________________ श्रीमत्मरनव्याकरणदशाङ्ग-सम् / अध्ययनं 3 1 [ 300 .. लजायिता [अलज्जाविया] अलज्जा, अणुबद्धखुहा, पारद्धा, सी-उराह-तरह वेयण-डुग्घट्ट-घट्टिया, विवन्न-मुह-विच्छविया, विहल-मलिन-दुब्बला, किलंता, कासता, वाहिया य श्रामाभिभूय-गत्ता परूढ-नह-केस-मंसु-रोमा छगमुत्तमि णियगंमि खुत्ता तत्थेव मया अकामका 11 / बंधिऊण पादेसु कडिया खाइयाए छूढा, तत्थ य विग-सुणग-सियाल-कोल-मजार-चंड-संदंसग-तुंडपक्खिगण-विविह-मुह-सय-विलुत्तगत्ता, केइ विहंगा, केइ किमिणा य कुहियदेहा, अणिट्ठवयणेहिं सप्पमाणा, सुट्ठ कयं जं मउत्ति पावो तुडठेणं जणेण हम्ममाणा, लजावणका च होंति सयणस्सवि य दीहकालं 12 / मया संता, पुणो परलोग-समावना नरए गच्छति निरभिरामे अंगारपलित्तक-कप्प-अञ्चत्थ-सीतवेदण-अस्साउदिन्न-सय-तद् दुक्ख-सय-समभिद्दुते 13 / ततीवि उवट्टिया समाणा पुणोवि पवज्जति तिरियजोणिं, तहिंवि निरयोवमं अणुहवंति वेयणं, ते अणंतकालेण जति नाम कहिंवि मणुयभावं लभ ति णेगेहिं णिरयगतिगमण-तिरियभव-सयसहस्स-परिय? हिं 14 / तत्थवि य भमंतऽणारिया नीचकुल-समुप्पण्णा अारियजणेवि लोगवन्झा तिरिक्खभूता य अकुसला कामभोगतिसिया जहिं निबंधति निरयवत्तणिभवप्पवंच-करण-परणोल्लि(या) पुणोवि संसार(रावत्त)गोममूले धम्मसुतिविवजिया अणजा कूरा मिच्छत्तसुति-पवन्ना य होंति एगंत-दंड-रुइणो वेटेंता कोसिकार-कीडोव्व अप्पगं अट्टकम्म-तंतु-घणबंधणेणं 15 / एवं नरग-तिरिय-नर-अमर-गमण-पेरंत-चक्वालं, जम्म-जरा-मरणकरण-गम्भीर-दुक्ख-पक्खुभिय-पउरसलिलं, संजोग-वियोग-वीचीचिंता-पसंग-पसरिय-वह-बंध-महल्ल-विपुल-कलोल-कलुण-विलवितलोभ-कलक-लित-बोलबहुलं, अवमाणण-फेणं, तिब्व-खिसण-पुलंपुलप्पभूय-रोग-वेयण-पराभव-विणिवात-फरुस-धरिसण-समावडिय-कठिणणकम्म-पत्थर-तरंग-रंगंत-निच्च-मच्चुभय-तोयपटुं, कसाय-पायाल-कलस