहायो सत्तमे जामाउया अट्ठमे धूयायो णवमे णत्तुया दसमे णत्तुईयो एक्कारसमे णत्तुयावई बारसमे णत्तइणीयो तेरसमे पिउस्सियपतिया चोइसमे पिउसियानो पराणरसमे मासियापतिया सोलसमे माउस्सियायो सत्तरसमे मामियायो अट्ठा Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् :: श्रु० 1 अध्ययनं 3 ) [ 446 रसमे अवसेसं मित्तनाइ-नियगतयण-संबंधिपरियणां अस्गो घातेंति 2 त्ता कसप्पहारेहिं तालेमाणे 2 कलुणां काकणिमसाई खावेंति रुहिरपाणीयं च पाएंति 5 // सू० 15 // तते णं से भगवं गोयमे तं पुरिसं पासेइ 2 ता इमे एयारूवे अज्झथिए पत्थिए समुप्पन्ने जाव तहेव निग्गते एवं वयासिएवं खलु ग्रहन्नं भंते ! तं चेव जाव से णं भंते ! पुरिसे पुव्वभवे के श्रासी ? जाव विहरति 1 / एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पुरिमताले नाम नगरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे०, तत्थ णं पुरिमताले नगरे उदिनोदिए नामं राया होत्था महया हिमवंत-मलय-मंदर-महिंदसारे०, तत्थ णं पुरिमताले निन्नए नामं अंडयवाणियए होत्था अड्ढ जाव अपरिभूते 2 / अहम्मिए जाव दुप्पडियाशंदे, तस्स णं णिराणयस्स अंडयवाणियमस्स बहवे पुरिसा दिरणभतिभत्तवेयणा कलाकलिं कोहालियायो य पत्थियापडिए गेराहंति, पुरिमतालस्स णगरस्स परिपेरंतेसु बहवे काइभंडए य धूधूभंडए य पारेवइ-टिट्टिभि-वगि-मयूरिकुक्कुडिअंडए य अराणेसिं च बहूगां जलयर-थलयर-णहयरमाईणां अंडाई गेराहंति गेराहेत्ता पत्थियपिडगाई भरेंति जेणेव निन्नयए अंडवाणियए तेणामेव उवागच्छइ 2 निन्नयगस्स अंडवाणियस्स उवणेंति, तते णं से तस्स निन्नयस्स अंडवाणियस्स बहवे पुरिसा दिराणभति-भत्तवेयण जाव बहवे काइअंडए य जाव कुक्कुडिअंडए य अन्नेसिं च बहगां जलयरथलयरखहयरमाईगां अंडयए तबएसु य कवल्लीसु य कंदूएसु य भजणएसु य इंगालेसु य तलिंति भज्जेंति सोलिंति तलेता भज्जंता सोल्लेता रायमग्गे अंतरावांसि अंडय-पणिएगां वित्ति कप्पेमाणा विहरंति 3 / अप्पणावि य णं से निन्नयए अंडवाणियए तेहिं बहहिं काइय-अंडएहि य जाव कुक्कुडिअंडएहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भन्जएहि यसुरं च श्रासाएमाणे विसाएमाणे विहरति, तते णं से निन्नए अंडवाणियए एयकम्मे 4 सुबहुं पावकम्मं समजिणित्ता Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विभागा एगं वाससहस्सं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किचा तबाए पुढवीए उकोस-सत्त-सागरोवम-ठितीएसु णेरइएसु णेरइयत्ताए उववन्ने 4 ॥सू०१६॥ से णं तयो श्रगांतरं उव्वट्टित्ता इहेव सालाडवीए चोरपल्लीए विजयस्स चोरसेणावइस्स खंदसिरीए भारियाए कुच्छिसि पुत्त(म)त्ताए उबवन्ने 1 / तते णं तीसे खंदसिरीए भारियाए अन्नया कयाई तिराहं मासागां बहुपडिपुराणाणां इमे एयारूवे दोहले पाउन्भूए-धराणायो णं तायो अम्मयायो जायो णं बहूहि मित्तणाइ णियग-सयण-संबंधि-परियणमहिलाहिं अराणाहि य चोरमहिलाहिं सद्धिं संपरिवुडा राहाया कयबलिकम्मा जाव पायच्छित्ता सव्वालंकारविभूसिया विपुलं असणां पाणां खाइमं साइमं सुरं च श्रासाएमाणी विसाएमाणी विहरंति जिमिय-भुत्तुत्तरागयायो पुरिस नेवत्थिया(जा) सन्नद्धबद्धवम्मिय-कवइया जाव पहरणावरणा भरिएहि य फलिएहिं णिकिहाहिं असीहिं अंसागतेहिं तोणेहिं सजीवहिं धणूहिं समुक्खित्तेहिं सरेहिं समुल्लासियाहि य दामाहिं (दाहाहि) लंबियाहि य श्रोसारियाहिं ऊरुघंटाहिं छिप्पतूरेगां वजमाणेगां 2 महया उकिट्ठ जाव समुदखभूयंपिव करेमाणीयो सालाडवीए चोरपल्लीए सव्वश्रो समंता पोलोएमाणीयो 2 श्राहिंडेमाणीयो 2 दोहलं विणेति २।तं जइणं अहंपि जाव विणिज्जामित्तिकटु तंसि दोहलंसि अविणिजमागांसि जार झियाति 3 / तते णं से विजए चोरसेणावई खंदसिरिभारियं मोहय जाव पासति, योहय जाव पासित्ता एवं वयासीकिराणां तुमं देवाणुप्पिया ! श्रोहय जाव झियासि ?, तते णं सा खंदसिरी विजयं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम तिराहं मासाणा जाव झियामि 4 / तते णं से विजए चोरसेणावई खंदसिरीए भारियाए अंतिए एयमट्ठसोचा निसम्म जाव खंदसिरिभारियं एवं वयासी-ग्रहासुहं देवाणुप्पियत्ति एयमट्ठ पडिसुणेति, तते णं सा खंदसिरिभारिया विजएगां चरसेणावतिणा श्रब्भणुराणाया समाणी हट्टतुट्ट जाव बहूहि मित्त जाव अगणाहि य बहूहिं Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् / श्रु० 1 अध्ययनं 3 ] [ 451 चोरमहिलाहिं सद्धिं संपरिवुडा राहाया जाव विभूसिया विपुलं असणां 4 सुरं च यासाएमाणा विसाएमाणा 4 विहरइ जिमियभुत्तुत्तरागया पुरिसनेवस्था सन्नद्धबद्ध जाव अाहिंडमाणी दोहलं विणेति, तते णं सा खंदसिरी भारिया संपुन्नदोहला संमाणियदोहला विणीयदोहला वोच्छिन्नदोहला संपन्नदोहला तं गम्भं सुहंतुहेगां परिवहति 5 / तते णं सा खंदसिरी चोरसेणावतिणी णवराहं मासाणां बहुपडिपुन्नागां दारगं पयाया, तते णं से विजयए चोरसेणावती तस्स दारगस्स महया इड्डिसकारसमुदएगां दसरत्तं ठिइवडियं करेति, तते णं से विजयए चोरसेणावई तस्स दारगस्स एक्कारसमे दिवसे विपुलं असणं 4 उवक्खडावेति मित्तणाति-णियग-सयण-संबंधिपरियणं यामतेति 2 जाव तस्सेव मित्तनाइ-णियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स पुरो एवं वयासी-जम्हा णं अहं इमंसि दारगंसि गभगयंसि समाणंसि इमे एयारूवे दोहले पाउन्भूते तम्हा णं होउ अम्हं दारगे अभग्गसेणे णामेणं 6 / तते णं से अभग्गसेणे कुमारे पंचधातीए जाव परिवड्डइ 7 // सू० 17 // तते णं से अभग्गसेणे कुमारे उम्मुक्कबालभावे यावि होत्था अट्ठ दारियायो जाव श्रठ्ठो दायो उप्पिं पासाए भुजमाणे विहरइ 1 / तते णं से विजए चोरसेणावई अन्नया कयाई कालधम्मुणा संजुत्ते, तते गं से अभग्गसेणे कुमारे पंचहिं चोरसतेहिं सद्धिं संपरिवुडे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे विजयस्स चोरसेणावइस्स महया इड्डिसक्कारसमुदएणं णीहरणं करेति 2 त्ता बहूई लोइयाई मयकिचाई करेति 2 केवइकालेणं अप्पसोए जाए यावि होत्था, तते णं ताइं पंच चोरसयाई अन्नया कयाइं अभग्गसेणं कुमारं सालाडवीए चोरपल्लीए महया 2 चोरसेणावइत्ताए अभिसिचंति 2 / तते णं से अभग्गसेणे कुमारे चोरसेणावई जाते अहम्मिए जाव कप्पायं गेराहति, तते णं से जाणवया पुरिसा अभग्गसेणेणं चोरसेणावइणा बहुगामघातावणाहिं ताविया समाणा अराणमन्नं सदाति 2 त्ता एवं वयासी Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः एवं खलु देवाणुप्पिया ! अभागसेणे चोरसेणावई पुरिमतालस्स णगरस्स उत्तरिल्लं जणवयं बहूहिं गामघातेहिं जाव निद्धणं करेमाणे विहरति, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले णगरे महबलस्स रनो एयम? विन्नवित्तते (निवेदित्तए) 3 / तते णं ते जाणवया पुरिमा एयम? अनमराणेणं पडिसुणेति 2 महत्थं महग्वं महरिहं रायरिहं पाहुडं गेराहेति 2 त्ता जेणेव पुरिमताले णगरे तेणेव उवागते 2 जेणेव महब्बले राया तेणेव उवागते 3 महब्बलस्स रन्नो तं महत्थं जाव पाहुडं उवणेंति करयल जाव अंजलिं कटु महब्बलं रायं एवं वयासी-एवं खलु सामी ! सालाडवीए चोरपल्लीए अभग्गसेणे चोरसेणाई यम्ह बहूहिं गामघातेहि य जाव निद्धणे करेमाणे विहरति, तं इच्छामि णं सामी ! तुझं बाहुच्छायापरिग्गहिया निब्भया निरुवसग्गा (निरुविग्गा) सुहंसुहेणं परिवसित्तएत्तिकटु पादपडिया पंजलिउडा महब्बलं रायं एतमट्ठ विराणवेति 4 / तते णं से महब्बले राया तेसि जणवयाणं पुरिसाणं अंतिए एयम? सोचा निसम्म श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निलाडे साहटु दंड सद्दावेति 2 ता एवं वयासी-गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! सालाडविं चौरपल्लिं विलुपाहि 2 अभग्गसेणं चोरसेणावई जीवग्गाहं गेराहाहि 2 ममं उवणेहि 5 / तते णं से दंडे तहति विणयेणं एमटुं पडिसुणेति, तते णं से दंडे बहूहिं पुरिसेहिं सरणवद्ध जाव पहरणेहिं सद्धिं संपरिखुडे मग्गइतेहिं फलएहिं जाव छिपतूरेणं वजमाणेणं महया जाव उकिढि जाव करेमाणे पुरिमतालं णगरं मझमझेणं निग्गच्छति 2 त्ता जेणेव सालाडवी चोरपल्ली तेणेव पहारेत्थ गमणाते, तते णं तस्स अभग्गसेणस्स चोरसेणावतियस्स चारपुरिसा इमीसे कहाए लट्ठा समाणा जेणेव सालाडवी चोरपल्ली जेणेव अभग्गसेणे चोरसेणावई तेणेव उवागच्छंति 2 ता-करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले. णगरे महब्बलेणं Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् श्रु०१ : अध्ययन 3 ] [ 455 रना महया भडचडगरेणं दंडे ग्राणत्ते-गच्छह णं तुमे देवाणुप्पिया ! सालाडवि चोरपल्लिं विलुपाहित्ता अभग्गसेणं चोरसेणावतिं जीवगाहं गेराहाहि 2 ता ममं उवणेहि, तते णं से दंडे महया भडचडगरेणं जेणेव सालाडवी चोरपल्ली तेणेव पहारेत्थ गमणाए 6 / तते णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई तेसिं चारपुरिसाणं अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म पंच चोरसताई सदावेति सदावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले गरे महब्बले जाव तेणेव पहारेत्थ गमणाए अागते 7 / तते णं से अभग्गसेणे ताई पंच चोरसताइं एवं वयासी-तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अहं तं दंड सालाडविं चोरपल्लिं असंपत्तं यंतरा चेव पडिसेहित्तए, तए णं ताई पंच चोरसताई अभग्गसेणस्स चोरसेणावइस्स तहत्ति जाव पडिसुणेति 8 / तते णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेति 2 त्ता पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं राहाते जाव पायच्छित्ते भोयणमंडवंसि तं विपुलं असणं 4 सुरं च 6 अासाएमाणे 4 विहरति / जिमिय-भुत्तुत्तरागतेवि अणं समाणे श्रायंते चोक्खे परमसुइभूए पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं अल्लं चम्मं दुरूहति अल्लं चम्मं दुरूहइत्ता सरणद्धबद्ध जाव पहरणेहिं मग्ग(ग्गा)इएहिं जाव रवेणं पुव्वा(पच्चा)वरगहकालसमयंसि सालाडवीयो चोरपल्लीयो णिग्गच्छइ चोरपल्लीयो णिगच्छइत्ता विसमदु. गगहणं ठिते गहियभत्तपाणे तं दंडं पडिवालेमाणे चिट्ठति 10 / तते णं से दंडे जेणेव अभग्गसेणे चोरसेणावई तेणेव उवागच्छति तेणेव उवागच्छित्ता अभग्गसेणेणं चोरसेणावतिणा सद्धिं संपलग्गे यावि होत्था 11 / तते णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई तं दंडं खिप्पामेव हयमहिय-पवरवीरघाइय-विवडिय-चिंधधयपडागं जाव पडिसेहिए, तते णं से दंडे अभग्गसेणेण चोरसेणावइणा हयमहिय जाव पडिसेहिए समाणे अथामे अबले अवीरिए अपुरिसकारपरकमें अधारणिजमितिकटु जेणेव पुरिमताले नगरे जेणेव Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 454) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुथों विभागः महब्बले राया तेणेव उवागच्छति 2 करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु सामी ! अभग्गसेणे चोरसेणावई विसमदुग्गगहणं ठिते गहितभत्तपाणीते नो खलु से सक्का केणति सुबहुएणावि पासबलेण वा हत्थिालेण वा जोहबलेण वा रहबलेण वा चाउरंगेणंपि उरंउरेणं गिरिहत्तए ताहे सामेण य भेदेण य उवप्पदाणेण य विसंभमाणेउं पयते यावि होत्था, जेवि य से अभितरगा सीसगभमा मित्तनाति-णियग-सयण-संबंधिपरियणं च विपुलधण-कणग-रयण-संतसारसावइज्जेणं भिंदति अभग्गसेणस्स य चोरसेणावइस्स अभिक्खणं 2 महत्थाई महग्घाई महरिहाई रायारिहाई पाहुडाई पेसेइ अभंगसेणं चोरसेणावतिं विसंभमाणेति 12 // सू० 18 // तते णं से महब्बले राया अन्नया कयाई पुरिमताले गरे एगं महं महतिमहालियं कूडागारसालं करेति अणेगखंभसयसन्निविट्ठ पासाईयं अभिरुवं पडिस्वं, दरसणिज्ज 1 / तते णं से महब्बले राया अन्नया कयाई पुरिमताले णगरे उस्सुक्कं जाव दसरत्तं पमोयं उग्घोसावेति 2 कोडबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया। सालाडवीए चोरपल्लीए तत्थ णं तुम्हे अभग्गसेणं चोरसेणावई करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले णयरे महाबलस्स रनो उस्सुक्के जाव दसरत्ते पमोदे उग्घोसेति तं किन्नं देवाणुप्पिया ! विउलं असणं 4 पुष्फवत्थगंधमल्लालङ्कारे य ते इहं हब्बमाणिजउ उदाहु सयमेव गच्छित्ता ?, तते गां कोडबियपुरिसा महब्बलस्स रन्नो करयल जाव पडिसुणेति 2 पुरिमतालायो णगरायो पडिनिक्खमंति 2 णातिविकिट्ठेहिं श्रद्धाणेहिं सुहेहिं वसहि-पायरासेहिं जेणेव सालाडवी चोरपल्ली तेणेव उवागच्छंति भग्गसेणं चोरसेनापति करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! पुरिमताले नगरे महब्बलस्स रनो उस्सुक्के जाव उदाहु सयमेव गच्छित्ता ?, तते णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई ते कोडुबियपुरिसे एवं वयासी-ग्रहन्नं Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् शु. 