________________ श्रीमदन्तकृदशाङ्ग-सूत्रम् / वर्गः 5 ] [ 327 पन्नत्ता, तं जहा-जालि 1 मयालि 2 उवयाली 3 पुरिससेणे य 4 वारिसेणे य 5 / पज्जुन्न 6 संब 7 अनिरुद्ध 8 सचनेमी य 1 दढनेमी 10 // 1 // जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं चउत्थस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पत्नत्ता, पढमस्स णं अज्झयणस्स के अढे पनत्ते ?, एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं बारवती णगरी तीसे जहा पढमे कराहे वासुदेवे आहेबच्चं जाव विहरति, तत्थ णं बारवतीए णगरीए वसुदेवे राया धारिणी वन्नतो, जहा गोयमो, नवरं जालिकुमारे पन्नासतो दातो बारसंगी, सोलस वासा परितायो सेसं जहां गोयमस्स जाव सेत्तुञ्ज सिद्धे 1 / एवं मयाली उवयाली पुरिससेणे य वारिसेणे य 2 / एवं पज्जुन्नेवित्ति, नवरं कराहे वासुदेवे पिया रुप्पिणी से माता। एवं संबेवि, नवरं जंबवती माता / एवं अनिरुद्धवि नवरं पज्जुन्ने पिया वेद-भी माया एवं सच्चनेमो, नवरं समुद्दविजये पिता सिवा माता, दढनेमीवि, सव्वे एगमगा, चउत्थस्स वग्गस्स निक्खेवो 3 // सू० 8 // चउत्थो वग्गो समत्तो 4 // .. // // अथ पंचमो वर्गः // जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं चउत्थस्स वग्गस्स अयम? पन्नत्ते पंचमस्स वग्गस्स अंतगडदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-पउमावती 1 य गोरी 2 गंधारी 3 लक्खणा 4 सुमीमा 5 य / जंबवइ 6 सच्चभामा 7 रूप्पिणि 8 मूलसिरि 1 मूलदत्तावि 10 // 1 // 1 / जति णं भंते ! पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झरणा पत्नत्ता, पढमस्त णं भंते ! अज्झयणस्स के अट्टे पन्नत्ते ? एवं जंबू ! तेणं कालेणं 2 बारवती नगरी जहा पढमे जाव कराहे वासुदेवे आहे जाव विहरति, तस्स णं कराहस्स वासुदेवस्स पउमावती नाम