________________ श्रीमद्-विषाकसूत्रम् / श्रु० 2 // अध्ययनं 3-4-5 ] [493 देवीपामोक्खाणं पंचसया, सामीसमोसरणं सावगधम्मं पुव्वभवपुच्छा, महाविदेहे वासे पुंडरीकिणी णगरी विजयते कुमारे जुगवाहू तित्थयरे पडिलाभिए माणुस्साउए निबद्धे, इहं उप्पन्ने, सेसं जहा सुबाहुयस्स जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुझिहिति मुचिहिति परिनिव्वाहिति सब्बदुक्खाणमंतं करेहिति // सू० 32 // बितियं अज्झयणं समत्तं // // इति द्वितीयमध्ययनम् // श्रु० 2 अ०-२ आदितः 12 // .. // अथ सुजाताख्यं तृतीयमध्ययनम् // तबस्स उक्खेवो, वीरपुरं गागरं मणोरमं उजाणं, वीरकराहमित्ते राया, सिरी देवी, सुजाए कुमारे, बलसिरीपामोक्खा पंचसयकन्ना, सामीसमोसरणं पुब्बभवपुच्छा, उसुयारे नयरे उसभदत्ते गाहावई पुप्फदत्ते अणगारे पडिलाभे मणुस्साउए निबद्धे, इह उप्पन्ने जाव महाविदेहे वासे सिज्मिहिति // सू० 33 // सुहविवागे तइयं अज्झयणं समत्तं // 3 // ... // अथ सुवासवाख्यं चतुर्थमध्ययनम् // चोत्थस्स उक्खेवो-विजयपुरं णगरं, गंदणवणं [ मणोरमं ] उजाणं, असोगो जक्खो, वासवदत्ते राया, कराहा देवी, सुवासवे कुमारे, भद्दापामोक्खाणं पंचसया जाव पुव्वभवे कोसंबी णगरी, धणपाले राया, वेसमणभद्दे श्रणगारे, पडिलाभिते इह जाव सिद्धे // सू० 34 // चोत्यं अज्झयणं समत्तं // 4 // // अथ जिनदासाख्यं पञ्चममध्ययनम् // . . पंचमस्स उक्खेवो-सोगंधिया णगरी नीलासोए उजाणे, सुकालो जक्खो, अप्पडिहश्रो राया, सुकन्ना देवी, महचंदे कुमारे, तस्स अरहदत्ता