1 :: अध्ययनं 3 ] देवाणुप्पिया ! पुरिमतालनगरं सयमेव गच्छामि, ते कोडबियपुरिसे सकारेति सम्माणेति 2 पडिविसज्जेति 2 / तते णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई बहूहि मित्त जाव परिवुडे गहाते जाव पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए सालाडवीयो चोरपल्लीयो पडिनिक्खमति 2 ता जेणेव पुरिमताले नगरे जेणेव महबले राया तेणेव उवागच्छति 2 ता करयल जाव महब्बलं रायं जएणां विजएगां वद्धावेति 2 त्ता महत्थं जाव पाहुडं उवणेति 3 / तते णं से महब्बले राया अभग्गसेणस्स चोरसेणावइस्स तं महत्थं जाव पडिच्छति, अभग्गमेणां चोरसेणावति सकारेति. सम्माणेति पडिविसज्जेति कूडागारसालं च से श्रावसहं दलयति, तते णं से अभग्गसेणे चोरसेणावती महब्बलेगां रना विसजिए समाणे जेणेव कूडागारसाला तेणेव उवागच्छइ 4 / तते णं से महब्बले राया कोडवियपुरिसे सद्दावेति 2 ता एवं वयासी-गच्छह णं तुभे देवाणुप्पिया ! विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेह 2 तं विउलं असणं 4 सुरं च 6 सुबहुं फुप्फवस्थगंधमल्लालंकारं च अभग्गसेणस्स चोरसेणावइस्स कूडागारसालं उवणेह तते णं ते कोड बियपुरिसा करयल जाव उवणेति 5 / तते णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई बहहिं मित्तनाइ जाव सद्धिं संपरिवुडे राहाते जाव सव्वालंकारविभूसिए तं विउलं असणं 4 सुरं च 6 श्रासाएमाणा पमत्ते विहरति 6 / तते णं से महब्बले राया कोडवियपुरिसे सहावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम्हे देवाणुप्पिया ! पुरिमतालस्स णगरस्स दुवाराई पिहेह अभग्गसेणां चोरसेणावति जीवगाहं गिराहइ ममं उवणेह, तते णं ते कोडुबियपुरिसा करयल जाव पडिसुणेति 2 पुरिमतालस्स णगरस्स दुवाराई पिहेंति अभग्गसेणं चोरसेणावई जीवगाह गिराहंति महब्बलस्स रगणो उवणेति तते णं से महब्बले राया अभग्गसेगां चोरसेनावई एतेणं विहाणेगांवझ पाणवेति ७।एवं खलु गोतमा ! अभग्गसेणे चोरसेणावई पुरापुराणायां जाव विहरति 8 / अभग्गसेणे णं भंते ! Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विमागा चोरसेणावई कालमासे कालं किचा कहिंगच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति?, गोयमा ! अभग्गसेणे चोरसेणावई सत्तत्तीसं वासाई परमाउयं पालइत्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे सूलभिन्ने कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवमट्टिईएसु नेरइएसु उववजिहिति, से णं ततो अणंतरं उबट्टित्ता एवं संसारो जहा पढमो जाव पुढवीए, ततो उव्वट्टित्ता वाणारसीए नयरीए सूयरत्ताए पञ्चायाहिति, से णं तत्थ सूयरिएहिं जीवियायो ववरोविए समाणे तत्थेव वाणारसीए नयरीए सेट्टिकुलंसि पुत्त(म)त्ताए पचायाहिति, से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे एवं जहा पढमे जाव अंतं काहिति 1 / निक्लेवो // सू० 11 // ततियं अज्झयगणां समत्तं // // इति तृतीयमध्ययनम् // श्रु० १--अ० 3 // // अथ शकटाख्यं चतुर्थमध्ययनम् // जइ णं भंते ! चउत्थस्स उक्लेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं साहजनीनामं नयरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धा, तोसे णं साहंजणीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए देवरमणे णामं उजाणे होत्था, तत्थ णं अमोहस्स जक्खस्स जक्खाययणे होत्था पुराणे 1 / तत्थ णं साहंजणीए णयरीए महचंदे नामं राया होत्था महयाहिमवंत-महंत मलय-मंदर-महिंदसारे, तस्स णं महचंदस्स रन्नो सुसेणे नामं अमच्चे होत्था सामभेयदंड-उवप्पयाण-नीइ. सुपउत्त-नय-विहन्नू जाव निग्गहकुसले, तत्थ णं साहंजणीए नयरीए सुदंसणाणामं गणिया होत्था वन्नयो, तत्थ णं साहंजणीए नयरीए सुभद्दे नाम सत्थवाहे परिवसइ अढे जाव अपरिभूए, तस्स णं सुभदस्स सत्यवाहस्स भदानाम भारिया होत्था अहीण जाव सव्वंगसुंदरंगी, तस्स गां सुभद्दसत्थवाहस्स पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए सगडे नामं दारए होत्था अहीण जाव Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् : भु० 1 : अध्ययनं 4 ] [ 457 सव्वंग-सुदरंगे 2 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा राया य निग्गए धम्मो कहियो परिसा पडिगया 3 / तेणं कालेणं तेणं समएगां समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी जाव रायमग्गमोगाढे तत्थ णं हत्थी श्रासे पुरिसे पासति तेसिं च णं पुरिसागां मझगए पासति एगं सइत्थीयं पुरिसं अवउडगबंधां उक्खित्तकन्ननासं जाव उग्योसेगां चिंत्ता तहेव जाव भगवं वागरेति, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे नाम णगरे होत्था, तत्थ सीहगिरिनाम राया होत्था महयाहिमवतमहंत-मलय-मंदर-महिंदसारे 4 / तत्थ णं छगलपुरे णगरे छणिए नामं छागलीए परिवसति अड्डे जाव अपरिभए अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं छणियस्स छागलियस्स बहवे प्रयाण य एलाण य रोझाण य वसभाण य ससयाण य सूयराण य पसयाण य सिंघाण य हरिणाण य मयूराण य महिसाण य सतबद्धाण य सहस्सबद्धाण य जूहाणि वाडगंसि सन्निरुद्धाइं चिट्ठति 5 / अन्ने य तत्थ बहवे पुरिसा दिनभइभत्तवेयणा बहवे य अए जार महिसे य सारक्खमाणा संगोवेमाणा चिटुंति, अराणे य से बहवे पुरिसा अयाण य जाव गिर्हसि निरुद्धा चिट्ठति 6 / अन्ने य से बहवे पुरिसा दिन्नभइभत्तवेयणा बहवे अए य जाव महिसे य सयए य सहस्से य जीवियायो ववरोविंति 2 मंसाई कप्पणीकप्पियाई करेंति श्रयमसाई जाव महिसमंसाइं तवएसु य कवल्लीसु य कंदूएसु य भजणेसु य इंगालेसु य तलेंति य भज्जेंति य सोल्लयंति य 2 ततो य रायमग्गंसि वित्ति कप्पेमाणा विहरंति 7 / अप्पणाविय णं से छनियए छागलीए तेहिं बहुविहअयहिं मंसेहिं जाव महिसमंसेहि य सोल्लेहि य तलेहि य भज्जेहि य सुरं च 6 श्रासाएमाणे विहरति, तते णं से छन्नीए य छागलीए एयकम्मे Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * :: [ श्रीमदगिमसुधासिन्धुः / चतुर्थी विभागः एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमुदायारे सुबहुं पावकम्मं कलिकलुसं समजिणित्ता सत्तवाससयाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किंचा चोत्थीए पुढवीए उकोसेगां दससागरोवमठिईएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ने 8 ॥मू० 20 // तते णं तस्स सुभद्दसत्थवाहस्स भद्दा भारिहा जाव निंदुया यावि होत्था, जाया जाया दारगा विनिहायमावज्जंति 1 / तते णं से छन्नीए छागले चोत्थीए पुढवीए अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव साहंजणीए नयरीए सुभहस्स सत्थवाहस्स भदाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववन्ने 2 / तते णं सा भद्दा सत्थवाही अन्नया कयाइं नवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं दारगं पयाया, तए णं तं दारगं अम्मापियरो जायमेत्तं चेव सगडस्स हेट्ठातो ठावेंति दोच्चंपि गिराहावेंति अणुपुव्वेणं सारवखंति संगोवेंति संवड्डति जहा उझियए जाव जम्हा णं अम्हं इमे दारए जायमेत्ते चेव सगडस्स हेट्ठा ठाविए तम्हा णं होऊ णं अम्हं एस दारए सगडे नामेणं, सेसं जहा उझियते 3 / सुभद्दे लवणसमुद्दे कालगते मायावि कालगया, सेऽवि सयायो गिहायो निच्छुढे तते णं से सगडे दारए सयातो गिहायो निच्छूढे समाणे सिंघाडग तहेब जाव सुदरिसणाए गणियाए सद्धि संपलग्गे यावि होत्था 4 / तते णं से सुसेणे अमच्चे तं सगडं दारगं अन्नया कयाई सुदरिसणाए गणियाए गिहायो निच्छुभावेति 2 सुदंसणियं गणियं अभितरियं प्रवेति 2 सुदरिसणाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरति 5 / तते णं से सगडे दारए सुदरिसणाए गिहायो निच्छूढे समाणे अन्नत्थ कत्थवि सुति वा अलभमाणे अन्नया कयाई रहसियं सुदरिसणागेहं अणुप्पविसइ 2 सुदरिसिणाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरइ 6 / इमं च णं सुसेणे अमच्चे राहाते जाव विभूसिए मणुस्सवग्गुराए परिक्खित्ते जेणेव सुदरिसणा-गणियाए गेहे तेणेव उपागच्छति तेणेव उवागच्छइत्ता सगडं दारयं सुदंसणाए गणियाए सद्धि उरालाई Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मच्च एवं वाण से सुसेणे गये एणं विद्या बुद्धिगणाणं त कहि गल्छि भीमद्-विपाकवत्रम् / / 1 // अध्ययनं 4 ] [ 46 भोगभोगाई भुजमाणं पासइ 2 श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निडाले साहट्टु सगडं दारयं पुरिसेहि गिराहाविति 2 श्रट्टि जाव महियं करेति यो अवउडगवंधणगं करेति 2 जेणेव महवंदे राया तेणेव बागछइ उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु सामी ! सगडे दारए मम अंतेपुरंसि अवरद्धे 7 / तते णं से महचंदे राया सुसेणं अमच्चं एवं वयामी-तुमं चेव णं देवाणुप्पिया ! सगडस्स दारगस्म दंडं निवत्तेहि, तए णं से सुसेणे श्रमच्चे महचंदेणं रन्ना अब्भणुनाए समाणे सगडं दारयं सुहरिसणं च गणियं एएणं विहाणेणं वज्झ बाणवेति, तं एवं खलु गोयमा ! सगडे दारगे पोरापुराणाणं दुचिराणाणं पचणुभवमाणे विहरति 8 // सू० 21 // सगडे णं भंते ! दारए कालगए कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिइ ?, सगडे णं दारए गोयमा ! सत्तावरणं वासाई परमाउयं पालइत्ता अजेव तिभागावसेसे दिवसे एगं महं अनोमयं तत्तसमजोइभूयं इत्थिपडिमं अवयासाविए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववजिहिति 1 / से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता रायगिहे णगरे मातंगकुलंसि जुगलत्ताए पचायाहिति, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णिवत्तबारसगस्स इमं एयाख्वं गोराणं नामधेनं करिस्संति, तं होऊ णं दारगं सगडे नामेणं होऊ णं दारिया सुदरिसणानामेणं, तते णं से सगडे दारए उम्मुक्कबालभावे जोवणग-मणुपत्ते अलं भोगसमत्थे यावि भविस्सइ 2 / तए णं मा सुदरिसणावि दारिया उम्मुक्कबालभावा विराणाय-परिणयमेत्ता जोवणगमणुप्पत्ता स्वेण य जोव्वणेण य लावराणेण य उकिट्टा उक्किटुसरीरा यावि भविस्सइ 3 / तए णं से सगडे दारए सुदरिसणाए रूवेण य जोवणेण य लावराणेण य मुच्छिए सुदरिसणाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरिस्सति 4 / तते णं से सगडे दारए अन्नया कयाई सयमेव कूडगाहित्तं उवसंपज्जित्ताणं Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 46. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः' विहरिस्सति, तते णं से सगडे दारए कूटगाहे भविस्सइ अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमुदायारे सुबहुं पावकम्म कलिकलुसं समजिणित्ता कालमासे कालं किचा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए गेरइयत्ताए उववजिहिति, संसारो तहेव जाव पुढवीए 5 / से णं ततो श्रणंतरं उव्वट्टित्ता वाणारसीए नयरीए मच्छत्ताए उववजिहिति, से णं तत्थ णं मच्छबंधिएहिं वहिए तत्थेव वाणारसीए नयरीए सेट्टिकुलंसि पुत्तत्ताए पचायाहिति बोहिं पव्वइस्सति सोहम्मे कप्पे महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 6 / निक्खेवो ! दुहविवागाणं चोत्थस्स अज्झयणस्स अयम? पन्नत्ते // सू० 22 // चोत्थं अज्झयणं समत्तं / / // इति चतुर्थमध्ययनम् // श्रु० ?