________________ / श्रीमदार्गमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागी जीयदंडा तुरिय उग्घाडिया पुरवरे सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह पहेसु वेत्तदंड-लउड-कट्ठ-ले?-पत्थर–पणालि-पणोल्लि-मुट्ठिलया-पादपरिहजाणु-कोपर-पहार-संभग्ग महेयगत्ता,७। अट्ठारस-कम्मकारणा, जाइयंगमंगा, कलुणा, सुक्कोट्ठ-कंठ-गलक-तालु-जीहा, जायंता, पाणीयं विगय-जीवियासा, तराहादिया, वरागा तपि य ण लभंति वझपुरिसेहिं निधाडियंता, 8 / तत्थ य खर-फरुस-पडह-घट्टित-कूडग्गह-गाढ-रुट्ठ-निसट्ट-परामुट्ठा, वज्म-करकुडिजुय-नियत्था, सुरत्त कणवीर-गहिय-विमुकुल कठेगुण-वज्मदूत-पाविद्ध मल्लदामा, मरणभयूप्पण्ण-सेद-बायतणेहुनुपिय-किलिन्नगत्ता, चुराणगुडियसरीररयरेणुभरियकेसा, कुसुभ-गोक्किन्न-मुद्धया (कुसुमगोरवन्न-मुद्रेया) छिन्नजीवियासा, घुन्नत्ता, वज्झप्पाणपीया-(याणभीया) तिलं तिलं चेव छिजमाणा, सरीर-विकिन्त-लोहि-श्रोलित्त-कागणिमंसाणि खावियंता, पावा खरफरुसएहिं तालिजमाणदेहा, वातिकर-नरनारि-संपरिवुडा, पेच्छिज्जंता य नागरजणेण वज्झनेवत्थिया पणोज्जति नयरमज्भेण किवणकलुणा, अत्ताणा, असरणा, अणाहा, प्रबंधवा, बंधुविप्पहीणा, विपिक्खिता, दिसोदिसि. मरणभयुब्बिग्गा, आघायण-पडिदुवार-संपाविया, अधन्ना, सूलग्ग-विलग्ग-भिन्नदेहा, ते य तत्थ कीरति परिकप्पियंगमंगा उल्लंबिज्जति रुखसालासु, केइ कलुणाई विलवमाणा, 1 / अवरे चउरंग-धणियबद्धा पव्यय-कडगा पमुच्चंते दूरपात बहुविसम-पत्थर-सहा, अन्ने य गयचलण-मलणय-निम्मदिया कीरंति, पावकारी अट्ठारस-खंडिया य कीरंति मुंड-परसूहि, केइ उक्त्त-कन्नोट्ठ नासा, उप्पाडिय-नयण-दसण-वसणा, जिभिदिय-छिया, छिनकनसिराः पणिज्जते छिजन्ते य, असिणा, निधिसया चिनहत्थपाया पमुच्चंते, जावजीवबंधणा- य कीरंति, केइ परदब-हरण-लुद्धा, कारग्गल-नियल-जुयल-रुद्धा, चारगावहतसारा, 10 / सयण-विप्पमुक्का मित्तजण-निरक्खि(रकि)या, निरासा, बहुजण-धिकार-सह सुलग्ग-विलग मित्रमविग्गा, बाघापा, धुविष्पहीणा,