________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् में अध्ययनं 8 ] [ 307 2 हट्ट जाव हियए भगवं गोयमं वन्दइ नमसइ, तए णं से भगवं गोयमे महासययं समणोवासयं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया / समणे भगवं महावीरे एवामाइक्खइ भासइ पराणवेइ परूवेइ-नो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया ! समणोवासगस्त अपच्छिम जाव वागरित्तए, तुमे णं देवाणुप्पिया ! रेखई गाहावइणी सन्तेहिं जाव वागरिया, तं णं तुमं देवाणुप्पिया ! एयस्स ठाणस्स बालोएहि जाव पडिवजाहि 4 / तए णं से महासयए समणोवासए भगवत्रो गोयमस्स तहत्ति एयम४ विणएणं पडिसुणेइ 2 तस्स ठाणस्स बालोएइ जाव अहारिहं च पायच्छित्तं पडिवजइ, तए णं से भगवं गोयमे महासयगस्त समणोवासयस्स अन्तियागो पडिणिक्खमइ 2 रायगिहं नगरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ 5 / तए णं समणे भगवं महावीरे अनया कयाई रायगिहायो नयरायो पडिनिक्खमइ 2 बहिया जणवयविहारं विहरइ 6 // सू० 53 // तए णं से महासयए समणोवासए बहूहिं सील जाव भावेत्ता वीसं वासाई समणोवासग-परियायं पाउणित्ता एक्कारस उवासगपडिमायो सम्म कारणं फासित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सर्टि भत्ताई श्रणसणाए छेदेत्ता बालोइयपडिकन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणवडिसए विमाणे देवत्ताए उववन्ने / चत्तारि पलियोवमाई ठिई / महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ // निक्खेवो // सू० 54 // सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं अट्ठमं अज्झयणं समत्तं // ... // इति अष्टममध्ययनम् // 8 //