--अ० 4 // // अथ बृहस्पतिदत्ताख्यं पञ्चममध्ययनम् // जइ णं भंते ! पंचमस्स अज्झयणस्स उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसंबीनामं नयरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे, बाहिं चंदोतरणे उजाणे सेयभद्दे जक्खे, तत्थ णं कोसंबीए नयरीए सयाणीए नामं राया होत्था महता-हिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे, मियावती देवी, तस्स णं सयाणीयस्स पुत्ते मियादेवीए अत्तए उदायणे णामं कुमारे होत्था बहीण जाव सव्वंगसुदरंगे जुवराया, तरस णं उदायणस्त कुमारस्स पउमावतीनामं देवी होत्या, तस्स णं सयाणीयस्स सोमदत्ते नामं पुरोहिए होत्था रिउव्वेय-जजुवेय-सामवेय-अथव्वणवेय-कुसले, तस्स णं सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ता नामं भारिया होत्था, तस्स णं सोमदत्तस्स पुत्ते वसुदत्ताए अत्तए बहस्सतिदत्ते नामं दारए होत्था बहीण जाव सव्वंगसुदरंगे 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरणं, तेणं कालेणं तेणं समएणं भगवं गोयमे तहेव जाव रायमग्गः Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीमद्-विषाकसूत्रम् / श्रु० 1 // अध्यननं 5 / [ 461 मोगाढ़े तहेव पासइ हत्थी पासे पुरिसमज्झे पुरिसं चिंता तहेव पुच्छति पुब्वभवं भगवं वागरेति 2 / एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सव्वतोभद्दे नामं नयरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे, तत्थ णं सम्वतोभद्दे नगरे जियसत्तू नामं राया होत्था, तस्स णं जियसत्तुस्स रन्नो महेसरदत्ते नाम पुरोहिए होत्या रिउव्वेय-जजुब्वेय. सामवेय-अथव्वणवेय-कुसले प्रावि होत्था 3 / तते णं से महेसरदत्ते पुरोहिए जियसत्तुस्स रन्नो रजबल-विवद्धण-अट्टाए कलाकल्लिं एगमेगं माहणदारयं एगमेगं खत्तियदारयं एगमेगं वइस्सदारयं एगमेगं सुद्ददारगं गिराहावेति 2 तेसि जीवंतगाणं चेव हिययउंडए गिराहावेति जियसत्तुस्स रन्नो संतिहोम करेति 4 / तए णं से महेसरदत्ते पुरोहिए अट्ठमी-चो(चउ)इसीसु दुवे माहण 1 खत्तिय 2 वेस 3 सुद्ददारगे 4 चो(चउ)राहं मासाणं चत्तारि 2 छराहं मासाणं अट्ठ 2 संवच्छरस्स सोलस 2 जाहे जाहेविय णं जियसत्तू राया परखलेणं अभिजुजइ (अभिजुज्झति) ताहे ताहेवि य णं से महेसरदत्ते पुरोहिए अट्ठसयं माहणदारगाणं अट्ठसयं खत्तियदारगाणं अट्ठसयं वइ. स्सदारगाणं अट्ठसयं. सुद्ददारगाणं पुरिसेहि गिराहावेति गिराहावेत्ता तेसिं जीवंतगाणं चेव हिययउंडीयो गिराहावेति 2 जियसत्तुस्स रराणो संतिहोमं करेति, तते णं से परबले खिप्पामेव विद्धंसिजइ(सेति) वा पडिसेहिज्जइ वा 5 // सू० 23 // तते णं से महेसरदत्ते पुरोहिए एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमुदायारे सुबहुं पावकम्मं समजिणित्ता तीसं वाससयाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किचा पंचमाए पुढवीए उकोसेगां सत्तरस-सागरोवम ट्ठितिए नरगे उववन्ने 1 / से णं ततो अणंतरं उबट्टित्ता इहेव कोसंबीए नयरीए सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ताए भारियाए पुत्तत्ताए उववन्ने 2 / तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो निव्वत्त-बारसाहस्स इमं एयारूवं नामधेज्जं करेंति, जम्हा णं अहं इमे दारए सोमदत्तस्स पुरो Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 462] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः हियस्स पुत्ते वसुदत्ताए अत्तए तम्हा णं होउ अम्हं दारए बहस्सइदत्ते नामेणं, तते णं से वहस्सतिदत्ते दारए पंचधाति परिग्गहिए जाव परिवड्डइ, तते णं से वहस्सतिदत्ते उम्मुक्कबालभावे जुब्बणगमणुपत्ते विराणायपरिणयमित्ते अलं भोगसमत्थे यावि होत्था, से णं उदायणस्स कुमारस्स पियवालवयस्सए यावि होत्था सहजायए सहवडीयए सहपंसुकीलियए 3 / तते णं से सयाणीए राया अन्नया कयाई कालधम्मुणा संजुत्ते, तते णं से उदायणकुमारे बहुराईसर जाव सत्थवाहप्पभिइहिं सद्धिं संपरितुडे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे सयाणीयस्स रनो महया इड्डीसकारसमुदएणं नीहरणं करेति, 2 बहूई लोइयाई मयकिच्चाई करेति 4 / तते णं ते बहवे राईसर जाव सत्थवाहप्पभिइयो उदायणां कुमारं महया रायाभिसेएगां अभिसिंचंति, तते गां से उदायणे कुमारे राया जाते महयाहिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे 5 / तते णं से बहस्सतिदत्ते दारए उदायणस्स रनो पुरोहियकम्मं करेमाणे सव्वट्ठाणेसु सव्वभूमियासु अंतेउरे य दिनवियारे जाए यावि होत्था, तते णं से बहस्सतीदत्ते पुरोहिए उदायणस्स रगणो अंतेउरंसि वेलासु य अवेलासु य काले य अकाले य रायो य वियाले य पविसमाणे अन्नया कयाई पउमावईए देवीए सद्धिं संपलग्गे यावि होत्था पउमावईए देवीए सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरइ 6 / इमं च णं उदायणे राया राहाए जाब विभूसिए जेणेव पउमावई देवी तेणेव उवागच्छइ 2 वहस्सतिदत्तं पुरोहियं पउमावतीदेवीए सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुजमाणं पासति 2 श्रासुरुत्ते तिवलिं भिउडिं साहटु वहस्सतिदत्तं पुरोहियं पुरिसेहिं गिराहावेति 2 जाव एएणं विहाणेणं वज्झ प्राणाविए (प्राणवेति), एवं खलु गोयमा ! बहस्सतिदत्ते पुरोहिए पुरापोराणाणं जाव विहरइ 7 / बहस्सतिदत्ते णं भंते ! दारए इयो कालगए समाणे कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! बहस्सतिदत्ते णं दारए पुरोहिए चोसट्टि वासाइं परमाउयं पालइत्ता अज्जेव Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद् विपाकसूत्रम् :: अ० 1 अध्ययन 3 ] ( R तिभागासेसे दिवसे सूलीयभिन्ने कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए संसारो तहेव पुढवी, ततो हत्थिणाउरे नगरे मिगत्ताए पञ्चायाइस्सति, से णं तत्थ वाउरिएहिं वहिए समाणे तत्थेव हत्थिणाउरे नगरे सेट्टिकुलंसि पुत्तत्ताए उववजिहिति, बोहिं सोहम्मे कप्पे विमाणे महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 8 / निक्खेबो // सू० 24 // पंचम अज्झयणं समत्तं // -- // इति पञ्चममध्ययनम् // श्रु०१-अ० 5 // // अथ नन्दिवर्धनाख्यं षष्ठमध्ययनम् // जइ णं भंते ! छट्ठस्स उक्लेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं महुरा नाम नयरी भंडीरे उजाणे, सुदंसणे जक्खे, सिरीदामे राया, बंधुसिरी भारिया, पुत्ते णंदिवद्धणे कुमारे अहीण जाव सव्वंग-सुदरंगे जुवराया, तस्स सिरीदामस्स सुबन्धु नामं अमच्चे होत्था सामदंड जाव निग्गहकुसले तस्स णं सुबन्धुस्स अमञ्चस्स बहुमित्तपुत्ते नामं दारए होत्था अहीण जाव सव्वंग-सुदरंगे, तस्स णं सिरिदामस्स रगणो चित्ते नामं अलंकारिए होत्था, सिरिदामस्स रनो चित्तं बहुविहं अलंकारियकम्म करेमाणे सब्वट्ठाणेसु य सव्वभूमियासु य अंतेउरे य दिनवियारे यावि होत्था 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे परिसा निग्गया रायावि निग्गयो जाव परिसा पडिगया 2 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स जेटे जाव रायमग्गं श्रोगाढे तहेव हत्थी पासे पुरिसे, तेसिं च णं पुरिसाणं मझगयं एगं पुरिसं पासति जाव नरनारि-संपरिवुडं 3 / तते णं तं पुरिसं रायपुरिसा चच्चरंसि तत्तंसि अयोमयंसि समजोईभूय-सिहासणंसि निविसावेंति तयाणंतरं च णं पुरिसाणं मझगयं बहुविहं अयकलसेहि तत्तेहिं समजोइभूएहिं अप्पेगइया तंबभरिएहि अप्पेगइया तउयभरिएहिं अप्पेग Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 464 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः इया सीसगभरिएहि अप्पेगइया कलकलभरिएहिं अप्पेगइया खारतेल्लभरिएहिं महया 2 रायाभिसेएणं अभिसिंचिते, तयाणंतरं च णं तत्तं अयोमयं संमजोइभूयं अयोमयसंडासएणं गहाय हारं पिणद्धति तयाणंतरं च णं श्रद्धहारंजाव पट्ट मउडं चिंता तहेव जाव वागरेति 4 / एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सीहपुरे नामं नगरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे, तत्थ णं सीहपुरे नयरे सीहरहे नामं राया होत्था, तस्स णं सीहरहस्स रन्नो दुजोहणे नामे चारगपालए होत्था अहम्मिए जाव दुप्पडि. याणंदे, तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्म इमेयारूवे चारगभंडे होत्था 5 / तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे अयकुडीयो अप्पेगइयायो तंबभरियायो अप्पेगइयायो तउयभरियायो अप्पेगइया सीसगभरियायो अप्पेगइया कलकलभरियायो अप्पेगइया खारतेल्लभरियायो गणिकायंसि श्रदहिया चिट्ठति, तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे उट्टियायो श्रासमुत्तभरियायो अप्पेगइया हत्थिमुत्तमरित्रायो अप्पेगइया गोमुत्तभरियायो अप्पेगइया महिसमुत्तभरियायो अप्पेगइया उट्टमुत्तभरियायो अप्पेगइया अयमुत्तभरियायो अप्पेगइया एलमुत्तभरियायो बहुपडिपुन्नायो चिट्ठति 6 / तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्स बहवे हत्थुडुयाण य पायंदुयाण य हडीण य नियलाण य संकलाण य पुजा निगग य सन्निक्खित्ता चिट्ठांति, तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे वेणुलयाण य वेत्तलयाण य चिञ्चालयाण य छियाणं कसाण य वायरासीण य पुजा णिगरा चिट्ठति, तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे सिलाण य लउडाण य मोग्गराण य कनंगराण य पुजा णिगरा चिट्ठांति, तस्स णं (तए णं से) दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे तंता(ती)ण य वरत्ताण य वागरजा(ज्जू )ण य वालयरज्जूण य सुत्तरज्जूण य पुंजा निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठांति 7 / तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे असिपत्ताण Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्-विपाकसूत्रम् : श्रु० 1 : अध्ययनं 1] [465 य करपत्ताण य खुरपत्ताण य कलंबचीरपत्ताण य पुजा णिगरा चिट्ठति, तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे लोहखीलाण य कडि(कडग)सकराण य चम्मपट्टाण य अल्लपलाण(अन्ताण) य पुंजा निगरा चिट्ठति, तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे सूतीण य डंभणाण य कोट्टिलाण य पुजा निगरा चिट्ठति, 8 ।तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे पच्छा(सत्था)ण य पिप्पलाण य कूहाडाण य नहन्छेयणाण य दम्भतिणाण (दभाण) य पुजा निगरा चिट्ठति / / तते णं से दुजोहणे चारगपाले सीहरथस्स रन्नो बहवे चोरे य पारदारिए य गंठिभेदे य रायावकारी य अणधारए य बालघातए य विसंभघाते य जूतिकारे य सं(ख)डपट्टे य पुरिसेहिं गिराहावेति 2 त्ता उत्ताणए पाडेति 2 लोहदंडेणं मुहं विहाडेइ 2 अप्पेगतिए तत्ततंबं पज्जेति अप्पेगतिया तउयं पज्जेति अप्पेगतिए सीसगं पज्जेति अप्पेगतिए कलयं पज्जेति अप्पेगतिए खारतेल्लं पज्जेति अप्पेगइयाणं तेणं चेव श्रोवीलं (अभिसेयगं) करेति, अप्पेगतिए उत्ताणए पाडेति 2 श्रासमुत्तं पज्जेति अप्पेगतिए हत्थिमुत्तं पज्जेति जाव एलमुत्तं पज्जेति, अप्पेगतिए हेटामुहे पाडेति, छुड(ल)छड(ल)स्स वम्मावेति 2 अप्पेगतिए तेणं चेव ओवीलं दलयति अप्पेगतिए हत्थुडुयाई बंधावेति अप्पेगतिए पायंदुडियं(दुयाहिं) बंधावेति अप्पेगतिए हडिबंधणं करेति अप्पेगतिए नियड(ल)बंधणं करेति अप्पेगतिए संकोडियमोडिययं करेति अप्पेगतिए संकलबंधणं करेति अप्पेगतिए हत्यछिनए करेति जाव सत्थोवाडियं(यए) करेति अप्पेगतिए वेणुलयाहि य जाव वायरासीहि य पहरणातिहि य हणावेति अप्पेगतिए उत्ताणए कारवेति उरे सिलं दलावेति तो लउलं छुभावेइ 2 पुरिसेहिं उपकंपावेति अप्पेगतिए तंतीहि य जाव सुत्तरज्जूहि य हत्थेसु पाण्सु य बंधावेति अगडंसि श्रोचूलयालगं पज्जेति अप्पेगतिए असिपत्तेहि य जाव कलंबचीरपत्ते हि य पच्छावेति खारतेल्लेणं अभिगावेति अप्पेगतिए निलाडेसु य अवदूसु य Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 466 ] / भीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा कोप्परेसु य जाणूसु य खलुएसु अ लोहकीलए य कडसकरायो य दवावेति अलिए भंजावेति अप्पेगतिए सुईयो य दंभणाणि य हत्थंगुलियासु य पायंगुलियासु य कोट्टिल्लएहिं पाउडावेति 2 भूमि कंड्यावेति अप्पेगतिए सत्थेहि य जाव नहच्छेदणएहि य अंगं पच्छावेइ दम्भेहि य कुसेहि य उल्लवद्धेहि य वेढावेति श्रायवंसि दलयति चम्मे सुक्के समाणे चडचडस्स उप्पाडेति 10 / तते णं से दुजोहणे चारगपालए एयकम्मे सुबहुं पावकम्म समन्जिणित्ता एगतीसं वाससयाइं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीस-सागरोवम-ठितीएसु नेरइएसु गरइयत्ताए उववन्ने 11 // सू० 25 // से णं ततो श्रणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव महुराए णगरीए सिरिदामस्स रराणो बंधुसिरीए देवीए कुच्छिसि पुत्त(म)त्ताए उववन्ने, तते णं बंधुसिरी णवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं जाव दारगं पयाया 2 / तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो निव्वत्ते बारसाहे इमं एयाणुरूवं नामधेज्ज करेंति होऊ णं अम्हं दारगे णं नंदिसेणे नामेणं, तते णं से नंदिसेणे कुमारे पंचधातीपरिबुडे जाव परिवुडइ, तते णं से नंदिसेणे कुमारे उम्मुक्कबालभावे जाव विहरति जाव जुवराया जाते यावि होत्था 3 / तते णं से गांदिसेणे कुमारे रज्जे य जाव घेतेउरे य मुच्छिते इच्छति सिरिदामं रायं जीवियातो ववरोवित्तए सयमेव रजसिरिं कारेमाणे पालेमाणे विहरित्तए 4 / तते णं से नंदिसेणे कुमारे सिरिदामस्स रन्नो बहूणि अंतराणि य छिद्दाणि य विरहा(वरा)णि य पडिजागरमाणे विहरति, तते णं से नंदिसेणे कुमारे सिरिदामस्स रन्नो अंतरं अलभमाणे अन्नया कयाई चित्तं अलंकारियं सहावेति 2 एवं वयासी-तुम्हे णं देवाणुप्पिया ! सिरिदामस्स रनो सबट्ठाणेसु य सबभूमीसु य अंतेउरे य दिरणवियारे सिरिदामस्स रन्नो अभिक्खणं 2 अलंकारियं कम्मं करेमाणे विहरसि, तराणं तुम्हें देवाणुप्पिया ! सिरिदामस्त रन्नो अलंकारियं कम्म Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् // श्रु० 1 अध्ययनं 1] करेमाणे गीवाए खुरं निवेसेहि तो णं अहं तुम्हें श्रद्धरजियं करेस्सामि तुम्हं अम्हेहिं सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरिस्ससि, तते णं से चित्ते अलंकारिए नंदिसेणस्स कुमारस्स वयणं एयमट्ठ पडिसुणेति 5 / तए णं तस्स चित्तस्स अलंकारियस्स इमेयारूवे जाव समुपजित्था-जइ णं मम सिरिदामे राया एयमटुं श्रागमेति तते णं मम ण णजति केणति असुभेणं कुम(मा)रणेणं मारिस्सतित्तिकट्टु भीए जेणेव सिरिदामे राया तेणेव उवागच्छति 2 सिरिदामं रायं रहस्सियगं करयल जाव एवं वयासीएवं खलु सामी ! णंदिसेणे कुमारे रज्जे य जाव मुच्छिते इच्छति तुम्भे जीवियातो ववरोवित्ता सयमेव रजसिरिं कारेमाणे पालेमाणे विहरित्तए 6 / तते णं से सिरिदामे राया चित्तस्स अलंकारिपस्स अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म प्रासुरुत्ते जाव साहटु णदिसेणं कुमारं पुरिसेहिं सद्धिं गिराहावेति 2 एएणं विहाणेणं वझ पाणवेति, तं एवं खलु गोयमा ! णंदिसेणे पुत्ते जाव विहरति 7 / नंदिसेणे कुमारे इत्रो चुए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उबवजिहिइ ?, गोयमा ! णंदिसेणे कुमारे सर्टि वासाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए, संसारो तहेव, ततो हत्थिणारे णगरे मच्छत्ताए उववजिहिति, से णं तत्थ मच्छिएहि वधिए समाणे तत्थेव सेटिकुले बोहिं सोहम्मे कप्पे महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुझिहिति मुचिहिति परिनिविहिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति, एवं खलु जंबू ! निक्खेवो छट्ठस्स अझयणस्स अयम? पन्नत्तेत्ति बेमि 8 // सू० 26 // छ?मज्झयणं समत्तं // // इति षष्ठमध्ययनम् // श्रु० १-अ० 6 // Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाव परिसा पारे तेणेवणं पार [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थी विभागः // अथ उम्बरदत्ताख्यं सप्तममध्ययनम् // जति णं भंते / उक्लेवो सत्तमस्स, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं पाडलिसंडे णगरे वणसंडे नाम उजाणे उंबरदत्तो जवखो, तत्थ णं पाडलिसंडे णगरे सिद्धत्थे राया तत्थ णं पाडलिसंडे णगरे सागरदत्ते सत्यवाहे होत्था अड्डे जाव अपरिभूए, गंगदत्ता भारिया, तस्स णं सागरदत्तस्स पुत्ते गंगदत्ताए भारियाए अत्तए उंबरदत्ते नामं दारए होत्था अहीण जाव पंचिंदियसरीरे 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समोसरणं जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेणं समएणं भगवं गोयमे तहेव जेणेव पाडलसंडे णगरे तेणेव उवागच्छति पाडलिसंडं नगरं पुरस्थिमिल्लेणं दुवारेणं अणुप्पविसति, तत्थ णं पासति एगं पुरिसं कच्छुल्लं कोढियं दोउ(दयो)यरियं भगंदरियं अरिसिल्लं कासिल्लं सासिल्लं सोगिलं सुयमुहसुयहत्थं सुयपायं सडिय(सुय)हत्थंगुलियं सडियपायंगुलियं सडियकन्ननासियं रसीयाए वा पूईएण य थिविथिविंत-वणमुह-किमिउत्तयंत-पगलंतपूयरुहिरं लाला-पगलंत-कननासं अभिक्खणं 2 प्रयकवले य रुहिरकवले यकिमियकवले य वममाणं कट्ठाई कलुणाई विसराइं कुवमाणं मिच्छयाचडगर-पहकरेणं अरिणजमाणमग्गं फुट-हडाहड-सीसं दंडिखंड-निवसणं खंडमलग-खंडघड-हत्थगयं गेहे 2 देहंबलियाए वित्तिं कप्पेमाणं पासति 2 / तदा भगवं गोयमं उच्चनीय जाव अडति अहापजत्तं गिराहति पाडलिसंडायो नगरायो पडिनिक्खमति जेणेव समणे भगवं महावीरे भत्तपाणं पालोएति भत्तपाणं पडिदंसेति 2 समणेणं भगवया महावीरेणं अभणुनाए समाणे जाव बिलमिव पन्नागभूते अप्पाणेणं याहारमाहारेइ. संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति 3 / तते णं से भगवं गोयमे दोच्चंपि(मि) छट्टक्खमा-पारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झाए जाव पाडलिसंडू नगरं दाहिणिल्लेणं दुवारेणं अणुप्पविसति तंचेव पुरिसं पासति कच्छुल्लं तहेव Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विषाकसूत्रम् : श्रु० 1: अध्ययनं 7 ) [ 469 जाव संजमेणं तवसा विहरति 4 / तते णं से गोयमे तच्चमि छट्टक्खमणपारणगंसि तहेव जाव पचत्थिमिल्लेणं दुवारेणं अणुपविसमाणे तंचेव पुरिसं कच्छुल्लं पासति, चोत्थछट्टक्खमण-पारणगंसि उत्तरेणं दुवारेणं अणुप्पविसतितं चेव पुरिसं कल्छुल्लं जाव वित्तिं कप्पेमाणं पासति 2 इमीसे अज्झथिए जाव समुप्पन्ने-ग्रहो णं इमे पुरिसे पुरापोराणाणं जाव एवं वयासी-एवं खलु अहं भंते ! छट्ठस्स पारणगस्स जाव रीयते जेणेव पाडलिसंडे नगरे तेणेव उवागच्छामि 2 ता पाडलिसंडे नगरे पुरच्छिमिल्लेणं दुवारेणं पविट्ठ, तत्थ णं एगं पुरिसं पासामि कच्छुल्लं जाव कप्पेमाणं, ते अहं दोच्चमि छट्टाखमण-पारणगंसि दाहिणिल्लेणं दुवारेणं तच्चमि छट्टक्खमणपारणगंसि पञ्चत्थिमेणं तहेव तं अहं चोत्थछट्टक्खमण-पारणगंसि उत्तरदुवारेण अणुप्पविसामि तं चेव पुरिसं पासामि कच्छुल्लं जाव वित्तिं कप्पेमाणे जाव विहरति, चिंता मम पुत्वभवपुच्छा वागरेति 5 / एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विजयपुरे नाम नगरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे, तत्थ णं विजयपुरे णगरे कणगरहे नामं राया होत्था, तस्स णं कणगरहस्स रन्नो धन्नंतरी नामं विज्जे होत्था, अटुंगाउव्वेयपाढए, तंजहा-कुमारभिच्चं 1 सालागे (सलागे, सालगे) 2 सल्लहत्ते 3 कायतिगिच्छा 4 जंगोले 5 भूयविज्जे 6 रसायणे 7 वाजीकरणे 8 सिवहत्थे सुहहाथे लहुहत्थे 6 / तते णं से धन्नंतरी विज्जे विजयपुरे णगरेकणगरहस्स रन्नो अंतेउरे य श्रन्नेसिं च बहूणं राईसर जाव सत्थवाहाणं अन्नेसि च बहूणं दुबलाण य 1 गिलाणाण य 2 वाहियाण य रोगियाण य श्रणाहाण य सणाहाण य समणाण य माहणाण य भिक्खागाण य करोडियाण य कप्पडियाण य पाउराण य अप्पेगतियाणं मच्छमसाई उवदंसेति अप्पेगतियाणं कच्छपमंसाई अप्पेगतियाणं गाहामंसाई अप्पेगतियाणं मगरमंसाई अप्पेगतियाणं सुसुमारमंसाई अप्पेगतियाणं श्रयमंसाई Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .470 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा एवं एला-रोज्झ-सुयर-मिग-ससय-गो--महिसमंसाई अप्पेगतियाणं तित्तिरमंसाई अप्पेगतियाणं वट्टक-लावय-कपोत-कुक्कुड-मयूरमंसाइं अन्नेसिं च बहूणं जलयर-थलयर-खहयर-मादीणं मंसाइं उबदंसेति अप्पणाविय णं से धन्नंतरीविज्जे तेहिं बहूहिं मच्छमंसेहि य जाव मयूरमंसेहि य अन्नेहि य बहूहिं जलयर-थलयर-खहयर-मंमेहि य मच्छरसेहि य जाव मयूररसेहि य सोल्लेहि य तलेहि य भिज्जेहिं सुरं च 6 श्रासाएमाणे विसाएमाणे विहरति 7 / तते णं से धन्नंतरी विज्जे एयकम्मे सुबहुं पावं कर्म समजिणित्ता बत्तीसं वाससयाइं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किचा छट्ठीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीससागरोवमठिइएसु उववराणे 8 / तते णं सा गंगदत्ता भारिया जायणिंदुया यावि होत्था जाया जाया दारगा विनिघाय-मावज्जंति, तते णं तीसे गंगदत्ताए सत्थवाहीए अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि कुडुबजागरियं जागरमाणीए अयं अभत्थिए जाव समुप्पन्ने-एवं खलु अहं सागरदत्तेणं सत्थवाहेणं सद्धिं बहूइं वासाई उरालाई मणुस्सगाई भोगभोगाइं भुजमाणी विहरामि, णो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा -पयामि, तं धराणायो णं तायो अम्मयायो सपुन्नायो कयत्थायो कयलक्खणाओ सुलद्धे णं तासिं अम्मयाणं माणुस्सए जम्मजीवियफले जासिं मन्ने नियग-कुच्छि-संभूयाई थणदुद्ध-लुद्धगाई महुरस-मुल्लावगाई मम्मणं पयंपियाइं थणमूल-कक्ख-देसभागं अभिसरमाणगाति मुद्धगाई पुणो य कोमल-कमलोवमेहि य हत्थेहिं गिराहेऊणं उच्छंगं निवेसियाति दिति समुल्लावए सुमहुरे पुणो 2 मंजुल-प्पभणिते, अहं णं अधन्ना अपुन्ना अकयपुन्ना एत्तो एगमवि न पत्ता, तं सेयं खलु मम कल्ले जाव जलंते सागरदत्तं सत्थवाहं श्रापुच्छित्ता सुबहुं पुप्फवत्थ-गंध-मल्लालंकारं गहाय बहुमित्तणाइ णियग-सयण-संबंधि-परिजन-महिलाहिं सद्धिं पाडलिसंडायो णगरायो पडिनिक्खमित्ता बहिया जेणेव उंबरदत्तस्स जवखस्स जक्खायतणे Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् " श्रु० 1 अध्ययनं 7 ] [ 471 तेणेव उवागच्छामि उवागच्छित्ता तत्थ णं उंबरदत्तस्स जक्खस्स महरिहं पुष्फचणं करेत्ता जाणु-पाय-वडियाए पोयावित्तए-जति णं अहं देवाणुप्पिया! दारगं वा दारियं वा पयामि, तो णं अहं तुभ जायं च दायं च भायं च अक्खयणिहिं च अणुवड्डइस्सामित्तिकटु श्रोवाइयं श्रोवाइणित्तए, एवं संपेहेइ 2 ता कल्लं जाव जलंते जेणेव सागरदत्ते सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति 2 ता सागरदत्तं सत्थवाहं एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया! तुम्भेहिं सद्धिं जाव न पत्ता, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुन्भेहिं अब्भणुगणाया जाव उवाइणित्तए 8 / तए णं से सागरदत्ते गंगदत्तं भारियं एवं वयासी-ममंपि य णं देवाणुप्पिया ! एस चेव मणोरहे, कहं णं तुम दारगं वा दारियं वा पयाएजसि ?, गंगदत्ताए भारियाए एयम४ अणुजाणति 1 / तते ण सा गंगदत्ता भारिया सागरदत्त-सत्थवाहेणं एयमढे अभणुन्नाया समाणी सुबहुं पुष्फ जाव महिलाहिं सद्धिं सयानो गिहायो पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमइत्ता पाडलिसंडं नगरं मझमज्झेगं निग्गच्छति 2 जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति 2 पुक्खरिणीए तीरे सुबहुं पुष्पवत्थ-गंधमल्लालंकारं उवणेति 2 पुक्खरिणी श्रोगाहेति 2 जलमजणं करेति 2 जलकीडं करेमाणी राहाया कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता उल्लग-पडसाडिया पुक्खरिणीयो पच्चुत्तरति 2 तं पुप्फवत्थ-गंध-मल्लालंकारं गिराहति 2 जेणेव उंबरदत्तस्स जक्खस्स जक्खायतणे तेणेव उवागच्छति 2 उंबरदत्तस्स जक्खस्स बालोए पणामं करेति 2 लोमहत्थं परामुसति 2 उंबरदत्तं जक्खं लोमहत्थेणं पमजति 2 दगधाराए अब्भोक्खेति 2 पम्हलसुकुमाल-गंधकासाइयाए गायलट्ठी बोलूहेति 2 सेयातिं वत्थाई. परिहेति महरिहं पुप्फारुहणं वत्थारुहणं मलारुहणं गंधारहणं चुन्नारुहणं करेति 2 धूवं डहति जाणुपायवडिया एवं वयति-जइ णं अहं देवाणुप्पिया ! दारगं वा दारियं वा पयामि ते णं जाव उवातिणति 2 त्ता जामेव दिसि पाउभूया तामेव Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 472] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः दिसं पडिगया 10 / तते णं से धन्नंतरी विज्जे तायो नरयायो अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे 2 पाडलिसंडे नगरे गंगदत्ताए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववन्ने, तते णं तीसे गंगदत्ताए भारियाए तिराहं मासाणं बहुपडि. पुन्नाणं अयमेयारूवे दोहले पाउब्भूते-धनायो णं तायो जाव फले जायो णं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडाति 2 बहूहि मित्त जाव परिखुडायो तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं सुरं च 6 पुष्फ जाव गहाय पाडलिसंडं नगरं मझमज्झेणं पडिनिक्खमंति पडिनिवखमित्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति तेणेव उवागच्छित्ता