________________ 394 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः ख्वगंधे अणुभवेन्ता(ता) तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं 12 / भुज्जो मंडलिय-नरवरेंदा, सबला, सतेउरा, सपरिमा, सपुरोहियामचदंडनायक-सेणावति-मंति-नीतिकुसला, नाणामणिरयण-विपुलधण-धनसंचय-निही-समिद्धकोसा, रजसिरिं विपुल-मणुभविन्ता(ता) विकोसंता, बलेण मत्ता तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता. कामाणं 13 / भुजो उत्तरकुरु-देवकुरु-वणविवर-पादचारिणो नरगणा भोगुत्तमा भोग-लक्खणधरा, भोग-सस्सिरीया, पसत्थ-सोम-पडिपुराण-रूव-दरसणिज्जा, सुजात-सव्वंगसुदरंगा, रत्तुप्पल-पत्त-कंत-करचरण-कोमलतला, सुपइट्ठिय-कुम्म-चारुचलणा, . श्रणुपुब्ब-सुसंहय(जायपवरंगुलीया, उन्नय-तणुतंब-निद्धनखा, संठित-सुसिलिट्ठ-गूढगोंफा, एणी-कुरुविंद-वत्त-वट्टाणुपुब्बिजंघा, समुग्ग-निसर्ग-गूढजाणू, गयगयण-सुजाय-संनिभोरु च वरवारण-मत्त-तुल्लविकम-विलासितगती, वरतुरगसुजाय-गुज्झदेसा, श्राइन-हयव्य निरुवलेवा, पमुइय-वरतुरग-सीह अतिरेगवट्टियकडी, गंगावत्त-दाहिणावत्त-तरंगभंगुर-रविकिरण-बोहिय-विकोसायंतपम्ह-गंभीर-विगडनाभी, साहत-सोणंद-मुसल-दप्पण-निगरिय-वरकणग-न्छरुसरिस-वर-वइर-बलियमज्मा, उज्जुग-सम-सहिय-जच्चतणु-कसिण-णिद्ध-श्रादेजलडह-सूमाल-मउय-रोमराई, झस-विहग-सुजात-पीणकुच्छी, झसोदरा, पम्हविगडनामा संनत-पासा संतत-पासा, सुदरपासा, सुजातपासा, मित-माइयपीण-रइयपासा,अकरंडुय-कणग-रुयग-निम्मल-सुजाय-निरुवहयदेहधारी, 14 / कणग-सिलातल-पसत्थ-समतल-उवइय-विच्छिन्न-पिहुलवच्छा, जुय-संनिभपीण-रइयपीवर पउट्ठ-संठिय-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-लट्ठ-सुनिचित-घथिर सुबद्धसंधी, पुरवर-वर-फलिह-वट्टियभुया, भुय-ईसर-विपुल भोग-प्रायाण-फलिउच्छूढ-दीहवाहू, रत्त-तलोवतिय-मउय मंसल-सुजाय-लक्खण-पसत्थ-अच्छिद्दजालपाणी पीवर-सुजाय-कोमल-वरंगुली, तंव-तलिण-सुइ-रुइल-निद्धनक्खा, निद्ध-पाणिलेहा, चंदपाणिलेहा, सूरपाणिलेहा, संखपाणिलेहा, चकपाणिलेहा,