________________ श्रीमदुपासकदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 1 ] [266 भगवश्री महावीरस्स अनिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ट जाव गिहिधम्म पडियजइ 2 तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरूहइ 2 जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया // सू० 1 // ___भन्ते त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 एवं वयानी-पहू णं भन्ते ! आणन्दे समणोवासए देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुण्डे जाव पव्वइत्तए ?, नो तिणठे समठे, गोयमा ! प्राणन्दे णं समणोवासए बहूई वासाइं समणोवासगरियागं पाउणिहिइ 2 जाव सोहम्मे कप्पे अरुणे विमाणे देवत्ताए उववजिहिइ / तत्थ णं अत्यंगइयाणं देवाणं चत्तारि पलियोवमाई ठिई पराणत्ता / तत्थ णं ग्राणन्दस्सवि समणोवासगस्स चनारि पलिश्रोवमाइं ठिई पराणत्ता। तए णं समणे भगवं ! महावीरे यन्नया कयाइ बहिया जाव विहरइ // सू० 10 // तए णं से प्राणन्दे समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलामेमाणे विहरइ / तए णं सा सिवानन्दा भारिया समणोवासिया जाया जाव पडिलाभेमाणी विहरइ ॥सू० 11 // तए णं तस्स पाणन्दस्स समणोवासगस्स उच्चावहिं सीलव्वयगुणवेरमण-पचक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावमाणस्स चोइस संवच्छराई वइकन्ताई, पराणरसमस्स संवच्छरस्त अन्तरा वट्टमाणस्स अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चिन्तिए पत्थिए मणोगए सङ्कप्पे समुप्पजित्था एवं खलु अहं वाणियगामे नयरे बहूणं राईसर जाव सयस्सवि य णं कुडुम्बस्स जाव अाधारे, तं एएणं विक्खेवेणं अहं नो संचामि समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अन्तियं धम्मपराणत्तिं उबसम्पजित्ता णं विहरित्तए 1 / तं सेयं खलु ममं कल्लं जाव जलन्ते विउलं असणं जहा पूरणो जाव जेट्टपुत्तं कुडुम्बे ठवेत्ता तं मित्तं जाव जेट्टपुत्तं च श्रापुच्छित्ता कोल्लाए सन्निवेसे नायकुलंसि पोसहसालं पडिलेहित्ता समणस्स भगवयो महावीरस्स अन्तियं धम्मपराणत्ति उवसम्पजित्ता णं