________________ 232 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागा खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तरसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्तेत्तिबेमि // सूत्रं 141 // सत्तरसमं नायज्झयणं समत्तं // // इति सप्तदशमध्ययनम् // 17 // // 18 // अथ श्रीसुसुमाख्यं अष्टादशमध्ययनम् // जति गां भंते ! समणेगां जाव संपत्तेगां सत्तरसमस्स नायज्झयणस्स श्रयम? पण्णत्ते अट्ठारसमस णं भंते ! नायज्झयणस्स समणेगां जाव संपत्तेगां के अट्ठ पन्नत्ते ?, एवं खलु जंबू ! तेगां कालेणं 2 रायगिहे णामं नयरे होत्था वराणो 1 / तत्थ णं धराणे सत्थवाहे भद्दा भारिया, तस्स णं धाणस्म सत्यवाहस्स पुत्ता भदाए अत्तया पंच सत्थवाहदारगा होत्था, तंजहा-धणे धणपाले धणदेवे धणगोवे धणरक्खिए, तस्स णं धणस्स सत्थवाहस्स धूया भदाए अत्तया पंचराहं पुत्ताणं अणुमग्गजातीया सुसुमाणाम दारिया होत्था सूमालपाणिपाया 2 / तस्स णं धराणस्स सत्थवाहस्स चिलाए नाम दासचेडे होत्था यहीण-पंचिंदियसरीरे मंसोवचिए बाल-कीलावण-कुसले यावि होत्था, तते णं से दासचेडे सुसुमाए दारियाए बालग्गाहे जाए यावि होत्था, सुसुमं दारियं कडीए गिराहति 2 बहूहिं दारएहि य दारियाहि य डिभएहि य डिभियाहिं य कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धिं अभिरममाणे 2 विहरति 3 / तते णं से चिलाए दासचेडे तेसिं बह णं दारियाण य 6 अप्पेगंतियाणं खल्लए अवहरति, एवं वट्टए श्राडो. लियातो तेंदुसए पोत्तुल्लए साडोल्लए अप्पेगतियाणं श्राभरणमल्लालंकार अवहरति अप्पेगतिया पाउस्सति एवं अवहसइ निच्छोडेति निब्भच्छेति तज्जेति अप्पेगतिया तालेति, तते णं ते बहवे दारगा य 6 रोयमाणा य 5 साणं 2 अम्मापिऊणं णिवेदेति तते णं तेसिं बह णं दारगाण य 6 अम्मापियरो जेणेव धरणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छंति धरणं सत्थवाहं