________________ नामवनव्याकरणदाज अध्ययन 3 ] 5 संजमो 6 परधर्णमि गेही 7 लोलिक्क 8 तकरतणंति य 1 अवहारो 10 हत्थलहुतणं 11 पावकम्मकरणं. 12 तेणिक्कं 13 हरणविप्पणासो 14 अादियणा 15 लुपणा धणाणं 16 अपचयो 17 अ(यो)वीलो 18 अक्खेवो 11 खेदो 20 विक्खेवो 21 कूडया 22 कुलमसी य 23 कंखा 24 लालप्पणपत्थणा य (प्रासायणा य) 25 श्राससणा य वसणं 26 इच्छामुच्छा य 27 तराहागेहि 28 नियडिकम्म 21 अपरच्छंतिवि य 30 तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेजाणि होति तीसं अदिन्नादाणस्स पाव-कलि-कलुसकम्म-बहुलस्स अणेगाइं // सू० 10 // तं पुण करेंति चोरियं तकरा परदब्बहरा, छेया कयकरण-लद्धलक्खा, साहसिया, लहुस्सगा अतिमहित्या, लोभगच्छा, दहरोवीलका य, गेहिया, अहिमरा, अणभंजका भग्गसंधिया, रायदुट्ठकारी य विसय-निच्छूट-लोकबज्झा, उद्दोहक-गामघायकपुरघायग-पंथघायग-पालीवग-तिस्थभेया, लहुहत्थ-संपउत्ता, जुइकरा, खंडवखस्थीचोर-पुरिसचोर-संधिच्छेया य, गंथिभेदग-परधणहरण-लोमावहारा अवखेवी (परधणलोमावहार-अक्वेव-) हडकारका, निम्मदग-गूढचोरक-गोचोरग-अस्सचोरग-दासिचोराय, एकचोरा, बोकड्डक-संपदायक-उच्छिपक-सत्थधायक-बिलचोरी(कोली)-कारका य, निग्गाह-विप्पलुपगा, बहुविह-तेणिक(तहव)हरणबुद्धी, एते अन्ने य एवमादी परस्स दबाहि जे अविरया 1 / विपुल-बलपरिग्गहा य बहवे रायाणो परधणंमि गिद्धा, सए व दवे असंतुट्ठा परविसए यहिहणंति ते लुद्धा, परधणस्स कज्जे चउरंग-विभत्त(समत्त)वलसमग्गा, निच्छिय-वरजोह-जुद्ध-सद्धिय-अहमहमिति-दप्पिएहिं सेन्नेहिं संपरिपुडा, पउम-सगड-सूइ-चक-सागर-गरुल-बूहातिएहिं श्रणिएहिं उत्थरंता, अभिभूय हरंति परधणाई 2 / श्रवरे रणसीस-लद्धलक्खा संगामंमि अतिवयंति, सन्नद्ध-बद्ध-परियर-उप्पीलिय-चिंध-पट्ट-गहियाउह-पहरणा, मादि(गूड)-वरकम्म गुडिया, श्राविद्ध-जालिका, कवय-कंक-डइया 3 / उर-सिर-मुहबद्ध