________________ [ 231 श्रीज्ञातामधकथाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययन 17 ] दोसो / जं जलणंमि जलंते पडति पयंगो अबुद्धीयो॥ 4 // अगुरु-वरपवर-धूवण-उउय-मल्लाणुलेवण-विहीसु / गंधेसु रजमाणा रमंति घाणिदियवसट्टा // 5 // घाणिदिय-दुईतत्तणस्त ग्रह एतियो हवइ दोसो। जं योसहिगंधेणं बिलायो निद्धावती उरगो॥ 6 // तित्तकडुयं कसायंब-महुरं बहुखज-पेजलेज्मेसु / थासायमि उ गिद्धा रमंति जिभिदियवसट्टा // 7 // जिभिदिय-दुईतत्तणस ग्रह एत्तियो हवइ दोसो / जंगललग्गुक्खित्ता फुरइ थलविरल्लिो मच्छो // 8 // उउ भयमाण-सुहेहि य सविभवहियय-गमण-निव्वुइकरेसु / फासेसु रजमाणा रमंति फासिंदिय-वसट्टा // 6 // फासिंदिय-दुईतत्तणस्स ग्रह एत्तियो हवइ दोसो / जं खणइ मत्थयं कुंजरस्स लोहंकुसो तिक्खो // 10 // कल-रिभिय-महुर-तंती-तल-ताल-वंस-कउहाभिरामेसु / सद्देसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए // 11 // थण-जहणवयण-कर-चरण-नयण-गविय-विलासिय-गतीसु / रूवेसु जे न रत्ता वसट्ट. मरणं न ते मरए // 12 // अगरु-वर-पवर-धूवण-उउय-मल्लाणुलेवण-विहीसु / गंधेसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए // 13 // तित्तकडुयं कसायंबमहुरं बहुखज-पेजलेझेसु / श्रासाये जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए // 14 // उउ-भयमाण-सुहेसु य सविभव-हियय-मणणिव्वुइकरेसु। फासेसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए // 15 // सद्देसु य भद्दयपावएसु सोयविसयं उवगएसु / तु?ण व रु?ण व समणेण सया ण होयव्वं // 16 // रूवेसु य भद्दग-पावएसु चक्खुविसयं उवगएसु / तुटेण व रु?ण व समणेण सया ण होयव्वं // 17 // गंधेसु य भद्दयपावएसु घाणविसयं उवगएसु / तु?ण व स्टेण व समणेण सया ण होयव्वं // 18 // रसेसु य भयपावएसु जिन्भविसयं उवगएसु / तु?ण व रु?ण व समोण सया ण होयव्वं // 11 // फासेसु य भद्दयपावएसु कायविसयं उवगएसु / तुटण व रुटेण व समणेण सया ण होयव्वं // 20 // एवं