पुक्खरणी श्रोगाहिति राहाता जाव पायच्छित्तायो तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइम बहूहि मित्तणाइ जाव सद्धिं श्रासादेति दोहलं विणयेति, एवं संपेहेइ 2 कल्लं जाव जलंते जेणेव सागरदत्ते सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति 2 सागरदत्तं सत्थवाहं एवं वयासी-धन्नायो णं तायो जाव विणेति तं इच्छामि णं जाव विणित्तए 11 / तते णं से सागरदत्ते सत्थवाहे गंगदत्ताए भारियाए एयम अणुजाणति, तते णं सा गंगदत्ता सागरदत्तेणं सत्थवाहेणं अभणुनाया समाणी विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेति तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं सुरं च 6 सुबहुं पुष्फ जाव परिगिराहावेइ बहहिं जाव राहाया कयबलिकम्मा जेणेव उंबरदत्तस्स जक्खाययणे जाव धूवं डहइ 2 जेणेव पुक्खरणी तेणेव उवागच्छति 12 / तते णं तातो मित्त जाव महिलायो गंगदत्तं सत्थवाहं सव्वालंकार-विभूसियं करेंति, तते णं सा गंगदत्ता भारिया ताहि मित्तनाईहिं अन्नाहि य बहूहिं णगरमहि. लाहिं सद्धिं तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं सुरं च 6 यासाएमाणी जाव दोहलं विणेति 2 जामेव दिसि पाउभूता तामेव दिसि पडिगया 12 / तए णं सा गंगदत्ता सत्यवाही (भारिया) पसत्थ(पुराण) दोहला तं गम्भं सुहंसुहेणं परिवहति, तते णं सा गंगदत्ता भारिया णवराहं मासाणं Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् : श्रु० 1 अध्ययनं 8 ] [473 बहुपडिपुन्नाणं जाव पयाया ठिावडिया जाव जम्हा णं अम्हं इमे दारए उंबरदत्तस्स जक्खस्स उपवातियलद्धते तं होऊ णं दारए उंबरदत्ते नामेणं, तते णं से उंबरदत्ते दारए पंचधातिपरिग्गहिए परिवड्डइ 14 / तते णं से सागरदत्ते सत्थवाहे जहा विजयमित्ते जाव कालमासे कालं किचा, गंगदत्तावि, उंबरदत्ते निच्छूढे जहा उझियते, तते णं तस्स उंबरदत्तस्स दारयस्स अन्नया कयावि सरीरगंसि जमगसमगमेव सोलस रोगायंका पाउब्भूया, तंजहा-सासे खासे जाव कोढे, तते णं से उंबरदत्ते दारए सोलसहि रोगयंकेहिं अभिभूए समाणे सडियहत्थे जाव विहरति, एवं खलु गोयमा ! उंबरदत्ते दारये पुरा पोराणाणं जाव पञ्चणुभवमाणे विहरति 15 / तते णं से उंबरदत्ते दारए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! उंबरदत्ते दारए बावत्तरि वासाइं परमाउयं पालइत्ता कालपासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववन्ने संसारो तहेव जाव पुढवी, ततो हथिणाउरे णगरे कुक्कुडत्ताए पञ्चायायाहिति जायमेत्ते चेव गोट्ठिवहिए तहेब हत्थिणाउरे णगरे सेट्ठिकुलंसि उववजिहिति बोहिं सोहम्मे कप्पे महाविदेहे वासे सिज्झिहिति, निवखेवो 16 // सू० 27 // सत्तमं अज्झयणं समत्तं // // इति सप्तममध्ययनम् // श्रु० १-अ०७॥ // अथ शौरिकदत्ताख्यं अष्टममध्ययनम् // जइ णं भंते ! अट्ठमस्स उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सोरियपुरं णगरं, सोरियवडेंसगं उजाणं, सोरियो जक्खो, सोरियदत्तो राया, तस्स णं सोरियपुरस्स णगरस्स बहिया उत्तरपुरछिमे दिसीभागे एत्थ णं एगे मच्छंधवाडए होत्था, तत्थ णं समुद्ददत्ते नाम मच्छंधे परिवसति अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं समुद्ददत्तस्स Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 474 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / / चतुर्थो विभागः समुद्ददत्ता नाम भारिया होत्था अहीण जाव पंचेंदियसरीरे, तस्स णं समुद्ददत्तस्स मच्छंधस्स पुत्ते समुद्ददत्ताए भारियाए अत्तए सोरियदत्ते नामं दारए होत्था, अहीण जाव पंचेंदियसरीरे 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव परिसा पडिगया 2 / तेणं कालेणं तेणं समएणं जेट्टे सीसे जाव सोरियपुरे णगरे उच्चनीयमज्झिमकुलाई अहापजत्तं समुदाणं गहाय सोरियपुरायो नगरायो पडिनिक्खमति 3 / तस्स मच्छंधपाडगस्स अदूरसामंतेणं वीईवयमाणे महतिमहालियाए मणुस्सपरिसाए मझगयं पासति एगं पुरिसं सुक्क भुक्खं निम्मंसं अट्ठिचम्मावणद्धं किडिकिडी(किंडिया)भूयं णील-साडग-णियच्छं मच्छकंटएणं गलए अणुलग्गेणं कट्ठाई कलुणाई विसराई कूवेमाणं अभिक्खयां अभिक्खणं पूयकवले य रुहिरकवले य किमिकवले य वम्ममाणं पासति, इमे अज्झथिए ५-पुरा पोराणाणां जाव विहरति 5 / एवं संपेहेति जेणेव समणे भगवं जाव पुव्वभवपुच्छा जाव वागरगां, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेगां तेषां समएणां इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे नंदिपुरे नाम णगरे होत्था, मित्ते राया, तस्स णं मित्तस्स रनो सिरीए नामं महाणसिए होत्था अहम्मिए जाव दुप्पडियागांदे, तस्स णं सिरीयस्स महाणसियस्स बहवे मच्छिया य वागुरिया य साउणिया य दिनभति-भत्तवेयणा, कल्लाकल्लं बहवे सराहमच्छा य जाव पडागातिपडागे य अए य जाव महिसे य तित्तिरे य जाव मयूरे य जीवियायो ववरोति 2 सिरीयस्स महाणसियस्स उवणेति, अन्ने य से बहवे तित्तिरा य जाव मयूरा य पंजरंसि संनिरुद्धा चिट्ठति, अन्ने य बहवे पुरिसे दिनभति-भत्तवेयणा, ते बहवे तित्तरे य जाव मयूरे य जीवंतए चेव निष्पक्छेति सिरीयस्स महाणसियस्स उवणेति 5 / तते णं से सिरीए महाणसिए बहूगां जलयर-थलयर-खहयराणां मंसाई कप्पणीयकप्पियाई करेति, तंजहा-सराहखंडियाणि य वट्टखंडियाणि दीहखंडियाणि रहस्सखंडियाणि हिमपक्काणि य जम्मपक्काणि य वेगपकाणि य Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् : श्रु० 1 अध्ययनं 8 ] [ 475 (धम्मपकाणि य) मारुयपक्काणि य कालाणि यं हेरंगाणि य महिट्टाणि य श्रामलरसयाणि य मुद्दियारसयाणि य कविट्ठरसयाणि दालिमरसयाणि य मच्छरसियाणि य तलियाणि य भजियाणि य सोल्लियाणि य उवक्खडावेति अन्ने य बहवे मच्छरसए य एणेजरसए य तित्तिररसए य जाव मयूररसए य अन्नं विउलं हरियसागं उवक्खडावेति 2 त्ता मित्तस्स रन्नो भोयणमंडवंसि भोयणवेलाए उवणेति अप्पणावि य णं से सिरिए महाणसिते तेसिं च बहूहिं जाव जलयर-थलयर-खहयर-मंसेहिं रसतेहि य हरियसागेहि य सोल्लेहि य तलेहि य भज्जेहि य सुरं च 6 आसाएमाणे 4 विहरति 6 / तते णं से सिरिए महाणसिते एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमुदायारे सुबहुं पावकम्मं समजिणित्ता तेत्तीसं वाससयाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उववन्ने 7 / तते णं सा समुद्ददत्ता भारिया निंदूया यावि होत्था जाया 2 दारगा विणिहायमावज्जति जहा गंगदत्ताए चिंता श्रापुच्छणा उघातियं दोहलो जाव दारगं पयाता, जाव जम्हा णं अम्हं इमे दारए सोरियस्स जक्खस्स उवाइयलद्धे तम्हा णं होउ अम्हं दारए सोरियदत्ते नामेणं, तए णं से सोरियदत्ते दारए पंचधाइ जाव उम्मुक्कबालभावे विराणयपरिणयमित्ते जोव्वणगमणुपत्ते होत्था = | तते णं से समुददत्ते अन्नया कयाई कालधम्मुणा संजुत्ते, तते णं से सोरियदत्ते दारये बहूहिं मित्तणाइ जाव रोयमाणे समुद्ददत्तस्स णीहरणं करेति लोइयमयाई किच्चाई करेति, अन्नया कयाइं सयमेव मच्छंधमहत्तरगत्तं उवसंपजित्ताणं विहरति 1 / तए णं से सोरियए दारए मच्छंधे जाते अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तते णं तस्स सोरियमच्छंधस्स बहवे पुरिसा दिनभति-भत्तवेयारणा कल्लाकल्लिं एगट्ठियाहिं जउणामहानदी योगाहिति 2 बहुहिं दहगलणेहि य दहमलणेहि य दहमदणेहि य दहमहणेहिं दहवहणेहि दहपवहणेहि य अयंपुलेहि य पयंपुलेहि य मच्छंधलेहि य मच्छपुच्छेहि य जंभाहि य तिसिराहि य भिसिराहि य Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 473 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः घिसराहि य विसराहि य हिल्लीरीहि य झिल्लिरीहि य जालेहि य गलेहि य कूडपासेहि य वकबंधेहि य सुत्तबंधणेहि य वालवंधणेहि य बहवे सराह. मच्छे य जाव पडागातिपडागे य गिराहति 2 एगट्ठियायो नावा भरेंति 2 कूलं गाहेति 2 मज्छखलए करेंति प्रायवंसि दलयंति 10 / अप्पणाविय णं से सोरिये मच्छंधए कलाकल्लि एगट्ठियए जएणं महाणदिं श्रोगाहेति 2 सरिसवच्छिद्दपमाणमेत्तेणं जालेणं बहवे सराहमच्छे य जाव गेराहति एगट्ठियं भरेति कूलं गाहेति 2 मच्छखलए करेति पायवंसि दलयति 11 / अन्ने य से बहवे पुरिसा दिनभइभत्तवेयणा प्रायव-तत्तएहिं मच्छेहिं सोलेहि य तलेहि य भज्जेहि य रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, अप्पणाविय णं से सोरियदत्ते बहूहिं सराहमच्छेहि य जाव पडागातिपडागे य गेहति जाव सोल्लेहि य भज्जेहि य सुरं च 6 श्रासाएमाणे 4 विहरति 12 / तते णं तस्स सोरियदत्तस्स मच्छंधस्स अन्नया कयाइं ते मच्छसोल्ले तले भज्जे थाहारेमाणस्स मच्छकंटए गलए लग्गे प्रावि होत्था, तए णं से सोरियमच्छंधे महयाए वेयणाए अभिभूते समाणे कोडांबियपुरिसे सहावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम्हे देवाणुप्पिया ! सोरियपुरे नगरे सिंघाडग जाव पहेसु य महया 2 सणं उग्घोसेमाणा 2 एवं वयह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सोरियस्स मच्छकंटए गले लग्गे तं जो णं इच्छति विजो वा 6 सोरियमच्छियस्स मच्छकंटयं गलायो नीहरित्तते तस्स णं सोरियमच्छंधे विउलं अत्थसंपयाणं दलयति 13 / तते णं ते कोडबियपुरिसा जाव उग्धोसंति, तए णं से बहवे विजा य 6 इमेयारूवं उग्घोसणं उग्घोसिजमाणं निसामेंति 2 जेणेव सोरियमच्छंधस्स गेहे जेणेव सोरियमच्छंधे तेणेव उवागच्छंति 2 बहूहिं उप्पत्तियाहिं 4 बुद्धीहि य परिणामेमाणा वमणेहि य छड्डणेहि य वीलणेहि य कवलग्गाहेहि य सल्लुद्धरणोहि य विसल्लकरणेहि य इच्छंति सोरियमच्छंधस्स मच्छकंटयं गलायो नीहरित्तए, Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोरियस्स मच्छदिसि पाउभ्या नागणे तेणं श्रीमद्-विपाकसूत्रम् :: श्रु०॥ 1 अध्ययनं 9 / [ 477 नो चेव णं संचाएंति नीहरित्तए वा विसोहित्तए वा, तते णं बहवे विजा य 6 जाहे नो संचाएंति सोरियस्स मच्छकंटगं गलायो नीहरित्तए वा विसोहित्तए वा ताहे संता जाव जामेव दिसि पाउम्भूया तामेव दिसं पडिगया 14 / तते णं से सोरियदत्ते मच्छंधे विज-पडियारनिविराणे तेणं दुक्खेणं महया अभिभूते सुक्के जाव विहरति 15 / एवं खलु गोयमा ! सोरियदत्ते पुरापोराणाणं जाव विहरति 16 / सोरिए णं भंते ! मच्छंधे इयो य कालमासे कालं किञ्चा कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! सत्तरि वासाइं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए संसारो तहेव पुढवीयो हत्थिणाउरे गरे मछत्ताए उववजिहिति, से णं ततो मच्छिएहिं जीवियायो ववरोविए तत्थेव सेटिकुलंसि बोहिं सोह मे कप्पे महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 17 / निवखेवो // सू० 28 // अट्टम अज्झयणं सोरियदत्तस्स सम्मत्तं // // इति अष्टममध्ययनम् // श्रु० १--अ० 8 // . // अथ बृहस्पतिदत्ताख्यं नवममध्ययनम् // जाणं भंते ! उक्खेवो णवमस्स, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रोहीडए नामं नगरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे, पुढवीवडेंसए उज्जाणे धरणो जक्खो वेसमणदत्तो राया सिरी देवी प्रसनंदी कुमारे जुवराया, तत्थ णं रोहीडए नगरे दत्ते णामं गाहावती परिवसति अड्डे जाव अपरिभूए, कराहसिरी भारिया, तस्स णं दत्तस्स धूया कन्नसिरीए अत्तया देवदत्ता नामं दारिया होत्था बहीण जाव पंचिंदियसरीरा, जाव उकिट्ठा उकिट्ठसरीरा 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव परिसा निग्गया 2 / तेणं कालेणं तेणं समण्णं जे? अंतेवासी छट्टक्खमण तहेव जाव रायमग्गं श्रोगाढे हत्थी पासे पुरिसे पासति, तेसिं पुरिसाणं 28 Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 478 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः मझगयं पासति एगं इत्थियं अवउडगवंधणं उक्खित्तकन्ननासं जाव सूले भिजमाणं पासति 3 / इमे अब्भत्थिए तहेब निग्गए जाव एवं वयासीएसा णं भंते ! इत्थिया पुवभवे का बासी ?, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सुपइट्टे नामं नगरे होत्था रिद्धत्थिमियसमिद्धे, महसेणे राया, तस्स णं महासेणस्स स्नो धारणीपामोक्खाणं देवीसहस्सं योरोहे यावि होत्था, तस्स णं महासेणस्स रन्नो पुत्ते धारणीए देवीए अत्तए सीहसेणे नामं कुमारे होत्था बहीण जाव जुवराया 4 / तते णं तस्स सीहसेणस्स