________________ 282] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः विहरइ 1 / तए णं से कामदेवे समणोवासए बहूहिं जाव भावेत्ता वीसं वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता एकारस उवासगपडिमायो सम्म कारणं फासेत्ता मासियाए संलेहणाऐ अप्पाणं झूसित्ता सहि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता पालोइय-पडिकन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरच्छि(त्थि)मेणं अरुणाभे विमाणे देवत्ताए अवन्ने 2 / तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलियोवमाई ठिई पराणत्ता कामदेवस्स वि देवस्स चत्तारि पलिश्रोवमाई ठिई पराणत्ता, से णं भन्ते ! कामदेवे तायो देवलोगायो पाउक्खएणं भवक्खएणं ठिक्खएणं अणन्तरं चयं चइत्ता कहिं गमिहिइ कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! महाहिदेहे वासे सिज्झिहिइ ३।निक्खेवो॥ सू० 26 // // सत्तमस्स अगस्स उवासगदसाणं बीयं अज्झयणं समत्तं // // इति द्वितीयमध्ययनम् // 2 // // 3 // अथ श्री चुलनीपितृनामकं तृतीयमध्ययनम् // उक्लेवो तइयस्स अज्झयणस्स–एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी, कोट्टए (महा-कामवणे) चेइए जियसत्तू राया 1 / तत्थ णं वाणारसीए नगरीए चुलणीपिया ना गाहावई परिवसइ, अड्ढे जाव अपरिभूए, सामा भारिया 2 / अट्ठ हिरराणकोडीयो निहाणपउत्तायो अट्ठ वुडिपउत्तायो पट्ट पवित्थरपउत्तायो अट्ट वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं जहा प्राणन्दो राईसर जाव सव्वकज्जवट्टावए यावि होत्था, 3 / सामी समोसढे, परिसा निग्गया, चुलणीपियावि जहा श्राणन्दो तहा निग्गयो, तहेव गिहिधम्म पडिवजइ, गोयमपुच्छा तहेव सेसं जहा कामदेवस्स जाव पोसहसालाए पोसहिए बम्भचारी समणस्स भगवो महावीरस्स अन्तियं धम्मपराणत्तिं उवसम्पजित्ता णं विहरइ 4 // सू० 27 //