________________ 368 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः णग-कोरंग-भिंगारग-कोणालग-जीवजीवक-तित्तिर-पट्टग-लावग-कपिंजलककवोतक-पारेवग-चटग(चिडिग)--टिंक-कुक्कुड-रमसर--मयूरग-चउरगहयपोंडरीय(सालग)करल(करक)-वीरल-सेण-वायस-विहंग--भेणासिय-चासवग्गुलि-चम्मट्ठिल-विततपक्खी (समुग्गपक्खी)-खहयर-विहाणाकए य एवमादी 5 / जलथलखगचारिणो उ पंचिंदिए पसुगणे वियतिपत्रउरिदिए विविहे जीवे पियजीविए मरणदुक्खपडिकूले वराए हणंति बदुसंकिलिट्टकम्मा 6 / इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं, किं ते ?, चम्म-घसा-मंस-मेय-सोणिय-जग-फिल्फिसमत्थुलुग-हिययंतपित्त-फोफस-दंतहा अद्विमिंज-नह-नयण-कराणराहारुणि-नकधमणि-सिंग दाढि-पिच्छ विस-विसाणवालहेउं हिंसंति य भमरमधुकरिगणे रसेसु गिद्धा तहेव, तेइंदिए सरीरोवकरणट्ठयाए किवणे बेइंदिए बहवे वत्थोहरपरिमंडणट्ठा, अराणेहि य एवमाइएहिं बहूहिं कारणसएहिं अबुहा इह हिंसंति 7 / तसे पाणे इमे य एगिदिए बहवे वराए तसे य अराणे तदस्सिए चेव तणुसरीरे समारंभंति / अत्ताणे, असरणे अणाहे, प्रबंधवे, * कम्मनिगडबद्धे, अकुसलपरिणाम-मंदबुद्धिजणदुन्वि-जाणए पुढविमये पुढवि- संसिए, जलमए, जलगए, अणलाणिल-तणवणस्सइ-गणनिस्सिए य तम्मयतजिए चेव तदाहारे तप्परिणय-वराणगंध-रसफास(फरिस)बोंदिरूवे अचक्खुसे य चक्खुसे य तसकाइए असंखे थावरकाइए य सुहुम-बायर-पत्तेयसरीरनामसाधारणे अणंते हणंति अविजाणयो य परिजाणो य जीवे इमेहिं विविहेहि कारणेहिं, किं ते ?, 8 / करिसण पोक्खरणी-वावि-वप्पिणिकूब-सर-तलाग-चिति-चेतिय-खाइय-धाराम-विहार-धूम-पागार-दार-गोउर-अट्टालग-चरिया-सेउ-संकम-पासाय-विकप्प-भवण-घर-सरण-लयण-श्रावण--चेइयदेवकुल-चित्तसभा-पवा-श्रायतणा-वसह-भूमिघर-मंडवाण य कए भायण-मंडोवगरणस्स य विविहस्स य अट्ठाए पुढवि हिंसंति मंदबुद्धिया 1 / जलं च मजणय-पाण-भोयण-वत्थधोवण-सोयमादिएहिं 10 / पयण-पयावण-जलावण