कुमारस्त अम्मापियरो अन्नया कयाई पंच पासाय-वडिंसय-सयातिं करेंति, अभुग्गतमूसिय-पहसिए तए णं तस्स सीहसेणस्त कुमारस्स अन्नया कयावि सामापामोक्खाणां पंचराहं रायवरकन्नगसयाणं एगदिवसेणं पाणिं गिराहावेंसु पंचसयत्रो दायो, तते णं से सीहसेणे कुमारे सामापामोक्खाहिं पंचहिं देवीसतेहिं (सयाहिं देवीहिं) सद्धिं उप्पिं जाव विहरति 5 / तते णं से महसेणे राया अन्नया कयाइ कालधम्मुणा संजुत्ते, नीहरणं राया जाए महता जाव महिंदसारे, तए णं से सीहसेणे राया सामाए देवीए मुच्छिते 4 अवसेसायो देवीयो नो पाढाति नो परिजाणाति अणाढाइजमाणे अपरिजाणमाणे विहरति 6 / तते णं तासिं एगुणगाणां पंचराहं देवीमयागां एगूणाई पंच माई[धाई]सयाई इमीसे कहाए लट्टाई समाणाइं (सवणयाए) एवं खलु सामी ! सीहसेणे राया सामाए देवीए मुच्छिए 4 अम्हं धूयायो नो श्रादाति नो परिजाणाति अणाढायमाणे अपरिजाणमाणे विहरति, तं सेयं खलु अम्हं सामं देवीं अग्गिपयोगेण वा विसप्पयोगेण वा सत्थप्पयोगेण वा जीवियातो ववरोवित्तए, एवं संपेहेन्ति सामाए देवीऐ अंतराणि य छिदाणि य विवराणि य पडिजागरमाणीयो 2 विहरंति 7 / तते णं सा सामा देवी इमीसे कहाए लट्ठा समाणी एवं वयासी-एवं- खलु सामी ! मम पंचराहं सवत्तीसयाणं Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद् विपाकसूत्रम् / श्रु० 1 // अध्ययनं 9 ] [ 479 पंच माईसयाइं इमीसे कहाए लट्टाई समाणाई (सवणयाए) अन्नमन्नं एवं वयासी-एवं खलु सीहसेणे जाव पडिजागरमाणीयो विहरंति, तं न नजति णं मम केणवि कुमरणेणं मारिस्संतित्तिक? भीया जेणेव कोवघरे तेणेव उवागच्छति 2 ता श्रोहयमण-संकप्पा जाव झियाति 8 / तते णं से सीहसेणे राया इमीसे कहाए लट्ठ समाणे जेणेव कोवघरए जेणेव सामा देवी तेणेव उवागच्छति 2 त्ता सामं देविं श्रोहयमण-संकप्पा जाव पासति 2 ता एवं वयासी-किन्नं देवाणुप्पिया! श्रोहयमण-संकप्पा जाव झियासि ?, तते णं सा सामा देवी सीहसेणेण रराणा एवं वुत्ता समाणा उप्फेणग्रोफेणियं सीहसेणं रायं एवं वयासी-एवं खलु सामी ! मम एगणपंचसवत्तीसयाणं एगणपंचाधाइ]माईसयाणं इमीसे कहाए लद्धाए समाणाए अन्नमन्ने सद्दावेंति 2 एवं वयासी-एवं खलु सीहसेणे राया सामाए देवीए उवरि मुच्छिए अम्हा णं धूया णो अाढाति जाव अंतराणि श्र हिदाणि य विवराणि य पडिजागरमाणीयो विहरंति तं न नजति जाव भीया जाव झियामि 1 / तते गां से सीहसेणे राया सामं देवि एवं वयासी-मा णं तुम देवाणुप्पिया ! पोहयमण-संकप्पा जाव झियाइसि, अहन्नं तह घत्तिहामि जहा णं तव णत्थि कत्तोवि सरीरस्स श्राबाहे वा पबाहे वा भविस्सतित्तिकटु ताहिं इटाहिं 6 समासासेति, ततो पडिनिवखमति 2 ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ 2 ता एवं वयासी-गच्छह णं तुभे देवाणुप्पिया ! सुपइट्टरस गरस्स बहिया एगं महं कूडागारसालं करेह अणेगक्खंभसयसन्निविट्ठ पासाइयं दरिसणिज्जं अभिरुवं पडिरूवं, करिता 2 मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह 10 / तते णं ते कोड बियपुरिसा करयल जाव पडिसुणेति 2 सुपइट्टियनगरस्स बहिया पञ्चत्थिमे दिसीविभाए एगं महं कूडागारसालं जाव करेंति श्रणेगक्खंभसयसन्निविट्ठ पासाइयं दरिसणिज्ज अभिरुवं पडिरूवं, करित्ता जेणेव सीहसेणे राया तेणेव उवागच्छंति 2 ता तमाणत्तियं Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 180 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः पञ्चप्पिणंति 11 / तते णं से सीहसेणे राया अन्नया कयाति एगूणगाणं पंचराहं देवीसयाणं एगूणाई पंचमाइसयाइं थामतेति, तते णं तासि एगूणपंचदेवीसयाणं एगूण (एगुणाई) पंचमाइसयाई सीहसेणेणं रन्ना आमंतियाई समाणाति सव्वालंकारविभूसियाई जहाविभवेणं जेणेव सुपइट्ठ णगरे जेणेव सीहसेणे राया तेणेव उवागच्छति 12 / तते णं से सीहसेणे राया एगणपंचदेवीसयाणं एगुणगाणं पंचमाइसयाणं कूडागारसालं यावासे दलयति, तते णं से सीहसेणे राया कोड बियपुरिसे सद्दावेति 2 ता एवं वयासीगच्छह णं तुम्हे देवाणुप्पिया ! विउलं असणं 4 उवणेह सुबहुँ पुप्फवत्थगंधमलालंकारं च कूडागारसालं साहरह य, तते णं ते कोडवियपुरिसा तहेव जाव साहरेंति 13 / तते णं तासिं एगूणगाणं पंचराहं देवीसयाणं एगूणपंचमाइसयाई सव्वालंकारविभूसियाई करेंति 2 तं विउलं असणं 4 सुरं च 6 अासाएमाणाई 4 गंधव्वेहि य नाडएहि य उवगीयमाणाई 2 विहरंति, तए णं से मीहसेणे राया अद्धरत्तकालसमयंसि बहूहिं पुरिसेहिं सद्धिं संपरिबुडे जेणेव कूडागारसाला तेणेव उवागच्छति 2 ता कूडागारसालाए दुवाराई पिहेति 2 कूडागारसालाए सवयो समंता अगणिकायं दलयति, तते णं तासिं एगुणगाणं पंचराहं देवीसयाणं एगूणगाइं पंचधाइ] माइसयाई सीहसेणरगणा बालीवियाई समाणाई रोयमाणाई 3 अत्ताणाई असरणाई कालधम्मुणा सुजुताई 14 / तते णं से सीहसेणे राया एयकम्मे 4 सुबहुँ पावकम्मं समजिणित्ता चोत्तीसं वाससयाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किचा छट्ठीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीससागरोवमाई ठितिएसु उर्ववन्ने 15 / से णं तयो अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव रोहीडए नगरे दत्तस्स सत्थवाहस्स कनसिरिए भारियाए कुच्छिसि दारियाए उववन्ने, तते णं सा कन्नसिरी नवराहं मासागां जाव दारियं पयाया सुकुमाल जाव सुरूवं, तते णं तीसे दारियाए अम्मापियरो निम्वित्तवारसाहियाए विउलं असणं Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् " श्रु० 1 अध्ययनं 9 ] [481 4 जाव मित्तणाति जाव णामधेन्ज करेंति तं होऊ णं दारिया देवदत्ता णामेगां, तए णं सा देवदत्ता पंचधातीपरिगहिया जाव परिवड्डति, तते णं सा देवदत्ता दारिया उम्मुक्कबालभावा जोव्वणेण रूवेण लावराणेण य जाव अतीव उकिट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाया यावि होत्था, तते णं सा देवदत्ता दारिया अन्नया कयाइ राहाया जाव विभूसिया बहूहिं खुजाहिं जाव परिक्खित्ता उप्पि अागासतलगंसि कणगतिदूसेगां कीलमाणी विहरइ 16 / इमं च णं वेसमणदत्ते राया गहाए जाव विभूसिए पास दुलाहत्ता बहाह पुरिसेहिं सद्धिं संपरिबुडे श्रासवाहिणीयाए णिजायमाणे दत्तस्स गाहावइस्स गिहस्स अदूरसामंतेणं विइवयति, तते णं से वेसमणे राया जाव विइवयमाणे देवदत्तं दास्यिं उप्पिं श्रागासतलगंसि कणगतिंदूसेण य कीलमाणी पासति, देवदत्ताए दारियाए रूवेण य जुब्वणेण य लावराणेण य जाव विम्हिए कोडुबियपुरिसे सद्दावेति सद्दावेत्ता एवं वयासी-कस्स णं देवाणुपिया ! एसा दारिया किं वा नामधेज्जेणं ?, तते णं ते कोडुबियपुरिसा वेसमणरायं करयल जाव एवं वयासी-एस णं सामी ! दत्तस्स. सत्थवाहस्स धूत्रा कन्नसिरीए भारियाए अत्तया देवदत्ता नामं दारिया रूवेण य जुव्वणेण य लावराणेण य उकिट्ठा उकिट्ठसरीरा, तते णं से वेसमणे राया पासवाहणियायो पडिनियत्ते समाणे अभितरटाणिज्जे पुरिसे सहावेइ अभितरहाणिज्जे पुरिसे सद्दावेत्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! दत्तस्स धूयं कन्नसिरीए भारियाए अत्तयं देवदत्तं दारियं पूसणंदस्स जुवरन्नो भारियत्ताए वरेह, जतिवि य सा सयंरजसुक्का 17 / तते णं ते अभितरवाणिजा पुरिसा वेसमणेणं रन्ना एवं वुत्ता समाणा हटुट्ठा करयल जाव पडिसुणेति 2 राहाया जाव सुद्धप्पावेसाइं जाव संपरिबुडा जेणेव दत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छित्था, तते णं से दत्ते सत्थवाहे ते पुरिसे एजमाणे पासति ते पुरिसे एजमाणे पासित्ता हट्टतुटे श्रासणायो ?इ आस Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 482 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः णायो अब्भुट्टित्ता सत्तट्ठपयाई अब्भु(पच्चु)ग्गते अासणेणं उवनिमंतेति 2 ते पुरिसे यासत्थे वीसत्थे सुहासणवरगए एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किं श्रागमणप्पोयणं ?, तते णं ते रायपुरिसा दत्तं सत्थवाहं एवं वयासी-अम्हे णं देवाणुप्पिया ! तव धूयं कराहसिरीए अत्तयं देवदत्तं दारियं पूसनंदिस्स जुवरगणो भारियत्ताते वरेमो, तं जइ णं जाणासि देवाणुप्पिया ! जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिज्जं वा सरिसो वा संजोगो त्ता दिजउ णं देवदत्ता दारिया पूसणंदिस्स जुवरगणो, भण देवाणुप्पिया! किं दलयामो सुक्कं ? 18 / तते णं से दत्ते अभितरट्टाणिज्जे पुरिसे एवं वयासी-एवं चेव णं देवाणुप्पिया ! मम सुक्कं जन्नं वेसमणे राया मम दारियानिमित्तेगां अणुगिराहति, ते ठाणेजपुरिसे विपुलेगां पुप्फवत्थगंधमलालंकारेगां सकारेति सम्माणेति 2 पडिविसज्जेति 11 / तते णं ते गणिजपुरिसा जेणेव वेसमणे राया तेणेव उवागच्छति 2 ता वेसमणस्स रनो एयमट्ठ निवेदेति, तते णं से दत्ते गाहावती अन्नया कयावि सोभगांसि तिहि-करण-दिवस-नक्खत्तमुहुत्तसि विपुलं असणां 4 उवक्खडावेइ 2 त्ता मित्तनाति-णियग-सयण-संबंधि-परिजणां थामतेति, राहाते जाव पायच्छित्ते सुहासणवरगते तेगां मित्तनाइनियग-सयण-संबंधिजणेण सद्धिं संपरिखुडे तं विउलं असणां 4 श्रासाएमाणा 4 विहरति जिमयिभुत्तुत्तरागया श्रायंते 3 तं मित्तनाइनियगसयण-संबंधि-परिजणां विउलगंधपुष्फ जाव अलंकारेगां सक्कारेति सम्माणेति 2 देवदत्तं दारियं शहायं जाव विभूसियसरीरं पुरिससहस्सवाहिणीयं सीयं दुरूहति 2 सुबहुमित्त जाव सद्धिं संपरिखुडा सव्वइडीए जाव नाइयरवेगां रोहीडं नगरं मझमझेगां जेणेव वेसमणरगणो गिहे जेणेव वेसमणे राया तेणेव उवागज्छंति 2 ता करयल जाव वद्धावेंति 2 त्ता वेसमणस्स रन्नों देवदत्तं दारियं उवति 20 / तते णं से वेसमणे राया देवदत्तं दारियं उवणीयं पासति उवणीयं पासित्ता हट्टतुट्ठ जाव हियया Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् / श्रु० 1 अध्ययनं 9] [ 483 विउलं असणां 4 उवक्खडावेति 2 मित्तनाति-नियग-सयण-संबंधि-परिजगां श्रामंतेति जाव सकारेति 2 पूसगांदिकुमारं देवदत्तं च दारियं पट्टयं दुरूहेति 2 त्ता सेयापीतेहिं कलसेहिं मजावेति 2 त्ता वरनेवत्थाई करेति 2 ता अग्निहोमं करेति पूसगांदीकुमारं देवदत्ताए दारियाते पाणिं गिगहावेति 21 / तते णं से वेसमणे राया पूसनंदिकुमारस्स देवदत्तं दारियं सव्वइडीए जाव रवेगां महया इड्डीसकारसमुदएगां पाणिग्गहणां कारेति देवदत्ताए दारियाए अम्मापियरो मित्त जाव परियणं च विउलेण असण 4 वस्थगंधमल्लालंकारेण य सकारेति सम्माणेति जाव पडिविसज्जेति 22 / तए णं से पूसनंदीकुमारे देवदत्ताए दारियाए सद्धिं उप्पिं पासायवरगए फुट्टोहिं मुइंगमत्थेहिं बत्तीसइबद्धेहिं नाडएहिं उवगिजमाणे उवलालिजमाणे माणुस्सए कामभोगे पचणुब्भवमाणे विहरति 23 / तते णं से वेसमणे राया अन्नया कयाई कालधम्णुणा संजुत्ते नीहरणं जाव राया जाते, तए णं से पूसनंदी राया सिरीए देवीए मायाभते यावि होत्था, कलाकल्लिं जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छति 2 ता सिरीए देवीए पायवडणं करेति सयपागसहस्सपागेहिं तेल्लेहिं अभिगावेति अट्ठिसुहाए मंससुहाए तयासुहाए चम्मसुहाए रोमसुहाए चोबिहाए संवाहणाए संवाहावेति सुरभिणा गंधेवट्टएणं उवट्टावेति 2 तिहिं उदएहिं मजावेति तंजहा-उसिणोदएणं सीयोदएणं गंधोदएणं, विउलं असणं 4 भोयावेति सिरीए देवीए राहाताए जाव पायच्छित्ताए जाव जिमियभुत्तुत्तरागयाए तते णं पच्छा राहाति वा भुजति वा, उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरति 24 / तते णं तीसे देवदत्ताए देवीए अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुबजागरियं जागरमाणीइ इमेयारूवे अब्भत्थिए 5 समुप्पन्ने-एवं खलु पूसनंदी राया सिरीए देवीए माइभत्ते जाव विहरति तं एएणं वक्खेवेणं नो संचाएमि अहं पूसनंदीणा रगणा सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं भुजमाणीए विहरित्तए, तं सेयं खलु मम Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 484 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः सिरिदेवीं अग्गिपयोगेण वा सस्थापयोगेण वा विसप्पयोगेण वा मंतप्पयोगेण वा जीवियायो ववरोवेत्तए 2 पूसनंदिरन्ना सद्धि उरालाई भोगभोगाई भुजमाणीए विहरित्तए, एवं संपेहेइ 2 ता सिरीए देवीए अंतराणि य 3 पडिजागरमाणी विहरति 25 / तते णं सा सिरिदेवी अन्नया कयावि मजाइया विरहियसयणिज्जसि सुहपसुत्ता जाया यावि होत्था, इमं च णं देवदत्ता देवी जेणेव