________________ भीमदुपासकदशाङ्ग-त्रम् / अध्ययनं 6 ] [91 संचाएइ कुण्डकोलियस समणोवासयस्स किंचि पामोक्खमाइक्खित्तए नाममुद्दयं च उत्तरिजयं च पुढविसिलापट्टए ठवेइ 2 जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए 5 / तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए इमीसे कहाए लट्ठे हट्ट जहा कामदेवो तहा निगच्छइ जाव पज्जुवासइ, धम्मकहा 6 // सू० 36 // ___ कुण्डकोलिया इ समणे भगवं महावीरे कुराडकोलियं समणोवासयं एवं वयासी-से नूणं कुण्डकोलिया ! कल्लं तुम्भे पुव्वा(पञ्चा)वरराहकालसमयंसि असोगवणियाए एगे देवे अन्तियं पाउभविस्था, तए णं से देवे नाममुदं च तहेव जाव पडिगए। से नूणं कुराडकोलिया (अामन्तेति 2) अठे समठे ?, हन्ता अस्थि, धन्ने सि णं तुमं कुराडकोलिया ! जहा कामदेवो अजो इ समणे भगवं महावीरे समणे निग्गन्थे य निग्गन्थीयो य आमन्तित्ता एवं वयासी-जइ ताव अजो गिहिणो गिहिमज्झा(ज्मि) वसन्ता णं अन्नउत्थिए अट्ठोहि य हेऊहि य पसिणेहि य कारणेहि य वागरणेहि य निप्पपसिणवागरणे करेन्ति, सका पुणाई अजो समणेहिं निग्गन्थेहिं दुवालसगं गणिपिडगं अहिजमाणेहिं अन्नउत्थिया अटठेहि य जाव निप्पट्ठपसिणवागरणा करित्तए 1 / तए णं समणा निग्गन्था य निग्गन्थीयो य समणस्स भगवयो महावीरस्स तहत्ति एयमटुं विणएणं पडिसुणेन्ति 2 / तए णं से कुराडकोलिए समणोवासए समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 पसिणाई पुच्छइ 2 अट्ठमादियइ 2 जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए, सामी बहिया जणवयविहारं विहरइ 3 // सू० 37 // तए णं तस्स कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्स बहुहिं सील जाव भावमाणस्स चोदस्स संवच्छराइं वइकन्ताई पराणरसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा वट्टमाणस्स अन्नया कयाइ जहा कामदेवो तहा जेटुपुत्तं ठवेत्ता तहा