________________ [ श्रीपदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभाग अइभयो) सया निरयगोयराण महाणगर-डज्झमाणसरिसो निग्घोसो सुच्चए, अणिटो तहियं नेरइयाणां जाइज्जंताणां जायणाहिं 11 / किं ते ? असिवण-दब्भवण-जंतपत्थर-सूइतल-क्खारवावि-कलकलंतवेयरणि-कलंबवालुया-जलिय-गुहनिरभणं उसिणोसिण-कंटइल-दुग्गमरहजोयण-तत्तलोह पह(मग्ग)गमण-वाहणाणि इमेहि विविहेहिं आयुहेहिं 12 / किं ते ? मुग्गरमुसुढि-करकय-सत्ति-हल-गय-मुसल-चक्क-कुंत-तोमर-सूल-लउल-भिंडिमालससद्धल-पट्टिस-चम्मेठ्ठ-दुहण-मुट्ठिय-असिखेडग-खग्ग--चाव-नाराय--कणककप्पणि-वासि-परसु-टंकतिक्ख-निम्मल-अराणेहि य एवमादिएहिं असुभेहिं वेउधिएहिं पहरणसतेहिं अणुबद्धतिब्ववेरा परोप्परं वेयणं उदीरंति अभिहणंता 13 / तत्थ य मोग्गर-पहारचुरिणय-मुसुढिसंभग्गमहितदेहा जंतोवपीलण-फुरंतकप्पिया के इत्थ सचम्मका विगत्ता णिम्मूलुल्लूणय-करणोट्ठणासिका छिणहत्यपादा, असि-करकय-तिक्खकोंत-परसुप्पहार-फालियवासीसंतच्छितंगमंगा कलकलमाण-खारपरिसित्त-गाढडझतगत्ता कुंतग्ग-भिगणजज्जरियसब्बदेहा विलोलंति महीतले विसूणियंगमंगा(निग्गयग्गजीहा) 14 / तत्थ य विग-सुणग-सियाल-काक-मजार-सरभ-दीविय-वियग्ध-सद्दूलसीहदप्पिय-खुहाभिभूतेहिं णिचकालमणसिएहिं घोरा रसमाणभीमरूवेहिं अकमित्ता दढदाढा-गाढडक-कडिय-सुतिक्ख-नह-फालियउद्धदेहा विच्छिप्पते समंतयो विमुक्कसंधिबंधणावियंगमंगा कंक-कुरर-गिद्ध-घोरकट्टवायसगणेहि य पुणो खरथिर-दढणक्ख लोहतुडेहिं श्रोववित्ता पक्खा-हय-तिक्ख-णक्खविकिन्नजिभंछिय नयणनिदयालुग्ग-विगतवयणा(गत्ता), उक्कोसंता य उप्पयंता निपतंता भमंता, पुब्बकम्मादयोवगता पच्छाणुसएण डज्झमाणा जिंदंता 15 / पुरेकडाई कम्माइं पावगाइं तहिं तहिं तारिसाणि श्रोसगण-चिकणाई दुक्खातिं अनुभवित्ता तत्तो य आउक्खएणं उघट्टिया समाणा बहवे गच्छंति, तिरियवसहिं दुक्खुत्तारं सुदारुणं जम्मणमरण-जरावाहि-परियट्ट