सिरीदेवी तेणेव उवागच्छति 2 ता सिरिदेवीं मज्जाइयं विरहितसयणिज्जंसि सुहपसुत्तं पासति 2 दिसालोयं करेति 2 जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छति 2 लोहदंडं परामुसति 2 लोहदंडं तावेति तत्तं समजोइभूयं फुलकिंसुयसमागां संडासएगां गहाय जेणेव सिरिदेवी तेणेव उवागच्छति 2 ता सिरिए देवीए अवाणांसि पक्खिवेति, तते णं सा सिरीदेवी महया 2 सद्दे गां पारसित्ता कालधम्मुणा संजुत्ता 26 / तते णं तीसे सिरीए देवीए दासचेडीयो पारसियसद्दे सोचा निसम्म जेणेव सिरीदेवी तेगव उवागच्छंति 2 देवदत्तं देवीं ततो अवकममाणिं पासंति 2 जेणेव सिरीदेवी तेणेव उवागच्छंति सिरिदेवीं निप्पाणां निच्चेटु जीवियविप्पजढं पासंति 2 हा हा ग्रहो अकजमितिकटु रोयमाणीयो कंदमाणीयो विलवमाणीयो जेणेव प्रसनंदी राया तेणेव उवागच्छति 2 ता प्रसनंदी रायं एवं वयासीएवं खलु सामी ! सिरीदेवी देवदत्ताए देवीए अकाले चेव जीवियायो ववरोविया 27 / तते णं से पूसनंदी राया तासिं दासचेडीगां अंतिए एयम? सोचा निसम्म महया मातिसोएगां अप्फुराणे समाणे परसुनियत्तेविव चंपगवरपायवे धसत्ति धरणीतलंसि सव्वंगेहिं सन्निवडिए 28 / तते णं से पूसनंदी राया मुहुत्तंतरेण घासत्थे वीसत्थे समाणे बहूहिं राईसर जाव सत्थवाहेहिं मित जाव परियणेण य सद्धिं रोयमाणे 3 सिरीए देवीए महया इड्डीए इड्डीसकार-समुदएगां नीहरगां करेति 2 ता पासुरुत्ते 4 देवदत्तं देविं पुरिसेहिं गिराहावेति 2 तेगां विहाणेगां वझ पाणवेति, तं एवं खलु Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् // श्रु० 1:: अध्मयनं 10 ] [ 485 गोयमा ! देवदत्ता देवी पुरापुराणाणां जाव विहरति 26 / देवदत्ता णं भंते ! देवी इश्रो कासमासे कालं किच्चा कहिं गमिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! असीइं वासाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किची इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववजिहिइ संसारो वणस्सतिसु ततो श्रगांतरं उब्वट्टित्ता गंगपुरे नगरे हंसत्ताए पचायाहिति, से णं तत्थ साउणितेहिं वधिए समाणे तत्थेव गंगपुरे णगरे सेटिकुलंसि बोहिं सोहम्मे महाविदेहे वासे सिज्झिहिति, णिक्खेवो 30 // सू० 21 // दुहविवागस्स नवमं अज्झयणंतिबेमि॥ ... / इति नवममध्ययनम् // श्रु० १-अ० 9 // // अथ उम्बरदत्ताख्यं दशममध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं दसमस्स उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वद्धमाणपुरे णामे णगरे होत्था, विजयवद्धमाणे उजाणे माणिभद्दे जक्खे विजयमित्ते राया, तत्थ णं धणदेवे नामं सत्थवाहे होत्था अड्ढे जाव अपरिभूए, पियंगूनामभारिया अंजू दारिया जाव सरीरा, समोसरणां परिसा जाव पडिगया 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं जेडे जाव अडमाणे जाव विजयमित्तस्स रनो गिहस्स असोगवणियाए अदूरसामंतेगां वितिवयमाणे पासति एगं इत्थियं सुक्क भुक्खं निम्मंसं किडिकिडीभूयं अट्ठिचम्मावणद्धं नीलसाडगनियत्थं कट्ठाई कलुणाई विसराई कूवमाणां पासति 2 चिंता तहेव जाव एवं वयासी-सा णं भंते ! इत्थिया पुत्वभवे का श्रासि ?, वागरणां 2 / एवं खलु गोयमा ! ते कालेगां तेषां समएगां इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इंदपुरे णामं णगरे होत्था, तत्थ णां इंददत्ते राया पुढवीसिरी नामं गणिया होत्था वराणश्रो, तते णं सा पुढवीसिरी गणिया इंदपुरे णगरे बहवे राईसर जावप्पभियश्रो Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 486 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभागः बहूहिं चुन्नप्पयोगेहि य जाव अाभियोगेता उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुजमाणा विहरति 3 / तते णं सा पुढवीसिरी गणिया एयम्मा 4 सुबहुं पावकम्मं समजिणित्ता पणतीसं वाससयाइं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा छट्टीए पुढवीए उक्कोसेगां णेरइयत्ताए उववन्ना 4 / सा णं तो श्रणांतरं उव्वट्टित्ता इहेव वद्धमाणपुरे णगरे घणदेवस्स सत्थवाहस्स पियंगुभारियाते कुञ्छिसि दारियत्ताए उववन्ना 5 / तते गां सा पियंगुभारिया णवराहं मासागां दारियं पयाया, नामं अंजूसिरी, सेसं जहा देवदत्ताए 6 / तते णं से विजए राया पासवाह जहा वेसमणदत्ते तहा अंजू पासइ णवरं अप्पणो अट्टाए वरेति जहा तेतली जाव अंजूए दारियाते सद्धिं उप्पि जाव विहरति, तते णं तीसे अंजूते देवीते अन्नया कयावि जोणिसूले पाउब्भूते यावि होत्था, तते णं से विजये राया कोड बियपुरिसे सद्दावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! वद्धमाणे पुरे णगरे सिंघाडग जाव एवं वदह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! विजयस्स रायस्स अंजूए देवीए जोणिसूले पाउन्भूते जो णं इस्थ विजो वा 6 जाव उग्घोसेंति, तते णं ते बहवे विजा वा 6 इमं एयारूवं सोचा निसम्म जेणेव विजए राया तेणेव उवागच्छंति 2 ता अंजूते बहुहिं उप्पत्तियाहिं 4 परिणामेमाणा इच्छंति अंजूते देवीए जोणिसूलं उवसामित्तत्ते, नो संचाएंति उवसामित्तए तते णं ते बहवे विजा य 6 जाहे नो संचाएंति अंजूदेविए जोणिसूलं उत्सामितत्ते ताहे संता तंता परितंता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया। तते णं सा अंजूदेवी ताए वेयणाए अभिभूता समाणा सुका भुक्खा निम्मंसा कट्ठाई कलुणाई विसराई विलवति, एवं खलु गोयमा ! अंजूदेवी पुरापोराणायां जाव विहरति 8 / अंजू गां भंते ! देवी इयो कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! अंजू गां देवी नउइं वासाई परमाउयं पालयित्ता कालमासे कालं किचा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाक-सूत्रम् / श्रु० 2 :: अध्ययनं 1 ] नेरइयत्ताए उववजिहिइ, एवं संसारो जहा पढमे तहा नेयव्वं जाव वणस्सतिसु 1 / सा णं ततो अशांतरं उव्वट्टित्ता सव्वतोभद्दे नगरे मयूरत्ताए पञ्चायाहिति, से गां तत्थ साउणिएहिं वधिए समाणे तत्थेव सव्वतोभद्दे नगरे सेट्टिकुलंसि पुत्तत्ताए पञ्चायाहिति, से गां तत्थ उम्मुक्कबालभावे तहारूवाणां थेराणां अंतिए केवलं बोहिं बुज्झिहिति पव्वजा सोहम्मे, से गां तायो देवलोगायो बाउक्खएगां जाव कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे जहा पढमे जाव सिन्झिहिइ जाव घेतं काहिति 10 / एवं खलु जंबू ! समणेगां जाव संपत्तेगां दुहविवागागां दसमस्स अज्झयणस्स श्रयम? पन्नत्ते, सेव भंते 2 जाव विहरति ॥सू० 30 // दुहविवागो दससु अज्झयणेसु // पढमो सुयक्खंधो सम्मत्तो॥ // इति दशममध्ययनम् // श्रु० १अ० 10 // // इति प्रथमः श्रुतस्कन्धः // 1 // // अथ सुखविपाकाख्यो द्वितीयः श्रुतस्कन्धः // // अथ सुबाहुनामकं प्रथममध्ययनम् // तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णगरे गुणसिले चेइए सोहम्मे समोगढे, जंबू जाव पज्जूवासमाणे एवं वयासी-जति णं भंते ! समणेणां जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं अयमढे पराणत्ते सुहविवागाणं भंते ! समोणं जाव संपत्तेगां के पट्टे पन्नत्ते ?, तते णं से सोहम्मे अणगारे जंबू अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! समणेणां जाव संपत्तेगां सुहविवागागां दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-सुबाहू 1 भदनंदी 2 य, सुजाए य 3 सुवासने 4 / तहेव जिणदासे 5, धणपती य 6 महब्बले 7 // 1 // भद्दनंदी 8 महच्चंदे 1 वरदत्ते 10 / 1 / जति णं भंते ! समणेगां जाव संपत्तेगां सुह Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 488 ] [ श्रीमदाममसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः विवागाणां दस अज्झयणा पत्नत्ता पढमस्स [ भंते ! अझयणस्स सुहविवागाणां जाव संपत्तेगां के अट्ठ पराणते ?, तते गां से सुहम्मे श्रणगारे जंबू श्रणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! तेगां कालेगां तेगां समएगां हथिसीसे नाम णगरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे, तस्स गां हथिसीसस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ गां पुष्फकरंडए णामं उजाणो होत्था सब्बोउय-पुप्फफलसमिद्धे रम्मे नंदणवणप्पगासे पासाईए तत्थ गां कयवणमालपियस्स जक्खस्स जवखाययणो होत्था दिव्वे० 2 / तत्थ गां हत्थिसीसे णगरे अदीणसत्तू णामं राया होत्था महता जाव महिंदसारे, तस्स गां श्रदीणसत्तुस्स रन्नो धारणीपामोक्खं देवीसहस्सं पोरोहे यावि होत्था 3 / तते गां सा धारणी देवी अन्नया कयाइ तंसि तारिसगंसि वासभवगांसि(घरंसि) सीहं सुमिणो पासति जहा मेहस्स जम्मणां तहा भाणियव्वं जाव सुबाहुकुमारे जाव अलं भोगसमत्थं वा जागोंति 2 अम्मापियरो पंच पासायवडिंसगसयाई करावेंति अभुग्गय-मूसियपहसिए भवां 4 / एवं जहा महावलस्स रनो, णवरं पुप्फचूलापामोक्खायां पंचराहं रायवरकन्नयसया एगदिवसेणां पाणिं गिराहावेंति, तहेव पंचसतियो दायो जाव उप्पिं पासायवरगते फुट्ट माणेहिं जाव विहरति 5 / तेणां कालेगां तेषां समागां समगो भगवं महावीरे समोसढे समोसरणं परिसा निग्गया अदीणसत्तू निग्गते, जहा कोणिो निग्गतो सुबाहूवि जहा जमाली तहा रहेणं निग्गते जाव धम्मो कहियो रायपरिसा पडिगया 6 / तते णं से सुबाहुकुमारे समगास्स भगवयो महावीरस्म अंतिए धम्म सोचा निसम्म हट्टतुट्टे उट्ठाए उट्ठति जाव एवं वयासी-सदहामि णं भंते ! निग्गंथं पारयणं पत्तियामि णं भंते ! निग्गंथं पावयगां जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर जाव पव्वयंति, नो खलु अहं तहा संचाएमि पव्वइत्तए, अहरणं देवाणुप्पियाणं अंतिए पंचअणुब्बइयं सत्तसिक्खावइयं गिहिधम्म पडिवजामि, अहाहं देवाणु Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् / शु० 2 : अध्ययनं 1 ] [ 489 प्पिया ! मा पडिबंधं करेह 7 / तते णं से सुबाहू समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं गिहिधम्म पडिवज्जति 2 तमेव चाउग्घंटं श्रारारहं दुरूहति जामेव दिसं पाउभूते तामेव दिसिं पडिगए 8 | तेणं कालेणं तेगां समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभई जाव एवं वयासी-ग्रहो णं भंते ! सुबाहुकुमारे इ? इटरूवे कते कंतरूवे पिए 2 मणुन्ने 2 मणामे 2 सोमे 2 सुभगे 2 पियदंसणे सुरूवे, बहुजणस्सवि य णं भंते ! सुबारकुमारे इ8 5 सोमे 4 साहुजणस्सवि य गां भंते ! सुबाहुकुमारे इ8 इट्ठरुवे 5 जाव सुरूवे, सुबाहुणा भंते ! कुमारेगां इमा एयाख्वा उराला माणुस्सरिद्धी किन्ना लद्धा ? किराणा पत्ता ? किराणा अभिसमन्नागया ? के वा एस श्रासि पुव्वभवे ?, एवं खलु गोयमा ! तेगां कालेगां तेगां समएगां इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हथिणाउरे णामं णगरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे, तत्थ णं हथिणाउरे णगरे सुमुहे नाम गाहावई परिवसइ अड्ढे जाव अपरिभूए 1 / तणां कालेगां तेगां समएगां धम्मघोसा णाम थेरा जातिसंपन्ना जाव पंचहिं समणासएहिं सद्धिं संपरिखुडा पुव्वाणुपुरि चरमाणा गामाणुगामं दूइज्जमाणा जेणेव हथिणाउरे णगरे जेणेव सहस्संबवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ 2 ता ग्रहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता णं संजमेगां तवसा अप्पाणां भावेमाणा विहरन्ति, तेणं कालेगां तेषां समएगां धम्मघोसागां थेराणां अंतेवासी सुदत्ते णाम श्रणगारे उराले जाव लेस्से मासंमासेगां खममाणे विहरति 10 / तए गां से सुदत्ते अणगारे मासक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीऐ सज्झायं करेति जहा गोयमसामी तहेव धम्मघोसे सुधम्मे थेरे यापुच्छति जाव अडमाणे सुमुहस्स गाहावतिस्स गेहे अणुप्पविटे, तए णां से सुमुहे गाहावती सुदत्तं अणगारं एजमाणां पासति 2 त्ता हट्टतुट्टे श्रासणातो अब्भुट्ठति 2 पायपीढायो पञ्चोरहति 2 पाउयातो श्रोमुयति 2 एगसाडियं Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 160 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थों विभागः उत्तरासंगं करेति 2 सुदत्तं अणगारं सत्तट्ट-पयाई अणुगच्छति 2 ता तिक्खुत्तो पायाहिणपयाहिगां करेइ 2 त्ता वंदति णमंसति 2 जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छति 2 ता सयहत्थेगां विउलेणं असणपाणेणं 4 पडिलाभेस्सामीति