________________ कुलाणादाणं गवेसमाणालित्वयण-अवसई , वेयालाष्ट्राधाबीन 386 [ श्रीमदाणमसुधासिन्धुर / चतुर्थो पिनागर निरावयक्खा गामागर-नगर-खेड-कबड-मडंब-दोणमुह-पट्टणा-समणिगम-जणवय ते य धणसमिद्धे हणंति, थिरहिया य छिन-लज्जा बंदिग्गाह-गोग्गहे य गेराहंति, 13 / दारुणमती णिकिवा णियं हणंति. छिदंति गेहसंधि, निक्खित्ताणि य हरंति, धण-धन-दव्वजायाणि जणवयकुलाणं णिग्धिणमती परस्स दब्बाहिं जे अविरया 14 / तहेव केई अदिन्नादाणं गवेसमाणा कालाकालेसु संचरंता चियका-पजलिय-सरस-दरदवकड्डिय-कलेवरे रुहिर-लित्त-वयण-अखत(अदर)खातिय-पीत-डाइणि भमंतभयकर-जंबुयक्खिक्खियंते, घुय कय-घोरसद्दे, वेयालुट्ठिय-निसुद्ध-कहकहितपहसित-बीहणक-निरभिरामे, अति-बीभन्छ-दुन्भि-गंध, (दुरभिगंध)बीभच्छ-दरसणिज्जे सुसाण-वण-सुन्नघर-लेण-अंतरावण-गिरिकंदर-विसम-सावय-समाकुलासु वसहीसु किलिस्संता, सीतातव-सोसिय-सरीरा-दड्डच्छवी निरय-तिरिय-भवसंकड दुक्ख-संभार-वेयणिजाणि पावकम्माणि संचिणंता, 15 / दुलहभक्खन्न-पाणभोयणा, पिवासिया, झुझिया, किलंता, मंस कुणिम-कंदमूलजंकिचि कयाहारा, उब्विगा, उप्पुया, असरणा, अडवी वासं उर्वति 16 / वाल-सत-संकणिज्ज अयसकरा तकरा भयंकरा कस्स हरामोत्ति अज दव्वं इति सामत्थं करेंति, गुज्झं बहुयस्स जणस्स कजकरणेसु विग्धकरा मत्तपमत्त-पसत्त-वीसत्थ-छिद्दघाती वसणभुदएसु हरणबुद्धि विगव्व-रुहिर महिया परेंति नरवति-मजाय-मतिकता सजण-जण-दुगंछिया सकम्मेहिं पावकम्मकारी असुभ-परिणया य दुक्खभागी निचाउल-दुहमनिव्वुइमणा इहलोके चेव किलिस्संता परदव्वहरा नरा वसणसय-समावराणा 17 // सू० 11 // तहेव केइ परस्स दव्वं गवेसमाणा गहिता य हया य बद्धरुद्धा य तुरियं अतिधाडिगा पुरवरं समप्पिया चोरग्गह-चार-भड-चाडुकराण तेहि य कप्पडप्पहार-निद्दयारक्खिय-खर-फरुसवयण-तज्जण-गलच्छल्लुच्छलणाहिं विमणा चारगवसहिं पवेसिया निरय-वसहि-सरिसं तत्थवि 1 / गोमिय