________________ श्रीमद्-विपकिसत्रम् / श्रु० 1 : अध्ययन 2 ) [545 कामज्झयाए गणियाए सद्धिं संपलग्गे जाते यावि होत्था, कामझयाए गणियाए सद्धिं विउलाई उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई मुंजमाणे विहरति 4 / तते णं तस्स विजयभित्तस्स रन्नो अन्नया कयाइं सिरीए देवीए जोणिसूले पाउन्भूए यावि होत्था, नो संचाएइ विजयमित्ते राया सिरीए देवीए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए 5 / तते णं से विजयमित्ते राया अन्नया कयाई उज्झियदारयं कामझयाए गणियाए गिहायो निच्छुभावेति 2. त्ता कामज्झयं गणियं अभितरियं ठावेति 2 ता कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरति 6 / तते णं से उझियए दारए कामज्झयाए गणियाए गिहायो निच्छुभिए समाणे कामज्झयाए गणियाए मुच्छिए गिद्धे गढिए अझोववन्ने अन्नत्थ कत्थइ सुई च रइं धियं च अविंदमाणे तचित्ते तम्मणे तल्लेसे तदभवसाणे तदट्ठोवउत्ते तपपिपकरणे त भावणाभाविए कामज्झयाए गणियाए बहणि अंतराणि य छिद्दाणि य विवराणि य पडिजागरमाणे 2 विहरति 7 / तते णं से उभियए दारए अन्नया कयाई कामझयाए गणियाए अंतरं लब्भेति, कामज्झमाए गणियाए गिहं रहसियं (रहस्सियगं) श्रणुप्पविसइ 2 त्ता कामझाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरति 8 / इमं च णं मिते राया राहाते जाव पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए मणुस्स-वागुरा-परिक्खित्ते जेणेव कामज्झयाए गणियाए गिहे तेणेव उवागच्छति 2 त्ता तत्थ णं उझियए दारए कामझयाए गणियाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं जाव विहरमाणं पासति 2 ता पासुरुत्ते रु? कुविए चंडिक्कए मिसिमिसीमाणे तिवलियभिउडि निडाले साहटु उज्झिययं दारयं पुरिसेहिं गिराहावेइ 2 ता ट्ठि-मुट्ठि-जाणुकोप्परपहार-संभग्गमहितगत्तं करेति करेत्ता अवउडगबंधां करेति 2 त्ता एएणं विहाणेणां वझं श्राणावेति, एवं खलु गोयमा ! उझियते दारए पुरापोराणाणां कम्माणां