________________ 466 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्थो विभाग नमो सुयदेवयाए-विवागसुयस्स दो सुयक्खंधा दुहविवागो य सुहविवागो य, तत्थ दुहविवागे दस अज्झयणा एकसरगा दससु चेव दिवसेसु उदिसिज्जंति, एवं सुहविवागेवि, सेसं जहा आयारस्स // इति एकारसमं अंगं समत्तं // 11 // ग्रन्थागं 1250 // // इति श्री विपाकसूत्रम् // 11 // S Ata.000000000000000ment. o तपोमूर्ति पूज्याचार्य देव श्रीमद्विजयकपूरसूरीश्वर-पट्टधर-हालार-देशोद्धारक-कविरत्न-पूज्याचार्य देव---श्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-विनेय--पन्यासनई जिनेन्द्रविजय-गणिवरेण संशोधिते सम्पादिते च / श्रीमदागमसुधा-सिन्धौ चतुर्थो विभागः ___श्रीमज्ञातासूत्र-श्रीमदुपासकदशासूत्र-श्रीमदन्तकृद्दशासूत्र-श्रीमदनुत्तरोपपातिकदशासूत्र-श्रीमत्प्रश्नव्याकरणसूत्र-श्रीमद् विपाकसूत्रात्मकः समाप्तोऽभूत् / शुभं भवतु श्री श्रमणसङ्घस्य // edecessosh dosedasaskadadestostestestedadeslastestadas destesteste secteesta HEdidesestastesbeedaseteoroesededasesettletestam i000000000000 EI கககககததககததததததததததததததகககககககககககககககககல் P10 န၀၀၀၀