तुढे 11 / तते णं तस्स सुमुहस्स (सुहम्मस्स) गाहावइस्स तेणं दव्वसुद्धेणं गाहगसुद्धेणं दायगसुद्धेणं (पडिगाहगसुद्धेणं) तिविहेणं तिकरणसुद्धेणं सुदत्ते अणगारे पडिलाभिए समाणे संसारे परित्तीकते मणुस्साउते निबद्धे गेहंसि य से इमाइं पंच दिव्वाइं पाउब्भूयाई, तंजहा-वसुहारा वुट्टा दसद्धवन्ने कुसुमे निवातिते चेलुक्खेवे कए ग्राहयात्रो देवदुदुहीयो अंतरावि य णं आकासे हो दानमहो दानं पुढे य 12 / हथिणाउरे सिंघाडग जाव पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवं बाइक्खति ४-धराणे णं देवाणुप्पिए ! सुमुहे गाहावई 5 [ सुकयपुन्ने कयलक्खयो सुलद्धे णं मणुस्सजम्मे सुकयत्थे ] जाव तं धन्ने णं देवाणुप्पिया ! सुमुहे गाहावई एवं जाव कयत्थे णं देवाणुप्पिया सुमुहे गाहावई 13 / तते णं से सुमुहे गाहावई बहूई वाससताई पाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किचा इहेव हत्थिसीसे णगरे श्रदीणसत्तुस्स रन्नो धारणीए देवीए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववन्ने, तते णं सा धारणी देवी सयणिज्जसि सुत्तजा. गरा 2 श्रोहीरमाणी 2 तहेव सीहं पासति सेसं तं चेव जाव उर्षि पासाए विहरति, तं एवं खलु गोयमा ! सुबाहुणा इमा एयाख्वा माणुस्सरिद्धी लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया, पभू णं भंते ! सुबाहुकुमारे देवाणुप्पियागां अंतिए मुंडे भवित्ता अगारायो अणगारियं पव्वइत्तए ?, हंता पभू, तते णं से भगवं गोयमे समां भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 संजमेगां तवसा अप्पाणां भावमाणे विहरति 14 / तते णं से समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ हत्थिसीसायो णगरायो पुप्फगउजाणायो कयवणमालजक्खाययणायो पडिणिक्खमति 2 ता बहिया जणवयविहारं विहरति, Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाक-सूत्रम् / / श्रु० 2:: अध्ययनं 1 ] [ 491 तते णं से सुबाहुकुमारे समणोवासए जाते अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे विहरति 15 / तते णं से सुबाहुकुमारे अन्नया कयाई चाउद्दसट्टमुट्ठि-पुराणमासिणीसु जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छति 2 त्ता पोसहसालं पमजति 2 ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहति 2 ता दन्भसंथारगं संथरति 2 दम्भसंथारं दुरूहइ दुरूहित्ता अट्ठमभत्तं पगिराहइ पगिरहेता पोसहसालाए पोसहिते अट्ठमभत्तिए पोसहं पडिजागरमाणे विहरति 16 / तए णं तस्स सुबाहुस्स कुमारस्स पुवरत्तावरत्तकालसमयसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अभथिए ५-धराणा णं ते गामागरणगर जाव सन्निबेसा जत्थ गां समणे भगवं महावीरे जाव विहरति, धन्ना णं ते राईसरतलवर जे णं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतिए मुंडा जाव पवयंति, धन्ना णं ते राईसरतलवर जे णं समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए पंचाणुव्वइयं जाव गिहिधम्म पडिवजंति, धन्ना णं ते राईसर जाव जे णं समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतिए धम्मं सुगोंति, तं जति णं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुब्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे इहमागच्छिज्जा जाव विहरिजा, तते णं अहं समणस्स भगवयो अंतिए मुंडे भवित्ता जाव पव्वएजा 17 / तते णं समणे भगवं महावीरे सुबाहुस्स कुमारस्स इमं एयारूवं अज्झत्थियं जाव वियाणित्ता पुव्वाणुपुलिं जाव दूइजमाणे जेणेव हत्थिसीसे णगरे जेणेव पुप्फगउजाणे जेणेव कयवणमालपियस्स जवखस्स जक्खाययणो तेगोव उवागच्छइ उवागच्छित्ता ग्रहापडिरूवं उग्गहं गिरिहत्ता संजमेणां तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति, परिसा राया निग्गया 18 / तते णं तस्स सुबाहुयस्स कुमारस्स तं महया जहा पढमं तहा निग्गयो धम्मो कहियो परिसा राया पडिगया 11 / तते णं से सुबाहुकुमारे समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ट जहा मेहे तहा अम्मापियरो श्रापुच्छति णिक्खमणाभिसेयो तहेव जाव अणगारे Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हि विविहि त मासियाए सलात समाहित दवलोगारो भाभिहिद 162] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः जाते ईरियासमिए जाव बंभयारी 20 / तते णं से सुबाहू अणगारे समणस्स भगवश्रो महावीरस्स तहारूवाणां थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एकारस अंगाई अहिजति 2 बहूहिं चउत्थछट्ठम-दसम-दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं विविहेहिं तवोविहाणेहिं अप्पाणं भावित्ता बहूई वासाई सामन्नपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सढि भत्ताई श्रणसणाए छेदित्ता पालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववन्ने 21 / से णं ततो देवलोगायो श्राउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतर चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिइ 2 केवलं बोहिं बुझिहिति 2 तहाख्वाणं थेराणं अंतिए मुंडे जाव पव्वइ. स्सति 22 / से णं तत्थं बहूई वासाइं सामगणं पाउणिहिइ 2 बालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालगते सणंकुमारे कप्पे देवत्ताए उववन्ने 23 / सेणं ताश्रो देवलोयाश्रो ततो माणुस्सं पव्वजा बंभलोए माणुस्सं ततो महासुक्के ततो माणुस्सं आणते देवे ततो माणुस्सं ततो श्रारणे देवे .ततो माणुस्सं सवट्ठसिद्धे, से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता महाविदेहे वासे जाव अड्डाइं जहा दढपइन्ने सिज्झिहिति 24 / एवं खलु जंबू / समणेणं जाव संपत्तेणं सुहविवागाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नते 25 // सू० 31 // इति पढमं अज्मयणं समत्तं // // इति प्रथममध्ययनम् // श्रु. २--अ० 1 आदितः-११॥ // अथ भद्रनन्दी-नामकं द्वितीय-मध्ययनम् / बितियस्स णं उक्लेवो-एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं उसभपुरे णगरे थूमकरंडउजाणे धन्नो जक्खो धणावहो राया सरस्सई देवी सुमिणदंसणं कहणं जम्मणं बालत्तणं कलायो य, जुव्वणे पाणिग्गहणं दायो पासादवरगए भोगा य, जहा सुबाहुस्स नवरं भद्दनंदी कुमार सिरि Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विषाकसूत्रम् / श्रु० 2 // अध्ययनं 3-4-5 ] [493 देवीपामोक्खाणं पंचसया, सामीसमोसरणं सावगधम्मं पुव्वभवपुच्छा, महाविदेहे वासे पुंडरीकिणी णगरी विजयते कुमारे जुगवाहू तित्थयरे पडिलाभिए माणुस्साउए निबद्धे, इहं उप्पन्ने, सेसं जहा सुबाहुयस्स जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुझिहिति मुचिहिति परिनिव्वाहिति सब्बदुक्खाणमंतं करेहिति // सू० 32 // बितियं अज्झयणं समत्तं // // इति द्वितीयमध्ययनम् // श्रु० 2 अ०-२ आदितः 12 // .. // अथ सुजाताख्यं तृतीयमध्ययनम् // तबस्स उक्खेवो, वीरपुरं गागरं मणोरमं उजाणं, वीरकराहमित्ते राया, सिरी देवी, सुजाए कुमारे, बलसिरीपामोक्खा पंचसयकन्ना, सामीसमोसरणं पुब्बभवपुच्छा, उसुयारे नयरे उसभदत्ते गाहावई पुप्फदत्ते अणगारे पडिलाभे मणुस्साउए निबद्धे, इह उप्पन्ने जाव महाविदेहे वासे सिज्मिहिति // सू० 33 // सुहविवागे तइयं अज्झयणं समत्तं // 3 // ... // अथ सुवासवाख्यं चतुर्थमध्ययनम् // चोत्थस्स उक्खेवो-विजयपुरं णगरं, गंदणवणं [ मणोरमं ] उजाणं, असोगो जक्खो, वासवदत्ते राया, कराहा देवी, सुवासवे कुमारे, भद्दापामोक्खाणं पंचसया जाव पुव्वभवे कोसंबी णगरी, धणपाले राया, वेसमणभद्दे श्रणगारे, पडिलाभिते इह जाव सिद्धे // सू० 34 // चोत्यं अज्झयणं समत्तं // 4 // // अथ जिनदासाख्यं पञ्चममध्ययनम् // . . पंचमस्स उक्खेवो-सोगंधिया णगरी नीलासोए उजाणे, सुकालो जक्खो, अप्पडिहश्रो राया, सुकन्ना देवी, महचंदे कुमारे, तस्स अरहदत्ता Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः भारिया, जिणदासो पुत्तो, तित्थयरागमणं, निणदासपुब्वभवो, मज्झमिया णगरी, मेहरहो राया, सुधम्मे अणगारे, पडिलाभिए जाव सिद्धे, // सू० 35 // पंचमं यज्झयणं समत्तं // 5 // // अथ धनपतिनामकं षष्ठमध्ययनम् // छठुस्स उक्लेवयो-कणगपुरं एगर सेयासोयं उजाणं, वीरभद्दो जक्खो, पियचंदो राया, सुभदा देवी, वेसमणे कुमारे जुवराया, सिरीदेवीपामोक्खा पंचसया कन्ना पाणिग्गहणं, तित्थयरागमणं, धनवती जुवरायापुत्ते जाव पुत्वभवो, मणिवया नगरी, मित्तो राया, संभूतिविजए अणगारे पडिलाभिते जाव सिद्धे // सू० 36 // छ8 अज्झयणं समत्तं // 6 // // अथ महाबलाख्यं सप्तममध्ययनम् / / सत्तमस्स उक्खेवो, महापुरं णगरं रत्तासोगं उजाणं, रत्तपात्रो जक्खो, बले राया, सुभदा देवी, महब्बले कुमारे, रत्तवईपामोक्खा पंचसया कना पाणिग्गहणं, तित्थयरागमणं जाव पुवभवो, मणिपुरं णगरं, णागदत्ते गाहावती, इंदपुरे अणगारे पडिलाभिते जाव सिद्धे // सू० 37 // सत्तम अज्मयणं समत्तं // 7 // // अथ भद्रनन्दीनामकं अष्टममध्ययनम् // . अट्ठमस्स उक्खेवो-सुघोसं णगरं देवरमणं उजाणं, वीरसेणो जक्खो, अजुराणो राया, तत्तवती देवी, भद्दनंदी कुमारे, सिरोदेवीपामोक्खा पंचसया जाव पुब्बभवे, महाघोसे णगरे, धम्मघोसे गाहावती, धम्मसीहे अणगारे पडिलाभिए जाव सिद्धे // सू० 38 // अट्ठमं अज्झयणं समत्तं // 8 // Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् / / श्रु० 2 :: अध्ययनं 9.10 ] [ 465 - // अथ महाचन्द्राख्यं नवममध्ययनम् // णवमस्म उक्खेवो-चंपा नगरी पुन्नभद्दे उजाणे, पुन्नभदो जवखो, दत्ते राया, रत्तवई देवी, महचंदे कुमारे जुवराया, सिरिकंतापामोक्खा णं पंचसया कन्ना जाव पुव्वभवो, तिगिञ्छी णगरी, जियसत्तू राया, धम्मवीरिये श्रणगारे पडिलाभिए जाव सिद्धे // सू० 31 // नवमं अज्झयणं समत्तं // 1 // . // अथ वरदत्ताख्यं दशममध्ययनम् // जति णं दसमस्स उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं साएयं णामे णगरे होत्था उत्तरकुरू उजाणे, पासमियो जक्खो, मित्तनंदी राया, सिरिकता देवी, वरदत्ते कुमारे वरसेणपामोक्खा णं पंच देवीसया, तित्थयरागमणं, सावगधम्म पुव्वभवो पुच्छा, मणुस्साउए निबद्धे, सतवारे नगरे, विमलवाहणे राया, धम्मरचिनामं श्रणगारं एजमाणं पासति 2 . पडिलाभिते समाणे मणुस्साउते निबद्धे, इहं उप्पन्ने, सेसं जहा सुबाहुयस्स कुमारस्स चिंता जाव पव्वजा, कप्पंतरियो जाव सव्वट्ठसिद्धे ततो महाविदेहे जहा दढपइन्नो जाव सिझहिति बुझिहिति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति // एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सुहविवागाणं दसमस्स अज्झयणस्स श्रयम? पन्नत्ते, सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति। सुहविवागा॥ सू० 40 // दसमं अज्झयणं समत्तं // // इति दशममध्ययनम् // श्रु० 2 अ० 10 आदितः 20 // // इति द्वितीयः श्रुतस्कन्धः॥ Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 466 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विभाग नमो सुयदेवयाए-विवागसुयस्स दो सुयक्खंधा दुहविवागो य सुहविवागो य, तत्थ दुहविवागे दस अज्झयणा एकसरगा दससु चेव दिवसेसु उदिसिज्जंति, एवं सुहविवागेवि, सेसं जहा आयारस्स // इति एकारसमं अंगं समत्तं // 11 // ग्रन्थागं 1250 // // इति श्री विपाकसूत्रम् // 11 // S Ata.000000000000000ment. o तपोमूर्ति पूज्याचार्य देव श्रीमद्विजयकपूरसूरीश्वर-पट्टधर-हालार-देशोद्धारक-कविरत्न-पूज्याचार्य देव---श्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-विनेय--पन्यासनई जिनेन्द्रविजय-गणिवरेण संशोधिते सम्पादिते च / श्रीमदागमसुधा-सिन्धौ चतुर्थो विभागः ___श्रीमज्ञातासूत्र-श्रीमदुपासकदशासूत्र-श्रीमदन्तकृद्दशासूत्र-श्रीमदनुत्तरोपपातिकदशासूत्र-श्रीमत्प्रश्नव्याकरणसूत्र-श्रीमद् विपाकसूत्रात्मकः समाप्तोऽभूत् / शुभं भवतु श्री श्रमणसङ्घस्य // edecessosh dosedasaskadadestostestestedadeslastestadas destesteste secteesta HEdidesestastesbeedaseteoroesededasesettletestam i000000000000 EI கககககததககததததததததததததததகககககககககககககககககல் P10 န၀၀၀၀ Page #510 -------------------------------------------------------------------------- _